बारहवीं कक्षा के बाद पाठ्यक्रमों एवं कॅरिअर के विकल्प
वाणिज्य विधा (भाग-II)
रुचि
जैसा कि हम पिछले अंक/लेख में विचार-विमर्श कर चुके हैं कि छात्रों को वाणिज्य विधा में बी.कॉम. एवं विशेषज्ञताओं के अतिरिक्त, कई क्षेत्रों को चुनने के अनेक विकल्प हैं. इस लेख में, हम वाणिज्य के उन उच्च पाठ्यक्रमों, जिन्हें छात्र बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद चुन सकते हैं. आप लेखाकारिता, व्यवसाय, अध्ययन, अर्थशास्त्र एवं गणित में बुनियादी संकल्पनाओं से परिचित हो चुके हैं और उक्त विषयों में आपकी रुचि के आधार पर कुछ व्यापक विकल्पों की सूची नीचे दी गई है :-
वाणिज्य में उच्च पाठ्यक्रम
व्यवसाय प्रशासन में स्नातक (बी.बी.ए)
5 वर्षीय एकीकृत बी.बीए +एम.बीए.
व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक
अर्थशास्त्र में स्नातक
सांख्यिकी में स्नातक
होटल प्रबंधन में स्नातक
भ्रमण एवं पर्यटन प्रबंधन में स्नातक
चार्टरित लेखाकारिता
कंपनी सेके्रटरीशिप
लागत एवं कार्य लेखाकरिता
विधि (एकीकृत 5 वर्षीय एल.एल.बी.)
डिप्लोमा पाठ्यक्रम
व्यवसाय प्रशासन में स्नातक : यह एक तीन वर्षीय अधिस्नातक डिग्री कार्यक्रम है जो छात्रों को व्यवसाय और प्रबंधन परिवेश का ज्ञान देता है. यह पाठ्यक्रम करने के बाद आपको कार्पोरेट प्रबंधन के बारे में बुनियादी ज्ञान और कौशल प्राप्त होगा जो आपको किसी कंपनी के विविध कार्यों को समझने में सहायक होगा. देशभर में संस्थान प्रबंधन, विपणन, नवोद्दम, वित्त एवं लेखाकरण मुख्य विषयों के साथ बी.बी.ए. कराते हैं.
अच्छे एम.बी.ए. कार्यक्रम करने के इच्छुक छात्रों के लिए यह पाठ्यक्रम एक बुनियादी प्लेटफार्म के रूप में भी कार्य करता है. यह पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद छात्र विभिन्न फर्मों में विक्रय कार्यपालक, अनुसंधान सहायक, कार्यालय कार्यपालक, अधिकारी एवं सहायक प्रबंधक के रूप में रोजग़ार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं.
5-वर्षीय एकीकृत बी.बी.ए. + एम.बी.ए. : बारहवीं कक्षा पूरी कर चुके छात्रों के लिए एम.बी.ए. एकीकृत पाठ्यक्रम भी एक अच्छा विकल्प है. पूरे देश में ऐसे अनेक विश्वविद्यालय तथा प्रख्यात व्यवसाय कॉलेज हैं जो 5- वर्षीय एकीकृत बी.बी.ए. + एम.बी.ए. पाठ्यक्रम कराने के साथ प्लेसमेंट की शानदार सुविधाएं भी देते हैं. आईआईएम, इंदौर जैसे भारतीय प्रबंधन संस्थान पांच-वर्षीय नियमित एवं पूर्णकालिक शैक्षिक कार्यक्रम ‘‘एकीकृत प्रबंधन कार्यक्रम’’ भी चलाते हैं. इस पाठ्यक्रम के लिए उम्मीदवारों का चयन अभिरुचि परीक्षा, लिखित क्षमता परीक्षा (वैट) और व्यक्तिगत साक्षात्कार में उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है. 2016 में इस पाठ्यक्रम के लिए कैम्पस प्लसमेंट के दौरान औसत वेतन पैकेज रु. 15 लाख प्रति वर्ष से अधिक था.
