आई.ए.एस. साक्षात्कार-II
अपने जीवन-वृत्त का बचाव करना : एक सही दृष्टिकोण
एस. बी. सिंह
आई.ए.एस. साक्षात्कार बोर्ड का सामना करते समय कई पहलुओं को शामिल करना होता है. अभिशासन, आर्थिक, पर्यावरणीय, राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं पर महत्वपूर्ण मामलों पर तैयारी करने के अतिरिक्त आपके जीवन-वृत्त से जुड़ी सूचना, जिसे विस्तृत आवेदन-पत्र (डी.ए.एफ.) कहा जाता है, पर बोर्ड द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों तथा की जाने वाली टिप्पणियों की तैयारी करना साक्षात्कार-प्रक्रिया का एक अनिवार्य भाग है. डी.ए.एफ. को बोर्ड एक जन्म-कुंडली के रूप में लेती है, जिसके आधार पर वह यह अनुमान लगाता है कि आपका व्यक्तित्व कैसा है. चूंकि डी.ए.एफ. के कॉलमों में अनेक सूचना पूछी जाती है, इसलिए आपका डी.ए.एफ. बोर्ड को आपसे उन सूचनाओं के बारे में बात करने का व्यापक अवसर देता है जो सूचना आपने उसमें दी है. यह एक वास्तविक संभावना है कि आपका पूरा साक्षात्कार-सत्र या उसका कोई भाग-जो सामान्यत: 30 मिनट तक चलता है, आपके डी.ए.एफ. की चर्चा पर आधारित होता है. वास्तव में 3-4 ऐसे विभिन्न प्रारूप हो सकते हैं जिसमें आपका साक्षात्कार संचालित किया जा सकता है. एक-यह आपके द्वारा अपने डी.ए.एफ. में दी गई सूचना पर प्रश्नों से जुड़ा हो सकता है, दो-यह सामान्य रुचि के वर्तमान कुछ प्रासंगिक मामलों पर हो सकता है; तीन, यह आपके मूल राज्य पर आधारित हो सकता है और चार, यह कॉलेज में आपके विशेषज्ञता के विषय या परीक्षा के लिए अपने द्वारा चुने गए वैकल्पिक प्रश्न-पत्र पर आधारित हो सकता है. इनमें से कोई भी प्रारूप विशेष प्रकृति का नहीं होता. इन प्रत्येक प्रारूपों में अन्य प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं. तथापि, साक्षात्कार के दौरान एक बात निश्चित है अर्थात मुख्य प्रारूप के बावजूद डी.ए.एफ. आधारित प्रश्न पूछे जाएंगे. इस तरह, डी.ए.एफ. की तैयारी गंभीरता के साथ और मन लगाकर करना उम्मीदवारों के लिए आवश्यक है.
डी.ए.एफ. एवं साक्षात्कार बोर्ड : मुख्य परीक्षा में बैठने से पहले कोई भी उम्मीदवार अपना विस्तृत आवेदनपत्र (डी.ए.एफ.) संघ लोक सेवा आयोग को भेजता है. डी.ए.एफ. में उसकी जाति, धर्म आदि के बारे में व्यक्तिगत सूचना भी होती है. तथापि, बोर्ड के सभी सदस्यों को यह विस्तृत डी.ए.एफ नहीं दिया जाता. साक्षात्कार बोर्ड के अध्यक्ष को छोडक़र, किसी अन्य सदस्य को आपके डी.ए.एफ. के माध्यम से आपकी जाति या धर्म के बारे में पता नहीं होगा. ऐसा, जाति, धर्म आदि के तथ्यों के कारण, बोर्ड के मन में किसी पक्षपात से बचने के लिए किया जाता है. दूसरे शब्दों में, आपकी जाति आदि के बारे में जानकारी केवल अध्यक्ष को ही होगी किसी अन्य सदस्य को नहीं. इसलिए आपकी सामाजिक, धार्मिक पृष्ठभूमि के आधार पर आपके विरूद्ध किसी तरह का भेदभाव किया जाना या आपके पक्ष में किसी पूर्वाग्रह का प्रदर्शन संभव नहीं है. किंतु आपके नाम, कुल नाम से आपके धर्म का पता लग जाएगा और इसके बारे में कोई कुछ नहीं कर सकता.
