बारहवीं कक्षा के बाद पाठ्यक्रम एवं कॅरिअर के विकल्प : वाणिज्य विधा
रुचि
अधिकांश राज्य एवं अन्य बोर्डों ने अपनी बारहवीं कक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं. अब कॅरिअर के विकल्पों तथा पाठ्यक्रमों और ऐसे कई और संबंधित प्रश्नों के बारे में सोचने का समय है जो आपके मस्तिष्क में खलबली मचा रहे हैं कि बारहवीं कक्षा के बाद क्या चुना जाए? किसी भी छात्र के जीवन में यह एक अत्यधिक महत्वपूर्ण अवधि है. सबसे पहले आप स्वयं का मूल्यांकन करें. यद्यपि आप अपनी अभिवृत्ति तथा रुचि के आधार पर बारहवीं कक्षा में कला या विज्ञान (पीसीबी या पीसीएम) अथवा वाणिज्य विधा पहले ही चुन चुके हैं, किंतु उच्च अध्ययन के लिए यदि आप किसी अन्य क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो आप किसी रुचि के अनुसार कई अन्य विकल्प चुन सकते हैं. यही वह समय है जब आपको अपने बारे में निर्णय लेना चाहिए. आप अपनी रुचियों और जिस दिशा में वास्तव में जाना चाहते हैं, उनके बारे में गहन विचार करें. इससे आपको कॅरिअर के बारे में सही निर्णय लेने में सहायता मिलेगी. कोई कॅरिअर चुनते समय और जीवन के अन्य क्षेत्रों में निर्णय लेने के समय यदि आप अपने उत्साह, अपनी धुन का अनुसरण करते हैं तो आपकी सफलता का मार्ग आपके लिए आसान हो जाएगा, सही समय पर सही कॅरिअर का निर्णय लेने वाला व्यक्ति अपने चुने गए कॅरिअर पथ पर बहुत अधिक सुखद रह सकता है, अपने अभिभावकों, मित्रों तथा अन्य अनुभवी व्यक्तियों से मार्ग-दर्शन वास्तव में सहायक होता है, किंतु अंतिम निर्णय आपका होना चाहिए. इस लेख में तथा इस शृंखला के अगले लेख में, वाणिज्य विधा में उपलब्ध कॅरिअर के विभिन्न विकल्पों के बारे में विवेचन किया जाएगा.
वाणिज्य क्यों चुनें?
वाणिज्य किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का आधार है. यह मण्डी का भी आधार है. वाणिज्य, व्यवसाय के आर्थिक पहलुओं सहित उसका एक अनिवार्य अंग है. इसमें कंपनियों तथा व्यक्तियों के बीच सामान, धनराशि एवं सेवाओं का विनिमय अथवा आदान-प्रदान जैसे कार्यकलाप निहित हैं. वाणिज्य वित्त एवं लेखा जगत का मुख्य द्वार है. किसी भी अनियोजित व्यवसाय संस्था से लेकर अत्यधिक संगठित कॉर्पोरेट कंपनी तक किसी भी व्यवसाय सत्ता को वित्त एवं लेखाकरण का ज्ञान रखने वाले व्यावसायियों की आवश्यकता होती है. वर्षों से हमारे देश में एक विधा के रूप में वाणिज्य का महत्व, विश्व अर्थव्यवस्था के एकीकरण के साथ बढ़ा है. यहां तक कि, किसी भी अर्थव्यवस्था में मंदी आने या रोजगार में गिरावट आने पर भी, लेखाकारों की मांग में कभी कमी नहीं आई क्योंकि कठिन स्थिति में भी कंपनियों को अपने बजट की पुनर्संरचना के लिए उनकी आवश्यकता होती है.
वाणिज्य में कोई डिग्री आपको यह समझने में सहायता करती है कि व्यवसाय-कार्य क्या है और किस तरह किसी अर्थव्यवस्था को ठोस रूप दिया जाए. पूरे देश में वाणिज्य, बैंकिंग, वित्त, लेखाकारिता और प्रबंधन क्षेत्रों में उत्कृष्ट स्नातक तथा अधिस्नातक पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं. ये पाठ्यक्रम अत्यधिक उज्ज्वल व्यावसायिक कॅरिअर सुनिश्चित करते हैं.
