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नौकरी फोकस


ताज़ा अंक-22, 31अगस्त -06 सितम्बर 2019

 

 

श्वेता सरस

शिक्षक दिवस भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर हर वर्ष 5 सितंबर को समूचे भारत में मनाया जाता है. वह एक विद्वान, राजनेता और सम्मानित शिक्षक थे, जिन्होंने अनेक विचारों को मूर्तरूप दिया तथा देश की सेवा की. इस अवसर पर देश सभी शिक्षकों के समर्पण और प्रतिबद्धता को सलाम करता है, जिनकी राष्ट्र निर्माण में भूमिका सर्वोपरि है. प्राचीन काल से शिक्षक भारतीय संस्कृति में गुरु के रूप में पूजनीय रहे हैं. यह हमेशा एक उच्च सम्मानित पेशा रहा है. भूतपूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था, ''शिक्षण एक बहुत ही महान पेशा है जो किसी व्यक्ति के चरित्र, क्षमता और भविष्य को आकार देता है. यदि लोग मुझे एक अच्छे शिक्षक के तौर पर याद करते हैं तो वह मेरे लिये सबसे बड़ा सम्मान होगा.” महान दार्शनिक अरस्तू के शब्दों में, ''शिक्षक, जो बच्चों को शिक्षा देते हैं, वे माता-पिता से अधिक सम्मान के पात्र हैं, जिन्होंने उन्हें जन्म दिया; मात्र जीवन प्रदान किया, जबकि  शिक्षक ने उनका एक अच्छा जीवन सुनिश्चित किया.” किसी राष्ट्र की मानव संपदा का मूल्य उसके शिक्षकों के कौशल और क्षमताओं पर काफी हद तक निर्भर करता है. इस लेख में स्कूली शिक्षण के क्षेत्र में रोज़गार के बारे में वर्णन किया गया है.

स्कूल शिक्षण में स्तर

भारत में स्कूल प्रणाली के चार स्तर हैं: प्राथमिक पूर्व, उच्च प्राथमिक, उच्च और उच्चतर माध्यमिक. पूर्व प्राथमिक विद्यालय को पांच 'मानकोंमें विभाजित किया गया है, उच्च प्राथमिक विद्यालय को दो में, हाई स्कूल को तीन में और उच्चतर माध्यमिक को दो में विभाजित किया गया है. तद्नुसार, स्कूल शिक्षकों की निम्नलिखित श्रेणियां हैं:

प्री-प्राइमरी शिक्षक: औपचारिक स्कूल में प्रवेश से पहले छोटे बच्चों के विकास के लिये पूर्व-प्राथमिक शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है. यह ज्ञान की दुनिया में प्रवेश करने के साथ-साथ एक स्वस्थ और उद्देश्यपूर्ण जीवन की दिशा में पहला कदम है. प्री-प्राइमरी शिक्षा को किंडरगार्टन के रूप में भी जाना जाता है, प्ले स्कूल या नर्सरी बच्चों को उनके सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ अधिक स्वतंत्र और आत्मविश्वासी बनने में मदद करता है. भारत में विभिन्न प्रकार के प्री प्राइमरी स्कूल, जिन्हें किंडरगार्टन भी कहा जाता है, प्ले स्कूल या नर्सरी उपलब्ध हैं और अब प्री-स्कूल में अधिक बच्चे भाग ले रहे हैं.

रोज़गार प्रोफाइल

प्री स्कूल टीचर के रोज़गार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों में बच्चों के ज्ञान, क्षमताओं और सामाजिक कौशल का पोषण तथा विकास करना, उन्हें विभिन्न प्रकार की शैक्षिक तकनीकों जैसे कि कहानी, चित्र, तुकबंदी, शैक्षणिक खेल, मीडिया आदि को नियोजित करके प्राथमिक विद्यालय की शिक्षा के लिये तैयार करने में मदद करना शामिल है. वे बच्चों को अपने संज्ञानात्मक कौशल, सामाजिक कार्यकुशलता में सुधार करने और आत्म सम्मान का सृजन करने में सहायता करते हैं. इसलिये यदि आपको छोटे बच्चों के साथ रहना पसंद है और धैर्य, ऊर्जा, उत्साह, जुनून और दोस्ताना रवैया जैसे गुण हैं, तो यह आपके लिये एक सबसे संतुष्टिकारक कॅरिअर हो सकता है.  

