चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में एम.बी.बी.एस. एवं बी.डी.एस. के अलावा अन्य विकल्प
डॉ. अंकुर गर्ग
भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीवविज्ञान विषयों के साथ बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, छात्र और उनके अभिभावक सोचते हैं कि औषधि/चिकित्सा के क्षेत्र में कॅरिअर की संभावनाओं के लिए केवल एम.बी.बी.एस. और बी.डी.एस. पाठ्यक्रम ही होते हैं. किंतु इन पाठ्यक्रमों में उपलब्ध सीटों की संख्या सीमित होने के कारण सभी छात्र प्रवेश-परीक्षाओं में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते. इस लेख में ऐसे अन्य विकल्पों का उल्लेख करने का प्रयास किया गया है जो छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए उपलब्ध हैं.
बी.ए.एम.एस. (आयुर्वेदिक औषधि एवं शल्य चिकित्सा स्नातक):
आयुर्वेदिक विश्व की एक प्राचीन औषधि-प्रणाली है. यह प्रणाली वैदिक काल से प्रचलन में है. आयुर्वेद चिकित्सा परिचर्या प्रणाली ऐसी संकल्पना पर आधारित है जिसमें शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता आयुर्वेदिक थैरेपी द्वारा बढ़ाई जाती है. आयुर्वेदिक उपचार में लक्षण घटाना, विकारों को समाप्त करना, चिंता घटाना, रोग प्रतिरोध-क्षमता बढ़ाना और रोगी के जीवन में समरसता में वृद्धि करता शामिल है.
पाठ्यक्रम का उद्येश्य बी.ए.एम.एस. डिग्री हेतु आयुर्वेद का मूल ज्ञान प्रदान करना है. इसका उद्देश्य आयुर्वेद के विभिन्न विषयों में मूल और आधारभूत ज्ञान तथा व्यापक व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त आयुर्वेद-स्नातक तैयार करना है. देश की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान करने के लिए छात्र एक कुशल अध्यापक, अनुसंधान कर्ता, स्कॉलर और एक सक्षम आयुर्वेदिक फिजिशियन (काय चिकित्सक) और सर्जन (शल्य चिकित्सक) बन सकता है. भारत मेंं बी.ए.एम.एस. पाठ्यक्रम केन्द्रीय भारतीय औषधि परिषद् आई.एम.सी.सी. अधिनियम, १९७० के अधीन एक सांविधिक निकाय, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शासित किया जाता है.
पाठ्यक्रम की अवधि ५ १/२ वर्ष है, जिसमें से ४ १/२ वर्ष शैक्षिक सत्र के होते हैं और १ वर्ष अनिवार्य इंटर्नशिप का होता है.
पाठ्यक्रम चलाने वाले कुछ कॉलेज:
*श्री धन्वंतरी आयुर्वेदिक कॉलेज, चंडीगढ़ .
*राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंगलुरु, कर्नाटक.
*गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर, गुजरात.
*जे.बी.राय राज्य चिकित्सा कॉलेज, कोलकाता पश्चिम बंगाल.
*आयुर्वेद चिकित्सा कॉलेज, कोल्हापुर, महाराष्ट्र.
*राज्य आयुर्वेदिक कॉलेज ऑफ लखनऊ, उत्तर प्रदेश.
*श्री आयुर्वेद महाविद्यालय, नागपुर, महाराष्ट्र.
*ऋषिकुल राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल, हरिद्वार, उत्तराखंड.
*दयानंद आयुर्वेदिक कॉलेज, जलंधर, पंजाब.
*अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज, इदौर, मध्य प्रदेश.
*राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर, राजस्थान.
*आयुर्वेद महाविद्यालय, मुंबई, महाराष्ट्र.
*आयुर्वेदिक एवं यूनानी, तिब्बिया कॉलेज, नई दिल्ली.
*श्री कृष्ण राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, कुरुक्षेत्र, हरियाणा.
*राजीव गांधी राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश.
*एन.टी.आर. स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, विजयवाड़ा, आंध्र पदेश.
*राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, रायपुर, छत्तीसगढ़.
*राज्य आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल गुरुकुल, कांगड़ी हरिद्वार, उत्तराखंड.
*राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, नागपुर, महाराष्ट्र.
