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नौकरी फोकस


Volume-44, 27 January-2 February, 2017

 
समय प्रबंधन की उपयोगिता

सारिका रघुवंशी बदवार

प्रात: 5.30 बजे: मोबाइल के अलार्म की घंटी बजी
प्रात: 5.45 बजे: पुन: अलार्म का बजना
प्रात: 6.10 बजे: आखिर उठ जाना....फोन में आये संदेशों, विशेषकर वाट्सएप्प और फेसबुक को देखना
प्रात: 6.40 बजे: केवल उनके लिये जो फोन में संदेशों को पढ़ते हैं और प्रात: 7 बजे उनके लिये जो पढते हैं और इनके उत्तर देते हैं, भले ही उनका ध्यान अत्यंत महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों से चूक जाता है!
तैयार होना और तेज़ी से काम पर निकल जाना....शारीरिक फिटनेस और दूसरी स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियां कभी न आने वाले कल तक के लिये स्थगित कर देना.
क्या इसका कोई मतलब है? और तब हम अक्सर स्वयं को समय के लिये भारी दबाव में महसूस करते हैं.
समय बर्बाद होता है, धन की हानि होती है और व्यक्ति विशेष की शक्ति क्षीण हो जाती है!
तनाव प्रबंधन पर मेरे आलेख (6 जनवरी से 12 जनवरी संस्करण) के अनुक्रम में, संतोषजनक तरीके से रोज़मर्रा की कार्यप्रणाली के लिये अच्छा समय प्रबंधन आवश्यक होता है. इससे समय के कुशल प्रबंधन में समर्थता के कारण तनाव को कम करने में भी मदद मिलती है.
समय प्रबंधन क्या होता है?
समय प्रबंधन उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने के लिये विनिर्दिष्ट गतिविधियों पर लगने वाले समय की अवधि पर विवेकपूर्ण नियंत्रण करने की कार्रवाई अथवा प्रक्रिया होती है.
निम्न समय प्रबंधन के कारण
आत्मानुशासन की कमी:
स्वयंकी निगरानी और पर्यवेक्षण करने की योग्यता समय के प्रबंधन में महत्वपूर्ण  भूमिका निभाती है, जिसके अभाव में रोज़मर्रा की गतिविधियों में अव्यवस्थाा उत्पन्न हो जाती है.
पूर्णता के साथ जुनून:
पूर्णता प्राप्त करने के लिये हम छोटे-मोटे असंगत कार्यों में समय और ऊर्जा बर्बाद करते हैं. सभी अथवा कोई भी सिंड्रोम नहीं, वर्कहोलिज़्म, भविष्य की चिंता, विलंब आदि पूर्णता की विशेषताएं होती हैं और इसका निम्न समय प्रबंधन में योगदान होता है.
‘‘नहीं कहने की अक्षमता’’
हमारे हाथ में कितना अधिक कार्य है इसकी पहचान करने की आवश्यकता होती है जिसके आधार पर नहीं कहना हमारे दिमाग के लिये स्वीकार्य होना चाहिये. हमेशा ‘‘हां’’ कहना तनाव का स्रोत बनता है और हमें अपनी प्राथमिकताओं की अपेक्षा कम महत्वपूर्ण कार्यों की तरफ धकेलता है.
अनिश्चितता:
निर्णय लेने के कौशलों की कमी से हमारा बहुत-सा समय बर्बाद होता है.
अप्रभावी कार्य प्रत्यायोजन:
सही प्रकार का कार्य सही व्यक्ति को न सौंपे जाने से निम्न समय उपयोग का कारण बनता है.
धैर्य की कमी:
कई बार बहुकौशल की आवश्यकता होती है परंतु साथ-साथ अनेक कार्यों को हाथ में लेने से धैर्य टूट जाता है और परिणामस्वरूप कोई भी कार्य कुशलतापूर्वक और प्रभावी तरीके से नहीं हो पाता है.
