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संपादकीय लेख


Volume-9

सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा: संदर्श

एस बी सिंह

एक सवाल आमतौर पर पूछा जाता है कि सिविल सेवा परीक्षा (जो आईएएस परीक्षा के रूप में अधिक लोकप्रिय है) विविध शैक्षिक विषयों से सम्बद्ध लाखों मेहनती प्रत्याशियों को क्यों आकर्षित करती है? इस प्रश्न का सामान्य उत्तर यह है कि सिविल सेवाएं न केवल पद, प्रतिष्ठा, सुरक्षा और सरकारी नौकरी की सुख-सुविधाएं प्रदान करती हैं, बल्कि लोगों, समाज और अंतत: राष्ट्र को प्रभावित करने के लिए आवश्यक शक्ति भी प्रदान करती हैं. जहां इतना कुछ दांव पर लगा हो, वहां प्रतिभागियों के बीच इस परीक्षा को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है. प्रतियोगिता के सभी तीनों स्तर (यानी प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और व्यक्तित्व परीक्षण) चुनौतीपूर्ण होते हैं. परंतु, प्रतियोगिता का प्रथम स्तर यानी प्रारंभिक परीक्षा सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण है. हालांकि प्रारंभिक परीक्षा एक तरह का क्वालिफाइंग टेस्ट मात्र है, जो उम्मीदवार को मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान करता है. परंतु, तथ्य यह है कि यह चरण अत्यंत खौफनाक और भयभीत करने वाला होता है. खौफनाक इसलिए है, क्योंकि कुल 4-5 लाख प्रतिभागियों में से करीब 15,000 उम्मीदवारों को इस स्तर पर चुना जाता है. इस तरह यह वास्तव में एक क्वालिफाइंग परीक्षा से बढ़ कर निष्कासन प्रक्रिया में तब्दील हो जाती है और प्रतिभागियों में सर्वाधिक प्रतिभाशाली व्यक्तियों को ही विफलता का खतरा बना रहता है. अगर कोई उम्मीदवार इस स्तर पर विफल हो जाता है, तो उसे परीक्षा क्वालिफाई करने और मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए पूरे साल भर इंतजार करना पड़ता है. यह भयभीत करने वाली इसलिए है क्योंकि परीक्षा के लिए बहुत कुछ पढऩा पड़ता है. इसमें इतिहास, संस्कृति, भूगोल, पर्यावरण और पारिस्थितिकी, राज्य व्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे परंपरागत विषयों से लेकर सम-सामयिक और समकालीन मुद्दों तक विविध विषय शामिल होते हैं. मुख्य परीक्षा में मुद्दों की केवल धारणात्मक समझ की अपेक्षा की जाती है जबकि प्रारंभिक परीक्षा में धारणात्मक समझ और तथ्यपरक ज्ञान दोनों का परीक्षण होता है, जो इस परीक्षा के क्षेत्र को बृहत्त बनाता है. इस संदर्भ में विचार करने पर प्रारंभिक परीक्षा किसी भी व्यक्ति के स्नायुतंत्र, दृढ़ता, सुसंगतता और अध्यवसाय का सही परीक्षण होती है.
प्रारंभिक परीक्षा के अनिवार्य पहलू
प्रतियोगी परीक्षा के प्रति कोई एकल, नियत पद्धति नहीं हो सकती और उसके लिए विभिन्न परिप्रेक्ष्यों को ध्यान में रख कर आगे बढ़ा जाता है. फिर भी मूलभूत बातें वही होती हैं. जहां तक आईएएस प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्न है, इसकी बुनियादी बातों को निम्नांकित रूप में रखा जा सकता है.
