सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा-2016
नीतिशास्त्र एवं निबंध के प्रश्नपत्र मुख्य आधार
एस.बी.सिंह
आई.ए.एस. मुख्य परीक्षा में एक महीने से भी कम समय बचा है और इसकी तैयारी इस समय अपने अंतिम चरण में है। एक लम्बे वैकल्पिक प्रश्न-पत्र के साथ सामान्य अध्ययन (जी.एस.) का भारी-भरकम पाठ्यक्रम, मुख्य परीक्षा की तैयारी वास्तव में चुनौतीपूर्ण एवं किसी उम्मीदवार के धैर्य तथा दृढ़ता की परीक्षा है। किसी भी उम्मीदवार ने पिछले कुछ महीनों में कितना भी अध्ययन किया हो, यह मुख्य परीक्षा के बारे में आशंकित रहता है। इसका मुख्य कारण पाठ्यक्रम की व्यापक रूप-रेखा और प्रश्नों की अनिश्चितता है। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए मुख्य परीक्षा की तैयारी के बारे में सही परिप्रेक्ष्य का विकास करने का यह सही समय है। चूंकि पाठ्यक्रम व्यापक है, इसलिए पूरे पाठ्यक्रम की तैयारी करना न तो संभव है और न ही वांछनीय। इसके बदले, पाठ्यक्रम में उन क्षेत्रों की पर्याप्त तैयारी करना आवश्यक है जिन क्षेत्रों से अधिकांश प्रश्न पूछे जाते हैं।
इस लेख में, महत्वपूर्ण नीतिशास्त्र एवं निबंध के प्रश्न-पत्रों पर पूर्ण जानकारी देने के प्रयास किए गए हैं। मुख्य परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने की कई नीतियां हो सकती हैं। मुख्य परीक्षा के इस चरण पर, वैकल्पिक प्रश्न-पत्र का समेकन तथा नीतिशास्त्र और निबंध के प्रश्न-पत्र के लिए कौशल को बढ़ाना जरूरी है। सामान्य-अध्ययन के चार प्रश्न-पत्रों में से, नीतिशास्त्र के प्रश्न-पत्र में बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए जा सकते हैं बशर्ते कि आप सही कौशल रखते हों। निबंध के प्रश्न-पत्र के बारे में यही बात लागू होती है। वास्तव में, इन दोनों प्रश्न-पत्रों का निकट अंतरसंबंध है और इनमें कई विषय समान हैं। इन्हें अलग से देखना एक भूल हो सकती है और इन दोनों प्रश्न-पत्रों का समीकरण तथा एकीकरण करने के आश्चर्यजनक परिणाम मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, खेल, भ्रष्टाचार, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और मनुष्य पर इनके प्रभाव नीतिशास्त्र एवं निबंध के प्रश्न-पत्रों के लिए सामान्य विषय हैं। इसलिए इन दोनों प्रश्न-पत्रों के लिए समान विषयों की वैचारिक सकलना बनाएं और इनकी एकीकृत तैयारी करें। इन दोनों प्रश्न-पत्रों का लाभ यह है कि सामान्य अध्ययन के अन्य प्रश्न-पत्रों के वितरित ये दोनों प्रश्न-पत्र बहुत उच्च अंक दिला सकते हैं। इस वर्ष की मुख्य परीक्षा में खेल पर कुछ प्रश्न दे सकने का एक कारण और एक व्यापक औचित्य है क्योंकि खेल निरंतर समाचार में बना रहा है। रिओ ओलंपिक में भारत का निराशाजनक प्रदर्शन, लोढ़ा-समिति की रिपोर्ट, रूसी खिलाडिय़ों द्वारा मादक पदार्थों के सेवन जैसे मामलों तथा खेल से जुड़े नीतिपरक अनेक मामलों की झलक मुख्य परीक्षा-2016 के प्रश्न-पत्रों में निश्चित रूप में मिल सकती है। भारत की खेल-संस्कृति