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Issue no 14, 03-09 July 2021

एसडीजी इंडिया इंडेक्स 3.0 अर्थ और महत्व

नीति आयोग ने एसडीजी इंडिया इंडेक्स का तीसरा संस्करण जारी किया है. आयोग द्वारा डिज़ाइन और विकसित 'एसडीजी इंडिया इंडेक्स एंड डैशबोर्ड 2020-21: पार्टनरशिप इन द डिकेड ऑफ एक्शन शीर्षक से रिपोर्ट साझेदारी के महत्व पर केंद्रित है. नीति आयोग पर देश में सतत् विकास लक्ष्यों अर्थात एसडीजी के अंगीकरण और निगरानी की देख-रेख करने तथा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने का दोहरा दायित्व है.

एसडीजी इंडिया इंडेक्स क्या है?

एसडीजी इंडिया इंडेक्स एक समग्र उपाय है जिसे नीति निर्माता, व्यवसायों, नागरिक समाज और आम जनता सभी द्वारा समझा और इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कार्यनिष्पादन का समग्र मूल्यांकन प्रदान करने और नेताओं तथा परिवर्तनकर्ताओं को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मापदंडों पर उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में सहायता करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह सूचकांक 2030 एजेंडा के तहत वैश्विक लक्ष्यों की व्यापक प्रकृति की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जुड़ा हुआ है. सूचकांक की मॉड्यूलर प्रकृति स्वास्थ्य, शिक्षा, लिंग, आर्थिक विकास, संस्थानों, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण सहित लक्ष्यों की विस्तृत प्रकृति पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का आकलन करने के लिए एक नीति उपकरण और एक तैयार दस्तावेज बन गया है.

2018 में अपनी शुरुआत के बाद से एसडीजी सूचकांक सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई प्रगति का व्यापक दस्तावेजीकरण और रैंकिंग कर रहा है. अब अपने तीसरे वर्ष में, सूचकांक देश में एसडीजी पर प्रगति की निगरानी के लिए प्राथमिक उपकरण बन गया है और साथ ही साथ राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है. एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 में 17 एसडीजी में से 16 में (लक्ष्य 17 पर गुणात्मक मूल्यांकन के साथ) विस्तारित है. सूचकांक 115 राष्ट्रीय संकेतकों के एक सेट पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति को ट्रैक करता है, जो भारत सरकार के हस्तक्षेपों और योजनाओं के परिणामों पर उनकी प्रगति का आकलन करता है. एसडीजी इंडिया इंडेक्स का उद््देश्य देश और उसके राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिति पर एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना है. यह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को अपने साथियों के अच्छे व्यवहारों से सीखने में सक्षम बनाता है और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करने में उनका सहयोग करता है, जिन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. सूचकांक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सांख्यिकी प्रणाली में डेटा अंतराल को भी उजागर करता है और उन क्षेत्रों की पहचान करता है जिनमें मज़बूत और अधिक निरंतर डेटा एकत्र करने की आवश्यकता होती है.

कार्यप्रणाली क्या है

नीति आयोग द्वारा डिज़ाइन और विकसित सूचकांक की तैयारी में प्राथमिक हितधारकों-राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, भारत में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों के साथ व्यापक परामर्श का पालन किया जाता है.

एसडीजी इंडिया इंडेक्स प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए 16 एसडीजी पर लक्ष्य वार स्कोर की गणना करता है. उप-राष्ट्रीय इकाई के प्रदर्शन के आधार पर कुल प्रदर्शन को मापने के लिए 16 एसडीजी में लक्ष्य-वार स्कोर से समग्र राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के स्कोर तैयार होते हैं. ये स्कोर 0-100 के बीच होते हैं, और यदि कोई राज्य/संघ शासित प्रदेश 100 का स्कोर हासिल करता है तो यह दर्शाता है कि उसने 2030 के लक्ष्य हासिल कर लिए हैं. किसी राज्य/संघ शासित प्रदेश का स्कोर जितना अधिक होगा, लक्ष्य की प्राप्ति की दूरी उतनी ही अधिक होगी. सभी 16 एसडीजी के स्कोर के आधार पर राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को लक्ष्य से उनकी दूरी के आधार पर चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है- एस्पेरेंट (0-49), परफॉर्मर (50-64), फ्रंट-रनर (65-99) और अचीवर (100).

1. संकेतकों का चयन

पहले चरण के रूप में, एसडीजी पर राष्ट्रीय संकेतक ढांचे (एनआईएफ) से उपयुक्त संकेतकों की पहचान की जाती है और लक्ष्यों के साथ उनका मानचित्रण किया जाता है. एनआईएफ द्वारा निर्देशित, नीति आयोग ने 115 संकेतकों की एक सूची तैयार की है. सूचकांक में शामिल करने के लिए उपयुक्त मैट्रिक्स निर्धारित करने के लिए तकनीकी रूप से सुदृढ़ और मात्रात्मक मानदंड आधारित संकेतक चुने गए हैं, जिनमें शामिल हैं:

)        एसडीजी लक्ष्यों की संगतता

)        एनआईएफ के साथ संयोजन

)         आधिकारिक सांख्यिकी प्रणालियों से राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर डेटा की उपलब्धता

)    संबंधित मंत्रालयों/विभागों की सहमति

)    डेटा स्वामित्व, प्रशासनिक अथवा सर्वेक्षण, संगत मंत्रालयों के अनुरूप

)    पर्याप्त डेटा कवरेज, जैसे कि कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लिए डेटा उपलब्ध हो.

