क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में कॅरिअर के अवसर
विजय प्रकाश श्रीवास्तव
भारत में बैंकिंग का एक रोचक इतिहास है. आज निर्धन व्यक्ति से लेकर धनवान व्यक्ति तक सभी, बैंकों के बारे में बात करते हैं और इन बैंकों की सेवाएं प्राप्त करने की स्थिति में हैं. स्वतंत्र भारत के प्रारंभिक वर्षों में यह स्थिति नहीं थी. हमें 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली और 26 जनवरी, 1950 को हम गणतंत्र बने. उन दिनों के हमारे महान नेता भारत को समान अवसर, सामाजिक न्याय और विकास के आदर्शों वाला एक सच्चा प्रजातंत्र बनाना चाहते थे.
किसी भी राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में बैंकों से, महत्वपूर्ण योगदान करने की प्रत्याशा की जाती है. तथापि, हमारे देश की स्वतंत्रता के समय हमारी बैंकिंग प्रणाली इसके लिए तैयार नहीं थी. देश में बैंक शाखाएं बहुत कम थी और अधिकाशंत: शहरी क्षेत्रों में स्थित थीं. ये शाखाएं उच्च व्यवसायियों, उद्योगपतियों तथा अन्य ऊंचे व्यक्तियों जैसे समाज के उच्च वर्गों की आवश्यकताओं को पूरा करती थीं. मजदूरों, छोटे किसानों तथा निम्न आय वर्गों के व्यक्तियों के लिए बैंकिंग सेवाएं उनकी पहुंच से बाहर थीं. यह स्थिति बैंकों का राष्ट्रीयकरण होने से पहले लगभग दो दशकों तक ऐसी ही बनी रही. सरकार ने 1969 में उठाए गए एक बड़े कदम के रूप में 14 बड़े निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया. सरकार चाहती थी कि ये बैंक देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक बड़ी भूमिका निभाएं. इसके लिए, देश में अधिकांशत: गांवों एवं छोटे शहरों में बड़ी संख्या में बैंक-शाखाएं खोली गईं. इन बैंकों के माध्यम से कई सरकारी प्रायोजित योजनाएं कार्यान्वित की गईं. ये योजनाएं, निर्धन व्यक्तियों को उत्पादनकारी कार्यों में लगाकर उन्हें आयअर्जक अवसर देने, किसानों को उर्वरक, कीटनाशकों और खेती के उपस्कर खरीदने के लिए बैंक की वित्तीय सहायता का उपयोग करके फसल की पैदावार बढ़ाने में उनकी सहायता करने पर केंद्रित थीं. इस तरह, बैंकिंग ने समाज के निम्न वर्ग की बड़ी जनसंख्या के लिए अपने दरवाजे खोले.
राष्ट्रीयकृत बैंक अपनी भूमिका अच्छी तरह निभा रहे थे. तथापि, अनुभव किया गया कि बैंकों का यह ढांचा हमारी ग्रामीण जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरी तरह से पूर्ण नहीं कर सकता. भारत की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या गांवों में रहती है और इन्हें सभी विकास योजनाओं में शामिल किए जाने की आवश्यकता है. इस क्षेत्र की बैंकिंग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए देशभर में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आर.आर.बी.) स्थापित करने का निर्णय लिया गया. इस उद्देश्य से 26 सितंबर, 1975 को एक अध्यादेश लागू किया गया जिसे बाद में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 से बदल दिया गया. अधिनियम में कहा गया कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना ग्रामीण क्षेत्र में, विशेष रूप से छोटे एवं सीमांत किसानों, कृषि मजदूरों, कारीगरों तथा छोटे उद्यमियों आदि को के्रडिट एवं अन्य सुविधाएं देकर कृषि, व्यापार, वाणिज्य, उद्योग तथा अन्य उत्पादन कार्यों के विकास का प्रावधान करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास करने के लिए की जा रही है.