पाठ्यक्रम के बाद उच्च अध्ययन के लिए उपलब्ध विकल्प :
*एम.डी. (आयुर्वेद)
*एम.एस. (आयुर्वेद धन्वंतरी)
*एम.डी. (आयुर्वेद वाचस्पती)
*एम.डी. (आयुर्वेद)
*एम.डी. या एम.एस. (आयुर्वेद वाचस्पती)
*एम.एस. (आयुर्वेद)
*बी.एच.एम.एस. (होमियोपैथिक औषधि एवं शल्यचिकित्सा स्नातक)
इस विधा का उद्देश्य होमियोपैथिक पद्धत्ति एवं औषधि का प्रयोग करके रोगियों का उपचार करना है. बी.एच.एम.एस. (होमियोपैथिक औषधि एवं शल्यचिकित्सा स्नातक) डिग्री धारी उम्मीदवार डॉक्टर कहलाने का पात्र होता है और वह प्राइवेट प्रैक्टिस करने का पात्र होता है. होमियोपैथिक प्रेक्टिशनर एक मेडिकल रिप्रजेंटेटिव के रूप में या प्राइवेट अथवा सरकारी अस्पताल में डॉक्टर के रूप में कॅरिअर तलाश सकता है.
इस क्षेत्र के व्यवसायी होमियोपैथिक प्रिपरेशंस से जुड़ी कंपनियों में कार्य कर सकते हैं. कोई भी व्यक्ति होमियोपैथिक कॉलेजों में प्रोफसर या अनुसंधानकर्ता के रूप में रोज़गार प्राप्त कर सकते हैं.
भारत में बी.एच.एम.एस. पाठ्यक्रम केन्द्रीय होमियोपैथिक परिषद, आयृुष मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय द्वारा शासित किया जाता है.
पाठ्यक्रम की अवधि ५१/२ वर्ष है, जिसमें से ४१/२ वर्ष शैक्षिक सत्र के होते हैं और एक वर्ष अनिवार्य इंटर्नशिप का होता है.
पाठ्क्रम चलाने वाले कुछ कॉलेज
*राष्ट्रीय होमियोपैथिक संस्थान, कोलकाता, पश्चिम बंगाल.
*नेहरू होमियोपैथिक चिकित्सा कॉलेज एवं अस्पताल, नई दिल्ली.
*डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश.
*भारती विद्यापीठ होमियोपैथिक चिकित्सा कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र.
*राजकीय होमियोपैथिक चिकित्सा कॉलेज, बंगलौर, कर्नाटक.
*बाबा फरीद स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, फरीदकोट, पंजाब.
*बड़ौदा होमियोपैथिक चिकित्सा कॉलेज, वड़ोदरा, गुजरात.
*बाक्सन होमियोपैथिक चिकित्सा कॉलेज एवं अस्पताल, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश.
*श्री साई राम होमियोपैथिक चिकित्सा कॉलेज एवं अनुसंधान केन्द्र, चैन्नै, तमिलनाडु.
*भारतेश होमियोपैथिक चिकित्सा कॉलेज एवं अस्पताल, बेलगाम, कर्नाटक.
*सी.एम.पी. होमियोपैथिक चिकित्सा कॉलेज, मुंबई, महाराष्ट्र.
*वेंकटेश्वर होमियोपैथिक चिकित्सा कॉलेज, चैन्नै, तमिलनाडु.
*धोंडुमामा साठे होमियोपैथिक चिकित्सा कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र.
उच्च अध्ययन के लिए उपलब्ध विकल्प :-
मास्टर ऑफ साइंस:-
*रिजेनरेटिव साइंस
*मनश्चिकित्सा
*जानपदिक रोग विज्ञान
*अस्पताल प्रबंधन (एम.एच.एम.)
डॉक्टरेट :-
*मेडिसिन इन ऑर्गेनॉन ऑफ मेडिसिन एवं होमियोपैथिक फिलोस्फी.
*होमियोपैथिक प्रेक्टिस ऑफ मेडिसिन.
*होमियोपैथिक फार्मेसी.