पर कोई निबंध, या खेल-नीतिशास्त्र पर कोई प्रश्न, या खेलों में नशीले पदार्थों के सेवन पर एक केस स्टडी जैसे प्रश्न हो सकते हैं। इसी तरह, प्रौद्योगिकी पर, प्रौद्योगिकी एवं मानव जीवन में उसकी अभिभूत स्थिति या प्रौद्योगिकी का अनैतिक उपयोग, या कृत्रिम आसूचना के लाभ एवं हानि पक्ष पर कोई निबंध हो सकता है। इस तरह, कोई भी उम्मीदवार ऐसे अनेक विषय तलाश करके इसकी सम्मिलित तैयारी कर सकता है। इससे आपकी तैयारी न केवल संतुलित होगी, बल्कि आपका समय भी बचेगा।
नीतिशास्त्र प्रश्न-पत्र
जहां तक नीतिशास्त्र प्रश्न-पत्र का संबंध है, यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि नीतिशास्त्र का अध्यापन/अध्ययन स्वयं जीवन के बारे में अध्यापन/अध्ययन है। संघ लोक सेवा आयोग नीतिशास्त्र पाठ्यक्रम में इतिहास, भूगोल आदि जैसी कोई संरचनाबद्ध पद्धति का अनुसरण नहीं करता है। बल्कि, यह हमारे आचरण, नैतिक जीवन में प्रतिदिन के मामलों से लिए गए कुछ प्रासंगिक मामलों का एकीकरण है। उदाहरण के लिए मानवीय मूल्य एवं इन मूल्यों को आत्मसात करने में परिवार की भूमिका, भ्रष्टाचार, कार्य-संस्कृति आदि के मामले ऐसे मामले हैं, जिनका हम अपने दैनिक जीवन में निकटता से अनुभव करते हैं। इस तरह नीतिशास्त्र पाठ्यक्रम केवल उदाहरणात्मक प्रकृति का है और इससे, किसी मूलपाठ या शाब्दिक आदि को नहीं जोड़ा जा सकता। इसलिए, नीतिशास्त्र विषयों का एक विशिष्ट ज्ञान के बजाय, एक व्यापक, समस्तर अर्थ में लिए जाने की आवश्यकता है। नीतिशास्त्र विषय में पाठ्यक्रम की आवश्यकता के अनुरूप पुस्तकों और पाठ्यक्रम सामग्रियों की अनुपलब्धता तथा नीतिशास्त्र विषय पढ़ाने में विशेषज्ञों का अभाव नीतिशास्त्र प्रश्न-पत्र के अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू हैं। उम्मीदवारों को नीतिशास्त्र पर पुस्तकें पढऩी चाहिए। यदि आप पोप, दलाई लामा तथा नैतिक, आचरण एवं धर्मोपदेशकों के लेख पढ़ेंगे तो आप नीति-शास्त्र में एक वास्तविक गहरी पकड़ बना लेंगे, क्योंकि ये उपदेशक इनके वास्तविक कर्ता रहे हैं और उन्होंने अनुकम्पा, समानुभूति, गर्भपात, शिक्षा, यूथेनसिया, पर्यावरण आदि जैसे विभिन्न विषयों पर जो बातें कही हैं, उनका एक व्यापक अर्थ है और वे बातें इस प्रश्न-पत्र के लिए प्रासंगिक हैं। इसके अतिरिक्त, आपको प्रशासनिक सुधार आयोग का प्रशासनिक सुधार आयोग-द्बद्ब रिपोर्ट अर्थात् अभिशासन में नीतिशास्त्र विषयक इसकी चौथी रिपोर्ट भी देखनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय नीधि कोष, विश्व बैंक आदि जैसे प्रत्येक संगठन के अपने नीतिशास्त्रीय कार्यालय हैं और उन्होंने कार्य-संचालन के लिए नीतिगत विषयों को संहिताबद्ध किया है। उनके नीतिगत बातों का अवलोकन, नैतिक आचरण से जुड़े मामलों पर आपके मानसिक क्षितिज का विस्तार करेगा।
मैं यहां अपको नीतिशास्त्र से संबद्ध शब्दों एवं उनकी परिभाषाओं की भूमिका पर प्रकाश डाल रहा हूं। आपको निम्नलिखित शब्दों की वास्तविक परिभाषाओं का और उदाहरण के माध्यम से इन शब्दों का प्रयोग करने का ज्ञान होना चाहिए:-
