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विशेष लेख


Volume-45, 3-9 February, 2017

 
जंक फूड के बढ़ते खतरे

आर.बी.एल. गर्ग

पिज्जा, बर्गर, फ्रैंच फ्राई, पेस्ट्री, चाउमीन, बड़ा पाव, समोसा, कचौड़ी, कार्बोनेटेड पेय आदि किसे पसंद नहीं हैं. कम से कम आज की पीढ़ी की यह पहली पसंद हैं जिसे बड़े चाव से प्रयोग किया जाता है. हाल का एक अध्ययन बताता है कि ऐसे वृद्धजन भी मिल जाएंगे जो जंक फूड की ओर आकर्षित हो रहे हैं क्योंकि वे भोजन बनाने की किल्लत (discomfort) से बच जाना चाहते हैं. यह बात अलग है कि इसके लगातार सेवन से वे भी स्वास्थ्य जंजाल  (viscou) में फंस जाते हैं. जंक फूड का प्रयोग पहली बार १९७२ में उस आहार के लिए किया गया जिसमें कम पोषण (low in nutrition) के साथ-साथ ज्यादा कैलोरिज (high in calories) मिलती है और यह आहार अंतत: प्रयोक्ता को व्यसनी (addict)बना देता है. वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि टीवी विज्ञापनों को देखकर युवकों को जंक फूड खाने की आदत पड़ जाती है.
अध्ययन के मुताबिक, टीवी अधिक देखने वाले युवक ५०० से अधिक अतिरिक्त चिप्स, बिस्कुट और ठंडे पेय जैसी चीजों का सेवन करते हैं. कैंसर रिसर्च यूके ने ११ से १९ वर्ष की आयु वाले ३३४८ युवकों पर शोध में पाया कि टीवी विज्ञापन देखने वाले युवक ठंडे पेय, चिप्स जैसी चीजों का सेवन अधिक करते हैं. संजय गांधी अनुसंधान संस्थान के इंडोक्रायनोलॉजी विभाग के डॉ. सुशील गुप्ता का कहना है कि जो घटक जो जंक फूड को नई पीढ़ी की पहली पसंद बनाकर अति भोजन (overeating) एवं बारंबार भोजन (frequenteating) के लिए प्रेरित करते हैं वे इस प्रकार हैं :-
१. आहार स्वादयुक्त (platable) लेकिन रेशाहीन (low in fiber) होता है
२. यह आहार अल्पाहार में (in small volume) अधिक कैलोरी (high in calorie) युक्त होता है
३. यह आहार वसायुक्त (High in fat) एवं शर्करा आधिक्य होता है. इसमें अच्छे आहार की सुगंध  (aroma) नहीं होती.
पोषण विशेषज्ञ पॉल जॉनसन का कहना है कि जंक फूड के लगातार प्रयोग करते रहने से मस्तिष्क कार्य पद्धति बदल कर उपभोक्ता को आसक्त बना देता है. जंक फूड हार्मोन स्तर में परिवर्तन कर (क्योंकि इसमें शर्करा, सोडियम एवं ग्रीस की अधिक मात्रा होने के कारण) प्रयोक्ता को निर्भर कर देता है. आहार विशेषज्ञ पलवी केएन के अनुसार बर्गर में १५०-२००, पिज्जा में ३००, पेस्ट्री में १५०, कोल्ड ड्रिंक में २०० किलो. कैलोरी विद्यमान रहती है. इनवायरमेंटल हैल्थ पर्सपेक्टिव (Environmental Health Perspective) में प्रकाशित एक शोध के अनुसार जंक फूड लगातार प्रयोग करने से अनेकानेक रसायन, अवशेष (chemical) शरीर में पहुंच जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करते हैं.
