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Issue no 02, 8-14 April 2023

आईएएस (प्रारंभिक परीक्षा): सही दृष्टिकोण

एस.बी.सिंह

संघ लोक सेवा आयोग (संलोसेआ) (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष अपनी अधिसूचना प्रकाशित करता है, जिसमें तीन विशिष्ट सेवाएं अर्थात आईएएस, आईपीएस और आईएफएस तथा अनेक समवर्गी केंद्रीय सेवाएं जैसे आयकर, सीमाशुल्क, लेखा परीक्षा एवं लेखा और कई अन्य सेवाएं शामिल होती हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा, रोजगार सुरक्षा, इन रोजगारों से जुड़े अच्छे वेतन लाभों के कारण भारत के परिश्रमी युवाओं के लिए सरकार में कोई रोजगार प्राप्त करना एक पहली पसंद रहा है। किसी भी उम्मीदवार की वरीयता सूची में सिविल सेवा सबसे ऊपर रहती है। इस सेवा में कोई स्थान प्राप्त करना प्रतिभावान और सुयोग्य युवाओं की एक बड़ी संख्या का सपना होताहै। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि सभी शैक्षिक पृष्ठभूमियों- मानविकी, इंजीनियरी,प्रबंधन, कृषि और आयुर्विज्ञान के लाखों उम्मीदवार संघ लोक सेवा आयोग द्वारा प्रत्येक वर्ष संचालित की जाने वाली इस परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं।परीक्षा के तीन चरणों अर्थात प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार वाली यह पूरी परीक्षा प्रक्रिया संलोसेआ की अधिसूचना की तारीख से 15 महीनों के अंदर पूरी कर ली जाती है। उम्मीदवारों की एक बहुत बड़ी संख्या की इसमें भागीदारी सुनिश्चित करने और परीक्षा को समावेशी प्रकृति का बनाने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए पात्रता मानदंड बहुत आसान रखा गया है। किसी भी विषय के स्नातक जो 35% अंक रखते हैं आवेदन करने के पात्र होते हैं। आयु मानदंड भी अत्यधिक उदार रखा गया है। सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह 21 से 32 वर्ष है और वे अधिकतम 6 प्रयास कर सकतेहैं। अपिव के लिए उच्च आयु सीमा 35 वर्ष है और उन्हें नौ (09) प्रयास मिलते हैं। अजा/अजजा के लिए उच्च आयु सीमा 37 वर्ष है और उनके लिए इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों की संख्या की कोई सीमा नहीं है। यह नोट कर लें प्रारंभिक परीक्षा में बैठने को एक प्रयास माना जाएगा, भले ही आपका परीक्षा परिणाम कुछ भी हो। यदि आप परीक्षा के किसी भी चरण पर असफल रहते हैं तो आपको इस प्रतिस्पर्धा में फिर से बैठना होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो यदि आप प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते हैं, किंतु साक्षात्कार के बाद अंतिम रूप से उत्तीर्ण नहीं हो पाते हैं तो आपको प्रारंभिक परीक्षा में पुन: बैठना होगा और पूरी परीक्षा प्रक्रिया पूरी करनी होगी। यह सिविल सेवा परीक्षा को अत्यधिक चुनौतीपूर्ण बनाती है और उम्मीदवारों के मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभव डालती है। यह उल्लेख सिविल सेवा परीक्षा से संबंधित एक संसदीय समिति की नवीनतम रिपोर्ट में किया गया है, जिसने पूरी परीक्षा प्रक्रिया को पूरा करने में वर्तमान में लगने वाले पन्द्रह महीनों के समय को कम करके छह महीने करने की अनुशंसा की है। मुद्दा यह है कि यह केवल ज्ञान की परीक्षा ही नहीं है, बल्कि आपके धैर्य, दृढ़ता और व्यवहार की जांच की भी परीक्षा है। सही दृष्टिकोण के बिना इस परीक्षा को उत्तीर्ण करना संभव नहीं है। यह परीक्षा छात्रों से केवल पूरे पाठ्यक्रम को तैयार करने की ही मांग नहीं करती है, बल्कि इसमें आपके साहस, आशा और धैर्य के सभी गुणों की परख भी शामिल होती है। ऐसा इसलिए कि इसमे परीक्षा की कठिन प्रकृति को देखते हुए इसमें अंतिम रूप से सफल होने के लिए एक से अधिक प्रयास लगते हैं। (विरल अपवादों को छोड़कर) । इस परीक्षा में अंतत: वे ही उम्मीदवार सफल हो सकते हैं। जो इसके दबाव को झेलने के लिए मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार हों। इसके प्रारंभ से लेकर अंत के बीच में एक लंबी दूरी है और इस लंबी दूरी को पूरा करने में निराशा, तनाव, मानसिक और शारीरिक थकान जैसी अनेक बाधाएं हैं जो आपको चुनौती दे सकती हैं। इस बात को ध्यान में रखना कि सिविल सेवाओं की तैयारी के लिए क्या-क्या करना होताहै, इसमें सफलता प्राप्त करने की दिशा में पहला अच्छा कदम है।

          सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों को समझना और उसके उद्देश्य के अनुसार उसकी तैयारी करना सही है। प्रारंभिक परीक्षा एक अर्हता परीक्षा होती है जो लाखों उम्मीदवारों में से कुछ हजार उम्मीदवारों को चुनने के उद्देश्य से ली जाती है। यह एक अर्हता परीक्षा है क्योंकि मुख्य परीक्षा के लिए पात्र होने के लिए आपको इसमें केवल निर्धारित (कटऑफ) अंक प्राप्त करने होते हैं और आपकी अंतिम सफलता में इसके अंक नहीं गिने जाते हैं। आपकी अंतिम सफलता और आपका रैंक मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में आपके प्रदर्शन पर आधारित होगा, नकि प्रारंभिक परीक्षा पर। किंतु प्रारंभिक परीक्षा इस दृष्टि से परीक्षा का महत्वपूर्ण भाग होती है कि यह अगले स्तर की परीक्षा के लिए आपके लिए द्वार खोलती है। वर्तमान परीक्षा योजना के अंतर्गत प्रारंभिक परीक्षा में दो प्रश्न-पत्र होते हैं। एक प्रश्न-पत्र सीएसएटी (सिविल सेवा अभिवृत्ति परीक्षा) का होता है जिसमें अंग्रेजी कम्प्रीहेंशन, मौखिक तर्क संगतता और संख्यात्मक क्षमता शामिल होती है। इस प्रश्न-पत्र में न्यूनतम 33% अंक प्राप्त करने के लिए आपको इस पाठ्यक्रम के केवल एक या दो भागों पर निर्भर रहने की बजाय सभी तीनों भागों से परिचित होनाहोगा। दूसरा प्रश्न-पत्र सामान्य अध्ययन (जीएस) का होताहै, जिसमें कई विषय शामिल होतेहैं। जीएस प्रश्न-पत्र के मुख्य विषयों में इतिहास, राजनीति, भूगोल और अर्थव्यवस्था विषय शामिल होतेहैं। इसके अतिरिक्त इसमें विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी और वर्तमान घटनाओं पर भी प्रश्न होते हैं। यहां भी उम्मीदवारों की पाठ्यक्रम के किसी एकतरफा भाग की तैयारी के स्थान पर सभी भागों पर अच्छी तैयारी होना चाहिए।

 

प्रारंभिकपरीक्षा अनेक कारणों से परीक्षा का सबसे कठिन और सबसे अप्रत्याशित भाग बन गई है। पहला, इसके लिए उपस्थित होने वाले पांच-छह लाख उम्मीदवारों में से केवल दस-बारह हजार उम्मीदवार ही प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं। दूसरे, सीएसएटी प्रश्न-पत्र जिसमें अंग्रेजी कम्प्रीहेंसन, तर्क-संगतता और संख्यात्मक क्षमता शामिल की जाती है और यद्यपि इसमें अर्हता प्राप्त करने के लिए केवल 33% अंक प्राप्त करना आवश्यक होता है, किंतु प्रश्नों के कठिन स्तर के कारण आजकल यह अनेक उम्मीदवारों के लिए एक बाधा बन गई है। पहले अधिकांश उम्मीदवार सीएसएटी को उत्तीर्ण कर लेते थे। किंतु अब, कोई भी ऐसा उम्मीदवार जो इस प्रश्न-पत्र की अच्छी तैयारी नहीं करता है वह अपेक्षित कट ऑफ अंकों से कम अंक प्राप्त करता है। तीसरे सामान्य-अध्ययन (जीएस) प्रश्न-पत्र में प्रश्नों की प्रकृति का अनुमान लगाना कठिन होता है क्योंकि संलोसेआ (यूपीएससी) निरंतर प्रश्नों के साथ प्रयोग करता है और प्रत्येक वर्ष नए प्रकार के प्रश्न लाता है जो उम्मीदवारों को आश्चर्यचकित करते हैं। चौथे, गलत उत्तरों के लिए अंक काटना भी प्रारंभिक परीक्षा को अत्यधिक जोखिमपूर्ण बनाते हैं। यदि आप अपने विवेक का प्रयोग नहीं करतेहैं और सभी प्रश्नों के उत्तर देते हैं तो गलत उत्तरों के लिए अंक काटे जाने के कारण संभावना हो सकती है कि आपको बहुत कम अंक मिलें। अंत में, प्रारंभिकपरीक्षामेंसमयभीएकअड़चनहैक्योंकिजीएसप्रश्नपत्रमें 100 प्रश्न और सीएसएटी प्रश्न-पत्र में 80 प्रश्न, इन दोनों में से प्रत्येक के लिए आवंटित दो घंटों के अंदर करने होते हैं। इस प्रकार आपको एक प्रश्न के उत्तर के लिए एक मिनट से कुछ अधिक समय मिलता है और इन प्रश्नों में लंबे प्रश्न भी शामिल होते हैं।

प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी के लिए कितना समय दें?

