फार्माकोविजिलेंस में करिअर
निधि प्रसाद
फार्माकोविजिलेंस उद्योग हाल के वर्षों में काफी ध्यान आकर्षित कर आ रहा है। कोविड-19 टीकों के वैश्विक रोलआउट और उनके संभावित दुष्प्रभावों की व्यापक मीडिया कवरेज ने दवा सुरक्षा के मुद्दे को सुर्खियों में ला खड़ा किया है। लोगों को कोरोना वायरस काटीका लगवाने के बाद किसी भी तरह के दुष्प्रभाव महसूस होने पर उस बारे में रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया गयाऔर इस तरह वे दवाओं से संबंधित उन नियामक और सुरक्षा निगरानी प्रक्रियाओं से अवगत हो गए, जिनके बारे में पहलेबहुतों को जानकारी नहीं हुआ करती थी।
संतुलित स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिएरोग का उपचार सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। इस तरह के उपचार के लिए स्पष्ट तौर पर इस बात की आवश्यकता होती है कि बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली दवा रोगी को ऐसा कोई नुकसान नपहुंचाए, जिसके परिणामस्वरूपजीवन की गुणवत्ता और भी कम हो जाएया मृत्यु हो जाए। किसी भी दवा के सकारात्मक और नकारात्मक सभी पहलुओं का पता लगाने से जुड़ी इसी सतर्कता ने औषधीय विज्ञान की एक नई शाखा का विकास किया है, जिसे फार्माकोविजिलेंस के नाम से जाना जाता है।
फार्माकोविजिलेंस का क्या आशय है?
फार्माकोविजिलेंस शब्द की उत्पत्ति फार्माकोन (यूनानी भाषा में“दवा”) और विजिलेंस (लैटिन भाषा में “नजर रखना”) शब्दों में देखी जा सकती है। फार्माकोविजिलेंस (पीवी)को दवा सुरक्षा के रूप में भी जाना जाता है, जो स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और दवा कंपनियों के मूलभूत प्रकोष्ठों में से एक है। यह फार्मेसी का उप-क्षेत्र है, जिसमें अनुसंधान, पता लगाना, मूल्यांकन, नई और मौजूदा दोनों प्रकार की दवाओं का विश्लेषण- शामिल है। वास्तव में, फार्माकोविजिलेंस मुख्य रूप से दवा की प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं (एडीआर) पर ध्यान केंद्रित करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, फार्माकोविजिलेंस औषधीय विज्ञान की एक शाखा है, जिसमें किसी भी दवा के प्रतिकूल प्रभाव का पता लगाने, मूल्यांकन, समझ और रोकथाम से संबंधित गतिविधियां शामिल हैं। मूलभूत रूप से, इसका उद्देश्य रोगी की सुरक्षा सुनिश्चित करने की गारंटी देना है और इसे रोगी की देखभाल का भाग माना जाता है।
फार्माकोविजिलेंस के दायरे में टीके, जैविक, चिकित्सा उपकरण, हर्बल दवाएं, पशु चिकित्सा से संबंधित दवाएं, रक्त और रक्त से संबंधित उत्पादभी आते हैं। फार्माकोविजिलेंस के बिना, दवाओं के दुष्प्रभावों की तुलना में उनकी प्रभावशीलता का आकलन करने का कोई तरीका नहीं होगा। इसको रोगियों की हिफाजत और प्रतिकूल प्रभावों का जोखिम कम करने के लिए पेशेवरों के बीच ज्ञान का प्रसार सक्षम बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कई दवाएं फार्माकोविजिलेंस के कारण बाजार से वापस ले ली जाती हैं।
फार्माकोविजिलेंस क्यों महत्वपूर्ण है?