आप और आपका विस्तृत आवेदनपत्र (डी.ए.एफ.) : डी.ए.एफ. में दी गई सभी सूचना आपके द्वारा ही दी गई है. इससे आप इन सभी सूचना के लिए जिम्मेदार एवं उत्तरदायी होते हैं. बोर्ड यह मान लेगा कि अपने डी.एफ. में विवरण देते समय आपने अपनी संपूर्ण सूचना दी है, और इसलिए, वह आपसे, आपके द्वारा दी गई प्रत्येक सूचना का बचाव, विश्लेषण तथा उद्घाटित करने की आशा रखता है. अत: यदि आप अन्य प्रश्नों का उत्तर आसानी से नहीं दे सकते तो बोर्ड इसे सहज रूप में ले सकता है. किंतु आपके डी.ए.एफ. से जुड़े प्रश्नों पर आप विश्वस्त नहीं पाए गए तो बोर्ड उसे गंभीरता से लेगा. आपके डी.ए.एफ. पर प्रश्नों के विश्वासोत्पादक उत्तरों की आशा करना बोर्ड के लिए पर्याप्त औचित्यपूर्ण है क्योंकि स्वयं आपने ही उन सूचनाओं को देने के लिए चुना है और आप उनके बारे में हतोत्साहित नहीं दिखने चाहिएं.
डी.ए.एफ. विवरणों का वर्गीकरण : उम्मीदवारों को डी.ए.एफ. में 28 कॉलमों को भरना होता है. उन्हें निम्नलिखित वर्गों में रखा जा सकता है :
(1)व्यक्तिगत विवरण, जैसे नाम, आयु एवं मूल स्थान, अभिभावकों का नाम, व्यवसाय एवं आय, मुख्य परीक्षा के लिए पसंद का केंद्र, लिए गए वैकल्पिक विषय (कॉलम-1 से 15)
(2)शैक्षिक योग्यताएं (कॉलम-16)
(3)रोज़गार के विवरण (कॉलम-17)
(4)पाठ्येत्तर गतिविधियों, विशिष्टता, शौक (कॉलम-18)
(5)राज्य संवर्गों में आई.ए.एस./आई.पी.एस की वरीयता (कॉलम-20)
(6)विभिन्न सेवाओं जैसे आई.ए.एस.,/आई.पी.एस. और समवर्गी सेवाओं के लिए वरीयता का क्रम (कॉलम-21)
(7)संघ लोक सेवा आयोग की पिछली परीक्षा में बैठने और उनके परिणाम के विवरण (कॉलम-22, 23, 24, 25 एवं 26)
(8)शुल्क भुगतान के विवरण (कॉलम-27 एवं 28)
डी.ए.एफ. में पूछे गए और दिए गए अनिवार्य विवरणों का विश्लेषण : शुल्क विवरण से संबंधित वर्ग को छोडक़र अन्य सभी वर्ग प्रश्न/टिप्पणी से जुड़े कॉलम होते हैं. उन कालमों को नीचे क्रमवार स्पष्ट किया गया है.
व्यक्तिगत विवरण से जुड़ा कॉलम : आपके नाम एवं उसके अर्थ, आपकी जन्म-तिथि तथा उस तिथि के ऐतिहासिक महत्व या उस तिथि को किसी अन्य व्यक्ति के जन्म से संबंधित प्रश्नों से प्रारंभ करते हुए, इस कॉलम से कई प्रश्न पूछे जा सकते हैं. आप का जहां जन्म हुआ है उस स्थान के आसपास के क्षेत्र, आप जिस राज्य के हैं आदि को बोर्ड निकटता से पढ़ेगा और उन पर प्रशन पूछेगा. आपके अभिभावकों के व्यवसाय, उनके रोज़गार से आपके अनुभव आदि पर भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं. यदि आपने कोई ऐसा परीक्षा केंद्र चुना है जो असामान्य है तो आपको उसका औचित्य देना पड़ सकता है. मान लीजिए कि आपने अपने डी.ए.एफ. में यह उल्लेख किया है कि आप दिल्ली से हैं, किंतु आपने जम्मू को परीक्षा केंद्र के रूप में चुना है तो उनको आपकी केंद्र की पसंद के बारे में कौतुहल होगा और वे आपसे इसका संतोषजनक स्पष्टीकरण पूछेंगे. अंत में आपके वैकल्पिक विषय पर ध्यानपूर्वक जांच की जा सकती है. सिविल सेवाओं में इस विषय का महत्व (जैसे सिविल सेवाओं के लिए वनस्पति विज्ञान कैसे प्रासंगिक हो सकता है), विषय के बारे में नवीनतम सूचना आदि पर प्रश्न पूछे जा सकते हैं.