मुख्य पाठ्यक्रम
नीचे उन मुख्य पाठ्यक्रमों की सूची दी गई है जिन्हें आप, बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, एक वाणिज्य छात्र के रूप में चुन सकते हैं:-
वाणिज्य स्नातक :
बी.कॉम. पूरे देश में एक अत्यधिक लोकप्रिय तथा अत्यधिक पसंदीदा पाठ्यक्रम है. यह पाठ्यक्रम सीधे बुनियादी व्यवसाय अपेक्षाओं से जुड़ा है. यह दोनों एक वैयक्तिक और एक संगठनात्मक स्तर पर आर्थिक आचरण वाले तथ्यों पर केंद्रीयभूत है और इसलिए, इसमें रोजग़ार की संभावनाओं के व्यापक क्षेत्र निहित हैं. बी.कॉम. पाठ्यक्रम अपनी पसंद के अनुसार एक नियमित स्नातक पाठ्यक्रम के रूप में या पत्राचार अथवा दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से एक अंशकालिक स्नातक पाठ्यक्रम के रूप में भी किया जा सकता है. साधारण बी.कॉम. या बी.कॉम. (सामान्य) या बी.कॉम (पास) कोई विषय विशेष पाठ्यक्रम नहीं हैं और भारत में कुछ अनिवार्य पाठ्यक्रमों को छोडक़र इसमें कई विषयों के युग्मक चुने जा सकते हैं. बी.कॉम. पाठ्यक्रम सामान्य तीन वर्ष की अवधि का होता है. अधिकांश राजकीय कॉलेज तथा निजी कॉलेज बी.कॉम. पाठ्यक्रम चलाते हैं. इसलिए अपने आसपास कोई अच्छा कॉलेज ढूंढना आपके लिए एक चुनौती होगा.
बी. कॉम. विषय :
वाणिज्य विधा के अंतर्गत कई विषय पढ़े जा सकते हैं. भारत में अधिकांश वाणिज्य कॉलेज निम्नलिखित विषय देते हैं:-
लेखा परीक्षा : यह विषय ट्रांजेक्शन, परिसम्पत्तियों और देयताओं की वाउचिंग, मूल्यांकन और सत्यापन पर संकेद्रित है. इसमें न्यासों, अस्पतालों तथा धर्मार्थ समितियों जैसे विभिन्न संगठनों का लेखाकरण शामिल है.
व्यवसाय अर्थशास्त्र : इस विषय में मांग एवं आपूर्ति विधि, आवतियों की विधि, लोचनीयता, विविध मण्डी प्रारूपों के अंतर्गत मूल्य निर्धारण के सिद्धांत आदि शामिल हैं.
व्यवसाय वित्त : यह विषय, एक नैदानिक साधन के रूप में वित्तीय विश्लेषण, कार्यशील पूंजी तथा उसके घटकों एवं पूंजी संरचना लीवरेज के प्रबंधन से जुड़ा है.
व्यवसाय विधि : इस विषय के अंतर्गत कंपनी अधिनियम और उपभोक्ता परिरक्षण अधिनियम सहित भारत में विभिन्न विधियों पर विचार-विमर्श करना निहित है.
लागत लेखाकरण : इस विषय में प्रोसेस, कार्य एवं ठेका लागतीकरण, ओवरहेड्स का लागतीकरण, मानक एवं असंगति लागतीकरण तथा बजटगत नियंत्रण शामिल हैं.
वित्तीय लेखाकरण : इस विषय में किसी कंपनी का लाभ-हानि विवरण, तुलन-पत्र तथा अंतिम लेखा तैयार करना, भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय लेखाकरण मानकों, किसी कंपनी का मूल्यह्स- परिकलन और शेयरों का मूल्य-निर्धारण तथा साख का ज्ञान निहित है.
आयकर : यह विषय आयकर प्रभार की प्रकृति एवं आधार, कर-नियोजन, कर कटौती, कर-अयोग्य आय (जिस आय पर कर नहीं लगता) आदि से जुड़ा है.
विपणन : इस विषय में उत्पाद, मूल्य निर्धारण -पद्धत्तियां, संवर्धन, वितरण-चैनल, संभार-तंत्र आदि निहित हैं. कोई भी छात्र, विभिन्न संस्थानों में पसंद की उपलब्धता के आधार पर विभिन्न विषयों का युग्मक चुन सकता है. अधिकांश संस्थान छात्रों की पसंद के आधार पर द्वितीय वर्ष में इलेक्टिव विषयों में परिवर्तन करने की अनुमति देते हैं.
