कृषि विज्ञानी बनें
भविष्य की चुनौतियों से निपटने में किसानों की मदद करें
रंजना सिंह
दुनिया भर के बाजारों या वैश्विक रुझानों को यदि हम देखें, तो कृषि से प्राप्त होने वाली उत्पादों की श्रेणियों में विविधता अब चौंका देने वाली है। विदेशी फलों और सब्जियों से लेकर, औषधीय पौधे जो फार्मास्युटिकल और सौंदर्य प्रसाधन (कॉस्मेटिक) उद्योग के सहयोगी हैं, फसलें जिनसे जैव ईंधन तैयार होता हैं, शाकाहारी मांस और शाकाहारी चमड़े के, साथ ही उपभोक्ताओं की विभिन्न तरह के उत्पादों की मांग पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है। इसके अतिरिक्त, खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन के प्रयासों और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने को लेकर बढ़ते जोर के साथ, फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए स्थायी कृषि संबंधी तौर तरीके विकास लक्ष्यों का एक अभिन्न हिस्सा बन गई हैं। इसलिए, जैसा कि हमेशा से कृषि क्षेत्र लगातार बढ़ती आबादी के भरण-पोषण (कृषि पैदावार) के लिए अन्न उपजाने का काम करता आया है, साथ ही कृषि संसाधनों के अत्यधिक दोहन के खतरों को टालने और नए एवं विभिन्न प्रकार के उत्पादों की मांगों को पूरा करने के लिए कृषिविज्ञानी की मांग पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है।
कृषि विज्ञानी कौन है?
'एग्रोनॉमी' यूनानी भाषा के शब्द 'एग्रोस' और 'नोमोस' से व्युतपन्न शब्दावली है, जिसका शब्दार्थ (अर्थ) क्रमशः 'क्षेत्र' और 'प्रबंधन' है। इसलिए, एग्रोनॉमी मूल रूप से क्षेत्र में ऐसी स्थितियों को बनाए रखने के पीछे का विज्ञान और तकनीक है जो फसल की अच्छी पैदावार के लिए अनुकूल हैं। कृषि-विज्ञान जलवायु और अनुकूलन, मिट्टी, समुचित पानी एवं पानी की उपलब्धता सहित पैदावार पर असर डाने वाले तमाम प्रभावों पर विचार करता है मसलन, फसल आनुवंशिकी, मिट्टी के गुणों और कैसे मिट्टी बढ़ती फसल के साथ परस्पर क्रिया करती है, साथ ही फसल उत्पादन पर पड़ने वाले सभी तरह के प्रभावों की पूरी श्रृंखला पर क्रमबद्ध विचार करता है; फसल को किन पोषक तत्वों की आवश्यकता है; फसलों के बढ़ने और विकसित होने के तरीके; और खरपतवारों, कीड़ों, कवक एवंज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले अन्य फसल कीटों को कैसे नियंत्रित करें। पर्यावरण सबंधी रूकावटों की तरहगैर-जैविक गतिविधि हेतु, जैसे कि आर्थिक आवश्यकताएं और उपभोक्ता एवं किसान के बीच का व्यवहार भी कृषि से संबंधिततौर-तरीकों को दर्शाते है।
एक कुशल कृषि विज्ञानी बेहतर खेती और फसल के विकास के नए तौर-तरीकों को विकसित करता है, जो किसानों को अपने फसल उत्पादन को अधिकतम करने की कारगर साबित होता है। एक कृषि विज्ञानी विभिन्न क्षेत्रों जैसे मृदा विज्ञान, पादप आनुवंशिकी, सतत विकास और अनुसंधान में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकता है। जबकि उनके दैनिक कार्य भिन्न हो सकते हैं, अधिकांश मिट्टी और फसल वैज्ञानिकों की निम्नलिखित जिम्मेदारियां होती हैं:
• विभिन्न प्रकार की फसलों के उत्पादन में सुधार के तरीकों का अनुसंधान एवं विकास (शोध और विकास) करना।
• विभिन्न फसल पद्धतियों और कृषि सुधारों पर चर्चा करने के लिए स्थानीय किसानों के साथ बातचीत करना।
• पौधों की वृद्धि और पौधों के स्वास्थ्य की निगरानी करना।
• फसल की पोषक आवश्यकता को निर्धारित करने के लिए मृदा परीक्षण।
• पौधों को तनाव से बचाने के तरीकों की पहचान करना।
• पर्यावरण के अनुकूल विचारों और कृषि पद्धतियों का विकास करना।
• बीज परीक्षण, सोर्सिंग और चयन में सहायता करना।
• रोगों के संकेतों के लिए फसलों की जांच करना ।
• अगली पीढ़ी की फसलों में सुधार के लिए प्रमुख निष्कर्षों का रिकॉर्ड बनाए रखना और नमूने एकत्र करना।
• समस्याओं के व्यवहारिक समाधान खोजने के लिए पहले से प्रकाशित अध्ययनों के साथ शोध परिणामों की तुलना करना।
• फसल अनुसंधान से संबंधित सूचना के बारे में किसानों और संबंधित समूहों को संवेदनशील बनाना।
हमें कृषि विज्ञानी कहां मिलेंगे?
