योजना और वास्तुकला के क्षेत्र में कैरियर के अवसर
विजय प्रकाश श्रीवास्तव
'आर्किटेक्चर' (वास्तुकला) शब्द की उत्पत्ति प्राचीन यूनान में हुई थी और इसका अनुवाद 'मास्टर शिल्प कौशल (शिल्पकारिता) में हुआ था। वास्तुकला और योजना की भूमिका, संदर्भ, प्रासंगिकता और महत्व को समझने के लिए विश्व प्रसिद्ध ताजमहल को एक बेहतरीन उदाहरण माना जा सकता है। प्राचीन और दुनिया के सांतवें आश्चर्य के रुप में चर्चित ताजमहल के डिजाइन और निर्माण (बनावट) में किए गए प्रयासों के बारे में सोचने पर आप महसूस करेंगे कि वास्तुकला ने कैसे दुनिया भर में कारगर तरीके से योगदान दिया है।
हम असाधारण और एक से बढ़कर एक इमारतों के साथ-साथ प्राचीन सभ्यताओं के बहुमूल्य अवशेषों सहित विभिन्न प्रकार के संरचनाओं वाले इमारतों से घिरे हुए हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों ही परिस्थितियों में, हमारे पास अनेकों तरह की बनावट और अलग अलग आकार के साथ-साथ विशेष संरचना वाले भवन हैं, जिनमें धार्मिक स्थल जैसे मंदिर, मस्जिद एवं चर्च, के साथ ही होटल, अस्पताल, कार्यालय परिसर, शैक्षणिक संस्थान इत्यादि जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इन जगहों पर अभियंताओं और मजदूरों की मदद से वास्तुकला की सुंदर बनावट का निर्माण किया गया है।
वास्तुकार खरीदार की जरूरत को समझते हुए लागत और समय के अनुसार परियोजना के लिए नक्शा (रेखा-चित्र) और इसका नमूना तैयार करते हैं। निर्माण कार्य समय और योजना के अनुसार हो यह सुनिश्चित करने के लिए वह बिल्डरों (मकान बनाने वाले) के साथ आपसी तालमेल (सामंजस्य) के साथ काम करते हैं। वह रोजाना निर्माण स्थल पर जाकर संसाधनों का आवंटन करते हैं और निर्माण कार्य प्रगति समीक्षा और निगरानी करते हैं। एक वास्तुकार का काम यह सुनिश्चित करना है कि जो संरचना बनाई जा रही है वह एक खास गुणवत्ता के मानकों अनुरुप हो साथ ही वह टिकाऊ होने के साथ ही कार्यात्मक और सौंदर्य के दृष्टिकोण से त्रुटिरहित हो।
वास्तुकला इंजीनियरिंग, विज्ञान, कला और संस्कृति का मिलाजुला स्वरुप है। तेजी से शहरीकरण, औद्योगीकरण और आर्थिक प्रगति के साथ ही ऐसे निजी और सार्वजनिक स्थानों की मांग बढ़ी है, जो कुशल और सौंदर्य के दृष्टिकोण से बेहतर हो। इनमें किफायती और आरामदायक (विलासिता) दोनों हिस्सें (सेगमेंट) शामिल हैं। महामारी से पहले के दौर वाला रियल एस्टेट बूम फिर से लौट आया है और यह देश में वास्तुकला के क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों के लिए अच्छा संकेत है। इसके साथ ही कंप्यूटर एडेड डिजाइनिंग (सीएडी), नए सॉफ्टवेयर प्रोग्राम और भवन निर्माण में नई प्रौद्योगिकियों के आगमन के साथ, वास्तुकार (आर्किटेक्ट) और योजनाकारों के लिए काम और अधिक रोचक और आकर्षक हो गया है। योजना बनाने वाले (नियोजक) आमतौर पर नगरीय और शहरी नियोजन में शामिल होते हैं।
74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने शहरी स्थानीय निकायों को विकास कार्य करने का अधिकार दिया है, जिसके कारण सभी स्तरों पर योग्य योजनाकारों की आवश्यकता बढ़ गई है। हमारे देश में आजादी के बाद से लगातार शहरीकरण बढ़ रहा है, और हाल के वर्षों में इसमें तेजी आई है है जिसे पेशेवरों योजनाकारों के जरिए उचित तरीके से प्रबंधन किए जाने की आवश्यकता है।
वास्तुकला और योजना में अकादमिक पाठ्यक्रम
वास्तुकला में स्नातक (बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर) (बी आर्क): इस पाठ्यक्रम में शामिल विषय इस प्रकार है- निर्माण और सामग्री, डिजाइन और संरचनाओं का सिद्धांत, वास्तुशिल्प प्रतिनिधित्व और विवरण, संरचनाओं का सिद्धांत और डिजाइन, पर्यावरण अध्ययन, वास्तुशिल्प सिद्धांत, टिकाऊ भवन की अवधारणा, जल दक्षता सामग्री दक्षता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, वास्तु ग्राफिक्स और ड्राइंग, कंप्यूटर सहायता प्राप्त चित्र और ग्राफिक्स, साइट सर्वेक्षण और विश्लेषण, मात्रा सर्वेक्षण और विनिर्देश, परियोजना प्रबंधन, शहरी अध्ययन, आदि।
