प्रकाशन विभाग और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने भारतीय कला पर
पुस्तकों के प्रकाशन के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये
प्रकाशन विभाग और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद के बीच संस्कृति मंत्रालय, शास्त्री भवन में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा संस्कृति मंत्रालय के सचिव की उपस्थिति में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये. डॉ. साधना राउत, महानिदेशक, प्रकाशन विभाग और डा. सच्चिदानंद जोशी, सदस्य सचिव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद ने अपने संबंधित संगठनों की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये. इसके तहत, प्रकाशन विभाग इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद द्वारा प्रदान की गई विषयवस्तु के आधार पर ‘भारतीय कला एवं संस्कृति‘ पर पुस्तकें प्रकाशित करेगा और अपने बिक्री एम्पोरियम के जरिये इनका विपणन करेगा. इस समझौता ज्ञापन से दो महत्वपूर्ण संगठन एक दूसरे के कऱीब आयेंगे और समृद्ध ‘भारतीय कला और संस्कृति‘ को जनता तक ले जाने में अपनी शक्तियों का समुचित इस्तेमाल कर सकेंगे.
1987 में स्थापित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ‘भारतीय कला और संस्कृति‘ के सभी स्वरूपों के लिये एक प्रमुख संस्थान है. यह कला, मानविकी और संस्कृति में प्रमुख अनुसंधान संचालित करता है. इस तरह, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ‘भारतीय कला और संस्कृति‘ के सभी स्वरूपों के लिये उच्च गुणवत्ता सामग्री का व्यापक भण्डार है.
दूसरी तरफ, 1941 में स्थापित प्रकाशन विभाग (डीपीडी) को किफायती मूल्य पर राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित करने की जि़म्मेदारी दी गई है. प्रकाशन विभाग का अनेक अत्यधिक प्रशंसित टाइटल्स के साथ ‘भारतीय कला और संस्कृति‘ पर पुस्तकों का प्रकाशन इसके प्राधिकार का केंद बिंदु रहा है.
समझौता ज्ञापन के अनुसार, प्रकाशन विभाग इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद द्वारा उपलब्ध करवाई गई विषयवस्तु पर आधारित पुस्तकें प्रकाशित करेगा और भारत भर में फैले व्यापक बिक्री नेटवर्क के साथ-साथ ऑनलाइन विपणन प्लेटफार्मों के जरिये इनका विपणन करेगा.
नये टाइटलों के अलावा, प्रकाशन विभाग इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद के कुछ पुराने वॉल्यूमों को बहाल करेगा और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद के चयनित वॉल्यूमों का हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद को भी प्रकाशित करेगा. इसके अलावा, प्रकाशन विभाग और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद पुस्तक मेलों, प्रदर्शनियों, बिक्री कार्यक्रमों आदि में सहयोग करेंगे तथा इस समझौते के अधीन प्रकाशित पुस्तकों को लोकप्रिय बनाने के लिये संयुक्त पुस्तक चर्चाएं, लेखकों के साथ संपर्क कार्यक्रम भी आयोजित करेंगे.
यह आशा की जाती है कि इस पहल से आज के युवा भारतीय कला और संस्कृति की धरोहर से रूबरू होंगे और वे ‘भारत की अवधारणा‘ से अवगत होंगे.