कृषि विज्ञानी अक्सर सिंचाई/जल विज्ञान, मिट्टी की उर्वरता, पौधों के प्रजनन, पादप शारीरिकी विज्ञान, फसल प्रबंधन, अर्थशास्त्र और कीट नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ होते हैं, लेकिन फसल उत्पादन को प्रभावित करने वाले सभी क्षेत्रों से संबंधित हल निकालने करने और एकीकृत करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए, हम कृषि विज्ञानी को कृषि अनुसंधान संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, निजी कंपनियों की प्रयोगशालाओं में, खेतों में, शिक्षकों के रूप में और कृषि और संबद्ध गतिविधियों के क्षेत्र में काम करने वाले सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के सलाहकारों के रूप में पा सकते हैं। निजी उद्योग में कृषि विज्ञानी आमतौर पर उन कंपनियों के लिए काम करते हैं जो कृषि सेवाओं या उत्पादों को बेचती हैं, जैसे कि बीज कंपनियां, कृषि-रसायन कंपनियां और उर्वरक कंपनियां। वह परामर्श संस्थाओं (फर्मों) के लिए भी काम कर सकते हैं जो किसानों को सलाह देती हैं कि इन उत्पादों का इस्तेमाल कैसे करें। सरकार में कृषि विज्ञानी स्थानीय, राज्य या संघीय एजेंसियों के लिए काम करते हैं। वह पर्यावरण की रक्षा या खाद्य उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतियों को विकसित करने और लागू करने में मदद कर सकते हैं। शैक्षिक संस्थानों में कृषि विज्ञानी कृषि विज्ञान, फसल विज्ञान और मृदा विज्ञान में शोध (अनुसंधान) करते हैं या पाठ्यक्रम से संबंधित विभिन्न आयामों को पढ़ाते हैं।आमलोगों से जुड़े विभिन्न मुद्दों जैसे खाद्य और जल सुरक्षा, हवा की गुणवत्ता, जलवायु परिवर्तन, मिट्टी और जल संरक्षण, ग्रामीण समुदाय, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य और पोषण, और वन्यजीव संरक्षण सहित और कई अन्य वैश्विक चिंता के महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए कृषिविज्ञानी सलाहकार और नीति निर्माताओं के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
एक कृषि विज्ञानी कैसे बनें?
शुरुआती स्तर के पदों के लिए कृषिविदों को आमतौर पर स्नातक की डिग्री की आवश्यकता होती है। हालाँकि, कुछ शोध आधारित पदों के लिए मास्टर डिग्री की भी आवश्यकता हो सकती है। कृषि विज्ञानी जो कॉलेज के स्तर पर पढ़ाना चाहते हैं, उनके पास डॉक्टरेट यानि पीएचडी की डिग्री होना आवश्यक है। एग्रोनॉमी कृषि विज्ञानी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए निम्नलिखित बुनियादी कदम उठाने की जरूरत है।
•विज्ञान और गणित के साथ 10+2 पूरा करें
•कृषि या संबंधित क्षेत्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त करें: सबसे आम डिग्री में से एक कृषि में विज्ञान स्नातक है, जो तीन साल का स्नातक पाठ्यक्रम है । इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश आमतौर पर एक प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है। कई कॉलेज अपनी अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं जबकि अन्य को सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के तौर-तरीकों का पालन करना पड़ता है।
•अपनी मास्टर डिग्री पूरी करें: विज्ञान में मास्टर डिग्री उन कृषिविदों के लिए फायदेमंद हो सकती है जो शोध (अनुसंधान) के क्षेत्र में जाना चाहते हैं। एमएससी (M.Sc.)डिग्री कोर्समें नामांकन पाने के लिए, आपको आमतौर पर कृषि, कृषि विज्ञान या संबंधित विषय में स्नातक की डिग्री की आवश्यकता होती है।
•इंटर्नशिप: इंटर्नशिप से गुजरकर, छात्र अनुभव प्राप्त कर सकता है और एक संगठनात्मक ढांचे में नौकरी की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में सीख सकता है। कई ऐसी कंपनियां, शैक्षणिक संस्थान और सरकारी एजेंसियां हैं जो स्नातकों को इंटर्न के रूप में नियुक्त करती हैं। अधिकांश इंटर्नशिप पदों में एक वरिष्ठ कृषि विज्ञानी के साथ काम करना या प्रयोगशाला में शोध सहायक के रूप में काम करना शामिल होता है।
