सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में निबंध लेखन
सोमेन चक्रबोर्ती
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 28 अक्तूबर 2017 से प्रारंभ होने वाली है. सामान्य अध्ययन के विषयों में निबंध लेखन का विशेष महत्व है. प्रश्नपत्र में आठ निबंधों में से उम्मीदवार को दो निबंध लिखने होते हैं जिनमें से एक खंड-क से और दूसरा खंड-ख से करना होता है. इन दोनों निबंधों में से प्रत्येक की शब्द सीमा करीब 1200 की होती है और इन्हें 180 मिनट यानी तीन घंटों में लिखना होता है. यह प्रश्नपत्र कुल 250 अंक का होता है. सिविल सेवा मुख्य परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिता परीक्षाओं में से एक है जिसमें प्रतिभाशाली, बुद्धिमान, निष्ठावान, जानकार और अत्यंत लगनशील भारतीय नौजवान हिस्सा लेते हैं. लेकिन इनमें से बहुतों को निबंध लेखन प्रश्नपत्र में 50 प्रतिशत अंक हासिल करने के लिए बड़े पापड़ बेलने पड़ते हैं. ऐसा अनुमान है कि परीक्षा में बैठने वाले ज्यादातर उम्मीदवार कुल 250 अंकों में से 100-110 ला पाते हैं. 125-135 अंक प्राप्त करने वालों की संख्या काफी होती है, जबकि बहुत कम प्रत्याशी 60 प्रतिशत (150+) अंक हासिल कर पाते हैं. ज्यादातर मामलों में निबंध प्रश्नपत्र में कम अंक हासिल करने का कारण अनजाने में की गयी वह भूल होती है जो या तो निबंध के विषयों को ठीक से न समझ पाने की वजह से होती है या फिर तनाव के कारण अथवा हड़बड़ी में उत्तर लिखने से होती है. एक अच्छा, सुगठित निबंध लिखने के लिए सचमुच कई पहलुओं का सामूहिक रूप से ध्यान रखना पड़ता है. ये हैं: निबंध के विषय को भली भांति समझना; निबंध के विभिन्न स्तरों का उचित तरीके से निर्धारण करना; वर्तनी/व्याकरण की गलतियां कम-से-कम करना; निबंध में उपयुक्त तथ्य/आंकड़े/संदर्भ शामिल करना और निबंध के अंत तक विचारों के प्रवाह को बनाए रखना. विषय के चयन, विश्लेषण और निबंध का खाका तैयार करने में लगने वाले समय को घटाने के बाद किसी भी परीक्षार्थी के पास औसतन 75-80 मिनट का कुल समय लिखने के लिए बचता है. अत्यधिक प्रतिस्पर्धा वाली इस परीक्षा में परीक्षार्थी के मन में स्वाभाविक रूप से जैसा जबरदस्त दबाव पैदा होता है वह कई गलतियों का कारण बन सकता है.
लेकिन थोड़े से प्रयास से इस तरह की गलतियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. शांत और संयमित परीक्षार्थी बेहतर निबंध लिख सकता है और कुछ बुनियादी जरूरी बातों का ध्यान रखकर अपने अंकों में काफी बढ़ोतरी कर सकता है. जैसा पहले भी बताया जा चुका है, निबंध के प्रश्नपत्र में दो खंडों में आठ सवाल होते हैं. इनमें से 4 या 5 तो समसामयिक महत्व के विषयों से संबंधित होते हैं और 1 या 2 का संबंध अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विषयों से होता है. दर्शनशास्त्र को एक तरफ रख दें तो निबंध के विषयों का चयन बड़े व्यापक दायरे में से किया जाता है, जैसे पर्यावरण, महिला/स्त्री-विमर्श, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय, राष्ट्रीयता, विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी, केन्द्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम और हाल के महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर आधारित विषय. संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों को समसामयिक घटनाक्रम और सरकारी कार्यक्रमों के बारे में अच्छी जानकारी होती है. पर्यावरण और विकास को लेकर देश में चल रहे विमर्श का भी उन्हें अच्छा ज्ञान होता है. सामान्य अध्ययन का पाठ्यक्रम भी उन्हें प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक सरोकारों से अवगत करा देता है. इसके अलावा अधिकतर उम्मीदवार विगत वर्षों की सिविल सेवा परीक्षाओं के टॉपरों के ब्लॉग पढ़ते हैं और विषयों के बारे में अंतर्दृष्टि के लिए विभिन्न वेबसाइट्स भी देखते हैं.
