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नौकरी फोकस


Volume-23

ऑनलाइन अध्यापन में कॅरिअर
शिक्षित, प्रभावित एवं प्रेरित करें

रुचि श्रीमाली

हर व्यवसाय की समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डॉक्टर आपको स्वस्थ रखता है, इंजीनियर हमारे आराम की रूपरेखा तैयार करता है। दूकानदार हमें हमारी जरूरत की चीजें प्राप्त करने में सहायता करता है। इलेक्ट्रीशियन और प्लम्बर हमारे उपयोग की वस्तुओं को ठीक रखने में हमारी सहायता करते हैं। किंतु अध्यापक ही है जो हमारे जीवन में सबसे प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं। वे, बच्चों के रूप में हमें ज्ञान  प्राप्त करने, संचार कौशल का विकास करने, समस्या समाधान तथा निर्णय लेने की क्षमता का विकास करने में हमारी सहायता करते हैं और हमें हमारे सामाजिक दायित्वों का बोध कराते हैं। हम जैसे-जैसे बड़े होते हैं, हमें अपनी विश्लेषिक क्षमता, तर्कणा क्षमता और समझ का विकास करने में उनकी आवश्यकता होती है। वे जो भी व्यवसाय करना चाहते हैं वे उसमें हमें प्रशिक्षित करते हैं और वे हमें अधिक रचनात्मक और व्यावहारिक बनने की भी प्रेरणा देते हैं।

अच्छे अध्यापक केवल अनुदेशक ही नहीं होते, बल्कि वे हमारे आदर्श, सच्चे मित्र तथा अपने छात्रों के लिए भरोसे मंद भी होते हैं। इसलिए छात्र-अध्यापक संबंध अत्यधिक उत्कृष्ट संतुलन होना चाहिए, जहां अध्यापक अधिकारिक हस्ती होते हैं, फिर भी छात्रों के लिए मिलनसार होते हैं।

जैसा कि एच.जी. वेल्स ने कहा है अध्यापक सच्चे इतिहास निर्माता होते है, वे बच्चों के लिए शैक्षिक बुनियाद रखते हैं और अपने मानव- संसाधन का श्रेष्ठ संभावित रूप में विकास करके राष्ट्र का निर्माण करते हैं।

आज प्रौद्योगिकी के माध्यम से कोई भी व्यक्ति शिक्षा दे सकता है। यदि आप ज्ञान रखते हैं तो आप ऑनलाइन पढ़ा सकते हैं, भले ही आपकी आयु, सामाजिक-आर्थिक स्थिति लिंग कोई भी हों, जब तक आपकी ई-पाठ्यक्रम में छात्रों के लिए उपयोगी विषय-वस्तु होगी, तब तक आप हमेशा एक ऑनलाइन अध्यापक रहेंगे।

ऑनलाइन अध्यापन

नया चलन है

भारत की परम्पराओं ने अध्यापकोंको हमेशा भगवानके रूप में सम्मान दिया है। वे नई पीढिय़ों को रूप देते हैं। किन्तु, आज हमारे होनहार छात्र अध्यापक नहीं बनना चाहते। हमें अपने बीच उदीयमान इंजीनियर डॉक्टर, बैंकर व्यवसायी और यहां तक कि राजनीतिज्ञों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को तो देख सकते हैं, किन्तु हमारे कुछ ही श्रेष्ठ छात्र अध्यापनको आने व्यवसाय के रूप में चुनने का लक्ष्य रखते हैं।

अच्छे अध्यापकों की विश्व-भर में कमी है। तुलनात्मक रूप से भारत स्वयं एक युवा राष्ट्र है। जो व्यक्ति अच्छे अध्यापन को चुनते हैं, वे केवल हमारे राष्ट्र की प्रगति मं ही सहायता नहीं कर सकते, बल्कि विदेश में कॅरिअर के उत्कृष्ट अवसर भी तलाश सकते हैं।