पात्रता और अपेक्षित अर्हताएं

हमारे देश में प्री स्कूल शिक्षक बनने के लिये न्यूनतम पात्रता मानदंड है. बारहवीं अर्हता के पश्चात प्री स्कूल शिक्षक बनने के लिये नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (एनटीटी) में एक वर्षीय प्रमाणपत्र/डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिये अध्ययन किया जा सकता है. एनटीटी पाठ्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य भारत में नर्सरी (प्री-नर्सरी) स्तरीय शिक्षक कार्यबल की मांग पूरा करना है. एनटीटी छात्रों का बाल मनोविज्ञान, बाल देखभाल और स्वास्थ्य, पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की मूल बातों, पूर्व प्राथमिक शिक्षा के इतिहास और दर्शन, नर्सरी स्कूल संगठन, समुदाय, बाल स्वास्थ्य और पोषण जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जाता है.

प्राथमिक शिक्षक

प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी (6-11 वर्ष) और ऊपरी प्राइमरी (11-14 वर्ष) आयु वर्ग से संबंधित है. अधिकतम भारतीय राज्यों में, यह कक्षा ङ्कढ्ढढ्ढ तक की निर्धारित शैक्षणिक आवश्यकताओं को सफलतापूर्वक पूरा करती है. प्राथमिक शिक्षक बच्चों को कई नए विषयों जैसे कि विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, साहित्य, गणित आदि से परिचित कराते हैं.

प्राथमिक शिक्षकों की रोज़गार ज़िम्मेदारियों में पाठ्यक्रम योजनाएं तैयार करना, विभिन्न पाठ्यक्रम संसाधनों का उपयोग, विभिन्न पाठ्येत्तर स्रोतों का इस्तेमाल, सक्षमताओं, लक्ष्यों और उद्देश्यों का पाठ्य योजनाओं में एकीकरण करना शामिल होता है जिसमें संबद्ध छात्रों की विविध शैक्षिक, सांस्कृतिक और भाषाई पृष्ठभूमि प्रदर्शित होती है, प्रतिभागियों को कक्षाओं में बनाये रखने के लिये प्रोत्साहन विकसित करना तथा अन्य एजेंसियों और कार्यक्रमों के साथ पेशेवर संबंध विकसित करना शामिल होता है.  

अपेक्षित पात्रता और अर्हताएं

सरकारी प्राथमिक शिक्षक बनने के लिये अपेक्षित अर्हता कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 उत्तीर्ण है. सरकारी स्कूल में शिक्षक बनने के लिये शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करना ज़रूरी होती है. मूलत: शिक्षक पात्रता परीक्षा दो प्रकार की है जिसमें से एक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित की जाती है, जिसे केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटैट) के तौर पर जाना जाता है तथा अन्य राज्य सरकार द्वारा राज्य टीईटी के तौर पर आयोजित की जाती है. सीटैट केंद्रीय सरकार के स्कूलों: केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, केंद्रीय तिब्बती स्कूलों आदि तथा संघ शासित प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और  दीव तथा अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप तथा रा.रा.क्षे. दिल्ली के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन स्कूलों में लागू होती है.

सीटैट ग़ैर सहायता प्राप्त स्कूलों में भी लागू हो सकता है, जो कि सीटैट पर विचार किये जाने का विकल्प दे सकते हैं. सीटैट अर्हता प्रमाणपत्र नियुक्ति के लिये सभी श्रेणियों के लिये परिणाम घोषित होने की तिथि से सात वर्षों के लिये वैध रहता है. सीटैट प्रमाणपत्र हासिल करने के लिये किसी व्यक्ति पर प्रयासों की कोई सीमा नहीं है. सीटैट उत्तीर्ण करने वाला कोई भी व्यक्ति स्कोर में सुधार के लिये भी पुन: परीक्षा दे सकता है.

