वैज्ञानिक अनुसंधान में कॅरिअर के अवसर
आरती एस
म जो भी आविष्कार देखते हैं, वे एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा किए गए अनुसंधान के परिणाम होते हैं. इन आविष्कारों में दवाएं, बिजली, टेलीविजन, कम्प्यूटर, वाहन, मोबाइल फोन और इंटरनेट आदि शामिल हैं. किसी देश की प्रगति को अनुसंधान में उसके योगदान से भी मापा जाता है. सकारात्मक परिणाम देने वाला कोई भी अनुसंधान बड़ी संख्या में लोगों के लिए और कई मामलों में पूरे विश्व के लिए फायदेमंद होता है जैसा कि हम कोरोना वैक्सीन के उदाहरण से देख सकते हैं.
कई मायनों में अनुसंधान एक अकादमिक धारा है और इसे रुचि और कॅरिअर दोनों के रूप में आगे बढ़ाया जा सकता है. प्रत्येक विषय में अनुसंधान की संभावना होती है ताकि नए आयाम खोजे जा सकें और मूल्यवर्धन किया जा सके. हालांकि विज्ञान जगत में सबसे अधिक अनुसंधान होते हैं. यह लेख उन लोगों के लिए है जो इस क्षेत्र का हिस्सा बनने के इच्छुक हैं. विज्ञान के सभी विषयों में अनुसंधान किया जा सकता है. अनुसंधान के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए आपकी रुचि इस विषय में और अनुसंधान में भी होनी चाहिए. अनुसंधान के लिए लोकप्रिय विज्ञान विषयों में भौतिकी, रसायन विज्ञान, प्राणी विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जैव रसायन, जैव प्रौद्योगिकी, भेषज विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान, खगोल भौतिकी, आनुवंशिकी, डेयरी विज्ञान, वानिकी, बागवानी, भूविज्ञान, मौसम विज्ञान, धातु विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान शामिल हैं.
भारत में अनुसंधान नेटवर्क
अनुसंधान के महत्व को ध्यान में रखते हुए, स्वतंत्रता के बाद विज्ञान की सभी बड़ी और कई छोटी शाखाओं में अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के लिए कदम उठाए गए. ऐसे कई संस्थान अब आकार में काफी बड़े हो गए हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्राप्त कर चुके हैं.
हम कह सकते हैं कि हमारे देश ने विज्ञान की हर धारा के लिए एक अनुसंधान नेटवर्क विकसित करने के लिए बड़ा निवेश किया है. कई बड़े संगठन, अनुसंधान प्रतिष्ठान और प्रयोगशालाएं हैं.
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआई एससी): 1909 में स्थापित बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान, न केवल भारत में बल्कि विश्व में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक प्रमुख निकाय है. इसे हाल ही में नवीनतम क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में प्रति संकाय उद्धरण के संदर्भ में दुनिया के शीर्ष अनुसंधान विश्वविद्यालय के रूप में स्थान दिया गया है. तीन वर्ष पहले इसे इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी के रूप में अधिसूचित किया गया था. यह वैश्विक रैंकिंग में भी शीर्ष पर है.
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) : सीएसआईआर की स्थापना विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विविध क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान प्रदान करने के लिए की गई है. देशभर में फैली 37 प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के साथ, इसका 1100 से अधिक अद्वितीय पेटेंट का पेटेंट पोर्टफोलियो है. सीएसआईआर के पास कई छात्रवृत्ति योजनाएं हैं और यह भारत से बाहर के संस्थानों द्वारा दी जाने वाली अनुसंधान छात्रवृत्ति, फैलोशिप और अवार्ड के लिए भी समन्वय करती है. अब तक लगभग 4350 वैज्ञानिक और तकनीकी कार्मिकों द्वारा समर्थित लगभग 3460 वैज्ञानिक सीएसआईआर के अधीन काम कर रहे हैं.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर): आईसीएआर भारतीय कृषि की उत्पादकता बढ़ाने और वैविध्य के लिए कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार गतिविधियों को बढ़ावा देने में व्यस्त है. यह पूरे देश में बागवानी, मत्स्यपालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान और शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन और प्रबंधन का शीर्ष निकाय है. देश में इसके सौ से अधिक संस्थान और 71 कृषि विश्वविद्यालय हैं. परिषद ने अपने अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से भारत में हरित क्रांति और कृषि के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है.
टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (टीआईएफआर) : टीआईएफआर परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत एक अनुसंधान संगठन है, यह मास्टर और डॉक्टरेट कार्यक्रमों के लिए डिग्री प्रदान करने वाला एक मानित विश्वविद्यालय भी है. संस्थान की स्थापना 1945 में हुई थी और यह भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित, कम्प्यूटर विज्ञान और विज्ञान शिक्षा में बुनियादी अनुसंधान करता है. इसका मुख्य परिसर मुंबई में स्थित है, और केंद्र पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद में हैं.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो): इसरो को कौन नहीं जानता है. यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा के लिए जिम्मेदार एजेंसी है. इसके केंद्र चंडीगढ़, जोधपुर, उदयपुर, अहमदाबाद, माउंट आबू, भोपाल, मुंबई, हसन, बेंगलुरु, नई दिल्ली, श्री हरिकोटा, पोर्ट ब्लेयर, तिरुपति, नागपुर, हैदराबाद, शिलांग, कोलकाता और कुछ अन्य स्थानों पर हैं.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ): डीआरडीओ की स्थापना रक्षा प्रौद्योगिकियों और उपकरणों में अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास करने के लिए की गई थी और अब यह 50 से अधिक प्रयोगशालाओं के एक नेटवर्क में विकसित हो गया है जो लगातार वैमानिकी, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहनों, इंजीनियरिंग सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन, मिसाइल, उन्नत कम्प्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणाली आदि के विकास में शामिल हैं. डीआरडीओ ने स्वदेशी रूप से मिसाइलों की अग्नि और पृथ्वी शृंखला विकसित की है.
राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी): 1953 में स्थापित, एनआरडीसी विभिन्न अनुसंधान और विकास संस्थानों, विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों, आविष्कारों और पेटेंट तथा प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने, विकसित करने और व्यावसायीकरण करने में रत है. इसने अनुसंधान में लगे निकायों का एक व्यापक नेटवर्क बनाया है. एनआरडीसी लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्रों के लिए प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों के एक बड़े भंडार के रूप में मान्यता प्राप्त है.
सीएसआईआर या आईसीएआर/अन्य निकायों के अंतर्गत आने वाले या अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले कुछ प्रसिद्ध सरकारी अनुसंधान संस्थानों के नाम नीचे दिए गए हैं.
· भारतीय विज्ञान संवर्धन संघ, जादवपुर
· खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर
· जीवन विज्ञान संस्थान, भुवनेश्वर
· भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु
· राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल
· अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, फरीदाबाद
· साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स, कोलकाता
· भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ
· सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, कोलकाता
· नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट हेल्थ मैनेजमेंट, हैदराबाद
· राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद
· केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन, चंडीगढ़
· सीरोलॉजी संस्थान, कोलकाता
· माइक्रोबियल प्रौद्योगिकी संस्थान, चंडीगढ़
· भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे
· पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़
· जवाहरलाल नेहरू एल्यूमिनियम अनुसंधान विकास और डिजाइन केंद्र, नागपुर
· भौतिकीय अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद
· राष्ट्रीय पशु जैवप्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद
· भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान, नवी मुंबई
· माइक्रोवेव ट्यूब अनुसंधान और विकास केंद्र, बेंगलुरु
· रक्षा धातुकर्म अनुसंधान प्रयोगशाला, हैदराबाद
· नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, नई दिल्ली
· विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड, नई दिल्ली
· जवाहरलाल नेहरू वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु
· राष्ट्रीय कोशिका विज्ञान संस्थान, पुणे
· खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर
· भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई
· राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद
अनुसंधान अध्ययन कहा करें
जो व्यक्ति विज्ञान विषय में अनुसंधान के लिए पी.एचडी. करने में रुचि रखते हैं उनके पास निम्नलिखित में से किसी में प्रवेश लेने का विकल्प है :
विश्वविद्यालय : लगभग हर सरकारी विश्वविद्यालय/कृषि विश्वविद्यालय वैज्ञानिक अनुसंधान में अवसर प्रदान करता है. उचित साख वाले प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालयों पर भी विचार किया जा सकता है.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) : पुराने आईआईटी (जैसे आईआईटी, कानपुर, मुंबई, खडगपुर, मद्रास) हैं जो इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक विषयों में अनुसंधान में शामिल हैं. विभिन्न नए आईआईटी भी ऐसी अनुसंधान सुविधाओं से लैस हैं.
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) : एनआईटी अन्य स्थानों के अलावा सुरथकल, वारंगल कुरुक्षेत्र, तिरुचिरापल्ली, राउरकेला, वारंगल, नागपुर में स्थापित हैं और उनके पास पी.एचडी. कराने की सुविधा है.
भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) पुणे, मोहाली, भोपाल, बेरहामपुर, तिरुपति, कोलकाता तुलनात्मक रूप से नए प्रतिष्ठान हैं, लेकिन अनुसंधान में एक अच्छी पहचान बनाई है.
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के एसएएस नगर / गुवाहाटी, अहमदाबाद में केंद्र हैं और ये फार्मास्युटिकल साइंस में अनुसंधान करते हैं. इनके अतिरिक्त और भी कई संस्थान हैं.
अनुसंधान में कॅरिअर के लिए प्रवेश
अधिकांश मामलों में अनुसंधान पीएच.डी. योग्यता से जुड़ा है. पीएच.डी. प्राप्त करने के लिए हमारे देश में सामान्य रास्ता यह है कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा आयोजित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग- राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी-नेट) में अर्हता प्राप्त की जाए और फिर जूनियर रिसर्च फेलोशिप के साथ विश्वविद्यालयों में अनुसंधान के लिए प्रवेश लिया जाए. सामान्य समय में यूजीसी-नेट वर्ष में दो बार आयोजित किया जाता है और जो अपने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में बैठने वाले हैं या पाठ्यक्रम पूरा कर चुके हैं वे इस परीक्षा के लिए आवेदन करने के पात्र होते हैं. कुछ संस्थानों में अनुसंधान करने के लिए गेट स्कोर की आवश्यकता हो सकती है.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने इंस्पायर फेलोशिप योजना शुरू की थी. यह फेलोशिप पी.एचडी. करने के लिए है. इसी तरह की फैलोशिप भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाती है.
किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (केवीपीवाई) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम है जो विज्ञान में अनुसंधान आधारित कॅरिअर बनाने के लिए बुनियादी विज्ञान विषयों के छात्रों को प्रोत्साहित करता है. केवीपीवाई फैलो नामक चयनित छात्रों को फैलोशिप और आकस्मिक अनुदान प्रदान किया जाता है. पूर्व पी.एचडी. स्तर तक या 5 वर्ष तक जो भी पहले हो केवीपीवाई अध्येताओं के लिए ग्रीष्मकालीन शिविर देश के प्रतिष्ठित अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों में भी आयोजित किए जाते हैं.
केवीपीवाई के लिए मानक चयन प्रक्रिया में एप्टीट्यूड टेस्ट और साक्षात्कार शामिल होते हैं. एप्टीट्यूड टेस्ट तीन धाराओं के तहत आयोजित किया जाता है. एसए विधा में ग्यारहवीं कक्षा में नामांकित और दसवीं बोर्ड परीक्षा में गणित और विज्ञान विषयों में कुल मिलाकर न्यूनतम निर्धारित अंक (उनकी श्रेणी के अनुसार) प्राप्त करने वाले छात्र एप्टीट्यूड टेस्ट के लिए उपस्थित होने के पात्र हैं. विज्ञान विषयों में बारहवीं कक्षा/(+2) में नामांकित छात्रों के लिए एसएक्स विधा है जबकि एसबी विधा बुनियादी विज्ञान अर्थात् भौतिकी / रसायन विज्ञान / गणित और जीव विज्ञान में स्नातक कार्यक्रम के प्रथम वर्ष में नामांकित छात्रों के लिए है. केवीपीवाई के लिए एक विशेष वेबसाइट है जहां सभी पात्रता मानदंडों को स्पष्ट किया गया है. चयनित छात्रों की फेलोशिप तभी सक्रिय होती है जब वे विज्ञान के पात्र पाठ्यक्रमों में शामिल होते हैं.
जो लोग वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए अपनी योग्यता की पहचान जल्दी कर लेते हैं, उन्हें यह योजना अत्यधिक सहायक लगेगी.
दूसरा तरीका किसी अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित पी.एचडी. में शामिल होना है. बड़ी संख्या में संस्थान हैं, जिनमें से ज्यादातर सरकारी क्षेत्र में हैं, जिनमें ऊपर सूचीबद्ध संस्थान भी शामिल हैं, जो अपने पीएच.डी. कार्यक्रम में प्रवेश के लिए नोटिस जारी करते हैं. हाल ही में रीजनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी, फरीदाबाद और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने अपने पी.एचडी. कार्यक्रम के नए सत्र की घोषणा की.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विभिन्न विश्वविद्यालयों में काम कर रहे अनुसंधानकर्त्ताओं के लाभ के लिए अत्याधुनिक उपकरण और सुविधाएं प्रदान करने के लिए अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र (आईयूसी) की स्थापना की है.