फार्माकोविजिलेंस दो परिणामों: सुरक्षा और प्रभावकारिता से संबंधित है। क्या कोई दवा काम करती है और क्या वह सुरक्षित है? यह प्रीक्लिनिकल डेवेलपमेंट से लेकर पोस्ट-मार्केट सर्विलांस तक दवा के जीवनचक्र के लगभग हर पहलू को छूता है और यही इसेकिसी जीवन विज्ञान कंपनी के भीतर सबसे मौलिक भूमिका में शुमार करता है।
किसी भी कंपनी को किसी दवा का विकास, निर्माण और व्यावसायीकरण करने के लिए सख्त नियमों का पालन करना होता है। इनमें से अनेक नियम रोगी की सुरक्षा और दवा से रोगी को मिलने वाले अतिरिक्त लाभ पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इस प्रकार, यह विषय फार्मास्यूटिकल्स के भीतर प्रमुख और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
फार्माकोविजिलेंस प्रणालियों को निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है :
· दवाओं से संबंधित जोखिमों के बारे में नई जानकारी का पता लगाना
· जोखिम कम करना और रोगियों को अधिक सुरक्षित दवाएं उपलब्ध कराना (जोखिम की पहचान और शमन)।
· पहचान किए गए जोखिमों (संकेतों) की द्वितीयक और प्राथमिक अनुसंधान से पुष्टि करना
· नई दवा या दवा की खोज और विकास के लिए परामर्श देना
· फार्माकोविजिलेंस दवा से संबंधित समस्याओं, उपचार की विफलता, नकली/खराब गुणवत्ता वाली दवाओं, दवाओं के पारस्परिक प्रभाव, गलत उपयोग का प्रमाण प्रदान करना
· जनता के विश्वास और विश्वास को प्रेरित करने वाले साक्ष्यों का सृजन करना
पाठ्यक्रम और पात्रता
फार्माकोविजिलेंस में करियर बनाने हेतु इसपाठ्यक्रम के लिए आवेदन करने की न्यूनतम पात्रता इस प्रकार है:
· जीव विज्ञान/जीवन विज्ञान में(निम्नलिखित विषयों में से किसी एक: वनस्पति विज्ञान, जूलॉजी, बायोकैमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, जेनेटिक्स, बायोटेक) में कम से कम 50% अंकों के कुल योग के साथ स्नातकोत्तर या स्नातक डिग्री।
· एक विषय के रूप में रसायन विज्ञान में कम से कम 50% अंकों के कुल योग के साथ स्नातकोत्तर या स्नातक डिग्री।
· फार्मेसी या फार्मास्यूटिकल साइंसेज में स्नातकोत्तर या स्नातक डिग्री।
· मेडिसिन में स्नातकोत्तर या स्नातक डिग्री।
फार्माकोविजिलेंस में विशेषज्ञता
कोई भी फार्मेसी स्नातक सीधे तौर पर इस पेशे से जुड़ सकता है। यदि कोई व्यक्ति अपना रिज्यूम बेहतर बनाना चाहता है, तो अच्छे अवसरों हासिल करने के लिए फार्माकोविजिलेंस और फार्माकोएपिडेमियोलॉजी में प्रोफेशनल डिप्लोमा, क्लिनिकल रिसर्च एंड फार्माकोविजिलेंस में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, फार्माकोविजिलेंस एंड रेगुलेटरी अफेयर्स में स्नातकोत्तर डिप्लोमा,फार्माकोविजिलेंस एंड मेडिकल राइटिंग में स्नातकोत्तरडिप्लोमा जैसे विशेष डिप्लोमा उपलब्ध हैं।
फार्माकोविजिलेंसका अध्ययन करने वाले विद्यार्थी निम्नलिखित में से एक विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं:
· डेटा संग्रह और संगठन
· सुरक्षा प्रशासन और मूल्यांकन
· विनियामक प्रस्तुतियां
· डेटा माइनिंग एंड टॉक्सिक सैंपल आइडेंटिफिकेशन
फार्माकोविजिलेंस में करियर की राह
प्रबंधन में विशिष्ट तौर पर सहायक प्रबंधक के स्तर पर प्रवेश करके क्रमिक रूप से सह प्रबंधक औरवरिष्ठ प्रबंधक तक का स्तर तक पहुंचा जासकता है। इसके बाद सह निदेशक, निदेशक और वरिष्ठ निदेशक जैसी कुछ नेतृत्वकारी भूमिकाएं होती हैं। इन भूमिकाओं से क्रमिक रूप से तरक्की पाते हुए उपाध्यक्ष और कार्यकारी उपाध्यक्ष जैसी कार्यकारी भूमिकाओं में पहुंचा जा सकता है। आने वाले समय में पीवी में कई भूमिकाएं विकसित हो रही हैं। ये भूमिकाएं तकनीकी संवर्द्धन, व्यवसाय विकास और नियामक परिवर्तनों से प्रभावित हैं। इनमें से कुछ भूमिकाओं में व्यवसाय प्रक्रिया विश्लेषक, लाभ-जोखिम प्रबंधन विशेषज्ञ, परियोजना या कार्यक्रम प्रबंधक, पीवी सिस्टम विशेषज्ञ और पीवी विक्रेता प्रबंधन विशेषज्ञ शामिल हैं।
फार्माकोविजिलेंस के प्रमुख क्षेत्र?