ये बैंक, विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा 35% शेयर के साथ प्रायोजित बैंकों के रूप में स्थापित किए जाने थे. इसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 50% था और शेष 15% हिस्सा राज्य सरकार को गया. प्रथम बैंक नामक पहला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आर.आर.बी.) सिंडिकेट बैंक द्वारा प्रायोजित था और इसकी स्थापना 02 अक्टूबर, 1975 को मुरादाबाद में की गई. इसके बाद 4 अन्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आर.आर.बी.) स्थापित किए गए, जिनके मुख्यालय गोरखपुर (उप्र), मालदा (पश्चिम बंगाल), भिवानी (हरियाणा) तथा जयपुर (राजस्थान) में थे.
वर्ष 1987 के अंत तक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या बढक़र 196 हो गई. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना कम लागत वाली संस्था के रूप में की गई थी. अपने परिचालन के प्रारंभिक वर्षों में इनमें से अधिकांश बैंकों को घाटा उठाना पड़ा. अपनी कार्य प्रणालियों में दक्षता लाने तथा उठाए गए घाटे को कम करने के लिए इनका पुनर्गठन करना आवश्यक समझा गया. इसी के परिणामस्वरूप आज देश में 56 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं, जिनकी 644 जिलों में लगभग 21000 शाखाएं और 87000 कर्मचारी हैं. इनके वेतनमान राष्ट्रीयकृत बैंकों के समान हैं. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 50 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अब लाभ में हैं. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की राज्यवार सूची भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वेबसाइट पर देखी जा सकती है. देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के 14 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं जिनकी 3784 शाखाएं हैं.
वित्तीय समावेशन हमारी सरकार के समकक्ष एक बड़ा एजेंडा है. वित्तीय समावेशन को यथार्थ बनाने, ग्रामीण विकास एवं राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के व्यापक विकास में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की भूमिका को ध्यान में रखते हुए प्रायोजित बैंक एवं सरकार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को सुदृढ़ एवं शक्ति प्राप्त बनाने के प्रत्येक प्रयास कर रहे हैं. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक विधेयक, 2015 पारित किया गया और 12-5-2015 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया. इस संशोधन के साथ ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अपनी शाखाएं खोलने/बंद करने की तथा पूंजी बढ़ाने और निवेश करने की और स्वतंत्रता मिल गई है.
अपने प्रारंभ होने से, अब क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने काफी प्र्रगति की है. अन्य बैंकों की तरह, ये बैंक भी प्रौद्योगिकी का व्यापक प्रयोग कर रहे हैं और नवप्रवर्तित तथा बैंकिंग उत्पाद तथा सेवाएं दे रहे हैं. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की शाखाओं के साथ भारतीय बैंकिंग प्रणाली देश के कई दूर-दराज के स्थानों पर पहुंच गई है.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में कार्य स्थितियां कुल मिलाकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसी ही हंै. तथापि, कर्मचारियों का स्थानांतरण सीमित है, क्योंकि किसी विशेष क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शाखाएं किसी राज्य या संघ शासित क्षेत्र के कुछ नजदीकी जिलों में स्थित होती हैं.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में रोजग़ार
व्यापक कम्प्यूटरीकरण के बावजूद, बैंकिंग अभी भी मानव चालित एक उद्योग है. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को भी अपने कार्यों के प्रबंधन तथा और अपनी विस्तार योजनाओं को पूरा करने के लिए व्यक्तियों की आवश्यकता होती है. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में भर्ती करने का कार्य बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आई.बी.पी.एस.) को दिया जाता है. आई.बी.पी.एस. ने, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की बहुत बड़ी संख्या में रिक्तियां हाल ही में विज्ञापित की हैं. लिपिकीय संवर्ग में कार्यालय सहायकों और विभिन्न स्केल्स में अधिकारियों की आवश्यकता है. रिक्तियां समूह ‘क’- अधिकारी (स्केल I, II एवं III ) तथा समूह ‘ख’-कार्यालय सहायक (बहु-उद्देश्यीय) में विभाजित की जाती हैं.