*बी.यू.एम.एस. (यूनानी औषधि एवं शल्यचिकित्सा में स्नातक)
यूनानी औषधि प्रणाली, विश्व के दक्षिण एशिया एवं मध्य-पूर्व देशों द्वारा अपनाई गई एक प्राचीन औषधि प्रणाली है. यह ‘‘हिकमत या यूनानी तिब्ब औषधि के नाम से भी प्रसिद्ध है. इसका इतिहास ६००० वर्ष पुराना है. भारत में एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होमियोपैथिक प्रणाली के बाद यूनानी चौथी सबसे लोकप्रिय औषधि प्रणाली है. बी.यू.एम.एस. पाठ्यक्रम कामिल-ए-तिब्ब-ओ-जोहरत नााम से भी प्रसिद्ध है. भारत में बी.यू.एम.एस. पाठ्यक्रम भारतीय औषधि परिषद्, आई.एम.सी.सी. अधिनियम १९७० के अंतर्गत आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के एक सांविधिक निकाय द्वारा शासित होता है.
यह यूनानी औषधि एवं शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में एक स्नातक डिग्री पाठ्यक्रम है. यह डिग्री यूनानी औषधि-क्षेत्र में डॉक्टर (हकीम) बनने के लिए यह एक पर्याप्त है. यूनानी एक वैकल्पिक औषधि प्रणाली है. इस प्रणालाी में रोगियों परिचर्या, शरीर की प्राकृतिक उपचार शक्ति को बढ़ा कर की जाती है. यूनानी संकल्पना यह है कि शरीर अपना उपचार स्वयं करता है क्योंकि इसमें स्व-उपचार क्षमता होती है. हमें केवल इसकी प्राकृतिक उपचार शक्ति बढ़ा कर इसकी सहायता करनी होती है.
पाठ्यक्रम की अवधि ५ १/२ वर्ष है. जिसमें से ४ १/२ वर्ष का शैक्षिक सत्र होता है और एक वर्ष की अनिवार्य इंटर्नशिप होती है.
पाठ्यक्रम चलाने वाले कुछ कॉलेज :
*राजकीय निजामिया तिब्बिया कॉलेज, हैदराबाद, आंध प्रदेश.
*डॉ. अब्दुल हक यूनानी चिकित्सा कॉलेज, कर्नूल, आंध्र प्रदेश.
*आयुर्वेद एवं यूनानी तिब्बिया कॉलेज (यूनानी), दिल्ली.
*औषधि (यूनानी) संकाय, जामिया हमदर्द, दिल्ली.
*यूनानी चिकित्सा कॉलेज एवं अस्पताल, श्रीनगर, जम्मू- कश्मीर.
*कश्मीर तिब्बिया कॉलेज, श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर.
*राष्ट्रीय यूनानी औषधि संस्थान, बंगलौर, कर्नाटक.
*टीपू सुल्तान शहीद शैक्षिक न्यास यूनानी चिकित्सा कॉलेज, गुलबर्गा, कर्नाटक.
*लुकमान यूनानी चिकित्सा कॉलेज एवं अस्पताल, बीजापुर, कर्नाटक.
*हकीम अब्दुल हमीद यूनानी चिकित्सा कॉलेज, देवास, मध्यप्रदेश.
*सैफिया हमीदिया यूनानी तिब्बिया कॉलेज एवं अस्पताल, खंडवा, मध्य प्रदेश.
*अल-फारूक यूनानी तिब्बिया कॉलेज, इंदौर, मध्य प्रदेश.
*हकीम सैयद जियॉल हासन राजकीय यूनानी चिकित्सा कॉलेज, भोपाल, प्रदेश.
*अंजुमन-ए-इस्लाम डॉ इशाक जम खाना वाला तिब्बिया यूनानी चिकित्सा कॉलेज एवं हाजी अब्दुल रज़ाक, मुंबई, महाराष्ट्र.
*युनूस फेजियानी यूनानी चिकित्सा कॉलेज, औरंगाबाद, महाराष्ट्र.
*मोहम्मदिया तिब्बिया कॉलेज एवं असेयर अस्पताल, नासिक, महाराष्ट्र.
*इ$करा सोसायटी यूनानी चिकित्सा कॉलेज, जलगांव, महाराष्ट्र.
*अहमद गरीब यूनानी चिकित्सा कॉलेज एवं अस-सलाम अस्पताल, नंदुरबार, महाराष्ट्र
*जुले इरवाबै नाली मोह. यूनानी चिकित्सा कॉलेज चिकित्सा कॉलेज एवं अस्पताल, पुणे, महाराष्ट्र.
