खादी एवं ग्रामोद्योग पर नया फ़ोकस और संचित प्रयास
अरुण खुराना
खादी हमारे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रपिता के स्वाभिमान की विरासत है. खादी एवं ग्रामोद्योग (केवीआई) भारत की दो राष्ट्रीय धरोहर हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था में खादी एवं ग्रामोद्योग के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलुओं में एक यह है कि यह मामूली प्रति व्यक्ति निवेश पर रोजग़ार का सृजन करता है. खादी एवं ग्रामोद्योग क्षेत्र न केवल देश के व्यापक ग्रामीण क्षेत्र की प्रसंस्कृत वस्तुओं की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करता है, बल्कि ग्रामीण दस्तकारों को स्थाई रोजग़ार भी उपलब्ध करवाता है. खादी एवं ग्रामोद्योग आज अति उत्तम, विरासतपूर्ण उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है, जो कि संजातीय के साथ-साथ नैतिकता से जुड़ा है. इस क्षेत्र का समाज के मध्यम और ऊपरी वर्गों में काफी मजबूत ग्राहक आधार है. केवीआईसी के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं जिससे इसका कामकाज निदेशित होता है. ये हैं:
*सामाजिक उद्देश्य-ग्रामीण क्षेत्रों में रोजग़ार उपलब्ध करवाना
*आर्थिक उद्देश्य-लोगों में स्वावलंबन का सृजन और मज़बूत ग्रामीण समुदाय भावना का निर्माण.
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की योजनाओं और कार्यक्रमों में शामिल हैं:
*प्रधानमंत्री रोजग़ार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)
*ब्याज सब्सिडी पात्रता प्रमाणन योजना (आईएसईसी)
*छूट योजना
केवीआईसी की भूमिका
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 (1956 का 61) के अधीन स्थापित खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के तत्वावधान में एक सांविधिक संगठन है जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजग़ार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिये खादी एवं ग्रामोद्योग (केवीआई) को प्रोत्साहन देने और विकास करने में संलग्न है, जिससे वह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर रहा है. केवीआईसी की बहुत ही कम प्रति व्यक्ति निवेश पर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थाई ग़ैर कृषि रोजग़ार अवसरों के सृजन के लिये विकेंद्रीकृत क्षेत्र में एक प्रमुख संगठन के तौर पर पहचान की गई है. यह कौशल सुधार, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अनुसंधान एवं विकास, विपणन आदि जैसी गतिविधियां संचालित करता है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजग़ार सृजन/स्वरोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करता है.
खादी संस्थान देश भर में कऱीब दस लाख दस्तकारों को रोजग़ार मुहैया कराता है. अध्ययनों में कहा गया है कि खादी की वस्तुओं के लिये विपणन क्षमता, विशेषकर स्कूलों, रेलवे और होटलों के लिये वर्दियों के तौर पर भारत में कऱीब 6 अरब अमरीकी डॉलर की है. साथ ही करीब ढाई करोड़ मज़बूत मध्यम श्रेणी के लोग हैं जिनकी पर्याप्त क्रय क्षमता है जो कि मॉलों और ब्रैंडिड वस्तुओं से अलग विकल्प तलाशने में विश्वास रखते हैं. बदलती बाज़ार गतिशीलता और क्षेत्र में प्रौद्योगिकीय नवाचारों के साथ बाज़ार विश्लेषकों का अनुमान है कि इसका फैब्रिक विनिर्माताओं, वितरकों के साथ-साथ क्रेताओं के लिये आर्थिक तौर पर व्यवहार्य हो सकता है. ऐसी आशाओं के बीच, विशेषज्ञ महसूस करते हैं कि बदलती स्थितियों से निपटने के लिये इस क्षेत्र के पुनरुद्धार के लिये एक व्यापक और स्थाई रोडमैप महत्वपूर्ण पूर्वापेक्षा है. दस्तकारी हाट समिति, एक ग़ैर लाभकारी संगठन, जो कि परंपरागत दस्तकारी को प्रोत्साहन के लिये दस्तकारों के साथ काम करता है, को विश्वास है कि कोई भी प्रौद्योगिकीय उन्नयन जो कि गऱीब दस्तकारों की उनकी उत्पादकता में सुधार और आय बढ़ाने में मदद करती है एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है. यद्यपि सरकार के लिये यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सौर चरखा उपलब्ध करवाने के अलावा, भारत में दस्तकारी के पुनरुद्धार के लिये एक ब्लूप्रिंट तैयार किया जाना चाहिये. हमें कुटीर उद्योग को आधुनिक डिज़ाइन विकास और बाज़ार संपर्क उपलब्ध करवाकर एक सफल उद्यम में परिवर्तित करने की आवश्यकता है.
