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नौकरी फोकस


Issue no 22, 28 August - 3 September 2021

 

एनिमेशन उद्योग में कॅरिअर

मंदर दत्तात्रेय दिगराजकर

क्या आपने कभी किसी ब्लॉकबस्टर फिल्म के बड़े पर्दे पर अपना नाम देखने के रोमांच का अनुभव किया है? अभी नहीं? आइए... एनिमेशन एवं दृश्य प्रभाव के सबसे रोमांचक एवं रचनात्मक व्यवसाय में अपना कॅरिअर बनाएं.

विभिन्न एनिमेशन रूपों के माध्यम से, कहानी सुनाना भारत में हमेशा से एक परंपरा रही है. छाया कठपुतली, स्लाइड शो जैसे आधुनिक एनिमेशन के अग्रदूतों ने सिनेमा के आगमन से पहले दर्शकों का मनोरंजन किया. हालांकि, स्वतंत्रता के बाद, 1950 के दशक में, भारतीय एनीमेशन उद्योग ने शैक्षिक, जन जागरूकता संबंधी लघु फिल्में बनाकर इस क्षेत्र में अपने लघु कदम उठाए. लघु समूहों वाले एनिमेशन उत्साही स्टूडियो के रूप में विकसित हुए और तब से, गत 70 वर्षों में, भारत ने वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ एनीमेशन निर्माता बनने के लिए एक लंबा सफर तय किया है.

भारतीय एनिमेशन का सबसे बड़ा लाभ इसकी रचनात्मक शक्ति और लागत-प्रभावशीलता है. यही कारण है कि वैश्विक उद्योग दिग्गज अपने रचनात्मक कार्यों को सीधे ऐसे भारतीय प्रोडक्शन हाउस को आउटसोर्स करते हैं जो युवा एवं सुसज्जित हैं, और इस उभरते एवं बदलते व्यवसाय पर मजबूत पकड़ एवं समझ के साथ उत्साहपूर्वक इस क्षेत्र में संभावनाओं का पता लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय फोकस रखते हैं.

भारतीय एनिमेशन उद्योग ने गत दो दशकों में 300 से अधिक स्टूडियो स्थापित किये हैं. यह जबरदस्त प्रगति सिर्फ संख्या में नहीं है, बल्कि भारत के एनिमेशन क्षेत्र ने स्वयं को वैश्विक विषय-वस्तु उत्पादन के केंद्र के रूप में स्थापित किया है. कई एनीमेशन (बौद्धिक संपदा) आईपी और फिल्मों में ग्लोबल प्रोडक्शन हाउसेस के लिए भारत में उत्पन्न दृश्य प्रभाव (विजुअल इफेक्ट्स) काफी मात्रा में होते हैं, क्योंकि भारतीय एनीमेशन उद्योग ने गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी और रचनात्मकता के संबंध में दुनियाभर में पहचान और सम्मान प्राप्त किया है. इस व्यवसाय की शोभा यह है कि हर दिन एक चुनौती है, क्योंकि हर दिन विविधतापूर्ण कार्यों से निपटना पड़ता है. कलाकारों को अपनी मूल प्रतिभाओं पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है, विभिन्न जटिलताओं और शैलियों के कार्यों को संभालने के लिए लचीला होना पड़ता है, और अपने आसपास के घटनाक्रम को देखने और स्वयं को अद्यतन रखने के लिए दृष्टि सदैव खुली रखनी पड़ती है.

आज, संपूर्ण विश्व में प्रत्येक आयु वर्ग के लिए इंटरनेट, सोशल मीडिया, टेलीविजन, फिल्म और ओटीटी पर पर्याप्त उपस्थिति के साथ, एनीमेशन और दृश्य प्रभाव भारत में सबसे लोकप्रिय और उभरते उद्योगों में से एक है. चूंकि दर्शक अब ओटीटी प्लेटफार्म (जैसे नेटफ्लिक्स, अमेजॅन प्राइम इत्यादि) और बिग बैनर रिलीज के माध्यम से विश्व स्तर पर भारतीय एनीमेशन और दृश्य प्रभाव विषय-वस्तु देख रहे हैं, भारतीय एनीमेशन और दृश्य प्रभाव उद्योग के लिए कुशल पेशेवर, कलाकार, कहानीकार रखना समय की मांग है, ताकि बाकी दुनिया की विषय-वस्तु (कंटेंट) के साथ प्रतिस्पर्धा की जा सके.