बी.एस.सी. नर्सिंग
नर्स अस्पताल तथा सामुदायिक संस्थानों-दोनों में पुराने एवं गंभीर विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों वाले वृद्धजनों, तथा युवा प्रौढ़ व्यक्तियों के साथ कार्य करती है. शिक्षा के माध्यम से स्वास्थ्य को बढ़ावा देना उनकी भूमिका का एक अनिवार्य भाग है. इसमें रोग के रोकथाम और नैदानिक तथा थेरापेटिक उपचार कराने वाले प्रौढ़ों की परिचर्या संपोषण तथा पुनर्वास भी शामिल है. अस्पताल में, एक नर्स के रूप में आपको सर्जिकल विभागों, ऑपरेटिंग विभागों, चिकित्सा विभागों और गहन अत्यधिक निर्भर परिचर्या क्षेत्रों में कार्य करना होगा. नर्सों को समाज के अनेक विभिन्न क्षेत्रों में भी कार्य करते हुए देखा जा सकता है. सामुदायिक नर्सिंग दल बड़ी संख्या में परिचर्या की आवश्यकता वाले रोगियों को उनके घरों में अत्यधिक गुणवत्ता पूर्ण व्यावसायिक परिचर्या देते हैं. नर्स उद्योग तथा वाणिज्य जगत में कार्य-बल के लिए स्वास्थ्य जांच तथा सहायता देने के कार्य भी करती हैं.
बी.एससी. नर्सिंग पाठ्यक्रम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, २००२ में यथा निहित व्यावसायिक नर्सिंग एवं मिडवाइफरी की प्रेक्टिस के लिए एक शैक्षिक ढांचे, विशेष रूप से महत्वपूर्ण सोच कौशल, सक्षमता और मानकों की शिक्षा पर व्यापक रूप से आधारित है. चूंकि इनके कार्यों में घावों या बीमारी की नर्सिंग शामिल है, अधिकांश क्षेत्रों को इन स्नातकों की आवश्यकता होती है, इसलिए इनकी मांग बढ़ रही है और भविष्य में इनकी मांग बढऩे की संभावना है. यह पाठ्यक्रम भारतीय नर्सिंग परिषद के अंतर्गत पंजीकृत एवं नियंत्रित है.
पाठ्यक्रम की अवधि- ४ वर्ष है:
पाठ्यक्रम चलाने वाले कुछ कॉलेज:-
*राक नर्सिंग कॉलेज, दिल्ली.
*सी.एम.सी. वेल्लोर नर्सिंग कॉलेज, वेल्लोर, तमिलनाडु.
*मणिपाल विश्वविद्यालय, मणिपाल नर्सिंग कॉलेज, मणिपाल, कनार्टक.
*अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नर्सिंग विभाग, दिल्ली.
*फादर म्यूलर कॉलेज ऑफ नर्सिंग, मैंगलुरु, कर्नाटक.
*श्री रामचंद्र चिकित्सा विश्वविद्यालय, चेन्नै, तमिलनाडु.
*अपोलो नर्सिंग कॉलेज, चेन्नै, तमिलनाडु.
*राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान; नर्सिंग विभाग, बेंगलुरु, कर्नाटक.
*टाटा स्मारक अस्पताल, मुंबई, महाराष्ट्र.
*स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान; नर्सिंग विभाग चंडीगढ़.
*हिदुंजा अस्पताल, मुंबई; नर्सिंग कॉलेज, मुंबई, महाराष्ट्र.
*कोवइ चिकित्सा केंद्र अनुसंधान एवं शैक्षिक न्यास: नर्सिंग कॉलेज, कोयम्बत्तूर, तमिलनाडु.
*सेंट जॉहन्स नर्सिंग कॉलेज, बेंगलुरु, कर्नाटक.
*अमृता विश्वविद्यालय; नर्सिंग कॉलेज, कोच्चि, केरल.
*एस.आर.एम. विश्वविद्यालय; नर्सिंग कॉलेज, चेन्नै, तमिलनाडु.
*मद्रास चिकित्सा कॉलेज; नर्सिंग कॉलेज, चेन्नै, तमिलनाडु.
*एम.आई.एम.एस. (मिम्स) नर्सिंग कॉलेज, कालीकट, केरल.
*अपोलो नर्सिंग कॉलेज, अपोलो हैल्थ सिटी, हैदराबाद तेलंगाना.
पाठ्यक्रम के बाद उच्च अध्ययन के लिए उपलब्ध विकल्प:
*एम.एससी.- जैव प्रौद्योगिकी
*एम.एससी.- चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान एवं चिकित्सा जैव रसायन विज्ञान.
