यूजीसी-नेट के जरिए विश्वविद्यालय और कॉलेज शिक्षक
के रूप में रोजग़ार की संभावनाएं
सुरेश वर्मा
‘‘हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि एक पुस्तक, एक पेन, एक बच्चा और एक शिक्षक विश्व को बदल सकता है’’
-मलाला युसुफज़ई
आज सूचना संचार और मनोरंजन के युग में उच्चतर शिक्षा संस्थानों में शिक्षण सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण व्यवसाय है, जिसके लिए ज्ञान, अनुसंधानोन्मुखी मस्तिष्क, विषय की गहन जानकारी, क्लासरूम मैनेजमेंट कौशल और समाज में मूल्यों का संरक्षण और सुधार लाने की आवश्यकता है. यह व्यवसाय न केवल प्रेरक, दिलचस्प और सम्मान प्रदान करने वाला है, बल्कि हर वर्ष सैकड़ों विद्यार्थियों को प्रेरित और व्यवस्थित करने तथा उनका जीवन संवारने के अवसर भी प्रदान करता है. यदि आप विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज में शिक्षक के रूप में काम करना पसंद करते हैं, तो आपको आगामी यूजीसी नेट के प्रति अवश्य जागरूक रहना चाहिए. यह परीक्षा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा 5 नवंबर, 2017 को आयोजित की जा रही है. इसके आधार पर भारतीय विश्वविद्यालयों और अनुषंगी कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के रूप में भारतीय नागरिकों की पात्रता का निर्धारण होगा. इसके अलावा यह परीक्षा 85 विषयों में कनिष्ठ अनुसंधान फेलोशिप के लिए पात्रता का भी निर्धारण करेगी. परीक्षा का आयोजन देश के विभिन्न भागों में चुने हुए 91 नेट परीक्षा शहरों में किया जाएगा. कनिष्ठ अनुसंधान फेलोशिप प्रदान करने के लिए आयोजित की जाने वाली इस परीक्षा को क्वालिफाई करके आप अपने स्नातकोत्तर विषय में अनुसंधान करने के पात्र बन जाते हैं. सभी केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय, आईआईटी संस्थान और समकक्ष विश्वविद्यालय आमतौर पर अपने अपने नियमों और विनियमों के अनुसार पूर्णकालिक अनुसंधान कार्य के लिए जेआरएफ उत्तीर्ण विद्यार्थियों का चयन करते हैं. परंतु, यदि आप सहायक प्रोफेसर की पात्रता के लिए आवेदन करते हैं, तो आप पर जेआरएफ प्रदान किए जाने के लिए विचार नहीं किया जाएगा. इस संदर्भ में आप जेआरएफ और सहायक प्रोफेसर के लिए पात्रता, दोनों हेतु आवेदन का विकल्प अपना सकते हैं. यदि आप इसके इच्छुक हैं, तो 11 अगस्त, 2017 से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, जिसकी अंतिम तारीख 11 सितंबर, 2017 है. आप 12 सितंबर, 2017 तक शुल्क अदा कर सकते हैं. इस वर्ष केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने फैसला किया है कि आवेदन प्रपत्र जमा कराते समय आधार प्रमाणन का इस्तेमाल किया जाएगा. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 14 जुलाई, 2017 को जारी अपनी नई अधिसूचना में उम्मीदवारों के अर्हता पाने के मानदंड में संशोधन किया है. आकांक्षी उम्मीदवारों के लिए अच्छी खबर है कि अब यह फैसला किया गया है कि यूजीसी-नेट परीक्षा में बैठने वाले कुल उम्मीदवारों में से 6 प्रतिशत को योग्य घोषित किया जाएगा. पिछली नेट परीक्षाओं में यह प्रतिशत 4.83, 4.96, 4.08 और 3.99 प्रतिशत था.
उच्चतर शिक्षा का वर्तमान परिदृश्य
प्राचीनकाल से ही उच्चतर शिक्षा का विश्व की अर्थव्यवस्था में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. स्वतंत्रता के समय देश में केवल 20 विश्वविद्यालय, 500 कॉलेज और 2,10,000 विद्यार्थी थे, जिन्होंने विभिन्न उच्चतर शिक्षा संस्थानों में दाखिला लिया था. आजादी के बाद विस्तार, समावेशन और शिक्षा की उत्कृष्टता पर बल दिया गया. क्षमता के विस्तार, निजी क्षेत्र की तीव्र वृद्धि और प्रौद्योगिकी के उपयोग की बदौलत भारत में आज 37 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 359 राज्य विश्वविद्यालय, 260 प्राइवेट और 123 समकक्ष विश्वविद्यालय तथा 36,000 से अधिक उच्चतर शिक्षा संस्थान हैं.
एफआईसीसीआई की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली विश्व की सबसे बड़ी प्रणालियों में से एक है, जिसमें सात करोड़ से अधिक विद्यार्थी दाखिला लेते हैं. वर्तमान में 46,200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के साथ उच्चतर शिक्षा क्षेत्र का विस्तार हो रहा है और उम्मीद है कि इस क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि दर 18 प्रतिशत होगी, जिससे अगले 10 वर्षों में विद्यार्थियों की कुल संख्या 2,32,500 करोड़ पर पहुंच जाएगी.