कक्षा I-V के लिये शिक्षक बनने हेतु न्यूनतम अर्हताएं: प्राथमिक चरण

कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ वरिष्ठ माध्यमिक (अथवा इसके समकक्ष) और प्राथमिक शिक्षा में 2 वर्षीय डिप्लोमा में उत्तीर्ण अथवा अंतिम वर्ष की परीक्षा दे रहे व्यक्ति, अथवा

कम से कम 45 प्रतिशत अंकों के साथ वरिष्ठ माध्यमिक (अथवा इसके समकक्ष) और एनसीटीई (मान्यता नियम एवं प्रक्रिया), विनियम, 2002 के अनुरूप प्राथमिक शिक्षा में 2 वर्षीय डिप्लोमा (जिस भी नाम से जाना जाता है) उत्तीर्ण अथवा अंतिम वर्ष की परीक्षा दे रहे व्यक्ति अथवा

कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ वरिष्ठ माध्यमिक (अथवा इसके समकक्ष) और चार वर्षीय बैचलर ऑफ एलिमेंटरी एजुकेशन (बी.एल.एड) उत्तीर्ण अथवा अंतिम वर्ष की परीक्षा दे रहे व्यक्ति अथवा

कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ वरिष्ठ माध्यमिक (अथवा इसके समकक्ष) और शिक्षा में 2 वर्षीय डिप्लोमा (विशेष शिक्षा)* उत्तीर्ण अथवा अंतिम वर्ष की परीक्षा दे रहे व्यक्ति अथवा

स्नातक और प्राथमिक शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा (जिस भी नाम से जाना जाता है) में उत्तीर्ण अथवा परीक्षा दे रहे व्यक्ति

कक्षा VI-VIII के लिये शिक्षक बनने हेतु न्यूनतम अर्हताएं: प्राथमिक चरण

स्नातक तथा प्राथमिक शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा (जिस भी नाम से जाना जाता है) में उत्तीर्ण अथवा परीक्षा दे रहे व्यक्ति अथवा

कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक और 1-वर्षीय बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड) उत्तीर्ण अथवा परीक्षा दे रहे व्यक्ति. अथवा

कम से कम 45 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक और इस संबंध में समय-समय पर जारी एनसीटीई (मान्यता नियम और प्रक्रिया) विनियम के अनुरूप 1-वर्षीय बैचलर इन एजुकेशन (बी.एड) उत्तीर्ण अथवा उपस्थित हो रहे हों. अथवा

कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ वरिष्ठ माध्यमिक (अथवा इसके समकक्ष) और चार वर्षीय बैचलर ऑफ एलिमेंटरी एजुकेशन (बी.एल.एड) उत्तीर्ण अथवा अंतिम वर्ष की परीक्षा दे रहे व्यक्ति अथवा

कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ वरिष्ठ माध्यमिक (अथवा इसके समकक्ष) और 4-वर्षीय बी./बी.एससी एड अथवा बी..एड/बी.एससी एड  उत्तीर्ण अथवा अंतिम वर्ष की परीक्षा दे रहे व्यक्ति अथवा

कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक और 1-वर्षीय बी.एड (विशेष शिक्षा)* उत्तीर्ण अथवा अंतिम वर्ष की परीक्षा दे रहे व्यक्ति.

कोई भी उम्मीदवार जिसने एनसीटीई से मान्यताप्राप्त बी.एड कार्यक्रम उत्तीर्ण किया है वह टीईटी/सीटैट में उपस्थित होने का पात्र है. इसके अलावा, कोई व्यक्ति यदि एनसीटीई के पत्र दिनांक 11.02.2011 के तहत परिचालित मौजूदा टीईटी दिशानिर्देशों के अनुरूप, एनसीटीई अधिसूचना दिनांक 23 अगस्त, 2010 में विनिर्दिष्ट कोई अध्यापक शिक्षा पाठ्यक्रम (एनसीटीई अथवा आरसीआई से मान्यताप्राप्त, जो भी मामला हो) में अध्ययनरत है, वह भी टीईटी/सीटैट में उपस्थित होने के लिये अर्हक है.

सीटैट, दिसंबर 2019 परीक्षा अनुसूची

सीटैट, दिसंबर 2019 के लिये आवेदन प्रक्रिया चल रही है. ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत करने के लिये अंतिम तिथि 18.09.2019 है जबकि फीस जमा करने की अंतिम तिथि 23.09.2019 (1530 बजे से पहले) है. उम्मीदवार केवल सीटीईटी आधिकारिक वेबसाइट www.ctet.nic.in  पर लॉगिंग करके केंद्रीय शिक्षा पात्रता परीक्षा के लिये ऑनलाइन आवेदन कर सकता है. परीक्षा 8 दिसंबर, 2019 को होगी.