परीक्षार्थी निबंध टेस्ट सीरीज भी पढ़ते हैं और निबंध लेखन कौशल में महारथ हासिल करने के लिए कुशल मार्गदर्शन और मदद हासिल करना चाहते हैं. इस तरह निबंध के विषय उन्हें कभी अनजाने या अज्ञात से नहीं लगते और आठ प्रश्नों में से दो का चयन करना बहुत मुश्किल भी नहीं है. अक्सर उम्मीदवारों को जाने-पहचाने विषयों और मॉडल निबंधों की तलाश रहती है. लेकिन लेखन कौशल के विकास की दृष्टि से यह सही तरीका नहीं है. इससे सभी संभावित विषयों का मंथन करकेे उपयुक्त विषयों का चयन करना अर्थहीन हो सकता है. असल में विषयों का कोई अंत नहीं है. संघ लोक सेवा आयोग बड़ी बारीकी से जांच पड़ताल के बाद विषयों का चयन करता है और बड़ी पेशेवर कुशलता से प्रश्नों की शब्दावली गढ़ी जाती है. इसी तरह प्रत्येक व्यक्ति की अपनी लिखने और विचार व्यक्त करने की अपनी शैली होती है.
दूसरों की शैली और भाषा का अनुसरण करने की बजाय बेहतर यह होगा कि परीक्षार्थी अपनी ताकत की पहचान करे. इसके साथ ही उम्मीदवार के लिए यह जानना भी जरूरी है कि उसका ज्ञान और विश्वास कहां बेहतर है. किसी उम्मीदवार को दार्शनिक विषय पर निबंध लिखने में महारथ हासिल हो सकती है मगर यह भी मुमकिन है कि वह विज्ञान और टेक्नोलॉजी विषय पर लिखने में कमजोर हो. किसी को पर्यावरण और स्त्री-पुरुष संबंधी मामलों की बेहतर जानकारी हो सकती है. विषयों के उपयुक्त चयन के लिए अपनी कमजोरियों और मजबूतियों के बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है. किसी भी उम्मीदवार के लिए कम से कम 7 या 8 विषयों से संबंधित क्षेत्रों में तैयारी करना आवश्यक है. इसके बाद चुने हुए विषय का विभिन्न कोणों से विश्लेषण किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए स्त्री-पुरुष समानता के मुद्दे की बराबरी, विकास, राष्ट्र निर्माण, सामाजिक सद्भाव, पर्यावरण, संघर्ष, शांति और कुछ अन्य दृष्टियों से जांच की जानी चाहिए. हर दृष्टिकोण से एक निबंध लिखा जा सकता है. अगर उम्मीदवार उस विषय के बारे में अपनी जानकारी को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है तो उसे इसकी जांच सभी संभव कोणों से करनी चाहिए और एक विस्तृत दृष्टिकोण लेकर चलना चाहिए ताकि किसी भी संभावित विषय पर किसी भी दृष्टिकोण से निबंध लिखा जा सके. अच्छा निबंध लिखने के लिए सही विषय का चयन भी बेहद जरूरी है. लेकिन इसके साथ ही यह आकलन करना भी आवश्यक है कि संघ लोक सेवा आयोग उस विषय पर लिखे जाने वाले निबंध में परीक्षार्थियों से क्या अपेक्षाएं कर रहा है. तभी निबंध सही दिशा में आगे बढ़ सकता है. उदाहरण के लिए एक संभावित विषय है: ‘सोशल मीडिया हमारे संवाद के और हमारे बारे में महसूस करने के तौर-तरीकों को सकारात्मक व नकारात्मक दोनों ही तरीकों से बदल रहा है’. इस विषय के दो पहलू हैं: एक पक्ष है-‘सोशल मीडिया हमारे संवाद के तौर-तरीकों को बदल रहा है’ और दूसरा, हमारे बारे में क्या महसूस किया जाता है?