स्केल-I सामान्य बैंकिंग अधिकारियों के लिए, सभी विषयों के स्नातक पात्र हैं. तथापि, कृषि, पशुपालन, कृषि इंजीनियरी, कृषि विपणन एवं को-ऑपरेशन, बागवानी, वानिकी, मत्स्यपालन ,पशु-चिकित्सा विज्ञान, लेखाकारिता, अर्थशास्त्र, सूचना प्रौद्योगिकी, विधि एवं प्रबंधन में स्नातकों को वरीयता दी जाएगी.
स्केल-II एवं III सामान्य बैंकिंग अधिकारियों के पद न्यूनतम कुल 50% अंकधारी सभी स्नातकों के लिए हैं. इन पदों के लिए भी ऊपर यथा उल्लिखित कुछ विषयों में स्नातकों को वरीयता दी जाएगी. स्केल-II के लिए किसी बैंक या वित्तीय संस्था में किसी अधिकारी के रूप में दो वर्ष का अनुभव और स्केल-III के लिए पांच वर्ष का अनुभव अतिरिक्त अपेक्षा है. विशेषज्ञ स्केल-II अधिकारियों के लिए सीमित रिक्तियां हैं, जिनके लिए उम्मीदवार के पास विशेषज्ञतापूर्ण योग्यता होने के साथ एक से दो वर्ष का अनुभव होना चाहिए. सभी पदों के लिए उम्मीदवार, विशेष क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के लिए यथा लागू स्थानीय भाषा में दक्षता रखते हों. स्थानीय भाषा की आवश्यकता की जानकारी आई.बी.पी.एस. की वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं. सामान्यत:, स्थानीय भाषा का अर्थ यह होगा कि उस राज्य की भाषा, जहां क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक स्थित है. कम्प्यूटर का कार्यसाधक ज्ञान सभी पदों के लिए वांछनीय है.
कार्यालय सहायकों और स्केल-I अधिकारियों के पदों के लिए उम्मीदवारों को पहले ऑब्जेक्टिव प्रकृति के प्रश्नों वाली प्रारंभिक परीक्षा में बैठना अपेक्षित होता है. कार्यालय सहायकों के लिए तर्क-संगतता और संख्यात्मक क्षमता में से प्रत्येक के 40 प्रश्न होंगे. स्केल-I अधिकारियों की प्रारंभिक परीक्षा में तर्क-संगतता और मात्रात्मक अभिरुचि में से प्रत्येक के 40 प्रश्न होंगे. दोनों मामलों में परीक्षा का माध्यम हिंदी/अंगे्रजी होगा और परीक्षा का उत्तर 45 मिनट में देना होगा. प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले उम्मीदवारों को दो घंटों के समय की मुख्य परीक्षा के लिए बुलाया जाएगा. दोनों पदों के लिए तर्क-संगतता, सामान्य जानकारी/जागरूकता, अंगे्रजी एवं हिंदी भाषा तथा कम्प्यूटर का ज्ञान समान है. इसके अतिरिक्त कार्यालय सहायकों के पद के लिए उम्मीदवारों को संख्यात्मक क्षमता परीक्षा और स्केल-I अधिकारी के पद के लिए मात्रात्मक अभिरुचि परीक्षा के प्रश्नों के उत्तर देने होंगे. स्केल-II एवं III के सामान्य बैंकिंग अधिकारियों की परीक्षा में तर्क-संगतता, मात्रात्मक अभिरुचि तथा डाटा-इंटरप्रेटेशन, वित्तीय जानकारी, अंगे्रजी/हिंदी भाषा और कम्प्यूटर ज्ञान पर ऑब्जेक्टिव प्रश्नों वाली केवल एक परीक्षा होगी. स्केल-II विशेषज्ञ संवर्ग के लिए, विशेषज्ञता के क्षेत्र में व्यावसायिक ज्ञान की अतिरिक्त परीक्षा के अकेले अपवाद के साथ, परीक्षा पद्धति समान रहेगी. विपणन प्रबंधक के लिए उम्मीदवारों से विपणन से संबंधित प्रश्न और विधि अधिकारी बनने के इच्छुक उम्मीदवारों से विधि संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे. सभी मामलों में, जहां तक परीक्षा की भाषा का संबंध है उम्मीदवारों को हिंदी अथवा अंगे्रजी भाषा चुनने का विकल्प है. यह समझना आसान है कि इस भाग विशेष में उत्तर उसी भाषा से चुने जाएंगे.