ऑनलाइन अध्यापन बाजार में नवीनतम चलन है। यह पारम्परिक कक्षा-अध्यापन से बहुत भिन्न है, क्योंकि यह अध्यापकों तथा छात्रों दोनों को सम्पूर्ण लचीलापन देता है। यदि आप किसी विषय या टॉपिक में विशेषज्ञ हैं और अन्य व्यक्तियों को इसके बारे में मार्ग दर्शन करते हैं तो आप अन्य व्यक्तियों को अपना ज्ञान नि:शुल्क या किसी एक विशेष शुल्क पर देने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर सकते हैं।

ऑनलाइन अध्यापन में कई प्रकृति के अध्यापन कार्यकलाप शामिल हैं। जिनमें निम्न लिखित शामिल हैं:-

*लाइव वर्चुअल कक्षाएं :- उपग्रह प्रौद्योगिकी के माध्यम से अब छात्रों तथा अध्यापकों को एक समय विशेष पर दूरदराज के क्षेत्रों से जुडऩा संभव है। अध्यापन अधिकाशत: पारम्परिक कक्षाओं की तरह कराया जाता है, जहां अध्यापक लेक्चर देते हैं और उपग्रह वीडियो कॉल्स के माध्यम से या इन्स्टेंट मैंसेजिंग के माध्यम से प्रतिक्रिया कर सकते हैं कोई भी अध्यापक एक ब्लैक बोर्ड पर लिख सकता है जो छात्रों को एक बड़े स्क्रीन पर दिखाई देता है और वह छात्रों को कोई पे्रजेंटेशन भी दिखा सकता है। यह ठीक वैसा ही होता है जैसा कि किसी टी.वी. पर किसी से बात करना।

*रिकॉर्डेड लेक्चर या एम...सी. (मैसिव ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम) :- आजकल कई ऑनलाइन पाठ्यक्रम छात्रों को ऐसा अवसर देते हैं जिसके अंतर्गत वे लेक्चर कभी भी और कही भी प्राप्त कर सकते हैं। इस तकनीक से उम्मीदवारों के लिए लेक्चर इच्छानुसार कई बार देखना संभव हो गया है और सूत्र विश्व में कहीं से भी, विश्व के श्रेष्ठ कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के श्रेष्ठ अध्यापकों से लेक्चर भी प्राप्त कर सकते हैं।

*वन-टू-वन कक्षाएं :- व्यक्तिगत अध्यापन ऑनलाइन भी उपलब्ध है, जहां अध्यापक इंटरनेट पर केवल एक छात्र से सीधे सम्पर्क करता है। अपने स्कूल या कॉलेज अध्ययन के कार्यों में सहायता के लिए अच्छे ट्यूटर की तलाश करने वाले छात्रों में यह एक अत्यधिक लोकप्रिय पद्धत्ति है। इस तरह का ऑनलाइन अध्यापन सत्र छात्रों के प्रश्नों एवं पूछताछ का उत्तर देने के लिए भी लोकप्रिय है।

*एकीकृत ऑनलाइन अध्यापन : आज शिक्षा अग्रज ऐसे विभिन्न उपाय ला रहे हैं, जिनके द्वारा ऑनलाइन अध्यापन को परम्परागत कक्षा अध्ययन व्यवस्था से जोड़ा जा सकता है। इससे अध्यापक एवं शिक्षक छात्रों को कोई संकल्पना बेहतर रूप से समझाने के लिए डिजिटल मीडिया का उपयोग करने में सक्षम हुए हैं।

अध्यापकों के लिए शैक्षिक

योग्यताएं एवं प्रशिक्षण:-

आज छात्रों का ध्यान रखने की अवधि लगातार घटती जा रही है और विभ्रांति बढ़ रही है। ऐसे समय में, किसी कक्षा को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। बदलती हुई प्रौद्योगिकी और इंटरनेट तथा डिजिटल साधनों के एकीकरण ने छात्रों से भरी पारम्परिक कक्षा या किसी वर्चुअल कक्षा में वास्तविक रूप से अध्यायन के लिए अध्यापक-प्रशिक्षण को अनिवार्य बना दिया है।

