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संपादकीय लेख


Issue no 21, 19-25 August 2023

जी20 नीति विकास में थिंक20 की सक्रिय भूमिका

आदित्य बहल

जी-20 के आधिकारिक समूह, थिंक20 (टी20) ने 2 अगस्त, 2023 को अपनी विज्ञप्ति का अनावरण किया, जो नीतिगत सिफारिशों पर एक साल की सश्रम चर्चाओं और अंतर्दृष्टि को प्रस्तुत करती है। जैसा कि भारत सितंबर 2023 में अपनी जी20 अध्यक्षता के समापन की तैयारी कर रहा है, थिंक टैंक की विज्ञप्ति वैश्विक चुनौतियों के जटिल जाल से निपटने के लिए कार्रवाई योग्य समाधान की प्रस्तुति के साथ समझदारी और नवीनता के प्रतीक के रूप में है।

जी20 के लिए ’विचार बैंक’ के रूप में कार्य करते हुए, इसके जनादेश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए थिंक टैंक दुनिया भर से सम्मानित विशेषज्ञों को एक मंच पर लाता है। ये विचार-विमर्श सावधानीपूर्वक संश्लेषित नीति संक्षेपों में परिणत होते हैं, जिन्हें फिर जी20 कार्य समूहों, मंत्रिस्तरीय बैठकों और नेताओं के शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाता है। थिंक टैंक  की सिफारिशें काफी प्रभाव डालती हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ठोस नीतिगत उपायों को आकार देती हैं।

विज्ञप्ति का सार, टी20 भारत के सात कार्यबलों के आधिकारिक बयानों से लिया गया है। इनमें से प्रत्येक परस्पर जुड़े विश्व के एक प्रमुख पहलू के प्रति समर्पित है। इन कार्य बलों ने एक साल की गहन चर्चाओं, मंचों और सम्मेलनों से अंतर्दृष्टि और सिफारिशें एकत्र की हैं। यह दुनिया भर से आए शोधकर्ताओं और विद्वानों की विविध विशेषज्ञता का उपयोग करता है, जो सहयोगात्मक बुद्धिमत्ता और दूरदर्शी समाधानों के प्रमाण के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करता है। जी20 शिखर सम्मेलन में विचार के लिए थिंक टैंक द्वारा प्रस्तुत नीतिगत प्रस्तावों की  सूची निम्न प्रकार है।

वृहत् आर्थिक और व्यापार नीति समन्वय

अनिश्चित वैश्विक राजनीति, सुरक्षा चुनौतियों और विश्वव्यापी आर्थिक परिदृश्य में व्यवधान के समय में, अर्थव्यवस्थाओं में स्थिरता बनाए रखने और मौद्रिक, राजकोषीय, व्यापार तथा निवेश नीतियों के प्रबंधन में सदस्य देशों के बीच प्रयासों के समन्वय में जी20 की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है। वैश्विक स्तर पर आर्थिक और वित्तीय जोखिमों का जटिल नेटवर्क व्यापक समाधानों की मांग करता है जो वैश्विक परिप्रेक्ष्य के साथ तैयार किए गए हों। ये कार्रवाइयां संभावित रूप से नौकरी के अवसर बढ़ा सकती हैं और बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित कर सकती हैं। विभिन्न देशों में राजकोषीय, व्यापार और निवेश रणनीतियों को समन्वित करने के लिए, टी20 इंडिया निम्नलिखित सुझाव देता हैः

-प्रभावी नीति-निर्माण और प्रारंभिक चेतावनियों के लिए लगातार डेटा-साझाकरण के साथ वैश्विक वित्तीय जोखिमों की निगरानी करना।

-डेटा संरक्षण की सुरक्षा करते हुए समझौतों को आधुनिक बनाने के लिए जी20 डिजिटल व्यापार मंच की स्थापना करना।

-विनियामक सुसंगतता को बढ़ावा देना और सेवा व्यापार मुद्दों के लिए एक उप-कार्य समूह पर विचार करना।

