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साउण्ड इंजीनियरी में करिअर

रुचि श्रीमली

आशीष मनचंदा आज एक अत्यधिक प्रसिद्ध रिकॉर्डिंग इंजीनियर तथा संगीत निर्माता हैं, वे अपनी बॉलीबुड फिल्मों जैसे खोसला का घोसलादेव. डी और भाग मिल्खा भाग के लिए भी उतने ही प्रसिद्ध है, जितने विदेश में, विशेष रूप से ब्रूस स्वीडियन (ग्रेमी पुरस्कार विजेता कलाकार- जिन्होंने माइकल जैक्सन के साथ कार्य किया है) के साथ कार्य करने के लिए प्रख्यात है. वह भारतीय रिकॉर्डिंग कला पुरस्कार (आई.आर.ए.ए.) से भी सम्मानित हैं वह मीडिया ट्राइव नामक साउण्ड इंजीनियरी एवं संगीत निर्माण संस्थान के संस्थापक और निदेशक भी हैं.

कॉलेज में एक ड्रमर से लेकर विश्व विख्यात साउण्ड इंजीनियर बनने तक की अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए आशीष ने कहा ‘‘भावात्मक प्रभाव सृजित करने में साउण्ड इंजीनियरी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह वाहन चलाने जैसी है. सभी व्यक्ति इसके बारे में कुछ न कुछ थोड़ा- बहुत जानते हैं, लेकिन उनके संगीत की कोटि कितनी अच्छी है इसी के आधार पर कोई अच्छी तथा खराब साउण्ड इंजीनियरी के बीच अंतर बता सकता है खराब साउण्ड अधपके भोजन जैसी होती है. उद्योग के शब्दों में कहें तो यह पुरुषों को बच्चों से अलग करने जैसी है.’’

साउण्ड इंजीनियर यह समझते है कि साउण्ड ट्रैक का महत्व क्या है और यह विजुअल इमेज से कैसे जुड़ी है. इसी कॅरिअर के लिए तकनीकी ज्ञान तथा सुविकसित रुचिपूर्ण समझ एवं सृजन प्रभावनीयता होना आवश्यक है.

साउण्ड इंजीनियरी क्या है?

साउण्ड इंजीनियर या ऑडियो इंजीनियर प्राय: संगीत एवं फिल्म उद्योग, रेडियो और दूरदर्शन चैनलों में कार्य करते हैं और लाइव प्रस्तुति के दौरान तथा रिकॉर्ड, मिक्स एवं पुन: निर्माण करने का कार्य करते हैं और इक्वलाइजेशन तथा इलेक्ट्रॉनिक प्रभावों का प्रयोग करते हुए ध्वनियों को प्रभावपूर्ण बनाते हैं वे ध्वनि एवं संगीत के यांत्रिक तथा तकनीकी पहलुओं से संबंधित होते हैं. वे माक्रोफोन को मंच पर उपयुक्त स्थानों पर रखते हैं और ऑडियों उपकरणों तथा तकनीकी उपस्करों का लेबल सेट करते हैं और प्रि-एम्प नॉब्स पर हाथ चलाते हैं वे विभिन्न प्रस्तुतियों, खेलों, कार्पोरेट समारोहों तथा कम्प्यूटर गेम्स में भी संगीत एवं ध्वनि प्रभाव (सृजनशील प्रौद्योगिकी एवं उपायों का उपयोग करके) डालते हैं.

साउण्ड इंजीनियर मूल रूप से लाइव प्रस्तुति के दौरान स्टूडियों में संगीत और संवाद की क्वालिटी में सुधार करते हैं वे ऐसी नई ऑडियो तकनॉलोजी तथा ध्वनियों की उच्च वैज्ञानिक समझ का भी विकास करते हैं जो हमारे सुनने योग्य हों.

कई साउण्ड इंजीनियर थियेटरों, दूरदर्शन एवं रेडियो स्टेशनों, लाइव प्रस्तुति स्थलों तथा फिल्म स्टूडियों में स्थायी आधार पर पूर्ण-कालिक कार्य करते हैं, किन्तु कुछ साउण्ड इंजीनियर फ्रीलांस आधार पर कार्य करते हैं. वे प्राय: बोझिल शूटिंग कार्यक्रमों और कार्य को निर्धारित समय- सीमा में पूरा करने के लिए लम्बे समय तक तथा देर रात तक भी कार्य करते हैं.

साउण्ड इंजीनियर क्या-क्या करते हैं?

