रोज़गार समाचार
सदस्य बनें @ 530 रु में और प्रिंट संस्करण के साथ पाएं ई- संस्करण बिल्कुल मुफ्त ।। केवल ई- संस्करण @ 400 रु || विज्ञापनदाता ध्यान दें !! विज्ञापनदाताओं से अनुरोध है कि रिक्तियों का पूर्ण विवरण दें। छोटे विज्ञापनों का न्यूनतम आकार अब 200 वर्ग सेमी होगा || || नई विज्ञापन नीति ||

नौकरी फोकस


Career volume-34

सिविल सेवा मुख्य परीक्षा-2016
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-I की जानकारी

एस. बी. सिंह

मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन के चार प्रश्न-पत्रों में से सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र-१  सबसे लम्बा प्रश्नपत्र होता है, जो सम्पूर्ण सामान्य अध्ययन पाठ्यक्रम का लगभग एक-तिहाई होता है इसका मुख्य कारण यह है कि इस प्रश्न-पत्र में विस्तृत इतिहास तथा भूगोल पाठ्यक्रम को मिला दिया गया है इसके अतिरिक्त, सामाजिक मामलों की एक सम्पूर्ण शृंखला भी इस पाठ्यक्रम का एक हिस्सा है इस तरह, सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र-१ तीन अत्यधिक व्यापक क्षेत्रों का एक सम्मिलित पाठ्यक्रम है जो किसी भी उम्मीदवार के लिए एक वास्तविक चुनौती है. तथापि, इस प्रश्न-पत्र में वास्तविक चुनौती इसका व्यापक पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि पाठ्यक्रम की अपर्याप्त समझ है एक बार, प्रत्येक भाग अर्थात् इतिहास, भूगोल और सामाजिक मामलों के पाठ्यक्रम को ठीक से समझ लिया जाए तो इसकी तैयारी बेहतर एवं आसान हो सकती है इस लेख में, प्रश्न-पत्र-१ की विशुद्ध प्रकृति को, पुस्तकों एवं अन्य स्रोतों के संदर्भ के साथ-साथ स्पष्ट किया जाएगा. प्रत्येक विषय के नीचे आई.ए.एस.-2016 परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण विषयों की सूची भी दी गई है:-

इतिहास:-

इतिहास के पाठ्यक्रम में आधुनिक भारत, स्वतंत्रोत्तर भारत (अर्थात् 1947-2016 के बीच हुए विकास) और विश्व इतिहास शामिल हैअधिकांश प्रश्न आधुनिक भारतीय इतिहास पर और कुछ प्रश्न स्वतंत्रोत्तर भारत तथा विश्व इतिहास से पूछ जाते हैं

आधुनिक भारत: संघ लोक सेवा आयोग के पाठ्यक्रम के अनुसार, आधुनिक भारतीय इतिहास में अठारहवीं शताब्दी से लेकर 1947 तक की अवधि शामिल है. यह निश्चित रूप से एक लंबी समय-अवधि है और इसका यह अर्थ है कि मुगल शासन के पतन और योरोपीय वाणिज्यिक गतिविधियों के प्रारंभ होने के बाद प्रत्येक मामले को व्यावहारिक तैयारी में शामिल किया जाना है किंतु प्रश्नों के संबंध में, अट्ठारहवीं शताब्दी का इतिहास इतना महत्वपूर्ण नहीं है अधिकांश प्रश्न 1857 की क्रांति प्रारंभ होने की अवधि से पूछे जाते हैं तथापि, किसी भी उम्मीदवार के 1857 से पूर्व की अवधि, विशेष रूप से ब्रिटिश सत्ता के उदय, मराठा, सिख आदि के साथ उनके संघर्ष और सीमावर्ती क्षेत्रों के संबंध में, विशेष रूप से सिंध के कब्जे की उसकी नीतियों के बारे में भी प्रारंभिक ज्ञान होना चाहिए. इसके लिए आधुनिक भारत एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तक से तैयारी पर्याप्त होगी.

