सिविल सर्विस के साक्षात्कार की तैयारी: सही परिप्रेक्ष्य
एस बी सिंह
सिविल सर्विसेज़ की मुख्य परीक्षा के परिणामों की घोषणा के साथ ही सफल उम्मीदवारों की मन:स्थिति पर उत्साह, भय और आशा के मनोभाव हावी हो जाते हैं, जो एक प्रकार से स्वाभाविक भी है, क्योंकि महीनों या यहां तक कि वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद सफलता लगभग उनके कदम चूमने को तैयार दिखाई देती है. यह इस प्रतियोगिता का सबसे ज्यादा परिवर्तनकारी चरण होता है, जो उम्मीदवार की पूरी दुनिया को बदल कर रख देता है. इसमें उनके जीवन के सारे मायने बदल देने की ताकत होती है. रातों-रात वह उम्मीदवार प्रतियोगी से अधिकारी बन जाता/जाती है. उसकी सामाजिक पहचान उसकी उम्मीद से ज्यादा बड़ी हो जाती है. परिवार के सदस्यों की खुशी का ठिकाना नहीं होता. वह मीडिया, रिश्तेदारों,दोस्तों,भावी प्रतियोगियों के आकर्षण का केंद्र बन जाता/जाती है. दरअसल यह कामयाबी उसे सुपर स्टार बना देती है और अगले साल के परीक्षा परिणामों की घोषणा होने तक वह इसी रुतबे का आनंद उठाता/उठाती है. यह सब बहुत शानदार दिखाई देता है, लेकिन ऐसा साक्षात्कार में उम्मीदवार का प्रदर्शन शानदार रहने पर ही संभव होता है. अन्यथा परिस्थिति विपरीत भी हो सकती है. साक्षात्कार में हताशाजनक प्रदर्शन उम्मीदवार को दोबारा पुरानी स्थिति में पहुंचा देता है और अपने ख्वाबों की नौकरी पाने के लिए उसे फिर से नए सिरे से अर्थात प्रारंभिक परीक्षा से शुरुआत करनी पड़ती है. सभी उम्मीदवार ऐसी स्थिति का सामना करने से डरते हैं क्योंकि सिविल सर्विसेज की परीक्षा की प्रक्रिया से दोबारा गुजरना किसी भयावह सपने जैसा है. इसकी तैयारी करने में एक साल से ज्यादा समय लगता है तथा हर अवस्था पर अनिश्चय के बादल मंडराते रहते हैं. इसलिए प्रत्येक उम्मीदवार आईएएस साक्षात्कार में सराहनीय प्रदर्शन करने की भरसक कोशिश करता है ताकि उसे फिर से वह जटिल परीक्षा ना देनी पड़े. लेकिन अच्छा प्रदर्शन केवल ख्याली पुलाव पकाने से ही सुनिश्चित नहीं हो जाता. साक्षात्कार के महत्वपूर्ण पहलुओं की अच्छी समझ ही उम्मीदवारों को इस उलझन से बचा सकती हैं.
