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विशेष लेख


Volume-47, 17-23 February, 2018

 

बजट 2018-19 : स्किल डेवलपमेंट पर ज़ोर

नीरज कुमार मिश्रा

आम बजट 2018-19 में शिक्षा की गुणवत्ता और उसके बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कई अहम ऐलान किए गए हैं. जिसमें स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा देना, शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान एवं संबंधित बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ाना और इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सिस्टम्स ऑफ एजुकेशन में सुधार जैसी पहलें अहम है.

केंद्र सरकार ने शिक्षण व्यवस्था पर खास जोर देते हुए प्ले स्कूल से 12वीं तक की शिक्षा को समग्र रूप से आगे बढ़ाने और अगले चार सालों में शिक्षा अनुसंधान एवं बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपये निवेश का प्रस्ताव किया है. सरकार का मानना है कि वह धीरे-धीरे ब्लैक बोर्ड से डिजिटल बोर्ड की ओर रुख करने की पहल पर जोर दे रही है और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए जिलावार रणनीति भी तैयार की जा रही है. इसके साथ ही अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान एवं संबंधित बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है पर जोर देते हुए रीवाइटेलाइजिंग इन्फ्रास्ट्रचर एण्ड सिस्टम्स इन एजुकेशन (क्रढ्ढस्श्व)नाम से एक प्रमुख पहल शुरू करने की घोषणा की. साथ ही उच्चतर शिक्षा का उल्लेख करते हुए उन्होंने प्राइम मिनिस्टर्स रिसर्च फेलोज (क्करूक्रस्न)योजना शुरू करने की भी घोषणा की. वित्त मंत्री ने बताया कि हर साल प्रमुख संस्थानों से 1000 बेहतरीन बी.टेक. छात्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें आकर्षक फेलोशिप के साथ आईआईटी और आईआईएससी में पीएच.डी. करने के लिए सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. साथ ही सेवाकाल के दौरान शिक्षकों के प्रशिक्षण की गंभीर प्रकृति पर भी एक एकीकृत बीएड पाठ्यक्रम शुरू करने की बात भी कही गई है. 

वहीं बजट के माध्यम से सरकार की ओर से स्किल डेवलपमेंट के उद्देश्य से भी कई ऐलान हुए हैं और सरकार के इन प्रयासों से आने वाले दिनों में युवाओं को रोज़गार मिलने में काफी सहायक हो सकते हैं. सरकार ने स्किल डेवलपमेंट पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षण व्यवस्था में शिक्षा के बुनियादी ढांचे और गुणवत्ता में सुधार, शिक्षकों के प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी का उपयोग, शोध एक एकीकृत बीएडी कार्यक्रम, स्कूलों को ब्लैकबोर्ड से आगे ले जाते हुए डिजिटल बोर्डों तक बढ़ाना और इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सिस्टम्स ऑफ एजुकेशन  में सुधार जैसे पहल अहम है. साथ ही केंद्र सरकार इस बार बजट के दौरान शिक्षण व्यवस्था में सुधार लाने के लिए जिन बिंदुओं पर जोर दिया गया, उसे कई शिक्षाविद् भी आशा और उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं और कई जानकारों का मानना सरकार की इन घोषणाओं से आशाजनक सुधार दिखाई दे रहा है, जिनका फोकस गुणवत्ता पर है. शिक्षकों का प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी का उपयोग, शोध एक एकीकृत बीएडी कार्यक्रम, शिक्षकों, डिजिटल बोर्डों के लिए इन-सर्विस ट्रेनिंग और सबसे महत्वपूर्ण बात बुनियादी ढांचे को पुनर्जीवित करने व शिक्षा व्यवस्था में 1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन है. अनुसंधान सहयोगियों पर 1,000 बीटेक छात्रों का चयन करने और आईआईटी और आईआईएससी में फैलोशिप प्रदान करने की घोषणा भी बेहतर कदम है. बुनियादी ढांचे को पुनर्जीवित करने व शिक्षा व्यवस्था में 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन को इस लिहाज से भी खास माना जा रहा है क्योकि अबतक ज्यादातर सार्वजनिक वित्त सहायता वाली संस्थानों, स्कूलों और कॉलेजों में बुनियादी ढांचा समय और गुणवत्ता के लिहाज से बहुत अच्छे नहीं हैं. वहीं शिक्षण व्यवस्था में नई तकनीक लाना समय की भी मांग है.

इस बार के बजट में युवाओं के प्रशिक्षण और प्रत्येक जिले में कौशल विकास केन्द्रों की स्थापना जैसे ही कुछ कदम सरकार की ओर से उठाए गए हैं जिनमें खास है आदिवासी बच्चों को उनके खुद के वातावरण में अच्छी शिक्षा मुहैया कराने की आवश्यकता का उल्लेख करना. इसके लिए केंद्र सरकार ने प्रत्येक ब्लॉक में एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल खोलने का निर्णय लिया है और इस बारे में वित्त मंत्री ने कहा है कि इस मिशन को पूरा करने के लिए वर्ष 2022 तक अनुसूचित जनजाति की 50 फीसदी आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी वाले प्रत्येक ब्लॉक में एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल खोला जाएगा. साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि एकलव्य स्कूल को नवोदय विद्यालय की ही तर्ज पर होंगे और इन स्कूलों में खेल एवं कौशल विकास प्रशिक्षण के अलावा स्थानीय कला व संस्कृति के संरक्षण के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध होंगी.

सरकार के इन फैसलों पर कई जानकारों का भी मानना है कि बुनियादी ढांचे को पुनर्जीवित करने व शिक्षा व्यवस्था में 1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन और 1,000 बी.टेक. छात्रों को पीएच.डी फेलोशिप दिए जाने की पहल एक बेहतर कदम बता रहे हैं, क्योंकि अबतक संशोधन की कमी और वित्तीय सहायता के अभाव में कुछ होनहार  छात्र विदेश चले जाते थे! ऐसे में सरकार की इन घोषणाओं से निश्चित रूप से छात्रों और संस्थानों को वित्त पोषण मिलेगा. साथ ही अनुसंधान कार्यों को भी पहले से अधिक बल मिलेगा और देश तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में और भी आगे बढ़ेगा.

                (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)