विकल्पों और लक्ष्यों के बीच तालमेल:
अनेक विकल्प और लक्ष्यों को रखना भी उलझन का कारण बनता है, अत: एक स्वीकार्य समय सीमा के भीतर उत्कृष्ट विकल्प को चुनना महत्वपूर्ण हो जाता है.
मनोवैज्ञानिक:
मस्तिष्क की बाह्य परत समय प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि मस्तिष्क का ये हिस्सा मस्तिष्क संबंधी कई कार्यों को अंजाम देता है, जैसे कि आवेग नियंत्रण, नियोजन और मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों से विचलित करने वाली उत्तेजनाओं को कम करके एक फिल्टर के तौर पर सावधानीपूर्वक कार्य करता है. किसी के भी मस्तिष्क की बाह्य परत में कोई भी क्षति होने पर यह विचलित करने वाली उत्तेजनाओं को फिल्टर करके उन्हें कम करने की क्षमता क्षीण करती है जिसके परिणामस्वरूप टालमटोल का रवैया बढ़ता है और इस प्रकार निम्न समय प्रबंधन होता है.
आत्मविश्वास की कमी:
कई बार हमारी ये धारणा मात्र हो जाती है कि हमारे भीतर कौशल की कमी है हम अपने ऊपर और अपनी योग्यताओं पर विश्वास करना बंद कर देते हैं और समय पर कार्य को पूरा करने से पूर्णत: बचते हैं. इससे टालमटोल में और इज़ाफा होने लगता है और इससे आगे समय बर्बाद होता है.
मूल्यांकन चिंता
कई बार दूसरों पर प्रभाव डालने के लिये दिमाग पर इतना ज्यादा दबाव होने लगता है जिससे कार्य में देरी होने लगती है.
प्रभावी समय प्रबंधन की तकनीकें:
खाली समय नेटवर्किंग के लिये समय सारणी:
मै इस पर इसलिये प्रकाश डाल रहा हूं क्योंकि आज के परिदृश्य में हमारा ज़्यादातर समय (सभी आयु वर्गों के लिये) हमारे फोन में खाली समय नेटवर्किंग में बीत जाता है. मोबाइल फोन के जरिए मित्रों और संबंधियों के साथ जुडऩे के लिये हररोज़ एक घण्टा पर्याप्त होता है. इसे ‘‘अपना घण्टा’’ पुकारें और इसे आधे-आधे घण्टे के दो हिस्सों में अथवा 20-20 मिनट के तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है. ‘‘मेरा घण्टा‘‘ का आशय यह होना चाहिये कि 24 घण्टे के एक पूर्ण चक्र में कुल 60 मिनट और इस पर कायम रहें.
फेसबुक और वाट्सएप्प के वशीभूत लोगों ने पहले ही इस आलेख को पढऩा बंद कर दिया है?:)
जीटीडी: गेटिंग थिंग्स डन अर्थात् काम पूर्ण करना:
यहां मस्तिष्क को उन हरेक बातों को याद करने के काम से मुक्त किया जाता है जिन्हें किया जाना है और फ़ोकस इनके कार्यों के वास्तविक संचालन पर होता है. कार्यों को किसी नोट/डायरी आदि में नोट कर लें और इन्हें दिमाग में न भरें और काम के बारे में सोचने की बजाए उसे करें और क्या कुछ करना है उसे दोहराएं.
पोमोडोरो तकनीक:
इस तकनीक में 25 मिनट के अंतराल पर कार्य को रोकने के लिये एक टाइमर का इस्तेमाल किया जाता है जिसे व्यवधान से अलग ‘‘पोमोडोरो‘‘ पुकारा जाता है. निरंतर ठहराव मानसिक योग्यता में सुधार ला सकते हैं. इस तकनीक का इस क्रम में पालन किया जाता है:-
किये जाने वाले कार्य के बारे में निर्णय करें
पोमोडोरो (टाइमर) को 25 मिनट पर निर्धारित करें
टाइमर की घंटी बजने तक टास्क परकाम करें
एक छोटा ब्रेक लें (5 मिनट)
प्रत्येक घण्टे में ‘‘पोमोडोरो‘‘ एक लंबा ब्रेक लेता है. (15 से 20 मिनट)
पीओएसईसी पद्धति:
समय की प्राथमिकताएं तय करें और जीवन को लक्ष्यों के साथ परिभाषित करें.