केवीआईसी का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में, विशेषकर समाज के कमज़ोर वर्गों जैसे कि महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों आदि के लिये ग्रामीण क्षेत्रों की संपूर्ण बेहतरी के लिये गैर कृषि रोजग़ार अवसरों को प्रोत्साहन देना है. खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करता है और ग्रामीण विकास के व्यापक उद्देश्य को हासिल करने के लिये भिन्न-2 राज्यों से संबद्ध राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड हैं. राज्य खादी एवं ग्रामोद्योगों का वित्तपोषण खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा केवीआईसी योजनाएं इसके नियमों के अनुरूप कार्यान्वित करने हेतु किया जाता है. खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को इन उद्योगों में संलग्न दस्तकारों के लिये प्रशिक्षण के आयोजन करने और उनमें सहकारी प्रयासों को प्रोत्साहन दिये जाने के अलावा कच्ची सामग्रियों के भण्डार का निर्माण करने और उत्पादकों को आपूर्ति करने, कच्ची सामग्रियों की अद्र्ध तैयार वस्तुओं के तौर पर प्रोसेसिंग के लिये संयुक्त सेवा सुविधाओं के सृजन तथा खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादों के विपणन के लिये सुविधाओं की व्यवस्था करने का भी प्रभार दिया गया है. केवीआईसी खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्र में लगाई गई उत्पादन तकनीकों को प्रोत्साहन और संवद्र्धन का काम भी देखता है. इसके अलावा केवीआईसी खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के विकास और प्रचालन के लिये संस्थानों और व्यक्तियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने तथा उनका डिजाइनों, प्रोटोटाईप और अन्य तकनीकी सूचना की आपूर्ति के जरिये निर्देश करने का कार्य भी सौंपा गया है. खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग का केंद्रीय कार्यालय मुंबई में है, साथ में एक आंचलिक कार्यालय गुवाहाटी में तथा नौ राज्य कार्यालय हैं. प्रशिक्षण, विपणन, लेखा, खादी आर्थिक अनुसंधान और ग्रामीण रोजग़ार सृजन कार्यक्रम जैसे कार्यों के समन्वय के लिये निदेशालयों की स्थापना की गई है. खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग इसके विभागीय संचालित खादी ग्रामोद्योग भवनों और देश के विभिन्न भागों में स्थित करीब 7050 सांस्थानिक बिक्री केंद्रों के जरिये बिक्री गतिविधियों को भी संचालित करता है. छह सेंट्रल सिल्वर प्लांट विभिन्न खादी संस्थानों को गुणवत्तापूर्ण कच्ची सामग्रियां उपलब्ध करवाते हैं. खादी और ग्रामोद्योग कार्यक्रम करीब 5549 पंजीकृृत संस्थानों, सहकारी संस्थाओं, 33 राज्य/संघ शासित प्रदेशों, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्डों और 27 सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और कुछ चुनिंदा सहकारी बैंकों के जरिए कार्यान्वित किये जाते हैं. खादी कार्यक्रम केवीआईसी अथवा राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्डों के साथ पंजीकृत संस्थानों के जरिये कार्यान्वित किये जाते हैं. ग्रामोद्योगों के मामले में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ग्रामीण रोजग़ार सृजन कार्यक्रम का कार्यान्वयन करता है. खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग खादी एवं ग्राम उद्योगों में उन्नत प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में विश्वसनीय भूमिका निभाता है और इस प्रकार विभिन्न उद्योगों में दस्तकारों को आय सृजन में सहायता कर रहा है.
यह प्रस्ताव किया गया है कि खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड को राज्य सरकारों और ग्रामोद्योग के क्षेत्र में संलग्न अन्य संगठनों के साथ सलाह मशविरे के साथ इन कार्यक्रमों पर आगे कार्रवाई संचालित करनी चाहिये. कार्यक्रमों को इनके कार्यान्वयन के लिये उपलब्ध चार वर्षों की अवधि के आधार पर तैयार किया गया है.