एनआईएफ, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के साथ मिलकर इन संकेतकों के चयन के लिए आधार के तौर पर कार्य करता है. जहां कहीं राज्य/संघ शासित प्रदेश स्तर का डेटा एनआईएफ संकेतों के लिए उपलब्ध नहीं होता है, आधिकारिक डेटा स्रोतों से उपयुक्त प्रतिनिधि संकेतकों की पहचान की जाती है. एनआईएफ संकेतकों को जिनका डेटा राज्य/संघ शासित प्रदेश स्तर पर उपलब्ध नहीं था, सूचकांक में शामिल नहीं किया जा सका.

2. लक्ष्य निर्धारण

आवश्यक कच्चा डेटा तैयार होने के बाद, अगला चरण प्रत्येक संकेतक के लिए लक्ष्य निर्धारण का है. प्रत्येक संकेतक के लिए 2030 के लिए एक उपयुक्त लक्ष्य मूल्य निर्धारित किया गया है.

3. कच्चे सूचक मूल्यों का सामान्यीकरण

इस कदम में सामान्यीकृत स्कोर पर पहुंचने के लिए प्रत्येक संकेतक को फिर से बढ़ाना शामिल होता है. 0 से 100 के मानक पैमाने पर संकेतक मूल्यों का सामान्यीकरण (0 सबसे खराब प्रदर्शन को दर्शाता है और 100 लक्ष्य उपलब्धि को दर्शाता है) तुलनीयता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है क्योंकि विभिन्न संकेतकों के मूल्यों की अलग-अलग श्रेणियां होती हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत व्यवहारों के अनुरूप प्रत्येक संकेतक के लिए समान अधिमान अपनाया जाता है.

4. समग्र सूचकांक स्कोर की गणना

अगला चरण प्रत्येक राज्य/संघ शासित प्रदेश के लिए समग्र सूचकांक स्कोर की गणना है. संयुक्त स्कोर प्रत्येक राज्य/संघ शासित प्रदेश के लिए 16 लक्ष्यों के लक्षित स्कोर का अंकगणितीय माध्यम है जो प्रत्येक लक्ष्य को समान अधिमान प्रदान करता है. यह स्कोर एसडीजी हासिल करने की दिशा में राज्यों/संघ शासित प्रदेशों की उनकी यात्रा में समग्र स्थिति का एक संकेत होता है.

एसडीजी इंडिया इंडेक्स 3.0 से क्या सीख मिलती है?

·         देश के समग्र एसडीजी स्कोर में 6 अंकों का सुधार हुआ है- यह 2019 में 60 से 2020-21 में 66 हो गया. यह इंगित करता है कि समग्र रूप से देश एसडीजी प्राप्त करने की दिशा में अपनी यात्रा में आगे बढ़ गया है. लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सकारात्मक कदम बड़े पैमाने पर लक्ष्य 6 (स्वच्छ पानी और स्वच्छता) और लक्ष्य 7 (किफायती और स्वच्छ ऊर्जा) में अनुकरणीय देशव्यापी कार्यनिष्पादन से प्रेरित है, जहां समग्र लक्ष्य स्कोर क्रमश: 83 और 92 है.

·         सात अन्य लक्ष्य सकारात्मक कदम दर्शाते हैं-3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण), 10 (असमानताओं में कमी), 11 (टिकाऊ शहर और समुदाय), 12 (न्यायोचित खपत और उत्पादन), 13 (जलवायु कार्रवाई), 15 (धरती पर जीवन), और 16 (शांति, न्याय और मज़बूत संस्थान), जिनमें भारत ने 65 और 99 के बीच स्कोर हासिल किया है.

·         दो लक्ष्यों-2 (शून्य भूख) और 5 (लिंग समानता) पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है, क्योंकि देश का कुल मिलाकर स्कोर 50 से नीचे है. हालांकि लक्ष्य 2 में नौ राज्य और लक्ष्य 5 में 12 राज्य 2019-20 की तुलना में इस वर्ष आकांक्षी श्रेणी से बाहर हो गए हैं.

·         राज्यों के लिए एसडीजी इंडिया इंडेक्स 3.0 स्कोर 52 और 75 के बीच है. संघ शासित प्रदेशों के लिए यह 62 से 79 बैंड के अंतर्गत आता है. यह 2019-20 से एक उल्लेखनीय सुधार प्रस्तुत करता है, जब राज्यों के लिए स्कोर 50 से 70 और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 59 और 70 के बीच भिन्न था.