बढ़ती इंटरनेट पहुंच और उपकरणों की उपलब्धता के साथ, ग्राहक डिजिटल कंटेंट को स्ट्रीम करने पर अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं. दर्शक शानदार दृश्य प्रभावों और यथार्थवादी एनीमेशन युक्त उच्च गुणवत्ता वाली प्रस्तुतियों से इतने अधिक जुड़े हुए हैं कि फिल्म निर्माता फिल्मों में अधिक एनीमेशन और विजुअल इफेक्ट्स शॉट्स शामिल कर रहे हैं और इसलिए एनीमेशन की मांग कई गुना बढ़ गई है. इसके अतिरिक्त, ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) जैसे इमर्सिव एक्सपीरियंस को ताकत देने के लिए एनिमेशन कंटेंट की मांग तेजी से बढ़ रही है. भारत में डिजिटल युग की शुरुआत के बाद से क्या बदल गया है? पहले उपकरण महंगे थे और कौशल मंच सीमित था. आज, उपकरण छात्र समुदाय के लिए अधिक सुलभ और यहां तक कि नि:शुल्क भी हो गए हैं. उच्च स्तर पर, क्लाउड कंप्यूटिंग की तकनीक एनीमेशन और दृश्य प्रभावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है जो अधिक प्रभावी और कुशल है क्योंकि यह पोस्ट-प्रोडक्शन के समय और लागत को कम करती है. इसके अलावा, यह निर्माण कार्य विभिन्न देशों द्वारा कर प्रोत्साहन, सब्सिडी, वित्तीय सहायता की पेशकश एवं कुशल कार्य बल, आदि के साथ वैश्विक बन गया है. आंकड़े दर्शाते हैं कि एमपीसी, द मिल, माइक्रोस, डीएनईजी, मिस्टर एक्स, डिजिटल डोमेन, फ्रेमस्टोर, आदि जैसे अधिकाधिक अंतरराष्ट्रीय स्टूडियो भारत में स्थापित हो रहे हैं. ये स्टूडियो हमेशा कार्य की मांग को पूरा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा की तलाश में रहते हैं.

दूसरी ओर, इस व्यवसाय के अन्य पहलू भी हैं, जैसे स्वतंत्र एनीमेशन फिल्म निर्माता या दृश्य प्रभाव कलाकार के रूप में काम करना. समर्पित हाई-एंड और महंगे सॉफ्टवेयर के अतिरिक्त, लघु स्तरीय प्रभावी ऐप्स भी उपलब्ध हैं और ये कई फ्रीलांसर्स और छोटे पैमाने के स्टूडियो के लिए पहली पसंद बन रहे हैं.

एक उत्साही व्यक्ति के रूप में इस व्यवसाय को गंभीरता से लेना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी प्रकार की रचनात्मक चुनौतियों के लिए स्वयं को अच्छी तरह से तैयार रखना चाहिए, क्योंकि कुशल व्यक्तियों के लिए अवसर बहुत हैं. किसी भी उम्मीदवार को इस व्यवसाय को एक दीर्घकालिक कॅरिअर के रूप में देखना चाहिए न कि प्रसिद्धि के लिए शॉर्टकट के रूप में. पांच महत्वपूर्ण 'तत्व अर्थात समालोचनात्मक विचार, संचार, रचनात्मकता, उपकरणों पर निपुणता और प्रतिबद्धता सफलता की कुंजी हैं.