विभिन्न आयु एवं विकास चरणों वाले छात्रों को पढ़ाने वाले अध्यापकों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण लेना आवश्यक होता है। विभिन्न प्रकार के अध्यापकों के लिए शैक्षिक आवश्यकताएं निम्नानुसार है:-

*नर्सरी अध्यापक:- एक नर्सरी या स्कूल- पूर्व अध्यापक बनने के लिए आपको नर्सरी अध्यापक प्रशिक्षण (एन.टी.टी.) में कम से कम एक वर्ष का प्रमाणपत्र या डिप्लोमा पाठ्यक्रम करना होगा। बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण व्यक्ति इस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकता है। एन.टी.टी. पाठ्यक्रम में पंजीकरण के लिए कोई आयु-सीमा निर्धारित नहीं है, इसलिए कोई भी व्यक्ति यह पाठ्यक्रम किसी भी आयु एवं चरण पर कर सकते हैं।

नर्सरी या किंडरगार्टेन अध्यापक बनने के लिए आप एन.टी.टी. के अतिरिक्त अन्य निम्नलिखित डिप्लोमा या प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम कर सकते हैं :-

*शिशु देखरेख एवं शिक्षा

*शिशु कालीन शिक्षा

*प्रि-नर्सरी एवं प्राथमिक अध्यापक प्रशिक्षण और

*एसोसिएशन मोंटेसरी इंटरनेशनल (ए.एमआई.)

एफिलिएट्स द्वारा प्रस्तुत मोंटेसरी शिक्षा पाठ्यक्रम ए.एम.आई. तीन आयु वर्ग के बच्चों की देख-रेख के लिए पाठ्यक्रम चलाता है। इन्फैंसी सहायक पाठ्यक्रम (जन्म से लेकर ३ वर्ष की आयु तक के बच्चों की देखरेख के लिए), प्राथमिक डिप्लोमा पाठ्यक्रम (३ से ६ वर्ष की आयु तक के बच्चों की देख-रेख के लिए) और साधारण डिप्लोमा पाठ्यक्रम (६ वर्ष से १२ वर्ष की आयु के बच्चों की देख-रेख के लिए)। राष्ट्रीय बाल विकास परिषद (एन.सी.डी.सी.) भी गैर- लाभ आधार पर नर्सरी अध्यापक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाती है।

नर्सरी अध्यापक पाठ्यक्रमों में बाल मनोविज्ञान तथा शिक्षा से जुड़े क्षेत्र जैसे अध्यापन के लिए सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण, प्रबंधन एवं युवा बच्चों की देखरेख आदि शामिल होते हैं। ऐसे अध्यापक अधिकांशत: कहानी सुनाने, कविताएं सुनाने, बच्चों के लिए पाठ तैयार करने तथा खेल-गतिविधियां बनाने और आयु के अनुरूप रचनात्मक विकास कार्य के संयोजन कार्य करते हैं।

नर्सरी एवं प्रि-नर्सरी स्कूलों में कार्य के अतिरिक्त, प्रशिक्षित नर्सरी अध्यापक अपना निजी प्ले-स्कूल, क्रेच, नर्सरी स्कूल या डे- केयर सेंटर चला सकते हैं। वेतन स्कूल के स्थान तथा प्रतिष्ठा के अनुसार बहुत विविध होता है, किन्तु अधिकांश नर्सरी अध्यापक प्रारंभ में ५००० से ७००० वेतन प्राप्त करते हैं। यदि कोई अपना व्यवसाय चलाता है तो वेतन पर्याप्त रूप में वृद्धि करता है। मोंटेसरी अध्यापक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय रूप में मान्यताप्राप्त होते हैं, इसलिए आपको विदेश में अच्छे अवसर मिलते हैं।