व्यवसाय प्रबंधन स्नातक : यह तीन-वर्षीय अधिस्नातक पाठ्यक्रम बी.बी.ए. से काफी मिलता-जुलता है. इसमें केवल एक अंतर यह है कि यह पाठ्यक्रम व्यवसाय प्रशासन के स्थान पर व्यवसाय प्रबंधन से संबद्ध है. यह पाठ्यक्रम आपको सफल प्रबंधक एवं व्यवसाय अग्रज बनने में आपकी सहायता करता है. बी.बी.एम. में विभिन्न विषय जैसे संगठन एवं प्रबंधन, संगठनात्मक आचरण, मानव संसाधन प्रबंधन, औद्योगिक संबंध, व्यवसाय संगठन विधि एवं अन्य विषय शामिल होते हैं. इस पाठ्यक्रम को करने के बाद रोजग़ार की संभावनाएं काफी उज्ज्वल हैं और विभागी प्रबंधक, रिटेल स्टोर प्रबंधक, विक्रय प्रतिनिधि, वित्त सलाहकार जैसे कार्य प्राप्त कर सकते हैं. अपना ज्ञान-क्षेत्र बढ़ाने के लिए आप एम.बी.ए. जैसी उच्च शिक्षा भी चुन सकते हैं.
अर्थशास्त्र में स्नातक: अर्थशास्त्र में कोई डिग्री आपको कृषि अर्थशास्त्र, पर्यावरण प्रबंधन, अंतर्राष्ट्रीय वित्त, निवेश एवं व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय परामर्श, आधारिक संरचना विकास तथा नियोजन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सांख्यिकी आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के व्यापक अवसर देती है. यह पाठ्यक्रम आपको व्यवसाय, बाजार, व्यापार, सरकारी नीतियों, अंतर्राष्ट्रीय मामलों, सार्वभौमिकरण आदि के कार्यों को समझने में आपकी सहायता करता है. यदि आप सरकारी या निजी क्षेत्रों में विश्लेषक तथा अर्थशास्त्री बनना चाहते हैं तो यह पाठ्यक्रम आपके लिए अत्यधिक उपयुक्त है. इस तीन-वर्षीय अधिस्नातक पाठ्यक्रम में व्यवसाय अर्थशास्त्र, इकोनॉमिट्रिक्स, मेक्रोइकोनॉमिक्स, माइक्रो इकोनॉमिक्स आर्थिक इतिहास, पर्यावरण एवं संसाधन अर्थशास्त्र, वित्तीय बाजार, श्रम अर्थशास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विकास जैसे विषय शामिल किए जाते हैं.
सांख्यिकी स्नातक: भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता सहित पूरे भारत के विश्वविद्यालय एवं कॉलेज सांख्यिकी में अधिस्नातक पाठ्यक्रम चलाते हैं. इस पाठ्यक्रम के बाद कोई भी व्यक्ति सांख्यिकी, गणित, कम्प्यूटर विज्ञान एवं अर्थशास्त्र में उच्च अध्ययन का विकल्प ले सकता है. अनुसंधान संस्थाओं तथा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं, सरकारी विभागों और उद्योगों में सांख्यिकीविद् के रूप में रोजग़ार के अवसर हैं.
होटल प्रबंधन में स्नातक : होटल प्रबंधन में अधिस्नातक पाठ्यक्रम छात्रों में अत्यधिक पसंद किया जाने वाला कॅरिअर विकल्प है. यह पाठ्यक्रम उन छात्रों के लिए है जो आतिथ्य उद्योग में कॅरिअर बनाना चाहते हैं. भारत में होटल प्रबंधन कार्यक्रमों की व्यापक मांग है. पूरे देश में कई निजी एवं सरकारी संस्थान आतिथ्य एवं होटल प्रबंधन में पाठ्यक्रम चलाते हैं. देश में कई पांच सितारा होटलों ने भी होटल प्रबंधन पाठ्यक्रम प्रारंभ किए हैं. तथापि, किसी भी प्रबंधन कॉलेज में प्रवेश लेने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि पाठ्यक्रम के अंत में ये कॉलेज आपको जो डिग्री देंगे, वह सरकार या एआईसीटीई/ वि.अ.आ. द्वारा मान्यताप्राप्त है. राष्ट्रीय होटल प्रबंधन एवं खानपान प्रौद्योगिकी परिषद् (एन.सी.एच. एम.सी.टी.) नामक एक निकाय भी भारत में होटल प्रबंधन पाठ्यक्रमों को मान्यता देता है. पर्यटन मंत्रालय के अधीन एन.सी.एच.एम.सी.टी. 21 केंद्रीय होटल प्रबंधन संस्थानों, 19 राज्य सरकारी होटल प्रबंधन संस्थानों, एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और 14 निजी होटल प्रबंधन संस्थानों जो परिषद से संबद्ध हैं, में आतिथ्य एवं होटल प्रशासन कार्यक्रमों में इच्छुक व्यक्तियों को प्रवेश देने के लिए प्रतिवर्ष संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे.ई.ई.) संचालित करती है.
