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खुदरा व्यवसाय में करिअर

रुचि श्रीमाली

भारत में संगठित खुदरा व्यवसाय अभी भी अपने नवजात चरण पर है. तथापि, 2009 से 2013 तक यह 19 से 20 प्रतिशत के संचयी संचित विकास दर (सी.ए.जी.आर.) का साक्षी था, 2015 में भी, यह अनुमान लगाया था कि पूरे भारत में 15 मिलियन से भी अधिक घरेलू स्टोर्स हैं, जबकि संगठित खुदरा बाजार भारतीय खुदरा बाजार का मात्र 8 प्रतिशत है. आशा है कि 2020 तक संगठित खुदरा बाजार भारत के संपूर्ण खुदरा बाजार का कम से कम 24 प्रतिशत हो जायेगा.

भारतीय अर्थव्यवस्था के एक सबसे बड़े क्षेत्र खुदरा क्षेत्र का सम्पूर्ण बाजार आकार 600 बिलियन अमरीकी डॉलर के आसपास है, जिसके 2020 तक 1.3 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुंचने की आशा है. यह भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के 10 प्रतिशत से कुछ अधिक है और भारत में लगभग 8 प्रतिशत कार्यशील व्यक्तियों को रोजग़ार देता है.

खुदरा क्षेत्र में कुछ नए स्टोर्स के आने से यह क्षेत्र हमारे देश के एक अत्यधिक गतिशील उद्योग के रूप में उभरा है. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अब भारत रिटेल बाजार में विश्व के पांचवें सबसे बड़े स्थान पर आ गया है.

भारत में फिजिकल स्टोर्स के अतिरिक्त, ऑनलाइन खुदरा व्यवसाय भी अच्छी स्थिति में है. आशा है कि इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या बढऩे के साथ ही भारत 2018 तक विश्व का सबसे तीव्र गति से विकासशील ई-कॉमर्स क्षेत्र बन जाएगा, भारत में ई-कॉमर्स बिक्री के 55 बिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुंचने की आशा है. विश्वसनीय नेटवर्क की तीव्र गति पर उपलब्धता के साथ ही, यह आशा है कि अधिक से अधिक व्यक्ति ऑनलाइन शॉपिंग सुविधाएं लेने लगेंगे. 2025 तक, भारत में लगभग 530 मिलियन शॉपर्स होंगे और ई-कॉमर्स के सकल, मर्चेंडाइज मूल (जी.एम.बी.) के 220 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने की आशा है.

भारतीय प्रत्यक्ष विक्रय एसोसिएशन (आई.डी.एस.ए.) और पी.एच.डी. की एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रत्यक्ष विक्रय उद्योग, 2019 तक 23,654 करोड़ रु. (3.55 बिलियन अमरीकी डॉलर) तक पहुंच सकता है.

अब, सरकार ने मल्टी-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आई.) और एकल-ब्राण्ड क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफ.डी.आई. का प्रस्ताव किया है, इससे इस क्षेत्र के और विकास करने की आशा है.

खुदरा उद्योग में कॅरिअर की प्रकृति

खुदरा क्षेत्र में सफलता का मंत्र है - अपने ग्राहकों को सही मूल्य पर, सही भंडारों में, अच्छे उत्पाद देना. क्रेता टीम, उपलब्ध उत्पादों का मूल्यांकन करके किसी स्टोर के लिए एक लाभ योग्य उत्पाद शृंखला का निर्णय लेती है, तथा साथ ही यह भी निर्णय लेती है कि ग्राहकों की अत्यधिक मांग किस उत्पाद की होगी तथा स्टोर किस उत्पाद से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकता है. यह टीम सप्लायरों अथवा खरीददारों से श्रेष्ठ संभावित मूल्य भी तय करती है, और उसे स्टोर में उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण, स्टोर में डिस्प्ले तथा ब्रांड प्रबंधन की जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ सकती हैं.