दोनों ही पहलुओं पर उनके अपने-अपने सकारात्मक और नकारात्मक परिवर्तनों की दृष्टि से विचार किया जाना जरूरी है. अगर इन दोनों ही क्षेत्रों में विमर्श संतुलित ढंग से नहीं किया जाता तो हमारा निबंध अधूरे कार्य की तरह खत्म हो जाएगा. आइये दूसरा विषय लें: ‘राष्ट्रीय जीवन में डिजिटाइजेशन अवश्यम्भावी है इसलिए इंटरनेट पर फिरौती के लिए साइबर हमलों को रोकने के उपाय खोजे जाने चाहिएं.’ एक बार विषय का निर्धारण हो जाने और इस पर सही तरीके से मंथन हो जाने पर विषय में गूढ़ता और स्पष्टता वाले बिंदुओं को उचित तरीके से संयोजित किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए निबंध के पहले हिस्से में यह विचार करना जरूरी है कि सोशल मीडिया के उभर कर सामने आने से पहले लोगों के संवाद के विभिन्न तरीके क्या थे? यह भी विचार किया जाना चाहिए कि सोशल मीडिया की वजह से संचार के तौर-तरीकों में क्या बदलाव आए हैं? सोशल मीडिया के विभिन्न प्रकार क्या हैं और वे एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के साथ संपर्क में क्या अहम भूमिका निभाते हैं?
दूसरे हिस्से में ‘डिजिटाइजेशन की अवश्यम्भाविता’ के बारे में युक्तिसंगत विश्लेषण होना चाहिए और उसके बाद हैकिंग और मालवेयर अटैक की चर्चा होनी चाहिए. इस पर ‘माइक्रो’ (व्यष्टिगत) और ‘मैक्रो’ (समष्टिगत) दोनों ही दृष्टियों से विचार किया जाना चाहिए. यहां यह स्मरण रखना जरूरी है कि निबंध में किस्सों की तरह के लंबे-लंबे तर्क या विवादास्पद दलीलें अच्छी नहीं मानी जातीं. निबंध के तीनों हिस्सों, यानी भूमिका, मुख्य भाग के अनुच्छेदों और निष्कर्ष की अपनी विशिष्ट भूमिका होती है. भूमिका का मूल उद्देश्य विषय प्रवर्तन करना होता है. संघ लोक सेवा आयोग द्वारा निर्धारित विषय का कुछ खास मतलब होता है और उम्मीदवार से अपेक्षा की जाती है कि वह इसे निबंध की भूमिका में ही विश्लेषित कर लेगा. एक बार ऐसा कर लेने के बाद उसे यह निर्णय करना होता है कि वह किस दिशा में आगे बढ़ेगा. यहां उसे इस बात की पूरी छूट है कि वह चाहे तो इसके पक्ष में लिखे या इसका विरोध करे. करीब 250 शब्दों की भूमिका से पढऩे वाले को यह पता चल जाना चाहिए कि लिखने वाले ने विषय को समझ लिया है और वह किस ओर बढ़ रहा है. निबंध की भूमिका के बाद उसके मुख्य भाग में पांच-छह महत्वपूर्ण हिस्से हो सकते हैं जिनमें से प्रत्येक का आलोचनात्मक विश्लेषण उपयुक्त तथ्यों, आंकड़ों, संदर्भों, उद्धरणों, उदाहरणों और हवाला देकर आवश्यकतानुसार किया जाना चाहिए. यहां यह भी याद रखना चाहिए कि आलोचनात्मक विश्लेषण आलोचना नहीं है, बल्कि किसी संबद्ध मसले का विश्लेषण है जिसमें विभिन्न तर्कों/दलीलों को एक-साथ संश्लेषित करके प्रस्तुत किया जाता है.