*एम.एससी. तंत्रिका विज्ञान
*एम.एससी. नर्सिंग
*एम.एससी. रीनल साइंस एवं डायलासिस प्रौद्योगिकी
*एम.एससी. चिकित्सा सामाजिकी.
*एम.बीए. भेषज प्रबंधन/अस्पताल प्रबंधन
*स्नातकोत्तर जन-स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यक्रम (पीजीपीपीएचएम)
बी.फार्म. (फार्मेसी स्नातक):
फार्मेसी शिक्षा के क्षेत्र में यह एक स्नातक डिग्री पाठ्यक्रम है. इस पाठ्यक्रम में छात्र, औषधियों और उनमें प्रयुक्त सभी घटकों के रासायनिक एवं कार्बनिक गुणधर्म के विवरण सही मानव शरीर पर उनके प्रभाव के बारे में अध्ययन करते हैं. यह पाठ्यक्रम छात्रों को एक सतर्क व्यवसायी बनना सिखाता है, ताकि सही उपचार के लिए सही औषधि का चयन सुनिश्चित किया जा सके, जिसके लिए, फार्माकोलॉजी, रसायन विज्ञान, भेषज रसायन विज्ञान, जैव रसायन विज्ञान, कायनेटिक्स, फार्मेसी प्रबंधन और कम्पाउंडिंग मेडिकेशन के सभी विषय शामिल होते हैं. भारत में फार्मेसी पाठ्यक्रम भारतीय फार्मेसी परिषद (पीसीआई) द्वारा अनुमोदित किए जाते हैं.
यह पाठ्यक्रम ४ वर्ष की अवधि का होता है.
पाठ्यक्रम चलाने वाले कुछ कॉलेज:
*जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय, नई दिल्ली.
*राष्ट्रीय भेषज शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, मोहाली, पंजाब.
*विश्वविद्यालय भेषज विज्ञान संस्थान, चंडीगढ़.
*रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई, महाराष्ट्र.
*राष्ट्रीय भेषज शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, तेलंगाना.
*बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी, राजस्थान.
*मणिपाल भेषज विज्ञान कॉलेज, मणिपाल, कर्नाटक.
*पूना फार्मेसी कॉलेज, इरांडवानी, पुणे, महाराष्ट्र.
*एस.आर.एम. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नै, तमिलनाडु.
*जे.एस.एस. फार्मेसी कॉलेज, मैसूर, कर्नाटक.
*डॉ. हरिसिंह गौड़ विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश.
*बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची, झारखंड.
*अन्नामलै विश्वविद्यालय, अन्नामलैनगर, तमिलनाडु.
*दिल्ली भेषज विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली.
*राजकीय चिकित्सा कॉलेज, तिरुवनंतपुरम, केरल.
*राजकीय फार्मेसी कॉलेज, बेंगलुरु, कर्नाटक.
फार्मेसी पाठ्यक्रम में उपलब्ध अन्य विकल्प:
*डिप्लोमा इन फार्मेसी (डी. फार्म.)
*मास्टर ऑफ फार्मेसी (एम. फार्म.)
*डॉक्टरेट इन फार्मेसी (फार्म. डी.)
बी.वी. एस-सी. एवं ए.एच. (पशुचिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन में स्नातक).
यह विषय पशुओं में होने वाले रोगों की रोकथाम तथा उपचार करने के लिए जीव विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग पर केंद्रित है. पशुचिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन में स्नातक (बी.वी.एस-सी. एवं एच.) डिग्री भारत में चिकित्सा शिक्षा के पशु चिकित्सा शिक्षा भाग में शामिल है और इसलिए भारतीय पशुचिकित्सा परिषद के अधीन है. यह कार्यक्रम मुख्य रूप से पशुचिकित्सा एनॉटमी, पशुचिकित्सा शरीर विज्ञान और जैव रसायन विज्ञान तथा पशुधन जनन और प्रबंधन पर केंद्रित होता है.