वास्तुकला के अध्ययन के लिए बहुत व्यावहारिक तौर पर कार्य प्रदर्शन की आवश्यकता होती है। इसलिए, बी.आर्क पाठ्यक्रम के दौरान, आमतौर पर चौथे वर्ष के दूसरे सेमेस्टर से औपचारिक व्यावहारिक प्रशिक्षण शुरू होता है। एक छात्र को अभ्यास करने वाले वास्तुकार के तहत व्यावहारिक प्रशिक्षण लेना होता है, जिसे वास्तुकला परिषद के साथ पंजीकृत होना चाहिए। इस प्रशिक्षण के दौरान छात्र खरीदार प्रबंधन, एवं बाजार की आवश्यकताओं से परिचित हो जाते हैं और उन्हें वास्तु अभ्यास में शामिल सभी प्रकार की संभावनाओं और बाधाओं से कैसे निपटना चाहिए, इसकी भी जानकारी हो जाती है।
पाठ्यक्रम के 5वें यानि अंतिम वर्ष के दौरान, व्यावहारिक अध्ययन के लिए डिजाइन, भवन प्रौद्योगिकी, संरचनाओं में प्रगति को लिया जाता है। छात्रों को अपनी पसंद के कुछ वैकल्पिक विषयों को चुनने की अनुमति है ताकि वे अपनी पसंद के आधार पर अपना करियर बना सकें।
अंतिम सेमेस्टर आमतौर पर थीसिस कार्य के लिए समर्पित होता है। सैद्धांतिक और व्यावहारिक अध्ययन से प्राप्त सभी तरह ज्ञान के आधार पर, छात्र अपनी थीसिस के साथ आने के लिए कुछ खास (विशिष्ट) विषयों (मुद्दों) पर काम करते हैं। पेशेवर अभ्यास/आचरण, मूल्यांकन मध्यस्थता जैसी चीजें भी उभरते वास्तुकारों द्वारा उनके पाठ्यक्रम के समाप्त होने से पहले सीख ली जानी चाहिए।
योजना में स्नातक (बैचलर ऑफ प्लानिंग) (बी प्लान): इस कोर्स में सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र और परिवहन, पर्यावरण, कानून और नीतियां, बुनियादी ढांचे आदि के ज्ञान का मिलाजुला स्वरूप है। बी.प्लान के पाठ्यक्रम में डेटा विश्लेषण, ग्राफिक प्रतिनिधित्व, रिपोर्ट लेखन, तकनीकी ड्राइंग शामिल है। , शहरी और क्षेत्रीय योजना के मूल तत्व, सर्वेक्षण, नियोजन में सांख्यिकीय और मात्रात्मक तरीके, निर्माण संरचनाएं, सामग्री और निर्माण के सिद्धांत, पड़ोस / संपत्ति / उपयोगिताएँ / सेवाएँ / साइट / परिदृश्य / परिवहन योजना, सीएडी (कंप्यूटर एडेड डिज़ाइन) अनुप्रयोग, टिकाऊ शहरी प्रबंधन/विकास, अनौपचारिक क्षेत्र का नियोजन प्रबंधन, शहरी संरक्षण, योजना में जीआईएस और भू-सूचना विज्ञान, शहरी प्रशासन, वैश्विक शहरों और विशेष क्षेत्रों के लिए योजना, पर्यावरण और अन्य परियोजनाओं में सार्वजनिक निजी भागीदारी के साथ परियोजना कार्य और इंटर्नशिप पाठ्यक्रम के अभिन्न अंग हैं।
योग्यता और कौशल
वास्तुकार या योजनाकार (आर्किटेक्ट या प्लानर) बनने का रास्ता एकदम सीधी रेखा की तरह होता है। एसएससी या 10+2 की परीक्षा पूरी करने के बाद आर्किटेक्चर/प्लानिंग का औपचारिक रुप से पढाई किया जा सकता है। ज्यादातर मामलों में, गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान के साथ 10+2 पूरा करने वाले उम्मीदवारों को इसके लिए योग्य माना जाता है।
कोई भी वास्तुकला में स्नातकोत्तर (मास्टर ऑफ आर्किटेक्चर) (एम आर्क) या योजना में स्नातकोत्तर (मास्टर ऑफ प्लानिंग) (एम प्लान) का अध्ययन कर सकता है, जिसे पूरा करने में कम से कम दो साल का समय लगता हैं।
वास्तुकला परिषद (सीओए)
