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विशेष लेख


Volume-46, 10-16 February, 2018, 2017

 

केन्द्रीय बजट 2018-19
युवाओं और रोजग़ार के लिए अवसर

गौतम झा

पहली फरवरी 2018 को वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2018-19 का केन्द्रीय बजट संसद में प्रस्तुत किया. केन्द्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण भी कहा जाता है और यह किसी खास वित्त वर्ष में (यहां 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक के लिए) केन्द्र सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का लेखा-जोखा होता है. बजट में राजस्व के अनुमानित स्रोतों के उल्लेख के साथ-साथ आने वाले साल में विभिन्न कार्यक्रमों (नये और पुराने दोनों ही) के लिए खर्च/संसाधनों के बारे में जानकारी भी दी जाती है. केन्द्रीय बजट आने वाले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था के विकास और उन्नति की दिशा को रेखांकित करने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के कई सामाजिक-आर्थिक पहलुओं पर भी प्रकाश डालता है. इस लेख में भारतीय अर्थव्यवस्था के दो महत्वपूर्ण मगर आपस में संबद्ध मुद्दों के विश्लेषण पर ध्यान केन्द्रित किया गया है- रोज़गार और नौजवानों के लिए की गयी घोषणाएं. देश की श्रमशक्ति में हर महीने 10 लाख नये लोग जुड़ जाते हैं. जहां भारत में रोज़गार उपलब्ध कराने की दर 3.5 प्रतिशत है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार एक चिंताजनक तथ्य यह है कि 15-24 साल के आयुवर्ग में (ऐसे नौजवान जो पहली बार रोज़गार के लिए निकलते हैं) बेरोज़गारी की दर 2014 में 10 प्रतिशत से बढक़र 2017 में 10.5 प्रतिशत हो गयी है. इस तरह पहली बार श्रमशक्ति में शामिल हो रहे लोगों को लाभप्रद रोज़गार उपलबध कराना सरकार के लिए एक नयी चुनौती है. आर्थिक समीक्षा 2017-18 में भी इस बारे में चिंता व्यक्त की गयी है. बेरोज़गारी संबंधी आंकड़ों के समय पर उपलब्ध न होने से रोज़गार उपलब्ध कराने की चुनौती का निर्बाध रूप से आकलन करना संभव नहीं है. इस संबंध में आर्थिक समीक्षा 2017-18 में देश में बढ़ते डिजिटीकरण और वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) से उपलब्ध हुए आंकड़ों के आधार पर औपचारिक क्षेत्र  के गैर-कृषि कर्मियों की अनुमानित संख्या के आकलन का एक नया तरीका बताया गया है.  

आइये, अब इस साल के केन्द्रीय बजट में शामिल खास बातों पर ध्यान दें. बजट में देश के युवाओं से भ्रष्टाचार मुक्त जीवन जीने का आह्वान किया गया है क्योंकि भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जो बड़े लम्बे समय से हमारी अर्थव्यवस्था को तबाह किये जा रही है. ऐसा दावा किया जा रहा है कि सरकार के ग्रुप और ग्रुप के पदों पर नियुक्ति के लिए प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराने और इंटरव्यू की जरूरत को समाप्त कर दिये जाने से देश के लाखों नौजवानों को समय और धन की काफी बचत हुई है. बजट में ऐसे कई कदमों का उल्लेख किया गया है जिनसे छोटे और सीमांत किसानों के लिए कृषि और कृषि से इतर रोज़गार के लाभप्रद और उत्पादक अवसर जुटाने में सकारात्मक असर पड़ेगा. ई-नाम और खरीफ और रबी की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना बढ़ोतरी, मौजूदा 22,000 ग्रामीण हाटों को ई-नैम और एपीएमसी की तरह ग्रामीण कृषि बाजार के रूप में उच्चीकृत करना, गांवों से ग्रामीण कृषि बाजार के संपर्क में सुधार लाना, बागानी फसलों को वैज्ञानिक तरीके से सामूहिक रूप से उगाना जैसे कदमों से ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार सृजन पर सकारात्मक असर पड़ेगा. इन ग्रामीण कृषि बाजारों में मनरेगा और अन्य सरकारी कार्यक्रमों के जरिए भौतिक अवसंरचना को सुदृढ़ किया जाएगा. किसानों के लिए आबंटन भी 48000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 55000 करोड़ रुपये कर दिया गया है.        

महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के तहत आर्गेनिक खेती अपनाने को प्रोत्साहित किया जाएगा. बजट में ऐसे कई कार्यक्रमों का उल्लेख किया गया है जिनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में अवसंरचना, ऋण सुविधा, ग्रामीण आवास और संपर्क जैसे कार्यक्रमों के जरिए आजीविका के अवसर प्रदान करना है. मंत्रालय द्वारा खर्च की जाने वाली आबंटित राशि 14.34 लाख करोड़ रुपये होगी जिनमें बजट से इतर और गैर-बजट संसाधनों के रूप में 11.98 लाख करोड़ रुपये भी शामिल हैं. कृषि गतिविधियों से रोज़गार और स्व-रोज़गार के अलावा इस खर्च से 321 करोड़ श्रम दिवसों के बराबर रोज़गार के अवसर पैदा होंगे, 3.17 लाख किलोमीटर ग्रामीण सडक़ें बनेंगी, 51 लाख नये ग्रामीण आवासों व 1.88 करोड़ शौचालयों का निर्माण होगा और 1.75 करोड़ नये घरेलू बिजली कनेक्शन दिये जाएंगे जिससे कृषि के विकास को बढ़ावा मिलेगा.  

नौजवानों में कौशल का विकास और श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली शिक्षा और प्रशिक्षण तक उनकी पहुंच बनाना प्रशिक्षित श्रम शक्ति के रूप में उनके विकास के लिए बहुत जरूरी है. इस संबंध में बजट में कई कदमों का प्रस्ताव किया गया है. बजट में ब्लैक बोर्ड की से स्थान पर डिजिटल बोर्ड लगाकर देश में डिजिटल सघनता बढ़ाने की बात कही गयी है. जनजातीय आबादी की अधिकता वाले इलाकों में नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर एकलव्य मॉडल आवसीय विद्यालय खोलने से जनजातीय बच्चों को बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी. अनुसंधान और इससे संबंधित बुनियादी ढांचे के लिए धन की व्यवस्था करने, नये रेलवे विश्वविद्यालय और वास्तुशिल्प संस्थानों की स्थापना जैसे उपायों का युवाओं के कौशल विकास पर सकारात्मक असर पड़ेगा जिससे वे रोज़गार पाने में सक्षम हो सकेंगे. रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, डिजिटल विनिर्माण, बिग डेटा एनेलिसिस, क्वांटम कम्यूनिकेशन और इंटरनेट ऑफ थिंग्ज जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान पर निवेश की घोषणा करके विज्ञान और टेक्नोलॉजी विभाग को उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना में मदद देने के लिए भौतिक प्रणाली कायम करने का निर्देश दिया गया है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिए 2018-19 में आबंटन दोगुना बढ़ाकर 3073 करोड़ रुपये कर दिया गया है.       

बजट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की भूमिका की पहचान हमारी अर्थव्यवस्था के विकास और रोज़गार के प्रमुख इंजन के रूप में की गयी है. इस संबंध में बजट में इस तरह के उद्यमों पर से करों का बोझ कुछ कम करने के उपायों की घोषणा की गयी है ताकि उनके माध्यम से बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर पैदा किये जा सकें. कारपोरेट कर की दरों को कम करके 25 प्रतिशत के स्तर पर लाने का फायदा ऐसी कंपनियों को देने का भी ऐलान किया गया है जिन्होंने 2016-17 में 250 करोड़ रुपये तक का करोबार किया था. इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र की कर विवरणी जमा कराने वाली 99 प्रतिशत कंपनियों को फायदा होगा. इस तरह इन कंपनियों को जो बचत होगी उसके निवेश से रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे. 2018-19 में मुद्रा योजना के अंतर्गत उधार देने के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जिसका वितरण मुख्य रूप से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के जरिए किया जाएगा. पिछले तीन वर्षों में रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिए कई कदम उठाये गये हैं. बजट दस्तावेज के साथ-साथ स्वतंत्र रूप से कराये गये अध्ययनों से भी पता चलता है कि इन कदमों से 2017-18 में रोज़गार के 70 लाख अवसर उत्पन्न हुए. इस सिलसिले को जारी रखने के लिए सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र के नये कर्मचारियों के वेतन का 12 प्रतिशत कर्मचारी भविष्यनिधि अंशदान के रूप में अगले तीन साल तक देने की बजट में घोषणा की है. वस्त्र और जूता क्षेत्र के लिए शुरू की गयी नियतकालीन रोज़गार की सुविधा का सभी क्षेत्रों में विस्तार करने की घोषणा की गयी है.