इस पाठ्यक्रम में स्नातक होने के बाद कोई भी व्यक्ति सरकारी/प्राइवेट पशुचिकित्सा अस्पताल में कार्य ग्रहण कर सकता है और पशुचिकित्सा डॉक्टर या सर्जन के रूप में कार्य प्रारंभ कर सकता है. कोई भी व्यक्ति अपना क्लीनिक भी चला सकता है और निजी प्रैक्टिस कर सकता है, उदाहरण के लिए पालतू पशु परिचर्या क्लीनिक आदि. पशु कल्याण के उद्देश्य से कार्यरत एन.जी.ओ. भी पशुचिकित्सा विज्ञान स्नातकों को सेवा में रखते हैं. स्नातक पशु स्वास्थ्य एवं औषधियों के क्षेत्र में अनुसंधान व्यवसायी के रूप में कार्य कर सकते हैं. आप पोल्ट्री फार्म, पशुधन फार्म, चिडिय़ाघर आदि जैसे स्थानों पर भी कार्य कर सकते हैं. आप पशुचिकित्सा औषधियों एवं टीकों से जुड़े फार्मेसी क्षेत्र में भी कार्य कर सकते हैं. गुणवत्ता नियंत्रण, पशुधन स्वास्थ्य परिचर्या और पशुधन प्रबध्ंन कार्यों की देख-रेख के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भी पशुचिकित्सा विज्ञान स्नातकों को कार्य में रखते हैं.
यह पाठ्यक्रम ५ वर्ष की अवधि का होता है, जिसमें छह महीने अनिवार्य इंटर्नशिप के होते हैं.
पाठ्यक्रम चलाने वाले कुछ कॉलेज:-
*कर्नाटक पशुचिकित्सा पशु एवं मात्स्यिकी विज्ञान संस्थान, बीदर, कर्नाटक.
*नागपुर पशुचिकित्सा कॉलेज, नागपुर, महाराष्ट्र.
*महाराष्ट्र पशु एवं मात्स्यिकी विज्ञान विश्वविद्यालय, नागपुर, महाराष्ट्र.
*गुरु अंगद देव पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना, पंजाब.
*तमिलनाडु पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, चेन्नै, तमिलनाडु.
*चौधरी श्रवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश.
*पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान कॉलेज, बीकानेर, राजस्थान.
*पश्चिम बंगाल पशु एवं मात्स्यिकी विज्ञान विश्वविद्यालय, कोलकाता, पश्चिम बंगाल.
*श्री वेंकटेश्वर पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय, तिरुपति, आंध्रप्रदेश.
*सरदार कृषिनगर, दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, पालनपुर, गुजरात.
*राजीव गांधी पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान कॉले•ा
*राजीव गांधी पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुदुच्चेरी.
*केरल पशुचिकित्सा कॉलेज एवं अनुसंधान संस्थान, त्रिचुर, केरल.
*पशुचिकित्सा एवं पशुपालन कॉलेज, मथुरा, उत्तर प्रदेश.
*पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान कॉलेज, उदयपुर, राजस्थान.
*पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान कॉलेज, वायनाड़, केरल.
पाठ्यक्रम के बाद उच्च अध्ययन के लिए उपलब्ध विकल्प:
*मास्टर पशुचिकित्सा विज्ञान (एम.वी.एससी.)
*एम.वी.एससी. पशुचिकित्सा औषधि.
*एमवीएससी. पशुचिकित्सा फार्माकोलॉजी एवं टॉक्सिकोलॉजी.
*एम.वी.एससी. पशुचिकित्सा सर्जरी एवं रेडियोलॉजी.
डॉक्टर पाठ्यक्रम:
*पशुचिकित्सा औषधि में डॉक्टर ऑफ फिलोस्फी (पीएच.डी.)
*पशुचिकित्सा रोग विज्ञान में डॉक्टर ऑफ फिलोस्फी (पीएच.डी.)
*पशुचिकित्सा फार्माकोलॉजी और टॉक्सिकोलॉजी में डॉक्टर ऑफ फिलोस्फी (पीएच.डी.)
बीपीटी (फिजियोथेरैपी में स्नातक)
यह विषय दुर्घटनाओं में घायल या सर्जरी से उबर रहे रोगियों के उपचार के लिए मांसपेशियों की मालिश, कसरत एवं गति से संबद्ध है. यह पाठ्यक्रम मैनुअल थैरेपी, थेरापेटिक एक्सरसाइज और इलेक्ट्रो-फिजिकल मोडेलिटीज के अनुप्रयोग जैसे कौशल प्रदान करता है. फिजियोथैरेपी एक चुनौतीपूर्ण और अत्यधिक दबाव वाला कार्य है, क्योंकि इसमें आपको कई घंटों तक कार्य करना पड़ सकता है. आप में अत्यधिक धैर्य भी होना चाहिए कुछ रोगियों पर उपचार का शीघ्र प्रभाव नहीं पड़ता. श्रम साध्य शिक्षा के अतिरिक्त, किसी भी फियिोथैरेपिस्ट को, विभिन्न व्यायाम करने वाले रोगियों की सहायता करने के लिए अत्यधिक शारीरिक शक्ति/सहनशीलता धारी होना चाहिए.