-हरित और डिजिटल व्यापार पर ध्यान केंद्रित करते हुए नई व्यापार नीतियों पर आम सहमति बनाना।

-राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पोर्टल और सीमा पार सहयोग के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना।

-पर्यावरण संबंधी वस्तुओं में मुक्त व्यापार में सहयोग, मानकों को बढ़ाना और नई व्यापार बाधाओं से बचना।

-सुव्यवस्थित कर आधार नीतियों का अन्वेषण करना, संपति कर प्रभावों का आकलन करना, और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय लेनदेन कर लाभों पर विचार करना।

-गिग और प्लेटफॉर्म कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा और उचित मुआवजे़ के लिए रूपरेखा विकसित करना।

किफायती, सुलभ और समावेशी डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा

डिजिटल प्रौद्योगिकियों में सामाजिक-आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ाने और सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि में तेजी लाने की अपार क्षमता है। हालाँकि, उनके पूर्ण लाभों के लिए बेहतर पहुंच, जिम्मेदार डिजाइन, उन्नत डिजिटल कौशल और न्यायपूर्ण संचालन ढांचे की आवश्यकता है। एक खुला, प्रतिस्पर्धी और न्यायसंगत डिजिटल समाज बनाने के लिए, टी20 इंडिया ने ये सिफारिशें की हैंः

-स्केलेबल, ओपन-एक्सेस डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (डीपीआई) बनाने के लिए, नवाचार को बढ़ावा  देने वाली सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना ।

- डीपीआई विकसित करने में सार्वजनिक नीति को प्रौद्योगिकी मानकों और सिद्धांतों के साथ संरेखित करने में मानवाधिकार, सुरक्षा और गोपनीयता को प्राथमिकता देना।

- चैंपियन डीपीआई-सक्षम डिजिटल नवाचार जो आर्थिक असमानताओं को कम करते हुए वित्तीय समावेशन, सामाजिक सुरक्षा और प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ाते हैं।

-जिम्मेदार और टिकाऊ डीपीआई विकास के लिए वैश्विक मानकों, विनियमनों और नीतियों के समन्वय के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर जी20 कार्य समूह की स्थापना करना।

- डिजिटल कौशल और उद्यमिता को बढ़ावा देना, पाठ्यक्रम को उद्योग की जरूरतों के अनुरूप बनाना और ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकी विकास को प्राथमिकता देना।

-मजबूत डेटा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए खुले डेटा प्रचार और नवाचार वित्तपोषण प्रक्रियाओं के माध्यम से ’विकास के लिए डेटा’ का उपयोग करना।

-कमजोर आबादी को सशक्त बनाकर, समानता और न्याय को बढ़ावा देकर डिजिटल विभाजन को पाटने पर ध्यान केंद्रित करें।

’पर्यावरण के लिए जीवन शैली’, आरोग्यता और परिवर्तनशीलता 

जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन तेज़ होता है, सतत उपभोग को बढ़ावा देने में व्यक्तिगत कार्रवाइयां महत्वपूर्ण होती जाती हैं। पर्यावरण-अनुकूल गतिविधिओं को मुख्यधारा में लाने के लिए जी20 एजेंडा में ’पर्यावरण के लिए जीवन शैली’ (लाइफ) दृष्टिकोण को एकीकृत करना महत्वपूर्ण है। इस बारे में  टी20 इंडिया ने जी20 को ये सुझाव दिए हैः

-स्केलेबल, इनोवेटिव और हरित डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी विकसित करना।

-सतत विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा जलवायु प्रतिबद्धताओं का उपयोग करना।

-सतत विकास लक्ष्यों और जलवायु लक्ष्यों के लिए प्रकृति-आधारित समाधानों को बढ़ावा देना।

-संरक्षण के लिए प्राकृतिक पूंजी मूल्यांकन और वित्तीय साधनों को एकीकृत करें।

-सतत विकास के लिए जीवनशैली पर उच्च-स्तरीय सिद्धांतों के आधार पर वैश्विक वित्तीय ढांचे को नया रूप देना।

