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Issue no 23, 04-10 September 2021

 

विशेष शिक्षा

एक प्रभावशाली कॅरिअर

निधि प्रसाद

भारत ने 'दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995नामक एक ऐसा विशेष शिक्षा कानून पारित करके बड़ी उपलब्धि हासिल की है जिसमें सभी बच्चों को स्कूली शिक्षा और सुविधाएं प्रदान किया जाना अपेक्षित है. भारतीय परिवारों को प्राय: विभिन्न विशेष आवश्यकता वाले अपने बच्चों की देखभाल करने और उन्हें शिक्षित करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए, कई विशेष आवश्यकता वाले स्कूल सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं. वे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों और उनके माता-पिता के लिए सराहनीय शैक्षिक सेवाएं और सहायता प्रदान कर रहे हैं.

हालांकि, यह भी एक सच्चाई है कि ये स्कूल सभी परिवारों के लिए सदैव सुलभ या किफायती नहीं होते हैं. खैर, भारत में शैक्षिक वातावरण विशेष शिक्षा और विशेष स्कूलों के लिए परिवारों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और सार्वभौमिक शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु एक समावेशी विशेष शिक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए काम कर रहा है. भारत सरकार सभी सरकारी स्कूलों में विशेष शिक्षा सेवाओं को लागू करने का प्रयास कर रही है. सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) द्वारा निर्धारित विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) के लिए मूल्यांकन तकनीकों के अनुरूप, विशेष शिक्षकों से अपेक्षा की जाती है कि वे विशेष बच्चों को न केवल कक्षा में शारीरिक रूप से सहज बनाएं बल्कि उनके लिए अपने शिक्षण के तरीकों को भी बदलें. यह देखा गया है कि विशेष बच्चों के लिए बनी कक्षा में आवश्यकतानुरूप निर्मित कई प्रकार की शिक्षण सहायक सामग्री होती हैं. किसी भी प्रकार की नि:शक्तता से ग्रस्त व्यक्ति या छात्र अपने परिश्रम और कौशल से दुनिया को आसानी से जीत सकते हैं. इसके लिए, उन्हें बिना किसी नियम व शर्तों के विशेष अवसर प्रदान किये जाने चाहिए.

विशेष शिक्षा क्या है?

विशेष शिक्षा को 'विशेष आवश्यकता शिक्षा भी कहा जाता है. विशेष शिक्षा को विविध नि:शक्तता, चाहे शारीरिक, मानसिक हो या विकासात्मक, वाले बच्चों को दी जाने वाली व्यक्तिगत स्कूली शिक्षा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है.

यह उस क्षेत्र को संदर्भित करती है जिसमें विभिन्न तरीकों से और विभिन्न व्यवस्थाओं में कई सेवाएं प्रदान की जाती हैं. विशेष शिक्षा में कोई 'सबके-लिये-एक-सा दृष्टिकोण नहीं होता है. इसे नि:शक्त छात्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यकतानुरूप तैयार किया जाता है. यह नि:शक्त बच्चों की सीखने में मदद करने पर केंद्रित होती है.

विशेष शिक्षा कार्यक्रम उन छात्रों के लिए तैयार किए गए हैं जो मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और/या भावनात्मक रूप से विलंबित हैं. 'विलंब का यह पहलू, जिसे मोटे तौर पर 'विकासात्मक विलंब के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, बालक के समग्र विकास (शारीरिक, संज्ञानात्मक, शैक्षिक कौशल) के एक आयाम को दर्शाता है. विशेष शिक्षा कार्यक्रम और सेवाएं प्रत्येक बालक की उपयुक्त जरूरतों को पूरा करने के लिए सामग्री, शिक्षण पद्धति और वितरण निर्देश को अनुकूलित करती हैं.

विशेष बच्चों के लिए शिक्षा का महत्व

आधुनिकीकरण की शुरुआत के साथ, प्रवृत्ति और तकनीक बदल गई हैं, किन्तु व्यक्तियों के सोचने का तरीका अभी भी वही है. समाज प्राय: उन बच्चों और व्यक्तियों की उपेक्षा करता है जिनमें किसी प्रकार की सीखने की अशक्तता होती है.