वाणिज्य विशेषज्ञता स्नातक :
बी.कॉम. (ऑनर्स) पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में किसी विषय विशेष में विशेषज्ञता कराई जाती है. इससे छात्रों को विपणन, वित्त, कराधान, विधि आदि जैसे आकर्षक कॅरिअर की संभावनाओं वाले विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त करने के अवसर मिलते हैं. कम्प्यूटर अनुप्रयोग तथा सूचना प्रौद्योगिकी में बी. कॉम. जैसे नए पाठ्यक्रम हाल ही में देशभर में विभिन्न संस्थानों में चलाए गए हैं. ये पाठ्यक्रम बाजार उन्मुखी हैं जो शानदार रोज़गार प्रदान करते हैं:
वाणिज्य स्नातक (बी. कॉम.)
वाणिज्य स्नातक (ऑनर्स):
किसी एक विषय/क्षेत्र में विशेषज्ञता
अर्थशास्त्र स्नातक
व्यवसाय प्रशासन स्नातक (बी.बी.ए)
चार्टरित लेखाकारिता (सी. ए.)
कंपनी सचिव (सी. एस.)
चार्टरित वित्त विश्लेषक (सी. एफ. ए.)
लागत लेखाकार (आई. सी. डब्ल्यू ए)
प्रमाणित लोक लेखाकार (सी. पी. ए.)
प्रमाणित वित्त योजनाकार (सी. एफ. पी.)
लागत एवं प्रबंधन लेखाकार (सी. एम. ए.)
विधि (एल. एल. बी.)
यू.पी.एस.सी. , आई.ए.एस. आदि की तैयारी
बैंकिंग, एस.एस.सी. और अन्य सरकारी रोजग़ार
लेखा एवं वित्त में बी.कॉम. :
लेखाकरण एवं वित्त में वाणिज्य स्नातक पाठ्यक्रम लेखाकरण एवं वित्त के क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करता है. मुंबई विश्वविद्यालय ने पहली बार वर्ष 2003-04 में यह पाठ्यक्रम प्रारंभ किया था. अब यह पाठ्यक्रम कई विश्वविद्यालय चलाते हैं तथा इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य लेखाकरण एवं वित्त के क्षेत्र में प्रशिक्षित व्यवसायी प्रदान करना है. इस पाठ्यक्रम में वित्तीय लेखाकरण, लागत लेखाकरण, लेखा परीक्षण, आईटी, कराधान अर्थशास्त्र एवं व्यवसाय विधि, व्यवसाय संचार आदि जैसे क्षेत्र शामिल हैं. इस पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद उम्मीदवार कम्प्यूटर में मास्टर, कंपनी सेके्रटरीशिप पाठ्यक्रम, वित्त में व्यवसाय प्रशासन मास्टर (एमबीए) या वित्त एवं लेखाकरण में एम.एस. जैसे अनेक पाठ्यक्रम कर सकते हैं.
विज्ञापन एवं विक्रय प्रबंधन में बी. कॉम. :
संचार एक ऐसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कोई कंपनी अपने लक्षित ग्राहकों को अपने उत्पादों या सेवाओं से अभिज्ञ रखते हैं. विज्ञापन एवं जन-संपर्क कार्य संचार पहलुओं को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. विज्ञापन एवं विक्रय प्रबंधन में बी. कॉम. पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को विज्ञापन, विक्रय संवर्धन, जन संपर्क और विक्रय बल प्रबंधन के सूक्ष्म ज्ञान से परिपूर्ण करना है. यह पाठ्यक्रम छात्रों में विज्ञापन में रोजग़ार/व्यवसाय, कार्मिक विक्रय तथा विक्रय कला में अपेक्षित कौशल का विकास करता है. किसी भी उत्साही एवं परक्रामण (नेगोसिएशन) कौशल रखने वाले छात्र को यह पाठ्यक्रम करना चाहिए. यह क्षेत्र कॉर्पोरेट-जगत में व्यापक अवसर देता है. आपको विपणन, बाजार अनुसंधान, विपणन-नीति, विक्रय, विज्ञापन, संवर्धन, मूल्य-निर्धारण, उत्पाद विकास तथा जन-संपर्क कार्यों वाले संगठनों में रोजग़ार के अच्छे अवसर मिलेंगे.
