भारत का बढ़ता कृषि निर्यात
संदीप दास
सरकार द्वारा किए गए सक्रिय उपायों से 2021-22 में भारत का कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के उत्पादों का निर्यात रिकॉर्ड 50 बिलियन डॉलर से अधिक हुआ है. इस प्रकार यह किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.भारत के कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जा रहे निरंतर जोर के परिणाम दिखने लगे हैं. अभूतपूर्व वैश्विक महामारी - कोविड-19 के बावजूद, भारत बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने में सक्षम रहा है और खाद्य तथा अन्य कृषि उत्पादों के एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता के रूप में भी उभर रहा है.2021-22 के लिए समुद्री और बागान उत्पादों सहित भारत के कृषि उत्पादों का निर्यात रिकॉर्ड 50 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत से अधिक है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, निर्यात वृद्धि ज्यादातर चावल, समुद्री उत्पादों, चीनी, भैंस के मांस, कच्चे कपास और गेहूं के निर्यात में वृद्धि के कारण हासिल की गई है.अप्रैल, 2022 में वाणिज्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया था, 'कृषि उत्पादों के निर्यात में यह वृद्धि उच्च माल ढुलाई दरों, कंटेनरों की कमी आदि के रूप में अभूतपूर्व लॉजिस्टिक चुनौतियों के बावजूद हासिल की गई है.’ इसमें यह भी कहा गया है कि कृषि-निर्यात में वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय में सुधार के दृष्टिकोण को साकार करने में एक लंबा सफर तय करेगी.
2021-22 में चावल (9.65 बिलियन डॉलर), गेहूं (2.19 बिलियन डॉलर), चीनी (4.6 बिलियन डॉलर) और अन्य अनाज (1.08 बिलियन डॉलर) जैसी वस्तुओं का अब तक का सबसे अधिक निर्यात हासिल किया गया है. पिछले वर्ष की तुलना में 2021-22 में गेहूं का निर्यात 273 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 2.1 बिलियन डॉलर हो गया. वाणिज्य मंत्रालय के बयान में यह भी कहा गया कि इन उत्पादों के कृषि-निर्यात में वृद्धि से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र आदि के किसानों को लाभ हुआ है.'इस बीच, भारत ने वैश्विक चावल व्यापार के लगभग 50 प्रतिशत पर भी कब्जा कर लिया है. 2021-22 में, समुद्री उत्पादों का निर्यात 7.71 बिलियन डॉलर था, जिससे तटीय राज्यों पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और गुजरात के किसानों को आर्थिक रूप से लाभ हुआ था.पिछले वित्त वर्ष में लगातार दूसरे वर्ष मसालों का निर्यात बढ़कर 4 बिलियन डॉलर हो गया. कॉफी का निर्यात, जबरदस्त आपूर्ति पक्ष के मुद्दों का सामना करने के बावजूद, पहली बार 1 बिलियन डॉलर को पार कर गया, जिससे कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में कॉफी उत्पादकों की आमदनी में बढोत्तरी हुई.
भारत के कृषि उत्पादों के प्रमुख बाजार संयुक्त राज्य अमरीका, चीन, बंगलादेश, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, नेपाल, ईरान और मलेशिया थे.कृषि निर्यात में तेज वृद्धि को, वाणिज्य विभाग और इसकी विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन एजेंसियों जैसे कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए), समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए), कॉफी बोर्ड और विभिन्न जिन्स बोर्डों के निरंतर प्रयासों के कारण हासिल किया गया है.इसके अलावा, वाणिज्य मंत्रालय ने कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों और जिला प्रशासन के साथ भी सहयोग किया है. कृषि जिंसों का निर्यात वाराणसी (ताजी सब्जियां, आम), अनंतपुर (केला), नागपुर (संतरा), लखनऊ (आम), थेनी (केला), सोलापुर (अनार), कृष्णा और चित्तूर (आम) आदि समूहों से किया गया है.एपीडा के अध्यक्ष एम अंगामुथु ने कहा, 'कोविड-19 महामारी के दौरान, जब कई देश अपने चावल, गेहूं और अन्य अनाज का भंडारण कर रहे थे, हमने रसद के नियोजन और मूल्य शृंखलाओं को विकसित करने में सक्रिय भूमिका निभाई है, जिससे अनाज निर्यात को बढ़ावा मिला है.’
अक्टूबर 2020 के बाद, वैश्विक कृषि-जिंसों की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है, जिसमें कोविड-प्रेरित लॉकडाउन उठाने और महामारी के बाद के चरण में बड़े पैमाने पर वित्तीय इन्फ्यूजन के बाद के प्रभाव भी शामिल हैं.वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, सरकार की नीतियों का ध्यान निर्यात प्रोत्साहन निकायों और किसानों को अपेक्षित सहायता प्रदान करने पर रहा है ताकि वे कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने में सक्षम हो सकें. भारत के कृषि और संबद्ध खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पिछले सात वर्षों में कई उपाय शुरू किए गए हैं. इन उपायों में शामिल हैं:
कृषि निर्यात नीति
कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने 2018 में एक व्यापक कृषि निर्यात नीति पेश की है, जिसका उद्देश्य भारत को कृषि में वैश्विक शक्ति बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए उपयुक्त नीतिगत साधनों के माध्यम से भारतीय कृषि की निर्यात क्षमता का दोहन करना है.
कृषि निर्यात नीति के मुख्य उद्देश्य:
· जिन देशों को निर्यात किया जाता है उनमें विविधता लाना और उच्च मूल्य तथा मूल्य वर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा देना, जिसमें खराब होने वाली वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है.