उत्तरदायित्व, स्वायत्तता, परोपकारिता, हितकारिता, उपकारिता, अनुकम्पा, परिणामवाद, संतोष, शौर्य, कर्तव्यशास्त्र (नीतिशास्त्र) नियतिवाद, दुविधा, कर्तव्य, भावुकता, भावोत्तेजक असूचना, परानुभूति, भोगवाद, आत्मप्रसादवाद, निष्पक्षता एवं न्याय संगति, क्षमाशीलता, उदारता, गोल्डन थीम, सुख, सौभाग्य, सुखवाद, ईमानदारी/सत्यवादिता, सत्यनिष्ठा/अखंडता, न्यायशीलता, कृपा/दयालुता, विनय/शालीनता, कुलीनता, प्रतिमान, धैर्य/सहनशीलता, दृढ़ता, करुणा, धर्मनिष्ठा, सुख/सौभाग्य, विवेक, अविवेचित, दायित्व, अधिकार, धार्मिकता, अधिकार आधारित नीतिशास्त्र, आत्मसंयम, सहानुभूति, उद्देश्यमूलक सिद्धांत, संयम, सहनशीलता, विश्वास, विश्वस्तता, सत्यता, व्यावहारिक सिद्धांत, भ्रष्टता, सद्गुण, स्वैच्छिक कार्य, बुद्धिमानी/विवेक।
नीतिशास्त्र प्रश्न-पत्र में मामला अध्ययन
मामला अध्ययन (केस स्टडी) की तैयारी में अनेक भ्रांतियां हैं। ये भ्रांतियां मामला अध्ययन के बारे में मूल तथ्यों को विकृत करती हैं। कई कल्पित, बचकाना, तुच्छ केस स्टडीज़ बाजार में उपलब्ध हैं। इनका अभ्यास कदापि न करें। बल्कि इनके स्थान पर वास्तविक मामला अध्ययन (केस स्टडी) करें। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं प्रशासनिक मामलों पर विभिनन समाचारपत्रों में पर्याप्त रिपोर्टें आती हैं और रिपोर्टों से वास्तविक मामला अध्ययन किया जा सकता है इन मामलों को, मामला अध्ययन के परिप्रेक्ष्य से, समझने की आदत का विकास करें। कई बार समाचारपत्रों की रिपोर्ट में समाधान भी निहित होता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिये कि अपने सरकारी निधि के दुरुपयोग पर समाचारपत्र में एक रिपोर्ट पढ़ी है, जो नीतिशास्त्र प्रश्न-पत्र में एक विषय है। ऐसे मामले में हो सकता है कि रिपोर्ट में, सरकारी निधि के बेहतर उपदेश के लिए समाधान दिए गए हों। इस तरह आप उस रिपोर्ट से भी समाधान तैयार कर सकते हैं।
मुख्य परीक्षा-2016 में नीतिशास्त्र के लिए प्रश्नों के प्रत्याशित क्षेत्र:
1. जीवन में नीतिशास्त्र की अनिवार्यता एवं महत्व।
2. खेल नीतिशास्त्र, व्यवसाय नीतिशास्त्र, मीडिया नीतिशास्त्र, जैव नीतिशास्त्र, चिकित्सा नीतिशास्त्र, कार्पोरेट अभिशासन/नीतिशास्त्र, पशु-नीतिशास्त्र।
3. मानवीय मूल्यों को आत्मसात करने में परिवार या समाज या शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका।
4. उपभोक्तावादी युग में बदलते हुए नैतिक मूल्य, भारतीय राजनीतिक अभिवृत्ति के निर्धारक तथ्य।
5. भावोत्तेजक आसूचना एवं प्रशासन में इसका अनुप्रयोग।
6. प्रशासन को कमज़ोर वर्गों के प्रति अधिक उदार एवं सहानुभूतिशील कैसे बनाया जाए।
7. सिविल सेवाओं में आधारिक मूल्य एवं नोलन समिति रिपोर्ट।
8. भारत में उत्तरदायित्व एवं नैतिक अधिशासन।
9. अंतर्राष्ट्रीय निधियन, विशेष रूप से आतंकवाद निधियन में नैतिक मामले।
10. भारतीय कार्य-संस्कृति, इसकी निर्धारक विशेषताएं तथा इनमें सुधार कैसे लाया जाए?