1857 से 1947 की अवधि के निम्नलिखित विषय-क्षेत्र पाठ्यक्रम में निहित हैं :-

1.1857 की क्रांति, आदिवासी एवं किसान क्रांति

2.सामाजिक-धार्मिक आंदोलन, निम्न जाति आंदोलन, मजदूर संघ आंदोलन

3.कांग्रेस एवं नरमपंथी युग का गठन

4. लड़ाकू राष्ट्रवाद का उदय

5.क्रांतिकारी आतंकवाद का युग

6. होम रूल लीग आंदोलन

7.गांधी-युग: संघर्ष की उनकी तकनीक, उनके पूर्व आंदोलन, उनकी पुस्तक हिंद स्वराजमें दिए गए स्वराज पर उनके विचार, असहयोग आंदोलन, कांग्रेस स्वराज दल, नेहरू रिपोर्ट एवं जिन्ना के 14 प्वाइंट, नागरिक अवज्ञा आंदोलन, प्रांतों में कांग्रेस मंत्रालयों का गठन, राजसी राज्यों में आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, आई.एन.ए., विभाजन और स्वतंत्रता से जुड़ी 1940 से 1947 के बीच की मुख्य घटनाएं

8.मुस्लिम लीग का उदय, कांग्रेस से उसका मिलान, साम्प्रदायिकता का उदय, पाकिस्तान का उदय

9. ब्रिटिश आर्थिक नीतियां: कृषि, उद्योग, व्यापार, सम्पदा निष्कासन तथ्य

10. ब्रिटिश प्रशासनिक संरचना: सिविल सेवा, न्याय पालिका, विकेन्द्रीकरण, प्रांतीय स्वायत्तता

11. ब्रिटिश शैक्षिक एवं प्रेस नीतियां

12. प्रसिद्ध संधियों के मामले: काकोरी, कानपुर, अलीपुर, लाहौर संधि मामले

13.कांग्रेस में और उसके बाहर वामपंथ का उदय सिद्धांत-विज्ञान एवं योगदान

14. राष्ट्रीय आंदोलन में पूंजीपतियों, विदेशियों और महिलाओं की भूमिका

15. ब्रिटिश शासन के दौरान संवैधानिक विकास: नियमन अधिनियम 1773 से लेकर भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 तक के सभी अधिनियम 1909, 1919, 1935 के अधिनियमों पर अधिक बल, साइमन कमीशन, क्रिप्स मिशन, कैबिनेट डेलीगेशन की सिफारिशें

अध्ययन-स्त्रोत

पाठ्यपुस्तकें: 1. विपिन चंद्र की एन.सी.ई.आर.टी. एवं इंडियाज स्ट्रगल फोर इंडिंपेंडेंस. 2. आर.सी. प्रधान राजू टू स्वराज (ऐसी महत्वपूर्ण पुस्तक जिसकी कई उम्मीदवारों को जानकारी नहीं है) 3. ए. आर. देसाई स्पेशल बैकग्राउण्ड ऑफ इंडियन नेशलनिज्म. 4. बी.एल. ग्रोवर मॉडर्न इंडिया.

संदर्भ पुस्तकें: 1. नेहरू भारत की खोज, 2. दुर्गा दत्त: इंडियन फ्रोम कर्जन टू नेहरू एंड आफ्टर, 3. गजेटियर ऑफ इंडिया बोल-द्बद्ब (प्रकाशन विभाग, भारत सरकार)

स्वतंत्रतोत्तर भारत

पाठ्यक्रम के इस भाग में राष्ट्र-निर्माण, आर्थिक विकास, राजनीतिक मामले, विदेश नीति के मामले, पर्यावरण से जुड़े मामले तथा स्वतंत्र भारत में विद्रोह की समस्या से संबंधित बड़े विकास शामिल हैं मैंने निम्नलिखित व्यापक विषयों के अंतर्गत इस भाग में एक संक्षिप्त तथा ठोस पाठ्यक्रम तैयार किया है:-