*ग्रामीण तेल उद्योग- इस उद्योग के लिये कार्यक्रम में ग्रामीण तेल कोल्हुओं और तेल मिलों के लिये एक संयुक्त उत्पादन कार्यक्रम की परिकल्पना की गई है. घाणियों का उत्पादन कोल्हुओं से 10 से 13.8 लाख टन तक बढ़ाने का प्रस्ताव है. इसमें कुछ बीजों, जिनकी पिराई मिलों में होती है, को अलग करना और इन्हें कपास के बीजों से प्रतिष्ठापन करना शामिल होगा. यह सुझाव दिया गया है कि 1200 ग्रामीण तेल केंद्र, जो कि प्रत्येक 40 से 50 गांवों के समूह को सेवाएं प्रदान कर रहे हैं और करीब 50 ग्रामीण तेल कोल्हुओं का संचालन किया जा सकता है. विनिर्माण और उन्नत तेल कोल्हुओं की मरम्मत तथा ग्रामीण तेल उद्योग की सामान्य दक्षता सुधार में दस्तकारों के प्रशिक्षण के लिये एक अनुसंधान और ग्रामीण संस्थान तथा पांच क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्रों का प्रस्ताव किया गया है. ग्रामीण दस्तकारों को व्यापक रोजग़ार प्रदान करने के अलावा इस उद्योग से ताज़ा और शुद्ध तेल की आपूर्ति करके ग्रामीण जनसंख्या के पोषण में सुधार करने की आशा है जो कि मिल तेल में मिलावट की व्यापकता को देखते हुए हासिल करना मुश्किल हो गया है.
*नीम के तेल से साबुन का निर्माण-यह एक लघु योजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य उस सामग्री का इस्तेमाल करना है जो कि इस समय बेकार चली जाती हैं. योजना का उद्देश्य विभिन्न रज्यों में उत्पादन-सह-प्रदर्शन केंद्रों की स्थापना करना है जहां नीम तेल का उत्पादन किया जायेगा और इसका साबुन बनाने में इस्तेमाल किया जायेगा. इसमें नीम की 11 इकाइयों का प्रावधान है, प्रत्येक यूनिट में 1 साबुन निर्माणी और 7 नीम प्रोसेसिंग केंद्र शामिल है जो कि कुल 1260 मण नीम के तेल का उत्पादन करते हैं और प्रति वर्ष करीब 78 टन साबुन के प्रयोग में इस्तेमाल किया जाता है.
*धान की भूसी उतारना-चावल की हाथों से भूसी उतारना अब भी एक महत्वपूर्ण ग्रामोद्योग है. यह करीब 65 प्रतिशत धान को प्रोसेस करता है, जबकि शेष 35 प्रतिशत मिल प्रोसेस करते हैं. कार्यक्रम का उद्देश्य चावल की उन्नत रिकवरी के लिये हाथों से संचालित प्रक्रिया में सुधार लाना और भूसी उतारने की पद्धति के स्थान पर धान का छिलका उतारने की पत्थर की चक्कियों की शुरूआत करते हुए शुद्ध धान के उत्पादन में सुधार करना है. यह सिफारिश की गई है कि चार वर्षों की अवधि के दौरान धान उत्पादन वाले क्षेत्रों में सस्ती दरों पर करीब 50 हजार चक्कियों का वितरण किया जा सकता है. धान की भूसी उतारने के काम में अनुसंधान संचालित करने का भी प्रस्ताव है जिससे बेहतर प्रकार की चक्की को धान की भूसी अलग करने में इस्तेमाल किया जा सके और इससे चावल की टूटन में भी कमी आयेगी. यह भी प्रस्ताव किया गया है कि हुलर टाइप धान की मिलों को धीरे-धीरे हटा दिया जाये.
*खजूर का गुड़-खजूर के गुड़़ के विकास के लिये बनाई गई योजना में गुड़ का करीब 80 हजार टन मात्रा में उत्पादन बढ़ाने का प्रावधान है. इससे करीब 60 हजार ग्रामीण कामगारों को रोजग़ार प्राप्त होगा. योजना के तहत प्रशिक्षण और अनुसंधान का प्रावधान किया गया है और आवश्यक तौर पर सब्सिडी भी प्रदान की जा सकती है.
