स्वच्छता में कॅरिअर
उषा अल्बुकर्क एवं निधि प्रसाद
जीवन-निर्वाह के लिए पानी एक बुनियादी आवश्यकता तथा एक महत्वपूर्ण संसाधन है। जल की गुणवत्ता कम होने से मनुष्य के स्वास्थ्य परिस्थितिक-प्रणाली में संकट आ सकता है। साफ पेय जल, स्वास्थ्य विज्ञान तथा स्वच्छता स्वास्थ्य अच्छा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
किसी भी व्यक्ति का स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य-विज्ञान, बड़े पैमाने पर, पेय-जल की पर्याप्त उपलब्धता और उपयुक्त स्वच्छता पर निर्भर करता है। इसलिए, जल, स्वच्छता एवं अच्छे स्वास्थ्य के बीच एक सीधा संबंध है। असुरक्षित पेय जल का उपभोग, मानवीय मल-मूत्र का अनुचित निपटान, शिशुओं की अनुचित अत्यधिक मृत्युदर भी खराब स्वच्छता में व्यापक भूमिका निभाते हैं।
भारत एवं चीन जैसे विकासशील देशों में स्वच्छता एक बड़ी समस्या है। जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि होने के कारण, सरकार भूमिगत विकास प्रणाली के माध्यम से उपयुक्त स्वच्छता उपलब्ध कराने में असमर्थ है। इसलिए, अधिकांश देशों के लिए पहली चुनौती यह निर्धारित करना है कि स्वच्छता का वास्तव में क्या अर्थ है। दूसरी चुनौती यह निर्णय लेने की है कि कौन से पहलू अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।
स्वच्छता में वस्तुओं के सुरक्षित संकलन और मानवीय मल-मूत्र के उपयुक्त निपटान से लेकर ठोस कूड़े (कचरे या रद्दी कूड़े) के प्रबंधन तक के प्रत्येक कार्य शामिल हैं: प्रत्येक समुदाय, क्षेत्र या देश को, स्वच्छता के बारे में, अल्प एवं दीर्घ-कालिक - दोनों रूप में सोचने के अत्यधिक समीचीन और लागत-प्रभावी उपाय समझने चाहिएं और उसके बाद उपयुक्त राष्ट्रीय योजनाएं तथा प्राथमिकताएं स्थापित करनी चाहिए और अंत में उन्हें कार्यान्वित करना चाहिए।
उपयुक्त स्वच्छता न केवल सामान्य स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे व्यक्तिगत तथा सामाजिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। स्वच्छता मनुष्य के लिए एक मूल सुख-सुविधा है, क्योंकि खाद्य स्वास्थ्य विज्ञान का इससे सीधा संबंध है। अच्छी स्वच्छता पद्धति जल एवं मिट्टी को दूषित होने से रोकती है और इससे बीमारियों का निवारण होता है। इसलिए, स्वच्छता की संकल्पना में व्यक्तिगत स्वास्थ्य-विज्ञान, गृह स्वच्छता, सुरक्षित जल, कूड़ा-निपटान, मल-मूत्र निपटान तथा मल-जल निपटान कार्य शामिल किए जाने चाहिएं। स्वच्छ पेय-जल तथा अच्छी स्वच्छता अच्छे स्वास्थ्य-विज्ञान को व्यवहार में लाए बिना, संदूषण को नहीं रोक सकती। संकलित जल की आपूर्ति भी स्वास्थ्य विज्ञान के अभाव में संदूषण का एक स्रोत हो सकती है।
वर्ष 2008 को अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता वर्ष घोषित किया गया था, जिसमें अच्छे स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की आदत बनाए रखने की आवश्यकता पर जागरूकता लाने के कार्यक्रमों पर बल दिया गया था। बीमारियों के फैलने से बचाने के लिए हाथों की स्वच्छता को प्राय: अत्यधिक प्रभावी उपाय के रूप में उद्धृत किया जाता है। बच्चे, अपने समकक्ष, अपने परिवारों एवं अपने समुदायों में बदलाव लाने तथा सुरक्षित जल पीने, अच्छी स्वास्थ्य आदतों एवं सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं के महत्व को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, बच्चों को ऐसे ज्ञान, अभिवृत्ति और कौशल का विकास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जो अच्छे स्वास्थ्य-आचरण एवं स्वस्थ जीवन जीने में सहायक होते हैं। वास्तव में परिवार के प्रत्येक सदस्य की स्वास्थ्य तथा स्वच्छता बनाए रखने की एक जिम्मेदारी होती है।
संभावना
भारत में, तीव्रता से हो रहे शहरीकरण तथा बढ़ती जनसंख्या में मौजूदा आधारिक संरचना पर एक बड़ा दबाव डाल दिया है। इसने स्वच्छ पेय-जल तथा प्रभावी स्वच्छता उपाय उपलब्ध कराने की सरकार की क्षमता को प्रभावित किया है। सरकार ने, निगमों या अन्य संगठनों के योगदान से, स्वच्छ भारत, या स्वच्छ भारत अभियान जैसे शहरी विकास कार्यक्रमों के माध्यम से इस समस्या पर काबू रखने के प्रयास किए हैं।
