रोज़गार समाचार
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नौकरी फोकस


Issue no 10, 03 - 09 June 2023

अंकिता श्रीवास्तव कार्बन बाजार आजमाए हुए आपूर्ति और मांग आर्थिक सिद्धांत का एक नवप्रवर्तित अनुप्रयोग है। कार्बन उत्सआर्जन व्याथपार की संकल्पाना एक सरल किंतु प्रभावी अवधारणा पर आधारित है। अनिवार्यतरू वे कंपनियां जो अपने कार्बन उत्सर्जन को अनुमत स्तरतक रख सकती हैंए वे अपनीअतिरिक्तत उत्सर्जनमात्रा ऐसी अन्य कंपनियों को बेच सकती हैं जो अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए संघर्षरत हैं। यह प्रणाली कार्बन उत्संर्जन को कम करने के एक अधिक कुशल और लागत प्रभावी दृष्टिकोण की अनुमति देती है। आज के विश्वज में पर्यावरण से जुड़ी चिंताएं कई व्यवसायों के लिए उच्चो प्राथमिकता बन गई हैं। इसके परिणामस्व रूपए पर्यावरणके विनियमों का पालन करते हुए भी कंपनियां अपनी कार्बन सीमा को कम करने के उपायों को तलाश कर रही हैं। फर्मों को उनके कार्बन उत्सर्जन को कम करने के संबंध में कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करना एक ऐसा कर्यनीतिगत दृष्टिकोण है जिसने लोकप्रियता प्राप्त की है। प्रोत्सा्हन दे करए कंपनियों को पर्यावरण के अधिक अनुकूल बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह दृष्टिकोण पर्यावरण को लाभान्वित करता है। हरित प्रौद्योगिकीका संवर्धन गति पकड़ रहा है क्यों कि स्वच्छ ऊर्जास्रोतों के संबंध में यह विश्वद भर में अंतरण का समर्थन करता है। परिस्थितिकी के अनुकूल प्रौद्योगिकियों का विकास और अंगीकरण इस अंतरण को सुविधाजनक बनाता है। कार्बन बाजार ने हाल ही में अत्यकधिक महत्वपूर्ण ध्यान आकृष्टइ किया हैए जिससे अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों केअंगीकरण में गति आई है। कार्बन बाजार का आकर्षण कंपनियों को उनकी कार्बन सीमा कम करने के लिए उन्हेंर वित्तीय पुरस्कार दे कर उन्हें प्रोत्साहित करने में निहित है। इसने अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी में रुचि बढ़ाई हैए क्योंकि ये परम्पररागत ऊर्जा स्रोतों को एक सतत और पारिस्थितिकी अनुकूल विकल्प देती हैं।जैसे.जैसे अधिक कंपनियां अपना कार्बन उत्सर्जन कम करना चाहेंगी और कार्बन बाजार में भाग लेना चाहेंगी वैसे.वैसे अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की मांग बढ़ती रहेगी। भारत एक ऐसा देश है जिसकी पंहुच में सौर तथा पवन ऊर्जा सहित अक्षय ऊर्जा स्रोतों हैं। तीव्र गति से बढ़ती ऊर्जा आवश्यरकताओं के साथ भारतअपनी ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए इन संसाधनों का उपयोग करने में अक्षय है। हाल के वर्षों मेंए निगम अपने कार्बन उत्सधर्जन सीमा कम करने और जलवायु परिवर्तन के विरूद्ध संघर्ष में योगदान करने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं। अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं कीअगुआई करना और कार्बन क्रेडिट्सका सृजन करना एक ऐसा उपाय है जिसे वे कर सकते हैं। इसके बाद इन क्रेडिट्सका कार्बन बाजार में व्याऐपार किया जा सकता हैए जिससे कंपनियों अपने कार्बन उत्सर्जन का समाधान कर सकती हैं और सतत प्रक्रियाओं की सहायता कर सकती है। अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करकेए निगम स्वच्छ ऊर्जा की मात्रा के आधार पर कार्बन क्रेडिट सृजित कर सकते हैं। भारतए एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था और ऊर्जा की बढ़ती हुई मांग वाला देश होने के साथए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा अंतरण दौर से गुजर रहा है। विश्वी धारणीयध्सतत ऊर्जा को प्राथमिकता दे रहा हैए भारत भी अपना ध्या न स्वच्छए अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर अंतरित कर रहा है। वैश्विक कार्बन बाजार इस परिवर्तन का एक महत्वयपूर्ण प्रेरक घटक रहा है। इस रूपांतरण को रेखांकित करना वैश्विक कार्बन बाजार और एक लचीले नीतिगत ढांचे का एक जटिल सम्मिश्रण है। इस बाजार ने न केवल स्वच्छ ऊर्जा के अंतरण की सुविधा दी हैए बल्कि इससे रोजगार सृजन को भी बल मिला है और अंततरू देश में सामाजिक.