शैक्षिक योग्यताओं से संबंधित कॉलम : यह एक व्यापक कॉलम है और बोर्ड को आपकी शैक्षिक उपलब्धियों के बारे में जानने की अत्यधिक जिज्ञासा होती है. आपने जिन शैक्षिक संस्थाओं से पढ़ाई की है वे उस पर नजर डालेंगे, और इन संस्थाओं के बारे में आपकी जानकारी की जांच करेंगे. दूसरे, वे यह भी देखेंगे कि क्या आपके शैक्षिक कॅरिअर में कहीं कोई अंतराल है या शैक्षिक कॅरिअर के दौरान कोई खराब प्रदर्शन रहा है, और यदि कोई रहा है तो वे इस पर आप से प्रश्न पूछेंगे. साथ ही साथ, यदि शिक्षा में आपकी उपलब्धि अच्छी है तो वे आपसे पूछेंगे कि आपका शैक्षिक कॅरिअर इतना शानदार होने के बावजूद आप सिविल सेवाओं में क्यों आना चाहते हैं. इसके अतिरिक्त, यदि आप कोई व्यवसायी-जैसे डॉक्टर, इंजीनियर या वकील हैं तो वे यह भी पूछेंगे कि आप अपने महत्वपूर्ण व्यवसाय क्षेत्र से अलग कॅरिअर में क्यों आना चाहते हैं. आपको ऐसे प्रश्नों का उत्तर भी अपनी पर्याप्त ईमानदारी के साथ देना चाहिए. यदि आप कोई कल्पित या गढ़ा हुआ उत्तर देंगे तो बोर्ड के समक्ष आपकी स्थिति असहाय हो सकती है.
रोजग़ार से जुड़े कॉलम : यदि आप पहले रोज़गार में रहे हैं, या साक्षात्कार के समय रोज़गार में हैं तो आपसे आपके रोज़गार प्रोफाइल, आपकी जिम्मेदारियों, आपकी कंपनी या सरकारी विभाग-जहां आप कार्य करते हैं, के बारे में अनेक प्रश्न पूछे जाएंगे. इस क्षेत्र में एक कठिन प्रश्न यह होगा कि आप सिविल सेवाओं के पक्ष में कोई रोज़गार परिवर्तन क्यों चाहते हैं. अधिकांश उम्मीदवार इसका एक जैसा उत्तर देते हैं. इस पर एक प्रश्न तथा अनेक उम्मीदवारों द्वारा दिया जाने वाला समान उत्तर देखें:-
प्रश्न : आप अच्छी संभावनाओं वाले उच्च पद पर सेवारत हैं. आप सिविल सेवाओं में क्यों आना चाहते हैं?
उत्तर : जी हां, मैं सहमत हूं कि मैं एक अच्छे रोज़गार में हूं. किंतु सिविल सेवाओं में प्राप्त होने वाले स्टेटस, प्रतिष्ठा, विविधता तथा चुनौतियां मुझे आकर्षित करती हैं.
अथवा
जी हां, सच है, किंतु मैं देश एवं समाज की सेवा करना चाहता हूं जिसने मुझे इतना कुछ दिया है.
प्रत्येक बोर्ड द्वारा पूछा जाने वाला एक आम प्रश्न है और दिए जाने वाले ये दोनों उत्तर भी आम हैं. बोर्ड प्रत्येक उम्मीदवार से एक ही उत्तर सुनकर ऊब जाता है और कोई अलग उत्तर सुनना चाहता है. ये दोनों उत्तर अपने आप में अच्छे हैं, किंतु आपको ये उत्तर दूसरे उम्मीदवारों के उत्तर से भिन्न अन्य ढंग से देने चाहिएं. मेरा सुझाव है कि आप अपने उत्तर को अपने अभिभावकों, सिविल सेवाओं में किसी रोल मॉडल से प्राप्त प्रेरणा अथवा सिविल सेवाओं में चुनौतियों तथा अवसरों के बारे में किसी होनहार तथा ईमानदार सिविल सर्वेंट द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से जोड़े. इससे आपका उत्तर रोचक हो जाएगा.