वर्ष 2019 - महात्मा गांधी जन्म वर्षगांठ के 150वें वर्ष, तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2014 को एक राष्ट्र-व्यापी प्रयास प्रारंभ किया था। स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों, विशेष रूप से, स्कूल परिसरों में स्वच्छता में सुधार लाने के लिए संसाधनों को संघटित करना है।
स्वच्छ भारत कोष (एस।बी।के।) की स्थापना, इस आह्वान के संदर्भ में कार्पोरेट क्षेत्र से कार्पोरेट सामाजिक दायित्व (सी।एस।आर।) निधि तथा व्यक्तियों एवं लोकोपकारियों से अंशदान आकर्षित करने के लिए की गई थी। देश में पेय-जल एवं स्वच्छता कार्यक्रमों की सम्पूर्ण नीति, नियोजन, निधियन तथा समन्वय के लिए पेय-जल एवं स्वच्छता मंत्रालय मोडल विभाग है।
स्वच्छता विपणन एक ऐसा उभरता हुआ क्षेत्र है जो उन्नत स्वच्छता सुविधाओं की आपूर्ति एवं मांग में सामंजस्य स्थापित करने के लिए सामाजिक एवं व्यावसायिक विपणन दृष्टिकोण को अपनाता है। यद्यपि, रचनात्मक अनुसंधान किसी भी स्वच्छता विपणन कार्यक्रम का आधार एवं यह समझने के लिए अनिवार्य है कि लक्षित जनसंख्या कौन सा उत्पाद चाहती है और वह उन उत्पादों के लिए क्या मूल्य देने की इच्छुक है, किंतु विपणन मिश्रण, संचार अभियान एवं कार्यान्वयन आदि जैसे घटक भी प्रभावी कार्यक्रमों के अभिकल्पन एवं कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण है।
इसलिए स्वच्छता एवं अच्छे स्वास्थ्य-विज्ञान के इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए व्यवसायियों के लिए कॅरिअर के कई अवसर सृजित किए गए हैं। सरकारी, निजी तथा गैर-सरकारी संगठन क्षेत्रों यथा सरकारी सार्वजनिक विभागों/नगर निगमों/हवाई अड्डों, ग्राम पंचायतों तथा उद्योगों में अवसर हैं, योग्यता प्राप्त व्यवसायी उक्त उल्लिखित विभागों में स्वास्थ्य निरीक्षक, स्वच्छता निरीक्षक एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधक और पर्यवेक्षक के रूप में कार्य कर सकते हैं।
प्रशिक्षण संस्थान
*यद्यपि, सरकारी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विभागों में कई पदों पर विशेषज्ञतापूर्ण प्रशिक्षण अपेक्षित नहीं होता है, किंतु विशेषज्ञतापूर्ण पदों पर कार्य करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए अब प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
*टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) टी.आई.एस.एस. तुलजापुर परिसर में जल, स्वच्छता तथा स्वास्थ्य विज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा चलाते हैं। डिग्री टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टी.आई.एस.एस.), मुंबई द्वारा दी जाएगी।
*मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से संबद्ध वाश संस्थान (वाश का तात्पर्य वाटर, सैनीटेशन एवं हाइजिन है)। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए पात्रता-किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से बी.एससी. - रसायनविज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी में उत्तीर्णता है। विज्ञान विषयों यथा वनस्पतिविज्ञान, प्राणिविज्ञान तथा भौतिकी के छात्र भी प्रवेश ले सकते हैं।
*टी.ई.आर.आई. विश्वविद्यालय अमरीकी अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यू.एस.ए.आई.डी.) ने कोका-कोला के सहयोग में कोलकाता में ‘‘वाश कार्यक्रम’’ नामक इनिशिएटिव चलाया है।
यह कार्यक्रम कोलकाता एवं चेन्नै के झुग्गी-समूहों में स्वास्थ्य प्रभावों के वाश से जुड़े जोखिम विश्लेषण का समर्थन करेगा। इसका उद्देश्य छात्रों तथा निर्णय-कर्ताओं की क्षमताओं का निर्माण करना और उसके द्वारा सतत विकास को बढ़ावा देना होगा।