1.आधुनिक भारत में राष्ट्र तथा राज्य निर्माण का दृष्टिकोण

2.आर्थिक एवं विदेश नीति सिद्धांत के रूप में समाजवाद, इसकी विशेषताएं और सीमाएं

3. कृषि एवं उद्योग के विकास की नीतियां: हरित क्रांति, औद्योगिक नीतियां आदि

4.विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में विकास

5.आधुनिक भारत में शिक्षा

6.विदेश नीति एवं बाहरी विश्व के साथ बाहरी व्यवस्थाएं, तिब्बत नीति, पंचशील समझौता, ए.बी.आई. संबंध कॉन्फ्रेंस, बेंडग कॉन्फ्रेंस, भारत-नेपाल संधि, 1950, भारत-पाक युद्ध-1965, ऑपरेशन जिब्रेटर, ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम, ताशकंद समझौता, सर क्रीक एवं सियाचीन मामले, भारत-सोवियत शांति एवं सहयोग संधि, 1971, शिमला समझौता, 1972, इंडस वाटर ट्रीटी, 1960, श्रीलंका में आई.पी.के.एफ. की भूमिका, स्यूज़ संकट पर भारत का स्टेंड, नेहरू की फोरवर्ड पॉलिसी, एन.ए.एम., कोरिया युद्ध पर भारत का स्टैंड

7.स्वतंत्रोत्तर भारत में बड़े आंदोलन: महिला आंदोलन, पर्यावरण आंदोलन, किसान आंदोलन, आदिवासी आंदोलन

8.स्वतंत्र भारत में विद्रोह: नागा, बोडो, गोरखा, नक्सल आंदोलन, खलिस्तान मामला

9.स्वतंत्र भारत में रातनीजि:- राजनीतिक दल, चुनाव, वोटिंग आचरण, क्षेत्रवाद, गठबंधन राजनीति

10.आपातकाल एवं संविधान तथा लोकतंत्र पर इसका प्रभाव, जय प्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति

स्रोत:

1.एन.सी.ई.आर.टी.: पॉलिटिक्स सिंस इंडिपेंडेंस

2. एन.सी.ई.आर.टी.: सोशल चेंज एंड डेवलपमेंट इन इंडिया

3.विपिन चंद्र: इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस

4. पॉल आर. ब्रास: पॉलिटिक्स इन इंडिया आफ्टर इंडिपेंडेंस

विश्व इतिहास:

विश्व इतिहास का पाठ्यक्रम केवल अपनी व्यापक रूपरेखा तक ही निर्धारित है सौभाग्यवश, पाठ्यक्रम में न तो विस्तृत अवधि शामिल है और न ही इस भाग से 2-3 प्रश्नों से अधिक प्रश्न पूछे जाते इस भाग में निम्नलिखित विषय आते हैं:-

1.औद्योगिक क्रांति एवं इसकी शाखाएं

2.विश्व युद्ध: द्ब एवं द्बद्ब

3.उपनिवेशन एवं विउपनिवेशन प्रक्रिया

4.विचारधारा: पूंजीवाद, समाजवाद, सम्प्रदायवाद

5.क्रांतियां: अमरीकी, रूसी, फ्रांसीसी क्रांतियां

विश्व इतिहास पाठ्यक्रम: कैसे तैयारी करें:-

विश्व इतिहास पाठ्यक्रम की तैयारी करने की महत्वपूर्ण बातें ये हैं कि तैयारी विश्व की महत्वपूर्ण घटनाओं के सामान्य ज्ञान का विकास करने की भावना से करें. दूसरे शब्दों में, कुछ अच्छी पुस्तकों से इसके व्यापक विषयों को केवल पढ़ें और अट्ठारहवीं शताब्दी से बीसवीं शताब्दी तक की विश्व-घटनाओं की सामान्य समझ का विकास करें. पाठ्यक्रम के इस भाग के किसी विशेषज्ञतापूर्ण ज्ञान की आवश्यकता नहीं है तथापि इसकी तैयारी के लिए कुछ पुस्तकें सहायता कर सकती हैं

आई.ए.एस.-2016 परीक्षा के लिए निम्नलिखित प्रश्न पूछे जा सकते हैं:-

1.सम्प्रदायवाद के उत्थान एवं पतन के कारण

2.पूंजीवाद उत्तर शीत युद्ध विश्व में सफल कैसे रहा

3.फ्रांसीसी क्रांति एवं विश्व के लिए उसका महत्व आधुनिक यूरोप को नेपोलियन का योगदान