फार्माकोविजिलेंस मुख्य कार्यों से परे एक विशाल और व्यापक विषय है, पीवी विभाग प्रबंधन, नियामक मामलों, नैदानिक अनुसंधान, कानूनी विभाग, चिकित्सा मामलों, चिकित्सा सूचना, लिटरेचर सर्च और समीक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना सेवाओं, प्रशिक्षण टीम, गुणवत्ता नियंत्रण / आश्वासन, परियोजना प्रबंधन, निर्माण संचालन, आपूर्ति श्रृंखला, उत्पाद सुरक्षा, बिक्री और विपणनतथा बाह्य भागीदार संपर्क टीम द्वारा सशक्त और समर्थित है। इसकी तीन मुख्य उप-विशेषज्ञताएं हैं:
क) परिचालन
यह वह क्षेत्र है, जिसमें औषधि सुरक्षा से संबंधित नौकरियों में रुचि रखने वाले अनेक जीवन विज्ञान पेशेवर अपने करियर की शुरूआत करेंगे। औषधि सुरक्षा से संबंधित संचालनों में विशिष्ट नौकरियों में केस प्रोसेसर, ड्रग सेफ्टी ऑफिसर / एसोसिएट और ड्रग सेफ्टी मैनेजर और टीम लीड तथा डायरेक्टरशिप शामिल हैं। ये पेशेवर पोस्ट-मार्केट में डॉक्टरों और मरीजों के द्वारा रिपोर्ट किए गए प्रतिकूल प्रभावों के रीयल-वर्ल्ड एक्सपीरिएंस (आरडब्ल्यूई) एकत्र करने के अलावा प्री-क्लिनिकल डेवलपमेंट और क्लिनिकल ट्रायल के दौरान जानकारी एकत्र और रिकॉर्ड करेंगे। परिचालन आमतौर पर मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी), व्यक्तिगत केस स्टडी रिपोर्ट, लिटरेचर स्क्रीनिंग और विनियामक तीव्र रिपोर्टिंग सृजित करने के उत्तरदायी होते हैं।
ख) निगरानी
निगरानी पर अधिक ध्यान देने वाले पेशेवरजोखिम प्रबंधन और सिग्नल डिटेक्शन नौकरियों का रुख करते हैं। इसमें प्रभाग द्वारा एकत्र किए गए डेटा का विश्लेषण करना भी शामिल है। इस क्षेत्र के पेशेवर कई तरह उपाधियां धारण कर सकते हैं, जिनमें फार्माकोविजिलेंस साइंटिस्ट और ड्रग सेफ्टी फिजिशियन सबसे ज्यादा आम हैं । ये पेशेवर विभाग द्वारा एकत्र की गई दवा की सुरक्षा से संबंधितजानकारी का विश्लेषण करते हैं और समग्र रिपोर्टेतैयार करने और समीक्षा करने में सहायता करते हैं। वे नैदानिक अनुसंधान में दवाओं के लिए डेवेलपमेंट सेफ्टी अपडेट रिपोर्ट और पोस्ट मार्केट ड्रग्स के लिए आवधिक लाभ-जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट (पीबीआरईआर) भी तैयार करते हैं। अंततः ये रिपोर्टे टीम को दवा या कैंडिडेट मॉलिक्यूल की सुरक्षा और प्रभावकारिता के बारे में निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद करती हैं।
ग) प्रणालियां