आर्थिक विकास को गति मिली है। भारत का सौर ऊर्जा क्षेत्र कार्बन बाजार के कारण तीव्रगति से विकास का अनुभव कर रहा है। सौर ऊर्जा परिदृश्य में यह विकास अद्भुत है। कंपनियों द्वारा सौर पहलों में निवेश करके कार्बन क्रेडिट्स प्राप्त् करने की होड़ से सौर उद्योग में कुशल कार्यबल की मांग में वृद्धि हुई है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने बढ़ते हुए संकेंद्रण के साथए कंपनियां सौर विद्युत जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों में निवेश करनेकी ओर देख रही हैं। इसके परिणामस्व्रूपए इस क्षेत्र में कुशल व्यषवसायियों की मांग बढ़ी है। परियोजना प्रबंधन ने विभिन्न प्रकार की ऐसी रोजगार भूमिकाएं सृजित की हैंए जिनमें से प्रत्ये क की अपनी निजी जिम्मेदारियां हैं। परियोजनाओं की परिकल्पमना और उसे तैयार करने के प्रारंभिक चरण से लेकर उनके दैनिक प्रचालन और रख.रखाव की निगरानी करने तक के अलग.अलग भाग किसी भी परियोजना की सफलता में योगदान करते हैं। इन भूमिकाओं के लिए विभिन्न कौशल और विशेषज्ञता होना आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि परियोजनाएं बजट के अंदर और हितधारकों की संतुष्टि करते हुए समय पर पूरी हो जाएं। दूसरी ओरए भारत विश्वए के सबसे बड़े पवन ऊर्जा क्षेत्रों में से एक हैए और यह कार्बन बाजार के लाभ लेने में अक्षय रहा है। भारत में पवन ऊर्जा उद्योग विश्वष भर के अन्य क्षेत्रों की तरह ही कार्बन बाजार का लाभ लेने में अक्षय रहा है। कंपनियों के बीच पवन ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करना एक लोकप्रिय प्रवृत्ति बन गई हैए और यह केवल पर्यावरण के लिए नहीं है। ये कंपनियां पवन टर्बाइन के निर्माणए स्थापना और सर्विसिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन में भी योगदान करती हैं। इसने कार्यबल को रोजगार के विविध अवसर प्रदान किए हैंए जिससे यह कंपनियों और रोज़गार चाहने वालों के लिए एक जीत की स्थिति बन गई है। स्वच्छ ऊर्जा केवल सौर और पवन ऊर्जा से परे एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है। अन्य क्षेत्रए जैसे कि बायोमासए लघु पनबिजली और अपशिष्ट से ऊर्जा निर्माण परियोजनाएंए रोजगार के अधिक अवसर सृजित करने के लिए कार्बन बाजार का उपयोग कर रहे हैं। स्थापयी स्रोतों से ऊर्जा उत्पन्न करने की अपनी क्षमता के कारण ये क्षेत्र तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैंए जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्वपूर्ण है। कार्बन बाजार इन अक्षयऊर्जा परियोजनाओं को उनके कार्बन क्रेडिट बेचने के लिए एक मंच प्रदान करता हैए जो बदले में उनके संचालन को निधि देने और अधिक रोजगार के अवसर सृजित करने में सहायता करता है। इसके परिमाणस्वधरूपए अक्षय ऊर्जा क्षेत्र न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद कर रहा हैए बल्कि रोजगार सृजन के माध्यम से अर्थव्यवस्था के विकास में भी योगदान कर रहा है। कम्पनियों द्वारा अक्षयसंसाधनों के उपयोग से ऊर्जा उत्पादन और कार्बन क्रेडिट की प्राप्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों का विस्तार हुआ है और बाद में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। जलवायु परिवर्तन कीबातें विश्वै भर में गूंज रही है जो उद्योगोंए सरकारों और निजी संगठनों से अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने और टिकाऊ प्रथाओं के अनुकूल बनने का आग्रह करती है। इसके परिणामस्व्रूपए कार्बन बाजार अभूतपूर्व विस्तार