*गुड़ और खांडसारी-यह सुस्थापित ग्रामोद्योग है. कार्यक्रम का उद्देश्य उच्चतम निस्सारण प्रतिशतता हासिल करने के लिये उन्नत किस्म के गन्ना कोल्हुओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है. यह प्रस्ताव किया गया है कि चार वर्षों की अवधि में करीब एक लाख उन्नत गन्ना कोल्हु शुरू किये जाने चाहियें. खांडसारी के विनिर्माण के लिये लघु अपकेंद्रणों की शुरूआत किये जाने का भी सुझाव दिया गया है.
*चमड़ा-इस योजना का उद्देश्य मृत पशुओं के अपूर्ण इस्तेमाल के कारण होने वाले कचड़े को न्यूनतम करना है. चार वर्षीय कार्यक्रम में रिकवरी कार्य, टैनिंग, नगरीय क्षेत्रों और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में लैदर क्राफ्ट शुरू करने और सहकारी ग्रामीण चमड़ा वर्कर्स संगठन तैयार करने का भी प्रावधान है.
*ऊनी कंबल-यह प्रस्ताव किया गया है कि रक्षा सेवाओं के लिये अपेक्षित ऊनी कंबलों के उत्पादन के लिये हाथों की कताई और हाथों की बुनाई विकसित करने के लिये चार ऊनी कताई और बुनाई केंद्रों की स्थापना की जाये. ये केंद्र राज्य सरकारों अथवा सहकारी संस्थाओं द्वारा संचालित किये जा सकते हैं. यह सुझाव दिया गया है कि कार्डिंग और फिनिशिंग बिजली से संचालित मशीनरी से की जाये परंतु बुनाई और कताई हाथों से की जानी चाहिये.
*हस्त निर्मित कागज-कार्यक्रम में उच्च ग्रेड की हस्त निर्मित कागज की किस्मों के 11 वर्तमान केंद्रों पर उत्पादन शुरू किये जाने का प्रस्ताव किया गया है. इन केंद्रों की उपकरणों, प्रशिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में सहायता की जानी चाहिये. पल्प-मेकिंग को विद्युत संचालित मशीनों से किये जाने का प्रस्ताव है जबकि अन्य प्रक्रियाएं हाथों से संचालित की जायेंगी.
*मधुमक्खी पालन-राज्यों में चयनित क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन के सघन विकास का प्रस्ताव किया गया है जिसमें उद्योग, उदाहरण के लिये मद्रास, बम्बई, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मैसूर, त्रावणकोर-कोचीन और कुर्ग, पहले ही कुछ प्रगति कर चुका है. प्रत्येक चयनित क्षेत्र में 20 से 30 गांवों के समूह को एक उपकेंद्र सेवा प्रदान कर सकता है. योजना में स्टाफ और मधुमक्खी पालकों के लिये प्रशिक्षण और सस्ती दरों पर मधुमक्खी छत्ते और अन्य उपकरणों की आपूर्ति करना शामिल होता है. मधुमक्खी पालकों की सहकारी संस्थाओं को प्रत्येक उप केंद्र में सदस्यों द्वारा उत्पादित शहद के संग्रह और विपणन की व्यवस्था होती है.
*कुटीर समान उद्योग-योजना का उद्देश्य चार वर्षों के अंत तक कुटीर वस्तु उद्योग का उत्पादन बढ़ाकर कुल 6 लाख से करीब 18 लाख करने का प्रस्ताव है. यह परिणाम प्रशिक्षण और कुटीर समकक्ष विनिर्माताओं को वित्तीय सहायता के तौर पर कुछेक रियायतें प्रदान करके हासिल किया जायेगा.
*खादी-खादी कार्यक्रम के लिये कुछेक अनंतिम प्रस्ताव तैयार किये गये हैं परंतु इन पर प्रस्तावित खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा विचार करना होगा.
*कॅयर- त्रावणकोर-कोचीन में कॅयर उद्योग की दयनीय स्थिति के लिये सहकारी आधार पर उद्योग के पुनर्गठन की आवश्यकता है. इस उद्देश्य के लिये एक कार्यक्रम राज्य सरकार की पंचवर्षीय योजना में इंगित किया गया है.