बैंकिंग एवं बीमा में बी. कॉम. :
बैंकिंग संगठन, बीमा फर्में, स्टॉक मार्केट आदि जैसी वित्तीय संस्थाएं आज किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इसके अतिरिक्त, भारत दो दशक पहले उदारीकरण एवं आर्थिक सुधारों की राह पकड़ चुका है, इसलिए बैंकिंग एवं बीमा उज्ज्वल क्षेत्र बन चुके हैं. इन क्षेत्रों में हाल ही के वर्षों में विविध प्रगति हुई है. आज देश में कई निजी तथा अंतर्राष्ट्रीय बैंक एवं बीमा फर्में कार्य कर रही हैं चूंकि भारत, विश्वभर में सबसे तीव्र गति से विकासशील बाजार है, इसलिए इन क्षेत्रों का और अधिक विकास होना निश्चित है. दोनों क्षेत्र संयुक्त रूप से आकर्षक कॅरिअर के अवसर देते हैं. इस पाठ्यक्रम के माध्यम से आप बेहतर रूप में समझ सकते हैं कि बैंक, बीमा फर्म तथा वित्तीय बाजार कैसे कार्य करते हैं. इस पाठ्यक्रम के माध्यम से बैंकिंग एवं बीमा पहलुओं को अधिक सुगम्य, ज्ञानपूर्ण बनाया जाता है. वित्त, बैंकिंग, बीमा और अन्य समवर्गी क्षेत्रों में कॅरिअर बनाने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए यह पाठ्यक्रम उपयोगी है.
बैंकिंग प्रबंधन में बी. कॉम. :
यह बैंक प्रबंधन में विशेषज्ञता वाला वाणिज्य के क्षेत्र में एक अधि-स्नातक डिग्री पाठ्यक्रम है. यह एक पूर्णकालिक पाठ्यक्रम है. पाठ्यक्रम की अवधि सामान्यत: तीन वर्ष है. यह पाठ्यक्रम छात्रों को बैंकिंग उद्योग तथा वित्तीय सेवा उद्योग में विभिन्न पद ग्रहण करने के लिए तैयार करता है. यह पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद छात्र सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय सेवा उद्योग में अवसर तलाश सकते हैं.
ई-कॉमर्स में बी. कॉम. :
इंटरनेट के उद्योग में वृद्धि होने से, ई-कॉमर्स ट्रांजेक्शन ने लोकप्रियता प्राप्त कर ली है. अत्यधिक सामान्य शब्दों में कहें तो ई-कॉमर्स इंटरनेट पर व्यवसाय सौदा है. इस पाठ्यक्रम में लेखाकरण सिद्धांत और ई-कॉमर्स शामिल हैं. इसमें, ई-कॉमर्स में प्रयुक्त की जाने वाली आधुनिक प्रौद्योगिकी और उनका अनुप्रयोग भी निहित है. विधि, प्रबंधन, प्रोग्रामिंग, लेखाकारिता के बेसिक्स भी इस पाठ्यक्रम के भाग हैं. ई-कॉमर्स में बी. कॉम. आपको, ई-कॉमर्स का अनुप्रयोग करके कार्य करने वाली विविध फर्मों में कॅरिअर के आकर्षक अवसर देता है.
वित्तीय बाजार में बी. कॉम :
यह तुलनात्मक रूप में एक नया पाठ्यक्रम है जो वित्तीय बाजारों के सूक्ष्म भेदों को स्पष्ट करता है और आपको वित्त, अर्थशास्त्र, निवेश जोखिम आदि की समझ देता है. यह पाठ्यक्रम ऋण बाजार, जिंस बाजार, इक्विटी मार्केट, विश्व पूंजी बाजार, डेरिवेटिव मार्केट, विदेशी मुद्रा बाजार, कॉर्पोरेट वित्त, बैंकिंग, वित्तीय सेवा, कराधान, व्यवसाय विधि, सिक्यूरिटी विश्लेषण, ग्राहक संबंध, वित्तीय बाजारों में कम्प्यूटर अनुप्रयोग, तथा संचार कौशल से जुड़ा है. इस पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद छात्र स्टॉक एक्सचेंज, बैंकों, निवेश फर्मों में तथा विभिन्न अन्य वित्तीय संस्थाओं और व्यवसायों में रोजग़ार प्राप्त कर सकते हैं.
विदेश व्यापार प्रबंधन में बी. कॉम.
सार्वभौमिकरण के इस युग में, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं और देशों के आर-पार सामानों, पूंजी और सेवाओं का विनिमय बढ़ रहा है. विदेश व्यापार प्रबंधन में बी.कॉम. आपको विश्व बाजार स्थल को प्रभावित करने के लिए जिम्मेवार तथ्यों की जानकारी/ज्ञान देता है. यह पाठ्यक्रम छात्रों को विदेशी व्यापार में व्यावसायिक योग्यता के लिए तैयार करता है और अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय क्षेत्र में आपको एक अच्छा आधार प्रदान करता है. यह आपको व्यापार, वाणिज्य, लेखा, बैंकिंग आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में रोजग़ार के अवसर देता है.