अनुसंधान आधारित कॅरिअर में प्रवेश
ऐसे कई मार्ग हैं जिनसे आप विज्ञान में अनुसंधान आधारित कॅरिअर में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं. प्रमुख मार्ग को वास्तविक मामलों के साथ समझाया गया है.
तकनीकी सहायक : कुछ संगठन, ज्यादातर सरकारी क्षेत्र की प्रयोगशालाएं ऐसे प्रथम श्रेणी के विज्ञान स्नातकों को तकनीकी सहायक के पद प्रदान करती हैं जिनके पास 1-2 वर्ष का पेशेवर अनुभव / योग्यता है. ये तकनीकी सहायक अनुसंधान करने में सहायता करते हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल बायोलॉजी, चंडीगढ़ ने जूनियर रिसर्च फेलो और रिसर्च एसोसिएट के चयन की प्रक्रिया की घोषणा की है.
वैज्ञानिक बी : एक वैध गेट स्कोर के साथ इंजीनियरिंग स्नातक और विज्ञान में स्नातकोत्तर, भारतीय मानक ब्यूरो जैसे सरकारी संस्थानों में वैज्ञानिक बी के रूप में कार्य तलाश सकते हैं.
वैज्ञानिक: वैज्ञानिक पद पर काम करने के लिए आपको आमतौर पर विज्ञान की एक विशेष धारा में पीएच.डी. होना चाहिए.
वरिष्ठ वैज्ञानिक : वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद के लिए वैसी ही जरूरतें हैं जैसी वैज्ञानिक की होती हैं. हालांकि आपको 2-3 वर्ष का अनुभव होना चाहिए. आप इस पद पर लेटरल एंट्री या संगठन के भीतर पदोन्नति के माध्यम से शामिल हो सकते हैं. प्रधान वैज्ञानिक के लिए न्यूनतम आवश्यक अनुभव 3 वर्ष का पोस्ट डॉक्टरेट है. वरिष्ठ वैज्ञानिकों को प्रधान वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर पदोन्नत किया जा सकता हं.
अध्येताओं के पद अनुसंधान में दिग्गजों के लिए है.
कुछ संस्थान रोलिंग आधार पर वैज्ञानिकों को लेते हैं जिसका अर्थ है कि उम्मीदवारों को विशेष रिक्तियों के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता है और आवेदन पूरे वर्ष जमा किए जा सकते हैं. न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में स्टाइपेंडरी ट्रेनी/वैज्ञानिक सहायक की एक योजना है. भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग जैसे संगठनों में भी वैज्ञानिक अधिकारियों की भर्ती की जाती है.
निजी क्षेत्र की कई कंपनियां अपने उत्पादों या मूल्य वर्धित उत्पादों के नए रूपों के साथ आने के लिए अनुसंधान और विकास पर पर्याप्त राशि खर्च करती हैं. इस तरह के अनुसंधान को उनके द्वारा लागत कम करने, उत्पादों के शेल्फ जीवन में सुधार करने और उनके अनुभव और रूप को बेहतर बनाने के लिए भी उपयोगी माना जाता है. ये कंपनियां अच्छी तरह से जानती हैं कि अनुसंधान में निवेश करने से अंतत: उनकी प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा. विकसित देश वैज्ञानिक अनुसंधान के मामले में काफी आगे हैं. ये अपने अनुसंधान केंद्रों में काम करने के लिए भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों से बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करते हैं. ऐसे देशों के अनुसंधानकर्त्ताओं के लिए विभिन्न अनुसंधान छात्रवृत्तियां / अध्येतावृत्तियां भी उपलब्ध हैं. अपने अनुभव के आधार पर कोई भी व्यक्ति पीएच.डी. छात्रों के लिए एक अनुसंधान मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर सकता है.
किसी अनुसंधान कॅरिअर के लिए आंतरिक प्रेरणा, समर्पण और जिज्ञासा की आवश्यकता होती है. आपको उच्च स्तर का धैर्य रखने की आवश्यकता होती है, यह देखते हुए कि परिणाम खोजने या परियोजना के पूरा होने तक पहुंचने में लंबा समय लग सकता है. कई मामलों में वैज्ञानिकों की एक टीम एक परियोजना में शामिल होती है, इसलिए एक अच्छा टीम प्लेयर होना भी जरूरी है.
(यहां दी गई सूचियां सांकेतिक हैं और संपूर्ण नहीं हैं)
(लेखिका मुंबई में कॅरिअर काउंसलर हैं. उनसे artmumb98@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)
व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.