भ्रमण एवं पर्यटन प्रबंधन में स्नातक : यदि आप भ्रमण के प्रति उत्साह रखते हैं और बाहरी स्थानों, नए गंतव्य स्थानों, त्यौहारों, इवेंट्स होटलों तथा रिजॉटर््स में रुचि रखते हैं तो पर्यटन प्रबंधन में यह पाठ्यक्रम आपके लिए श्रेष्ठ रूप में उपयुक्त है. यह पाठ्यक्रम आपको पर्यटन के व्यवसाय पहलुओं की समझ देता है. आईआईटीटीएम या भारतीय भ्रमण एवं पर्यटन प्रबंधन संस्थान, इग्नू एवं अन्य सरकारी तथा निजी संस्थान पर्यटन प्रबंधन में तीन वर्षीय अधिस्नातक कार्यक्रम चलाते हैं. पर्यटन उद्योग एक सबसे तीव्र गति से विकासशील उद्योग है और उपयुक्त पर्यटन उद्योग क्षेत्रों के अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में रोजग़ार के व्यापक अवसर देता है. इनमें थीम पार्क प्रबंधन, इवेंट्स प्रबंधन, होटल एवं रिजॉर्ट प्रबंधन, भ्रमण लेखक एवं भ्रमण फोटोग्राफर, टूर गाइड, हवाई अड्डों , भ्रमण बीपीओ में ग्राउंड हैण्डलर आदि जैसे कार्य शामिल हैं.
चार्टरित लेखाकारिता : चार्टरित लेखाकरिता या सी.ए. भारत में एक अत्यधिक वांछित कॅरिअर है. वाणिज्य विधा में यह एक अत्यधिक आकर्षक कॅरिअर विकल्प है. चूंकि हमारी अर्थव्यवस्था विस्तारशील है और वैविध्यपूर्ण हो रही है, इसलिए चार्टरित लेखाकारिता से जुड़ी कॅरिअर संभावनाएं भी व्यापक रूप में बढ़ी हैं. कंपनी अधिनियम के अनुसार, केवल चार्टरित लेखाकार (सी.ए.) ही भारत में कंपनियों की लेखा परीक्षा करने के हकदार होते हैं. एक चार्टरित लेखाकार बनने के लिए किसी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 10+2 में उत्तीर्ण होना बुनियादी पात्रता होती है. चार्टरित लेखाकरिता पाठ्यक्रम के दौरान तीन चरण होते हैं : 1. फाउंडेशन पाठ्यक्रम, 2. इंटरमीडिएट, 3. अंतिम सीए पाठ्यक्रम. सामान्य दक्षता परीक्षा (सीपीटी), परीक्षा का प्रथम स्तर है, जो चार्टरित लेखाकार बनने की आपकी यात्रा का प्रारंभ स्थान है. वरिष्ठ माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उम्मीदवार सीपीटी में बैठ सकते हैं. कोई भी छात्र दसवीं कक्षा के बाद सीपीटी के लिए पंजीकरण करा सकता है. बारहवीं कक्षा और सीपीटी सफलातापूर्वक पूरा करने के बाद उम्मीदवार एकीकृत व्यावसायिक सक्षमता पाठ्यक्रम (आईपीसीसी) के लिए अपना पंजीकरण कराने हेतु पात्र हो जाते हैं. उन्हें आईपीसीसी परीक्षा आयोजित किए जाने वाले महीने की पहली तारीख से 9 महीने पहले अपना पंजीकरण कराना आवश्यक होता है. आईपीसीसी 7 विषयों वाली एक 700 अंकों की विषयनिष्ठ (सबजेक्टिव) परीक्षा है. उन्हें परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए प्रत्येक में 40 अंक प्राप्त करने होते हैं और प्रत्येक प्रश्न पत्र में कुल 50 प्रतिशत या अधिक अंक प्राप्त करने होते हैं. आईपीसीसी में विषयों के दो वर्ग होते हैं. वर्ग-1 में चार