*स्कूल अध्यापक :- सरकार प्राय: प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक (टी.जी.टी.), स्नातकोत्तर अध्यापक (पी.जी.टी.) और शारीरिक शिक्षा अध्यापक (पी..टी.) के लिए स्कूल अध्यापकों की रिक्तियां विज्ञापित करती हैं। अब कक्षा १ से लेकर ८ तक के राजकीय स्कूलों में अध्यापन कार्य प्राप्त करने के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा (टी..टी.) उत्तीर्ण करना अनिवार्य हो गया है। केन्द्रीय सरकार के अतिरिक्त अधिकांश राज्य भी अपनी अध्यापक पात्रता परीक्षाएं संचालित करते हैं।

टी.जी.टी. के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा (टी..टी.)

टी.जी.टी.के दो प्रश्न-पत्र होते हैं। प्रश्न-पत्र-१ उन अध्यापकों के लिए होता है जो पहली से लेकर पांचवीं कक्षा तक पढ़ाना चाहते हैं और प्रश्न-पत्र-२ उन अध्यापकों के लिए होता है जो छठी से आठवीं कक्षा तक पढ़ाना चाहते हैं। किसी भी स्नातक व्यक्ति (बी.एड स्नातकों सहित) को राजकीय अध्यापक के रूप में कार्य करने के लिए पात्रता परीक्षा में न्यूनतम ६०' अंक प्राप्त करने होते हैं।

पहली से पांचवीं कक्षा तक (प्राथमिक स्कूल स्तर पर) पढ़ाने के लिए छात्र ने न्यूनतम ५०' अंकों के साथ बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण की हो और वह साधारण शिक्षा, शिक्षा या विशेष शिक्षा में २ वर्ष का डिप्लोमा रखता हो, अथवा ४ वर्षीय साधारण शिक्षा स्नातक हो, स्नातक होने के साथ साधारण शिक्षा में २ वर्ष का डिप्लोमा रखने वाले व्यक्ति भी परीक्षा में बैठ सकते हैं।

छठी से आठवीं कक्षा तक (साधारण स्कूल स्तर पर) पढ़ाने के लिए, छात्र स्नातक योग्यता और साधारण शिक्षा में २ वर्ष का डिप्लोमा किया हो, या न्यूनतम ५०' अंकों के साथ स्नातक हों और एक वर्ष का बी.एड. पाठ्यक्रम किया हो, बारहवीं कक्षा में ५०' अंक प्राप्त करके साधारण शिक्षा में ४ वर्षीय स्नातक योग्यता या शिक्षा में ४ वर्षीय बी../बी.एस.सी कार्यक्रम कर चुके छात्र भी परीक्षा में बैठ सकते हैं। केन्द्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा (सी.टी..टी.) एक वर्ष में दो बार- फरवरी और सिंतबर में संचालित कर जाती हैं।

स्नातकोत्तर अध्यापक

(पी.जी.टी.) परीक्षा

हाई स्कूलों तथा वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों के लिए अध्यापक रखने के लिए राज्य सरकारें पी.जी.टी. परीक्षा संचालित करती हैं। किसी भी विषय में स्नातक होने के साथ मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बी।एड कर चुके व्यक्ति पी.जी.टी. परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं। परीक्षा के लिए सामान्यत: न्यूनतम आयु २१ वर्ष निर्धारित होती है। लेकिन परीक्षा के लिए कोई अधिकतम आयु सीमा नहीं हैं पी।जी।टी। परीक्षा दो भागों में ली जाती है।

*भाग -१  में  प्रत्याशित अध्यापकों की वर्तमान घटनाओं की जानकारी, साधारण ज्ञान, सामान्य विज्ञान, भारतीय संविधान के ज्ञान, मात्रात्मक अभिरुचि, तर्कसंगतता, अध्यापन अभिरुचि  आदि की जांच की जाती है।

*भाग- २ में विशिष्ट विषयों पर प्रत्याशित अध्यापकों के ज्ञान की परीक्षा ली जाती है।