की अवधि में प्रवेश कर गया है और निम्नानुसार रोजगार सृजन कर रहा हैरू परामर्शी सेवाएंरू कार्बन निष्पकक्षता के प्रति प्रभार क नेतृत्वव कर के विश्व भर की कंपनियों अपने काबर्न उत्पा्दन को कम करना चाहती है और स्थोयी प्रथाओं को अपनाना चाहती हैं। इससे ऐसे विशेषज्ञों की मांग में वृद्धि हुई है जो इन कंपनियों को कार्बन निष्प क्षता की दिशा में मार्गदर्शन कर सकते हैं। कार्बन बाजारों में विशेषज्ञता रखने वाले सलाहकार उत्सर्जन को कम करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर अपनी विशेषज्ञता प्रदान करते हैं और स्थाजयी कार्यनीतियों को लागू करने में सहायता करते हैए जिससे सलाहकार का क्षेत्र एक आशाजनक कॅरिअर विकल्प के रूप में उभर रहा है। कार्बन ट्रेडिंग . ग्रीन मार्केटप्लेस का संचालन करनारूकार्बन ट्रेडिंग कार्बन बाजार के भीतर एक विशेष क्षेत्र हैए जहां कंपनियां कार्बन क्रेडिट की खरीद और बिक्री करती हैं। यह क्षेत्र उन व्येवसायियों की तलाश करता है जो कार्बन बाजारों से संबंधित व्यापारए जोखिम प्रबंधन और नियामक ढांचे को समझते हैं। इन क्षेत्रों में कुशल लोगों के लिए अवसर निश्चित हैं। परियोजना विकासरू परियोजना विकास कार्बन बाजार का आधार है। जिन कंपनियों का लक्ष्यऔ अक्षय ऊर्जाए वनीकरणए या ऊर्जा दक्षता पहलों के माध्यम से कार्बन क्रेडिट उत्पन्न करना हैए उन्हेंन परियोजना प्रबंधनए इंजीनियरी और पर्यावरण विज्ञान विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। यदि आपके पास ये कौशल हैंए तो कार्बन बाजार में परियोजना विकास क्षेत्र आपके लिए अवसरों से भरा हुआ है। नीति औरविनियमनरू जैसे.जैसे भारत का कार्बन बाजार विकसित हो रहा हैए इसके लिए ऐसे विशेषज्ञ कार्यबल की आवश्यकता है जो महत्वपूर्ण नियामक ढांचे को आकार देने और लागू करने में योगदान दे सके। सरकारी निकायए एनजीओए विशेषज्ञ संगठन और शैक्षणिक संस्थान इस दिशा में कॅरिअर के पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं। अनुसंधान और विकासरू कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए नई तकनीकों और प्रथाओं में अनुसंधान कार्य कार्बन बाजार के विकास के लिए आवश्यक है। विश्वविद्यालयए निजी कंपनियां या शोध संस्था्न इस क्षेत्र में शोधकर्ताओं के लिए कई ऐसे पद देते हैं जिनसे महत्वपूर्ण सफलताओं का मार्ग प्रशस्त होता है। कॉर्पोरेट स्थिरता की भूमिकाएंरूनिगमों में स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने के साथए इन पहलों का नेतृत्व करने के लिए नई भूमिकाएं उभर रही हैं। कंपनी के कार्बन उत्सतर्जन को कम करने के संबंध मेंकंपनी के प्रयासों का समन्वय करनेए स्थाकयी क्षमता पहलों पर रिपोर्टिंग करनेऔर नियामक अनुपालन सुनिश्चित करनेकी स्थिति कॉर्पोरेट क्षेत्र में अपरिहार्य हो गई है। सत्यापन और वैधीकरण सेवाएंरू कार्बन बाजार में तीसरे पक्ष के सत्यापनकर्ताओं और वैधीकरणकर्ताओं की भी महत्वपूर्ण मांग है। ये व्य्वसायी आकलन करते हैं कि क्या परियोजनाएं वास्तव में उत्सर्जन को कम करती हैं जैसा कि दावा किया गया है। जांच कौशल के साथ कार्बन बाजारों और उत्सर्जन में कमी लाने के तरीकों की समझ इस भूमिका के लिए लाभप्रद होगी। शिक्षा और प्रशिक्षणरू कार्बन बाजार के विकास के साथए इस क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण की मांग बढ़ेगी। शिक्षणए प्रशिक्षण सामग्री विकसित करना और ऑनलाइन पाठ्यक्रम बनाना इस क्षेत्र के आवश्यक घटक हैंए जो अगली पीढ़ी केकार्बन बाजार व्य्वसायियों का पोषण करेंगे। यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि जैसे.