यदि आप स्नातक हैं और शॉप फ्लोर का कुछ अनुभव रखते हैं, व्यावसायिक चतुरता रखते हैं तथा यह ज्ञान रखते हैं कि किस विशेष वर्ग (जैसे खाद्य, सौंदर्य प्रसाधन, फैशन परिधान आदि) में कौन सा उत्पाद श्रेष्ठ रहेगा तो आप एक क्रेता की भूमिका आसानी से निभा सकते हैं.

क्रय-निर्णय लेने के लिए आपको बाजार, उपभोक्ताओं और प्रतिस्पर्धियों का अध्ययन करना होगा. आपको प्रशासनिक कार्य भी करने पड़ सकते हैं और यह भी पता लगाना पड़ सकता है कि कोई उत्पाद प्राप्त करने और वेयरहाउस तक पहुंचाने के लिए कौन सा स्रोत अत्यधिक उपयुक्त है. ग्राहक की क्रय-पद्धति तथा उनकी क्रय-प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए आप ऑनलाइन या फिजिकल रिटेल स्टोर में संतुलन तथा व्यावसायिक उत्पाद रेंज बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार होंगे. बड़े खुदरा स्टोर्स में, क्रेता किसी विशेष उत्पाद क्षेत्र पर कार्य कर सकते हैं, किंतु छोटे स्टोर्स में उन्हें एक साथ कई कार्य करने पड़ सकते हैं.

बाजार की जानकारी के अतिरिक्त, अच्छा संचार-कौशल, लचीला, उत्साही और एक अच्छा संयोजक होना, तीव्रगति से और एक सुगठित टीम के रूप में कार्य करना, आदि गुण आपको इस क्षेत्र में श्रेष्ठ बनाने में सहायक हो सकते हैं.

मर्चेंडाइजिंग

मर्चेंडाइजिंग प्राय: क्रेताओं के पास कार्य करते हैं. वे प्रसिद्ध बिक्रियों और स्टॉक-डाटा की खोज तथा विश्लेषण करते हैं और स्टोर्स के लिए बिक्री एवं स्टॉक आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए चालू ट्रेण्ड्स पर निगाह रखते हैं. वास्तव में, ये मर्चेंडाइजर्स ही होते हैं, जो यह निर्णय लेते हैं कि आगामी मौसमों में कितने खरीददार किसी विशेष प्रकार की मद खरीद सकते हैं.

खुदरा चेन स्टोर्स में, अधिकतम लाभ कमाने के लिए, मर्चेंडाइजर्स को प्राय: इस उद्देश्य से मुख्यालय में रखा जाता है कि वे यह निर्णय लें कि किस स्टोर में किस तरह के उत्पाद रखे जाएं (बाजार सूचना तथा आंकड़ों के आधार पर). स्टॉक नियंत्रक, वितरण एवं एलोकेटर्स-ये सभी मर्चेंडाइजर्स की परिभाषा में ही आते हैं.

स्टोर्स को स्टॉक आबंटित करना, और यह सुनिश्चित करना कि सप्लायरों ने सही समय पर सही स्टोर को माल पहुंचा दिया है - मल्टी-ब्रांड खुदरा आउटलेट्स में एक बहुत कठिन भूमिका है. गहन डाटा विश्लेषण क्षमता, सशक्त, वाणिज्यिक प्रकृति, अच्छा संचार कौशल और खुदरा क्षेत्र की अच्छी जानकारी रखने वाले स्नातक इस क्षेत्र को चुन सकते हैं. कम्प्यूटर कौशल, गणित, सांख्यिकी, वित्तीय अध्ययन, तथा व्यवसाय अध्ययन आपको इस क्षेत्र में लाभ दे सकते हैं.