सीटैट की संरचना और विषयवस्तु

सीटैट में सभी प्रश्न बहु विकल्प प्रकार (एमसीक्यूज) के होते हैं, साथ में चार विकल्प दिये जाते हैं, जिनमें से एक सबसे उपयुक्त होता है. प्रत्येक प्रश्न का एक अंक होता है और कोई नकारात्मक अंक नहीं होता. परीक्षा में दो पेपर होते हैं. पेपर 1 उन व्यक्तियों के लिये जो कक्षा I से V तक की कक्षाओं के लिये शिक्षक बनना चाहते हैं. पेपर II उन व्यक्तियों के लिये होगा जो कक्षा VI से VIII तक के शिक्षक बनने के इच्छुक हैं. जो व्यक्ति दोनों स्तरों (कक्षा I से V और कक्षा VI से VIII) के लिये शिक्षक बनने का इच्छुक है वह दोनों पेपर्स (पेपर I और पेपर II) दे सकता है.

पेपर ढ्ढ (कक्षा I से V तक के लिये) प्राथमिक चरण:

संरचना और विषयवस्तु (सभी अनिवार्य):

बाल विकास और शिक्षा शास्त्र

30 एमसीक्यूज   

30 अंक

भाषा I (अनिवार्य)

30 एमसीक्यूज

30 अंक

भाषा II (अनिवार्य)

30 एमसीक्यूज

30 अंक

गणित 

30 एमसीक्यूज

30 अंक

पर्यावरणीय अध्ययन        

30 एमसीक्यूज

30 अंक

कुल

150 एमसीक्यूज 

150 अंक

 

सीटैट सूचना बुलेटिन के अनुसार, बाल विकास और शिक्षा शास्त्र की परीक्षा की मदें 6-11 वर्ष की आयु वर्ग के संगत शिक्षण और लर्निंग शैक्षणिक मनोविज्ञान पर केंद्रित होंगी. वे विविध शिक्षार्थियों की विशेषताओं और जरूरतों, शिक्षार्थियों के साथ बातचीत और सीखने के एक अच्छे सूत्रधार के गुणों तथा विशेषताओं को समझने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.

भाषा I में परीक्षा की मदें शिक्षण के माध्यम की कार्यकुशलताओं पर केंद्रित होंगी. भाषा II की परीक्षा की मदें भाषा, सम्प्रेषण तथा समझ की योग्यता से संबंधित अवयवों पर केंद्रित किया जायेगा. भाषा II पेपर की भाषा, भाषा I से अलग होगी. कोई भी उम्मीदवार उपलब्ध भाषा विकल्पों में से भाषा-I और भाषा-II के तौर पर किसी भी भाषा को चुन सकता है और इसे पुष्टि पृष्ठ में विनिर्दिष्ट करना होगा.

भाषाओं की सूची:

1.            अंग्रेजी                                                                                                  11.          मराठी   

2.            हिंदी                                                                                                       12.          मिज़ो

3.            असमिया                                                                                              13.          नेपाली

4.            बांग्ला                                                                                                    14.          उड़िया   

5.            गारो                                                                                                        15.          पंजाबी

6.            गुजराती                                                                                                                16.          संस्कृत

7.            कन्नड़                                                                                                   17.          तमिल

8.            खासी                                                                                                     18.          तेलुगु

9.            मलयालम                                                                                             19.          तिब्बती

10.          मणिपुरी                                                                                                                20.          उर्दू

गणित और पर्यावरणीय अध्ययन में परीक्षा की मदों में विषयों की अवधारणाओं, समस्या समाधान योग्याताओं तथा शिक्षाशास्त्र की समझ तथा विषयों के अनुप्रयोग पर केंद्रित हैं.

पेपर II (कक्षा  VI से VIII तक) प्राथमिक चरण:

संरचना और विषयवस्तु (सभी अनिवार्य):

1.        

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र (अनिवार्य)

30 एमसीक्यूज

30 अंक

2.        

भाषा I (अनिवार्य)

30 एमसीक्यूज

30 अंक

3.        

भाषा II (अनिवार्य)

30 एमसीक्यूज

30 अंक

4.        

(गणित और विज्ञान शिक्षक के लिये)

गणित और विज्ञान            

60 एमसीक्यूज

60 अंक

5.        

(सामाजिक अध्ययन/समाज विज्ञान शिक्षक)

विशेष अध्ययन/समाज विज्ञान

60 एमसीक्यूज

60 अंक

6.        