परीक्षा में पहली बार बैठ रहे उम्मीदवारों के लिए प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम की पूरी तैयारी करने के लिए सुरक्षित अवधि 8 से 10 महीने है। ऐसा इसलिए कि उम्मीदवार को 5-6 विषयों के लिए कुछ महत्वपूर्ण, मानक पुस्तकें पढ़नी होतीहै, नोट बनाने होते हैं, पाठ्यक्रम कम से कम दो बार दोहराना होता है और अनेक मॉक टेस्ट देने होते हैं। किसी भी उम्मीदवार को 8-10 महीने की पूरी तैयारी किए बिना प्रारंभिक परीक्षा में नहीं बैठना चाहिए तथा जो उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा में पहले बैठ चुके हैं उनके लिए तैयारी की अवधि 3 से 4 महीने तक कम हो सकती है क्योंकि वे अपने पहले के प्रयास में पूरा पाठ्यक्रम पढ़ चुके होते हैं। ऐसे उम्मीदवारों को, जो वे पहले पढ़ चुके हैं उसे ज्यादा पढ़ने के स्थान पर मुख्य परीक्षा की तैयारी पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

कैसेपढ़ेऔरक्यापढ़े?

बाजार में प्रचुर संख्या में उपलब्ध गैर-प्रमाणित और ऑनलाइन उपलब्ध सस्ती सामग्री आंख बंदकरके, बिना सोचे-समझे पढ़ने के स्थान पर मानक पुस्तकों और प्रमाणित स्त्रोतों से पढ़ना हमेशा लाभदायक होता है। महत्वपूर्ण पाठ्य-पुस्तकों को पढ़े बिना आप बुनियादी संकल्पनाओं की एक स्पष्ट समझ का कभी भी विकास नहीं कर सकते। ऑनलाइन स्त्रोत या बाजार में बड़ी संख्या में उपलब्ध सामग्री संकल्पनात्मक पहलू का ज्ञान नहीं दे सकती और ऐसी सूचना पर बल देती है जो आवश्यक नहीं होती। इसलिए, आप जो पढ़ रहे हैं उसको चुनने और इन स्त्रोतों की विश्वसनीयता कितनी है, इनका ध्यान रखना चाहिए। यही बात स्वयं-भू विशेषज्ञों के बारे में भी सत्य है जो बाजार में बड़ी संख्या में मौजूदा हैं। जब तक आप यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि वे कौन हैं, उनकी शैक्षिक संशा कितनी है आप उनके अंकित मूल्य पर भरोसा नहीं कर सकते। आपको सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आपका मेंटोर सक्षम है, आपके उद्देश्य के प्रति समर्पित और सत्यनिष्ठा है। जहां तक पढाई का संबंध है आपको अपनी सीमाएं निर्धारित करनी चाहिए और कोई भी अव्यवस्थित पढ़ाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह एक अनंत प्रक्रिया बन जाएगी। दूसरे शब्दों में आपको यह निर्धारित करने में सक्षम होना चाहिए कि किसी विषय पर क्या पढ़ना है और क्या छोड़ना है क्योंकि आपको न तो उपलब्ध सारी सामग्री पढ़ने का समय है और नहीं इसकी आवश्यकता है। जब आपको किसी मुद्दे के मूल सिद्धांतों का ज्ञान हो जाए तो आप उस मुद्दे पर वहीं रुक जाएं और दूसरे मुद्दे पर जाएं। अन्यथा आप पूरे पाठ्यक्रम से न्याय नहीं कर पाएंगे। पढ़ते समय नोट्स बनाना भी अत्यधिक आवश्यक है। पाठ दोहराने के समय ये नोट्स आपके लिए उपयोगी होंगे। यदि आपको कोई नई सूचना मिलती है तो इन नोट्स में आप नई सूचना जोड़ते रहें। अंत में आप निर्धारित पाठ्यक्रम को नजदीकी से पढ़ें। सं.लो.से.. ने अपनी अधिसूचना में प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यक्रम दिया है आप उसका अनुसरण करें। वास्तव में आपको अपना एक निजी व्यापक पाठ्यक्रम बनाना चाहिए क्योंकि सं.लो.से.. द्वारा दिया गया पाठ्यक्रम केवल संकेतात्मक प्रकृति का है। इसके लिए श्रेष्ठ तरीका यह है कि आप पिछले वर्षों में किसी क्षेत्र विशेष पर पूछे गए प्रश्नों को देखें और उन क्षेत्रों को अपनी तैयारी में शामिल करें। पाठ्यक्रम के लिए एक गतिशील तथा विवेकपूर्ण दृष्टिकोण वह होता है जो वास्तविक संदर्भ से बाहर आंख मूंदकर पढ़ने के स्थान पर आपके लिए उपयोगी हो।

 

वर्तमान घटनाओं की तैयारी कैसे करें?

