तीव्र गतिशील कौशल विकास
सरिता बरार
‘‘कौशल निर्माण’’ एवं ‘‘ज्ञान’’ आज के युग में किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए अति अनिवार्य/सर्वोत्कृष्ट हैं. भारत जैसे देश के लिए तो यह और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनुमान है कि यहां प्रतिवर्ष 13 मिलियन से भी अधिक युवा रोजग़ार बाजार में कदम रखते हैं. इसका एक अन्य कारण भी है जो देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए कौशल निर्माण को एक अत्यावश्यक बनाता है : यद्यपि औद्योगिकीकृत विश्व में मजदूर बल में 4% की गिरावट आने की संभावना है. किंतु हमारे देश में 20 वर्षों के समय इसमें 32% की वृद्धि होगी. यह एक संकेत है कि भारत कुशल श्रमिक बल के लिए एक केंद्र बन जाएगा इसलिए कौशल विकास सरकार के लिए एक तत्काल प्राथमिकता है. भविष्य में कुशल जनशक्ति की अनुमानित आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने 2022 तक 500 मिलियन सशक्त कुशल जनशक्ति सृजित करने का लक्ष्य रखा है.
यह देखते हुए कि देश में अब तक कुल केवल 4.69% कार्य बल ने ही कोई औपचारिक कौशल प्रशिक्षण लिया है, हमारे सामने चुनौती बहुत बड़ी है. यह, यहां तक कि कुछ विकासशील देशों से बहुत कम है जबकि विकसित राष्ट्रों जहां कुशल जनशक्ति की प्रतिशतता अमेरिका में 52% से लेकर दक्षिण कोरिया में 96% तक है, हम उनसे बहुत पीछे हैं.
कौशल विकास प्रयासों को बढ़ाने एवं गति देने के लिए एक संतुलित नीतिगत संरचना और कार्यक्रम का विकास करने के लिए, एनडीए सरकार ने दिसंबर 2014 में एक पृथक कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय की स्थापना की है.
फास्ट ट्रैक एवं उन्नत मौजूदा कौशल विकास कार्यक्रम के अतिरिक्त, निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निर्धारित समय सीमा वाली कई नई योजनाएं चलाई गई हैं.
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना नामक एक महत्वपूर्ण कौशल विकास कार्यक्रम 2015 में प्रारंभ किया गया था, बाद में, पिछले वर्ष 02 अक्टूबर को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पी.एम.के.वी.वाई) को अन्य चार वर्षों के लिए अनुमोदित किया गया, जिसमें उच्च कोटि के प्रशिक्षण के माध्यम से तैनाती अवसरों में सुधार लाने पर व्यापक बल देते हुए दस मिलियन युवाओं को कुशल बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण एवं निर्धारण शुल्क पूरी तरह से सरकार द्वारा वहन किया जाता है. राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एन.एस.डी.सी) के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही योजना में, इसके द्वारा सृजित कुशल कार्य बल के अभिवृति, आकांक्षा तथा ज्ञान को रोजग़ार अवसरों तथा बाजार की मांग के साथ जोडऩा शामिल है.
प्रधानमंत्री युवा योजना नामक एक नई योजना पिछले वर्ष नवंबर में प्रारंभ की गई थी, जो इस योजना के ज्ञान साझेदार के रूप में वाधवानी ऑपरेटिंग फाउंडेशन के सहयोग से कार्यान्वित की जा रही है. इस क्रम में देशभर में उच्च अध्ययन विद्यालय संस्थाओं, आई.टी.आई तथा सरकारी एवं निजी-दोनों उद्यम विकास केंद्रों सहित 3050 परियोजना संस्थानों के माध्यम से लगभग 15 लाख छात्रों को उद्यम शिक्षा दी जाएगी. इस योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्यों के लिए मंत्रालय इन संस्थानों को वित्तीय सहायता देगा. इस पंच-वर्षीय योजना से आशा है कि 23000 से भी अधिक नए उद्यम स्थापित होंगे, जो देश में 2.30 लाख से भी अधिक प्रत्यक्ष या परोक्ष रोजग़ार सृजित करेंगे. सरकारी एवं निजी दोनों संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने वाली यह योजना चालू वित्त वर्ष में लगभग 84,000 छात्रों को शिक्षा देगी.
राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना
प्रशिक्षुता प्रशिक्षण कुशल जनशक्ति का विकास करने का एक अत्यधिक सफल साधन माना जाता है. यह औपचारिक प्रशिक्षण की उद्योग पे्ररित, अभ्यास उन्मुखी प्रभावी एवं कार्य-क्षम पद्धति उपलब्ध कराती है. यह अपनी तरह की एक ऐसी योजना है जो नियोक्ताओं को वित्तीय प्रोत्साहन देती है. इस योजना के अंतर्गत, किसी प्रशिक्षु को दी जाने वाली निर्धारित वृत्तिका का पच्चीस (25) प्रतिशत हिस्से की प्रतिपूर्ति केंद्र द्वारा सीधे नियोक्ता को की जाएगी. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई) सहित उद्योग के साथ सकारात्मक रूप में कार्य करके इस पहल के अंतर्गत 2019-20 तक 50 लाख प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षित होने की आशा है.
देश के प्रौद्योगिकीय एवं औद्योगिक विकास के लिए जनशक्ति आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न व्यावसायिक टे्रडों में कुशलता प्रदान कराने के लिए केंद्र ने 1950 में शिल्पकार प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किए थे. 2014-2017 की अवधि में, प्रवेश क्षमता को बढ़ाते हुए 5, 85, 284 करके 3342 नए आई.टी.आई स्थापित किए गए हैं. इन आई.टी.आई ने लाखों युवकों को रोजग़ार द्वारा या उनका अपना निजी कार्य प्रारंभ कराकर जीविका अर्जित कराने में सहायता की है.
राजकीय आई.टी.आई को आदर्श (मॉडल) आई.टी.आई में उन्नत करने की एक योजना दिसंबर 2014 में प्रारंभ की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य उद्योग उन्मुखी आईटीआई के लिए एक ऐसे बैंचमार्क का विकास करना था जो अन्य आई.टी.आई के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य कर सके और आई.टी.आई शिक्षा की गरिमा भी बढ़ा सके. इन मॉडल आई.टी.आई को अपने आसपास के उद्योग क्लस्टर के साथ सम्पर्क स्थापित करना था ताकि वे क्लस्टर समूह को समाधान प्रदाता के रूप में कार्य करने में उन्हें सक्षम बना सकें. गुंजन गौतम, जिन्हें 2014 में राजकीय मॉडल आई.टी.आई , नालागढ़, जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश से मोटर वाहन मैकेनिक में प्रशिक्षित किया गया था, वह अब एक डीलरशिप उद्यम हिमाचल प्रदेश में जिसकी हमीरपुर, नादौन और ज्वालाजी में शाखाएं हैं, में प्रॉपराइटर हैं और उनकी संस्थापना में 60 से अधिक मैकेनिक/मजदूर कार्य कर रहे हैं.
कुल 25 आईटीआई को मॉडल आई.टी.आई में उन्नत करने के लिए निर्धारित किया गया है.
1396 राजकीय आईटीआई को सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) के माध्यम से उन्नत करने की एक योजना के संबंध में 31 राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में कुल 1227 राजकीय आई.टी.आई को शामिल किया गया है.
सरकार ने कईं अन्य प्रवर्तन समर्थित योजनाएं भी प्रारंभ की हैं, जिनमें भारत में अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कौशल को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार योजना भी शामिल है.
भारत विश्व में एक सबसे युवा राष्ट्र है. इसकी 62 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या (15-59 वर्ष की) और 25 वर्ष से कम आयु की कुल 54त्न से अधिक जनसंख्या कार्यशील आयु समूह में है. 15-59 वर्ष की आयु समूह की इसकी जनसंख्या अगले दशक में बढऩे की संभावना है. यह अमेरिका, यूरोप तथा जापान जैसे विकसित देशों के विपरीत है, जहां औसत आयु 45 से 49 वर्ष तक की होगी. जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, भारत इस जनांकिक लाभांश का बड़े पैमाने पर लाभ ले सकता है किंतु चुनौती, इसके कार्य बल को, देश के आर्थिक विकास के लिए रोजग़ार योग्य कौशल एवं ज्ञान सम्पन्न करने की है.
लेखिका नई दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार है और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े मामलों पर समाचार-पत्रों में नियमित रूप से लिखती हैं.
इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखिका के निजी विचार हैं.
चित्र: गूगल के सौजन्य से