इन अशक्त या अलग तरह से प्रतिभाशाली बच्चों के लिए आयोजित विशेष कक्षाएं एक आवश्यकता बन गई हैं. यह छात्रों को शिक्षा का आनंद लेने और व्यक्तिगत रूप से सीखने के कारण आत्मविश्वास हासिल करने की अनुमति देती हैं. विशेष बच्चों की व्यक्तिगत प्रगति और विकास के लिए, उन सभी के द्वारा उचित शिक्षा प्राप्त करना महत्वपूर्ण है. अशक्तता के मामलों में भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक या विकासात्मक मामले शामिल हो सकते हैं. कई तरह की अशक्तता हैं जिनसे कोई छात्र ग्रस्त हो सकता है, जैसे ऑटिज्म (स्वपरायणता) स्पेक्ट्रम विकार, बहु अशक्तता, विकासात्मक विलंब, अभिघातजन्य मस्तिष्क की चोट, अस्थि नि:शक्तता, वाक् एवं भाषा अशक्तता, दृष्टिगत एवं श्रवण अशक्तता (अंधता सहित), इत्यादि.

इसलिए, विशेष रूप से अशक्त बच्चों के लिए यह आवश्यक है कि वे उन बच्चों के साथ सीखने की प्रकिया में गति बनाए रखें जिनकी कोई विशेष आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उन्हें किसी भी अशक्तता की परवाह किए बिना आवश्यकताओं को पूरा करने और अपनी स्वयं क्षमता को निखारने का अधिकार है.

विशेष शिक्षक कैसे बनें

स्नातक के बाद आप बहु-अशक्तता या विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता के साथ बी.एड. (विशेष शिक्षा) ले सकते हैं. विशेष शिक्षा में बी.एड. एक स्नातक स्तरीय शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम है. इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य अशक्त छात्रों को पढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल वाले शिक्षकों को प्रशिक्षित करना है.

कुछ कॉलेज विशेष शिक्षा में एकीकृत 4 वर्ष की अवधि के दोहरे डिग्री कार्यक्रम भी प्रदान करते हैं-

·         बी.ए.-बी.एड. (बैचलर ऑफ आर्ट्स-बैचलर ऑफ एजुकेशन) विशेष शिक्षा

·         बी.एससी.-बी.एड. (बैचलर ऑफ साइंस-बैचलर ऑफ एजुकेशन) विशेष शिक्षा

·         बी.कॉम.-बी.एड. (बैचलर ऑफ कॉमर्स-बैचलर ऑफ एजुकेशन) विशेष शिक्षा             

इस क्षेत्र में अधिक विशेषज्ञता के लिए आप एम.एड. (विशेष शिक्षा) ले सकते हैं जो 2 वर्ष का पाठ्यक्रम है. यह पाठ्यक्रम विशेष शिक्षा में बी.एड. के बाद या भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा मान्यताप्राप्त संस्थान से विशेष शिक्षा में डिप्लोमा के साथ सामान्य बी.एड. डिग्री लेने के बाद किया जा सकता है.

भारत में विशेष शिक्षा में बी.एड. करने के लिए कुछ संस्थान: गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (दिल्ली), भारतीय स्वास्थ्य शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (बिहार), जामिया मिल्लिया इस्लामिया (नई दिल्ली), कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (कुरुक्षेत्र), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (उत्तर प्रदेश), आदि.

विशेष शिक्षक क्या करता है?

यदि कोई बालक हमारे पढ़ाने के तरीके से नहीं सीख सकता है, तो शायद हमें उसके सीखने के तरीके से पढ़ाना चाहिए. -  इग्नासियो एस्ट्राडा

विशेष शिक्षा शिक्षक विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए जिम्मेदार वे पेशेवर हैं. जो छात्रों की सामर्थ्य और क्षमताओं का पता लगाकर उन्हें सीखने में सहायता प्रदान करते हैं.

विशेष विद्यालयों में, आप विशेष शिक्षक के रूप में कार्य करते हैं. विशेष शिक्षक के रूप में, आपको शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक चुनौतियों और सीखने की अशक्तता वाले बच्चों को देखना होगा. आप उनके लिए सर्वोत्तम शैक्षिक परिणाम प्राप्त करने, उन्हें उनके व्यक्तित्व विकास के लिए बुनियादी जीवन और सामाजिक कौशल सिखाने, तथा प्रत्येक के लिए व्यक्तिगत सत्रों के माध्यम से उन्हें अकादमिक अवधारणाओं को समझाने हेतु उनके परिवारों के साथ मिलकर काम करेंगे.