4. बर्सेलीज एवं विएना कांग्रेस की संधि

5.उत्तर शीत युद्ध अवधि में सीमाओं का पुन: रेखांकन

6.क्यूबन मिसाइल संकट

विश्व इतिहास पर अनुशंसित पुस्तकें:-

1.अर्जुन देव एवं इंदिरा अर्जुन देव: ए हिस्ट्री ऑफ इ वल्र्ड

2.एल. मुखर्जी : ए हिस्ट्री ऑफ द यूरोप

3. एल. मुखर्जी : ए हिस्ट्री ऑफ द वल्र्ड

कला एवं संस्कृति

कला एवं संस्कृति इतिहास का एक अंतरंग भाग है, क्योंकि इसका विकास विभिन्न समयों, विभिन्न राजनीतिक विचार-धाराओं तथा धार्मिक मान्यताओं के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संदर्भों में हुआ है दूसरे शब्दों में कहें तो सभी कलाओं तथा प्रत्येक संस्कृति के उनके विशिष्ट संदर्भ में समझा जाना आवश्यक है वास्तव में, कला केवल संस्कृति का एक भाग हैमानवविज्ञान के अभिप्राय में, संस्कृति जीवन के एक तरीके का संकेत करती है, जबकि सौंदर्यशास्त्र में यह कला का संकेत करती है. भारतीय सांस्कृतिक संदर्भ हमेशा इसका अनेकवाद रहा है, जो इसके धर्म, दर्शन, भाषा आदि में व्यक्त हुआ है इस तरह कला एवं संस्कृति में हमारी प्रचुर विरासत को पूर्ण महत्व देने के लिए इसके संदर्भ से जोड़े जाने की आवश्यकता है

जहां तक इस भाग की संभावना का संबंध है, इसके परम्परागत तथा गैर-परम्परागत - दोनों पहलुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए परम्परागत विषयें में उम्मीदवार को निम्नलिखित पर तैयारी करनी चाहिए वास्तुकला, मूर्तिकला पेंटिंग, भाण्डकर्म, साहित्य, नृत्य, संगीत, नाट्य-मंच, कला एवं संस्कृति के गैर-पारम्परिक क्षेत्रों की व्यापक समझ होना आवश्यक है

पिछले कुछ समय से संघ लोक सेवा आयोग गैर-पारम्परिक प्रकृति के प्रश्न पूछता रहा हैकला एवं संस्कृति के पारम्परिक विषय हमेशा पाठ्य-पुस्तकों के माध्यम से शामिल किए जा सकते हैं, किंतु गैर-पारम्परिक भाग के लिए कुछ सूक्ष्म पहलुओं के गहन विश्लेषण की अपेक्षा होती है उदाहरण के लिए, तीन महा युद्ध पानीपत में क्यों लड़े गए, संगम साहित्य तमिल संस्कृति को समझने में कैसे सहायता करता है या प्राचीन भारतीय संस्कृति आज भी क्यों जिंदा है, जबकि अन्य बड़ी संस्कृति समाप्त हो चुकी हैं  (संघ लोक सेवा आयोग द्वारा पिछले वर्ष पूछा गया) आदि जैसे प्रश्नों पर मूल विचार व्यक्त करना जरूरी है न कि तथ्य एवं आंकड़े देना

इसलिए मैं सुझाव दूंगा कि उम्मीदवार कला एवं संस्कृति पर एक व्यापक परिप्रेक्ष का विकास करें उम्मीदवार मानक इतिहास पुस्तकों जैसे ए.एल. बाशम, रोमिला थापर गजेटियर ऑफ इंडिया में कला एवं संस्कृति की प्रकृति एवं आत्मा पर टिप्पणियां ध्यानपूर्वक पढ़ें

आई.ए.एस.-2016 परीक्षा के लिए कला एवं संस्कृति पर प्रत्याशित विषय

1.वास्तुकला, मूर्तिकला, पेंटिंग आदि में यथा प्रदर्शित भारतीय कला की धार्मिक एवं धर्मनिरपेक्ष भावना

2.कला एवं संस्कृति में इंडस व्यक्ति की उपलब्धियां

3. गंधार, मथुरा स्कूलों, अजंता पेंटिंग्स का महत्व

4.पल्लव वास्तुकला के संदर्भ में रॉक-कट वास्तुकला की विशेषता

5.बौद्ध कला एवं वास्तुकला

6.नगर एवं द्रविड़ मंदिर वास्तुकला के बीच तुलना

7.अशोक की धम्म नीति: अकबर के दीन-ए-ईलाही से इसकी तुलना

8. सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के रूप में सूफीवाद तथा भक्ति आंदोलन