शैक्षिक और व्यावसायिक योग्यता

इच्छुक उम्मीदवारों के लिए विभिन्न प्रकार के कॅरिअर के अवसर हैं, और यदि किसी के पास ड्राइंग, फोकस, रचनात्मकता और संचार जैसे कौशल हैं, तो वे एनीमेशन और दृश्य प्रभाव फिल्म निर्माण की दुनिया में प्रगति कर सकते हैं.

अधिकांश एनीमेशन कॉलेजों में यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों के लिए कतिपय पात्रता मानदंड हैं, जिनके लिए उम्मीदवार को अर्हता प्राप्त करनी होती है.

 

  • बी.डीईएस (बैचलर ऑफ डिजाइन), एनिमेशन में डिप्लोमा या बी.एससी. जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए, उम्मीदवार को किसी मान्यताप्राप्त बोर्ड से किसी भी विषय-वर्ग में 45 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 उत्तीर्ण होना चाहिए.
  • एम.डीईएस (मास्टर ऑफ डिजाइन) जैसे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए, उम्मीदवार के पास उस विशेषज्ञता के साथ डिग्री होनी चाहिए जिसमें वे मास्टर्स करना चाहते हैं.

 

पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले संस्थान

भारत में, ऐसे विभिन्न सरकारी और निजी संस्थान हैं जो एनीमेशन और संबंधित विषयों में पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं. इस क्षेत्र में लंबी अवधि के कॅरिअर की तलाश करने वाले उम्मीदवार निम्न सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रमों में से किसी एक को कर सकते हैं.

 

  • नेशनल स्कूल ऑफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद.
  • औद्योगिक डिजाइन केंद्र (आईडीसी), आईआईटी, मुंबई.
  • सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, (एसआरएफटीआई), कोलकाता.

 

इन (और अन्य) राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों में चयन के लिए अपनी स्वयं की प्रवेश परीक्षा होती है यानी एनआईडी के लिए डीएटी (डिजाइन एप्टीट्यूड टेस्ट), आईआईटी के लिए सीईईडी (डिजाइन के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा), एसआरएफटीआई के लिए जेईटी (संयुक्त प्रवेश परीक्षा). ये परीक्षाएं डिजाइन में उम्मीदवारों के रचनात्मक विचारों को परखने के लिए विशेष रूप से विकसित की गई हैं.

इन राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के अलावा, गुजरात विश्वविद्यालय, (अहमदाबाद), एमजीआर राजकीय फिल्म एवं टेलीविजन प्रशिक्षण संस्थान, (चेन्नै), तिलक महाराष्ट्र विद्यापीठ, (पुणे) आदि सहित कई राज्य स्तरीय संस्थान भी एनीमेशन और दृश्य प्रभावों में समान पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं.

एनीमेशन और दृश्य प्रभाव उद्योग की भारी मांग को पूरा करने के लिए, टूंज अकादमी, व्हिसलिंग वुड्स जैसे कई निजी फिल्म स्कूल और श्री श्री विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी जैसे विश्वविद्यालय भी स्नातक और/या स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं. हालांकि, सरकार द्वारा संचालित संस्थानों की तुलना में निजी संस्थानों में उच्च शुल्क संरचना हो सकती है. सभी संस्थानों के संबंध में अधिक जानकारी विभिन्न सामाजिक मीडिया प्लेटफार्म पर उपलब्ध है.

इस क्षेत्र में वर्तमान और भावी कॅरिअर संभावनाएं

जब इस व्यवसाय की बात आती है, तो सभी रास्तों की मंजिल भारत ही होता है. डिजिटल क्रांति की शुरुआत से लेकर एआर और वीआर की मिश्रित वास्तविकता तक, रचनात्मक विकास में भारत सदैव सबसे आगे रहा है.