विशेष शिक्षा शिक्षक छात्रों की प्रगति का आकलन करता है. वह स्कूल मनोवैज्ञानिकों, विद्या अशक्तता विशेषज्ञों, कक्षा शिक्षकों और माता-पिता के साथ सहयोग करता/करती है. विशेष शिक्षा शिक्षक छात्रों के माता-पिता को उनकी प्रगति पर अद्यतन करता रहता है.

विशेष शिक्षक कार्य में शामिल हैं

·         छात्रों को पढ़ाना और शैक्षिक एवं गैर शैक्षणिक गतिविधियों को सुकर बनाना

·         छात्रों की विशेष आवश्यकताओं का अवलोकन करना और उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप अध्ययन की योजना बनाना      

·         बच्चों के विकास के स्तर, जरूरतों या क्षमता का पता लगाने में सहायता हेतु परीक्षण करना      

·         छात्रों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रदर्शन पर ध्यान देना

·         प्रत्येक छात्र के सुधार का आकलन करना और नई शिक्षण विधियों को लागू करना      

·         छात्रों की इनडोर और आउटडोर गतिविधियों को सुकर बनाना और सीखने के रचनात्मक माध्यम को प्रोत्साहित करना      

·         छात्रों के प्रदर्शन के संबंध में चर्चा के लिए माता-पिता के साथ बैठक करना और विचार-विमर्श के आधार पर उचित कदम उठाना

·         विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के साथ स्कूल में कार्य कर रहे अन्य शिक्षकों को सलाह देना और पर्यवेक्षण करना

·         छात्रों की स्वच्छता और आसपास की सफाई की निगरानी      

विशेष शिक्षा शिक्षक के प्रकार

भारत में विभिन्न प्रकार के विशेष शिक्षा शिक्षक हैं. यदि आप विशेष शिक्षा शिक्षक के रूप में कॅरिअर का विकल्प चुनना चाहते हैं, तो आप छात्रों को उनकी सर्वोत्तम क्षमताओं के साथ पढ़ाने के लिए ऑटिज्म (स्वलीनता), व्यवहार, अंधता और अन्य जैसे विभिन्न विकारों के विशेषज्ञ हो सकते हैं.

भावनात्मक या व्यवहार विकार विशेष शिक्षक भावनात्मक या व्यवहार संबंधी विकार में विशेषज्ञता वाला विशेष शिक्षक विविध प्रकार की विशेषताओं से पीड़ित छात्रों को सीखने में सहायता प्रदान करता है. इसमें चिंता विकार, अवसाद, अति सक्रियता विकार, ध्यान की कमी या कई अन्य व्यवहार संबंधी विकार शामिल हो सकते हैं.

ऑटिज्म (स्वलीनता) स्पेक्ट्रम विकार विशेष शिक्षक: ऑटिज्म स्पेक्ट्रम में विशेषज्ञता वाला विशेष शिक्षक ऑटिज्म स्पेक्ट्रम पर पहचाने गए छात्रों को सीखने में सहायता प्रदान करता है. यह विकार संचार में देरी, परिस्थितियों और अन्य चीजों को सह संबंधित करने में असमर्थता का कारण बन सकता है.

कॉलेज में विशेष शिक्षक: विशेष शिक्षा में एम.एड. धारक विशेष शिक्षक कॉलेज या हाई स्कूल में अध्ययनरत विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को सीखने में सहायता प्रदान करता है.

व्यावसायिक पुनर्वास परामर्शदाता: इस कार्य में पुराने छात्रों की नौकरी प्राप्त करने के लिए विभिन्न अशक्तताओं पर काबू पाने में सहायता करना शामिल है.