वास्तुकला परिषद (आर्किटेक्चर काउंसिल) (COA) आर्किटेक्ट्स एक्ट 1972 को लागू करने के लिए भारत सरकार की ओर से गठित एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है। COA आर्किटेक्चरल प्रोफेशन (पेशा) का नियमन (रेगुलेट) करता है, वास्तुकार (आर्किटेक्ट्स) के पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) की प्रक्रिया और उससे संबंधित कार्यों को देखता है, इसके अलावा देश भर में वास्तुकला शिक्षा (आर्किटेक्चरल एजुकेशन) का नियमन (रेगुलेट) करता है और वास्तुकार (आर्किटेक्ट्स) का एक रजिस्टर रखता है। सीओए केंद्र सरकार की सहमति से समय-समय पर नियम बनाती है हलांकि, ऐसे नियम वास्तुकार अधिनियम के अनुरूप होने चाहिए।
प्रवेश परीक्षा
(जेईई) मेन: आईआईटी, एनआईटी और अन्य केंद्रीय वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों में उम्मीदवारों के लिए स्नातक वास्तुकला पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कक्षा 12 / अन्य योग्यता परीक्षा और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मुख्य में प्रदर्शन शामिल है। इसका मतलब है कि जो लोग आईआईटी (IIT) या एनआईटी (NIT) में बी.आर्क/बी.प्लान (B.Arch/B.Plan) करना चाहते हैं, उन्हें जेईई (JEE) मेन में पास (क्वालिफाई) करना होगा।
पाठ्यक्रम: वास्तुकला से संबंधित परीक्षा के पाठ्यक्रम में निम्नलिखित विषय वस्तु शामिल हैं:
• द्वि-आयामी चित्रों से त्रि-आयामी वस्तुओं की कल्पना करना
• तीन आयामी वस्तुओं के विभिन्न पक्ष
• स्थानों, इमारतों, सामग्रियों, वस्तुओं, बनावट और निर्माण-पर्यावरण के बारे में जागरूकता
• विश्लेषणात्मक तर्क
• मानसिक क्षमता - संख्यात्मक, दृश्य और मौखिक
• स्मारकों, सार्वजनिक स्थानों, त्योहारों, सड़क के दृश्यों, बाजारों, मनोरंजन स्थलों आदि सहित शहरी परिदृश्य से दृश्यों और गतिविधियों का रेखाचित्र (स्केचिंग); परिदृश्य (नदी के किनारे, जंगल, पौधे, पेड़ आदि), ग्रामीण जीवन के दृश्य
• त्रिविमीय वस्तुओं, वस्तुओं के पैमाने और अनुपात को समझना
• रंग बनावट, सामंजस्य, रूप और निर्माण के तत्व
• पेंसिल से ज्यामितीय और अमूर्त आकृतियों और पैटर्न की डिजाइनिंग और ड्राइंग
• 2डी और 3डी संयोजित रूपों का परिवर्तन, वस्तुओं का परिक्रमण, उन्नयन और 3डी दृश्य।
योजना से संबंधित परीक्षा के पाठ्यक्रम में निम्नलिखित शामिल हैं:
• समझ, आलोचनात्मक सोच और विश्लेषणात्मक कौशल
• रेखांकन, चार्ट और मानचित्रों के लिए पठन कौशल
• सरल आँकड़े
• विकास के मुद्दों के बारे में सामान्य जागरूकता
• सरकारी कार्यक्रम और योजनाएं आदि।
• सामाजिक विज्ञान विषय (कक्षा X सीबीएसई)
प्रश्न का स्वरूप (पैटर्न): बी. आर्क में प्रवेश के लिए पेपर में ड्राइंग सेक्शन में 50-50 अंकों के दो प्रश्न होते हैं; सामान्य योग्यता अनुभाग में प्रत्येक में 4 अंकों के 50 प्रश्न; गणित के प्रत्येक खंड में 4 अंक के 25 प्रश्न होते हैं।
बी. प्लान के पेपर की संरचना भिन्न होती है, जिसमें प्रत्येक प्रश्न के 4 अंक और कुल 25 योजना आधारित प्रश्न होते हैं; योग्यता आधारित 25 प्रश्न प्रत्येक 4 अंक के; गणित खंड में प्रत्येक प्रश्न 4 अंक के और कुल 25 प्रश्न होते हैं।
प्रमुख संस्थानों में परास्नातक पाठ्यक्रमों के लिए, उम्मीदवारों के पास वैध गेट स्कोर होना चाहिए और केंद्रीकृत परामर्श (सीसीएमटी) में भाग लेना चाहिए जो एम. आर्क और कई अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक साझा प्लेटफॉर्म है।
एनएटीए (NATA): अन्य संस्थानों में स्नातक स्तर पर आर्किटेक्चर का अध्ययन करने के लिए, उम्मीदवारों को आर्किटेक्चर में नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट में अर्हता प्राप्त करने की आवश्यकता होती है जिसे आमतौर पर एनएटीए (NATA) के रूप में जाना जाता है। नाटा वेबसाइट के अनुसार, इस परीक्षा का उद्देश्य 10+2 स्तर पर ड्राइंग और अवलोकन कौशल, अनुपात की भावना, सौंदर्य संवेदनशीलता और भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित के ज्ञान का आकलन करना है।