साउण्ड इंजीनियर साउण्ड रिकॉर्डिंग तथा प्रसारण उपकरणों को चलाने तथा बनाए रखने के लिए प्राय: संगीत कलाकारों, दूरदर्शन समाचार चैनलों, रेडियो स्टेशनों तथा फिल्म निदेशकों के साथ कार्य करते हैं यह एक अत्यधिक तकनीकी कार्य है और इसके लिए उत्कृष्ट कम्प्यूटर कौशल एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर कार्य करने की दक्षता होना आवश्यक है.

लचीलापन तथा समय से समझौता इस क्षेत्र में कॅरिअर की उन्नति की मुख्य अपेक्षाएं हैं, क्योंकि साउण्ड इंजीनियरों से हमेशा विभिन्न प्रकार के आडियो साधनों तथा उपकरणों के साथ कार्य करने की प्रत्याशा होती है. उन्हें सम्पादकों, निदेशकों, वीडियो ऑपरेटरों तथा अन्य साउण्ड इंजीनियरों के साथ समन्वय करना होता है और विभिन्न स्थितियों के लिए उपयुक्त उपकरणों का चयन करना होता है.

योजना समय- निर्धारण और कार्य पूरा करना भी साउण्ड इंजीनियरों के कार्य-प्रोफाइल का एक महत्वपूर्ण भाग है और इसके लिए अच्छा प्रबंधन कौशल होना आवश्यक है. साउण्ड इंजीनियरों को स्थल पर साउण्ड इंजीनियरी कार्यों के लिए व्यापक यात्रा भी करनी पड़ सकती है.

भारत में उपलब्ध उच्च साउण्ड इंजीनियरी कॉलेज तथा पाठ्यक्रम :-

*अड्यार संस्थान या एम.जी.आर. राजकीय फिल्म एवं दूरदर्शन संस्थान, चेन्नै फिल्म प्रौद्योगिकी और दूरदर्शन प्रस्तुति (साउण्ड रिकॉर्डिंग एवं इंजीनियरी) (अवधि- ३ वर्ष) चलाता है : इसमें अधिकांश सीटें तमिलनाडु के मूल निवासियों के लिए निर्धारित होती है.

*अमृता कला एवं विज्ञान विद्यालय, ब्रह्मास्थानम् एडापल्ली, कोच्चि विजुअल मीडिया में एम.एफ.ए. (अवधि : २ वर्ष) और विजुअल मीडिया में बी.एस सी. (अवधि : ३ वर्ष) चलाता है.

*ए.आर.एम रेडियो प्रबंधन अकादमी, नई दिल्ली साउण्ड रिकॉर्डिंग एवं रेडियो प्रस्तुति में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाती है: प्रवेश दसवीं कक्षा के बाद दिया जाता है.

*एशियन अकादमी ऑफ फिल्म एवं टेलीविजन, नई दिल्ली वीडियो सम्पादन तथा साउण्ड रिकॉर्डिंग पाठ्यक्रम चलाती है. (अवधि : ३ महीने)

*भवन मीडिया अध्ययन संस्थान, कोच्चि दूरदर्शन एवं पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा; और फिल्म- निर्माण में डिप्लोमा कराता है.

*बीजू पटनायक फिल्म एवं दूरदर्शन संस्थान, कटक साउण्ड एवं टी.वी. इंजीनियरी में डिप्लोमा चलाता है. (अवधि : ३ वर्ष)

*इमेजिंग प्रौद्योगिकी विकास केन्द्र (सी-डिट) तिरूवनंतपुरम विज्ञान एवं विकास संचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (अवधि : १ वर्ष) चलाता है. (केवल स्नातकों के लिए).

*अनुप्रयुक्त विज्ञान कॉलेज, बडाक्कनचेरी ऑडियो इंजीनियरी में स्नातकोत्तर डिप्लोमा चलाता है. (अवधि : १ वर्ष)

*फिल्म एवं टी.वी. अध्ययन विभाग, भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली वीडियो इंजीनियरी तथा साउण्ड रिकॉर्डिंग (ई.डी.टी.) में डिप्लोमा कराता है (अवधि : १ वर्ष).

*संगीत विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय साउण्ड रिकॉर्डिंग में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम और पुनर्निर्माण पाठ्यक्रम (एस.आर.आर.) पाठ्यक्रम चलाता है. (अवधि : ०६ महीने)

*डिजिटल अकादमी- फिल्म स्कूल साउण्ड रिकॉर्डिंग एवं इंजीनियरी पाठ्यक्रम कराती है (अवधि : १० महीने).

*फिल्म अभिनेता मोहन लाल विस्मय स्टूडियो, तिरुवनतंपुरम ऑडियो इंजीनियरी पाठ्यक्रम चलाता है.