राज्य सरकारों के अतिरिक्त केन्द्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय भी वरिष्ठ स्तरों पर अध्यापक रखने के लिए पी।जी।टी। परीक्षाएं संचालित करते हैं।

*कॉलेज अध्यापक :-

कॉलेज अध्यापक पदों के लिए डॉक्टरल डिग्री (जैसे एम।फिल या पी.एच.डी.) उम्मीदवारों को वरीयता दी जाती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) के मानदंडों के अनुसार एम।फिल डिग्रीधारी व्यक्ति सेवा के लिए १३ वर्षों के बाद सहायक प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किए जा सकते हैं, जबकि पी.एच.डी. डिग्रीधारी व्यक्ति १२ वर्ष की सेवा के बाद पद पर पदोन्नति किए जा सकते हैं।

राज्य द्वारा चलाए जाने वाले विश्वविद्यालयों या संस्थाओं में प्रोफेसरके रूप में नियुक्ति के लिए राज्य पात्रता परीक्षा (एस..टी.) या राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एन..टी.) परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होता है। नेट परीक्षा में बैठने के लिए स्नातकोत्तर स्तर पर न्यूनतम ५५' अंक होना अनिवार्य है। नेट परीक्षा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) द्वारा वर्ष में दो बार- जून और दिसंबर में ली जाती है। नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवार पूरे भारत के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जबकि एस।ई।टी। परीक्षा उत्तीर्ण व्यक्ति केवल राज्य के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और संस्थाओं के लिए ओवदन कर सकते हैं।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, शैक्षिक अनुसंधान में रुचि रखने वाले उम्मीदवारों के लिए कनिष्ठ अनुसंधान अध्येतावृत्ति (जे.आर.एफ.) परीक्षा लेता है जे।आर।एफ योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों को भारतीय कॉलेज, संस्थान तथा विश्वविद्यालय सहायक प्रोफेसर के रूप में भी नियुक्त करते हैं।

कोई भी सहायक प्रोफेसर औसतन रु. १६०००/- से रु. ४००००/- प्रति माह वेतन प्राप्त कर सकता है, जबकि प्रोफेसर रु. ३८०००/- से रु.६८०००/- प्रति माह वेतन प्राप्त कर सकते हैं। विभिन्न आई.टाई.टी., आई.आई.एम. एवं बी.आई.टी. तथा ए.आई.आई.एम.एस. अपने लेक्चर या सहायक प्रोफेसरों को सर्वोच्च वेतन देने के लिए प्रसिद्ध हैं। अधिकांश अच्छी संस्थाएं सहायक प्रोफेसर के रूप में भर्ती के लिए स्नातकोत्तर स्तर पर न्यूनतम ६०' अंक प्राप्त उम्मीदवार अपेक्षित होते हैं। कुछ संस्थाएं आपके अनुसंधान प्रकाशनों के बारे में भी पूछ सकती हैं। जहां अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त पत्रिकाओं को वरीयता दी जाती है। इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए आपको कम से कम एक वर्ष का पाठ्यक्रम करना चाहिए।

विशेष शिक्षा अध्यापन कार्यक्रमों में भी विभिन्न विशेषज्ञताएं हो सकती हैं, जो आपके द्वारा हस्तन की जा रही विकलांगता की प्रकृति पर निर्भर होती हैं। कुछ अध्यापक मानसिक रूप से विक्षिप्त या ऑटिस्टिक बच्चों के साथ कार्य करते हैं और उन्हें जीवन- कौशल तथा बुनियादी शिक्षा देते हैं। तथापि, अधिकांश अध्यापक ऐसे छात्रों के साथ कार्य करते हैं जो कम या समान्य विकलांगता से ग्रस्त होते हैं और उनके लिए उनके अनुरूप सामान्य शैक्षिक पाठ्यवृत्त तैयार करते हैं। कुछ अध्यापक शिशुओं और बच्चों के साथ जबकि कुछ अध्यापक साधारण मिडिल और माध्यमिक स्कूल स्तरों पर कार्य करते हैं। गूंगे एवं बहरे, दृष्टिहीन तथा मस्तिष्क चोट ग्रस्त तथा बहु विकलांगता ग्रस्त छात्रों को भी विशेष शिक्षा अध्यापकों की आवश्यकता होती है। इन बच्चों की यथा शीघ्र सहायता करने से ये अपना जीवन अधिक सुगमता से जी सकते हैं।

विशेष शिक्षा अध्यापकों में पर्याप्त धैर्य, छात्रों एवं उनके अभिभावकों के प्रति सहानुभूति तथा अपने कार्य के प्रति समर्पण होना चाहिए वे प्राय: विशेष स्कूलों या पुनस्र्थापन केन्द्रों में रोज़गार प्राप्त करते हैं, उन्हें विशेष बच्चों के लिए प्राइवेट ट्यूटर या केयरटेकर के रूप में रखा जाता है। विशेष शिक्षा अध्यापकों का कॅरिअर अत्यधिक वेतन ग्राही होता है, किन्तु साथ ही साथ यह कार्य भावात्मक मांग एवं शारीरिक परिश्रम की भी अपेक्षा करता है। इन चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने के लिए अपने उच्च श्रेणी का नि:स्वार्थ भाव एवं अन्यों की सेवा करने की भावना होनी चाहिए।

ऑनलाइन अध्यापकों के लिए अतिरिक्त योग्यताएं

ऑनलाइन अध्यापकों को, विषय विशेषज्ञ होने के अतिरिक्त, इंटरनेट, आधारित प्रौद्योगिकियों और अध्यापन साधनों में दक्ष होना आवश्यक होता है। ऑनलाइन अध्यापक लाइव क्लासों या रिकॉर्ड किए गए वीडियो के माध्यम से लेक्चर देते हैं तथा फोरम, एरियल मीडिया, ई।मेल, चैट रूम्स मैसेज बोर्ड, पोडकास्ट् तथा ब्लॉग्स का प्रयोग करके छात्रों से सम्पर्क करते हैं। वे विभिन्न प्रकार के छात्रों के अध्यापन के लिए विभिन्न ऑनलाइन मीडिया रूपों का उपयोग करते हैं उन्हें विभिन्न अध्ययन शैलियां बताते हैं। वे ऑनलाइन असाइनमेंट तथा सामूहिक परियोजनाएं देते हैं, और कार्य जांच ऑनलाइन ही करते हैं।

ऑनलाइन पाठ्यक्रम उन व्यस्त व्यक्तियों तथा दूरस्थ क्षेत्रों के छात्रों में काफी लोकप्रिय है जो समय के अभाव या आसानी से पहुंच के अभाव के कारण कोटिपूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में समर्थ नहीं हो पाते, यदि आपका शैक्षिक रिकॉर्ड अच्छा है और या कोई व्यावसायिक डिग्री रखते हैं तो आप एक ऑनलाइन ट्यूटर के रूप में अच्छी धनराशि कमा सकते हैं।

संभावनाएं अनंत हैं : कोई इंजीनियर आई.आई.टी., जे... परीक्षा की तैयार करने वाले छात्र को पढ़ा सकता है जबकि डॉक्टर चिकित्सा प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की सहायता कर सकते हैं। शिल्प, नृत्य, मार्शल आर्ट्स, अंग्रेजी तथा अन्य विषय उन छात्रों की सहायता के लिए ऑनलाइन पढ़ाइए जा सकते हैं जो संबंधित पाठ्यक्रमों में रुचि रखते हैं। ऑनलाइन अध्यापक बनने के लिए आपको इस क्षेत्र में ज्ञान एवं अनुभव तथा अन्यों के साथ इन्हें बांटने की दृढ़ शक्ति होनी चाहिए।

 

(लेखिका नई दिल्ली में एक कॅरिअर सलाहकार हैं)