-कार्रवाई योग्य रोडमैप के लिए सतत जीवन शैली के वास्ते वैश्विक साझेदारी (जीपीएसएल) की शुरुआत करना।

-आचार, समानता और नैतिकता को फिर से परिभाषित करने के लिए शोध सहयोग की पहल करना।

-सकल घरेलू उत्पाद से परे नए कल्याण मेट्रिक्स को अपनाना।

-स्थायी व्यवसाय मॉडल और पद्धतियों के साथ प्रणालीगत परिवर्तन को बढ़ावा देना।

-संतुलित जीवनशैली, निवारक स्वास्थ्य सेवाओं और स्त्री-पुरुष समानता की हिमायत करना।

-छोटे शहरों, द्वीपों और संरक्षित क्षेत्रों के लिए कम कार्बन वाले बुनियादी ढांचे का विकास करना।

-छोटे शहरों और कस्बों के लिए समुदायों को शामिल करते हुए जलवायु-अनुकूल बुनियादी ढांचे की स्थापना करना।

-संतुलित ग्रामीण-शहरी विकास के लिए मिश्रित वित्त और सह-वित्तपोषण उपायों का पता लगाना।

-टिकाऊ परियोजनाओं के लिए निवेश को उत्प्रेरित करने के लिए मल्टी लेटरल डवैलपमेंट बैंकों (एमडीबी) का पुनर्पूंजीकरण करना।

-पारदर्शी, जवाबदेह और पर्यावरण के प्रति जागरूक निवेश के लिए एक वैश्विक अवसंरचना वेधशाला बनाना।

स्वच्छ ऊर्जा और हरित परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक स्वच्छ और न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन की आवश्यकता है जो 2030 एजेंडा और पेरिस समझौते के अनुरूप हो। विकासशील देशों की चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए और टिकाऊ ऊर्जा प्रणालियों में बदलाव समावेशी होना चाहिए। टी20 इंडिया सफल बदलाव के लिए प्रमुख सिफारिशें प्रदान करता हैः

- जी20 पेरिस समझौते के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि और विभिन्नता वाले डीकार्बोनाइजेशन पथ की स्थापना ।

-सहयोग के माध्यम से उत्सर्जन में कमी के लिए गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार नीतियों को प्रोत्साहित करना।

- अलक्षित जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को समाप्त करने के लिए रोडमैप का समर्थन ।

-सर्कुलर अर्थव्यवस्था पर जोर देते हुए लचीली और टिकाऊ स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देना।

-महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन बढ़ाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय खनिज एजेंसी की स्थापना करना।

-समन्वित सतत विकास लक्ष्य और जलवायु कार्रवाई के लिए विकासशील देशों का क्षमता निर्माण।

-पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों की मांग बढ़ाने के लिए हरित सार्वजनिक खरीद की हिमायत करना।

-ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाने के लिए प्रौद्योगिकी सह-विकास पर सहयोग ।

-प्रौद्योगिकी सहयोग और आईपी सुधारों को सुविधाजनक बनाने के लिए टैक20 एंगेजमेंट ग्रुप का गठन करना।

-मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत 1.5°सी लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एन20 उत्सर्जन  से निपटना।

-शीतलन उपकरणों में ऊर्जा दक्षता के लिए किगाली संशोधन लागू करना।

-सतत विकास लक्ष्य और जलवायु कार्यों को प्रभावी ढंग से एकीकृत करने के लिए जी20 कार्य समूहों के बीच समन्वय को मजबूत करना।

जलवायु वित्त को बढ़ाना

जलवायु वित्त और सतत विकास को बढ़ाने पर जी20 के लिए टी20 प्रस्तावों में शामिल हैंः

-जलवायु कार्रवाई के लिए 2025 तक सालाना 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए विकसित देशों का आह्वान करें । जलवायु वित्त पर महत्वाकांक्षी सामूहिक परिमाणित लक्ष्य के लिए प्रयास करें।