सूचना प्रणाली में बी. कॉम. :
सूचना प्रौद्योगिकी एक सबसे तीव्र गति से विकासशील उद्योग है जो छात्रों के लिए महत्वपूर्ण कॅरिअर अवसर सृजित करता है. सूचना प्रणाली में बी.कॉम. उन छात्रों के लिए तैयार किया गया है जो सूचना प्रणाली में विशेषज्ञता करना चाहते हैं. सूचना प्रणाली विशेषज्ञ, व्यवसायों की सूचना आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी समाधान और व्यवसाय प्रक्रियाओं के एकीकरण पर फोकस करते हैं. इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य ऐसे स्नातक उपलब्ध कराना है जो सूचना समर्थित प्रौद्योगिकी के माध्यम से व्यवसाय समाधान-समाधानों का प्रबंधन करने में समक्ष हों. प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति से ऐसे व्यवसायियों की मांग बढ़ गई है जिनको यह व्यापक समझ हो कि प्रभावी एवं कुशल रूप में कार्य करने के लिए संगठन कम्प्यूटरों का उपयोग कैसे करें. सूचना प्रबंधन क्षेत्र में विभिन्न रोजग़ार अवसर विद्यमान हैं.
कार्यालय प्रबंधन में बी. कॉम. :
यह पाठ्यक्रम उन व्यक्तियों के लिए अत्यधिक अनुकूल है जो प्रशासनिक कार्यों में अभिवृत्ति और कार्यालय रिकॉर्ड एवं सूचना के हस्तन एवं अनुरक्षण में रुचि रखते हैं. यह पाठ्यक्रम आपको आधुनिक कार्यालय-पद्धतियों को समझने और कार्यालय रिकॉर्ड एवं सूचना के हस्तन तथा अनुरक्षण के लिए आवश्यक कौशल का विकास करने में सहायक है. यह पाठ्यक्रम आपको कार्यालय-प्रबंधन की शिक्षा देता है. यह कार्योन्मुखी पाठ्यक्रम वाणिज्य एवं व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों में रोजग़ार दिलाता है.
विपणन में बी. कॉम. :
विपणन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कंपनियां अपने उत्पादों तथा सेवाओं में ग्राहकों की रुचि बढ़ाते हैं. विपणन में बी. कॉम. विपणन-प्रबंधन और नियोजन की तकनीकों और पद्धतियों से संबद्ध है. यह पाठ्यक्रम अनुसंधान, उपभोक्ताओं की प्रवृति, विक्रय-प्रबंधन, विज्ञापन, गुणवत्ता प्रबंधन विपणन माहौल में विधि एवं नीतिशास्त्र को शामिल करते हुए प्रक्रियाओं तथा सिद्धांतों के अनुप्रयोग पर संकेद्रित है. इस डिग्री के अंतर्गत पढ़ाए जाने वाले विषय हैं- वित्त लेखाकरण, व्यवसाय अर्थशास्त्र, गणित एवं सांख्यिकी, वित्त बाजार, विपणन एवं उपभोक्ता आचरण. विपणन में यह पाठ्यक्रम करने के बाद आपको इस क्षेत्र में एक आकर्षक कॅरिअर बनाने का विकल्प होगा, क्योंकि लगभग सभी कंपनियां विपणन में रोजग़ार देती हैं.
कराधान में बी. कॉम :
कराधान एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा सरकार नागरिकों एवं कॉर्पोरेट संगठनों पर प्रभार लगाकर अपने व्यय का वित्तपोषण करती है. कराधान में बी.कॉम. आपको आयकर, मूल्य संवर्धित कर अथवा वैट, सेवाकर आदि विभिन्न प्रकार के करों के विविध पहलुओं को समझने में सहायता करता है. यह पाठ्यक्रम छात्रों को कराधान पर विशेष बल देते हुए लेखाकरण, वित्त एवं अर्थशास्त्र में कौशल प्राप्त करने में सहायता देता है. इस क्षेत्र में रोजग़ार के बहु-अवसर हैं. इस पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद आपको वित्त कार्यपालक, लेखा-सहायक, लेखा परीक्षा सहायक आदि जैसे कार्य-प्रोफाइल मिल सकते हैं. आयकर विभाग केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा-शुल्क बोर्ड, राज्य उत्पाद शुल्क एवं कराधान विभाग जैसे सरकारी विभागों में कर सहायक बनने के भी अवसर होते हैं.
(लेखिका एक कॅरिअर सलाहकार एवं जीवन-कौशल प्रशिक्षक हैं)
ई-मेल :ruchiupadhyay.careercounsellor@gmail.com