पाठ्यक्रम की अवधि, छह महीनों की अनिवार्य इंटर्नशिप सहित ४ वर्ष होती है.
पाठ्यक्रम चलाने वाले कुछ कॉलेज
* क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर
*विश्वविद्यालय आयुर्विज्ञान कॉलेज, दिल्ली
* मद्रास चिकित्सा विश्वविद्यालय, चेन्नै, तमिलनाडु
* श्रीरामचंद्र विश्वविद्यालय, चेन्नै, तमिलनाडु
* लोकमान्य तिलक म्यूनिसिपल मेडिकल कॉलेज, मुंबई, महाराष्ट्र
* स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
* महाराष्ट्र चिकित्सा कॉलेज, नागपुर महाराष्ट्र
* टोपीवाला राष्ट्रीय चिकित्सा कॉलेज मुंबई, महाराष्ट्र
* पं. भगवद् दयाल शर्मा स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, रोहतक, हरियाणा
*एम.एस रामैया चिकित्सा कॉलेज, बेंगलुरु, कर्नाटक
* महाराज आयुर्विज्ञान संस्थान, विजयनगरम
* बाबा फरीद स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, फरीदकोट, पंजाब
* समवर्गी स्वास्थ्य विज्ञान स्कूल, मणिपाल विश्वविद्यालय, मणिपाल, कर्नाटक
* महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नासिक, महाराष्ट्र
* महाराजा अग्रसेन चिकित्सा कॉलेज, अगरोहा, हरियाणा.
* एनआईएमएस (निम्स) विश्वविद्यालय, जयपुर राजस्थान
बीएएसएलपी (ऑडियोलोजी एवं स्पीच लैंगुएज पैथोलोजी में स्नातक)
स्पीच एंड हीयरिंग व्यवसाय तुलनात्मक रूप में एक नया विज्ञान है, किन्तु सूचना विज्ञान के हाई-टेक मेडिको पुनर्वास विषय में उन्नत होने से यह विषय काफी प्रचलन में है. स्पीच एवं हीयरिंग विशेषज्ञ, आमतौर ऑडियोलोजिस्ट एवं स्पीच पैथोलोजिस्ट के नाम से जाने जाते हैं और मानसिक अवंमंदन, बहरेपन, सेरेबल डिस्फंक्शन, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम व्यतिक्रम आदि के कारण श्रवण दोष और भाष्य समस्याओं जैसे स्टमरिंग, स्टटरिंग, वॉइस डिसोर्डर्स डिलेड स्पीच तथा भाषा विकास संबंधी विकारों से ग्रस्त व्यक्तियों को सेवाएं देते हैं स्पीच एवं हीयरिंग व्यवसायी संगठनात्मक स्थापना के आधार पर विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं निभाते हैं. किसी अस्पताल में ये स्पीच ऑडियोलोजिस्ट की भूमिका निभाते हैं, जो भाष्य संबंधी दोषों के लिए थैरेपी एवं श्रवण बाधा निर्धारण, मूल्यांकन एवं निदान से जुड़े होते हैं. उद्योगों में ये व्यावसायिक स्वास्थ्य जोखिमों से संबद्ध होते हैं. विकलांग जन संस्थानों में ये एक पुनर्वासकर्ता के रूप में तथा विकलांग जन विशेष विद्यालयों में शैक्षिक ऑडियोलोजी से जुड़े कार्य करते हैं.
इस पाठ्यक्रम की शैक्षिक कार्यक्रम अवधि तीन वर्ष की और इंटर्नशिप अवधि एक वर्ष की होती है.