वाश अधिशासन सुदृढ़ीकरण कार्यों के माध्यम से इसका उद्देश्य, निम्न बस्तियों में 50,000 लाभभोगियों और 300 से अधिक व्यवसायियों तक पहुंचने का है। यह स्कूल वाश कार्यक्रमों के माध्यम से पूरे भारत में 20 म्यूनिसिपल स्कूलों के माध्यम से 2500 छात्रों तक भी पहुंच बनाएगा।
जल स्वास्थ्य विज्ञान एवं स्वच्छता उपायों का अधिकतम लाभ लेने के लिए खराब स्वच्छता, स्वास्थ्य विज्ञान एवं बीमारियों के बीच संबंध पर सार्वजनिक जागरूकता लाना महत्वपूर्ण है। वाश कार्यक्रम अपने इन विभिन्न स्तर के कार्यों के साथ इस संबंध में प्रभावी होगा। जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य विज्ञान का महत्व राष्ट्रीय विकास की कुंजी के रूप में है।
अखिल भारतीय स्वास्थ्य विज्ञान एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान: यह संस्थान राज्य सरकारों/केंद्रीय मंत्रालयों/अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों आदि के सहयोग से नियमित आधार पर स्वास्थ्य-बल के विभिन्न वर्गों तथा समूहों के लिए लघु पाठ्यक्रम/प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है।
छात्रवृत्तियां
*विश्वविद्यालयों, विदेशी सरकारों तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा बड़ी संख्या में छात्रवृत्तियां चलाई जा रही हैं, जो विश्व-स्वास्थ्य, पर्यावरण, जल तथा स्वच्छता आदि से संबंधित विकास से जुड़े अध्ययन को बढ़ावा देती हैं। कुछ छात्रवृत्तियां सामाजिक विकास के क्षेत्र में अध्ययन के सामान्य क्षेत्रों को समर्थन करती हैं।
*रोटरी फाउंडेशन ग्लोबल स्कॉलरशिप ग्रांट्स (कोई भी देश): रोटरी फाउंडेशन ग्लोबल ग्रांट्स का उपयोग, विकास से जुड़े रोटरी के ६ फोकस क्षेत्रों: शांति एवं युद्ध निवारण/समाधान, रोग निवारण एवं उपचार, जल एवं स्वच्छता, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, बुनियादी शिक्षा तथा साक्षरता और आर्थिक एवं सामुदायिक विकास में से किसी एक क्षेत्र में धारणीय, उच्च-प्रभावी निष्कर्ष वाली छात्रवृत्तियों के विधियन के लिए किया जा सकता है।
*अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए इंटरनेशनल वाटर सेंटर स्कॉलरशिप्स (आस्ट्रेलिया): आई.डब्ल्यू.सी. मास्टर्स स्कॉलरशिप प्रतिष्ठित छात्रवृत्तियां हैं, जो उच्च क्षमता वाले ऐसे अंतर्राष्ट्रीय उम्मीदवारों को वार्षिक रूप में दी जाती हैं जिन्हें मास्टर ऑफ इंटीग्रेटेड वाटर मैनेजमेंट (एम.आई.डब्ल्यू.एम.) में स्वीकार किया जाता है और जो भविष्य का जल-अग्रज बनने की संभावना का स्पष्ट प्रदर्शन करता है।
*स्टॉकहोम एनवायरमेंट इंस्टीट्यूट (एस.आई.ई.) एवं वाश इंस्टीट्यूट: मानवीय असुरक्षा को कम करने के लिए, बाढग़्रस्त क्षेत्रों में धारणीय स्वच्छता समाधान के उद्देश्य से भारत में अग्रणी नवप्रवर्तित स्वच्छता परियोजना।
*स्वीडिश इंटरनेशनल डेवलपमेंट कोऑपरेशन एजेंसी (एस.आई.डी.ए.): बिहार, भारत में बाढग़्रस्त क्षेत्रों में धारणीय स्वच्छता को तीन वर्षीय परियोजना समर्थन देती है। परियोजना का नेतृत्व वाश इंस्टीट्यूट, भारत के सहयोग में स्टॉकहोम एनवायरमेंट इंस्टीट्यूट, स्वीडन करता है और पुनरावर्ती बाढ़ से प्रभावी क्षेत्रों धारणीय स्वच्छता समाधान पर बल देती है।
हमारे जैसी विकास अर्थव्यवस्थाओं में स्वच्छता तथा स्वास्थ्य विज्ञान का मुख्यधारा में बेहतर रूप में प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है। वर्तमान में स्वच्छता एवं स्वास्थ्य को मुख्य रूप से सरकारी संगठनों तथा जल वितरक संस्थाओं के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जाता है। शैक्षिक संस्थाएं हर स्तर पर छात्रों को स्वास्थ्य विज्ञान पढ़ा सकती हैं और पढ़ाना चाहिए तथा स्वास्थ्य संस्थाएं स्वच्छता एवं रोग निवारण प्रक्रियाओं के लिए संसाधन दे सकती हैं।
(उर्षा अल्बुकर्क़़ एवं निधि प्रसाद कॅरिअर्स स्मार्ट प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली में क्रमश: निदेशक एवं सीनियर काउंसलिंग सायकोलोजिस्ट हैं, (ई-मेल: careerssmartonline@gmail.com)