विजुअल मर्चेंडाइजिंग

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि किसी स्टोर में कुछ उत्पाद किस तरह आपका ध्यान निरंतर आकर्षित करते हैं? यह विजुअल मर्चेंडाइजर्स का कार्य है. विजुअल मर्चेंडाइजर्स किसी स्टोर में माल इस तरह सजा कर रखते हैं कि ग्राहक को वे और आकर्षित लगे और उनकी बिक्री सुगमता से हो जाए. किसी स्टोर या खुदरा स्टोर या दुकान में ग्राफिक्स से विंडो डिस्प्ले तथा स्टोर लेआउट में उत्पादों की सजावट योजना विजुअल मर्चेंडाइजर्स ही करते हैं. स्टोर अथवा उसके किसी विभाग को लुभावना बना कर ग्राहकों की संख्या बढ़ाने और विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करके चुने हुए उत्पादों को सही जगह रखने या आकर्षक बनाने के लिए रचनात्मकता एवं कुशाग्रबुद्धि होना आवश्यक है.

विजुअल मर्चेंडाइजिंग, फेशन मर्चेंडाइजिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग और ललित कला पाठ्यक्रम इस क्षेत्र में रोजग़ार तलाशने के आपके अवसरों को बढ़ा सकते हैं. रिटेल (खुदरा) अनुभव और ग्राहकों की खरीदारी पद्धति का ज्ञान इस लइन में अत्यधिक उपयोगी होते हैं, और उद्योग प्रवृत्तियों की जानकारी विजुअल मर्चेंडाइजिंग कार्यों में आपको अतिरिक्त लाभ देती है.

डिजाइनिंग

डिजाइनर दो मौसम पहले ही यह जानने के लिए मर्चेंडाइजर्स की सहायता लेते हैं कि ग्राहक क्या खरीदना चाहेगा. उसके बाद वे अपनी सोच को वास्तविक उत्पाद रेंज में परिणत करने के लिए अपनी क्रेता टीम के साथ कार्य करते हैं. कोई फैशन या वस्त्र डिजाइनिंग डिग्री, नवीनतम फैशन चलन (स्थानीय तथा वैश्विक-दोनों) पर पैनी दृष्टि रखना, प्रख्यात पोर्टफोलियो, डिजाइनिंग की अभिरुचि तथा व्यावसायिक कुशाग्र-बुद्धि के गुण होना इस क्षेत्र में सफल होने के लिए सभी डिजाइनरों के लिए आवश्यक हैं.

निटवियर, ग्राफिक डिजाइनिंग, पहनावा प्रौद्योगिकी, फैशन मार्केटिंग या क्रय आदि अन्य ऐसे पाठ्यक्रम हैं जिन्हें आप चुन सकते हैं.

यदि आप फैशन पत्रिकाओं को पढऩे, रैम्प-शो देखने, डिजाइन मेलों में जाने तथा समाज में किसी भी मौसम में दिखने वाले नवीनतम फैशन को तलाशने की रुचि रखते हैं तो आप इस क्षेत्र में रोजग़ार में आ सकते हैं.

प्राय:, आगे बढऩे के लिए आपको छोटी एवं धीमी शुरूआत करनी होती है, और इसका अर्थ फाइल कार्य करना, कपड़ों के नमूने लेना तथा नमूना-कार्ड बनाना भी हो सकता है. अधिकांश विनिर्माता या डिजाइनर ब्राण्ड ऐसे डिजाइनर्स को नहीं चुनते जिन्हें कोई विगत अनुभव नहीं होता. इसलिए इस उद्योग में कुछ अनुभव (भले ही यह अनुभव सहायक के रूप में हो) आपको आपकी पसंद का रोजग़ार दिलाने में सहायक हो सकता है.

थोक कार्य

थोक, खुदरा के क्रय-चक्रका एक भाग है. इसमें माल के विनिर्माण से लेकर रिटेल बाजार में उत्पाद भेजने जैसे कई कार्य शामिल होते हैं. इसमें आयात, निर्यात, विक्रय तथा मर्चेंडाइजिंग शामिल हैं. फैशन या व्यवसाय में कोई डिग्री तथा खुदरा मुख्यालय या थोक माहौल में कुछ संबंधित अनुभव इस क्षेत्र में आपके लिए कई अवसर दिला सकता है.