-कम कार्बन, लचीले और समावेशी विकास के लिए विकास वित्त को आगे बढ़ाएं।

-स्वच्छ ऊर्जा निवेश और जलवायु वित्त पर नजर रखने के लिए वार्षिक हरित वित्त रिपोर्ट प्रदान करने का काम, जी20 सतत वित्त कार्य समूह को सौंपें।

-सरकारों, उद्योग और फाइनेंसरों के बीच त्रिपक्षीय सहयोग की सुविधा प्रदान करके बैंक योग्य स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए हरित विकास और निवेश त्वरक (जीडीआईए) का समर्थन करें।

-एसडीजी बांड और व्यापार योग्य क्रेडिट जैसे नवीन वित्तपोषण उपकरणों का विस्तार करने के लिए एमडीबी और डीएफआई (विकास वित्तीय संस्थान) के साथ सहयोग करना, जिसका लक्ष्य एमडीबी के पूंजी पर्याप्तता ढांचे की जी20 स्वतंत्र समीक्षा से सिफारिशों के शीघ्र कार्यान्वयन और पूंजी प्रतिबद्धताओं के माध्यम से हरित विकास निधि में वृद्धि करना है।

-एसडीजी वित्तपोषण में व्यवसायों को शामिल करने के लिए साझा मूल्य (सीएसवी) जैसे निजी क्षेत्र की भागीदारी की रूपरेखा विकसित करें।

-सदस्य देशों और भागीदार देशों के बीच त्रिकोणीय सहयोग के अवसरों की पहचान करने के लिए जी20 विकास कार्य समूह मैचमेकिंग तंत्र की स्थापना करें।

वैश्विक वित्तीय व्यवस्था का पुनर्मूल्यांकन

टी20 अनुशंसा करता है कि जी20 को अधिक प्रभावी और न्यायसंगत वैश्विक वित्तीय व्यवस्था की फिर से कल्पना करने के लिए साहसिक कदम उठाने चाहिएंः

-विकासशील देशों के लिए धन बढ़ाकर और निजी वित्त का लाभ उठाकर जलवायु कार्रवाई और एसडीजी के लिए वित्त को बढ़ावा दें। विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) जैसे नवीन तंत्र का उपयोग करें और अफ्रीकी विकास बैंक के दृष्टिकोण का समर्थन करें।

-ऋण राहत तंत्र को बढ़ाएं, निजी ऋणदाता भागीदारी को प्रोत्साहित करें।

- ऋण राहत नवीन व्यवस्थाओं का पता लगाएं, नीतियों को स्थायी लक्ष्यों के साथ संरेखित करें, और आपदा रोकथाम तथा राहत ट्रस्ट (सीसीआरटी) जैसे कार्यक्रमों में सहयोग करें।

-जोखिम-शमन उपकरणों और मिश्रित वित्तपोषण के माध्यम से निजी पूंजी को आकर्षित करने के लिए एमडीबी (बहुपक्षीय विकास बैंक) की क्षमता का विस्तार करें। जोखिम साझा करने के लिए बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (एमआईजीए) और जीईएम का उपयोग करें।

-जोखिम मूल्यांकन, मिश्रित वित्तपोषण और जलवायु परिवर्तन  ऋण के माध्यम से विकासशील देशों में स्वच्छ ऊर्जा के लिए निजी पूंजी जुटाना।

-वित्तीय संस्थानों के बीच ज्ञान-साझाकरण को बढ़ावा देना, क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना और बैंक योग्य परियोजनाओं का विकास करना।

-क्षमता-निर्माण पहलों और ज्ञान साझाकरण के माध्यम से बुनियादी ढांचे और विकास वित्त पहुंच को बढ़ाना।

-नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके सूचना साझाकरण, मानकीकरण और डेटा उपलब्धता में सहयोग करना, विशेष रूप से कम विकसित देशों (एलडीसी) और छोटे द्वीप विकासशील देशों (एसआईडीएस) के लिए।