अपेक्षित कौशल

विशेष शिक्षा शिक्षक को बच्चों के लिए प्रेम, समस्याग्रस्त बच्चों वाले माता-पिता के लिए सहानुभूति और हास्य की बेहतर समझ की आवश्यकता होती है. इस कॅरिअर के लिए आवश्यक मुख्य गुण धैर्य और समर्पण है. इस व्यवसाय में दूसरों की मद्द करने की सहज इच्छा होना भी महत्वपूर्ण है. किसी भी अन्य शिक्षकों की तरह, विशेष शिक्षा शिक्षकों को व्यवस्थित और छात्रों को प्रेरित करने में सक्षम होना चाहिए. विशेष शिक्षक को सकारात्मक मानसिकता के साथ उत्साही और ऊर्जावान भी होना चाहिए.

विशेष शिक्षा शिक्षक के पास विशेष शिक्षा में स्नातक की डिग्री के अतिरिक्त निम्नलिखित कौशल होने चाहिए.

समालोचनात्मक सोच: विशेष शिक्षा शिक्षक एक ऐसा पेशेवर होता है जो छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिए जिम्मेदार होता है. वह विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के सीखने के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न तरीकों का निर्धारण करता है.

धैर्य: विशेष शिक्षा शिक्षक में धैर्य का गुण होना चाहिए. विशेष आवश्यकता रहित छात्रों की तुलना में विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को किसी अवधारणा को सीखने और समझने में अधिक समय लग सकता है. विशेष शिक्षा शिक्षक को यह समझने की आवश्यकता है कि छात्र सदैव तुरंत प्रतिक्रियाशील नहीं होते हैं.

संचार कौशल: विशेष शिक्षा शिक्षक के पास उत्कृष्ट संचार कौशल होना चाहिए. उसे माता-पिता, शिक्षकों, प्रशासकों और बच्चों के साथ स्पष्ट रूप से संवाद करने में सक्षम होना चाहिए.

समस्या समाधान क्षमता: विशेष शिक्षा शिक्षक को समस्याओं की पहचान करने में सक्षम होना चाहिए. उसे वैकल्पिक समाधानों की सशक्तता और कमजोरियों की पहचान करने में सक्षम होना चाहिए. विशेष शिक्षक को प्रत्येक बालक की सीखने की क्षमता को उजागर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

कॅरिअर के अवसर

हाल के वर्षों में विशेष शिक्षा सेवाओं की आवश्यकता वाले छात्रों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है क्योंकि इन अशक्तताओं का निदान प्रारंभिक आयु में ही कर लिया जाता है और उनके लिए अधिकाधिक विशिष्ट स्कूल स्थापित हो रहे हैं. इससे विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों की मांग बढ़ गई है.

विशेष शिक्षकों को उन स्कूलों में नौकरी मिल सकती है जो केवल विविध अशक्तता ग्रस्त बच्चों के साथ काम करते हैं. वे ऐसे सम्मिलित विद्यालयों में भी रोजगार प्राप्त कर सकते हैं जो अपनी कक्षाओं में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को नामांकित करते हैं.

विशेष शिक्षा की कई तकनीकों में महारत हासिल करने वाले विशेष शिक्षक स्कूलों से संबद्ध सलाहकारों से जुड़ सकते हैं या आवश्यक प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के बाद अपने स्वयं के उपचार केंद्र प्रारंभ कर सकते हैं.

विशेष शिक्षक दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए ब्रेल लिपि और श्रवण बाधित छात्रों के लिए सांकेतिक भाषा एवं लिप रीडिंग का उपयोग करते हैं. प्रौद्योगिकी में विकास के साथ, वे सीखने में रुचि को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न ऑडियो-विजुअल सामग्री और कंप्यूटर का उपयोग कर रहे हैं. विशेष शिक्षकों के लिए नौकरियां सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में या तो छात्रों के समूह के साथ या व्यक्तिगत आधार पर उपलब्ध हैं. उन्हें पुनर्वास केंद्रों में भी रोज़गार मिल सकता है.