9. भारतीय कला एवं संस्कृति में पौराणिकी की भूमिका

10. हिंदूकुश एवं खिबेर जैसी हिमालयी घाटियां न केवल हमले एवं विजय की प्रवेश-द्वार, बल्कि एशिया के बड़े भाग में भारतीय संस्कृति के विस्तार की राजमार्ग

11. भारतीय कला एवं संस्कृति को महत्व दिलाने में भारतीय सिनेमा का योगदान

12. भारत-इस्लामी वास्तुकला

13. भारत विधा एवं भारत की महान कलात्मक परम्परा की खोज में इसका योगदान

14.कला एवं संस्कृति में संस्कृति की भूमिका

15. मध्य एवं दक्षिण पूर्व एशिया की भारत की सांस्कृतिक विजय

16.भारत की मुख्य सांस्कृतिक संस्थाएं और कला एवं संस्कृति के परिरक्षण, संरक्षण तथा प्रोत्साहन में उनकी भूमिका

कला एवं संस्कृति पर अनुशंसित पुस्तकें:-

1. ए. एल. बाशम, द बंडर दैट वाज इंडिया

2. गज़ेटियर ऑफ इंडिया, वोल-द्बद्ब

3. एस.ए.ए. रिज़्वी: द बंडर दैड वाज़ इंडिया, वोल-द्बद्ब

4.एन.सी.ई.आर.टी.: द इंडियन आर्ट

5. बेसिल ग्रे : द आर्ट्सऑफ इंडिया

भूगोल:

सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र-ढ्ढ में पाठ्यक्रम के विशाल होने के संबंध में इतिहास के बाद भूगोल आता है इसका पाठ्यक्रम  में स्थैतिक तथा गतिक-दोनों पहलू शामिल हैं तथापि, मुख्य परीक्षा के लिए भूगोल के गतिक/वर्तमान पहलू अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं पिछले कुछ वर्षों की परीक्षाओं में भूगोल को इतना सामान्य बना दिया गया है कि कोई भी उम्मीदवार परीक्षा में प्रश्नों के लिए वर्तमान घटनाओं पर आधारित विषयों पर अत्यधिक निर्भर हो सकते हैं

आई.ए.एस.-2016 के लिए भूगोल के प्रत्याशित विषय:

1. भूकम्प, 2. सूखा, 3. प्रदूषण: इसके प्रकार, कारण प्रभाव एवं उपाय, 4. दावानल, 5. जल के मामले: भूजल प्रबंधन, जलभर (एक्विफर) मैपिंग, नदी-जल विवाद, 6. कृषि: सिंचाई, राष्ट्रीय कृषि मण्डल, कृषि दबाव, जी.एम. फसल, 7. राष्ट्रीय अंतर्देशी जलमार्ग विकास, 8. पत्तन आधारित विकास तथा तटीय आर्थिक जोनों का सृजन, 9. दाल उत्पादन, 10. नदी अंतरजोड़ एवं उसकी समस्याएं, 11. सौर ऊर्जा तथा आई.एस.ए., 12. ऑर्गेनिक कृषि, 13. पेरिस जलवायु डील तथा एच.एफ.सी. गैसों पर किगाली कॉन्फरेंस, 13. एलनिनो तथा ला नीला तथा मानसून से उनका संबंध, 14. ब्लू इकॉनोमी: अर्थ एवं संभावना

अनुशंसित पुस्तकें:

1. एन.सी.ई.आर.टी. की ग्यारहवीं तथा बारहवीं कक्षाओं की भूगोल की पुस्तकें

सामाजिक मामले

इस भाग में, तथ्य देते हुए ऐसे विविध प्रश्न पूछे जा सकते हैं, जिनका सामाजिक, लिंग, आर्थिक भेदभाव, कमजोर वर्गों के प्रति उदासीन एवं असामान्य व्यवहार, अल्पसंख्यक समूहों पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के परिणाम से उत्पन्न होने वाले विभिन्न मामलों के साथ हमारे विविध, विषय समाज को सामना करना पड़ता है इसके अतिरिक्त, हमारे समाज एवं इसके संघटकों जैसे परिवार, वृद्धजन, महिलाओं पर वैश्वीकरण के प्रभाव आदि ऐसे विशेष मामले हैं जो संघ लोक सेवा आयोग के पाठ्यक्रम में रखे जाते हैं प्रत्येक वर्ष, या तो महिला-मामलों, बाल मामलों अथवा वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मामलों पर प्रश्न आते हैं