सफलता और रैंकिंग में साक्षात्कार का महत्व: जैसा कि प्रसिद्ध है तीन चरणों वाली सिविल सर्विसेज परीक्षा उम्मीदवार की विभिन्न योग्यताओं का मूल्यांकन करने के लिए डिज़ाइन की गई है. प्रारंभिक परीक्षा, जांच प्रक्रिया के माध्यम से गैर गंभीर और अपात्र उम्मीदवारों को बाहर रखने के लिए डिज़ाइन की गई है. मुख्य परीक्षा शिक्षा के माध्यम से प्राप्त की गई उम्मीदवार की शैक्षणिक समझ के साथ ही साथ यूपीएससी की पाठ्यचर्या पर उसकी पकड़ और उसका/उसकी विश्लेषकीय और विवेचनात्मक विचार प्रक्रिया की परख करती है. साक्षात्कार चरण में जैसा कि स्वयं यूपीएससी का कहना है उम्मीदवार के व्यक्तित्व का परीक्षण होता है. इसलिए इसे यूपीएससी की शब्दावली में व्यक्तित्व परीक्षण के नाम से भी जाना जाता है. साधारण शब्दों में कहें, तो किसी भी नौकरी के साक्षात्कार का लक्ष्य या उद्देश्य उस नौकरी के इच्छुक उम्मीदवार की उपयुक्तता का आकलन करना होता है. उदाहरण के लिए सेना में कैप्टन की नौकरी के लिए साक्षात्कारकर्ताओं का बोर्ड उम्मीदवार के साहस, बहादुरी, मानसिक और शारीरिक तंदुरुस्ती, अनुशासन, नेतृत्व के गुणों की परख करेगा. इसी प्रकार किसी लेक्चरर के साक्षात्कार के लिए बोर्ड उसके अध्यापन संबंधी ज्ञान का परीक्षण करेगा. इस प्रकार आईएएस के लिए साक्षात्कार, सिविल सर्विसेज में कॅरिअर के संबंध में उम्मीदवार की उपयोगिता का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. उपयोगिता का परीक्षण साक्षात्कार के सत्र के दौरान उम्मीदवार की मानसिक, बौद्धिक और प्रशासनिक क्षमता की जांच के माध्यम से किया जाता है. उल्लेखनीय है कि अधिकतम 275 अंकों में से 190 से अधिक अंकों के जरिए साक्षात्कार उच्च रैंक प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है. दूसरे शब्दों में कहें तो मुख्य परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त नहीं करने के बावजूद, साक्षात्कार उम्मीदवारों को अच्छा रैंक प्राप्त करने के लिए और अंक जुटाने का एक और अवसर प्रदान करता है.आईएएस साक्षात्कार के लिए बेहतरीन मार्गदर्शक स्वयं यूपीएससी द्वारा जारी की गई अधिसूचना ही है. व्यक्तित्व परीक्षण के बारे में यूपीएससी की अधिसूचना को यहां उद्धृत करना उचित होगा.
ए. जिन गुणों का आकलन किया जाना है : इस संबंध में यूपीएससी का उद्धरण, ''उम्मीदवार का साक्षात्कार एक बोर्ड द्वारा लिया जाएगा, जिसके सामने उम्मीदवार के कॅरिअर का रिकॉर्ड होगा. उम्मीदवार से सामाजिक हित के विषयों पर प्रश्न पूछे जाएंगे. साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण का उद्देश्य लोक सेवा में कॅरिअर के लिए उम्मीदवार की उपयोगिता का सक्षम और निष्पक्ष पर्यवेक्षकों के बोर्ड द्वारा आकलन करना है. साक्षात्कार/ व्यक्तित्व परीक्षण का उद्देश्य उम्मीदवार के मानसिक सामर्थ्य का आकलन करना है. व्यापक संदर्भ में यह न केवल बौद्धिक गुणों, बल्कि सामाजिक विशेषताओं तथा समसामयिक मामलों में दिलचस्पी का आकलन है. जिन गुणों का आकलन किया जाना है, उनमें मानसिक सतर्कता, आत्मसात करने की महत्वपूर्ण सामर्थ्य, स्पष्ट और तार्किक प्रदर्शन, संतुलित निर्णय, अभिरुचि में विविधता और गहराई, सामाजिक सामंजस्य और नेतृत्व की योग्यता, बौद्धिक एवं नैतिक समग्रता शामिल है’
बी. साक्षात्कार की तकनीक: एक बार फिर से यूपीएससी का उद्धरण ''तकनीक जिरह वाली नहीं होगी, बल्कि सहज, लेकिन निर्देशित और उद्देश्यपूर्ण बातचीत होगी जिसका उद्देश्य उम्मीदवार के मानसिक गुणों को उद्घाटित करना है.