एनईटी परीक्षाएं क्यों
लेक्चरशिप के लिए पात्रता के निर्धारण और कनिष्ठ अनुसंधान फेलोशिप (जेआरएफ) प्रदान करने और साथ ही शिक्षण व्यवसाय एवं अनुसंधान में प्रवेश करने वालों के लिए न्यूनतम मानदंड सुनिश्चित करने हेतु राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) आयोजित की जाती है. यह परीक्षा मानविकी (भाषाओं सहित), समाज शास्त्र, फोरेंसिक साइंस, पर्यावरणीय विज्ञान, कम्प्यूटर विज्ञान और इलेक्ट्रोनिक साइंस आदि विषयों में ली जाती है. इस बार यूजीसी की ओर से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा इस परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है. कनिष्ठ अनुसंधान फेलोशिप (जेआरएफ) उन उम्मीदवारों के लिए है, जो अनुसंधान करने के इच्छुक हैं. नेट में लेक्चरशिप के लिए पात्रता के लिए क्वालिफाई करने वाले उम्मीदवारों में से योग्यता क्रम के अनुसार जेआरएफ प्रदान की जाती है. जेआरएफ केवल उन उम्मीदवारों को प्रदान की जाती है, जो अपने आवेदन में जेआरएफ का विकल्प अपनाते हैं.
नेट परीक्षा प्रणाली
यूजीसी-नेट परीक्षा के तीन भाग होते हैं. प्रश्नपत्र-1 बुनियादी सामान्य प्रश्नपत्र है, जिसमें बहुविकल्पों वाले प्रश्न पूछे जाते हैं. प्रश्नपत्र 2 और 3 में भी बहुविकल्प प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, जो चुने हुए सम्बद्ध विषय से संबंधित होते हैं. सामान्य प्रश्नपत्र और विषय प्रश्नपत्र, किसी में भी नकारात्मक अंक नहीं दिए जाते हैं.
प्रश्नपत्र-1 का उद्देश्य शिक्षण में आपकी योग्यता और अनुसंधान अभिरुचि का मूल्यांकन करना है, जो उच्चतर शिक्षा में शिक्षक के बुनियादी गुण हैं. शिक्षकों से कुछ संज्ञानात्मक योग्यता की अपेक्षा की जाती है और इस प्रश्नपत्र के जरिए उनका परीक्षण किया जाता है. इसमें ५0 प्रश्न शामिल होते हैं. इनमें शिक्षण अभिरुचि, अनुसंधान रुझान, सामान्य बोध, संचार, गणितीय और तर्क योग्यता, आंकड़ों की व्याख्या, आईसीटी, लोग और पर्यावरण, उच्चतर शिक्षा प्रणाली-शासन, राजनीति और प्रशासन से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. इस प्रश्नपत्र में बहुविकल्पों वाले ५0 प्रश्न पूछे जाते हैं और प्रत्येक प्रश्न के 2 अंक होते हैं.
नेट परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए प्रश्नपत्र 1 में 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है, जिसका अर्थ है - इस प्रश्न पत्र में आपके कम से कम 20 उत्तर सही होने चाहिएं. यदि आप अपिव (गैर क्रीमीलेयर)/ शावि/अजा/अजजा श्रेणी से सम्बद्ध हैं, तो आपको प्रश्नपत्र 1 में 35 प्रतिशत अंक लेने होंगे.
प्रश्नपत्र 2 में वस्तुनिष्ठ प्रकार के 50 अनिवार्य सवाल पूछे जाते हैं, जो उम्मीदवार द्वारा 85 विषयों की सूची में से चुने गए विषय से संबंधित होते हैं. प्रत्येक प्रश्न के 2 अंक होते हैं. नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए आपको प्रश्नपत्र 2 में 40 प्रतिशत अंक लेने अनिवार्य हैं. अर्थात् इस प्रश्नपत्र में आपके कम से कम 20 सवाल सही होने चाहिएं. यदि आप अपिव (गैर क्रीमीलेयर)/शावि/ अजा/अजजा श्रेणी से सम्बद्ध हैं, तो आपको प्रश्नपत्र 1 में 35 प्रतिशत अंक लेने होंगे.
प्रश्नपत्र 3 में वस्तुनिष्ठ प्रकार के 75 अनिवार्य प्रश्न पूछे जाते हैं, जो उम्मीदवार द्वारा चुने हुए विषय से संबंधित होते हैं. प्रत्येक प्रश्न के 2 अंक होते हैं. नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए आपको प्रश्नपत्र 2 में 50 प्रतिशत अंक लेने अनिवार्य हैं. अर्थात् इस प्रश्नपत्र में आपके कम से कम 38 सवाल सही होने चाहिएं. यदि आप अपिव (गैर क्रीमीलेयर)/शावि/अजा/अजजा श्रेणी से सम्बद्ध हैं, तो आपको प्रश्नपत्र 1 में 40 प्रतिशत अंक लेने होंगे.
प्रश्नपत्र 2 और 3 के सभी सवाल अनिवार्य होंगे, जो पूरे सिलेबस (सभी वैकल्पिक विषयों से, बिना विकल्पों के) को कवर करते हैं. न्यूनतम उत्तीर्ण प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों में से विषयवार और श्रेणीवार एक योग्यता सूची तैयार की जाती है, जिसका आधार उम्मीदवारों द्वारा तीनों प्रश्नपत्रों में कुल प्राप्त अंकों को बनाया जाता है. योग्यता सूची में उच्च योग्यता क्रम (प्रत्येक विषय और श्रेणी के लिए) के अनुसार उम्मीदवारों को सहायक प्रोफेसर के लिए पात्र घोषित किया जाता है. नेट अर्हता प्राप्त उम्मीदवारों में से जेआरएफ प्रदान करने के लिए अलग से योग्यता सूची तैयार की जाती है.
(लेखक मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर में वरिष्ठ शिक्षक हैं और यूजीसी-नेट के प्रशिक्षक हैं. वे वर्तमान में महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र में अनुसंधान से सम्बद्ध हैं. ईमेल verma.mcrc@gmail.com व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं)
चित्र: गूगल के सौजन्य से