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विशेष लेख


Volume-10

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

वीणा सबलोक पाठक

मध्य प्रदेश के सागर जिले के रजाखेड़ी गांव की बसंती बाई की बुजुर्ग सास लम्बे समय से धुएं से फेफड़ों में हुए संक्रमण की बीमारी से पीडि़त है. काफी दिनों से उसका इलाज भी चल रहा है. बसंती की सास ने कभी धू्रमपान भी नहीं किया लेकिन डॉक्टरों ने बताया की उन्हें यह बीमारी चूल्हे में खाना बनाने के दौरान धुएं के कारण हुई है तभी से बसंती भी डरी हुई थी कि कहीं उसे भी ऐसी कोई बीमारी न हो जाय लेकिन बसंती का यह डर अब पूरी तरह ख़त्म हो गया है क्योकि उसके घर अब गैस आ गयी है हालांकि उसके परिवार की आय इतनी नहीं थी कि वह गैस खरीद सके लेकिन प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के कारण यह संभव हो पाया. गांव के अन्य बी.पी.एल परिवारों की महिलाओं को भी अब चूल्हे के खतरनाक धुएंं से निजाद मिल गई है. यह केवल एक घर परिवार शहर कस्बे की कहानी नहीं है बल्कि देश भर में प्रधानमंत्री उज्ज्वला की धूम है. 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के बलिया से इस योजना की शुरुआत की बाद में इसका विस्तार देश के अन्य क्षेत्रों में भी किया गया. इस योजना के पहले चरण में पांच राज्यों को शामिल किया गया है. तीन सालों तक चलने वाली उज्ज्वला योजना के अंतर्गत पांच करोड़ बीपीएल कार्ड धारक परिवारों के घरों तक एलपीजी गैस पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया परन्तु इस योजना की सफलता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले ही वर्ष में दो करोड़ से भी अधिक परिवार इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं और उनके घर में धुएं के बादल छट गए हैं. इस योजना के लिए सरकार ने आठ हजार करोड़ का बजट रखा है. उज्ज्वला योजना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह महिलाओं के उज्ज्वल वर्तमान और उज्जवल भविष्य को ध्यान में रख कर शुरू की गयी है. स्वच्छ ईंधन बेहतर जीवन महिलाओं को मिला सम्मान, जैसे नारे के साथ शुरू हुई यह योजना महिला सशक्तिकरण के साथ साथ महिलाओं में आत्मविश्वास, विश्वास मान-सम्मान और आत्मसम्मान बढ़ाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान कर रही है क्योंकि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत बीपीएल परिवार की महिला सदस्य के नाम पर गैस कनेक्शन दिए जा रहे हैं. देश के इतिहास में पहली बार पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस अभूतपूर्व और आसाधारण योजना को शुरू किया है जो साधारण वर्ग के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रही है. भारत में लगभग 24 करोड़ से भी ज्यादा परिवार रहते हैं जिनमें से लगभग 10 करोड़ परिवार अभी भी एलपीजी गैस से वंचित हैं और इन लोगों को खाना पकाने के लिए लकड़ी, कोयला और गोबर पर निर्भर रहना पड़ता है इन हानिकारक ईंधन का प्रतिकूल प्रभाव विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों पर बहुत ज्यादा पड़ता है. वैज्ञानिकों का भी मानना है कि लकड़ी से खाना बनाने से फेफड़ों में प्रतिदिन चार सौ सिगरेट पीने जितना धुआं भर जाता है जो किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है. विश्व स्वास्थ संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति वर्ष करीब पांच हजार लोगों की मृत्यु अस्वस्थ ईंधन के कारण होती है इनमें से अधिकांश लोग फेफड़ों के संक्रमण के कारण असमय काल के गाल में समा जाते हैं. प्रदूषित धुएं के कारण छोटी आयु में ही बच्चे संक्रमण का शिकार हो जाते हैं. महिलाओं के हक़ के लिए शुरू की गई उज्ज्वला योजना