•प्रमाणन प्राप्त करें: यदि आपके पास कृषि या संबंधित क्षेत्र में डिग्री नहीं है, लेकिन फिर भी आप एक कृषि विज्ञानी बनना चाहते हैं, तो आपके लिए सबसे अच्छा रास्ता भारत सीसीए (प्रमाणित फसल सलाहकार) कार्यक्रम में शामिल होना है । सीसीए कार्यक्रम देश की कृषि विस्तार प्रणाली को मजबूत करने के उद्देश्य से कृषि पेशेवरों के लिए एक प्रशिक्षण, मूल्यांकन और प्रमाणन कार्यक्रम है। इंटरनेशनल सर्टिफाइड क्रॉप एडवाइजर (आईसीसीए) प्रोग्राम की छत्रछाया में भारत सीसीए कार्यक्रम अमेरिकन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी (एएसए) और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईआरआरआई) के सहयोग से दक्षिण एशिया के लिए अनाज प्रणाली पहल (सीएसआईएसए) के तहत विकसित किया गया है –यह बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट और विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना है। कार्यक्रम का स्थानीय प्रशासक इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीबिजनेस प्रोफेशनल्स (आईएसएपी) है जो भारत सीसीए बोर्ड और सीसीए कार्यक्रम प्रबंधक के सहयोग से काम करता है।
•नौकरी खोजें और आवेदन करें: आवश्यक योग्यता, अनुभव और प्रमाणन प्राप्त करने के बाद, आप कृषि विज्ञान से संबंधित अपने प्रमुख कौशल का विवरण देते हुए एक जीवन वृत या बायोडेटा (सीवी) बना सकते हैं। इसके बाद नौकरी की तलाश करें और अपने आवेदन दाखिल करें।
एक कृषि विज्ञानी बनने के लिए आवश्यक कौशल-सेट
•कृषि संबंधित अर्थशास्त्र की समझ: कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाके मानक की समक्ष और किसान की अपेक्षित लागत और राजस्व को समझना फसल वैज्ञानिकों के लिए आवश्यक हो सकता है। यह जानना भी महत्वपूर्ण हो सकता है कि किसान अपनी न्यूनतम लाभ या हानि को प्रभावित होने से बचाने के लिए अपने उद्यम, विपणन और उत्पादन जोखिमों का प्रबंधन कैसे करते हैं। नियोक्ता कभी-कभी कृषि अर्थशास्त्र में महारत वाले उम्मीदवारों को पसंद करते हैं, क्योंकि यह कृषि समस्या का सबसे व्यवहारिक समाधान खोजने में मदद करता है।
•विश्लेषणात्मक और गणितीय कौशल: कृषि से संबंधित डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने में सक्षम होना एक कृषि विज्ञानी के लिए एक महत्वपूर्ण कौशल है। गणित या सांख्यिकी में पृष्ठभूमि होना काफी अहम है, क्योंकि आपको इनपुट दरों, फ़ील्ड क्षेत्र, उपकरण अंशांकन की गणना करनी पड़ सकती है और मान्य फ़ील्ड तुलनाएँ सेट करनी पड़ सकती हैं। फसल वैज्ञानिक को काम पर रखते समय, नियोक्ता अक्सर ऐसे उम्मीदवारों को पसंद करते हैं जो एकत्रित डेटा को एकीकृत कर सकते हैं और इससे सार्थक अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं। डेटा एनालिटिक्स कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है क्योंकि किसान डेटा का उपयोग करने में अधिक रुचि रखते हैं ताकि यह निर्णय लिया जा सके कि कौन सी फसल लगानी है, उन्हें कहाँ लगाना है और एक बार बोने के बाद उनका प्रबंधन कैसे करना है। खेती के बारे में बेहतर निर्णय लेने के लिए डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करने में सक्षम कृषिविज्ञानी हमेशा पहली पसंद के तौर पर चयन किए जाएंगे, क्योंकि किसान ऐसे पेशेवरों को नियुक्त करना चाहेंगे जो उनकी फसलों से अधिकतम लाभ उठाने में उनकी मदद कर सकें।
•तकनीकी कौशल: तकनीकी कौशल जटिल उपकरण, सॉफ्टवेयर और मशीनरी को समझने और संचालित करने की क्षमता है। एक कृषि विज्ञानी को अनिवार्य रूप से कृषि फार्म, प्रयोगशाला या कृषि-व्यवसाय की स्थापना में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न तकनीकी और प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों और प्रणालियों की समझ होनी चाहिए।
•संचार कौशल: प्रभावी संचार कौशल कृषिविदों को अपने विचारों को स्पष्ट और संक्षिप्त रूप से व्यक्त करने में मदद कर सकते हैं क्योंकि उन्हें कृषि क्षेत्र में किसानों, वैज्ञानिकों और अन्य संबंधित पक्षों के साथ अक्सर बातचीत करने की आवश्यकता होती है। वे जनता और मीडिया को वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझाने के लिए संचार कौशल का भी उपयोग करते हैं।