प्रशिक्षण

कॅरिअर के विकास के प्रारंभिक स्तर पर इंटर्नशिप (प्रशिक्षण) की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है. यह उद्योग अंतर्दृष्टि और सीखने के अवसर प्रदान करती है. विशेष शिक्षा शिक्षण प्रशिक्षु से विशेष छात्रों हेतु पाठ्यक्रम को विकसित करने, लागू करने और उनके लिए डिज़ाइन किए गए पाठ्यक्रम का मूल्यांकन करने की अपेक्षा की जाती है. वह कक्षा शिक्षक को आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होता/होती है. विशेष शिक्षा शिक्षण प्रषिक्षु से पाठ्यक्रम को अनुकूलित करने और आवश्यक संशोधन करने में कक्षा शिक्षक के साथ सहयोग करने की भी अपेक्षा की जाती है. वह पाठ्यक्रम में संशोधनों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करता/करती है और बालक की समग्र प्रगति का आकलन करता/करती है.

विशेष शिक्षा शिक्षक के रूप में अपना कॅरिअर स्थापित करने के इच्छुक व्यक्ति नीचे दिए गए प्रमाणन को चुन सकते हैं.

·         शिक्षक विकास: पाठ्यचर्या में मानसिक स्वास्थ्य का समावेश

·         सफलता के लिए शिक्षण: शिक्षाएं और शिक्षण

·         साक्ष्य आधारित शिक्षण और अधिगम में प्रौद्योगिकी का उपयोग

·         स्वास्थ्य देखभाल व्यवसायों के लिए विशेषज्ञ शिक्षकों का विकास  

·         सार्थक शिक्षा अनुसंधान: आपके शिक्षण कार्य में अनुसंधान का अनुप्रयोग

शीर्ष भर्तीकर्ता

विशेष शिक्षक इन संस्थानों में रोज़गार प्राप्त कर सकते हैं:-

·         नि:शक्त बच्चों वाले स्कूल      

·         बी.एड. महाविद्यालयों में विशेष शिक्षा शिक्षक    

·         पुनर्वास केंद्र      

·         विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों का उपचार करने वाले अस्पताल

·         स्कूलों के लिए विशेष शिक्षा प्रशिक्षक प्रदान करने वाली सलाहकारी संस्थाएं

शिक्षा मंत्रालय (पूर्ववर्ती 'मानव संसाधन विकास मंत्रालयÓ) द्वारा उचित व्यावसायिक विशेष शिक्षा प्रशिक्षण के संबंध में निर्देश जारी किये जाने के बाद, एसएसए सम्मिलित शिक्षा संसाधन शिक्षकों (आईईआरटी) को नियुक्त कर सकता है. लेकिन आजकल बच्चों में विशेष आवश्यकता संबंधी शुरुआती हस्तक्षेप की बढ़ती संख्या के कारण, अन्य शिक्षकों को विशेष शिक्षा में प्रशिक्षण लेना पड़ता है, जो कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की जरूरतों पर केवल एक परिचयात्मक सत्र होता है. यह स्थिति प्रशिक्षित विशेष शिक्षा शिक्षकों की अपर्याप्त संख्या को उजागर कर रही है.

विशेष शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए कोई कॅरिअर बहुत स्पष्ट नहीं है. बस अपनी रुचियों का आकलन करने, अपने कौशल एवं ज्ञान का लाभ उठाने के लिए समय निकालना सुनिश्चित करें, और फिर विशेष शिक्षा में अपने कॅरिअर की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए उन्हें अभ्यास में लाएं.

विशेष शिक्षा में कॅरिअर एक ऐसे व्यवसाय की संभावना उत्पन्न करता है जो चुनौतीपूर्ण और लाभकारी दोनों है. लाभकारी इस अर्थ में है कि आप किसी के जीवन में बदलाव ला रहे होंगे, वास्तविक दुनिया का सामना करने में उनकी सहायता कर रहे होंगे एवं बच्चों के साथ-साथ उनके परिवारों को भी प्रसन्न कर रहे होंगे और चुनौतीपूर्ण इसलिए है क्योंकि विशेष शिक्षा शिक्षक के रूप में, आप बच्चों को ऐसे बौद्धिक एवं भावनात्मक कौशल सिखाने में विशेष भूमिका निभा रहे होंगे जिनकी उन्हें दैनिक जीवन का सामना करने के लिए आवश्यकता है.

(लेखक परामर्श मनोवैज्ञानिक एवं कॅरिअर सलाहकार हैं. ई-मेल: nidhiprasadcs@gmail.com )

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.

(चित्र: गूगल के सौजन्य से)