-एसडीजी वित्तपोषण खामियों को दूर करने और संकट के दौरान वैश्विक विकास को बढ़ावा देने के लिए जी20 के भीतर विकास वित्तीय संस्थान (डीएफआई) की स्थापना करना।

-अवैध वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के साथ-साथ मध्यस्थता को रोकने और वित्तीय स्थिरता बढ़ाने के लिए समान कर और विनियमों को बढ़ावा देना।

-सीमा पार व्यापार और वित्तीय समावेशन के लिए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) की क्षमता का पता लगाना।

-डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, नियामक ढांचे और नवीन उपकरणों के माध्यम से वैश्विक दक्षिण में निजी पूंजी प्रवाह को बढ़ाना। अनुरूप निवेश कार्यक्रमों के लिए संप्रभु धन और पेंशन फंड के साथ सहयोग ।

सतत विकास लक्ष्यों में तेजी लाना

जी20 ने 2030 एजेंडा के लिए समर्थन दिखाया है, लेकिन कई विकासशील देश इन लक्ष्यों को हासिल करने की राह से भटक रहे हैं, क्योंकि कोविड-19 और अन्य चुनौतियों ने स्थिति को और खराब कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि ये संकट 175 मिलियन से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेल सकते हैं, जबकि जी20 देशों ने सतत विकास लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की है  और  प्रयास किए हैं । खाद्य तथा जल सुरक्षा, स्वास्थ्य, लिंग-संवेदनशील कार्यक्रम और विकास सहयोग जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए अधिक समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। टी20 इंडिया की सिफारिशों में खाद्य सुरक्षा, कृषि, जल प्रशासन, स्वास्थ्य, जैव विविधता, स़्त्री-पुरुष समानता पहलू, बाल आरोग्यता और सतत विकास लक्ष्यों के लिए भागीदारी सहित विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।

-सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति की राह में कमियों को पहचानें, परिवर्तनकारी कार्यों के लिए प्रतिबद्ध हों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाएं।

-कमजोर आबादी पर ध्यान केंद्रित करते हुए पोषण-संवेदनशील सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों के लिए व्यापक ढांचा विकसित करें।

-कृषि मूल्य श्रृंखला और खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए तकनीक-सक्षम डेटा विश्लेषण का लाभ उठाएं।

-वितरण नेटवर्क स्थिरता के लिए सार्वभौमिक प्रतिबद्धता के माध्यम से महामारी और भू-राजनीतिक संकटों के खिलाफ खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं की रक्षा करना।

-एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (आईडब्ल्यूआरएम) पर ध्यान केंद्रित करते हुए और स्थानीय समुदायों को शामिल करते हुए टिकाऊ जल समाधान के लिए रूपरेखा तैयार करें।

-भविष्य के लिए महामारी कोष और आपूर्ति का नेटवर्क स्थापित करें।

-यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) और डिजिटल समाधानों के लिए डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल शुरू करें।

-समान पहुंच के लक्ष्य के साथ टीके, उपचार विज्ञान और निदान (वीटीडी) में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।

-समावेशी स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक डिजिटल पहुंच के लिए अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय समितियां बनाना।

-मानव, पशु और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिए बहुक्षेत्रीय ’एक स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण अपनाएं।

-स्थायी वित्तपोषण मॉडल के माध्यम से गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) में अनुसंधान निवेश में तेजी लाना।

-जैव विविधता संरक्षण के लिए पर्याप्त फंडिंग के साथ वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क (जीबीएफ) को लागू करना।

-प्रभावी एसडीजी निगरानी के लिए विश्वसनीय डेटा एकत्र करने और प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालयों को मजबूत करना।

-ट्रेड-ऑफ को कम करने और एसडीजी प्रगति को बढ़ाने के लिए जी20 वर्कस्ट्रीम में तालमेल को बढ़ावा देना।

स्त्री-पुरुष असमानता समाप्त करना

-जैंडर बजटिंग, परिवर्तनकारी नीतियों और समावेशी देखभाल प्रणालियों के माध्यम से महिला कार्यबल की भागीदारी को बढ़ावा देना।