1. यह परीक्षा आपकी धारणात्मक स्पष्टता और तथ्यपरक जानकारी दोनों का परीक्षण करती है: मुख्य परीक्षा और प्रारंभिक परीक्षा में बुनियादी अंतर यह है कि प्रारंभिक परीक्षा में लेखन कौशल के जरिए आपकी धारणात्मक समझ का परीक्षण किया जाता है. जबकि मुख्य परीक्षा में धारणाओं और तथ्यों, दोनों की जांच होती है. उदाहरण के लिए यदि आप प्रारंभिक परीक्षा के लिए इतिहास में बौद्ध धर्म और जैन धर्म का अध्ययन कर रहे हैं, तो आपसे आत्मा, ईश्वर, दोनों धर्मों में परस्पर रूपांतरण के बारे में कोई प्रश्न पूछा जा सकता है, जिसका उत्तर देने के लिए सम्बद्ध धारणाओं की अच्छी और स्पष्ट समझ अपेक्षित है. इसके बाद एकल तथ्यों, उदाहरण के लिए विभिन्न बौद्ध धर्म सभाओं और उनके आयोजन के स्थानों आदि के बारे में भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं.
2. यह आईएएस और आईएफएस (भारतीय वन सेवा) के लिए एक समान परीक्षा है: चूंकि यह आईएएस और आईएफएस, दोनों के लिए एक संयुक्त परीक्षा है, अत: प्रारंभिक परीक्षा का प्रारूप संशोधित किया गया है ताकि दोनों के साथ न्याय हो सके. इससे पहले, इतिहास, राजनीति, अर्थशास्त्र जैसे परंपरागत क्षेत्रों के बारे में बड़ी संख्या में प्रश्न पूछे जाते थे. परंतु, अब भूगोल, पर्यावरण, पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन, वानिकी जैसे विषयों में अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं ताकि इस संयुक्त परीक्षा में बैठने वाले आईएफएस उम्मीदवारों का मूल्यांकन किया जा सके. परीक्षा के नए स्वरूप का ध्यान आपकी तैयारी के केंद्र में अवश्य रखा जाना चाहिए.
3. यह परीक्षा एनसीईआरटी की पुस्तकों मात्र पर निर्भर नहीं है: प्रारंभिक परीक्षा में चुने जाने के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकें पढऩे की सलाह आपको सभी देते हैं. यह काफी हद तक सही है. लेकिन, आपको यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि एनसीईआरटी की पुस्तकें सभी सवालों का जवाब दे सकती हैं. हालांकि ये पुस्तकें धारणाओं के बारे में उत्कृष्ट हैं, लेकिन उनमें परीक्षा में पूछे जाने वाले तथ्यपरक ब्यौरों की कमी है. इसलिए, आपको एनसीईआरटी की पुस्तकों से परे जाकर भी कुछ अन्य पुस्तकें देखनी होंगी.
4. जाने माने तथ्य महत्वपूर्ण होते हैं. लेकिन, कम उजागर तथ्यों का भी महत्व होता है: इसमें कोई संदेह नहीं कि इतिहास, भूगोल आदि विषयों के बारे में आपको सभी जाने माने तथ्यों की जानकारी होनी चाहिए. परंतु, साथ ही आपको कम प्रचलित तथ्यों की भी जानकारी होनी चाहिए क्योंकि यूपीएससी में ऐसे प्रश्न पूछने का अधिक चलन है. कम ज्ञात तथ्यों से मेरा अभिप्राय: ऐसे सवालों से है, जो समाचारों या पुस्तकों में प्रमुखता से नहीं दर्शाए जाते हैं. उदाहरण के लिए कला और संस्कृति का अध्ययन करते समय यह संभव है कि कोई उम्मीदवार सभी प्रमुख मंदिरों के बारे में अध्ययन करे. लेकिन, जबलपुर में एक मंदिर है, जिसे चौसठ योगिनी मंदिर कहा जाता है, जिसकी जानकारी गिने चुने लोगों को है. इसका महत्व इस बात में निहित है कि हमारे संसद भवन का वास्तुशिल्प इस मंदिर के वास्तुशिल्प से प्रभावित है. तैयारी करते समय ऐसे तथ्यों पर ध्यान देना आवश्यक है.