सी. स्वयं यूपीएससी के शब्दों में, ''साक्षात्कार का उद्देश्य उम्मीदवार के विशिष्ट अथवा सामान्य ज्ञान का परीक्षण करना नहीं है, जिसका परीक्षण पहले ही उनकी लिखित परीक्षा के दौरान किया जा चुका है. उम्मीदवारों से अपेक्षा की जाती है कि उन्होंने केवल अपने अकादमिक अध्ययन से संबंधित विषय विशेष में ही बौद्धिक दिलचस्पी न ली हो, बल्कि अपने राज्य और देश के भीतर तथा आसपास हो रही घटनाओं के साथ ही साथ आधुनिक दौर के चिंतन तथा सुशिक्षित नौजवानों में जिज्ञासा उत्पन्न करने वाली नई खोजों में भी उनकी रुचि हो.
यूपीएससी के साक्षात्कार बोर्ड की संरचना : कुल मिलाकर 8 से 10 बोर्ड होते हैं, जिनमें से प्रत्येक की अध्यक्षता यूपीएससी के सदस्य द्वारा की जाती है तथा चार बाहरी विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाता है. जिन्हें विषय विशेष के विशेषज्ञ (डोमेन एक्सपर्ट) कहा जाता है. आमतौर पर इन चार बाहरी विशेषज्ञों में आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, या समूह क से संबंधित रहे दो पूर्व लोक सेवक होते हैं. दो अन्य सदस्य शैक्षणिक, समाजसेवा, कला अथवा साहित्यिक पृष्ठभूमि के होते हैं. कृपया ध्यान दें, बोर्ड में कोई भी मनोवैज्ञानिक नहीं होता जैसा कि अक्सर बाजार के स्रोतों द्वारा कहा जाता है. प्रत्येक बोर्ड एक दिन में 10 उम्मीदवारों का साक्षात्कार करता है. इस प्रकार बोर्ड प्रतिदिन काफी व्यस्त रहता है.
शुरुआत कैसे होती है: जैसे ही उम्मीदवार साक्षात्कार कक्ष में प्रवेश करता है अभिवादन के आदान-प्रदान के पश्चात उसे बैठने को कहा जाता है. उसके बाद बोर्ड का अध्यक्ष उम्मीदवार के डीएएफ (विस्तृत आवेदन पत्र) के आधार पर कुछ प्रश्न पूछते हुए साक्षात्कार की शुरुआत करता है. डीएएफ में उम्मीदवार के बारे में कई तरह की जानकारी होती है. वह डीएएफ के अलावा भी प्रश्न पूछ सकता है. उसके बाद प्रत्येक सदस्य को बारी बारी उम्मीदवार से प्रश्न पूछने का अवसर दिया जाता है. आमतौर पर प्रत्येक सदस्य द्वारा दो से तीन प्रश्न पूछे जाते हैं और उम्मीदवार को प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 3 से 4 मिनट के भीतर देना होता है. यदि वह उत्तर देने में अधिक समय लेता/लेती है तो समय की कमी होने के कारण सदस्य उसे बीच में टोक सकता है.
अंक किस प्रकार दिए जाते हैं: उम्मीदवार के कमरे से बाहर निकलते ही सदस्यगण आपस में संक्षिप्त चर्चा करते हैं, जिससे उन्हें उम्मीदवारों के प्रदर्शन के स्तर पर सर्वसम्मति बनाने में मदद मिलती है. उसके बाद अध्यक्ष उम्मीदवार के लिए कुछ निश्चित अंक निर्धारित करने का सुझाव देता है जिसे आमतौर पर सभी सदस्य स्वीकार कर लेते हैं. यदि किसी सदस्य को लगता है कि अमुक उम्मीदवार को कुछ अधिक या कम अंक मिलने चाहिए तो इस पर सभी सदस्य विचार करते हैं और संशोधित अंक दे दिए जाते हैं. लेकिन आमतौर पर अंक प्रदान करना एक सुचारू प्रक्रिया है और इस संबंध में सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं होता.
