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भारतीय प्रशासनिक प्रारंभिक परीक्षा-2016 : कुछ चिंतन

एस.बी.सिंह

आकर्षक सिविल सेवा परीक्षा के लिए देश भर में संचालित की जाने वाली अति प्रतीक्षित प्रारंभिक परीक्षा अगले सप्ताह ली जाएगी. मात्र उत्तीर्णता परीक्षा होने के बावजूद, प्रारंभिक परीक्षा, कई तरह से सिविल सेवा में आपकी अंतिम सफलता की मुख्य निर्धारक घटक होती है. इसके कई कारण हैं. पहला, लाखों सहभागी प्रारंभिक परीक्षा में बैठते हैं जो प्रतिस्पर्धा का स्तर अत्यधिक ऊंचा करते हैं. प्रारंभिक परीक्षा में बैठने वाले 4-5 लाख उम्मीदवारों में से केवल लगभग 15000 उम्मीदवार ही मुख्य परीक्षा के लिए उत्तीर्ण होंगे. इसका अर्थ यह हुआ कि सक्षम, परिश्रमी उम्मीदवारों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है. इसमें प्रत्येक अंक गिना जाएगा. दूसरा, प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यक्रम मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम की तुलना में अव्यवस्थित प्रकृति का होता है. अव्यवस्थित से मेरा मतलब है कि प्रारंभिक परीक्षा के लिए यथातथ्य रूप में कोई व्यापक पाठ्यक्रम नहीं पढऩा होता है. संघ लोक सेवा आयोग के कथन के अनुसार सामान्य अध्ययन प्रारंभिक पाठ्यक्रम प्रकृति में केवल संकेतात्मक होता है. इसकी ऐसी कोई विशेष निर्धारित सीमाएं नहीं हैं जो इसे कोई व्यवस्थित या निश्चित रूप देने के लिए इसे कठिन बनाएं. इस तरह यह आप पर निर्भर होता है कि आप अपने ढंग से इसका पाठ्यक्रम तय करें और जो प्रासंगिक हो उसकी तैयारी करें. तीसरे, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा हाल ही के वर्षों में भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय वन सेवा परीक्षा को परस्पर मिलाने की प्रक्रियाओं ने समस्या को और जटिल कर दिया है. दो विभिन्न परीक्षाओं की आवश्यकताओं को एकल परीक्षा में समाधान करने के प्रयास किए गए हैं जो प्रारंभिक परीक्षा में संतुलन की समस्या पैदा करते हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा के लिए प्रारंभिक परीक्षा की संरचना किसी सिविल कर्मचारी से सेवा की आवश्यकता और अपेक्षित अभिरुचि के अनुसार होनी चाहिए. भारतीय वन सेवा परीक्षा के लिए भी यही तथ्य सत्य है. इसका अर्थ यह हुआ कि इन दो विभिन्न परीक्षाओं के लिए कुछ ही सामान्य प्रश्न होने चाहिए.