यहां परीक्षार्थी के पास इस बात का पूरा अवसर होता है कि वह कुछ ‘बॉक्स आइडियाज’ यानी विशिष्ट विचारों या उदाहरणों (जैसे अधिनियमों, नीतियों, रिपोर्टों, जांच के परिणामों आदि का उल्लेख आदि) के माध्यम से अपनी बात इस तरह से स्पष्ट करे कि उसका निबंध दूसरों से अलग नजर आए. इस तरह के अंश 150-200 शब्दों के हो सकते हैं. उम्मीदवारों को अक्सर इस बात का संशय रहता है कि निबंध में टेबल/चार्ट/मैट्रिक्स आदि का उपयोग उपयुक्त होगा या नहीं. यहां यह जानना जरूरी है कि संघ लोक सेवा आयोग ने इस पर कोई पाबंदी नहीं लगाई है, लेकिन उत्तर पुस्तिका में जो भी लिखा जाए वह साफ-सुथरा दिखना चाहिए. इसके अलावा टेबल या चार्ट के साथ व्याख्यात्मक टिप्पणी आगे या पीछे अनुच्छेद के रूप में दी जानी चाहिए. इस समूची प्रक्रिया में 5-10 मिनट लग सकते हैं. कुछ परीक्षार्थी मुख्य बिंदुओं की ओर परीक्षक का ध्यान आकृष्ट करने के लिए उप-शीर्षक भी दे देते हैं. लेकिन इसकी कोई खास आवश्यकता नहीं है क्योंकि परीक्षक इतने अनुभवी तो होते ही हैं कि वे किसी निबंध में निहित मुख्य तर्कों को समझ सकें. वाक्य और अनुच्छेद बहुत लंबे नहीं होने चाहिएं क्योंकि हो सकता है परीक्षक इन्हें पढ़ते वक्त थक या ऊब जाए और उसे इनमें प्रस्तुत तर्कों को समझने में बाधा उत्पन्न हो. इसके अलावा लंबे-लंबे वाक्य बनाने से गलतियों की आशंका भी बढ़ जाती है और किसी विचार को प्रस्तुत करना मुश्किल हो जाता है.
अक्सर यह देखा गया है कि परीक्षार्थी केवल भारत के संदर्भ में किसी विषय की चर्चा करते हैं. लेकिन यह आवश्यक नहीं कि सभी निबंधों में भारतीय परिप्रेक्ष्य में चर्चा हो या उसमें भारत से ही उदाहरण दिये जाएं. असल में संदर्भ को देखकर इसका फैसला किया जाना चाहिए कि भारत से बाहर की चर्चा या उद्धरण दिये जाएं या नहीं. निबंध के फोकस केन्द्रीय विचार को संकुचित करने की बजाय विश्लेषण के जरिए उसका दायरा बढ़ाया जाना चाहिए.
निबंध का निष्कर्ष मुख्य भाग में प्रस्तुत किये गये तर्कों को सारांश रूप में प्रस्तुत करना है. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि निष्कर्ष निबंध का अंतिम हिस्सा होता है इसलिए इसमें आशावादी दृष्टिकोण झलकना चाहिए. यह निचोड़ निकलना चाहिए कि बाधाओं और चुनौतियों के बावजूद समस्याओं के समाधान और इनसे पार निकलने का रास्ता है. निबंध से यह झलकना चाहिए कि उसके मन में इसकी ललक है और वह इसे अपना मिशन बनाना चाहता है. निबंध के निष्कर्ष से यह संकेत भी मिलता है कि कोई किसी सरोकार की भावी दिशा के बारे में किस तरह से सोचता है. इससे आशा और रचनात्मक बदलाव का संदेश मिलना चाहिए.
(लेखक एक अनुसंधानकर्ता और शिक्षाविद् हैं. ई-मेल: c_somen@yahoo.com).
इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं.)
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