•समस्या समाधान निकालने में कुशल: फसल उत्पादन को प्रभावित करने वाले मुद्दों का समाधान खोजने के लिए कृषि विज्ञानी अपने समस्या समाधान कौशल का उपयोग करते हैं। वे फसल की पैदावार बढ़ाने, कीटनाशकों की आवश्यकता को कम करने या मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने के तरीके खोजने के लिए अपने समस्या-समाधान कौशल का उपयोग कर सकते हैं।
•टीमवर्क और नेतृत्व कौशल: कृषि विज्ञानी अक्सर अन्य पेशेवरों, जैसे मृदा वैज्ञानिक, पादप रोग विज्ञानी और इंजीनियरों के साथ टीम बनाकर काम करते हैं। नेतृत्व कौशल उन्हें किसी परियोजना या कार्य को पूरा करने के लिए एक टीम को प्रबंधित करने और प्रेरित करने में मदद कर सकता है। नेतृत्व कौशल भी उन्हें नए कृषिविदों को सलाह देने और प्रशिक्षित करने में मदद कर सकता है।
कार्य का माहौल और चुनौतियां
कृषि विज्ञानी कई प्रकार की परिस्थितियों या हालात में काम करते हैं, जिनमें खेत, ग्रीनहाउस, नर्सरी, शैक्षणिक संस्थान और अनुसंधान प्रयोगशालाएँ शामिल हैं। वे कार्यालयों में भी काम कर सकते हैं, जहाँ वे रिपोर्ट लिखने, डेटा का विश्लेषण करने और प्रस्ताव तैयार करने में समय व्यतीत करते हैं। कुछ कृषिविज्ञानी विदेशी कृषि प्रणालियों का अध्ययन करने और अन्य कृषिविदों से परामर्श करने के लिए दूसरे देशों की यात्रा भी करते हैं। इस तरह के काम में शारीरिक रूप मेहनत भी करना पड़ता है, और कृषिविज्ञानी कीटनाशकों और दूसरे संवेदनशील रसायनिक सामग्री (खतरनाक सामग्रियों) के संपर्क में आ सकते हैं। वे मौसम की स्थिति, जैसे अत्यधिक गर्मी, ठंडक और धूल के संपर्क में भी आ सकते हैं।
कृषि विज्ञान में लोकप्रिय पाठ्यक्रम
बीएससी (कृषि) कृषि विज्ञान: पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषताएं
कार्यक्रम का पूरा नाम :कृषि विज्ञान में विज्ञान स्नातक
कार्यक्रम स्तर:स्नातक की डिग्री
कार्यक्रम की अवधि: चार वर्ष
परीक्षा का प्रकार: छमाही
पात्रता :12वीं पीसीएम/पीसीबी
प्रवेश प्रक्रिया:प्रवेश परीक्षा
एमएससी एग्रोनॉमी: पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषताएं
कार्यक्रम का पूरा नाम: कृषि विज्ञान में मास्टर ऑफ साइंस (कृषि)।
कार्यक्रम स्तर: परास्नातक उपाधि
कार्यक्रम की अवधि: 2 साल
परीक्षा का प्रकार: छमाही
न्यूनतम पात्रता: मुख्य विषयों के रूप में जीव विज्ञान, गणित और रसायन विज्ञान के साथ विज्ञान में स्नातक की डिग्री
प्रवेश प्रक्रिया: एंट्रेंस टेस्ट/मेरिट बेस्ड
पीएचडी एग्रोनॉमी: पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषताएं
कोर्स स्तर: पीएचडी की उपाधि
पूर्ण प्रपत्र: पीएचडी (डॉक्टर इन फिलॉसफी) एग्रोनॉमी
अवधि: 3 साल
परीक्षा प्रकार: छमाही
पात्रता :स्नातकोत्तर उपाधि
प्रवेश प्रक्रिया :योग्यता / प्रवेश आधारित
कृषि विज्ञान में शिक्षा प्रदान करने वाले शीर्ष भारतीय कॉलेज और विश्वविद्यालय
• पंजाबकृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना
• आचार्य एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय, हैदराबाद
• जीबीपीयूएटी, पंतनगर
• तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर
• इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर
• आईसीएआर - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली
• महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ राहुरी, राहुरी
• आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद
• डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर
• जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर
• डॉ. बालासाहेब सावंत कोंकण कृषि विद्यापीठ, दापोली
• आईवीआरआई डीम्ड यूनिवर्सिटी, बरेली
• सीसीएस एचएयू, हिसार
• बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची
• सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), प्रयागराज
• आईसीएआर एनडीआरआई, करनाल
• यूबीकेवी, कूचबिहार
• केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल
• बीएयू, भागलपुर
• आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन, अंधेरी
• प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय, हैदराबाद
• सूचना प्रौद्योगिकी सेल, जूनागढ़, जूनागढ़
• बिधान चंद्र कृषि विश्व विद्यालय, हरिनघाटा
• गडवासू, लुधियाना