बोर्ड के बारे में गोपनीयता किस प्रकार बरकरार रखी जाती है: अंतिम समय तक बोर्ड को उस दिन के लिए आवंटित किए गए उम्मीदवारों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती. प्रतिदिन सुबह साक्षात्कार की प्रक्रिया प्रारंभ होने से पहले बोर्ड को उन उम्मीदवारों की सूची उपलब्ध कराई जाती है, जिनका उसे साक्षात्कार लेना होता है. इसीलिए यूपीएससी के साक्षात्कार सभी के लिए निष्पक्ष समझे जाते हैं. इसी तरह उम्मीदवारों को भी इस बात की कोई जानकारी नहीं होती कि उनका सामना किस बोर्ड से होने वाला है. वे बिना इस बात की जानकारी के साक्षात्कार कक्ष में दाखिल होते हैं कि वहां कौन-कौन मौजूद हैं.
बोर्ड की वस्तुनिष्ठता, अपक्षपात और निष्पक्षता: बोर्ड की विशिष्ट विशेषता उसकी निष्पक्षता है. बोर्ड में जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र, भाषा आदि को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं होता. साथ ही बोर्ड को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी पृष्ठभूमि अभिजात्य है अथवा आप निर्धन पृष्ठभूमि से हैं. बोर्ड आपकी पृष्ठभूमि के स्थान पर आपके गुणों को महत्व देगा. साथ ही यदि आप औसत छात्र हैं, तो भी बोर्ड आपको योग्यता सिद्ध करने का उचित अवसर दिए बिना आपके बारे में कोई नकारात्मक धारणा नहीं बनाता. कुल मिलाकर यूपीएससी बोर्ड एक मैत्रीपूर्ण बोर्ड है और उससे भयभीत होने की कोई वजह नहीं है. बोर्ड के सदस्य सौहार्दपूर्ण, सहयोगपूर्ण और उत्साह बढ़ाने वाले हैं. उदाहरण के लिए अगर उन्हें लगे कि आप किसी क्षेत्र विशेष से जुड़े प्रश्न का उत्तर नहीं दे पा रहे हैं तो वे आपसे पूछते हैं कि आप किस विषय की ज्यादा जानकारी रखते हैं और यदि आप कोई क्षेत्र बताते हैं तो वे आपसे उसी के बारे में प्रश्न पूछते हैं. इसी तरह यदि आपके साक्षात्कार का माध्यम अंग्रेजी है और किसी प्रश्न का उत्तर अंग्रेजी में देते समय आपकी ज़बान लड़खड़ा रही है, तो वे आपके अनुरोध पर आपको उस प्रश्न का उत्तर हिंदी में देने की अनुमति देंगे. इस प्रकार बोर्ड में लचीलापन और तर्कसंगतता है. इसलिए किसी ऐसे प्रतिकूल बोर्ड की कल्पना करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जो आप को नीचा दिखाने की कोशिश करता हो. इसके विपरीत बोर्ड पूरे सत्र के दौरान आपको सहजता और इत्मीनान महसूस कराते हुए अपने गुणों को प्रकट करने का अवसर देता है.
बोर्ड का सामना करने के आधारभूत नियम:
I. ईमानदार रहिए: बोर्ड से कुछ भी छुपाने का प्रयास मत कीजिए. हमेशा सच बोलिए. केवल सच्चाई को ही सराहा जाएगा. यदि आप कोई बनावटी बात करेंगे तो निश्चित रूप से पकड़े जाएंगे.
II. विनम्र रहिए: विनीत और विनम्र रहिए. यह अहसास मत कराइए कि आप कठोर, अभिमानी आदि हैं.
III. शालीनता बरतें: शिष्टाचार बनाए रखें, सदस्यों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें.
IV. अपना वास्तविक और असली रूप दिखाइए: जो आप नहीं हैं, खुद को वैसा दिखाने की कोशिश भी मत कीजिए. बोर्ड के समक्ष अपना वास्तविक और असली रूप दिखाइए. बोर्ड को यह साबित करने की कोशिश मत कीजिए कि आप अनोखे हैं, क्योंकि वे आप में किसी सुपर हीरो की नहीं, बल्कि ज़मीन से जुड़े व्यक्ति को देखना चाहते हैं. दूसरे शब्दों’ में कहें, तो आपको कोई बनावटी रूप नहीं, बल्कि अपना असली व्यक्तित्व दर्शाने की जरूरत होती है.