यह जैसी है, इसे रहने दीजिए, मैं यहां जिस मूल बात पर बल दे रहा हूं वह यह है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय वन सेवा परीक्षा के लिए प्रारंभिक परीक्षा को आपस में मिलाने के, तैयारी करने के लिए अपने आधार हैं. भारतीय वन सेवा परीक्षा की आवश्यकताओं को समाहित करने के लिए कई प्रश्न अब पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तथा विज्ञान शाखाओं से भी पूछे जा रहे हैं. ऐसा, भारतीय प्रशासनिक सेवा पाठ्यक्रम के पारम्परिक क्षेत्रों जैसे इतिहास, राजनीति आदि पर प्रश्न कम देकर किया जा रहा है. प्रारंभिक परीक्षा में बैठते वक्त इस आवश्यकता को मन में उजागर होना चाहिए. दूसरे, वर्तमान घटनाओं पर पहले की अपेक्षा अधिक बल देना अब ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. अधिकांश प्रश्न अब इस तरह के होते हैं जो समाचार पत्रों तथा अन्य मीडिया में दिए गए महत्वपूर्ण समाचारों के बारे में उम्मीदवार के ज्ञान स्तर का मूल्यांकन करते हैं. प्रश्न-पत्र में सामान्यत: पिछले एक वर्ष की वर्तमान-घटनाएं शामिल की जाती हैं. प्रारंभिक परीक्षा 2016 के लिए, एक वर्ष के समाचारों का अर्थ है 01 अगस्त, 2015 से 30 जून, 2016 के बीच की घटनाएं. लेकिन मैं यहां उल्लेख करना चाहूंगा कि आजकल इस अवधि से पहले की घटनाओं के भी प्रश्न पूछे जा रहे हैं. उदाहरण के लिए अगस्त 2015 से पहले दिए गए समाचार जैसे किसी महत्वपूर्ण कान्फरेंस, प्राकृतिक आपदा, किसी चिकित्सा खोज आदि पर भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं. इसलिए 2014 तथा 2015 की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं पर तैयारी करना भी अधिक विवेक सम्मत रहेगा. वर्तमान घटनाओं का सबसे अधिक कठिन पहलू यह है कि कोई छात्र किसी ऐसे समाचार की जानकारी कैसे ले सकता है, जिसकी वह तैयारी कर रहा है. जब तक किसी छात्र को वर्तमान घटना आधारित समाचार के सभी पहलुओं के बारे में जानकारी नहीं होगी वह उसका उत्तर नहीं दे सकता. उदाहरण के लिए, सभी ने दक्षिण चीन समुद्र और उस पर अधिकार के चीन के दावों के बारे में पढ़ा है, यहां तक कि, चीन के विरुद्ध हाल ही के निर्णय के बारे में भी उम्मीदवार को जानकारी हो सकती है. किंतु संघ लोक सेवा आयोग दक्षिण चीन समुद्र के बारे में सीधे नहीं पूछ सकता. इसके स्थान पर आयोग यू.एन.सी.एल.ओ.एस. (संयुक्त राष्ट्र समुद्र विधि सम्मेलन) के बारे में प्रश्न पूछ सकता है, क्योंकि दक्षिण चीन समुद्र की समस्या का समाधान यू.एन.सी.एल.ओ.एस. कार्य तंत्र के अधीन किया जाना है. इसलिए आपको यू.एन.सी.एल.ओ.एस. के प्रावधानों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए. इसी तरह, भारत एस.सी.ओ. का सदस्य बना है, इस संदर्भ में किसी भी छात्र को इस संगठन की प्रकृति, इसकी प्राथमिकताओं, भारत के इसमें शामिल होने के लाभ आदि की जानकारी लेने के प्रयास करने चाहिए. केवल यह जानकारी कि भारत एस.सी.ओ. का सदस्य बन गया है, इस विषय पर पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिए पर्याप्त नहीं है.

इसलिए मेरा सुझाव है कि प्रारंभिक परीक्षा में वर्तमान घटनाओं की तैयारी के लिए एक नए परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता है क्योंकि यह, परीक्षा का एक महत्वपूर्ण भाग है. अब मैं अगले सप्ताह (7 अगस्त, 2016 को) होने वाली प्रारंभिक परीक्षा के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बता रहा हूं, जो प्रतिभागियों के लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं:-

1.अपनी तैयारी को विस्तृत रूप में दोहराएं: इस चरण पर नई बातों को पढऩे की प्रवृत्ति रोक दें. दोहराने पर बल दें. अब समय आ गया है कि आप अपनी पिछले 5-6 महीनों की तैयारी को समेकित कर लें. यदि आप, अपनी की गई पढ़ाई को व्यापक रूप में नहीं दोहराएंगे तो हो सकता है परीक्षा के दौरान आप उसे याद न रख पाएं. इसे दोहराने के लिए मुख्य मुद्दों को देखें क्योंकि अब व्यापक अध्ययन का समय नहीं है. इस चरण पर पारम्परिक क्षेत्रों को पूरी तरह दोहराना बेहतर है, क्योंकि यदि आप इतिहास, राजनीति, भूगोल जैसे विषयों - जो पाठ्यक्रम के पारम्परिक भाग हैं, पर थोड़ा सा भी ध्यान देंगे तो यह निश्चित है कि उनमें से कुछ प्रश्न आपकी तैयारी के हों. किसी भी एक विषय को एक दिन में व्यापक रूप से दोहराएं.