बढ़ते खतरे : डेली एक्सप्रेसमें प्रकाशित एक अनुसंधान में बताया गया है कि कुछ व्यक्तियों के लिए बर्गर, पिज्जा, चॉकलेट आनंदका पर्याय हो सकता है लेकिन जैसे-जैसे समय व्यतीत होता जाता है उनकी हालत नशेडिय़ों (drug addict) जैसी हो जाती है, तब आपका स्वयं पर कोई नियंत्रण नहीं रहता. पॉल कैनी (Paul Kenny) एक न्यूरो साइंटिस्ट है जिन्होंने चूहों और जंक फूडको लेकर एक अनुसंधान किया है. इन्होंने चूहों को तीन वर्गों में बांटा - पहले वर्ग में चूहों को सामान्य स्वास्थ्यप्रद आहार दिया गया. दूसरे वर्ग में नियंत्रित मात्रा (restricted amount) में जंक फूड दिया गया और तीसरे वर्ग में अनियंत्रित मात्रा (unlimited amount) में जंक फूड (जिसमें चीज केक, मांसयुक्त आहार, चॉकलेट आदि शामिल हैं) दिया गया. अध्ययन में पाया गया कि पहले दो वर्गों में जंक फूड का कोई कुप्रभाव नहीं था लेकिन अंतिम भाग के चूहों में मोटापा इस तरह बढ़ गया था कि वे कुछ हिलडुल भी नहीं पाते थे.
१. मानसिक शक्ति की क्षीणता (decay in mental health)- जंक फूड से सामान्यत: लाभदायक वसा (Omega 3) के स्थान पर ट्रांस फैट की विद्यमानता के कारण मानसिक शक्ति का क्षय होता है. मैदे व तेल से बनी हुई चीज सामान्यत: सुस्त व कमजोर बनाती है.
२. पाचन क्षीणता (decay digestion) जंक फूड सामान्यत: एसिडीटी को जन्म देते हैं क्योंकि इसमें अच्छी तरह से प्रसंस्कृत (Processed) नमक, एंजाइम्स के निष्कर्षण (Secretion of anzymes)  के कारण खाने की ललक बहुत तीव्र होती है, लेकिन इसमें व्याप्त ट्रांस फैट एवं सोडियम न केवल गुर्दों के लिए नुकसानदायक है अपितु समस्त पाचन क्रिया को गड़बड़ा देता है.
३. डाइबिटीज (diabetes) को प्रोत्साहन देता है चूंकि जंक फूड रेशाविहीन होता है तथा इसका शर्करा स्तर (Sugar Level)भी अधिक होता है, जिससे डाइबिटीज २ को प्रोत्साहन मिलता है.
४. अवसाद का निर्माण (encourages depression) जंक फूड का लगातार सेवन करने से शरीर में जैविकीय (biological) बदलाव होता है तथा ५८ प्रतिशत तक बालकों में अवसाद की स्थिति पैदा हो जाती है.
५. हृदय रोग (promotes heart disorder) सैचुरेटेड एवं ट्रांस फैट की अधिकता के कारण ट्राईग्लासिराईड (Triglyceride) एवं निम्न कोटि कॉलेस्ट्रोल (एलडीएल) की वृद्धि होती है जो अंतत: हृदय रोगों के लिए उत्तरदायी है.
६. यकृत क्षय  (Liver Damage) एक अध्ययन बताता है कि जिन लोगों ने लंबे समय तक जंक आहार का प्रयोग किया है लेकिन कोई व्यायाम नहीं किया उनमें दीर्घकालीन यकृत क्षय देखा जाता है क्योंकि जंक आहार में शराब के प्रयोग से उत्पन्न जंक फूड पोषण विहीन सुगंधरहित (lacking aroma) खाद्य है जिससे बचने की आवश्यकता है क्योंकि हाल के ऐसे अनेक अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि नई पीढ़ी में धीरे-धीरे स्वास्थ्य के खतरे जैसे-मोटापा (Obesity), यकृत क्षय  (Liver Damage), हृदय रोग ((Cardiac Disorder), गुर्दा क्षय (Chronic Kidney disorder), आदि की संभावनाएं बढ़ रही हैं. दिल्ली स्थित सर गंगा राम हॉस्पीटल में भर्ती हृदय रोगियों में ३०-४० प्रतिशत ऐसे थे जिनकी आयु ३५-४० वर्ष के बीच थी अर्थात वे दोषपूर्ण खानपान और रहन-सहन से पीडि़त थे. अत: आवश्यकता है कि रेशायुक्त सुवाषित पोषणयुक्त आहार का सेवन किया जाए. हमें पूरे जीवन भर अच्छा, स्वस्थ और सुखद जीवन जीने के लिए जंक फूड को खाना नजरअंदाज  करना चाहिए.
लेखक भरतपुर (राजस्थान) स्थित
रिटायर्ड प्रोफेसर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन १४, ओल्ड रोडवेज डिपो, सर्किट हाउस के सामने, भरतपुर (राजस्थान) हैं rblg69@rediffmail.com