बजट में औपचारिक क्षेत्र में महिलाओं के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ाने और ऐसे उपाय करने की भी घोषणा की है जिससे वे हर महीने वेतन के रूप में अधिक धनराशि घर ले जा सकें. इसके लिए कर्मचारी भविष्यनिधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 में संशोधन करने का प्रस्ताव है ताकि कर्मचारी भविष्य निधि में महिला कर्मचारियों का अंशदान वर्तमान 12 प्रतिशत और 10 प्रतिशत से घटकर अगले तीन सालों में 8 प्रतिशत पर आ जाए और कर्मचारियों के अंशदान में कोई बदलाव न आए. प्रधानमंत्री कौशल केन्द्र योजना के तहत सरकार देश के हर जिले में आदर्श आकांक्षा केन्द्र स्थापित करने जा रही है. परिधान और सिले सिलाए वस्त्र क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने वस्त्र क्षेत्र का 2018-19 का परिव्यय 7148 करोड़ रुपये करने की घोषणा की है जबकि 2016 में यह 6000 करोड़ रुपये ही था. रोज़गार के अवसर पैदा करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए 2018-19 में सरकार का बजटगत और बजटेतर व्यय बढ़ाकर 5.97 लाख करोड़ रुपये किया जा रहा है जबकि 2017-18 में इसी मद में 4.94 लाख करोड़ रुपये का खर्च हुआ था.

कुछ खास क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लिए कर प्रोत्साहनों का भी प्रस्ताव किया गया है. इस समय साल में न्यूनतम 240 दिनों तक का काम करने वाले पात्र नये कर्मचारियों को उनकी परिलब्धियों पर आयकर अधिनियम की धारा 80 जेजेएए के तहत 100 प्रतिशत की सामान्य कटौती के अलावा 30 प्रतिशत अतिरिक्त कटौती की अनुमति प्रदान की जाती है. लेकिन परिधान उद्योग के मामले में रोज़गार की न्यूनतम अवधि 150 दिन कर दी गयी है (केन्द्रीय बजट 2018-19 का पृष्ठ 26, अनुच्छेद 148). रोज़गार के नये अवसर उत्पन्न करने के लिए बजट में इस छूट को जूता और चमड़ा उद्योग को भी देने का प्रस्ताव है. इसके अलावा 30 प्रतिशत की कटौती को युक्तिसंगत बनाने का भी प्रस्ताव है ताकि इसका फायदा ऐसे नये कर्मचारियों को भी मिले जो पहले साल न्यूनतम अवधि से कम अवधि के लिए नौकरी में रहे मगर जिन्होंने अगले साल न्यूनतम अवधि से अधिक के लिए काम किया. 

ऊपर बताए गये उपायों से युवाओं में कौशल विकास के लिए सकारात्मक माहौल बनने की उम्मीद तो की ही जा रही है, साथ ही इससे कृषि और गैर-कृषि दोनों ही तरह की गतिविधियों में रोज़गार के अवसर पैदा होंगे और बढ़ते डिजिटीकरण से श्रम शक्ति के विनियमन की भी संभावना है. बजट में ऐसी कई योजनाओं और कार्यक्रमों का उल्लेख किया गया है जो खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास, स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने पर केन्द्रित हैं. इससे हमारी अर्थव्यवस्था का रास्ता और दिशा तय करने में मदद मिल सकती है.    

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज (सांध्य)में सहायक प्राध्यापक हैं. )