रूचि से जुड़ा कॉलम : यह कॉलम आपके जीवन-वृत्त का अत्यधिक संवेदनशील भाग है. आपको अपनी रुचि तथा पाठ्येत्तर गतिविधियों का समर्थन या बचाव इस तरह करना होगा कि बोर्ड संतुष्ट हो जाए कि आप अपनी उल्लिखित रुचियों से वास्तव में लगाव रखते हैं और उसका संवर्धन कर रहे हैं. साक्षात्कार के बारे में अनुभव नहीं होने के कारण, कई उम्मीदवार इस कॉलम को अपेक्षाकृत आसानी से ले लेते हैं. वे इस कॉलम में ऐसे शौक या रुचियों का उल्लेख कर देते हैं जिनको उन्होंने शायद ही गंभीरतापूर्वक लिया हो अथवा पाठ्येत्तर गतिविधियों को अपने वास्तविक जीवन में नजरअंदाज कर दिया हो. यदि आप किसी ऐसी रूचि का उल्लेख करते हैं जो वास्तविक न होकर झूठी है तो आपका झूठ पकड़ लिया जाएगा और इसके लिए आपको क्षति भी उठानी पड़ सकती है. उदाहरण के लिए, एक वास्तविक आई.ए.एस. साक्षात्कार में किसी उम्मीदवार ने हरियाणा के एक गांव में किसानों को पढ़ाने के अपने शौक का उल्लेख किया था. बोर्ड के अध्यक्ष ने पहले तो इसे एक आश्चर्य से भरा शौक या रुचि माना और उसके बाद उस उम्मीदवार से प्रश्न पूछने प्रारंभ किए. जब उससे यह पूछा गया कि आप किसानों को किस समय पढ़ाते हैं तो उसने कहा कि वह प्रात: में जाता है. इसके बाद अध्यक्ष ने उससे पूछा कि वह किसानों से सुबह के समय कैसे मिल सकता है जबकि उनमें से अधिकांश किसान या तो अपने खेतों में होते हैं या अपने पशुओं को चराते हैं या खेती का काम करते हैं. इस प्रश्न पर उसने झूठा उत्तर देने का प्रयास किया और वह सचमुच एक नाजुक स्थिति में फंस गया. उसे उम्मीद से बहुत कम अंक दिए गए. इसलिए, आपकी जो भी रुचि या शौक हो उसका अत्यधिक सही ढंग से बचाव करके बोर्ड पर अपनी छाप छोडऩा आवश्यक है. अपनी रुचि के बारे में गढ़े हुए या कल्पित उत्तर देने से हमेशा बचना चाहिए.
आई.ए.एस./आई.पी.एस. वरीयता से जुड़े कॉलम : इस कॉलम में आपको विभिन्न राज्यों में दो विशिष्ठ सेवाओं अर्थात आई.ए.एस. और आई.पी.एस. के लिए अपनी वरीयताओं का उल्लेख करने का अवसर दिया जाता है. उदाहरण के लिए, बिहार में आई.ए.एस./आई.पी.एस. के लिए आपकी वरीयता क्या होगी. सामान्यत: कोई उम्मीदवार, यदि वह बिहार से है तो बिहार संवर्ग के लिए आई.ए.एस./आई.पी.एस. को 1/1 की वरीयता देगा. उसके बाद वह उत्तर प्रदेश को चुन सकता है जहां उसकी वरीयता आई.ए.एस.उसकी दूसरी वरीयता हो सकती है, किंतु आई.पी.एस. उसकी तीसरी पसंद होगी. वरीयता में इस तरह की विभिन्नता होने पर प्रश्नों की झड़ी लग सकती है. सामान्यत: आई.ए.एस./आई.पी.एस. सेवा के बारे में उम्मीदवारों की एक विषयनिष्ठ अवधारणा होती है. उदाहरण के लिए नक्सलवाद से प्रभावित राज्यों में उम्मीदवार आई.पी.एस. सेवा की तुलना में आई.ए.एस. सेवा चुनना पसंद करते हैं. इससे समस्याग्रस्त क्षेत्रों में चुनौतियों को स्वीकार करने की आपकी इच्छा के बारे में संदेह उत्पन्न हो सकता है. प्रत्येक राज्य में दोनों सेवाओं अर्थात आई.ए.एस./आई.पी.एस. के लिए समान वरीयता देना हमेशा बेहतर होता है. उदाहरण के लिए नगालैंड में आई.ए.एस. की वरीयता यदि 11 है तो नगालैंड में आई.पी.एस. के लिए आपकी वरीयता-11 होनी चाहिए न कि 17 तथा 18 इससे आप एक ही राज्य में दो सेवाओं को अलग अलग क्रम पर चुनने के बारे में स्पष्टीकरण देने से बच सकेंगे.