पाठ्यक्रम चलाने वाले कुछ कॉलेज
* अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स),दिल्ली
* स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान चंडीगढ़
*किश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर
* समवर्गी स्वास्थ्य विज्ञान स्कूल, मणिपाल विश्वविद्यालय, मणिपाल , कर्नाटक
* हेलेन केलर्स ट्रेनिंग कॉलेज फोर द हीयरिंग इम्पेयरमेंट टीचर्स ऑफ द डेफ, सिकंदरबाद, आंध्र प्रदेश
*डा. एस आर चंद्रशेखर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंव हीयरिंग (डा. एस आर सी आई एस एच) बेंगलुरु, कर्नाटक
* फादर म्यूलर्स कॉलेज ऑफ स्पीच एंड हीयरिंग, मेंगलोर, कर्नाटक
* भारतीय स्वास्थ्य शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पटना, बिहार
* स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान (आई एच एस), भुवनेश्वर, ओडिशा
* डॉ एम बी शेट्टी कॉलेज ऑफ स्पीच एंड हीयरिंग इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ साइंसेस, मेंगलोर कर्नाटक
* भारतीय विद्यापीठ पुणे, महाराष्ट्र
* गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली
पाठ्यक्रम के बाद उच्च अध्ययन के लिए उपलब्ध विकल्प
*एम ए एस एल पी (मास्टर ऑफ ऑडियोलोजी स्पीच लैंगुएज पैथोलोजी)
*एमएससी (ऑडियोलोजी)
*पीएचडी (ऑडियोलोजी)
बी ओ टी (व्यावसायिक थैरेपी स्नातक)
व्यावसायिक थैरेपी स्वास्थ्य से जुड़ा व्यवसाय है जो दिव्यांग जनों को सहायता सेवाएं प्रदान करते हैं. ये जन किसी भी आयु-समूह के हो सकते हैं. व्यावसायिक थेरापिस्ट इन व्यक्तियों को उपचार तथा मानसिक समर्थन देकर सहायता करते हैं. ऐसे रोगियों को सामान्य तथा स्वास्थ्य जीवन शैली प्रदान करने हेतु यह थैरेपी दी जाती है. व्यावसायिक थैरेपी मुख्य रूप से, प्रत्येक गतिविधियों में भाग लेने के लिए किसी व्यक्ति की क्षमता बढ़ाने से जुड़ी होती है.
छात्र को धैर्यशील एवं स्थिति से समझौता करने की क्षमताधारी होना चाहिए. उनमें सहानुभूति की क्षमता होनी चाहिए. प्रभावी रूप में संचार करने का कौशल और टीम के रूप में कार्य करना इनके लिए महत्वपूर्ण होता है. इसके अतिरिक्ति सभी इच्छुक व्यक्तियों को कठिन परिश्रम करना आवश्यक होता है. सूक्ष्म दृष्टि एवं मानसिक रूप से सतर्क रहने की क्षमता इनके लिए लाभदायी होती है.
पाठ्यक्रम की अवधि चार वर्ष की और अनिवार्य इंटर्नशिप की अवधि छह महीने की होती है.
पाठ्यक्रम चलाने वाले कुछ कॉलेज
* अखिल भारतीय भौतिकीय औषधि एवं पुनर्वास संस्थान, मुंबई, महाराष्ट्र
* चक्रधारा पुनर्वास विज्ञान संस्थान, भुवनेश्वर, ओडिशा
*क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर
* समवर्गी स्वास्थ्य विज्ञान कॉलेज, मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी, मणिपाल.
* जीएस सेठ चिकित्सा कॉलेज, मुंबई
*राजकीय चिकित्सा कॉलेज, चेन्नै
* शारीरिक विकलांग जन संस्थान, नई दिल्ली, दिल्ली.
* के एम सी एच व्यावसायिक थैरेपी कॉलेज, कोयम्बत्तूर, तमिलनाडु
* एलटी कॉलेज, मुंबई
* राष्ट्रीय अस्थि विकलांग जन संस्थान, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
* एन आई एम एस विश्विद्यालय, जयपुर
* व्यावासायिक थैरेपी प्रशिक्षण स्कूल, मुंबई
* पटना चिकित्सा कॉलेज एवं अस्पताल, पटना बिहार
* एस एम एस अस्पताल, जयपुर
* एस आर एम आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान, चेन्नै
* संतोष व्यावसायिक थैरेपी कॉलेज, चेन्नै
पाठ्यक्रम के बाद उच्च अध्ययन के लिए उपलब्ध विकल्प
* एम ओटी विकासात्मक अक्षमता
*एमओटी इन हैंड एंड मसलोस्केटल कंडीशन
* एम ओटी- तंत्रिका पुनर्वास
* एम ओटी- मानसिक स्वास्थ्य मनो-सामाजिक पुनर्वास
(लेखक दिल्ली में एक सर्जन हैं. ई-मेल: drankurgarg88@gmail.com)