सभी परीक्षाओं में, गलत उत्तर के अंक काटे जाएंगे. इसके अतिरिक्त उत्तीर्ण होने के लिए किसी भी उम्मीदवार को प्रत्येक परीक्षा में न्यूनतम निर्धारित अंक प्राप्त करने होंगे. इसका अर्थ यह हुआ कि यदि कोई उम्मीदवार अच्छे संयुक्त अंक प्राप्त करता है, किंतु किसी विशेष भाग में असफल रहता है तो वह उत्तीर्ण होने में असफल रहेगा. इसलिए, उम्मीदवारों को परीक्षा के सभी भागों के लिए अच्छी तैयारी करनी होगी. लिखित परीक्षा में प्रदर्शन और उपलब्ध रिक्तियों ेके आधार पर, अधिकारियों के पद के लिए साक्षात्कार हेतु उम्मीदवारों को एक निर्धारित संख्या में बुलाया जाएगा. ऐसे साक्षात्कार का समन्वय नोडल क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नबार्ड) एवं आई.बी.पी.एस. की सहायता से किया जाएगा. कार्यालय सहायक के पद के लिए चयन साक्षात्कार के बिना केवल मुख्य लिखित परीक्षा के आधार पर किया जाएगा.
लिखित परीक्षा की तैयारी : लिखित परीक्षा में केवल ऑब्जेक्टिव प्रकृति के प्रश्न होंगे. प्रत्येक प्रश्न का केवल एक सही उत्तर होगा जिसे पहचानकर उत्तर पुस्तिका में लिखना होगा. कई पाठक ऐसी परीक्षाओं में पहले बैठ चुके होंगे. उन्हें अपने अनुभव से सीख लेनी चाहिए और उन्हें बेहतर गति एवं शुद्धता से अपने अंकों में सुधार करना चाहिए. परीक्षा के विभिन्न वर्गों के संबंध में निम्नलिखित घटक आपकी तैयारी में सहायता कर सकते हैं.
तर्कसंगतता : इस भाग में प्रश्न वर्बल और नॉन-वर्बल तर्क संगतता से संबंधित हो सकते हैं. वर्बल तर्क संगतता के अंतर्गत, किसी कथन के आधार पर कुछ निष्कर्षों का उल्लेख किया जाएगा, जिनमें से आपसे ऐसे सही निष्कर्ष का चयन करने की आशा की जाएगी जो तर्क-संगत हो. यहां महत्वपूर्ण यह तथ्य है कि आप अपने पूर्वाग्रह या अवधारणा से अलग होकर केवल कथन पर ध्यान केंद्रित रखें. कथन काल्पनिक भी हो सकता है. नॉन-वर्बल तर्क संगतता में चित्रात्मक, संख्यात्मक या वर्ण मूलक समस्याएं शामिल हो सकती हैं इनमें से आपको विषम या पृथक का पता लगाना होगा या जो शृंखला के अनुसार है उसका पता लगाना होगा. इसमें सफलता प्राप्ति के लिए आपकी मानसिक सतर्कता, दृश्य निर्णय एवं अवलोकन क्षमता अर्थात आई फोर डिटेल आपकी सहायता करेगी.