जैसे हम आगे बढ़ रहे हैंए भारत के कार्बन बाजार में अवसर अत्यधिक गतिशील होते जा रहे हैं। ये अवसर अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौतोंए राष्ट्रीय नीतियों और प्रौद्योगिकी की प्रगति से काफी प्रभावित हैं। इसलिएए इस क्षेत्र में प्रवेश करने के इच्छुक व्यक्तियों या इस क्षेत्र में पहले से ही काम कर रहे व्यंवसायियों को सलाह दी जाती है कि वे नवीनतम विकास से अवगत रहें। कार्बन बाजार का विकसित होता परिदृश्य नई संभावनाओं को जारी रखेगा। भारत का ऊर्जा अंतरण और कार्बन बाजार एक मजबूत नीतिगत ढांचे द्वारा दिशा.निर्देशित किया जाता हैए जो इन मुद्दों पर देश के दृष्टिकोण को रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत सरकार द्वारा लागू की गई नीतियां स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में संचरण और इसके कार्बन उत्‍सर्जन को कम करने के देश के प्रयासों को एक ठोस आधार प्रदान करती हैं। ये नीतियां यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं कि भारत अपने ऊर्जा और जलवायु लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से और स्थायी रूप से प्राप्त कर सके। इन नीतियों के प्रति देश की प्रतिबद्धता अपने नागरिकों और विश्व् के लिए अधिक स्थाकयी भविष्य के प्रति समर्पण को दर्शाती है। प्रदर्शनए उपलब्धि और व्यापार ;पीएटीद्ध योजना एक बाजारआधारित तंत्र है जो ऊर्जा.गहन उद्योगों को अधिक कुशल प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह उपाय स्थिरता को बढ़ावा देने और उद्यमों के कार्बन उत्सिर्जन को कम करने के लिए लागू किए गए कई उपायों में से एक है। पीएटी योजना भाग लेने वाले उद्योगों के लिए ऊर्जा दक्षता लक्ष्य निर्धारित करके संचालित की जाती हैए जिन्हें इन लक्ष्यों को एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर प्राप्त करना चाहिए। यदि कोई उद्योग अपने लक्ष्य को पूरा कर लेता हैए तो उसे ऊर्जा.बचत प्रमाणपत्र प्रदान किए जाते हैं जिनका बाजार में कारोबार किया जा सकता है। यह उद्योगों को अधिक कुशल प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है क्योंकि वे इन प्रमाणपत्रों को बेचकर राजस्व अर्जित कर सकते हैं। कुल मिलाकरए पीएटी योजना स्थिरता को प्रभावी तरीके से बढ़ावा देती है और उद्यमों को अधिक कुशल तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। पेरिस समझौते के अनुरूपए 2030 तक गैर.जीवाश्म ईंधन स्रोतों से अपनी ऊर्जा का 40ः भाग प्राप्त करने की सरकार की प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप अक्षय ऊर्जा में निवेश बढ़ा है और इससे कार्बन बाजार को बढ़ावा मिला है। भारत का लक्ष्य अपने नीतिगत ढांचे और कार्यान्वयन कार्यनीतियों का विस्तार करके कार्बन बाजार को और पोषित करना है। इसमें अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को बढ़ानाए पीएटी योजना का विस्तार करना और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में श्रमिकों को बढ़ाने और प्रशिक्षित करने वाली पहलों के लिए धन उपलब्ध् कराना शामिल होगा। हम कार्बन बाजार और एक मजबूत नीतिगत ढांचे द्वारा निर्देशित भारत में हरित ऊर्जा अंतरण को एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में देखते हैं जहां पर्यावरण.मानसिक नेतृत्व और सामाजिक विकास परस्प र जुड़े हुए हैं। जैसे.जैसे व्यवसाय अक्षय ऊर्जा में अधिक निवेश करेंगे और कार्बन क्रेडिट के लाभों का अनुभव करेंगेए रोजगार के व्यायपक अवसरपैदा होंगे। इसलिएए पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन बनाने के लिए कार्बन बाजार महत्वपूर्ण है। यह भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए अच्छा संकेत हैए जो यह प्रदर्शित करता है कि कैसे हरित ऊर्जा पर्यावरणीय स्थिरताए आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का समर्थन करती है। ;लेखक एसआरएच विश्वविद्यालयए देहरादून में जैवप्रौद्योगिकी में शोध स्कॉलर हैं। उनसे ankitashrivastav062@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।