चीज़ों को नियमित तौर पर व्यवस्थित करें.
कार्यों को क्रमबद्ध करें जिन्हें हम करना नहीं चाहते हैं परंतु करनी होंगी.
चीजों को इस तरह निर्धारित करें जो करनी हैं अथवा करनी पड़ सकती हैं परंतु बीते समय और सामाजिक दबाव को लेकर अनिवार्य न बनाएं.
सामाजिक दायित्वों जैसे कुछेक कार्यों पर ध्यान देकर योगदान करें, जिससे कि अलग हटकर कुछ किया जा सके.
क ख ग विश्लेषण:
कार्यों/गतिविधियों को तात्कालिकता और महत्व के अनुसार निर्धारित करें
क: कार्य जो कि आवश्यक और महत्वपूर्ण हैं
ख: कार्य जो महत्वपूर्ण हैं परंतु आवश्यक नहीं हैं
ग: कार्य जो न तो आवश्यक हैं और न ही महत्वपूर्ण हैं
परेटो विश्लेषण:
यह 80-20 नियमों पर आधारित है. इस सिद्धांत को कार्यों को दो भागों में बांटने के लिये प्रयोग में लाया जाता है. अवधारणा यह है कि 80 प्रतिशत कार्यों को 20 प्रतिशत समय में पूरा किया जा सकता है. शेष 20 प्रतिशत कार्य 80 प्रतिशत समय ले लेगा. पहली श्रेणी में आने वाले कार्य को पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिये.
टाइम बॉक्सिंग:
टाइम बॉक्सिंग एक दिये गये कार्य को करने के लिये उपलब्ध समय का निर्धारण करना होता है और तब उस दिये गये समय के भीतर कार्य को पूरा करने के लिये उत्कृष्ट प्रयास करना. अत: किसी कार्य को एक सीटिंग में करने की बजाए हम इस पर केवल कऱीब 30  मिनट कार्य करते हैं. इस अवधि के समापन पर इसे पूर्ण किया के तौर पर चिह्नित किया जाता है अथवा इसके बारे में हम अन्य 30 मिनट में अथवा बाद की तिथि को पूरा करने की प्रतिबद्धता करते हैं.
टाइम बॉक्सिंग टालमटोल के विरुद्ध सर्वाधिक प्रभावी औज़ार होता है. यह हमें उन बातों पर ज़्यादा फ़ोकस कराता है जो अधिक महत्वपूर्ण होती हैं. इससे हम अपनी प्रतिबद्धताओं और जि़म्मेदारियों के बीच के खाली समय के दौरान भी कार्य कर सकते हैं.
निष्कर्ष:
समय एक मंहगा आभूषण है जिसका विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिये और हमारा समय प्रबंधन हमारे शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और वित्तीय विकास के   समान है.
अत: आइए थोड़ा ठहर जाइये और क्या सर्वाधिक महत्वपूर्ण है उस पर ध्यान केंद्रित करें, न कहना सीखें, अपनी सामाजिक नेटवर्किंग आदतों में कटौती करें, कार्य को टुकड़ों में बांटें और बीच-बीच में थोड़ा ब्रेक लें तथा एक समय सारणी तय करें, असंगत, ग़ैर महत्वपूर्ण कामों से बचें और सबसे अधिक महत्वपूर्ण: कभी भी विलंब न करें.
(लेखक कॅरिअर काउंसलर और जीवन कौशल प्रशिक्षक हैं. ई-मेल आईडी: ssarika1117@gmail.com)