संख्यात्मक क्षमता : संख्यात्मक क्षमता परीक्षा में जोड़, घटा, गुणा एवं भाग, संख्या क्रम, प्रतिशतता पावर्स एवं फै्रक्शन्स, अंकों के बीच संबध आदि से जुड़ी मूल अंक गणितीय समस्याएं होंगी. संख्यात्मक क्षमता एवं मात्रात्मक अभिरुचि किसी सीमा तक समान होती है. संख्यात्मक क्षमता परीक्षा को एक गति परीक्षा के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है और इसका प्रयोग आपकी सहजता एवं अंकों का निर्धारण करने के लिए किया जाता है. याद रखें, बैंकिंग में आपको राशि एवं संख्या से जुड़े कार्य करने होंगे.
मात्रात्मक अभिरुचि : इस भाग में विभिन्न प्रकार की ऐसी अंकगणितीय समस्याएं होंगी जिनके समाधान आपने छठी से दसवीं कक्षा तक निकाले होंगे. ये प्रश्न प्रतिशतता, समय एवं कार्य, औसत, अनुपात एवं समानुपात, समय, गति एवं दूरी, लाभ एवं हानि, ब्याज (साधारण एवं चक्रवृद्धि) स्थान एवं मात्रा आदि से संबंधित हो सकते हैं. अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए आपको सिद्धांतों, बोडमास सिद्धांत की जानकारी तथा कैलकुलेटर के प्रयोग के बिना तीव्र एवं परिशुद्ध परिकलन की क्षमता होनी चाहिए.
डाटा निर्वचन (डाटा इंटरप्रटेशन) : उम्मीदवारों को डाटा निर्वचन के प्रश्न विभिन्न डाटा और कुछ विकल्पों के साथ दिए जाते हैं. सही उत्तर का पता लगाने के लिए आपको डाटा को समझना एवं विश्लेषण करना होगा. ऐसे डाटा सामान्य विवरण, तालिकाओं बार डायग्राम्स, पाइ चार्ट्स, लाइन ग्राफ्स आदि के रूप में हो सकते हैं. आपका तीव्र अवलोकन एवं विश्लेषण क्षमता इस भाग में प्रश्नों के समाधान में आपको सहायता देगी.
वित्तीय जानकारी: इस भाग में भारतीय वित्तीय प्रणाली, बैंकिंग प्रणाली, विभिन्न प्रकार के बैंक, भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना, भुगतान बैंक, वित्तीय एवं बैंकिंग क्षेत्र सुधार, विभिन्न वित्तीय संस्थाएं, भारतीय रिजर्व बैंक की भूमिका, सरकार द्वारा संवर्धित जनधन योजना जैसी विभिन्न वित्तीय योजनाओं आदि से संबंधित प्रश्न होंगे.
सामान्य जानकारी : किसी भी प्रतिस्पर्धी परीक्षा में बैठने की इच्छा रखने वाले सभी उम्मीदवारों को सामान्य जानकारी अच्छी होनी चाहिए. आई.बी.पी.एस. परीक्षा में, इस भाग में पूछे जाने वाले प्रश्न वर्तमान घटनाओं, इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, संविधान, पुरस्कार, पर्यावरण, कला, संगीत, प्रौद्योगिकी, प्रसिद्ध हस्तियों आदि से जुड़े हो सकते हैं.
अंगे्रजी भाषा : इस भाग में अंगे्रजी भाषा के सामान्य नियमों के आपके ज्ञान की परीक्षा ली जाएगी. प्रश्न अंगे्रजी के उपयोग, कम्प्रीहेंसन, मैचिंग वर्ड, फिल इन द ब्लैंक्स, दिए गए वाक्य में गलत भाग का पता लगाने, सिनोनिम्स, एंटोनिम्स, वोकाबुलरी आदि से संबंधित प्रश्न हो सकते हैं. यह अंगे्रजी साहित्य की परीक्षा नहीं है. इस भाग का उत्तर देने के लिए मूल व्याकरण का ज्ञान एवं समझ क्षमता होना आवश्यक है.