यह गर्व की बात है कि खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री में माननीय प्रधानमंत्री की 03 अक्तूबर, 2014 को रेडियो पर अपनी ‘मन की बात‘ में की गई इस अपील के बाद काफी वृद्धि दजऱ् की गई है जिसमें उन्होंने कम से कम एक ‘खादी‘ उत्पाद को रोज़मर्रा के जीवन में उपयोग के लिये खरीदने का आह्वान किया था. ‘‘यदि आप खादी खरीदते हैं आप एक गरीब व्यक्ति के घर में खुशहाली का दीपक प्रज्ज्वलित करेंगे. इसने खादी क्षेत्र में पुन: जान फूंक दी है जिसके परिणामस्वरूप खादी ग्रामोद्योग भवन, नई दिल्ली की बिक्री पिछले वर्ष की बिक्री की तुलना में 125 प्रतिशत की वृद्धि हुई है‘‘. इस बात का जिक्र माननीय प्रधानमंत्री ने 02 नवंबर 2014 को इसी कार्यक्रम में किया. माननीय प्रधानमंत्री की अपील का लोगों पर विशेषकर युवाओं पर जबर्दस्त असर हुआ जिसके परिणामस्वरूप खादी क्षेत्र को नया जीवन मिला है. खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने खादी ग्रामोद्योग भवन, नई दिल्ली का नवीनीकरण भी किया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि खादी और ग्रामोद्योग की व्यापक किस्में सभी आयु वर्गों के लिये और वस्त्र बाज़ार की सभी श्रेणियों में उपलब्ध हो सकें. इनमें डिज़ाइन कपड़े, गृह सज्जा, अपहोलस्ट्री, पशमीना सहित ऊनी वस्त्र, ब्राइडल वियर, देश के विभिन्न हिस्सों की साडिय़ों की व्यापक रेंज, आफिस वियर, कैजुअल वियर, बच्चों के कपड़े, रेडी टू यूज और रेडीमेड ड्रेस शामिल हैं. ग्रामोद्योग उत्पादों जैसे कि हैंडमेड पेपर और उत्पाद, शहद, प्राकृतिक साबुन, धूप बत्ती, हर्बल ब्यूटी एवं हेल्थकेअर उत्पाद, ज्वैलरी और उपहार की वस्तुएं तथा सौंदर्य, घरों की सजावट की वस्तुएं, घरों में उपयोग की किराना वस्तुएं-जो कि खाने के लिये तैयार अवस्था में होती हैं, के अलावा आर्गेनिक फार्म उत्पाद भी उपलब्ध होते हैं. युवा केंद्रित फ़ोकस के लिये, केवीआईसी ने अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस और गांधी जयंती के अवसर पर छात्रों के लिये विशेष छूट प्रदान की है. केवीआईसी स्कूलों, कालेजों, विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईटीआई और अन्य शिक्षण/तकनीकी संस्थानों में भी कालेज फेस्ट, फैशन शो, जागरूकता कार्यक्रमों और प्रतिस्पर्धाओं के जरिये युवाओं को आकर्षित करता है. केवीआईसी रेलवे और रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों को लंबे समय से खादी उत्पादों का आपूर्तिकर्ता रहा है और रक्षा क्षेत्र को घरेलू विनिर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं के लिये खोलने के साथ ही केवीआईसी ने इस क्षेत्र में भी व्यापक तौर पर संभावनाएं तलाशने के लिये कमर कस ली है. 20 सितंबर, 2015 को यह कहते हुए कि खादी की बिक्री एक वर्ष में दोगुना हो गई है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पुन: लोगों से खादी उत्पाद खरीदने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि हथकरघा और खादी की बिक्री से होने वाली आय गरीब बुनकरों अथवा उनकी विधवाओं को प्राप्त होती है. उन्होंने पिछले वर्ष इसी तरह की गई अपील का दिल खोलकर समर्थन करने के लिये भी लोगों का धन्यवाद किया. प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी घोषणा की कि तीस लाख से अधिक परिवारों ने उनके आह्वान पर अपनी रसोई गैस सब्सिडी को छोड़ दिया. इनमें केवल धनी लोग नहीं हैं बल्कि सेवानिवृत्त शिक्षकों, पेन्शनरों जैसे निचली मध्यम और मध्यम श्रेणी जैसे लोग शामिल हैं. यह इस बात का सबूत है कि मूक क्रांति जारी है.