5. पिछले 15 वर्षों के संघ लोक सेवा आयोग के प्रश्नपत्रों का अभ्यास अवश्य करना चाहिए: मैं आपको प्रारंभिक परीक्षा में सफलता के लिए एक मंत्र दे रहा हूं. यदि आप सम-सामयिक विषयों को छोड़ कर पिछले 15 वर्षों में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षाओं के सामान्य अध्ययन के प्रश्न पत्रों का अभ्यास कर लेते हैं, तो आपको 15-20 सवाल आसानी से मिल जाएंगे. पिछले वर्षों के कुछ प्रश्न अवश्य दोहराए जाते हैं. इसके अलावा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सीएपीएफ, एनडीए जैसी परीक्षाओं के पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों से भी कुछ सवाल लिए जाते हैं. कुछ सवाल एसएससी परीक्षा से भी पूछे जाते हैं. इसलिए वाणिज्यिक कोचिंग केंद्रों और वेबसाइटों के जरिए अभ्यास कराए जाने वाले प्रश्नों की बजाए बुद्धिमानी इसमें है कि पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों में पूछे गए सवालों का अभ्यास करें, क्योंकि वे प्रामाणिक होते हैं और उनके दोहराए जाने की संभावना अधिक होती है.
6. सी-सैट के लिए रणनीति: सी-सैट का स्वरूप क्वालिफाइंग किस्म का होता है, जिसमें उत्तीर्ण अंक (केवल 33:) प्राप्त करना जरूरी होता है. अत: सी-सैट के लिए अधिक समय देने का कोई औचित्य नहीं है. सी-सैट से निपटने का उत्कृष्ट तरीका यही होगा कि सी-सैट सिलेबस से ऐसे विषयों की पहचान कर लें, जिनमें आप अपने को अधिक पारंगत समझते हैं. उस विषय में बेहतर प्रदर्शन करें ताकि क्वालिफाइंग अंक हासिल किए जा सकें. उदाहरण के लिए, यदि आप गणित और तर्कशक्ति में अच्छे हैं तो उसे अपनी ताकत बनाएं और उनमें आप क्वालिफाई करने के लिए अपेक्षित अंक प्राप्त कर लेंगे. इसी प्रकार यदि आप अपने को कॉम्प्रिहेंसन यानी विषय-बोध में पारंगत मानते हैं तो उसका इस्तेमाल करें और परीक्षा में लाभ उठाएं.   
सामान्य अध्ययन सिलेबस की समस्याओं का समाधान:
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के समसामयिक विषय: प्रारंभिक परीक्षा के सिलेबस का यह सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इसका कवरेज क्षेत्र और स्वरूप अत्यन्त व्यापक एवं विविधता युक्त है. असल समस्या समसामयिक घटनाओं की नहीं है, बल्कि इसके प्रति उम्मीदवारों की अभिरुचि की है. समसामयिक घटनाओं का अध्ययन रोजमर्रा के आधार पर किया जाना चाहिए, परन्तु ज्यादातर उम्मीदवार इसे प्रारंभिक परीक्षा की तारीख निकट आने तक स्थगित करते रहते हैं और फिर यकायक उसके प्रति घबराहट होने लगती है. अंतिम क्षणों में समसामयिक घटनाक्रम का अनुशीलन निश्चित रूप से किसी के लिए भी अत्यन्त कठिन बन जाता है. अत: यह जरूरी है कि इसे हर रोज के अध्ययन का हिस्सा बनाया जाये. दूसरे विभिन्न समसामयिक विषयों की जानकारी प्राप्त करने के स्रोत विविध होने चाहिएं. कम से कम 2-3 अखबारों का आद्योपान्त अध्ययन किया जाना चाहिए. इनमें कम से कम एक विदेशी साप्ताहिक जैसे द इकोनोमिस्ट, टाइम, न्यूजवीक का परिशीलन अवश्य किया जाना चाहिए. पिछले एक वर्ष की घटनाओं का विस्तार से संकलन किया जाना चाहिए. इसके अतिरिक्त उससे पिछले दो वर्षों की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का ताजा अनुशीलन भी किया जाना चाहिए.
इतिहास और संस्कृति: हाल ही में यह प्रवृत्ति देखी गई है कि कला और संस्कृति पर अधिक प्रश्न पूछे जाने लगे हैं. इसके लिए आपको ए एल बाशम की पुस्तक ‘‘द वंडर दैट वाज इंडिया’’, ‘‘द गजेटियर ऑफ इंडिया’’ आदि का अनुशीलन करना चाहिए. इसमें आधुनिक भारत पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि इतिहास के सिलेबस से अधिकतर प्रश्न इसी काल खंड से संबंधित होते हैं. प्राचीन और मध्ययुगीन जानकारी के लिए आप एनसीईआरटी की पुस्तकों पर निर्भर कर सकते हैं, लेकिन आधुनिक भारत के इतिहास के लिए 2-3 अलग-अलग पुस्तकें पढऩा अनिवार्य होगा.       