-महिलाओं के लिए लक्षित डिजिटल साक्षरता और संपत्ति के माध्यम से लैंगिक डिजिटल विभाजन को खत्म करना।

-जी20 देशों में महिलाओं के स्वामित्व वाले सूक्ष्म/लघु उद्यमों को वित्तपोषित करने के लिए कोष की स्थापना करना।

-शिक्षा और मासिक धर्म स्वच्छता सहायता सहित मातृ, बाल तथा किशोर स्वास्थ्य और आरोग्यता के लिए वित्त पोषण को प्राथमिकता देना।

बहुपक्षवाद में सुधार

स्थिरता, शांति और आर्थिक विकास की खोज में, बहुपक्षवाद महत्वपूर्ण बना हुआ है। हालाँकि, आज की विश्व व्यवस्था को प्रतिबिंबित करने और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए मौजूदा ढांचे को अपनाना आवश्यक है। मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है, और जी20 प्रभावी बहुपक्षवाद को सुधारने और पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। टी20 इंडिया ने ’बहुपक्षवाद 2.0’ के लिए एक रोडमैप प्रस्तावित किया है जिसमें ठोस कार्रवाई शामिल हैः

-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता और वीटो का अधिकार सहित वैश्विक शासन में सुधार के लिए विशेषज्ञ समूह की स्थापना।

-विशेष रूप से जी20 में अफ्रीकी संघ जैसे कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों को शामिल करके, विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना ।

-सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से हाशिये पर पड़े क्षेत्रों के लाभ के लिए भारत जैसे डिजिटल विकास अनुभवों का उपयोग करना।

-विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को समकालीन चुनौतियों के अनुरूप ढालना और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देना।

-जलवायु परिवर्तन के लिए आईपीसीसी के समान, महामारी जोखिम और तैयारियों पर एक अंतर सरकारी पैनल बनाना।

-विश्व व्यापार संगठन और अन्य वैश्विक आर्थिक संगठनों के बीच समन्वय बढ़ाना।

-विश्व व्यापार संगठन को जी20 उद्देश्यों के अनुरूप व्यापार नियमों में सुधार के समन्वय का कार्य सौंपना।

दुनिया भर में जटिलता और परस्पर जुड़े संकटों से भरी दुनिया में, टी20 इंडिया विज्ञप्ति बहुपक्षीय सहयोग के लिए एक स्पष्ट आह्वान के रूप में है। वैश्विक परिदृश्य, कोविड -19 महामारी से लेकर ऊर्जा, भोजन और उर्वरक संकट पैदा करने वाली भू-राजनीतिक गतिशीलता और जलवायु परिवर्तन के उभरते खतरों जैसी  चुनौतियों से घिरा है । टी20 की विज्ञप्ति समन्वित कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है, क्योंकि खंडित भूराजनीतिक और भू-आर्थिक संबंध वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा हैं।

भारत के जी20 अध्यक्ष पद के आदर्श वाक्य, ’वसुधैव कुटुंबकम’ - ’एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ को मूर्त रूप देते हुए, विज्ञप्ति में ग्रह के साथ हमारे संबंधों को पुनर्गठित करने और स्थायी आर्थिक प्रणालियों के लिए नए रास्ते बनाने के लिए सहयोगात्मक कार्रवाई का आह्वान किया गया है। इन सिद्धांतों द्वारा निर्देशित, टी20 कार्य-दल ने उन प्राथमिकताओं को रेखांकित किया है जो वैश्विक एजेंडे के साथ गहराई से मेल खाती हैं, जिनमें हरित विकास, जलवायु वित्त, महिलाओं के नेतृत्व में विकास, डिजिटल परिवर्तन और बहुत कुछ शामिल हैं।

(लेखक दिल्ली में पत्रकार हैं। आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया, feedback-employment@gmail-com पर भेज सकते हैं)।

(व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।)