प्रश्न-पत्र, प्रश्न-पत्र-1 : लेखाकरण, प्रश्न-पत्र-2 : व्यवसाय विधि, नीतिशास्त्र एवं संचार, प्रश्न-पत्र-3 : लागत लेखाकरण एवं वित्तीय प्रबंधन, प्रश्न-पत्र-4 : कराधान. वर्ग-2 में तीन प्रश्न-पत्र होते हैं- प्रश्न-पत्र-5 : उच्च लेखाकरण, प्रश्न-पत्र-6 : लेखा परीक्षण एवं आश्वासन, प्रश्न-पत्र-7 : सूचना प्रौद्योगिकी एवं नीतिगत प्रबंधन आईपीसीसी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आर्टिकलशिप करनी होती है. आर्टिकलशिप किसी अर्ह सीए के अधीन एक तीन वर्ष की अवधि की इंटर्नशिप होती है जिसे आपको अंतिम सीए परीक्षा के साथ पूरा करना होता है. उम्मीदवार आर्टिकल्ड सहायक के रूप में कार्य करने के साथ सी.ए. अंतिम पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं. आर्टिकल्ड प्रशिक्षण के अंतिम 12 महीनों के दौरान उम्मीदवारों को सामान्य प्रबंधन एवं संचार कौशल (जी.एम.सी.एस.) पर एक 15 दिनों का पाठ्यक्रम करना होता है. जी.एम.सी.एस. अंतिम परीक्षा के बाद भी किया जा सकता है. उम्मीदवार अंतिम परीक्षा के लिए, 3 वर्षीय आर्टिकल्ड प्रशिक्षण के अंतिम 6 महीनों के दौरान बैठ सकते हैं. अंतिम परीक्षा सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद उम्मीदवार को आई.सी.ए.आई. (भारतीय चार्टरित लेखाकार संस्थान) के सदस्य के रूप में पंजीकृत किया जाता है और उसे ‘‘चार्टरित लेखाकार’’ के रूप में पदनामित किया जाता है.
कंपनी सेके्रटरीशिप : कोई भी कंपनी सेके्रटरी या सी.एस. किसी भी संगठन तथा उसके निदेशक मंडल के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है. वह कंपनी के निदेशक तथा अध्यक्ष को उनके दायित्वों का श्रेष्ठ उपयोग करने का मार्गदर्शन करता है. सी.एस. कंपनी एवं शेयरधारकों, सरकारी तथा विनियामक प्राधिकारियां के बीच एक तृतीय पक्ष के रूप में भी कार्य करता है. चार्टरित लेखाकारिता की तरह, इस पाठ्यक्रम में भी तीन चरण होते हैं, नामत: 1, फाउंडेशन 2. कार्यपालक और 3. व्यावसायिक कार्यक्रम. किसी भी विधा में +2 में परीक्षा सफलातापूर्वक पूरा करने के बाद छात्र 8 महीने के फाउंडेशन कार्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं. फाउंडेशन पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने के बाद छात्र कार्यपालक कार्यक्रम के लिए आवेदन कर सकते हैं. कार्यपालक कार्यक्रम उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवार व्यावसायिक कार्यक्रम के लिए पात्र होते हैं. सी.एस. में व्यावसायिक कार्यक्रम पूरा करने के बाद उम्मीदवार आई.सी.एस.आई. (भारतीय कंपनी सचिव संस्थान) के एसोशिएट सदस्य बनेंगे. कंपनी सचिव कार्यक्रम को एक अत्यधिक प्रतिष्ठित एवं आकर्षक पाठ्यक्रम माना जाता है. यह छात्रों को किसी कंपनी में उच्च वेतनग्राही पद प्राप्त करने में सहायता करता है.