11. सेवोत्तम मॉडल एवं सेवा प्रदान।
12. भ्रष्टाचार के कारण एवं परिणाम, भ्रष्टाचार से संघर्ष के लिए भारत का विधिक एवं सांस्थानिक ढांचा
13. भारत में अधिशासन के दार्शनिक आधार।
14. मानवतावाद एवं मानवता का अर्थ एवं प्रयोग।
निबंध प्रश्न-पत्र
निबंध, आई.ए.एस. मुख्य परीक्षा में दो तरह से नीतिशास्त्र का जुड़वां भाई है। पहला, नीतिशास्त्र की तरह, आपको निबंध के लिए एक समान तैयारी करने की आवश्यकता होती है। दूसरा, कई विषय नीतिशास्त्र एवं निबंध में समान होते हैं। यदि उम्मीदवार निबंध के संभावित क्षेत्रों का अनुमान लगाने की क्षमता और उसकी संरचना की समता रखता है तो वह निबंध के प्रश्न-पत्र में उच्च अंक अर्थात् 130 से 150 अंक तक प्राप्त कर सकता है। उम्मीदवार को 10 से 15 ऐसे विषय तलाशने के लिए कठोर परिश्रम करना चाहिए जो इस वर्ष की परीक्षा के लिए संभावित विषय हों। यदि इन विषयों पर निबंध आता है तो परीक्षा में आपके द्वारा लिखे जाने वाले उस विषय के निबंध पर पहले से की गई आपकी तैयारी आपके लिए लाभकारी होगी। यदि आप किसी निबंध की संरचना एवं रूपरेखा की जानकारी रखते हैं तो, यह, दिए गए किसी विषय पर अच्छे लेखन में सहायक होगी, बशर्ते कि आपने निबंध के अधिक क्षेत्रों की तैयारी की हो और आप उनकी विषय-वस्तु जानते हों।
निबंध की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण सुझाव:
निबंध लेखन में कभी भी किसी तकनीकी दृष्टिकोण को अपनाने का प्रयास नहीं करें। यदि आप निबंध लेखन का कोई सटीक तरीका तलाश कर रहे हैं, तो ऐसा कोई तरीका नहीं है। निबंध के प्रश्न-पत्र में एक सामान्य दृष्टिकोण रखना ही एक श्रेष्ठ दृष्टिकोण है। किसी भी एक निबंध को प्रत्येक उम्मीदवार अलग-अलग तरीके से लिखेगा और यह पर्याप्त रूप में स्वीकार्य भी है। महत्व इस तथ्य का होता है कि अपने निबंध के उस विषय का एक बहु-आयामी तरीके से किस तरह विकास किया है। उस विषय पर बहुत अधिक जानकारी देने से बेहतर है कि उस पर पर्याप्त रचनात्मक सोच लिखी जाए। दूसरे, चूंकि निबंध आपके विचारों तथा तर्कों की एक सशक्त अभिव्यक्ति होता है, इसलिए आपको अपने लेखन में रूपकों, उपमा, अलंकारों का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही, निबंध में उपयुक्त स्थानों पर प्रासंगिक उद्धरण भी देने चाहिए। निबंध लेखन के निम्नलिखित पहलुओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए:-
1.एक रैखिक विवरणात्मक शैली अपनाएं:- किसी विषय पर निबंध लेखन प्रारंभ करते समय एक रैखिक विवरण देने के बाद निबंध के मध्य भाग और अंतिम भाग पर जाते समय विषय पर ही बने रहें। दूसरे शब्दों में लेखन की यह शैली भूमिका, मध्य भाग एवं निष्कर्ष या उपसंहार कहलाती है।