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने उन नई पहलों पर अपने विचार रखे जो कि खादी के उत्पादन और छवि को नई ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने हाल में कहा कि खादी उद्योग को सदैव देसी, अप्रचलित कपड़े वाली एजेंसी के तौर पर देखा जाता था, परंतु अब इसमें बदलाव हो रहा है. यह अपने शोरूमों में जीन्स का स्टॉक कर रहा है, प्रसिद्ध डिजाइनर में प्रवेश कर चुका है, सुश्री ऋतु बेरी इसके लिये डिज़ाइन तैयार करेंगी और अपने उत्पादों के लिये करोड़ों रु के आर्डर इसे मिल चुके हैं. उन्होंने कहा कि यदि कोई बाज़ार में सही अर्थों में बचे रहना चाहता है, इसे आधुनिक और प्रतिस्पद्र्धी बनना होगा. खादी को अन्यों के साथ ऐसा करने का अधिकार है. इससे पहले केवीआईसी खादी नाम से जाना जाता था परंतु अब चीजें बदल चुकी हैं. इसके अलावा खादी को हमारा राष्ट्रीय फैब्रिक पुकारा जा सकता है. दुर्भाग्य से खादी के सकारात्मक बिंदुओं को कभी प्रस्तुत नहीं किया गया. उदाहरण के लिये खादी में शून्य कार्बन फुटप्रिंट है, जो कि आज के समय में बहुत संगत है. यह सर्वाधिक पर्यावरण अनुकूल परिधान है. खादी बनाने के लिये कोई बिजली अथवा कोई मशीन अथवा ईंधन की आवश्यकता नहीं है. इसे ‘वातानुकूलित‘ सामग्री पुकारा जाता है क्योंकि सर्दियों में यह गर्म और गर्मियों में ठंडा रहता है क्योंकि यह झरझरा और हाथों से बुना हुआ होता है. इन गुणों को कभी भी प्रस्तुत नहीं किया गया.
सर्वेक्षण के अनुसार 2018 में खादी की बिक्री रु 5000 करोड़ को पार कर जायेगी
खादी उत्पादों की तेज़ी से बढ़ती मांग को देखते हुए खादी और ग्रामोद्योग आयोग को आशा है कि इसका बिक्री का लक्ष्य 2017-18 के अंत तक रु 5000/- करोड़ को पार कर जायेगा. खादी उत्पादों की बिक्री में जबर्दस्त वृद्धि हुई है. केवीआईसी को सरकार से अच्छे आर्डर मिल रहे हैं. खादी वस्तुओं की बिक्री में 2015-16 में करीब 29 प्रतिशत की वृद्धि होकर रु 1510 करोड़ हो गई. केवीआईसी उत्पादों की विदेशों में बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिये निर्यात प्रकोष्ठों की स्थापना भी कर रहा है. अमरीका और ब्रिटेन जैसे देशों में अच्छी मांग है. इस समय केवीआईसी प्रत्यक्ष निर्यात नहीं करता है परंतु शीघ्र ही वह इसे शुरू करेगा. यह खादी को अंतरराष्ट्रीय ब्रैंड बनाने में सहायता करेगा. इसके अलावा उत्पादों की गुणवत्ता और बिक्री में सुधार के लिये केवीआईसी नियमित रूप से बुनकरों और कताई करने वालों के लिये डिजाइनिंग और विपणन जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. खादी एवं ग्रामोद्योगों की कुल बिक्री में 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2015-16 में यह रु 37935 करोड़ हो गई. खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों का निर्माण करीब 7 लाख निजी स्वामित्व वाली घरेलू इकाइयों में किया जाता है. इन इकाइयों का वित्तपोषण प्रधानमंत्री रोजग़ार सृजन कार्यक्रम जैसी योजनाओं के जरिए किया जाता है.
उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय ने खादी को बढ़ावा देने के लिये अभियान चलाया है और लोगों के लिये विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिये रोजग़ार के अवसर उपलब्ध करवा रहा है.
