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नौकरी फोकस


Issue no 48, 25 February-3 March 2023

 

 

जैव प्रौद्योगिकी: जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में शानदार करियर

 

अंकिता श्रीवास्‍तव

 

तेजी से बढ़ती मानव आबादी और उससे संबद्ध विकासात्मक गतिविधियों ने पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिसने दुनिया भर की सरकारों को जैव विविधता के संरक्षण, पारिस्थितिकीय बहाली, एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, वातावरणीय विष विज्ञान, सतत विकास और वैश्विक पर्यावरणीय परिवर्तन जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है। इसका उद्देश्य भावी पीढ़ियों को विरासत में स्वस्थ ग्रह की उपलब्‍धता सुनिश्चित करना है।

बहु-विषयक क्षेत्र के रूप मेंजैव प्रौद्योगिकीविभिन्न व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए जैविक जीवों, कोशिकाओं और अणुओं मेंप्रयुक्‍त होती है। इसने विशेष रूप सेपर्यावरण संबंधी अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों का प्रदर्शन किया है, इस प्रकार यह इस बात की उम्‍मीद जगाती है कि यह पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में सहायता कर सकती है। यद्यपिपर्यावरणीय बायोटेक क्षेत्र का नेतृत्व वैज्ञानिक और इंजीनियर करते हैं, लेकिन इस क्षेत्र के तेजी से विस्तार के परिणामस्वरूप विभिन्न स्तरों पर करियर के पर्याप्त अवसर सामने आए हैं।

कृषि जैव प्रौद्योगिकी:कृषि में जैव प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग महत्वपूर्ण सामाजिक लक्ष्य हासिल करते हुए जलवायु परिवर्तन के कारणों और परिणामों के समाधान की दिशा मेंएक अपरिहार्य उपकरण बन गया है। इनमें गरीबी को कम करना, वैश्विक खाद्य सुरक्षा में सुधार करना और कृषि के पर्यावरणीय प्रभाव को न्‍यूनतम  करना शामिल है। इसलिए, कृषि जैव प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है,जो टिकाऊ भविष्य के निर्माण और ग्रह की प्राकृतिक प्रणालियों को संरक्षित करने में सहायता कर सकता है। कृषि जैव प्रौद्योगिकी पर्यावरणीय परिवर्तनों के शमन और अनुकूलन दोनों के लिए अवसर प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, कृषि जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित किए गए उत्पादों में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की क्षमता होती है। ऐसा ही एक तरीका कवर फसलों का उपयोग है, जो टिकाऊ जैव ईंधन और लंबे समय तक ताजा रहने वाले फल और सब्जियां प्रदान करता है, इस प्रकार भोजन की बर्बादी में कमी आती है। इसके अतिरिक्त, शोधकर्ता पेड़ों और यहां तक कि जीवाणुओं का उपयोग करके अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण से हटाने के तरीके तलाश रहे हैं।

कृषि जैव प्रौद्योगिकी सूखा, अधिक तापमान, नई बीमारियों और अन्य पर्यावरणीय तनावों जैसी बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुरूप बेहतर रूप से ढलने वाली फसलों और पशुओं को तेजी से विकसित करने की दिशा में प्रयासरत पादप और पशु पालकों के लिए एक मूल्यवान उपकरण प्रस्तुत करती है। कृषि जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग करके, प्रजनक जलवायु परिवर्तन के शमन और अनुकूलन में योगदान दे सकते हैं, साथ ही साथ खाद्य प्रणाली के टिकाऊपन में वृद्धि कर सकते हैं। अमेरिका ने प्राकृतिक संसाधनों के जलवायु-स्मार्ट उपयोग को प्रोत्‍साहन देते हुए कृषि उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से खुद को कृषि अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है।

कृषि जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग किसानों, मछुआरों और अन्य उत्पादकों के टूलबॉक्स का विस्तार करने के लिए एक साक्ष्य-आधारित, विज्ञान-प्रेरित दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है।कृषि जैव प्रौद्योगिकी उन्हेंकम इनपुट तथा भूमि और पानी जैसे संसाधनों से अधिक उत्पादन करने में सक्षम बनाकरबढ़ती जरूरतों और खाद्य प्रणाली के समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटने के समाधान के रूप में कार्य करती है। कृषि उत्पादन बढ़ाने पर दिया जाने वाला ध्‍यान न केवल कृषि के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करता है बल्कि उसमें गरीबी को कम करने, खाद्य सुरक्षा और पोषण में सुधार करने और जीवन स्तर को बेहतर बनाने की क्षमता भी मौजूद है।

कार्बन कैप्चर और स्टोरेज:ग्रीनहाउस गैसों, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) का वातावरण मेंउत्सर्जन जलवायु परिवर्तन के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक है। कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (सीसीएस) तकनीक कार्बन डाइऑक्साइड को वायुमंडल में छोड़ने से पहले कैप्चर और स्टोर करके बिजली संयंत्रों और अन्य औद्योगिक स्रोतों से सीओ2के उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकती है। सीसीएस तकनीक देश के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी मदद कर सकती है।

