कराधान में कोई कॅरिअर
स्थायी एवं आकर्षक कार्य अवसर
प्रतिभा मिश्रा
कराधान में कोई कॅरिअर, स्थायी, तुलनात्मक रूप में स्थिर, तथा तीव्र गति से उन्नतिशील कॅरिअर अवसर होता है। हम सभी जानते हैं कि कर संरचना कितनी जटिल हो सकती है। कर प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर होते हैं। प्रत्यक्ष कर वह होता है जो व्यक्तियों से सीधे एकत्र किया जाता है, जैसे आयकर, सम्पदा कर, सम्पत्ति कर आदि, जबकि अप्रत्यक्ष कर वह होता है जिसका भुगतान, जब भी आप कोई सामान खरीदते हैं या कोई सेवाएं लेते हैं, तब करते हैं। अप्रत्यक्ष कर में वैल्यू एंडेड टैक्स (वेट), विक्रय कर, सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क आदि शमिल होता है। प्राय: लोग ऐसे विशेषज्ञों की तलाश करते हैं जो उन्हें यह निर्धारण करने में सहायता करते हैं कि उन्हें कितना आय कर देना है, उनका टैक्स रिटर्न जमा कर सकें और उनकी कर राशि कानूनी रूप से बचाने के तरीके ढूंढ सकें।
आम धारणा है कि कर व्यवसायी एक उबाऊ और एवं नीरस जीवन जीते हैं, किन्तु सच तो यह है कि कर व्यवसाय में कार्य पर्याप्त रूप में सक्रिय एवं तीव्र गतिशील है। लेखाकारिता के कौशल के अलावा, इसके लिए समस्या समाधान का उत्कृष्ट कौशल, वाणिज्यिक कौशल और विश्लेषिक क्षमता होना आवश्यक है। इस कॅरिअर में वास्तविक रूप में उन्नति के लिए कर व्यवसायियों को प्रभावी संचार कौशल रखने और अपने ग्राहकों को ठोस समाधान देने में सक्षम होने की भी आवश्यकता होती है।
कुछ कॅरिअर कर विशेषज्ञों के कॅरिअर की तरह परिवर्तनीय होते हैं। कर विधियां, नियम और विनियम प्रति दिन बदलते हैं। इसके अतिरिक्त, वित्त एवं वाणिज्य व्यवसाय में लगे लोगों के लिए न्यायालयों के नवीनतम अधिनिर्णय एवं आदेश दिशानिदेशों का कार्य करते हैं इसलिए, कराधान के ऐसे विशेषज्ञ जो यह कार्य आसानी से तथा नवीनतम कर नियमों का अनुपालन करते हुए संभाल सकें, वे हमेशा धनाढ्य व्यक्तियों, कार्पोरेट जगत तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (साक्षेउ) की मांग में रहते हैं। एक कर व्यवसायी के रूप में, आप निरंतर चुनौतियों से धिरे रहते हैं और आपको, अपने आपको हमेशा अद्यतन रखना, अपना ज्ञान बढ़ाना और बाजार में प्रासंगिक बने रहने के लिए नई नीतियां अपनाना अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
कराधान कॅरिअर के प्रकार
कराधान रोजगार विश्व में हर जगह उपलब्ध है। अपनी शैक्षिक पृष्ठभूमि और कार्य अनुभव वास्तविक रूप में अपने करिअर का निर्धारण करता है मोटे तौर पर कहें तो अधिकांश कर रोजगार प्रशासनिक कार्यों, लेखाकारिता और विधिक के हस्तन कार्य वर्ग में रखे जा सकते हैं।
सामान्यत: कर से जुड़े वकील या डिफेंस अटॉर्नी एक तीव्र गतिशील एवं जोशीले माहौल में कार्य करते हैं, जब कि व्यक्तियों या निगमों का कर रिटर्न भरने वाले लोगों के कार्य अधिक आसान होते हैं यह सच है कि आपको कभी-कभी इस क्षेत्र में देर रात तक कार्य करना पड़ता हो, लेकिन कराधान कार्य अधिकांशत: साध्य होता है और आप अपने खाली दिनों में अपने अवकाश की योजना आसानी से बना सकते हैं। कर व्यवसायी कई स्तरों पर कार्य करते हैं जैसे कर लेखाकार, कर विश्लेषक, कर परामर्शदाता, कर भर्तीकर्ता, कर परीक्षक, कर प्रबंधक, कर समाहर्ता, राजस्व प्रबंधक, व्यवसाय कर सलाहकार, आय कर सलाहकार, सम्पत्ति कर सलाहकार आदि इनके अलावा, कर वकील, काउंसेल तथा डिफेंस अटॉर्नी भी होते हैं जो आपको न्यायालय में कर से जुड़े मामलों में लडऩे में सहायता करते हैं।
भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) व्यवसायी देश में उच्च प्रशासनिक पद धारण करते हैं। उनका चयन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) करता है और वे अत्यधिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। जबकि कर सलाहकार ग्राहकों को उनकी कर योजना बनाने की सलाह देते हैं और उनका कर रिटर्न भरने में उनकी सहायता करते हैं। भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर एकत्र करने, प्रशासनिक कार्य संभालने तथा कर नीतियां बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। विशिष्ट रूप से आईआरएस अधिकारी सहायक आयुक्त के रूप में नियुक्त किए जाते हैं और वे मुख्य आयुक्त के स्तर तक पदोन्नत हो सकते हैं। ऐसे उच्च पदासीन अधिकारी विभिन्न सरकारी एवं वित्तीय संस्थाओं के सदस्य या अध्यक्ष भी बन सकते हैं।
कर्मचारी चयन आयोग कर सहायकों की परीक्षा भी लेता है। यह परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा से काफी सरल मानी जाती है। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने पर उम्मीदवार केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के विभन्न आयुक्तालयों में समूह ‘ग’ अराजपत्रित लिपिकीय पद पर नियुक्त होते हैं। २० से २७ वर्ष की आयु के स्नातक जो ८००० की-डिप्रेशन प्रति घंटा की डाटा एंट्री गति रखते हैं, वे परीक्षा में बैठने के पात्र होते हैं।
कराधान में पाठ्यक्रम
कराधान के क्षेत्र में उपलब्ध पाठ्यक्रमों में अंतर्राष्ट्रीय कराधान में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम से लेकर निम्नलिखित पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं:-
*लेखाकारिता एवं कराधान में डिप्लोमा।
*सेवाकर में पाठ्यक्रम
*कराधान विधि में डिप्लोमा
*कराधान में उच्च डिप्लोमा
*कराधान में वाणिज्य स्नातक
*कर पद्धत्ति एवं प्रैक्टिस में वाणिज्य स्नातक
*वित्त एवं कराधान में वाणिज्य मास्टर
*लेखाकार तथा कराधान में वाणिज्य मास्टर
*कराधान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा
*कर प्रबंधन एवं कर प्रशासन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा
बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण छात्र स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन कर सकते हैं जबकि संबंधित विधा में स्नातक योग्यता पूरी कर चुके छात्र स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन कर सकते हैं। बीकॉम करने के लिए उम्मीदवार वाणिज्य विधा के साथ बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए और उन्होंने लेखा, गणित तथा अर्थशास्त्र विषय लिए हों। दो वर्षिय एम कॉम। पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए बीकॉम डिग्री होना अनिवार्य है।