भूगोल: भूगोल में, पर्यावरण और पारिस्थितिकी भी शामिल हैं, जिनकी प्रारंभिक परीक्षा में व्यापक हिस्सेदारी होती है. भूगोल खंड पर समुचित ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि किसी भी अन्य खंड की तुलना में यह खंड अधिक अंक दिलाने वाला होता है. भूगोल को समझने  के लिए एटलस यानी मानचित्रों का अध्ययन लाभदायक होता है. पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए एन्विस इंडिया जैसी वेबसाइट और डाउन टू अर्थ जैसी पत्रिकाएं कारगऱ सिद्ध हो सकती हैं.  
राज्य-व्यवस्था: भारतीय संविधान की गहन जानकारी प्राप्त करके आप राज्य-व्यवस्था संबंधी प्रश्नों का भली-भांति उत्तर दे सकते हैं. भारतीय संविधान पर कोई अच्छी पुस्तक पढ़ी जा सकती है, परन्तु उसके साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों और उनकी व्याख्याओं का अध्ययन भी आवश्यक है. इसके लिए मैं भारतीय संविधान पर लिखी पीएम बख्शी की पुस्तक पढऩे की अनुशंसा करता हूं. यहां यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि संवैधानिक प्रावधानों के साथ-साथ न्यायपालिका, विधायिका के शासन संबंधी मुद्दों से जुड़ी समसामयिक घटनाओं पर निगाह रखी जानी चाहिए. राज्यव्यवस्था और विधि संबंधी मुद्दों की अद्यतन जानकारी रखने के लिए मैं दो वेबसाइट देखने की सलाह देता हूं ये हैं: लाइव लॉ और पीआरएस इंडिया .
आर्थिक और सामाजिक विकास :
संख्या की दृष्टि से देखें तो अर्थशास्त्र के बारे में अपेक्षाकृत कम संख्या में प्रश्न पूछे जाते हैं, फिर भी, तत्संबंधी समसामयिक घटक में बढ़ोतरी हो रही है. दूसरे शब्दों में अर्थशास्त्र के बारे में परम्परागत प्रश्नों की बजाय समसामयिक आर्थिक प्रश्न अधिक संख्या में पूछे जाते हैं. इससे यह अत्यन्त आवश्यक हो जाता है कि आप बजट, आर्थिक समीक्षा की गहन जानकारी रखें और हलके गुलाबी रंग में छपने वाले अखबारों (आर्थिक या वित्तीय अखबार हल्के गुलाबी रंग के अखबारी कागज़ पर छपते हैं) का ध्यानपूर्वक अनुशीलन करें.  
सरकारी योजनाएं, नीतियां और कार्यक्रम: सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बड़ी संख्या में प्रश्न पूछे जाते हैं. इसके लिए आपको महत्वपूर्ण सरकारी वेबसाइटों, विशेषकर  विभिन्न कल्याण कार्यक्रम संचालित करने वाले मंत्रालयों जैसे कृषि, ग्रामीण विकास, सामाजिक न्याय, महिला और बाल विकास, की वेबसाइटें देखनी चाहिए. यहां समस्या यह है कि सरकारी योजनाओं  और कार्यक्रमों से संबंधित प्रश्न सामान्य कि़स्म के नहीं होते हैं. किसी खास स्कीम के बारे में सूक्ष्म जानकारी रखने तक की अपेक्षा की जाती है. अत: प्रत्येक सरकारी कार्यक्रम का बारीकी से अध्ययन करना चाहिए, अन्यथा प्रश्न में दिए गए सही वैकल्पिक उत्तर तक पहुंचना कठिन होगा, भले ही आपको उस कार्यक्रम की जानकारी हो.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी: इस खंड को भली-भांति कवर करने के लिए दो सूत्री नीति अपनायी जानी चाहिए. पहली यह कि भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव-विज्ञान के बुनियादी सिद्धांतों को भली-भांति समझने के लिए एनसीईआरटी की विज्ञान पर लिखी पुस्तकें अवश्य  पढ़ लेनी चाहिएं. दूसरी यह कि अनुप्रयुक्त विज्ञान (जिसमें ज्यादातर समसामयिक घटनाक्रम की जानकारी शामिल है) को समाचार पत्रों और वैज्ञानिक पत्रिकाओं के ज़रिए अवश्य कवर किया जाना चाहिए.