हिंदी भाषा : इस भाग में प्रश्न हिंदी व्याकरण, वाक्य पूरा करने में सही शब्द का उपयोग करने, वाक्य में गलतियां ढूंढने एक अर्थपूर्ण अनुच्छेद बनाने के लिए वाक्यों को क्रम में रखने आदि से संबंधित होंगे. अंगे्रजी एवं हिंदी दोनों भाषाओं के प्रश्न-पत्रों की संरचना एक-दूसरे से बहुत अधिक अलग नहीं होगी.
कम्प्यूटर ज्ञान : हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर दोनों का ज्ञान अपेक्षित है. आपको इन दोनों के प्रश्नों के लिए तैयार रहना चाहिए. इस भाग में बेहतर करने के लिए आपको हार्डवेयर (कम्प्यूटर पाटर््स) डाटा बेस, नेटवर्किंग, इंटरनेट, माइक्रोसॉफ्ट विंडो उपयोग, सुरक्षा उपकरणों, कम्प्यूटर के विभिन्न अनुप्रयोग आदि का बुनियादी ज्ञान होना चाहिए. हो सकता है कि आप प्रतिदिन कम्प्यूटर का प्रयोग करते होंगे, जो आपकी सहायता करेगा, फिर भी आपको अपने कम्प्यूटर ज्ञान को बढ़ाने की आवश्यकता होगी.
व्यावसायिक ज्ञान : विशेषज्ञ पदों के लिए उम्मीदवारों को, व्यावसायिक डिग्री जैसे एम.बीए., एल.एल.बी., सी.ए., जो भी मामला हो, धारी होना चाहिए. सामान्यत: यह उनकी अत्यधिक ताजा योग्यता होगी. इसका यह तात्पर्य नहीं है कि अतिविश्वासी हो जाएं. इस भाग का उपयोग अपने सम्पूर्ण अंक बढ़ाने के लिए करें. इस भाग में आपकी विशेषज्ञता के क्षेत्र में शामिल विषयों की संकल्पनात्मक समझ की परीक्षा ली जाएगी. उदाहरण के लिए, विपणन में विशेषज्ञता के लिए प्रश्न विपणन कार्यों, प्रक्रिया एवं नियोजन, ब्रांडिंग, बाजार क्षेत्र, अनुसंधान सेवा विपणन आदि से जुड़े हो सकते हैं.
सामान्य जानकारी, कम्प्यूटर एवं व्यावसायिक ज्ञान के लिए आपको अध्ययन पर और उसके बाद सैम्पल प्रश्न-पत्रों का उत्तर लिखने पर ध्यान केंद्रित करना होगा. अंगे्रजी एवं हिंदी भाषाओं के लिए जनरल इंग्लिश एवं सामान्य हिंदी की अच्छी पुस्तकें पढ़ी जा सकती हैं. मात्रात्मक अभिरुचि, तर्क-संगतता तथा संख्यात्मक क्षमता के भागों के संबंध में, स्पष्टीकरण वाले सुलझाए गए नमूनों को पढऩा और बाद में स्वयं अभ्यास करना बेहतर होगा. इससे आप प्रश्न पद्धति से परिचित हो जाएंगे. अभ्यास करने से आपको अपनी गति बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी, जो सभी प्रश्नों का उत्तर लिखने में सक्षम होने के लिए महत्वपूर्ण है.
आप अभ्यास करने के लिए एक या अधिक बैंक परीक्षा की गाइडें चुन सकते हैं, जिनमें परीक्षा के विभिन्न भाग तथा सुलझाए गए नमूने (एक्जाम्पल) एवं प्रश्न शामिल होते हैं. अभ्यास के लिए आप पृथक वर्कबुक्स भी ले सकते हैं. इलेक्ट्रॉनिक रूप में वर्कबुक्स ऑनलाइन भी उपलब्ध है.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में आपका कार्य अनुभव आपको सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा अन्य बड़ी वित्तीय संस्थाओं में लेटरल एंट्री प्राप्त करने में सहायता करेगा.
(लेखक एक कॅरिअर काउन्सलर हैं. व्यक्त किए गए विचार व्यक्गित हैं
ई-मेल : v2j25@yahoo.in)
चित्र: गूगल के सौजन्य से