वर्तमान घटनाएं सिविल सेवा परीक्षा का आधार होती हैं। परीक्षा के तीनों भागों अर्थात प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार पर इनका प्रभाव होता है। किसी भी उम्मीदवार के लिए वास्तविक चुनौती यह होती है कि वर्तमान घटनाओं की तैयारी कैसे की जाए जिसमें सबकुछ शामिल हो। इस प्रश्न का आसान उत्तर यह है कि आप राष्ट्रीय समाचार-पत्रों, जर्नल्स, पत्रिकाओं और सरकारी साइटों अन्य संगठनों जेसेयूएनओ, डब्ल्यूटीओ, जी-20 आदि की साइटों जैसे विभिन्न स्त्रोतों से पढ़ते रहें। प्रत्येक स्थैतिक भाग में वर्तमान घटनाएं महत्वपूर्ण होंगी। भूगोल और पर्यावरण में, आपको भूकंप, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण आदि पर नवीनतम समाचारों की जानकारी होनी चाहिए। अर्थव्यवस्था में, आपको बजट, निर्यात, आयात आदि के बारे में जानकारी होनी चाहिए। राजतंत्र में, आप विधेयकों, अधिनियमों, उच्चतम न्यायालय के निर्णयों आदि की जानकारी रखते हों। वर्तमान घटनाओं के बिना तैयारी करना बिना सिरवाली मानव-मूर्ति बनाने जैसी होती है। इसलिए वर्तमान घटनाओं पर प्रारंभ से ही और दैनिक आधार पर बल दिया जाना चाहिए। पुन: वर्तमान घटनाओं पर संकलित सामग्री न्यूनतम प्रासंगिकता वाली होतीहै, क्योंकि ये आपको घटनाओं और मुद्दों की उनके सम्पूर्ण रूप में जानकारी नहीं देती हैं। इसलिए आपको यह ठोस अनुशंसा की जाती है कि आप वर्तमान घटनाओं की जानकारी सीधे स्त्रोतों-समाचारपत्रों, पत्रिकाओं आदि से प्राप्त करें।

प्रांरभिक परीक्षा के लिए सफलता का मंत्र: चूंकि प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यक्रम विभिन्न विषयों से बनाया जाता है इसलिए एक समय में एक विषय की तैयारी करना विवेकपूर्ण होता है। यदि आप सभी विषय एक-साथ पढ़ना शुरू कर देंगे तो इससे आपकी तैयारी कम होगी। इसलिए एक समय सीमा में एक ही विषय की तैयारी करें, उदाहरण के लिए राजतंत्र का समय-सीमाके अंदर सम्पूर्ण रूप में व्यापक अध्ययन करें। परीक्षा में बैठने वाले किसी नए उम्मीदवार को प्रत्येक विषय पर वरीयता किसी सक्षम और निजी मेंटोर की देख-रेख में दो महीने की व्यापक तैयारी करने की आवश्यकता होगी। तथापि, इसके साथ-साथ वर्तमान घटनाओं की तैयारी करना भी आवश्यक होता है क्योंकि यह समाचार पत्रों पर आधारित होती है और आप दैनिक समाचार पढ़ने की उपेक्षा नहीं कर सकते। सं.लो.से.आ. के पिछले प्रश्न इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। आप कम से कम पिछले 15 वर्षों में प्रांरभिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को हल करें। ऐसा करना आपके लिए बाहरी परीक्षा श्रंखला की तुलना में अधिक सहायक होगा, क्योंकि ऐसा करने के आप सं.लो.से.. की प्रकृति के प्रश्नों का उत्तर देंगे नकि बाजार के प्राय: काल्पनिक प्रकृति में प्रश्नों का, जो सं.लो.से.आ. के मानकों के अनुरूप नहीं होते हैं। प्रारंभिक परीक्षा के प्रत्येक क्षेत्र का अलग-अलग विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है जिसे आगामी लेखों में सम्मिलित किया जाएगा।

(एस.बी.सिंह एक शिक्षाविद् तथा आईएएस मेंटोर हैं। उनसे उनकी ई-मेल: sb_singh2003@yahoo.com पर संपर्क किया जा सकता है।)