भारत में इस उद्योग की वर्तमान स्थिति बहुत मजबूत है क्योंकि फिल्में या कोई भी वीडियो कंटेंट महत्वपूर्ण दृश्य प्रभावों से परिपूर्ण होते हैं. मीडिया और मनोरंजन के अतिरिक्त, एनीमेशन एवं दृश्य प्रभाव गेमिंग, वेब शृंखला, वृत्तचित्र, वास्तुकला एवं निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं जीवन

विज्ञान, विनिर्माण, सरकार एवं रक्षा, एआर एवं वीआर, आदि का एक अनिवार्य अंश बन गए हैं.

कोविड-19 के इस कठिन समय में भी, एनीमेशन उद्योग ने स्थिति का प्रभावी ढंग से सामना किया और घरेलू नौकरियों से रिमोट/वर्क फ्रॉम होम के मजबूत समाधान के साथ आने वाली चुनौतियों का मुकाबला किया. कई स्टूडियो ने ऐसे दूरस्थ कार्य को आसान बनाने के लिए अपेक्षित बुनियादी ढांचे को यथाशीघ्र स्थापित किया. अब स्थिति यह है कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी कई प्रमुख एनिमेशन स्टूडियो वर्क फ्रॉम होम कल्चर के पक्ष में हैं.

'अनरीअल 5 इंजन की आगामी तकनीक पहले से कहीं अधिक हाई-रेजलूशन वाली दृश्य-सामग्री के साथ 'रीअल टाइम इंटरैक्शन की अनुमति देने के लिए तैयार है. विजुअल इफेक्ट स्टूडियो एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक और नई उत्पादन तकनीक का उपयोग करने के तरीकों की खोज कर रहे हैं, जैसे कि प्रोडक्शन पाइपलाइन में दृश्य प्रभावों को विशिष्ट रूप से दर्शाने के लिए, क्रोमा का उपयोग करने के बजाय सीजी बैकड्रॉप पेश करने वाली एलईडी स्क्रीन के मुकाबले लाइव एक्शन की शूटिंग करना.

कुछ नवीनतम प्रवृत्तियों, प्रौद्योगिकियों और कार्यप्रवाहों में शामिल हैं:

 

  1. क्लाउड आधारित पोस्ट-प्रोडक्शन पाइपलाइन
  2. उन्नत फोटोग्रामेट्री, जिसमें मॉडलिंग, टेक्सचरिंग, यूवी मैपिंग के थकाऊ मैनुअल कार्य का स्थान सॉफ्टवेयर ले रहे हैं.
  3. वर्चुअल प्रोडक्शन
  4. डिजिटल मानव/जीवों के निर्माण और उनमें हेरफेर करने की प्रक्रिया
  5. क्रोमा शूटिंग को प्रतिस्थापित करने के लिए एलईडी वॉल्स और रीअल इमैज का प्रोजेक्शन, जो वीएफएक्स शूटिंग के लिए आवश्यक था.

 

एनिमेशन और वीएफएक्स डिजाइन करना व्यापक टीम वर्क है. एक साधारण एनीमेशन फिल्म निर्माण के लिए भी कुशल पेशेवरों की एक टीम की आवश्यकता होती है और इसलिए फ्रेशर के रूप में भी प्री-प्रोडक्शन से लेकर पोस्ट-प्रोडक्शन तक के पूरे वर्कफ्लो को समझना महत्वपूर्ण है. रुचि और कौशल के अनुरूप, कोई व्यक्ति स्टोरीबोर्ड एवं कॉन्सेप्ट आर्टिस्ट, 2डी-3डी एनिमेटर, टेक्सचरिंग आर्टिस्ट, इफेक्ट्स जेनरेटर, लाइटिंग एवं कम्पोजिटिंग आर्टिस्ट, कैमरा मैच-मूव आर्टिस्ट, सिमुलेशन आर्टिस्ट, आदि जैसे विभिन्न स्तरों पर अपना कॅरिअर शुरू कर सकता है.