अध्ययन के लिए सुझायी गई पुस्तकों की सूची
समसामयिक घटनाक्रम:
1.इंडिया ईयर बुक-2017
2.इकोनोमिक सर्वे 2016-17
3.विभिन्न मंत्रालयों, जैसे पर्यावरण और वन, जनजातीय कल्याण, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय, ग्रामीण विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, परमाणु ऊर्जा, नवीकरण ऊर्जा, आदि की वार्षिक रिपोर्टें.
4.अखबार: टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, बिजनेस स्टैंडर्ड, मिन्ट, एम्प्लॉमेंट न्यूज/रोजगार समाचार.
5.पत्रिकाएं: फ्रंटलाइन, डाउन टू अर्थ, योजना, कुरूक्षेत्र.
6.वेबसाइट: पीआईबी, पीआरएस इंडिया, इन्साइट्स ऑन इंडिया.
इतिहास:
1.एनसीईआरटी: ऐन्शन्ट इंडिया (आर एस शर्मा), मिडिवल इंडिया (सतीश चन्द्र), मॉडर्न इंडिया (बिपन चन्द्र).
2.एएल बाशम: द वंडर दैट वाज इंडिया
3.द गज़ेटियर ऑफ  इंडिया: वोल्यूम-दो
4.बिपन चन्द्र: स्ट्रगल फॉर इंडियाज इंडिपेंडेंस
5.ए आर देसाई: सोशल बैकग्राउंड ऑफ इंडियन नेशॅलिज्म
6.बी एल ग्रोवर: मॉडर्न इंडिया
7.आर सी प्रधान: राज टू स्वराज
कला एवं संस्कृति
1.बासिल ग्रे: द आर्ट्स आफ  इंडिया
2.कला और संस्कृति संबंधी प्रकाशन विभाग की पुस्तकें
3.एएल बाशम: द वंडर दैट वाज इंडिया (कला और वास्तुशिल्प संबंधी अध्याय)
4.द गज़ेटियर ऑफ इंडिया: वोल्यूम-दो (कला, साहित्य और संस्कृति संबंधी अध्याय)
भूगोल:
1.कक्षा 6 से 12 तक की भूगोल संबंधी सभी एनसीईआरटी पुस्तकें
2.भूगोल के बारे में आईसीएसई द्वारा प्रकाशित पुस्तकें: 8वीं से 10वीं तक के स्तर की.
3.गोह चेह लिओंग: सर्टिफिकेट ह्यूमन एंड फिजिकल जिओग्रैफी
4. एटलस-ऑक्सफोर्ड इंडिया प्रकाशन
राजनीति और संविधान:
1.पी एम बख्शी: कंस्टिट्यूशन ऑफ  इंडिया
2.डी डी बासु: कंस्टिट्यूशन ऑफ  इंडिया
3.एस सी कश्यप: अवर कंस्टिट्यूशन
4.एम पी सिंह: इंडियन फेडरलिज्म
5.बी के शर्मा: इंडियन कंस्टिट्यूशन
अर्थशास्त्र:
1.एनसीईआरटी: इंडियन इकोनोमिक डिवेलपमेंट
2.मिश्रा और पुरी: इंडियन इकोनॉमी
3.इकोनोमिक सर्वे 2015-16
4.योजना
5.बिजनेस स्टैंडर्ड, मिन्ट अखबार
सामान्य विज्ञान:
1.एनसीईआरटी: कक्षा 10 के स्तर की भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान औेर कक्षा 11 और 12 स्तर की जीवविज्ञान संबंधी पुस्तकें
2.पत्रिका: डाउन टू अर्थ (यह सूची संकेतात्मक है).
(एसबी सिंह जाने-माने शिक्षाविद् और आईएएस परामर्शदाता हैं. उनका ई-मेल है: sb_singh2003@yahoo.com) आलेख में व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं.
चित्र: साभार गूगल