• स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर
• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
• असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट
• डॉ। यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी
• ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर
• सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, पालमपुर
• महात्मा ज्योति राव फूले विश्वविद्यालय, जयपुर
• सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ
• वसंतराव नायक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ, परभणी
• लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, फगवाड़ा
• कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलोर, बेंगलुरु
• चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर
• केएयू, त्रिशूर
• एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा, नोएडा
• शिक्षा 'ओ' अनुसंधान (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), भुवनेश्वर
• कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता
• खालसा कॉलेज, अमृतसर
• कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, खेल अखाड़ा, धारवाड़, धारवाड़
• आरवीएसकेवीवी ग्वालियर, ग्वालियर
• मेवाड़ विश्वविद्यालय, चित्तौड़गढ़
• महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर
• वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वेल्लोर
• नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
• सरदारकृष्णनगर दंतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, पालनपुर
(सूची पूरी तरह से सांकेतिक है)
पिछले 60 वर्षों में, भारत में कृषि एक पारंपरिक, निर्वाह उन्मुख कृषि से विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर आधारित खेती में बदल गया है। भारत के कृषि क्षेत्र की यात्रा में कुछ महत्वपूर्ण चरण थे जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के निर्माण के साथ शुरू हुए, इसके बाद समन्वित कृषि विज्ञान परीक्षण, उर्वरक प्रयोग और मृदा संरक्षण अनुसंधान हुए। राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना और उच्च उपज देने वाली किस्मों (एचवाईवी) पर समन्वित अनुसंधान कार्यक्रमों की शुरूआत ने कृषि संबंधी अनुसंधान और हस्तक्षेपों को और मजबूत किया। इसके अलावा, सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ड्राईलैंड एग्रीकल्चर (CRIDA ) की स्थापना की गई, जिससे कृषि प्रणाली अनुसंधान (FSR) की एक राष्ट्रीय प्रणाली का विकास हुआ। 1972 में, ICRISAT ( इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स) - एक अंतरराष्ट्रीय संगठन जो ग्रामीण विकास के लिए कृषि अनुसंधान करता है, भारत के पाटेनचेरुवु में अपने मुख्यालय के साथ स्थापित किया गया था । आईसीआरआईएसएटी के जनादेशों में से एक किसानों के दृष्टिकोण के साथ जलवायु, मिट्टी, पानी और फसलों के विभिन्न घटकों के लिए प्रबंधन प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने की अवधारणा को विकसित करना था। इसके बाद, ऑन-फार्म अनुसंधान को मजबूत करने के तंत्र पर जोर दिया गया ताकि शोधकर्ताओं, विस्तार कार्यकर्ताओं और किसानों के बीच मजबूत संबंध स्थापित किया जा सके। इन सभी विकास गतिविधियों में, कृषि विज्ञानियों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी थी। वर्तमान समय में, जबकि भारत ने अपने कृषि क्षेत्र की समस्याओं और समाधानों के बीच की खाई को पाटने में लगातार प्रगति की है, देश का ध्यान अब खेती के अधिक टिकाऊ तरीकों को प्राथमिकता देने की ओर बढ हो रहा है। इसलिए, कृषि विज्ञान में करियर बनाना न केवल कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण और विकास में योगदान करने का एक शानदार तरीका है, बल्कि हरित नौकरियों के बढ़ते बाजार में प्रवेश करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में सक्रिय भूमिका निभाने का भी है।
(लेखिका एक शिक्षाविद और उद्यमी हैं। उनसे reach.ranjanaS@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)।
व्यक्त विचार व्यक्तिगत है.