में हर कनेक्शन के लिए सोलह सौ रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है. कम्पनियां गैस चूल्हे और पहली बार सिलेंडर भरने के लिए ईएमआई की सुविधा भी उपलब्ध करवा रही है. उज्ज्वला योजना के लिए आवेदन का तरीका अत्यंत सरल और आसान है. गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाए केवाईसी आवेदन पत्र को भरकर इस योजना के लिए आवेदन कर सकती हैं. ऐसे आवेदकों को जरूरी दस्तावेजों के साथ दो पेज का आवेदन पत्र भरना होगा. इस आवेदन पत्र में पत्राचार विवरण, जन धन और अन्य बैंक खाता नंबर, आधार कार्ड नंबर इत्यादि भरा जाएगा. आवेदकों को किस तरह का सिलेंडर चाहिए यह बात भी इस फॉर्म में उल्लेखित करनी होगी, जैसे कि 14.2 किलोग्राम या फिर 5 किलोग्राम का सिलेंडर. उज्ज्वला योजना के लिए केवाईसी एप्लीकेशन फॉर्म डाउनलोड कर जरूरी दस्तावेजों के साथ नजदीकी एलपीजी आउटलेट पर जमा किया जा सकता है. इस फॉर्म के साथ जमा होने वाले जरूरी दस्तावेजों में निकाय अध्यक्ष या पंचायत प्रधान द्वारा जारी बीपीएल प्रमाण पत्र, बीपीएल राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या आधार कार्ड जैसे एक फोटो पहचान पत्र और आवेदक की हाल ही में खींची गई पासपोर्ट साइज फोटो शामिल हैं. इस योजना में सेलेण्डर सुरक्षा; डिपाजिट, प्रेशर रेगुलेटर; डी जी सी सुरक्षा तथा इंस्टोलाशन और प्रबंधन चार्ज भी शामिल है. उज्ज्वला योजना के लिए सरकार ने गिव इट अप नारे के साथ देश भर में लोगों से अपनी गैस सब्सिडी त्यागने की अपील की थी इसे अभियान की तरह चला कर इसका खूब प्रचार प्रसार भी किया गया था. जिसका सकारात्मक प्रभाव दिखाई भी दिया देश के एक करोड़ से भी ज्यादा परिवारों ने स्वेछा से अपनी गैस सब्सिडी राशि त्याग कर गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की रसोई में प्रदूषण रहित चूल्हा जलाने में मदद की. वित्त वर्ष 2016-17 में तेल विपणन कंपनियों ने 3.25 करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन जारी किए. किसी भी एक वित्त वर्ष में जारी यह सबसे अधिक एलपीजी कनेक्शन हैं. अब देशभर में कुल एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या 20 करोड़ के पार पहुंच गई है. यह साल 2014 में 14 करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं की तुलना में काफी लंबी छलांग है. एलपीजी की मांग में 10त्न से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है. पिछले तीन वर्षों में 4600 नए एलपीजी वितरकों को जोड़ा गया है, इनमें से ज्यादातर वितरक ग्रामीण या उसके करीबी क्षेत्रों के हैं. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि नए उपभोक्ताओं में से 85 फीसदी से भी अधिक ने सिलेंडर को दोबारा भरवाने के लिए गैस एजेंसियों से संपर्क किया है. पीएमयूवाई के अंतर्गत इनमें से करीब 38 फीसदी लोग अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं. उल्लेखनीय बात यह है कि एलपीजी गैस के मामले में भारत कभी भी आत्मनिर्भर नहीं रहा वर्तमान में देश में एल पी जी की कुल जरूरत का चालीस प्रतिशत आयात किया जाता है नए एल पी जी कनेक्शन के बाद आयात का यह प्रतिशत पचास से पचपन तक पहुंच जायेगा बावजूद इसके सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के जीवन स्तर सुधारने के लिए ये स्वागत योग्य पहल की है. वास्तव में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना महिला स्वास्थ महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका तो निभा ही रही है साथ ही यह पर्यावरण सुरक्षा वन संरक्षण और स्वच्छता के क्षेत्र में भी उज्ज्वल भविष्य की नींव रख रही है.

लेखिका जानी-मानी वरिष्ठ पत्रकार हैं

 

चित्र: गूगल के सौजन्य से