यह प्रभाग पूर्णत: सुदृढ़ और नवोन्मेषी प्रणाली के निर्माण और वर्तमान में जारी विकास से संबंधित है, जो और बड़ी मात्रा में सुरक्षा से संबंधित डेटा (विभिन्न रूपों में) को रखने और उस तक पहुंच कायम करने की अनुमति देता है। सुरक्षा से संबंधित यह डेटा आमतौर पर परिचालन पर केंद्रित भूमिकाओं में काम करने वालों द्वारा एकत्रित किया जाता है, लेकिन इसको एक्सेस सभी के द्वारा किया जाता है। इस प्रणाली प्रभाग को लगातार सुधारकरने तथाबदलते नियमों और व्यापार/स्वास्थ्य अधिकारियों की आवश्यकताओं के अनुरूप बनने की आवश्यकता होती है ,जो इसे दवा सुरक्षा का एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण और महत्वपूर्ण पहलू बनाता है।
वांछनीय कौशल
विशेषज्ञता हासिल करने और डीएसएस (ड्रग सेफ्टी साइंटिस्ट) बनने के इच्छुक किसी भी उम्मीदवार को - निम्नलिखित कौशलों की आवश्यकता होती है:
· तकनीकी कौशल - आर्गस, आरिस जी, मेडड्रा जैसे सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म की जानकारी।
· सॉफ्ट स्किल्स - पीवी में करियर और रोजगार पाने की दृष्टि से आवश्यक तकनीकी कौशल के अलावा, कुछ सॉफ्ट स्किल्स भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन सॉफ्ट स्किल्स में - मौखिक और लिखित संचार, बारीकियों पर ध्यान देना, संगठनात्मक कौशल, प्रस्तुति का कौशल, आत्मविश्वास, लचीलापन, कौशल में सुधार लाने के लिए सीखने की क्षमता और स्थिरताशामिल हैं।
· चिकित्सकीय शब्दावली की अच्छी समझ
· पोस्ट-मार्केटिंग निगरानी विधियों, मेडिकल कोडिंग का ज्ञान।
· महत्वपूर्ण चिंतन और निर्णय लेना।
फार्माकोविजिलेंस अधिकारी का जॉब प्रोफाइल
फार्माकोविजिलेंस अधिकारी,जिसे ड्रग सेफ्टी ऑफिसर के रूप में भी जाना जाता है की भूमिकादवा प्रशासित किए या दिए जाने पर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके कर्तव्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
· स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों (डॉक्टर, दंत चिकित्सक, नर्स, फार्मासिस्ट, और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता) और उपभोक्ताओं से प्राप्त उत्पाद के प्रतिकूल प्रभावों की जानकारी को एकत्रित और दर्ज करना।
· दर्ज की गई रिपोर्टों का विश्लेषण करना।
· गंभीर प्रतिकूल प्रभावों की रिपोर्ट लिखना और उसकी समीक्षा करना।
· उत्पाद की आवधिक सुरक्षा अद्यतन रिपोर्ट (पीएसयूआर) को पूरा करना।
· दवा के जोखिम-लाभ अनुपात का आकलन करना।
· नियामक अधिकारियों को रिपोर्ट भेजना।
· नई दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल पर काम करना
फार्माकोविजिलेंस: भविष्य की क्या संभावनाएं हैं?