तकनीकी एवं उत्पादन भूमिकाएं:

प्रौद्योगिकीविद् किसी खुदरा क्षेत्र में गुणवत्ता नियंत्रणकार्य करते हैं. वे सुनिश्चित करते हैं कि सभी उत्पाद गुणवत्ता तथा सुरक्षा के लिए विधिक और विनियामक विनिर्दिष्टियां तथा क्रेताओं द्वारा निर्धारित विनिर्दिष्टियां पूरी करते हैं. ये प्राय: इंजीनियरी और खाद्य विज्ञान पृष्ठभूमि से आते हैं. तथापि वस्त्र प्रौद्योगिकीविदों को फैशन या वस्त्र प्रौद्योगिकी में डिग्री आवश्यक होती है.

प्रौद्योगिकीविदों को अत्यधिक विश्लेषिक एवं तर्कणा कौशल की आवश्कता होती है, और प्राय: उन्हें नए उत्पादों तथा उनमें प्रयोग में लाई गई सामग्रियों की जांच करनी होती है.

रासायनिक एवं भौतिकीय विज्ञान, कम्प्यूटिंग एवं गणित, उत्पादन इंजीनियरी, सामग्री विज्ञान तथा गुणवत्ता प्रबंधन पाठ्यक्रम भी आपको इस तरह के खुदरा रोजग़ार दिलाने में सहायक हो सकते है.

विपणन एवं जनसम्पर्क:

खुदरा उद्योग में विपणन अनुसंधान से लेकर उत्पादों को बढ़ावा देने और बिक्री बढ़ाने तक के व्यापक उपयोग क्षेत्र हैं. विपणन और जनसम्पर्क कार्मिक उपभोक्ता बाजार अनुसंधान करते हैं, तथा ब्राण्ड कवरेज के लिए प्रेस तथा पत्रिकाओं (इलेक्ट्रॉनिकी एवं ऑनलाइन मीडिया पर निगरानी रखते है. तथा ग्राहक संतुष्टि प्रश्नावली को भी पूरा करते हैं.

इनकी कार्य-भूमिका में प्रेस विज्ञप्तियां लेखन तथा उन्हें जारी करना, विपणन सामग्रियों का स्रोत बनाना तथा उन्हें भेजना, विज्ञापन अभियानों का एवं फोटो शूट्स कार्य करना, लाइन इवेंट्स का आयोजन करना और किसी मीडिया अभियान की सफलता का पता लगाने के लिए डाटा-विश्लेषण करना शामिल है.

विपणन, जनसम्पर्क तथा विज्ञापन, व्यवसाय प्रबंधन, सूचना प्रणाली तथा संचार में कोई डिग्री इस क्षेत्र में आने के लिए अत्यधिक उपयुक्त हो सकती है, तथापि, अंग्रेजी सहित या संबंधित विषयों में कोई डिग्री आपको रोजग़ार दिलाने में भी सहायक हो सकती है.

खुदरा एवं आतिथ्य कार्य:

किसी खुदरा स्टोर में ग्राउण्ड स्टाफ (जो ग्राहकों को संभालते हैं और दैनिक आधार पर स्टोर चलाते है) इस श्रेणी में आता है. जिम, होटल, रिसॉर्ट या व्यवसाय आउटलेट के शॉपफ्लोर कर्मचारी तथा सभी परिचालन कर्मचारी (स्वागती से लेकर प्रबंधक तक) इस श्रेणी में आते हैं.

इस क्षेत्र में आने के लिए जरूरी नहीं है कि आप स्नातक हों, प्रबंधन पद पर आने के लिए खुदरा के लिए रुचि, प्रेरणा तथा वचनबद्धता होना पर्याप्त है.