एलएलबी तथा एलएलएम करने वाले छात्र कराधान विधि में विशेषज्ञता भी कर सकते हैं और इस क्षेत्र में कार्य ग्रहण कर सकते हैं। प्रबंधन अध्ययन स्नातक (बीएमएस) या किसी एमबीए डिग्री के साथ वित्त में विशेषज्ञता आपको इस क्षेत्र में लाभ भी दे सकती है। भारत में कर सलाहकार अधिकांशत: विधि स्नातक अथवा वे व्यक्ति होते हैं जो भारतीय लागत लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) से प्रमाणित प्रबंधन लेखाकारिता (सीएमए) या चार्टरित लेखाकारिता (सीए) या कंपनी सचिव (सीएस) जैसी व्यावसायिक योग्यताधारी होते हैं। भारतीय लागत लेखाकार संस्थान इग्नू से बीकॉम या एमकॉम करने वाले छात्रों को वित्त एवं लागत लेखाकारिता में विशेषज्ञता भी कराता है।
कर व्यवसायी के रूप में सफल होने के लिए संकल्पना का सैद्धांतिक ज्ञान होने के अतिरिक्ति, व्यावहारिक अनुप्रयोग भी बहुत महत्वपूर्ण है। सामान्य जानकारी, रचनात्मक सोच, टीम के रूप में कार्य करने की क्षमता, समस्या समाधान का उत्कृष्ट कौशल, कराधान क्षेत्र के बारे में प्रचुर ज्ञान तथा माइक्रोसोफ्ट एक्सेल में सम्पूर्ण विशेषज्ञता कुछ ऐसे कौशल हैं जिनकी आजकल लोग आपसे आशा रखते हैं।
आय कराधान विशेषज्ञता भी कर सकते हैं।
मुख्य रूप से किसी कर व्यवसायी या सलाहकार को किसी कंपनी के व्यवसाय अथवा व्यक्ति के कार्य की प्रकृति को समझने, किसी की कर स्थिति को अनुकूल बनाने तथा विभन्न जोखिम क्षेत्रों का पता लगाने और उन जोखिमों को कम करने का कार्य करना होता है। किसी भी कर सलाहकार का मुख्य उद्देश्य अपने ग्राहकों के लाभ के लिए अपने तकनीकी और विधिक ज्ञान का उपयोग करना होता है। कर पै्रक्टिसनर अपने ग्राहकों के लिए कर विवरणी तैयार करते हैं, उनके कर तथा अनुपालन मामलों का पता लगाते हैं, उनकी कर देयताओं का अनुमान लगाते हैं और राज्य तथा केन्द्रीय लेखा परीक्षाओं का सर्वेक्षण करते हैं। विभागीय कर व्यवसायी टीम के पर्यवेक्षक के रूप में भी कार्य करते हैं या संबंधित लेखाकारों को कर हस्तन करने का प्रशिक्षण देते हैं।
कराधान के क्षेत्र में कुछ लोकप्रिय विशेषज्ञताएं:-
व्यवसाय का परामर्श कार्य: कर में जकड़े व्यवसायी के सभी मामलों को दिन-प्रति-दिन आधार पर हस्तन किया जाता है। आप अपने ग्राहकों के एक कर एवं वित्त विभाग के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
आय कर परामर्श कार्य: ऐसे व्यवसायी आय कर रिटर्न जमा कराने में सहायता करते हैं और इनके ग्राहकों में व्यक्तियों से लेकर कार्पोरेट जगत तक शामिल होते हैं।
सम्पत्ति कर परामर्श कार्य: इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को, कृषि भूमि, आवासीय एवं व्यावसायिक सम्पत्तियों आदि से जुड़े मामले निपटाने के लिए सम्पत्ति नियमों एवं विनियमों में विशेषज्ञ होना अपेक्षित होता है।
विक्रय कर परामर्श कार्य: वैल्यू ऐडेड टैक्स (वैट) तथा विक्रय-कर से जुड़े मामलों में दक्षता होना आवश्यक है। एक विक्रय कर परामर्शदाता के रूप में अपने ग्राहकों को सूचना, परामर्श अथवा स्पष्टीकरण दे सकते हैं।
कराधान से जुड़े पाठ्यक्रमों के लिए श्रेष्ठ कॉलेज:
*बालाजी विधि कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र
*भारतीय विद्यापीठ नया विधि कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र
*डी.ए.वी. सेंटेनरी कॉलेज, फरीदाबाद, हरियाणा
*गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अर्थशास्त्र एवं व्यवसाय संकाय, अमृतसर, पंजाब
*भारतीय विधि सोसायटी, विधि कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र
*इंदिरा गांधी राजकीय कॉलेज, कुरुक्षेत्र, हरियाणा
*भारतीय चार्टरित लेखाकार संस्थान, भवन, नई दिल्ली, दिल्ली
*किशीचंद चेलाराम विधि कॉलेज, मुंबई, महाराष्ट्र
*एम.एस.भगत एवं सी.एस. सोनावाला विधि कॉलेज, नाडियाड, गुजरात
*नागपुर कराधान कॉलेज नागपुर, महाराष्ट्र
*नेस वाडिया वाणिज्य कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र
*ऑक्सफोर्ड व्यवसाय प्रबंधन कॉलेज, बंगलौर, कर्नाटक
*संलोक प्र्रबंधन एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, गुडग़ांव, हरियाणा
*सेंट पीटर्स कॉलेज, एर्णाकुलम, केरल
*सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
*सिम्बियोसिस विधि स्कूल, पुणे, महराष्ट्र
*मद्रास विश्वविद्यालय विधि संकाय, चेन्नै, तमिलनाडु
*मुबंई विश्वविद्यालय, मुंबई महराष्ट्र
*पुणे विश्वविद्यालय वाणिज्य संकाय, पुणे, महाराष्ट्र
कराधान कॅरिअर बनाने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए कुछ प्रसिद्ध संस्थान:
*ए.सी.सी.ए. ग्लोबल : यह अंतर्राष्ट्रीय संगठन अंतर्राष्ट्रीय कराधान में उच्च डिप्लोमा (ए.डी.आई.टी.) करता है।
*गुलाटी वित्त एवं कराधान संस्थान (जी.आई.एफ.टी.), तिरुवनंतपुरम, केरल: यह संस्थान विक्रय कराधान में डिप्लोमा तथा कराधान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा कराता है। गुलाटी वित्त एवं कराधान संस्थान ने राष्ट्रीय भारतीय विधि स्कूल विश्वविद्यालय, बंगलौर एवं तमिलनाडु डॉ. आंबेडकर विधि विश्वविद्यालय, चेन्नै जैसी कई राष्ट्रीय स्तर की शैक्षिक संस्थाओं के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
*भारतीय कराधान संस्थान, तिरूवनंतपुरम, केरल : यह संस्थान पत्राचार के माध्यम से कराधान विधि में स्नातकोत्तर डिप्लोमा कराता है।
*अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा कर अध्ययन संस्थान (आई.आई.टी.टी.) चेन्नै: यह सीमा शुल्क एवं विदेश व्यापार नीति में कक्षाएं चलाता है। प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम की अवधि ९० दिन है।
*व्यावसायिक लेखाकार संस्थान (आई.पी.ए.), दिल्ली: यह संस्थान नियमित एवं पत्राचार पद्धत्ति माध्यम से कराधान विधि में प्रमाणपत्र तथा डिप्लोमा चलाता है।
*एन.आई.आई.टी. इम्पीरिया के माध्यम से के.पी.एम.जी. इंडिया द्वारा संचालित कराधान कार्यक्रम: इनके द्वारा लेखाकारों, अटॉर्नियों, वित्तीय सलाहकार, सी.ए.सी.एस. आदि के लिए संचालित कराधान कार्यक्रम में डिप्लोमा में भारत में कराधान के सभी पहलुओं पर व्यापक जानकारी दी जाती है।
वेतन
कराधान के क्षेत्र में सरकारी सेवा में अच्छा वेतन दिया जाता है और उसमें अत्यधिक स्थायित्व होता है कर व्यवसायी, अन्यथा भी प्राय: कार्पोरेट संस्थाओं एवं सी.ए. फर्मों के लेखा विभागों में स्थायी एवं अच्छे वेतन वाले रोज़गार प्राप्त करते हैं।
कर परामर्शी कार्य अत्यधिक पुरस्करणीय भी है। इस क्षेत्र में आने वाला कोई भी नया व्यक्ति प्रतिवर्ष ३ लाख रु. से ५ लाख रु. के लगभग अर्जित कर सकता है लेकिन उसका यह वेतन उसकी योग्यता तथा अनुभव के साथ बढ़ता जाता है।
(लेखिका एक स्तंभकार हैं ई-मेल:pratibhatans@gmail.com)