· कोविड महामारी और मधुमेह, और उच्च रक्तचाप जैसे जीवनशैली से संबंधित विकारों में वृद्धि ने फार्माकोविजिलेंट की मांग बढ़ा दी है। नई दवाओं के नैदानिक परीक्षणों में सीमित आबादी के बीच उनकी प्रभावकारिता, तत्काल प्रतिकूल प्रभाव और सामान्य सुरक्षा की बारीकी से निगरानी करना शामिल है। हालांकि रोगी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिएदवाओं के दीर्घकालिक प्रभाव, विभिन्न पारिवारिक आधारों पर प्रभाव, ड्रग-ड्रग इंटरैक्शन, और दवाओं की अधिक खुराक / तर्कहीन उपयोग के प्रभाव जैसे अन्य सभी विवरण आवश्यक हैं। सुरक्षा का यह व्यापक प्रोफ़ाइल रोगियों की वास्तविक तादाद पर लंबी अवधि तक दवाओं के प्रभाव की बारीकी से निगरानी करके उत्पन्न किया जा सकता है। इसे पोस्ट-मार्केटिंग निगरानी के रूप में जाना जाता है और यह दवा कंपनियों के फार्माकोविजिलेंस प्रकोष्ठ और विपणन प्राधिकरणों द्वारा किया जाता है। कई फार्मास्यूटिकल कंपनियों के पास इन-हाउस फार्माकोविजिलेंस सिस्टम है या वे अपने उत्पादों की सुरक्षा के प्रोफ़ाइल की निगरानी के लिए पोस्ट-मार्केटिंग निगरानी करने के लिए आउटसोर्सिंग फर्मों पर निर्भर हैं। जहां तक भारत का संबंध है, निम्नलिखित तथ्यों के कारण इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं:
· भारत दुनिया में फार्मास्यूटिकल उत्पादों का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है तथा यह दवाओं और टीकों की वैश्विक मांग के 62%की आपूर्ति करता है।
· भारतीय घरेलू फार्मास्यूटिकल्स बाजार का कारोबार 2019 में 20.03 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया और 2030 तक इसके 130 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
· यहां 3,000 से अधिक फार्मा कंपनियां हैं, जिनमें 10,500 से अधिक विनिर्माण सुविधाओं का मजबूत नेटवर्क है।
· भारत अपने लो सेट, अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों की उच्च स्तरीय अनुरूपता, उच्च कौशल और अंग्रेजी भाषा के ज्ञान की बदौलतनैदानिक परीक्षणों और पीवी आउटसोर्सिंग के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन चुका है।
· भारत में, कॉग्निजेंट, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एक्सेंचर, ओविया, मेडसेफ और विप्रो लिमिटेड जैसी आईटी कंपनियां अपने वैश्विक फार्मा ग्राहकों को पीवी से संबंधित अपनीसेवाएं उपलब्ध कराती हैं।
फार्माकोविजिलेंस पेशेवरों के लिए रोज़गार के अवसर ?
फार्माकोविजिलेंस में प्रशिक्षित लोग निम्न प्रकार के संगठनों में रोजगार के उत्कृष्ट अवसर पा सकते हैं:
· दवा कंपनियां।
· बायोटेक कंपनियां
· चिकित्सा उपकरण कंपनियां
· डीसीजी (आई), सीडीएससीओ जैसी नियामक एजेंसियां।
· मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पीवी इकाइयां।
· एक्सेंचर, कॉग्निजेंट, सिफॉर्मिक्स कॉर्पोरेशन, आईगेट आदिजैसे नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग (केपीओ)।
करियर के रूप में फार्माकोविजिलेंस के लाभ
फार्माकोविजिलेंसचिकित्सा, फार्मेसी और जीवन विज्ञान के स्नातकों और स्नातकोत्तरों के लिए विविध प्रकार के अवसर प्रदान करता है। फार्माकोविजिलेंस से जुड़े पेशेवर क्लिनिकल ट्रायल में दवाओं की सुरक्षा के साथ-साथ बाजार में पहले जारी की गई दवाओं की लगातार निगरानी करते हैं। चिकित्सीय दुष्प्रभाव की सूचना मिलने के तुरंत बाद, फार्माकोविजिलेंस पेशेवर उपयुक्त डेटाबेस के साथ उस घटना को दर्ज करते हैं, अतिरिक्त जानकारी एकत्र करने के लिए उसका फॉलोअप करते हैं, और इन रिपोर्टों को नियामक प्राधिकरणों और अन्य उपयुक्त नियामक निकायों को भेजते हैं। इसके अंतर्गत रोगी की सुरक्षा के उद्देश्य से बड़ी संख्या में औषधीय उत्पादों के लिए सुरक्षा डेटा एकत्र किया जाता है और उसका विश्लेषण किया जाता है, अत: पीवी में करियर,स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित किसी भी अन्य करियर के समान या उससे अधिक संतुष्टिदायक है।
(लेखिका काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट और करियर कंसल्टेंट हैं। उनसे nidhiprasadcs@gmail.comपर संपर्क किया जा सकता है) ये उनके निजी विचार हैं।