विभिन्न सेवाओं के लिए वरीयता के क्रम से संबंधित कॉलम: इस कॉलम को भरने का अत्यधिक मानक प्रक्रिया यह है कि आई.ए.एस., आई.पी.एस. और आई.एफ.एस. को क्रमश: पहली, दूसरी और तीसरी वरीयता दी जाती है. इसके बाद आई.आर.एस., सीमा शुल्क, लेखा परीक्षा एवं लेखा आदि को चुना जाता है. बोर्ड को सेवाओं के लोकप्रियता स्तर के बारे में जानकारी होती है और इसलिए, एक सामान्य पसंद के रूप में वे प्रश्न नहीं करेंगे. लेकिन यदि आप कोई असामान्य वरीयता देते हैं, जैसे आई.ए.एस. पर आई.पी.एस. को या आई.पी.एस. पर आई.आर.एस. को प्राथमिकता देते हंै तो आपको उसका एक उपयुक्त उत्तर पूछा जाएगा. आपको ऐसा स्पष्टीकरण देना चाहिए जो सदस्यों को पसंद आए.
सं.लो.से.आ. की परीक्षाओं में पिछले प्रयासों का विवरण : यह एक सामान्य कॉलम है और आप इसका बचाव उतनी ही सरलता से कर सकते हैं, जितनी सही सूचना आपने बिना किसी छुपाव के साथ दी होगी. तथापि, यदि आपको सं.लो.से.आ. ने किसी सेवा के लिए चुन लिया है और आपने उसे छोड़ दिया है या उसके प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रवेश लेने में विलंब किया है तो आपसे आपके निर्णय के बारे में औचित्य पूछा जाएगा.
आपके डी.ए.एफ. के बचाव या समर्थन के कुछ दिशा-निदेश:
I. तैयारी पहले करना प्रारंभ करें : परिणाम की प्रतीक्षा नहीं करें. अपने डी.ए.एफ. की तैयारी करने पर पर्याप्त पहले ध्यान दें. आपने अपने डी.ए.एफ. के कॉलमों में जो सूचना दी है, उन्हें एकत्र करने में बहुत समय लगेगा.
II. विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में तैयारी करें :
डी.ए.एफ. या अन्य किसी विषय पर साक्षात्कार के लिए आपके द्वारा स्वयं की जाने वाली तैयारी से आप केवल तथ्य और सूचना एकत्र कर सकते हैं. साक्षात्कार के लिए अपनी तैयारी करते समय जब तक आप किसी विद्वान व्यक्ति की सहायता नहीं लेंगे, तब तक आपकी तैयारी वास्तव में सही नहीं होगी. इसलिए, वास्तव में ऐसे किसी परामर्शदाता को चयन करें जिसकी सलाह पर विश्वास कर सकें और दैनिक आधार पर उसकी सलाह का अनुसरण कर सकें.
III. अपना बचाव हमेशा ईमानदारी के साथ करें :-
साक्षात्कार में ईमानदार रहना ही श्रेष्ठ नीति है. अपने डी.ए.एफ. के बारे में आपको जो भी कहना है उसके प्रति ईमानदार रहें. ऐसा करने से आप सुरक्षित रहेंगे और अधिक अंक प्राप्त कर सकते हैं.
(एस.बी.सिंह एक प्रख्यात शिक्षाविद् और आई.ए.एस. साक्षात्कार विशेषज्ञ हैं. उनसे, उनकी ई-मेल : sb_singh2003@yahoo.com पर सम्पर्क कर सकते हैं.) व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं