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नौकरी फोकस


Volume-49, 3-9 March, 2018

 

महिला उद्यमियों की अग्रणी भूमिका

लवी चौधरी

‘‘हमारे लिये अपने नायक-नायिकों को पहचानना और सम्मान देना कितना महत्वपूर्ण है!’’-माया आंगेलू

समाज में महिलाओं की उपलब्धियों और योगदानों पर केंद्रित महिलाओं के अधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिये अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है. यह आयोजन 1900 के दशक में आरंभ हुआ था. भारत को महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभावों को मिटाने संबंधी समझौतों और पेईचिंग प्लेटफार्म फॉर एक्शन जैसे संयुक्त राष्ट्र समझौतों और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को लागू करने के लिये नेतृत्व प्रदान करने का गौरव प्राप्त है. समझा जाता है कि सबसे पहले इस तरह का समारोह 1909 में न्यूयार्क शहर में एक सामाजिक, राजनीतिक कार्यक्रम के तौर पर आयोजित किया गया.

दुनिया भर में महिलाओं और उनके अधिकारों के व्यापक संदर्भ में हर वर्ष विभिन्न प्रकार के मुद्दों का समाधान किया जाता है जिनका महिलाएं सामना करती हैं. उदाहरण के लिये, 2010 में, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रास कमेटी ने दुनिया का ध्यान शस्त्र संघर्षों और मानवाधिकार संकट के परिणाम स्वरूप विस्थापित होने वाली महिलाओं के लिये पेश आ रहीं शारीरिक और मानसिक परेशानियों की तरफ ध्यान आकृष्ट किया. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2018 का विषय #PressforProgress है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, जैसा कि नाम से ही इंगित होता है, स्त्री-पुरुष के बीच समान व्यवहार पर ज़ोर देते हुए नारीत्व का, उनकी सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक उपलब्धियों और समाज में उनके महत्वपूर्ण योगदानों का जश्न मनाना है. इसमें समान आज़ादी और अधिकारों पर ज़ोर दिया जाता है ताकि महिलाओं को पुरुषों की तरह ये अधिकार प्राप्त हो सकें.

गांधी जी ने कहा था, ‘‘महिला बौद्धिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से पुरुष के समान होती है और वह हर गतिविधि में शामिल हो सकती है.’’ रामायण में सीता से लेकर सिलपथिकरम में कन्नगी तथा रानी झांसी तक न केवल सुविख्यात महिलाएं रही हैं बल्कि सामाजिक बदलाव और जागरूकता लाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

भारत को अनेक महान महिलाएं होने का सौभाग्य प्राप्त है. ये हैं-ओवैयार, एनी बेसेंट, इंडियन नेशनल कांग्रेस की पहली अध्यक्ष, निवेदिता, विजय लक्ष्मी पंडित, संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष, मदर टेरेसा, सरोजिनी नायडू से इंदिरा गांधी तक, दुनिया में केवल दूसरी महिला प्रधानमंत्री, से लेकर कल्पना चावला, इंद्रा नूयी से प्रतिभा पाटिल-भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति और भारतीय कार्पोरेट सेक्टर में अनेक महिलाएं हैं, जिन्होंने बेहतरीन मिसाल पेश की है. उनका समाज में और विशेष तौर पर महिलाओं के लिये महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

आधुनिक भारतीय समाज में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, यहां तक कि राजनीति में अपने प्रतिद्वंदियों को भी कड़ी टक्कर दे रही हैं. अधिक महत्वपूर्ण उनकी भूमिका परिवार के निर्माण, समाज के विकास में होती है. भारतीय महिलाएं अपनी परंपरागत भूमिका से ऊपर उठ रही हैं, अपनी असीमित क्षमता को साकार कर रही हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों में बड़ी भूमिकाएं लेना आरंभ कर दिया है.

आज की महिला एक सुपर महिलाहै जो कि सभी प्रकार की रूढि़वादिता को तोड़ रही है और अकेले सब कुछ व्यवस्थित कर रही हैं. परंतु ऐसा पूर्व में नहीं था और इस यात्रा ने हमारी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के महत्व को समझने में सहायता की है.

वे दिन चले गये जब महिलाओं को इस दुनिया में सर्वशक्तिमान पुरुष के मुकाबले कहीं बराबरी नहीं मिलती थी. दुनिया भर में नई पीढ़ी की महिलाएं सभी प्रकार की नकारात्मक धारणाओं से ऊपर उठ चुकी हैं और सबसे जटिल और बोझिल उद्यमिता की दुनिया सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में अपने आपको संदेह रहित साबित कर दिखाया है.

वैश्विक स्तर पर कऱीब 126 मिलियन महिलाओं ने अपने व्यवसाय शुरू किये हैं अथवा संचालित कर रही हैं और भारत में करीब 8 मिलियन महिलाओं ने अपने व्यवसाय शुरू किये हैं अथवा संचालित कर रही हैं. इसके अलावा कार्पोरेट वरिष्ठ प्रबंधन में महिलाओं की 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है तथा भारत में 30 प्रतिशत है. यही नहीं, दुनिया भर में करीब 37 प्रतिशत औपचारिक उद्यमों की स्वामी महिलाएं हैं जबकि भारत में 10 प्रतिशत औपचारिक उद्योग धंधे महिलाएं संचालित कर रही हैं.

आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण के परिप्रेक्ष्य में भारत में महिला उद्यमशीलता में महत्वपूर्ण वृद्धि हो रही है. विकासात्मक उद्यमिता कौशलों के लिये नीति और सांस्थानिक ढांचा के तहत व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान किये जाने से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का क्षेत्र विस्तारित हुआ है. यद्यपि महिलाओं की केवल एक तिहाई आर्थिक उद्यमिता है. भारत में सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों दोनों में सफल व्यावसायिक महिला उद्यमियों की बहुतायत है. भारत सरकार ने भी उभरते कार्यबल के लिये कौशल प्रशिक्षण, व्यावसायिक शिक्षा और उद्यमिता विकास हेतु 2009 में राष्ट्रीय कौशल विकास नीति और राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन की शुरूआत की. लेकिन उद्यमिता विकास और कौशल प्रशिक्षण केवल सरकार की जि़म्मेदारी नहीं है और अत: अन्य स्टेकहोल्डर्स को भी इसमें  योगदान करने की आवश्यकता है.

महिलाएं अब घरों में न रहकर कार्यबल में अग्रणी हैं. वे होममेकर ही नहीं रोजग़ार-सृजक उद्यमी भी हैं. उद्यमियों के तौर पर व्यावसायिक क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती मौजूदगी ने देश की जनसांख्यिकी व्यावसायिकता और आर्थिक वृद्धि के स्वरूप को बदल दिया है. समाज और अर्थव्यवस्था में महिलाओं के नेतृत्व में व्यावसायिक उद्यमी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और शिक्षाविदों को इस महत्वपूर्ण क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिये प्रेरित कर रहे हैं. 

नवंबर में हैदराबाद में भारत और अमरीका द्वारा मिलकर आयोजित वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन, जिसमें अमरीकी राष्ट्रपति की सलाहकार और पुत्री इवांका ट्रम्प ने भी भाग लिया था, हाल में महिलाओं के बीच निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की उद्यमिता से जुड़ा एक आयोजन था.

महिला उद्यमियों के लिये सरकारी योजनाएं

तेज़ी से उभरते महिला उद्यमियों के समूह से प्रोत्साहित नीति आयोग महिलाओं के लिये समर्पित एक प्रकोष्ठ की शुरूआत करेगा जिससे उन्हें एक ऐसा मंच प्राप्त हो सके जहां विभिन्न पणधारी अपनी पहलों में तेज़ी लाने के लिये आपस में जुड़ सकें.

भारत की स्टार्ट-अप व्यवस्था में हर जगह महिला उद्यमियों को देखा जा सकता है. महिलाओं के लिये विशेष योजनाएं और ऋण हैं जिनका उद्देश्य उनके लिये प्रोत्साहन और प्रक्रिया को सरल बनाया गया है. अन्नपूर्णा योजना, महिला उद्यमियों के लिये स्त्री शक्ति पैकेज, भारतीय महिला बैंक व्यवसाय ऋण, देना शक्ति योजना, उद्योगिनी योजना, सेंट कल्याणी योजना, महिला उद्यम निधि योजना, महिलाओं के लिये मुद्रा योजना और ओरिएंट महिला विकास योजना स्कीम ऐसी कुछेक योजनाएं महिलाओं के लिये अपने व्यवसाय शुरू करने से जुड़ी योजनाएं हैं.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रगति, परिवर्तन के आह्वान और उत्साहजनक कार्यों को दर्शाने और साधारण महिलाओं के दृढ़निश्चय को दर्शाने का समय होता है जिन्होंने अपने देशों और समुदायों के इतिहास में असाधारण भूमिका निभाई है.

देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्टार्ट अप अनुकूल वातावरण महिला उद्यमियों के लिये सौगात और व्यावसायिक समुदाय में लिंग समानता के लिये लड़ाई लडऩे में एक निर्णायक क्षण है.

बीते वर्ष में अनेक व्यवसायों की शुरूआत हुई और फले फूले हैं अथवा शुरूआत हुई और तेज़ी से विकसित हो चुके हैं.-स्टार्ट अप की दुनिया में सचमुच में यह वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है.

सुखद बात यह देखने में आई कि भारत में अनेक महिला उद्यमी जो अपने पुरुष सहभागियों के तौर पर मात्र उद्यम चला रही थीं और उन्होंने अपने उद्यमों के साथ स्वयं का नाम भी बनाया है.

पिछले कुछ वर्षों में भारत में महिला उद्यमिता में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है और अनेक महिलाएं इस दिशा में अपना कॅरिअर आगे बढ़ा रही हैं.

भारत के पास भयमुक्त और प्रतिभावान महिला उद्यमियों का अपना एक पूल है जिन्होंने भारत के साथ-साथ विदेशों में अपना नाम रोशन किया है. उन्होंने

उद्यमिता को अपनाया और अपने खुद के उद्यम लगाये हैं.

आज की महिला उद्यमियों की कोई सीमा नहीं है और वे अज्ञात प्रदेशों में बेहिचक और भय से मुक्त होकर आगे कदम बढ़ा रही हैं. वाणिज्य का मामला हो या शिक्षा, निवेश, ट्रैवल, फैशन, रिटेल, फिटनेस, हायरिंग की बात हो, सूर्य के नीचे कोई भी और सभी क्षेत्रों में वे अपने आसपास की दुनिया को बदलने और अपने विचारों के साथ पूरे उत्साह और जोश से काम कर रही हैं और समाधान खोज रही हैं जिनके बारे में और बुराइयों और सामाजिक नियमों से लडऩे के बारे में किसी ने सोचा नहीं था तथा वे सफलतापूर्वक उद्यम चला रही हैं तथा अनेक लोगों के लिये रोजग़ार सृजन कर रही हैं तथा नई स्थाई व्यवस्था उत्पन्न कर रही हैं.

यदि आप अपना व्यवसाय शुरू करने के लिये कुछ प्रेरणा लेना चाहती हैं अथवा अग्रणी भूमिका निभाना चाहती हैं तो भारत के सर्वाधिक सशक्त और सफल महिला उद्यमियों के इतिहास पर एक नजऱ ज़रूर डालें. यह समय देश में महिला उद्यमियों की उपलब्धियों का जश्न मनाने का है, जिन्होंने सभी बाधाओं को पार करते हुए अपने लिये उन क्षेत्रों में जगह बनाई जो महिलाओं से अछूते थे और दूसरी महिलाओं तथा लड़कियों के लिये रोल मॉडल्स के तौर पर उभकर आई हैं.

महत्वपूर्ण भारतीय महिला उद्यमी

वैश्विक व्यावसायिक संगठनों के प्रमुखों से लेकर कुछे सर्वाधिक नवाचारी स्टार्ट-अप्स के संस्थापक तक, इन सुपर महिलाओं ने आज जहां कहीं भी वे पदस्थापित हैं, सभी विपरीत स्थितियों से लोहा लिया है.

मेहविश मुश्ताक, एंड्रायड एप्लीकेशन विकसित करने वाली पहली कश्मीरी महिला हैं, मेहविश ने कश्मीर-केंद्रित येलो पेजिजसमकक्ष अपने बालकपन से चली आईं सभी रूढि़वादी और उद्यमी बाधाओं को तोड़ दिया. कश्मीर में विभिन्न अनिवार्य सेवाओं और संगत सरकारी विभागों के पते, फोन नंबर और ई-मेल आईडी जैसी विस्तृत सूचनाएं उपयोगकर्ताओं को प्रदान करते हुए उनकी एप्प ने क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों की हेल्थकेअर, शिक्षा, परिवहन, पुलिस और विभिन्न अन्य क्षेत्रों के बारे में वन-स्टाप स्रोत बनकर सहायता की है.

पाबिबेन रबारी, देश में पहली महिला दस्तकार उद्यमियों में से एक की संस्थापक, पाबिबेन रबारी कच्छ जिले की एक सच्ची ब्रैंड एम्बेसडर हैं. रबारी एम्ब्रायडरी की जनजातीय विरासत के प्रसार के उद्देश्य के साथ रबारी महिला समूह में शामिल हो गईं और हरी जरी तथा पाबी जरी सहित एम्ब्रायडरी के विशेष स्टाइल्स के निर्माण कार्य को पूरा किया. वर्तमान में उनका व्यवसाय कुकादसर में स्थित है जिसमें 60 से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं और 25 से अधिक डिजाइन तैयार किये जाते हैं तथा उनकी वेबसाइट दुनिया में काफी लोकप्रिय है.

सबिता तामुलि, जोकि असम के तेलाना गांव से हैं, ने  केसुहार (जैविक खाद) से लेकर अनुकूलित जपिस (असम से परंपरागत शंक्वाकार टोपी) बिचौलियों को शामिल किये बगैर, अन्य महिलाओं के लिये आत्मनिर्भर बनने का मार्ग प्रशस्त करते हुए उद्यमिता की क्रांति में तूफान ला खड़ा किया. सेउजी के नाम से स्वयं सहायता समूह का निर्माण करते हुए सोबिता ने क्षेत्र के किसानों के लिये जैविक खाद की उपलब्धता को संभव कर दिया जिसकी अब बहुत अधिक मांग है.

एम्परे इलेक्ट्रिक, हेमलता अन्नमलै की कंपनी है जो कि ई-साइकिल्स, ई-स्कूटर्स, ई-ट्रालियों, कचड़ा प्रबंध हेतु विशेष-उद्देशीय वाहन और दिव्यांगों के लिये उपकरणों का स्थानीय विनिर्माता है, की स्थापना कोयम्बतूर स्थित अन्नामलै ने की थी. भारत के महत्वपूर्ण ई-वाहन उद्योग में नवाचार प्रौद्योगिकी के सृजक के तौर पर उभरकर उसने क्षेत्र में अपना नाम रोशन किया है जो कि पूरी तरह पुरुष उद्यमियों तक सीमित हुआ करता था.

थिनलास कोरोल विनिर्माण के क्षेत्र में प्रशिक्षित की जानी वाली एकमात्र लद्दाखी महिला है, उसने लद्दाख में पर्यावरण को प्रोत्साहित करने के अलावा अधिक से अधिक महिलाओं को ट्रैवलिंग और पर्वतारोहण का व्यवसाय अपनाने के प्रति प्रोत्साहित किया. कंपनी लद्दाख की महिलाओं के पूर्ण स्वामित्व और प्रचालन वाली पहली ट्रैवल कंपनी है जिसमें 30 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं जिनमें महिला गाइड्स, प्रशिक्षु गाइड्स, पोर्टर्स और कार्यालय स्टाफ शामिल है.

प्लेनेट एब्लड का गठन 2016 में नेहा अरोड़ा ने किया था. उसने ये कदम यह महसूस करते हुए उठाया था कि दिव्यांगजनों को भारत भर में ट्रैवल करने में कठिनाई होती है. चार पैकेजों में सुगम्य पहुंच के लिये विशेष पोर्टेबल रैम्प शामिल हैं. उसने 17 दिनों का सफल दौरा व्यवस्थित किया जो कि दो देशों, पांच राज्यों और 13 शहरों में विस्तारित किया गया इसमें बहुत से दिव्यांग शामिल हुए और इसकी कई और यात्राएं संचालित करने की योजना है. उद्यम में समर्पित मॉडरेटर्स और टूर गाइड शामिल हैं जो कि दिव्यांगजनों को बगैर बाधाओं के यात्राएं करने में सहायता प्रदान करते हैं.

छाया ननजप्पा को 2014 में भारतीय महिला उद्यमी परिसंघ ने खाद्य प्रसंस्करण में राष्ट्रीय उत्कृष्ट उद्यमी पुरस्कारसे सम्मानित किया था. मैसूर की ननजप्पा एक ग्रामीण उद्यम की प्रमुख हैं जो कि उच्च गुणवत्ता का शहद तैयार करता है जिसे यूरोप और अमेरिका सहित दूर दूर तक लोग खरीदते हैं. इन दिनों नेक्टर फ्रेश, जो कि मोनोफ्लोरल शहद का उत्पादन करता है देश में शहद का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता और पैकर है तथा न केवल मैसूर और मध्य प्रदेश में कम पढ़े लिखे समुदायों को आजीविका उपलब्ध कराता है बल्कि राज्य के विभिन्न जनजातीय समुदायों को भी रोजग़ार उपलब्ध कराता है.

लक्ष्मी मेनन द्वारा 2012 में स्थापित इको प्रिन्योर, स्वच्छ रहनसहन (प्रोडक्ट अपसाइकल्ड रीसाइकल्ड और इकोनोमाइज़्ड) प्लास्टिक के पैनों और लकड़ी की पेन्सिलों का पर्यावरण अनुकूल विकल्प उपलब्ध कराता है जो कि पेड़ों पर उस वक्त उगते हैं जब उन्हें विनष्ट

किया जाता है. इस उद्यम से क्षेत्र में बुजुर्ग और दिव्यांग महिलाओं के सशक्तिकरण में मदद मिली है और प्रिंटिंग प्रेसों के अप-साइकल्ड पेपर वेस्ट से पैनों का निर्माण किया जाता है. 

इंदु जैन वर्तमान में भारत के सबसे बड़े मीडिया ग्रुप, बेनेट कालमैन एंड कंपनी लिमि. की अध्यक्ष हैं, जिसके पास टाइम्स ऑफ इंडिया और अन्य बड़े समाचार पत्रों का स्वामित्व है. उन्हें विभिन्न प्रकार की पहचान प्राप्त है जैसे कि आध्यात्मिक, मानवतावादी, उद्यमी, कला और संस्कृति प्रेमी, एक शिक्षाविद् परंतु उनकी सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण भूमिका अध्यक्ष की है. सुश्री जैन को जनवरी 2016 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था. वह 2003 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक तौर पर शुरू की गई वननैस फोरम के लिये निर्देशक की भूमिका में रहीं. इस फोरम को हाल में महात्मा-महावीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था जो कि जीवन के हर क्षेत्र से उत्कृष्ट व्यक्तियों को और जो कि ऐसी अनेक गतिविधियों में संलग्न होते हैं जिनसे दुनिया में एकता की अनुभूति के लिये और उस पर प्रकाश डालने के लिये प्रयास किये जाते हैं, प्रदान किया जाता है.