पाठ्यक्रम: एनएटीए (NATA) एक कंप्यूटर आधारित परीक्षा है और इसमें सामान्य ज्ञान का आकलन करने और नई परिस्थितियों में ज्ञान का उपयोग करने के लिए अमूर्त तर्क शामिल हैं; आकार और इमेजरी के बीच पैटर्न, अनुक्रम और संबंधों को पहचानने की क्षमता का आकलन करने के लिए तार्किक तर्क; दिए गए डेटा के माध्यम से पैटर्न देखने की क्षमता के लिए आगमनात्मक तर्क, मौखिक तर्क का आकलन करने की क्षमता के लिए मौखिक तर्क, सरल समस्याओं के माध्यम से गणितीय क्षमता से युक्त संख्यात्मक तर्क और आरेखीय तर्क जो आरेखों और परिदृश्यों का उपयोग करके तार्किक तर्क की क्षमता का परीक्षण करता है।
प्रश्न का स्वरूप (पैटर्न): परीक्षा में कुल 125 अंकों के 125 प्रश्न हैं। कुछ प्रश्न 1 अंक के होंगे, कुछ 2 और कुछ 3 अंक के होंगे। परीक्षण की अवधि 3 घंटे है। वर्ष 2022 में लगभग दो महीने की अवधि के भीतर तीन बार NATA का आयोजन किया गया था। उम्मीदवार एक, दो या तीनों टेस्ट दे सकते हैं और उनकी योग्यता तय करने के लिए टेस्ट के सर्वश्रेष्ठ स्कोर को ध्यान में रखा जाएगा। इस तरह उम्मीदवारों के पास अपने स्कोर में सुधार करने का अवसर होता है।
कहाँ अध्ययन करें
भारत में 400 से अधिक संस्थान हैं जो वास्तुकला में मान्यता प्राप्त डिग्री प्रदान करते हैं। वास्तुकला और योजना की पढाई के लिए विशेष रूप से स्थापित संस्थान निम्नलिखित हैं।
• विशिष्ट संस्थान हैं - स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर जिसकी उपस्थिति भोपाल, दिल्ली और विजयवाड़ा में है, जो बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर / प्लानिंग, इंटीग्रेटेड मास्टर ऑफ प्लानिंग, एम. आर्क (वास्तुकला संरक्षण), एम. आर्क (अर्बन डिज़ाइन), लैंडस्केप आर्किटेक्चर, हाउसिंग/अर्बन प्लानिंग/रीजनल प्लानिंग/ट्रांसपोर्ट प्लानिंग एनवायरनमेंटल प्लानिंग में विशेषज्ञता के साथ मास्टर ऑफ प्लानिंग, बिल्डिंग इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट में मास्टर प्रदान करता है। ।
• सीईपीटी विश्वविद्यालय, अहमदाबाद वास्तुकला/शहरी डिजाइन/निर्माण प्रौद्योगिकी में स्नातक प्रदान डिग्री करता है; आर्किटेक्चरल डिज़ाइन / अर्बन मैनेजमेंट / अर्बन प्लानिंग / अर्बन डिज़ाइन / स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग डिज़ाइन / हाउसिंग डिज़ाइन / लैंडस्केप आर्किटेक्चर / बिल्डिंग प्रोडक्ट्स एंड सिस्टम्स / आर्किटेक्चरल हिस्ट्री एंड रिसर्च / आर्किटेक्चरल टेक्टोनिक्स / कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट / अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर में मास्टर्स प्रदान करता है।
• कुछ अन्य संस्थान हैं-सर जे जे कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, मुंबई, कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, त्रिवेंद्रम; जवाहरलाल नेहरू आर्किटेक्चर एंड फाइन आर्ट्स यूनिवर्सिटी, हैदराबाद, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, मैसूर
• आईआईटी-वाराणसी/खड़गपुर/रुड़की
• एनआईटी-त्रिची/हमीरपुर/कोझीकोड/पटना/नागपुर/जयपुर/राउरकेला
• महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक
• झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, रांची
• आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम
• असम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गुवाहाटी
• बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, मेसरा, छत्तीसगढ़
• स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई
• पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़
• गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
• जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
• एम.एस. बड़ौदा विश्वविद्यालय, वडोदरा
• गुजरात प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अहमदाबाद
• हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर
• महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक
• महर्षि मार्कंडेश्वर विश्वविद्यालय, अंबाला
• जम्मू विश्वविद्यालय
• कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर
• बैंगलोर विश्वविद्यालय
• विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बेलगाम
• केरल विश्वविद्यालय, तिरुवनंतपुरम
• कालीकट विश्वविद्यालय
• कोचीन विज्ञान प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
•मुंबई विश्वविद्यालय
• सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय, पुणे
• शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर
• उत्तर पूर्वी पहाड़ी विश्वविद्यालय, शिलांग
• मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,भोपाल
• राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल
• मिजोरम विश्वविद्यालय, तनहरी
• ओडिशा प्रौद्योगिकी और अनुसंधान विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर
• वीर सुरेंद्र साई प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, संबलपुर
• राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा
• अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई
• देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय, देहरादून
• डॉ ए पी जे कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय, लखनऊ
• भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, पश्चिम बंगाल
(उपरोक्त सूची सांकेतिक है)
काम के अवसर
एक वास्तुकार के रूप में, कोई भी स्वतंत्र रूप से परामर्श/सलाहकार के तौर पर सेवाएं प्रदान कर सकता है और सेवा के बदले शुल्क ले सकता है। ऐसी सेवाएं प्रदान करने वाली फर्में भी हैं, जिनमें कई वास्तुकार (आर्किटेक्ट) एक साथ आते हैं और उन्हें अलग-अलग परियोजनाएं आवंटित किए जाते हैं। बड़ी निर्माण कंपनियों के पास उनके काम को सुविधाजनक बनाने के लिए वास्तुकारों और योजनाकारों की एक टीम होती है। यदि आप सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी संगठनों के साथ काम करने के इच्छुक हैं, तो आप राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी), हुडको, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) आदि जैसे निकायों में अवसरों की तलाश कर सकते हैं। बैंक, बीमा कंपनियां, विनिर्माण और अन्य संगठन भी वास्तुकारों को नियुक्त करते हैं, लेकिन यहां आवश्यकता अपेक्षाकृत कम होती है। नगर निगमों, नगर विकास प्राधिकरणों (जैसे दिल्ली विकास प्राधिकरण) को वास्तुकारों और योजनाकारों की आवश्यकता है। सभी बड़े और मध्यम रियल एस्टेट डेवलपर्स को अपनी नियमित श्रमशक्ति में वास्तुकार/योजनाकारों की आवश्यकता होती है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बुनियादी ढांचा विकसित करने वालों की ज़रूरतें समान हैं; राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम, लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड, गैमन इंडिया लिमिटेड और कुछ ऐसी ही संस्थाओं में भी नियमित तौर पर वास्तुकारों की ज़रुरत होती है। कई संगठन आवश्यकता के अनुसार अपनी सेवाओं का उपयोग करने के लिए वास्तुकारों और योजनाकारों का एक पैनल तैयार करके रखते हैं और योग्य लोग भी इनके साथ पैनल में शामिल होने की मांग कर सकते हैं।
(लेखक मुंबई के करियर सलाहकार हैं। उनसे ईमेल आईडी v2j25@yahoo.in पर संपर्क किया जा सकता है)