लागत एवं कार्य लेखाकारिता : लागत एवं कार्य लेखाकारिता पाठ्यक्रम या सी.डब्ल्य.ूए पाठ्यक्रम आई.सी.डब्ल्यू.ए (भारतीय लागत एवं कार्य लेखाकार संस्थान) द्वारा चलाया जाता है. तथापि, सी.डब्ल्यू.ए पाठ्यक्रम का नाम बदलकर लागत एवं प्रबंधन लेखाकरण (सी.एम.ए.) कर दिया गया है. सी.एम.ए. पाठ्यक्रम में तीन विभिन्न चरण होते हैं. ये चरण- फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और अंतिम होते हैं. इसमें प्रवेश वर्ष भर खुला रहता है, इसलिए जब भी आप तैयार हों, इस पाठ्यक्रम के लिए आवेदन कर सकते हैं. परीक्षाएं वर्ष में दो बार-जून और दिसंबर में ली जाती हैं. फाउंडेशन पाठ्यक्रम में चार प्रश्न-पत्र होते हैं, जो इस प्रकार हैं- प्रश्न-पत्र-1: संगठन एवं प्रबंधन फंडामेंटल, प्रश्न-पत्र-ढ्ढढ्ढ : लेखाकरण. प्रश्न-पत्र-ढ्ढढ्ढढ्ढ अर्थशास्त्र एवं व्यवसाय फंडामेंटल एवं प्रश्न-पत्र-ढ्ढङ्क व्यवसाय गणित एवं सांख्यिकी फंडामेंटल. इंटरमीडिएट या कार्यपालक पाठ्यक्रम में दो वर्ग होते हैं. वर्ग-ढ्ढ में वित्तीय लेखाकरण, वाणिज्यिक एवं औद्योगिक विधियां तथा लेखापरीक्षण और अनुप्रयुक्त प्रत्यक्ष कराधान और
वर्ग-ढ्ढढ्ढ में लागत एवं प्रबंधन लेखाकरण, परिचालन प्रबंधन और सूचना प्रणाली तथा अनुप्रयुक्त अप्रत्यक्ष कराधान शामिल होते हैं. इंटरमीडिएटरी पाठ्यक्रम की न्यूनतम अवधि दस महीने होती है. अंतिम चरण में आपको कार्पोरेट विधि तथा अनुपालन, उच्च वित्तीय प्रबंधन, व्यवसाय नीति एवं नीतिगत लागत प्रबंधन, कर प्रबंधन एवं प्रैक्टिस, नीतिगत निष्पादन प्रबंधन, कार्पोरेट वित्तीय रिपोर्टिंग, लागत एवं प्रबंधन लेखापरीक्षा, वित्तीय विश्लेषण एवं व्यवसाय मूल्यांकन पर 8 प्रश्न-पत्रों में बैठना होता है. कोई भी व्यक्ति प्रथम चरण को न्यूनतम 18 महीनों में पूरा कर सकता है. सी.एम.ए अथवा सी.डब्ल्यू्.ए सफलातापूर्वक पूरा करने के बाद कोई भी व्यक्ति किसी भी कंपनी या संगठन में लागत लेखाकार बन सकता है.
विधि (एकीकृत 5 वर्षीय एल.एल.बी.) : बारहवीं कक्षा के बाद उपलब्ध एकीकृत 5 वर्षीय एलएलबी , एक कॅॅरिअर उन्मुखी पाठ्यक्रम है. यह पाठ्यक्रम प्रतिष्ठित राष्ट्रीय भारतीय विधि विद्यालय विश्वविद्यालय सहित विभिन्न विश्वविद्यालय एवं शैक्षिक संस्थान द्वारा चलाया जाता है. राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों तथा विभिन्न अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आपको सीएलएटी (सामान्य विधि प्रवेश परीक्षा) में बैठना होता है. यह पाठ्यक्रम विभिन्न विधियों जैसे संवैधानिक विधि, कंपनी विधियों, बैंकिंग विधियों, बौद्धिक सम्पत्ति विधियों, पर्यावरण विधियों, सम्पत्ति विधियों, आदि से संबद्ध होता है. भारतीय बार परिषद भारत में विधि शिक्षा को विनियमित करती है और एलएलबी पूरी करने के बाद उम्मीदवारों को ‘‘सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस’’ प्रदान करती है.
आप में से कुछ को ऐसी वित्तीय या अन्य बाधाएं हो सकती हैं, जिनके कारण हो सकता है कि आप कॉलेज नहीं जा सकें. ऐसे मामले में आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आजकल अल्पकालिक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के ऐसे अनेक विकल्प हैं जो आपको तत्काल रोजग़ार प्राप्त करने में सहायता करते हैं :
डिप्लोमा पाठ्यक्रम
व्यवसाय प्रबंधन में डिप्लोमा
बैंकिंग एवं वित्त में डिप्लोमा
कम्प्यूटर अनुप्रयोग में डिप्लोमा
इवेंट प्रबंधन में डिप्लोमा
वित्तीय लेखाकरण में डिप्लोमा
विदेश व्यापार में डिप्लोमा
होटल प्रबंधन में डिप्लोमा
विधि में डिप्लोमा
विपणन प्रबंधन में डिप्लोमा
कार्यालय प्रबंधन में डिप्लोमा
कराधान में डिप्लोमा
पर्यटन प्रबंधन में डिप्लोमा
रिटेल प्रबंधन में डिप्लोमा
(लेखिका एक कॅरिअर काउंसलर एवं जीवन-कौशल प्रशिक्षिका हैं ई-मेल:ruchiupadhyay.careercounsellor@gmail.com