*भारतीय फिल्म एवं दूरदर्शन संस्थान, पुणे साउण्ड रिकॉर्डिंग एवं टी.वी. इंजीनियरी में स्नातकोत्तर प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (अवधि : १ वर्ष) और साउण्ड- रिकॉर्डिंग तथा साउण्ड डिजाइन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (अवधि : ३ वर्ष) चलाता है केवल स्नातकों के लिए.

*राजकीय फिल्म एवं दूरदर्शन संस्थान, बेंगलूरू साउण्ड एवं रिकॉर्डिंग में डिप्लोमा कराता है (अवधि ३ वर्ष)

*आई.आई.टी. खडग़पुर मीडिया एवं साउण्ड इंजीनियरी में एम.टेक चलाता है (अवधि : २ वर्ष) : स्नातक इंजीनियरों को यह पाठ्यक्रम करने में सक्षम होने के लिए गेट में बैठना पड़ता है.

*केनट्रॉन उच्च प्रशिक्षण केन्द्र, तिरूवनंतपुरम साउण्ड इंजीनियरी में अलप्कालीन डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाता है (अवधि : ०६ महीने)

*राष्ट्रीय फिल्म एवं ललित कला संस्थान (एन.आई.एफ.एफ.ए.), कोलकाता साउण्ड रिकॉर्डिंग तथा सम्पादन में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम कराता है (अवधि : ०६ महीने)

*सत्यजीत रे फिल्म एवं दूरदर्शन संस्थान, कोलकाता सिनेमा ऑडियोग्राफी में स्नातकोत्तर डिप्लोमा चलाता है (अवधि : ३ वर्ष) ; केवल स्नातकों के लिए.

*ऑडियो इंजीनियरी स्कूल, बेंगलुरु, चेन्नै, दिल्ली एवं मुंबई डिजिटल फिल्म एवं रिकॉर्डिंग में बी.ए. (अवधि : ३ वर्ष) सहित ऑडियो इंजीनियरी में डिग्री तथा डिप्लोमा ; और रिकॉर्डिंग कला (साउण्ड इंजीनियरी) में डिप्लोमा चलाता है (अवधि : १ वर्ष)

*संचार स्कूल, अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय एवं मीडिया स्कूल (आई.एस.बी. एवं एम.), पुणे मीडिया संचार, दूरदर्शन तथा रेडियो प्रस्तुति में एम.एस सी. (अवधि : २ वर्ष) और मीडिया संचार एवं मल्टीमीडिया प्रौद्योगिकी में बी.एस.सी. (अवधि : ०३ वर्ष) चलाता है.

*श्री अरबिंदों कला एवं संचार केन्द्र, कला स्कूल, नई दिल्ली ऑडियो इंजीनियरी एवं संगीत निर्माण में डिप्लोमा पाठ्यक्रम (अवधि १ वर्ष) चलाता है : मुख्य रूप से स्नातकों के लिए.

*सेंट जॉजेफ संचार कॉलेज, चंगनसेरी (एम.जी.विश्वविद्यालय से संबंद्ध) मल्टीमीडिया में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों सहित सिनेमा दूरदर्शन में एम.ए. (अवधि : २ वर्ष) कराता है.

*सिम्बियोसिस मीडिया एवं संचार संस्थान, पुणे ऑडियो एवं वीडियो एवं विजुअल निर्माण में विशेषज्ञता सहित मीडिया अध्ययन में स्नातक पाठ्यक्रम चलाता है (अवधि : ३ वर्ष) किसी भी विषय में ५०' अंकों के साथ बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण छात्रों के लिए खुला है.

*व्हिस्लिंग बूड्स अंतर्राष्ट्रीय फिल्म एवं दूरदर्शन एनीमेशन एवं मीडिया कला संस्थान, मुंबई साउण्ड रिकॉर्डिंग में पूर्णकालिक पाठ्यक्रम चलाता है. (अवधि : २ वर्ष).

*जी मीडिया कला संस्थान (ज़ीमा), मुंबई स्टेनबर्ग प्रमाणित ऑडियो इंजीनियरी कार्यक्रम चलाता है. (अवधि : १ अवधि : १ वर्ष)

(यह सूची उदाहरण मात्र है)

इन पाठ्यक्रमों के लिए कौन पात्र हैं?

जो छात्र भौतिकी, रसायनविज्ञान एवं गणित विषयों के साथ बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में बैठे हंै, वे साउण्ड इंजीनियरी, ऑडियो इंजीनियरी या एकौस्टिक इंजीनियरी में स्नातक डिग्री या मास्टर डिग्री कर सकते हंै.