2.इस चरण पर परीक्षा पुस्तिकाओं से अभ्यास न करें: मैंने अनुभव किया है कि बाजार में या ऑनलाइन उपलब्ध अधिकांश परीक्षा पुस्तिकाएं उलझाने वाली हैं और उनमें त्रुटियां हैं. इसके अलावा, वे, पूछे जाने वाले वास्तविक प्रश्नों से भी मेल नहीं खाती हैं. इसलिए यह बेहतर होगा कि संघ लोक सेवा आयोग में पिछले वर्ष पूछे गए सामान्य अध्ययन के प्रश्नों से अभ्यास किया जाए. अभ्यास करने के लिए पिछले 10 वर्षों के प्रश्न पर्याप्त होंगे. संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा प्रश्नों के अतिरिक्त, अन्य परीक्षा जैसे सी.ए.पी.एफ., एस.एस.सी. आदि परीक्षाओं के प्रश्न दोहराना भी बुद्धिसम्मत होगा क्योंकि इसमें से कुछ प्रश्न इस वर्ष की प्रारंभिक परीक्षा में भी दोहराए जा सकते हैं.

3.सी.एस.ए.टी. भाग को अनदेखा न करें: यद्यपि, सी.एस.ए.टी. अब मात्र एक उत्तीर्णता परीक्षा है, किंतु इसे अनदेखा करना आपको संकट में डाल सकता है. इसलिए यह सुनिश्चित कर लें कि आप सी.एस.ए.टी. में भी अपेक्षित उत्तीर्णता अंक प्राप्त कर लेंगे. इसके लिए आप सी.एस.ए.टी. में अपने मजबूत क्षेत्र पर ध्यान दें. उदाहरण के लिए, यदि आपका गणित तथा तर्कणा शक्ति भाग कमजोर है तो कॉम्प्रीहेंशन भाग पर पकड़ बनाने के प्रयास करें. इसी तरह, यदि आपका कॉम्प्रीहेंशन भाग कमजोर है तो गणित  और तर्कणा शक्ति भाग पर पकड़ बनाएं इस तरह आप सी.एस.ए.टी. में उत्तीर्णता के लिए अपेक्षित अंक प्रतिशतता प्राप्त कर सकते हैं. इस चरण पर सी.एस.ए.टी. के प्रत्येक भाग पर अधिकार प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है.

4.पाठ्यक्रम के उन भागों पर बल दें, जिन भागों से अधिक प्रश्न पूछे जाने की संभावना हो: इस अंतिम चरण पर, तैयारी के मात्र एक सप्ताह में, प्रत्येक विषय को समान महत्व के साथ देखना वांछनीय है. इसके बदले आवश्यक यह है कि उन क्षेत्रों को दोहराया जाए जिन क्षेत्रों से अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं. उदाहरण के लिए, प्राचीन भारत में कला से जुड़े प्रश्न अधिक हैं. इसी तरह आधुनिक भारत में, स्वतंत्रता संग्राम अर्थात् 1885 से 1947 के बीच की अवधि के प्रश्न ब्रिटिश शासन की पूर्व अवधि के प्रश्नों की तुलना में अधिक पूछे जाते हैं. इसलिए, आप इस चरण पर सम्पूर्ण आधुनिक भारत की जगह केवल इस अवधि को दोहराएं. इस तरह अपनी तैयारी करना, आपके लिए अत्यधिक लाभकारी होगा. इस चरण पर सभी भाग पढऩा आपके लिए नुकसानदायी हो सकता है.

5.कोई भी नई पढ़ाई न करें: हो सकता है कि कई ऐसे विषय हों जिनकी तैयारी करना शेष हो. लेकिन इस अंतिम क्षण में उनकी तैयारी करना व्यावहारिक नहीं है. कोई भी नई पढ़ाई (तैयारी) शीघ्र याद नहीं रखी जा सकती. इसलिए वास्तविकता को पहचानें और इस अंतिम चरण पर अपने अध्ययन (तैयारी) - क्षेत्र को न फैलाएं. इसके बजाय, आप अपनी तैयारी के सीधे पक्ष पर जाएं अर्थात् जो आप पढ़ चके हैं उसे समेकित करें. दूसरे शब्दों में, विस्तार नहीं संपेक्षण करें.