V पूरे साक्षात्कार सत्र के दौरान चौकस, सतर्क और ऊर्जा से भरपूर रहिए: जब आप प्रश्नों का उत्तर दे रहे होते हैं, तो आपकी ऊर्जा के स्तर, आपके ध्यान और सतर्कता के पैमाने पर लगातार नजर रखी जा रही होती है. बोर्ड को कभी भी आलसी, गुमराह होने का आभास मत कराइए.
VI. जब आपको कोई उत्तर नहीं आता हो, तो साफ-साफ बताइए: निश्चित रूप से कुछ ऐसे प्रश्न होंगे, जिनका उत्तर संभवत: आप नहीं दे पाएंगे. यह बताने में कोई हर्ज नहीं है कि आप उस प्रश्न विशेष का उत्तर नहीं जानते. इसे स्वीकार करने से आपके बारे में कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा. यदि आप किसी ऐसी चीज का उत्तर देने का प्रयास करते हैं जिसे आप नहीं जानते हैं, तो आपकी स्थिति काफी अटपटी हो जाएगी.
VII. यूपीएससी की अधिसूचना को ध्यान से पढ़िए: साक्षात्कार के उद्देश्य और तकनीक के बारे में यूपीएससी की व्याख्या से बेहतर कोई मार्गदर्शक नहीं हो सकता, जिसका उल्लेख इस लेख में ऊपर किया गया है. इससे आपको बोर्ड के सामने स्पष्ट उत्तर देने में मदद मिलेगी, जिसकी आपसे अपेक्षा होती है.
VIII अपने डीएएफ का समर्थन कीजिए: अपने डीएएफ में आपके द्वारा दी गई जानकारी पूरी तरह से आपकी है और उसमें दी गई प्रत्येक जानकारी के लिए आप स्वयं जिम्मेदार हैं. आपको उसका बचाव करने में सक्षम होना चाहिए. इसलिए, कभी भी ऐसी कोई जानकारी न दें जिसका समर्थन करना आपके लिए मुश्किल हो, विशेष रूप से आपके शौक, पाठ्येतर गतिविधियों, नौकरी के अनुभव के संबंध में. यदि आप इनके बारे में बोलते हुए हड़बड़ा गए, तो इसका नकारात्मक प्रभाव होगा.
IX. साक्षात्कार की तैयारी को सामान्य ज्ञान की तैयारी जैसा न बनाएं: हमेशा याद रखें, आईएएस का साक्षात्कार, बोर्ड के साथ इंटरेक्टिव और असरदार बातचीत है. इसलिए मुद्दों को जीएस की दृष्टि से तैयार नहीं किया जा सकता. आपका दृष्टिकोण ऐसा होना चाहिए कि आप अपेक्षित मुद्दों पर बोर्ड के सामने ढेर सारी जानकारी परोसेने की बजाय उसके सदस्यों के साथ बातचीत करें.
X. अपने दिमाग को साक्षात्कार से जुड़े मिथकों में मत उलझाइए: हाल ही में, कोचिंग से जुड़े हर दूसरे व्यक्ति ने बोर्ड के अंदर क्या होता है, इसे जाने बगैर ही साक्षात्कार विशेषज्ञ की भूमिका निभानी शुरु कर दी. यह बात आपको साक्षात्कार की हकीकत से दूर कर देगी और आपकी तैयारी को गलत दिशा में ले जाएगी. अप्रमाणित लोगों से मार्गदर्शन लेने की बजाए प्रमाणित, सक्षम व्यक्तियों से मार्गदर्शन प्राप्त करना समझदारी होगी.
(एस बी सिंह आईएएस साक्षात्कार परामर्शदाता हैं. उनसे उनके ईमेल: sb_singh2003@yahoo.com पर संपर्क किया जा सकता है.)
व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.