·         केरल ने 75 के स्कोर के साथ शीर्ष राज्य के रूप में अपनी रैंक बरकरार रखी है. चंडीगढ़ ने भी 79 के स्कोर के साथ केंद्र शासित प्रदेशों में अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा.

·         तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश ने दूसरा स्थान हासिल किया, जबकि गोवा, उत्तराखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश ने तालिका में चौथा स्थान साझा किया.

·         चार वर्गीकरणों में कुल एसडीजी स्कोर के संदर्भ में राज्यों के वितरण को देखते हुए, कोई भी यह देख सकता है कि कोई भी राज्य सभी 17 लक्ष्यों पर 100 के स्कोर (अचीवर) पर नहीं है. जबकि 28 में से 15 राज्य फ्रंट-रनर श्रेणी में हैं और 13 राज्य परफॉर्मर श्रेणी में हैं, संघ शासित प्रदेशों में एक परफॉर्मर और सात फ्रंट-रनर श्रेणी में आते हैं.

·         जबकि 2019 में, दस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश फ्रंट-रनर की श्रेणी से संबंधित थे (दोनों सहित, 65-99 की सीमा में स्कोर के साथ), बारह और राज्य/संघ शासित प्रदेश 2020-21 में स्वयं को इस श्रेणी में पाते हैं.  उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, मिजोरम, पंजाब, हरियाणा, त्रिपुरा, दिल्ली, लक्षद्वीप, अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह, जम्मू एवं कश्मीर तथा लद््दाख ने फ्रंट-रनर श्रेणी में (दोनों मिलाकर 65 और 99 के बीच स्कोर) उन्नयन किया.

·         2019-20 से स्कोर में सुधार के मामले में मिजोरम, हरियाणा और उत्तराखंड 2020-21 में क्रमश: 12, 10 और 8 अंकों की वृद्धि के साथ शीर्ष स्थान पर हैं.

·         बिहार, झारखंड और असम क्रमश: 52, 56 और 57 के स्कोर के साथ सूचकांक में सबसे नीचे हैं. केंद्र शासित प्रदेशों में दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव ने 62 के स्कोर के साथ सबसे कम स्कोर हासिल किया है.

सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) क्या हैं?

सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी), जिन्हें 'सतत् विकास के लिए वैश्विक लक्ष्यÓ के तौर पर भी जाना जाता है, 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने ग़रीबी समाप्त करने, पृथ्वी की रक्षा करने, और 2030 तक सभी लोगों के लिए शांति और खुशहाली सुनिश्चित करने की कार्रवाई के वैश्विक आह्वान के तौर पर स्वीकार किए थे. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सतत् विकास लक्ष्य सभी के लिए बेहतर तथा अधिक टिकाऊ भविष्य हासिल करने का एक 'ब्लूप्रिंटÓ है. वे ग़रीबी, असमानता, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण क्षरण, शांति और न्याय सहित हमारे समक्ष आने वाली वैश्विक चुनौतियों का समाधान करते हैं.

17 एसडीजी एकीकृत हैं- वे यह मानते हैं कि एक क्षेत्र में कार्रवाई दूसरों में परिणामों को प्रभावित करेगी, और विकास को सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय स्थिति संतुलित करनी चाहिए. ये हैं (विशेष क्रमानुसार) कोई ग़रीबी नहीं; शून्य भूखमरी; अच्छा स्वास्थ्य और रहनसहन; गुणवत्ता शिक्षा; लिंग समानता, स्वच्छ पानी और स्वच्छता; किफायती और स्वच्छ ऊर्जा; समुचित काम और आर्थिक प्रगति; उद्योग; नवाचार और अवसंरचना, असमानता में कमी; सतत् शहर और समुदाय; न्यायोचित उपभोग और उत्पादन; जलवायु के लिए कार्रवाई; पानी के नीचे जीवन; धरती पर जीवन; शांति; न्याय और मज़बूत संस्थान; और लक्ष्य हासिल करने के लिए साझेदारी. संयुक्त राष्ट्र ने नोट किया कि यद्यपि ''नि:शक्तता:: शब्द का सभी लक्ष्यों में सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया गया है, लक्ष्य वास्तव में विकलांग व्यक्तियों के समावेश और विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रासंगिक है. भारत में, नीति आयोग का एसडीजी कार्यक्षेत्र, केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के सहयोग से सतत् विकास लक्ष्यों के समन्वय और निगरानी के लिए नोडल एजेंसी के तौर पर है. आयोग सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद के दृष्टिकोण के जरिए राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तरों पर एसडीजी ढांचे और संबद्ध पहलों के त्वरित आमेलन, कार्यान्वयन और निगरानी की दिशा में निरंतर कार्य करता है. आयोग देश में सतत् विकास लक्ष्यों को तीव्रता के साथ हासिल करने के वास्ते सरकार, नागरिक समाज, निजी क्षेत्र, शिक्षा संगठनों, थिंक टैंक, अनुसंधान संगठनों और बहुपक्षीय संगठनों सहित प्रमुख हितधारकों के साथ मिलकर कार्य करता है.

(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)

(स्रोत: नीति आयोग/संयुक्त राष्ट्र)