सरकार ने रोजग़ार संबंधी डाटा में पारदर्शिता के लिये कदम उठाये
क्व३सरकार ने हाल फिलहाल में जारी होने वाले डाटा में अधिक पारदर्शिता लाने के लिये कदम उठाये हैं. यह इन मुद्दों को लेकर उचित संभावना को प्रस्तुत करना चाहेगी ताकि अंतिम उपयोगकर्ता और आम जनता को इन अनुमानों के सृजन में शामिल प्रक्रियाओं की जानकारी हो सके. श्रम ब्यूरो रोजग़ार परिदृश्य पर दो प्रमुख सर्वेक्षण संचालित करती है अर्थात वार्षिक रोजग़ार-बेरोज़गार सर्वेक्षण और तिमाही रोजग़ार सर्वेक्षण. श्रम ब्यूरो ने अभी तक पांच वार्षिक रोज़गार-बेरोज़गार सर्वेक्षण संचालित किये हैं और सभी पांचों सर्वेक्षणों पर प्रतिवेदन जारी किये जा चुके हैं. छठे वार्षिक रोजग़ार बेरोज़गार सर्वेक्षण (2016-17) का फील्ड कार्य पूरा किया जा चुका है और डाटा एंट्री वैधीकरण कार्य प्रगति पर है. छठे वार्षिक रोजग़ार बेरोजग़ार सर्वेक्षण से संबंधित रिपोर्ट सितंबर, 2018 तक पूरी की जानी है.
नीति आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढिय़ा की अध्यक्षता में रोजग़ार पर गठित कार्यबल की सिफारिशों पर वार्षिक रोजग़ार बेरोज़गार सर्वेक्षण को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा संचालित किये जा रहे आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण में तबदील कर दिया गया है. आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण में न केवल ग्रामीण क्षेत्र पर रोजग़ार-बेरोज़गारी पर वार्षिक विवरण होगा बल्कि बृहत नमूना आकार पर आधारित शहरी क्षेत्र में रोजग़ार-बेरोज़गारी पर तिमाही विवरण भी होगा. अत: तत्स्थानी एईयूएस डाटा निर्धारण तुलनीय होगा.
तिमाही रोजग़ार सर्वेक्षण (नई सीरिज) एक उद्यम आधारित सर्वेक्षण है जो कि 10 या अधिक वर्करों वाली स्थापनाओं के लिये पिछली तिमाहियों के दौरान रोज़गार की स्थिति में संबद्ध बदलाव के आकलन के उद्देश्य के लिये संचालित किया जाता है. तिमाही रोजग़ार सर्वेक्षण की कई सीमाएं हैं और इनमें शामिल कुछेक में एक महत्वपूर्ण है:-(i) छठी आर्थिक गणना का उद्यम डाटा (जनवरी, 2013-अप्रैल, 2014), अत: इसमें नई इकाइयां शामिल नहीं हैं जो कि अप्रैल 2014 के बाद शामिल हुई हैं और (ii) उन उद्यमों को शामिल किया जाता है जिनमें 10 से अधिक कामगार होते हैं और उन स्थापनाओं को शामिल नहीं किया जाता है जिनमें 10 से कम कामगार होते हैं. परिणामस्वरूप तिमाही रोज़गार सर्वेक्षण (क्यूईएस) में प्रभावी तौर पर करीब 47 करोड के कुल कार्यबल की अपेक्षा मात्र कऱीब 2.40 करोड़ कामगारों के रोज़गार आकार को संज्ञान में लिया जाता है.
अत: सरकार ने उन उपरोक्त पहलुओं पर विचार करने और शीघ्राति-शीघ्र अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिये भूतपूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रो. टी सी ए अनंत की अध्यक्षता में एक तकनीकी समिति का गठन किया है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक संगठन ने मासिक आधार पर पैरोल डाटा जारी करना शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री रोज़गार प्रोत्साहन योजना के तहत 58,400 स्थापनाओं के अंतर्गत 26.36 लाख नये कर्मचारियों को पीएमआरपीवाई के अधीन नामांकित किया गया है और 855 करोड़ रु की राशि ख़र्च की गई है.
-पत्र सूचना कार्यालय से साभार