14 दिसंबर, 2015 को उद्योग और वाणिज्य मंत्री श्री चंद्र प्रकाश गंगा ने कहा कि केवीआईसी ने गांधी सेवा सदन के उन्नयन के लिये 2 करोड़ रुपए मंजूर किये हैं जिससे खादी और बड़े पैमाने पर इसके उत्पादों को प्रोत्साहन देने में सहायता मिलेगी. उन्होंने कहा कि केवीआईसी ने खादी को बढ़ावा देने और लोगों को विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजग़ार के अवसर उपलब्ध करवाने में सभी जरूरी सहायता देने पर सहमति जताई है. यह बात मंत्री महोदय ने सांबा में गांधी सेवा सदन के दौरे के दौरान कही. उन्होंने गांधी सेवा सदन के स्टोर का निरीक्षण किया और बिक्री उद्देश्य के लिये प्रदर्शित किये जा रहे विभिन्न खादी उत्पादों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने साबुन, शैम्पू, सिलाई, आर्ट एंड क्राफ्ट आदि सहित विभिन्न उत्पादन इकाइयों का दौरा किया और उनके कामकाज की जानकारी प्राप्त की.
केवीआईसी देश भर में 400 से अधिक कलस्टरों का निरीक्षण करेगा और 40 हजार से अधिक दस्तकारों को कवर करेगा. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), भारत सरकार ने परंपरागत उद्योगों के पुन:सृजन के लिये अथवा स्फूर्ति के लिये पुनरुद्धार योजना तैयार की है. स्फूर्ति को केवीआईसी द्वारा नोडल एजेंसियों, कार्यान्वयन एजेंसियों, तकनीकी एजेंसियों, कलस्टर विकास एग्जीक्यूटिव्स और अन्य संसाधन प्रदाताओं की संगठित प्रणाली के जरिये लागू किया जायेगा. योजना का उद्देश्य परंपरागत ग्रामोद्योगों और दस्तकारों को कलस्टरों के रूप में संगठित करना है जिससे कि उनको अन्य बातों के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी बनाना, परंपरागत उद्योग दस्तकारों और ग्रामीण सूक्ष्म उद्यमियों को रोजग़ार उपलब्ध करवाना, गुणवत्ता उत्पादन वृद्धि और ऐसे कलस्टरों के उत्पादों की विपणनयोग्यता को बढ़ावा देना, नवाचार उत्पादों के समर्थन, डिजाइन हस्तक्षेप, उन्नत पैकेजिंग और बिक्री तथा विपणन अवसंरचना में सुधार करने के लिये सहायता की जा सके. केवीआईसी दो वर्षों के लिये दो चरणों में 01 मार्च, 2016 से लागू फरवरी 28, 2018 तक की अवधि की योजना के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु काम कर रहा है. प्रथम चरण में चार छात्र-नेतृत्व प्रतिस्पर्धाएं शामिल हैं जिन्हें 31 मई 2016 तक कार्यान्वित किया जाना था. दूसरे चरण में कलस्टर गवर्नेंस सिस्टम्स, उत्पाद गुणवत्ता में सुधार और विभिन्न गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं के स्थाई उत्पादन और सेवाओं में सुधार के लिये 28 फरवरी, 2018 तक दो वर्षों की अवधि के लिये विभिन्न कदम उठाना शामिल है.
पर्यावरण और उपयोग अनुकूल उत्पाद शुरू करने के लिये जानेमाने फैशन डिजाइनरों को भी संलग्न किया जा रहा है. प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई नई योजना ‘ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट‘ से वैश्विक मानकों के अनुरूप गुणवत्ता वृद्धि में सहायता मिलेगी. केवीआईसी खादी को एक फैशन अनुकूल फैब्रिक के तौर पर बढ़ावा देने और प्रमुख शहरों में प्रीमियम लांज खोलने पर विचार कर रहा है. केवीआईसी के 7000 से अधिक शोरूम हैं जिन्हें खादी उत्पादों के बिक्री केंद्रों के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. मंत्रालय अधिक फ्रेंचाइजीज और ई-कामर्स सेल्स के लिये साझेदारी में खादी स्टोर्स के नेटवर्क के विस्तार के लिये भी प्रयास कर रहा है. केवीआईसी कागजी कामकाज कम करने और समय की बचत के लिये ई-गवर्नेंस की सुविधा के लिये अपनी प्रणालियों को डिजिटाइज करने पर भी विचार कर रहा है.
अरुण खन्ना संस्थापक/निदेशक, सामाजिक उत्तरदायित्व परिषद हैं. ई-मेल:khurana@arunkhurana.com