मंत्रिमंडल ने २०१७-१८ से २०१९-२० की अवधि के लिए ‘वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना (एससीबीटीएस) को मंजूरी दी’
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामले की मंत्रिमंडल समिति ने संगठित क्षेत्र में कताई और बुनाई को छोडक़र वस्त्र क्षेत्र की सम्पूर्ण मूल्य शृंखला सहित एक नयी कौशल विकास योजना को अपनी मंजूरी दे दी है. वर्ष २०१७-१८ से २०१९-२० तक १३०० करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का नाम ‘वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना’ है. इस परियोजना में एक राष्ट्रीय कौशल योग्यता संरचना शामिल होगी, जो कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा अधिसूचित साझा मानदंडों द्वारा निर्धारित उपायों से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अनुसार होगी.
इस योजना का लक्ष्य मांग आधारित, रोज़गारोन्मुख कौशल कार्यक्रम उपलब्ध कराना है, ताकि वस्त्र क्षेत्र से जुड़े संगठित क्षेत्र तथा संबंधित क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर तैयार करने में उद्योग जगत के प्रयासों को लाभकारी बनाने के साथ-साथ वस्त्र मंत्रालय के संबंधित क्षेत्रवार संभागों/संगठनों के माध्यम से पारम्परिक क्षेत्रों में कौशल तैयार करने तथा कौशल केे उन्नयन को बढ़ावा दिया जा सके तथा देशभर में समाज के सभी हिस्से तक आजीविका उपलब्ध करायी जा सके.
ये कौशल कार्यक्रम निम्नलिखित के माध्यम से कार्यान्वित होंगे.
(द्ब) मानव श्रम की घरेलू आवश्यकता का पूरा करने के क्रम में वस्त्र उद्योग/इकाइयों के माध्यम से.
(द्बद्ब) वस्त्र उद्योग/इकाइयों से जुड़े रोज़गार वस्त्र क्षेत्र मेें संबंधित प्रख्यात प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से ; और
(द्बद्बद्ब) वस्त्र उद्योग/इकाइयों से जुड़े रोज़गार वाले वस्त्र मंत्रालय/राज्य सरकारों के संस्थानों के माध्यम से
इस योजना में मुख्यत: निम्नलिखित रणनीति लागू होगी:
(ए) रोज़गार की भूमिका के अनुसार कौशल प्रदान करने के लक्ष्य विभिन्न स्तरों के लिए चयनित कौशल की कमी पर आधारित होंगे, जैसे- प्रवेश स्तर के पाठ्यक्रम, कौशल-उन्नयन/पुन: कौशल प्रदान करने (प्रौद्योगिकी लागू करने के लिए पर्यवेक्षकीय, प्रबंधकीय प्रशिक्षण, उन्नत पाठ्यक्रम आदि), पूर्व-शिक्षण की मान्यता (आरपीएल), प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास.
(बी) उद्योग जगत से मिलकर समय-समय पर क्षेत्रवार/रोज़गार भूमिका से जुड़े कौशल की आवश्यकता का मूल्यांकन किया जाएगा.
(सी) कार्यक्रम के कार्यान्वयन से जुड़े प्रत्येक पहलुओं का पता लगाने के लिए वेब-आधारित निगरानी प्रणाली लागू की जाएगी.
(डी) संबंधित क्षेत्रवार संभागों/संगठनों के माध्यम से हथकरघा, हस्तकला, जूट, रेशम आदि जैसे पारम्परिक क्षेत्रों में कौशल प्रदान करने की आवश्यकता को विशेष परियोजनाओं में शामिल किया जाएगा. मुद्रा ऋणों के प्रावधान के माध्यम से उद्यमिता विकास के लिए कौशल उन्नयन को और भी अधिक बढ़ावा दिया जाएगा.
(ई) परिणामों को मापन-योग्य बनाये जाने की दृष्टि से सफल प्रशिक्षुओं का मूल्यांकन और प्रमाणन एक मान्यताप्राप्त मूल्यांकन एजेंसी द्वारा किया जाएगा.
(एफ) प्रमाणित प्रशिक्षुओं के कम-से-कम ७० प्रतिशत हिस्से को पारिश्रमिक आधारित नियोजन में शामिल किया जाना है. योजना के तहत रोज़गार पश्चात् ट्रैकिंग अनिवार्य होगी.
(जी) प्रशिक्षण के बाद इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में महिलाओं के नियोजन को महत्वपूर्ण मानते हुए, सभी हिस्सेदार संस्थाओं के लिए ‘कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीडऩ (रोकथाम, निषेध और निपटारा) अधिनियम, २०१३ के तहत आंतरिक शिकायत समिति गठित किए जाने के मार्ग निर्देशों का अनुपालन करना अनिवार्य होगा, ताकि वे योजना के तहत वित्तपोषण के लिए पात्र हो सकें’.
इस योजना के माध्यम से चयनित रोज़गार भूमिकाओं में कौशल प्रदान करके ग्रामीण दूरस्थ, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र, पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर सहित देशभर में समाज के सभी हिस्से को लाभान्वित किया जाएगा. समाज के विभिन्न समूहों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, भिन्नत: सक्षम, अल्पसंख्यकों और अन्य कमजोर समूहों को प्रमुखता दी जाएगी.
वस्त्र मंत्रालय द्वारा बारहवीं योजना अवधि में कार्यान्वित कौशल विकास की विगत योजना के तहत १० लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षत किया गया है, जिनमें ७० प्रतिशत से अधिक महिलाएं थीं. इस बात को ध्यान में रखा जाना है कि परिधान उद्योग इस योजना के तहत शामिल एक ऐसा बड़ा हिस्सा है, जिसमें अधिकांश महिलाएं (लगभग ७० प्रतिशत) नियोजित होती हैं तथा नई योजना मेें भी यह रवैया कायम रहने की संभावना है.
योजना के माध्यम से वस्त्र क्षेत्र के विभिन्न हिस्से में १० लाख लोगों को कौशल प्रदान किए जाने तथा प्रमाणित किए जाने की संभावना है, जिनमें से एक लाख लोग पारम्परिक क्षेत्रों में होंगे.
पृष्ठभूमि : वस्त्र मंत्रालय की ओर से ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के पिछले दो वर्षों में एक शीर्ष परियोजना के रूप में एक समन्वित कौशल विकास योजना (आईएसडीएस) शुरू की गई थी. इस पर सरकारी अंशदान के रूप में २२९ करोड़ रुपये सहित २७२ करोड़ रुपये की लागत निर्धारित की गई थी तथा २.५६ लाख लोगों को प्रशिक्षित करना इसका लक्ष्य था. बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान १५ लाख लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए १९०० करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक मुख्य चरण के रूप मे इस योजना का विस्तार किया गया. आईएसडीएस उद्योग उन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से वस्त्र उद्योग में कुशल मानव श्रम की कमी की समस्या का समाधान करता है. इसे तीन घटकों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है, जहां सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) प्रारूप पर मुख्यत: जोर दिया जाता है तथा इस प्रकार उद्योग जगत में एक मांग आधारित कौशल पर्यावरण स्थापित करने में एक साझेदारी विकसित की गई है. योजना के अधीन, अब तक १०.८४ लाख लोगों को कौशल प्रदान किया गया है, जिसमें से १०.१२ लाख लोगों का मूल्यांकन किया गया है तथा ८.०५ लाख लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है. यह योजना मोटे तौर पर कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के साझा मानदंडों के अनुसार तैयार की गई है.
पीआईबी