6.बौद्धिक अनुमान लगाएं: प्रारंभिक परीक्षा में गलत उत्तर के अंक काटे जाते हैं. इसका यह अर्थ लगाना गलत है कि जब तक आप किसी उत्तर के लिए 100 प्रतिशत सुनिश्चित न हों, तो उसे न लिखें. यदि कोई इस धारणा को मानेगा तो कई प्रश्न छूट जाएंगे और आपको कम अंक मिलेंगे. इसके बदले अपने अंक बढ़ाने का एक अधिक वास्तविक तरीका यह है कि किसी प्रश्न का उत्तर पता नहीं होने पर उसका बुद्धिसंगत अनुमान लगाएं. उदाहरण के लिए यदि किसी प्रश्न के आधे भाग का उत्तर पता है, लेकिन शेष आधे भाग के उत्तर के बारे में आप सुनिश्चित नहीं हैं. ऐसी स्थिति में एक अवसर लें और सही उत्तर के लिए एक बुद्धिसंगत अनुमान लगाएं. ऐसे जोखिम लिए बिना आपके अंक नहीं बढ़ सकेंगे. किंतु यह भी ध्यान रखें कि बिना सोचे-समझे कोई उत्तर न चुनें. यदि किसी प्रश्न का उत्तर आपको नहीं पता तो उसे छोड़ दें और उसका उत्तर देने का प्रयास न करें.

7.समय के चक्र में न फंसें: सभी प्रश्नों के उत्तर देने में एक समान समय नहीं लगता. हालांकि, उनके अंक समान होते हैं. इसलिए यह समझना आसान है कि किसी प्रश्न विशेष का उत्तर देने में अधिक समय लगाने पर, हो सकता है कि ऐसे अन्य प्रश्नों का उत्तर देने के लिए आपके पास पर्याप्त समय न हो, जिन प्रश्नों का उत्तर कम समय में लिखा जा सकता हो. यहां यह तथ्य जानना आवश्यक है कि यदि आपको यह लगे कि किसी प्रश्न का उत्तर देने में अधिक समय लगने की संभावना है तो जोखिम न ही उठाएं. आप उस प्रश्न पर अधिक समय गंवा देंगे और अगले प्रश्न के लिए आपके पास कम समय होगा. इस सोच के साथ सभी प्रश्नों का शीघ्र उत्तर दें और अधिक कठिन प्रश्नों को छोड़ दें यदि आपके पास इस तरह कुछ समय बच जाता है तो उन जटिल प्रश्नों को देखें और उनका उत्तर दें.

8.इस चरण पर अध्ययन से अधिक महत्वपूर्ण  स्वास्थ्य है: इस समय भारत के अधिकांश भागों में मौसम अनुकूल न होकर प्रतिकूल है. इन महीनों में सभी तरह की बीमारियां अचानक फैल जाती हैं, यह नितांत आवश्यक है कि परीक्षा में आप एक स्वस्थ्य व्यक्ति के रूप में जाएं, ताकि आप परीक्षा में सही मनोदशा के साथ बैठ सकें, अपने स्वास्थ्य का अच्छी तरह ध्यान रखें.

9.परीक्षा से तत्काल पहले पढऩा बंद कर दें: यह धारणा बहुत गलत है कि अंतिम क्षणों की पढ़ाई सहायक होती है. ऐसा करना गलत है. जब पर्याप्त समय रहते आप कुछ पढ़ाई नहीं कर सके तो अंतिम क्षणों में आप ऐसा कुछ नहीं कर सकते. इससे आपका मस्तिष्क तनाव में आ जाएगा और आपका निष्पादन प्रभावित होगा. ऐसे किसी भी तनाव से मुक्त होकर परीक्षा-भवन में जाएं. परीक्षा से एक रात पहले पुस्तकें बंद कर दें और उन्हें परीक्षा भवन में अपने साथ न ले जाएं. अंतिम क्षणों में थोड़ी जानकारी प्राप्त करने की लालसा की तुलना में तनावरहित मस्तिष्क अधिक उपयोगी होता है.

अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि पढ़ाई की अपनी गति को तीव्र करने के बजाय धीमा कर दें. एक अंतिम सलाह, यदि आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि आपको प्रारंभिक परीक्षा में कितने अंक मिलेंगे तो एक सप्ताह के अंदर अपनी मुख्य परीक्षा की तैयारी प्रारंभ कर दें. प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम की प्रतीक्षा नहीं करें. आपको मुख्य परीक्षा के विस्तृत पाठ्यक्रम की तैयारी करनी है.

आपके परिश्रम, भाग्य एवं सफलता के लिए शुभकामनाएं

(एस.बी. सिंह एक प्रख्यात शिक्षाविद् और भारतीय प्रशासनिक सेवा मेंटोर हैं. उनसे उनकी ई-मेल: sb_singh2003@gmail.com  पर सम्पर्क किया जा सकता है.)