सप्लाई चेन, वितरण या संभार-तंत्र कार्य भूमिकाएं:

उत्पादों की सही स्थान पर और सही समय पर डिलीवरी, खुदरा कार्यों का एक महत्वपूर्ण अंग है. यदि आप वितरण या सप्लाई के पद पर हैं तो आप माल के वितरण, स्टोरेज केन्द्रों के प्रबंधन तथा ग्राहक अनुबंधों को पूरा करने के लिए जिम्मेदार हैं. वरिष्ठ पदों पर आपको बाजार सूचना, पंजी तथा सुविधाओं, मजदूरों आदि जैसे अन्य खुदरा कार्य भी करने पड़ सकते हैं.

यद्यपि, इस क्षेत्र में आने के लिए कोई डिग्री अनिवार्य नहीं है, किंतु व्यवसाय प्रबंधन, वितरण एवं संभार-तंत्र, अर्थशास्त्र, सूचना प्रणाली, कम्प्यूटिंग, परिवहन विज्ञान, तथा भूगोल जैसे क्षेत्रों में कोई शैक्षिक योग्यता आपके लिए इस क्षेत्र में रोजग़ार प्राप्त करने के अवसर बढ़ाती है.

खुदरा उद्योग मानव संसाधन, लेखा, तथा आई.टी. एवं सूचना प्रणाली जैसे सामान्य व्यवसाय-कार्यों के लिए भी कर्मचारियों को रखते हैं. यदि आप इनमें से किसी क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं तो आप रिटेल (खुदरा) क्षेत्र में भ्ी अच्छा रोजग़ार प्राप्त कर सकते हैं.

खुदरा प्रबंधन

खुदरा प्रबंधन सुपर मार्केट्स तथा हाइपर मार्केट्स के प्रबंधन के बारे में है. अत्यधिक गतिशील, कम्प्यूटरीकृत एवं सक्रिय रिटेल क्षेत्र को आज ऐसे प्रबंधकों की जरूरत है जो विपणन नीतियों, उपभोक्ता आचरण, बाजार में ब्रांण्ड्स तथा खुदरा दर्शन से पूर्णत: परिचित हैं.

खुदरा प्रबंधक बनने के लिए आपको आई.आई.एम. से एम.बी.ए. करने के लिए आदर्शत: कैट (सामान्य अभिरुचि परीक्षा) अथवा विदेश में एम.बी.ए. करने के लिए जीमेट (सामान्य प्रबंधन अभिरुचि परीक्षा) उत्तीर्ण होना चाहिए. एम.डी.आई., गुडग़ांव तथा एन.एम.आई.एस. विश्वविद्यालय, मुंबई भी खुदरा प्रबंधन पाठ्यक्रमों के लिए सुप्रसिद्ध हैं.

खुदरा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल:

शहरी विकास मंत्रालय ने स्मार्ट नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एन.सी.एम.सी.) प्रारंभ किया है, जो आपको पूरे भारत में मेट्रो तथा अन्य परिवहन प्रणालियों में यात्रा करने तथा अपनी खुदरा खरीदारी करने की सुविधा देता है.

भारत सरकार, माल एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) विधेयक में राज्य सभा चयन समिति द्वारा प्रस्तावित परिवर्तनों को स्वीकार कर चुकी है. आशा है कि पूरे देश में जी.एस.टी. का कार्यान्वयन देश भर में माल के आवागमन को आसान बनाएगा.

सरकार ने एक प्रस्ताव का अनुमोदन किया है जिसमें विभिन्न प्रकार के विदेशी निवेशों में भेदभाव को समाप्त कर दिया गया है. अब विदेशियों द्वारा 42 प्रतिशत तक के पोर्टफोलियो निवेश के लिए सरकार से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी, और यदि इसमें भारतीय एंटीटीज से विदेशी कार्यों में स्वामित्व या नियंत्रण हस्तांतरण शामिल न हो, क्षेत्रीय शर्तों का अनुपालन करने की आवश्यकता नहीं होगी. आशा है कि भारत सरकार का यह उदारीकरण खुदरा क्षेत्र में अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने तथा उसके विकास में सहायक होगा.