बायो रिफाइनरीज:बायो रिफाइनरीजऐसी सुविधाएं हैं, जो नवीकरणीय बायोमास संसाधनों को जैव ईंधन, रसायन और सामग्रियों सहित विविध उत्पादों में परिवर्तित करती हैं। बायोरिफाइनरीज जलवायु परिवर्तन में प्रमुख रूप से योगदान देने वाले जीवाश्म ईंधनों पर देश की निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। भारत मेंपहले से ही कई बायोरिफाइनरी काम कर रही हैंऔर देश के कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने में मदद करने के लिए सरकारऐसी और सुविधाओं के विकास में सहायता कर रही है।

प्राकृतिक तरीके से सड़नशील सामग्री:प्राकृतिक तरीके से सड़नशील सामग्रीजैसे कि नवीकरणीय संसाधनों से बनाई जाने वाली बायोप्लास्टिक्स को प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा अप‍घटित किया जा सकता हैं। यही बात उन्हें अपघटित होने में सैकड़ों साल लगने की आशंका वालेपारंपरिक पेट्रोलियम-आधारित प्लास्टिक की तुलना में ज्‍यादा टिकाऊ विकल्प बनाती है। प्राकृतिक तरीके से सड़नशील सामग्रियां भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैंऔर देश के कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने में मदद करने के लिए सरकारइस तकनीक के विकास को प्रोत्साहन दे रही है।

नवीकरणीयऊर्जा: जैव ईंधन और बायोगैस जैसेनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतोंके विकास में भी जैव प्रौद्योगिकीभूमिका निभा सकती है। जैव ईंधन नवीकरणीयबायोमास संसाधनों से बने होते हैं और जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जिससे देश के कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने में मदद मिलती है। जैविक अपशिष्‍ट के अपघटन से उत्पन्न होने वाली बायोगैसका उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत के रूप में भी किया जा सकता है।

अपशिष्ट प्रबंधन: जैव प्रौद्योगिकी पर्यावरण पर अपशिष्‍ट के प्रभाव को कम करते हुए उसके प्रबंधनको बेहतर बनाने में भी मददगार साबित हो सकती है। उदाहरण के लिए, बायोरिएक्टर का उपयोग जैविक अपशिष्‍ट को खाद और बायोगैस जैसे उपयोगी उप-उत्पादों में अपघटित करने में किया जा सकता है। इसके अलावा, जैव प्रौद्योगिकी अपशिष्ट उपचार सुविधाओं की दक्षता में सुधार लाने, निपटान की आवश्‍यकता वाले अपशिष्‍ट की मात्रा में कमी करने और पर्यावरण प्रदूषण के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।

समकालीन दौर में, जैव प्रौद्योगिकी एक ऐसे क्षेत्र के रूप में उभरी है, जिसमें भारत में जलवायु परिवर्तन के दूरगामी प्रभावों को मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। कार्बन कैप्चर और स्टोरेज, बायोरिफाइनरीज, कृषि जैव प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक तरीके से सड़नशील सामग्री, नवीकरणीय ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे विभिन्न जैव-प्रौद्योगिकी दृष्टिकोणों की पहचान देश के कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने की दिशा में योगदानकर्ता और इसके परिणामस्वरूपअधिक टिकाऊ भविष्य को बढ़ावा देने वाले संभावित समाधान के रूप में की गई है। जैव प्रौद्योगिकी की विपुल संभावनाओं को स्वीकार करते हुएभारत सरकार ने सक्रिय रुख अपनाया है और इस क्षेत्र के विकास में निवेश किया है। इस तरह के प्रयासों को देश के हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम समझा गया है।

इसके अतिरिक्‍त, जैव प्रौद्योगिकी युवाओं को स्टार्टअप इंडिया की सहायता से अपना कारोबार शुरू करने का उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है। अपना कारोबार शुरू करने का सपना देखने वाले अनेक युवा उद्यमियों को  अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। इसके कारण उनके विचार, प्रतिभाऔर क्षमता का उपयोग ही नहीं हो पाता  और राष्ट्र धन के सृजन, आर्थिक प्रगति और रोजगार सृजन का अवसर गवां देता है। स्टार्टअप इंडिया अपना उद्यम स्‍थापित और आरंभ करने की क्षमता वाले व्यक्तियों को विभिन्न स्तरों पर सक्रिय सहायता और प्रोत्साहन के जरियेउद्यमिता और आर्थिक विकास में योगदान दे रहा है।

(लेखिका हिमालयन यूनिवर्सिटी, देहरादून में जैव प्रौद्योगिकी में रिसर्च स्कॉलर हैं। उनसे ankitashrivastav062@gmail.comपर संपर्क किया जा सकता है। ये उनके निजी विचार हैं।)