कॅरिअर के विकल्प एवं वेतन :

भारत, विश्व में फिल्मों का सबसे बड़ा निर्माता है. हॉलीवुड या विश्व सिनेमा से अलग भारतीय फिल्मों में गीत एवं नृत्य एक बड़ी भूमिका निभाते हैं. वास्तव में कई फिल्में अपनी कमजोर कहानी या निदेशन के बावजूद केवल अपने संगीत के सहारे काफी पसंद की जाती हैं फिल्म निर्माताओं द्वारा संगीत तथा ऑडियो अधिकार बेचना स्वाभाविक रूप से एक बड़ा राजस्व स्रोत है. फिल्म संगीत को बढ़ावा देने एवं उसकी मार्केटिंग में ऑडियो कम्पनियों की भी एक सक्रिय भूमिका होती है.

एक ऐसे उद्योग- जहां ध्वनि एवं संगीत इतना महत्वपूर्ण है, वहां सांउण्ड रिकॉर्डिस्ट या साउण्ड इंजीनियर की भूमिका भी एक मुख्य कार्य बन जाती है. साउण्ड इंजीनियर कई कार्य कर सकते हैं, जैसे:-

१.      उपयुक्त परिवेश, आकर्षण तथा ध्वन्यांकन वाले साउण्ड रिकॉर्डिंग स्टूडियो की डिजाइन एवं स्थापना.

२.     उपकरण रखरखाव तथा सर्विसिंग

३.     बाहर आयोजित किए जाने वाले लाइव समारोहों के साउण्ड सिस्टम का हस्तन/नियंत्रण

४.     रेडियो चैनलों पर विज्ञापन- व्यवसाय या व्यावसायिक डॉक्यूमेंटरी फिल्मों के प्रसारण के सॉफ्टवेयर का निर्माण

५.     गीत एवं संगीत रिकॉर्डिंग

६.     साउण्ड डिजाइनिंग (या फिल्मों, टी.वी. शो नाटकों, एनीमेशन या कम्प्यूटर खेलों में ध्वनि प्रभाव डालना)

७.     किसी फिल्म या टी.वी. कार्यक्रम की लाइव शूटिंग के साउण्ड इंजीनियरी कार्य.

८.     डॉलवी डीटीएस स्राउण्ड ध्वनि प्रभाव के लिए ध्वनि मिश्रण और

९.     रेडियो स्टेशनों या एफ.एम. स्टेशनों आदि में साउण्ड रिकार्डिंग कार्य.

एक सफल साउण्ड इंजीनियर को, इसके लिए कि उन्हें क्या करना है, न केवल तकनीकी कौशल एवं ध्वनि ज्ञान होना आवश्यक है, बल्कि इस क्षेत्र में अच्छा योगदान करने के लिए रचनात्मकता और सौंदर्यशास्त्र का भी ज्ञान होना चाहिए. ऐसे इंजीनियर को नई तथा विकसित हो रही प्रौद्योगिकी प्रवृत्ति में अच्छी तरह ढलने और उसे दिए गए स्टूडियो परिवेश की किस्म जो एक, मात्र डिजिटल ऑडियो कार्य केन्द्र से उच्च निर्माण सुविधा केन्द्र तक हो सकती है, को अंगीकार करने में भी समर्थ होना चाहिए.

व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित साउण्ड एवं ऑडियो इंजीनियर फिल्म एवं मल्टीमीडिया संगठनों, रिकॉर्डिंग स्टूडियों, टी.वी. चैनलों, सी.डी. निर्माण यूनिटों, विज्ञापन फर्मों, निर्माणोत्तर यूनिटों, एनीमेशन स्टूडियों आदि में कार्य तलाश सकते हैं. साउण्ड इंजीनियरों को दी जाने वाली अत्याधिक सामान्य कार्य- भूमिकाएं ऑडियो तकनीशियन, स्टूडियो प्रबंधक, लोकेशन रिकॉर्डिस्ट, साउण्ड डिजाइनर, साउण्ड इफेक्ट एडिटर तथा अन्य संबंधित प्रोफाइलों से जुड़ी होती है.

इस क्षेत्र में आने वाले किसी नए व्यक्ति का प्रारंभिक वेतन २००००/- रु. से ३००००/- रु. प्रति माह तक होता है अपना महत्व प्रमाणित करने पर आप असीम राशि अर्जित कर सकते हैं.

 

(लेखिका एक कॅरिअर परामर्शदात्री हैं)