 

प्रगति के लिए अवसर

आज की दुनिया में 3डी एनिमेशन अब फिल्मों या टीवी सीरीज तक ही सीमित नहीं रह गया है. इसने शिक्षा, चिकित्सा, वास्तुकला, खेल, एआर और वीआर, आदि के क्षेत्र में भी अपने पंख फैलाए हैं. उन्नत होते 3डी सॉफ्टवेयर की गतिशीलता दुनिया की विभिन्न आवश्यकताओं के अनुरूप अत्यधिक अनुकूलन योग्य है. हाल की रिपोर्टों के अनुसार, वैश्विक वीएफएक्स (दृश्य प्रभाव) बाजार वर्ष 2018 में 11,333 मिलियन अमरीकी डॉलर का था और वर्ष 2019 और 2025 के बीच लगभग 11.4 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से वर्ष 2025 तक इसके 23,854 मिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर तक पहुंचने की संभावना है.

इसी तरह, भारतीय बाजार भी रोमांचक है और स्वयं में असीम अवसरों से परिपूर्ण है. गत दशकों में पारंपरिक टीवी दर्शकों की संख्या में वृद्धि और डिजिटल उपयोगकर्ताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि ने अधिक भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए कंटेंट तक अधिक सहजता से पहुंचने और उसका आनंद लेने का मार्ग प्रशस्त किया है.

इससे डिजिटल मनोरंजन की मांग और बढ़ेगी. यह अनुमान है कि वर्ष 2025 तक भारत में इसके लगभग 300 मिलियन नए उपयोगकर्ता होंगे. भारत के एनीमेशन और वीएफएक्स उद्योग का मूल्य वर्ष 2020 में लगभग 50 बिलियन भारतीय रुपये था, जिसमें वर्ष 2023 तक 125 बिलियन रुपये तक की वृद्धि का अनुमान है. यह इस उद्योग के लिए लगभग 35 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है. वर्ष 2019 से 2029 तक विशेष प्रभाव कलाकारों और एनिमेटर्स के लिए रोज़गार 4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जो कि सभी व्यवसायों के औसत के बराबर प्रगति को दर्षाता है. यह अनुमानित वृद्धि वीडियो गेम, फिल्मों और टेलीविजन में एनीमेशन और दृश्य प्रभावों की बढ़ती मांग के कारण होगी. इसका एक संकेत यह है कि एनिमेशन एवं वीएफएक्स 'विजुअल आर्ट स्टडीज के पाठ्यक्रम का हिस्सा बन गए हैं, जिससे कलाकार और रचनात्मक प्रतिभाएं भारतीय एनिमेशन उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायता करने के लिए पहले से कहीं अधिक बेहतर तरीके से तैयार होने में सक्षम होंगी.

आज, ऐसे सामान्यवादियों के लिए अवसर अधिक हैं, जिनके पास वीएफएक्स पाइपलाइन में एक से अधिक कौशल समूह हैं. वीएफएक्स स्टूडियो न केवल एक विशिष्ट विभाग के लिए युवा फ्रेशर कलाकारों की भर्ती कर रहे हैं, बल्कि वे निर्माणाधीन अन्य विभागों का पर्याप्त ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की भी भर्ती कर रहे हैं. यह उत्पादन और गुणवत्ता की बेहतरी हेतु नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के लिए लाभ की स्थिति है.

टीम लीडर - वीएफएक्स सुपरवाइजर, प्रोजेक्ट लीडर- फिल्म निर्देशक आदि के रूप में अपने कॅरिअर को नई ऊंचाइयों पर ले जाने हेतु किसी भी उम्मीदवार के लिए लाइव प्रोजेक्ट पर व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करना और टीम वर्क, काम की गुणवत्ता, समय पर कार्य देने के दबाव को समझना सबसे महत्वपूर्ण है.

यदि कोई व्यक्ति उक्त 'पांच तत्वों का सख्ती से पालन करता है, तो इस रचनात्मक व्यवसाय में कुछ भी हासिल करने की कोई सीमा नहीं है, और हां! आप अपने आभासी सपनों को वास्तविकता में प्रकट कर सकते हैं!

(लेखक एफटीआईआई, पुणे में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. ई-मेल: mandar.digrajkar@ftii.ac.in

अभिव्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.