आउटरीच संचार ब्यूरो: देश की संचार आवश्यकता को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
नरेंद्र कुमार सिन्हा
हमारे प्रधानमंत्री देश में अच्छा अभिशासन लाने में ‘‘सुधार, निष्पादन और परिवर्तन’’ के मंत्र में विश्वास रखते हैं. यह दृष्टि मौजूदा संस्थानों को मजबूत बनाना है, जो अपने अधिदेश के निष्पादन और सुपुर्दगी में समर्थ हो और इस प्रकार सरकार को जनसाधारण के द्वार तक ले जाए. यह उस दृष्टि के अनुरूप है कि सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय ने अपनी मीडिया इकाइयों को आधुनिक काल के संस्थानों में परिवर्तित करने का परिवर्तनकारी कदम उठाया है. इस रूपांतरण कार्य में पहला कदम सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय की तीनों मीडिया इकाइयों का एक ढांचा नामत: आउटरीच संचार ब्यूरो के रूप में एकीकरण है. इस एकीकरण कार्य को सृजित नए पदों पर काम करने के लिए विभिन्न स्तरों के अधिकारियों की तैनाती द्वारा मंत्रालय के प्रशासनिक ढांचे के साथ-साथ विकेंद्रीकरण से परिपूरित किया गया है. इस परिवर्तन प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए सरलीकृत मीडिया आउटरीच की डिजाइनिंग, लक्षित आबादी पर केंद्रित अभियान के लिए रुपए का अधिकतम मूल्य देने के लिए मजबूत ऑनलाइन प्रणाली को विकसित किया गया है. ऑनलाइन प्रणाली प्रति व्यक्ति तक पहुंचने की लागत, संचार रणनीति के प्रभाव और लक्षित आबादी के व्यवहारगत परिवर्तन को मन में बिठाने का ध्यान रखेगी.
बी ओ सी में अंतर-व्यक्तिगत संचार में शामिल सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय की तीन मौजूदा इकाइयां अर्थात् विज्ञापन एवं दृश्य प्रसार निदेशालय (डी ए वी पी), क्षेत्रीय प्रसार निदेशालय (डी एफ पी) और संगीत एवं नाटक प्रभाग (एस एंड डी डी) शामिल हैं. इस समेकन ने कार्यालयों की संख्या 36 क्षेत्रीय इकाइयां एवं 251 फील्ड इकाइयां को घटाकर 24 क्षेत्रीय इकाइयां एवं 148 फील्ड इकाइयां कर दिया है, जो देश भर में सामंजस्य से काम करेगा और इसका परिणाम बेहतर एवं उपयुक्त मानव संसाधन उपयोग होगा. क्षेत्रीय इकाइयों को अब से क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो (आर ओ बी) और फील्ड इकाइयों को फील्ड आउटरीच ब्यूरो (एफ ओ बी) कहा जाएगा. बी ओ सी का प्रमुख भारतीय सूचना सेवा से महानिदेशक स्तर का अधिकारी होगा और उनकी सहायता के लिए हरेक क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो में अपर महानिदेशक होंगे. डी जी (बी ओ सी) को अपने कार्य में जोन के डी जी सहायता करेंगे.
अब से संचार रणनीतियां दिल्ली केंद्रिक नहीं रहेंगी, अपितु क्षेत्रों में रहेंगी, जहां ऐसी सूचना को प्रसारित किया जाना है. यह समेकित ढांचा सरकार के विभिन्न खंडों के बीच सहक्रिया का सृजन करेगा और जन पहुंच और सूचित नागरिक वर्ग सुनिश्चित करने के लिए समेकित संचार रणनीति तैयार करने में सहायता करेगा. यह यह भी सुनिश्चित करेगा कि हमारी सहभागिता अब केवल राजधानी तक सीमित नहीं होगी, वरन् हरेक राज्य के हरेक जिले में पहुंचेगी. यह सुधारात्मक कदम यह सुनिश्चित करेगा कि अभियान को क्षेत्र की भाषा, रूप और आवश्यकता के अनुसार तैयार किया जाए और यह स्थानीय आबादी से जुड़े.
समेकित मीडिया अभियान की ऑनलाइन प्रणाली पर्याप्त रूप से उनके लक्षित श्रोता और पाठकगण/दर्शकगण के बारे में सूचना के संबंध में ग्राहक मंत्रालयों द्वारा प्रदत्त आदानों पर निर्भर रहेगा. यह प्रणाली निष्पक्षतापूर्वक इच्छुक लाभार्थी के लिए इच्छित अभियान को पूरा करने के लिए मीडिया मिश्रण का सुझाव देता है. ऑनलाइन प्रणाली को बाद में समाचारपत्रों/टी वी एजेंसियों, जो विज्ञापन करती हंै, को भुगतान की स्वचालित प्रणाली के रूप में श्रेणीबद्ध किया जाएगा और इस प्रकार पिछले बकायों में कमी आयेगी और समय से भुगतान सुनिश्चित होगा.
आउटरीच संचार ब्यूरो के विषय पर 13 मार्च, 2018 को आयोजित बैठक में सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति में विचार-विमर्श किया गया. अपनी पिछली बैठकों में सदस्यों ने विशेषकर भारत के भीतरी भागों के गांवों में सरकारी कार्यकलापों के बारे में सूचना देने के लिए एक समेकित संचार पहुंच होने की आवश्यकता का उल्लेख किया था. बी ओ सी का निर्माण करते समय इन सुझावों को शामिल किया गया है. 13 मार्च, 2018 को आयोजित बैठक में सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों (सांसदों) द्वारा आउटरीच संचार ब्यूरो और इसकी क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो की अवधारणा की प्रशंसा की गई है. सदस्यों ने अपनी मीडिया इकाइयों को रूपांतरित करने के लिए मंत्रालय की अग्र सक्रिय पहुंच और इस प्रकार वर्तमान पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने और समय के साथ कदम मिलाने की सराहना की.
बी ओ सी अत्यधिक अपेक्षित प्रशासनिक सुधार है, ताकि मीडिया मंच के बीच विश्वसनीय, सतत और स्पष्ट संवाद सुनिश्चित हो सके और हर कोने तक पहुंच प्रदान की जा सके. यह समेकित दृष्टिकोण मंत्रालय को विभिन्न लक्षित श्रोताओं और उनकी संचार जरूरतों को पूरा करने और इस प्रकार सरकार को नागरिकों के द्वार तक ले जाने में समर्थ बनाएगा. यह देश की संचार आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आधुनिकीकरण और संसाधनों के प्रभावी उपयोगीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
(लेखक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव हैं)