· नवीन, स्वदेशी, जैविक, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना.
· बाजार पहुंच को आगे बढ़ाने, बाधाओं से निपटने और स्वच्छता तथा पादप स्वच्छता संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करना.
· वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के साथ एकीकरण करके विश्व कृषि निर्यात में भारत की हिस्सेदारी को दोगुना करने का प्रयास करना.
· किसानों को विदेशी बाजारों में निर्यात के अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनाना.
अब तक 21 राज्यों - महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, नगालैंड, तमिलनाडु, असम, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, सिक्किम, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश तथा हिमाचल प्रदेश और दो केंद्र शासित प्रदेशों - लद्दाख तथा अंडमान - निकोबार द्वीप समूह ने अपनी विशिष्ट निर्यात नीति को अंतिम रूप दे दिया है.
सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 46 विशिष्ट उत्पाद-जिला समूहों की पहचान की है, और कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 29 क्लस्टर स्तर की समितियों का गठन किया गया है. एपीडा ने अपनी अध्यक्षता में निर्यात संवर्धन मंचों का गठन किया है और इसमें वाणिज्य विभाग, कृषि विभाग, राज्य सरकारों, राष्ट्रीय रेफरल प्रयोगशालाओं के प्रतिनिधि और अंगूर, प्याज, आम, केला, अनार, फूलों की खेती, चावल, डेयरी उत्पाद और पोषक तत्वों वाले अनाज के दस प्रमुख निर्यातक शामिल हैं.वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं भी शुरू की हैं, जैसे निर्यात योजना के लिए व्यापार बुनियादी ढांचा, बाजार पहुंच पहल योजना, भारत से माल निर्यात योजना आदि. इसके अलावा, एपीडा की निर्यात संवर्धन योजना, समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए), तंबाकू बोर्ड, चाय बोर्ड, कॉफी बोर्ड, रबड़ बोर्ड और मसाला बोर्ड के अंतर्गत भी कृषि उत्पादों के निर्यातकों को सहायता प्रदान की जा रही है. इसके अलावा, शहद के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, भारत ने अमरीका को निर्यात किए जाने वाले शहद के लिए परमाणु चुंबकीय अनुनाद परीक्षण अनिवार्य कर दिया है.परिवहन और विपणन सहायता प्रदान करने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की एक नई केंद्रीय योजना - निर्दिष्ट कृषि उत्पादों के लिए परिवहन और विपणन सहायता - माल ढुलाई के अंतरराष्ट्रीय घटक के लिए सहायता प्रदान करने, कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए माल ढुलाई के नुकसान को कम करने और कृषि उत्पादों के विपणन के लिए लाई गई है. किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और सहकारी समितियों को निर्यातकों के साथ बातचीत करने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए एक किसान कनेक्ट पोर्टल स्थापित किया गया है.एपीडा ने मूल्य शृंखला में अन्य हितधारकों के सहयोग से निर्यात-बाजार लिंकेज प्रदान करने के लिए समूहों में क्रेता-विक्रेता बैठकों (बीएसएम) का आयोजन किया है. निर्यात के अवसरों का आकलन और दोहन करने के लिए विदेशों में भारतीय मिशनों के साथ वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नियमित बातचीत की जाती है. इसके अलावा, भारतीय मिशनों के माध्यम से देश में विशिष्ट बीएसएम भी आयोजित किए गए हैं. व्यापार और निर्यात की सुविधा के लिए मूल प्रमाण पत्र के लिए कॉमन डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है.
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वास्तविक समय पर जानकारी प्रदान करने के वास्ते वियतनाम, अमरीका, बंगलादेश, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, सऊदी अरब, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, चीन, जापान और अर्जेंटीना में भारतीय दूतावासों में तेरह विशेष 'एग्री-सेल’ बनाए गए थे.भारत के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में 50 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी वाले, एपीडा ने अंतरराष्ट्रीय बाजार की गुणवत्ता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बागवानी उत्पादों के लिए पैक-हाउस का पंजीकरण शुरू किया. उदाहरण के लिए, मूंगफली के छिलके उतारने और ग्रेडिंग तथा प्रसंस्करण इकाइयों के लिए निर्यात इकाइयों का पंजीकरण, यूरोपीय संघ और गैर-यूरोपीय संघ के देशों के लिए गुणवत्ता पालन सुनिश्चित करने के लिए है.निर्यात प्रोत्साहन निकाय ने दुनियाभर के प्रमुख आयातक देशों के साथ वर्चुअल खरीददार-विक्रेता बैठक आयोजित करके भारत में भौगोलिक पहचान (जीआई)-पंजीकृत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं. निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के निर्बाध गुणवत्ता प्रमाणन को सुनिश्चित करने के लिए, इसने उत्पादों और निर्यातकों की एक विस्तृत शृंखला के परीक्षण की सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरे भारत में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है.शुरू किए गए उपायों की इन शृंखलाओं के साथ, आने वाले वर्षों में भारत के कृषि और संबद्ध खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि जारी रहने की संभावना है, जिससे किसानों को लाभ होगा. भारत के इन कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में निर्यात में यह उछाल इसके बावजूद हासिल किया गया है कि इन पर देश की आधी से अधिक आबादी अपनी आजीविका के लिए निर्भर है और यह क्षेत्र देश में करोड़ों लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान कर रहा है.
(संदीप दास वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं. उनसे writerfoodsd@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है).
व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.