सामाजिक मामलों के बारे में अच्छा समाचार यह है कि समसामयिक मामलों पर प्रश्न दिए जाते हैं इसलिए सामाजिक मामलों पर कोई पुस्तक विशेष पढऩे की कतई आवश्यकता नहीं है भारतीय सामाजिक मामलों पर, पृष्ठभूमि अध्ययन के लिए केवल एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें पर्याप्त हैं. अधिकांश विषय समाचारपत्रों के लेख तथा पत्रिकाओं में राइट-अप्स जैसे ई.पी.डब्ल्यू, फ्रंटलाइन, मेनस्ट्रीम आदि से लिए जा सकते हैं

सामाजिक मामलों को समझने में, प्रत्येक को यह ध्यान रखना चाहिए कि ये मामले संस्थाकृत प्रक्रियाओं जैसे पितृसत्ता, लिंग भेदभाव, सामन्तवाद, जातिगत परम्परा आदि से पनपते हैं इसके अतिरिक्त, समाज में विभिन्न तरह की असमानताएं भी भारत में अनेक सामाजिक समस्याओं का कारण होती हैं सभी सामाजिक मामलों को दो परिप्रक्ष्यों में देखे जाने की आवश्यकता है इसके मूल कारणों के परिप्रेक्ष्य में और दो मामलों को हल करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के परिप्रेक्ष्य में उदाहरण के लिए, मादक द्रव्यों के निषेध के मामले को, उनके प्रयोग में बने रहने के कारणों के संबंध में और उसके बाद सरकार द्वारा उठाए जा रहे निवारण उपायों के संबंध में देखे जाने की आवश्यकता है अंत में, आप सामाजिक समस्या का अपना निजी निदान देने में सक्षम होने चाहिए समाचार-पत्रों/दूरदर्शन समाचारों पर आधारित ऐसे मामलों का दिन-प्रति-दिन आधार पर अवलोकन इस भाग की तैयारी करने का एक अत्यधिक सुविधाजनक उपाय है इस भाग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोई पुस्तक विशेष नहीं है इस परिसीमन को देखते हुए केवल एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों पर भरोसा रखना श्रेष्ठ विकल्प है

सामाजिक मामलों पर एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें

1. सोशल चेंज एंड डेवलपमेंट इन इंडिया

2. ग्लोबलाइजेशन एंड सोशल चेंज

आई.ए.एस.2016 के लिए प्रासंगिक सामाजिक मामलों की सूची:

1. नक्सलवाद एवं भारतीय समाज (अफ्रीका पर हाल ही के हमलों, उत्तर भारत में पूर्वोत्तर के छात्रों से व्यवहार आदि)

2. बाल मजदूर

3.आरक्षण: मराठा, पाटीदार, कप्पू, जाट जैसे मझली जातियों का आरक्षण समर्थक संघटन: उनके कारण एवं परिणाम

4. मजदूर बाल में महिला सहभागिता प्रवृत्ति

5.मादक द्रव्य सेवन: स्वास्थ्य-जोखिम के अतिरिक्त, इसके सामाजिक एवं आर्थिक परिणाम, निवारक उपाय

6. निषेध: आवश्यकता बनाम व्यवहार्यता

7. भारत में एकल महिला (सिंगल बुमेन) समस्या

8.न्युक्लिअर परिवार और बढ़ती हुई सामाजिक सुरक्षा रिक्तता

9.आत्महत्या की बढ़ती हुई दर, विशेष रूप से किशोरों में, उसके कारण एवं उपचार

10.ट्रांसजेंडर राइट्स

11.भारत में तलाक का बढ़ता हुआ स्तर

12.स्वीय विधि में लिंग असमानता

13. वैश्वीकरण एवं युवा पर इसके प्रभाव.

 

(एस.बी. सिंह एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् तथा आई.ए.एस. मेंटोर हैं. उनसे उनकी ई-मेल: email: sb_singh2003@yahoo.com पर सम्पर्क किया जा सकता है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)