किरण मजुमदार शाह बायोकन लिमिटेड की संस्थापक अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं. उन्होंने 1978 में बॉयोकन की शुरूआत की और एक औद्योगिक एन्जाइम विनिर्माण कंपनी से अपना कामकाज शुरू करते हुए एक संपूर्ण एकीकृत बायो-फॉर्मास्यूटिकल कंपनी बनाई. आज के दिन शाह के नेतृत्व में बायोकन मधुमेह और कैन्सर पर केंद्रबिंदु के साथ बायोमेडिसिन रिसर्च में अग्रणी भूमिका में है. किरण प्रतिष्ठित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस और इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी हैदराबाद के निदेशक मंडल की सदस्य भी हैं. किरण को भारत सरकार से प्रतिष्ठित पद्म श्री (1989) और पद्म भूषण (2005) प्राप्त हो चुका है.

इंद्रा नूयी, भारतीय महिला उद्यमियों में एक जाना पहचाना चेहरा-पेप्सीको की सीएफओ और अध्यक्ष हैं. भारत में अपने कॅरिअर की शुरूआत करते हुए नूयी ने जान्सन एंड जान्सन और टेक्सटाईल फर्म मैत्तूर बियर्डसैल में उत्पाद प्रबंधक के पदों पर काम किया. नूयी ने 1994 में पेप्सीको में कार्यभार ग्रहण किया और 2001 में उनका नाम अध्यक्ष एवं सीएफओ के लिये चुना गया. उन्हें अपनी व्यावसायिक उपलब्धियों और भारतीय कार्पोरेट नेतृत्व के लिये प्रेरणास्रोत बनने के लिये प्रतिष्ठित पदम भूषण पुरस्कार प्रदान किया गया. व्यवसाय पर उनकी अच्छी पकड़ से कंपनी को पिछले कुछ वर्षों के भीतर महत्वपूर्ण कारोबार के जरिये 30 अरब डॉलर से अधिक की कंपनी बनने में सहायता की है.

वंदना लुथरा वीएलसीसी, एक ब्यूटी और वैलनेस फर्म का एशिया, अफ्रीका और खाड़ी सहयोग परिषद के 11 देशों में कारोबार है और इसका श्रेय वंदना लुथरा को जाता है. शुरू में एक होममेकर थीं और उन्होंने 1989 में अपनी यात्रा की शुरूआत उस वक्त की जब उनकी दो पुत्रियां मात्र 3 वर्ष की थीं. कोलकाता, पश्चिम बंगाल में जन्मी इस सौंदर्य विशेषज्ञ ने ब्यूटी, फिटनेस, फूड एवं न्यूट्रीशन और स्किन केअर के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर ली थी जब वह दिल्ली की महिला बहुतकनीकी से एक व्यावसायिक पाठयक्रम पूरा करने के बाद जर्मनी, यूके और फ्रांस में उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर रही थीं. उन्हें उनके योगदान के लिये 2013 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया और उनका नाम 2015 में फाच्र्यून इंडिया द्वारा भारत में बिजनेस में शामिल सर्वाधिक शक्तिशाली महिलाओं में 33वें स्थान पर शामिल किया.

नैना लाल किदवई हारवर्ड बिजनेस स्कूल से स्नातक की डिग्री हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला थीं. एएनजेड क्रिंडलेज में 1982-1994 तक बैंकिंग निवेश की प्रमुख होने के साथ-साथ जेएम मोर्गन स्टेनले की उपाध्यक्ष बनीं. वह आज की सबसे अधिक सफल और प्रसिद्ध भारतीय बिजनेस वूमैन हैं. वर्तमान में वह एचएसबीसी ग्रुप इंडिया की देश के लिये मुखिया और समूह महाप्रबंधक हैं. एचएसबीसी में कार्य करने के अलावा किदवई ने हारवर्ड बिजनेस स्कूल में ग्लोबल सलाहकार, नेस्ले एसए में गैर कार्यपालक निदेशक और एनसीएईआर की शासकीय परिषद के सदस्य के तौर पर तथा भारत की महालेखा परीक्षक और कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. भारत सरकार ने नैना को व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिये पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किया.

चंदा कोचर इस समय भारत के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं. (लेखक पत्रकार और ब्लॉगर हैं. ई-मेल: femonomic@gmail.com)