खुदरा क्षेत्र में रोजग़ार के अवसर

पिछले कुछ महीनों में कई नयी कंपनियों ने भारतीय खुदरा क्षेत्र में प्रवेश किया है. विभिन्न क्षेत्रों में उपभोक्ता सामानों (जैसे-घरेलू उपकरणों तथा उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिकी) की मांग बढ़ रही है. देश में निवेश करने वाली कुछ बड़ी कंपनियां निम्नलिखित हैं:-

*एडीडास एजी (जो रिबॉक तथा एडीडास ब्रांड्स के स्वामी हैं) ऐसी पहली विदेशी खेल कंपनी बन गई है जिसने भारत में 100 प्रतिशत विदेशी स्वामित्व वाले स्टोर खोले हैं.

*अदिति बिरला रिटेल जुबीलियन रिटेल

के सम्पूर्ण हाइपर मार्केट्स प्राप्ति के बाद

भारत में चौथा सबसे बड़ा सुपरमार्केट रिटेलर बन गया है.

*एयरोपोस्टेल, एक अमरीकी शिशु फैशन ब्रांड को आशा है कि आगामी चार वर्षों में भारत इसके तीन बड़े बाजारों में से एक होगा.

*एमाजॉन.काम ने जुलाई, 2014 से भारत में अपने परिचालन के लिए 700 मिलियन डॉलर से अधिक राशि निवेश की है. एमाज़ॉन इंडिया अब 2100 से अधिक भारतीय शहरों तथा कस्बों की आवश्यकता पूरी कर रहा है.

*डाटाविंड एवं होमशॉप 18 ने सम्पूर्ण प्रसारण, मोबाइल तथा इंटरनेट मीडिया को टेबलेट बेचने के लिए संयुक्त रूप में विशेष विक्रय कार्यक्रम प्रारंभ किए हैं.

*गुडग़ांव स्थित ओपिनियन ने अपनी हाइपर-लोकल डिलीवरी प्रारंभ करने के लिए  सात मिलियन अमरीकी डालर राशि ली है.

*विश्व में सबसे बड़ा भावी रिटेलर-आइकिया हैदराबाद में भी अपना पहला रिटेल स्टोर बनाएगा, जो 500 से 600 करोड़ रु. के लगभग निवेश करेगा.

*आबु धाबी का लुलु ग्रुप हैदराबाद में एक आधुनिक शॉपिंग माल, एक फल एवं सब्जी प्रसंस्करण एकक तथा एक एकीकृत मीट प्रसंस्करण एकक खोलने के लिए 2500 करोड़ रु. निवेश करने जा रहा है.

*मोबीक्विक (एक मोबाइल वैलेट कंपनी) ने अपनी मोबाइल भुगतान सेवाएं देने के लिए जोबोंग, कॉम से हाथ मिलाए हैं.

*वस्त्र ब्रांड अरविंद लिमिटेड सेफोरा (फ्रांस ब्रांड लुइस विटन के स्वामित्व वाले एक ब्रांड) की सहभागिता से सौंदर्य एवं सौंदर्य प्रसाधनों के क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है.

*वालमार्ट इंडिया 2020 तक भारत में लगभग 50 कैश-एंड कैरी स्टोर्स खोलेगा.

(यह सूची उदाहरण मात्र है)

कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि भारत में विदेशी कंपनियों के प्रवेश, आय बढऩा, शहरीकरण में वृद्धि तथा हमारे देश की अनुकूल जनसांख्यिकी भारतीय रिटेल क्षेत्र में अच्छे समाचार का संकेत है. इसका अर्थ यह हुआ कि रिटेल में अपना कॅरिअर बनाने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए अगले कुछ वर्षों के लिए कार्य अवसरों की कोई कमी नहीं होगी.

 

(लेखिका नई दिल्ली में एक कॅरिअर काउंसलर हैं ई-मेल :ruchishrimalli@gmail.com)