2.रचनात्मक सोच: सामान्यत: उम्मीदवार किसी भी विषय पर एक सीधे तरीके की सोच रखते हैं। उदाहरण के लिए तीसरा विश्व-युद्ध रोकने तथा विश्व शांति के योगदान में नाभिकीय अस्त्रों की भूमिका पर एक निबंध तो सीधा दृष्टिकोण यह होगा कि विषय का औचित्य दिया जाए और निष्कर्ष यह दिया जाए कि नाभिकीय अस्त्रों ने निश्चित तौर पर एक नए विश्व युद्ध को रोका है। किंतु किसी निबंध में दृष्टिकोण इतनी सरलता के साथ नहीं दिया जाना चाहिए। आपके विचार किसी घुमावदार वस्तु की तरह आगे बढऩे चाहिए। इस संदर्भ में, आपको यह देखना चाहिए कि क्या तीसरे विश्व-युद्ध को वास्तव में रोका गया है या वह किसी अन्य रूप जैसे सीरिया, इराक, आई.एस.आई.एस. आदि में चल रहा है। इसी तरह आपको अपने निबंध में यह भी जानकारी देनी चाहिए कि क्या केवल नाभिकीय अस्त्रों की उपस्थिति ने ही एक नए विश्व युद्ध को रोका है या इसके रोकने के अन्य तथ्य भी हैं। अंत में, आपको अपने निबंध के विषय की इस जांच द्वारा प्रतिरक्षा करनी चाहिए कि क्या नाभिकीय अस्त्रों के कारण वर्तमान विश्व में शांति है या यह अधिक अशांत है।
3. भूमिका: भूमिका आपके निबंध का अत्यधिक महत्वपूर्ण भाग है। यह 140 से 170 शब्दों में लिखा जाना चाहिए। आपके मुख्य शोध तथा मध्य भाग के तर्क का उल्लेख इसमें स्पष्ट रूप से होना चाहिए ताकि परीक्षक को यह पता लग सके कि आगे के पैरा में आप क्या लिखेंगे।
4. मध्य भाग: निबंध के मध्य भाग में 5-6 पैरा होने चाहिएं और प्रत्येक पैरा में 120 से 150 शब्द हों। इस भाग में अपने निबंध की उप-विषय वस्तुओं को उठाएं और इन्हें 5-6 पैरा में एक नियोजित रूप में क्रम दें। प्रत्येक पैरा में एक स्वतंत्र उप विषय-वस्तु होनी चाहिए, न कि अव्यस्थित या मिले-जुले रूप में। दूसरे शब्दों में, प्रत्येक पैरा में एक विशिष्ट मद का उल्लेख होना चाहिए जो आप अपने निबंध में उठा रहे हैं।
5.निष्कर्ष या उपसंहार: निष्कर्ष या उपसंहार 120 से 150 शब्दों में होना चाहिए। यह भाग मामलों को समेकित करने और आगे बढऩे के उपाय को दर्शाने का होता है। आपका निष्कर्ष, मुख्य भाग में आपके द्वारा दिए गए मुख्य तर्क के अनुकूल होना चाहिए। निष्कर्ष विषय की प्रकृति के आधार पर आधारित होना चाहिए।
6. निबंध का अभीष्ट आकार: कोई भी निबंध विशेष 1000 से 1200 शब्दों में लिखा होना चाहिए। 1000 से कम शब्द वांछनीय नहीं होते। तथापि आप यदि 1300 से 1400 शब्द लिखते हैं तो भी निबंध का आकार ठीक माना जाएगा।
मुख्य परीक्षा-2016 के लिए निबंध के कुछ संभावित विषय:
प्रौद्योगिक से संबंधित निबंध:
(क) प्रौद्योगिकी किस तरह मानवीय स्वायत्तता को समाप्त और पृथक्करण को बढ़ावा दे रही है।
(ख) प्रौद्योगिकी बच्चों के स्वास्थ्य तथा मानसिक विकास का किस तरह प्रभावित कर रही है।
2.वास्तविक यथार्थता या संवद्र्धी यथार्थता
3.कृत्रिम आसूचना: मनुष्य के लिए श्रेष्ठ या निकृष्ट।
4.निषेध
5.असहिष्णुता
6.जल युद्ध
7.खेलों से जुड़े निबंध: (क) खेलों में नीतिशास्त्र, (ख) क्या भारत में किसी खेल-संस्कृति का अभाव है?
8.हमारी मृदुशक्ति के रूप में योग अथवा योग भारत का सबसे बड़ा निर्यात भारत की विश्व को सबसे बड़ी देन है।
9.राष्ट्रवाद बनाम देशभक्ति या आर्थिक राष्ट्रवाद एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
(एस.बी. सिंह एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् हैं। उनसे उनकी मेल: sb_singh2003@yahoo।com पर सम्पर्क किया जा सकता है। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं)।