कुल

150 एमसीक्यूज

150 अंक

 

सीटैट दिसंबर-2019 की अनुसूची निम्नानुसार है:

(पेपर-I प्रात:कालीन सत्र में और पेपर II सायंकालीन सत्र में आयोजित किया जायेगा)

परीक्षा की तिथि 

पेपर

समय    

अवधि

08.12.2019 (रविवार)

पेपर-I

प्रात: 09.30 से दोपहर 12.00 बजे तक

2.30 घण्टे

08.12.2019 (रविवार)

पेपर-II

अपराह्न 02.00 बजे से सायं 04.30 बजे तक

2.30 घण्टे

 

माध्यमिक स्तरीय शिक्षक

माध्यमिक शिक्षा कक्षा 8 से शुरू होकर कक्षा 10 तक होती है. कक्षा 10 तक शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूल माध्यमिक स्कूल, हाई स्कूल अथवा वरिष्ठ स्कूल आदि के तौर पर जाने जाते हैं. माध्यमिक शिक्षा स्तरीय शिक्षकों के लिये न्यूनतम अर्हता स्नातक साथ में बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड) अथवा इसके समकक्ष; अथवा चार वर्षीय एकीकृत बी.एससी, बी.एड अथवा इसके समकक्ष पाठ्यक्रम है. कोई व्यक्ति जिसके पास स्नातक शिक्षा साथ में बी.एड है वह कक्षा 10 तक प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक अथवा टीजीटी बन सकता है. टीजीटी कक्षा 10 तक शिक्षण कार्य करते हैं.

प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) परीक्षा

यह परीक्षा भारत में अधिकतर राज्यों द्वारा राज्य सरकार के स्कूलों में स्नातक शिक्षक की भर्ती के लिये आयोजित की जाती है. किसी भी विषयक्षेत्र में स्नातक साथ में मान्यताप्राप्त संस्थानों से बी.एड डिग्री धारक उम्मीदवार टीजीटी परीक्षा के लिये आवेदन कर सकते हैं.

वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल शिक्षक

भारत में वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा 2 वर्षों की है. इस स्तर की शिक्षा में अवधि और कक्षाओं के दृष्टिगत देश भर में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में एकरूपता है तथा 10+2 पद्धति का पालन किया जाता है. भारत में वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में 11वीं और 12वीं की कक्षाएं शामिल होती हैं. शिक्षा के इस स्तर पर छात्र अपनी पसंद के क्षेत्र और विषयों का चुनाव करते हैं. वे कला, वाणिज्य, विज्ञान (गणित और जीवविज्ञान) का अध्ययन कर सकते हैं. जो स्कूल 12वीं तक की कक्षाएं संचालित करते हैं उन्हें वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल या उच्चतर माध्यमिक स्कूलों के तौर पर जाना जाता है. कुछ विश्वविद्यालय और कालेज भी इन कक्षाओं की पढ़ाई कराते हैं. वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के शिक्षकों के लिये न्यूनतम अर्हताओं में संगत विषय में मास्टर डिग्री साथ में बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड) अथवा इसके समकक्ष; अथवा दो वर्षीय एकीकृत एम.एससी एड पाठ्यक्रम या इसके समकक्ष पाठ्यक्रम है. यदि आप स्नातकोत्तर हैं (उदाहरणार्थ एम.), और बी.एड या एम.एड हैं, आप स्नातकोत्तर शिक्षक, अथवा पीजीटी बन सकते हैं. पीजीटी कक्षा XII तक पढ़ा सकते हैं.

पीजीटी स्नातकोत्तर शिक्षक परीक्षा

ये परीक्षाएं भारत में लगभग सभी राज्यों में राज्य सरकार के स्कूलों में वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के शिक्षकों की भर्ती के लिये आयोजित की जाती हैं.

पीजीटी परीक्षाओं में सामान्य जागरूकता, ताज़ा घटनाक्रम, सामान्य विज्ञान और भारतीय संविधान, रिजनिंग, मात्रात्मक अभिरुचि, शिक्षण अभिरुचि आदि सम्मिलित होती हैं.

(लेखिका मुंबई स्थित स्वतंत्र काउंसलर है, -मेल: shweta82saras@gmail.com.) व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.                                                                                                                                          (छायाचित्र: गूगल के सौजन्य से)