रोज़गार समाचार
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सफलता की कहानी


अंक संख्या 47 (19-25 फरवरी,2022)

चंदन कुमार चौधरी

हाराष्ट्र में पुणे के रहने वाले मयूर पाटिल के पास एक मोटरसाइकिल थी. उन्होंने 2011 में अपनी मोटरसाइकिल का माइलेज बढ़ाने की कोशिश की और सफलता हासिल करते हुए इसका माइलेज 62 किलोमीटर तक बढ़ाया. 2017-18 में उन्होंने टेक्नोलॉजी डेवलप की और उसका ट्रायल बसों में किया. इससे 40 प्रतिशत उत्सर्जन कम हुआ और 2021 में उन्होंने इसका पेटेंट भी करा लिया. अटल न्यू इंडिया चैलेंज से 90 लाख रुपये ग्रांट मिलने के बाद वह अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर अब अपना स्टार्टअप चला रहे हैं. आज मयूर वाहनों का वायु प्रदूषण कम करने और उनका माइलेज बढ़ाने वाला उपकरण बना रहे हैं. उनके इस अनोखे काम से जहां एक ओर पर्यावरण को लाभ मिल रहा है वहीं वे आत्मनिर्भर बनकर दूसरों को रोज़गार भी दे रहे हैं. मयूर ने बताया कि मोटरसाइकिल का माइलेज जो पहले 25 किमी था उसे हमने 39 किमी कर दिया. मयूर की तरह ही, अहमदाबाद के रहने वाले अंगद सिंह लीक से हटकर कुछ अलग करना चाहते थे. यही कारण है कि जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने अपना स्टार्टअप शुरु किया और माल परिवहन के लिए एक वेबसाइट चलाने लगे. इस स्टार्टअप की सफलता को देखते हुए अंगद के कुछ दोस्त नौकरी छोड़कर उनके साथ काम करने लगे हैं. आज भारत में अगर यह बदलाव रहा है तो यह स्टार्ट इंडिया के कारण संभव हुआ है जिसकी घोषणा पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त  2015 को लाल किले की प्राचीर से की थी और 16 जनवरी 2016 को इसकी शुरुआत की गई थी. दरअसल, आज भारत में औसत उम्र 29 साल है और यह आज दुनिया के सबसे युवा देशों में शामिल है. हमारी 65 फीसदी आबादी की औसत उम्र 35 साल है. यानी यह युवाओं का देश है जिसके सपने भी युवा हैं और वह परंपरागत तरीके से हटकर कुछ अलग करना चाहते हैं जिसमें स्टार्टअप इंडिया उनकी मददगार साबित हो रही है और उनके सपने को नई उड़ान दे रही है.

स्टार्टअप की परिकल्पना का लक्ष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि देश का युवा नौकरी मांगने वाला नहीं, नौकरी देने वाला बने. आत्मनिर्भर बनें. इसके लिए जरूरत है इन युवाओं के सपनों को सही रास्ता दिखाने की. स्टार्टअप इंडिया योजना का मुख्य उद्देश्य कुल मिलाकर उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है जिससे देश में रोज़गार के अवसर बढ़ें. आज के युवा कल के रोज़गार सृजनकर्ता और इन्नोवेशन के लिए चौथी औद्योगिक क्रांति के नेता हैं. यही कारण है कि जबसे स्टार्टअप योजना शुरु हुई है, मान्यताप्राप्त स्टार्टअप का विस्तार अब 623 जिलों तक हो गया है और इस समय प्रत्येक राज्य और संघ राज्य क्षेत्र में कम से कम एक स्टार्टअप है. जब यह  योजना शुरू हुई थी, उस वक्त जहां 808 दिन में 10,000 स्टार्टअप जुड़ पाए थे, वहीं योजना के पहले वर्ष 2016-2017 में 743 स्टार्टअप को मान्यता दी गई थी. वर्ष 2020-2021 में अकेले 16,000 से अधिक स्टार्टअप को मान्यता मिली है.

क्या होता है स्टार्टअप

साधारण शब्दों में कहें तो स्टार्टअप का अर्थ होता है नयी कंपनी शुरू करना. ऐसी कंपनियों को युवा उद्यमी स्वयं या दो तीन लोगों के साथ मिलकर शुरू करते हैं. शुरू करने वाला व्यक्ति ही कंपनी में शुरुआती पूंजी लगाने के साथ कंपनी का संचालन भी करता है. ये कंपनी अपेक्षाकृत नये प्रोडक्ट्स या सेवाओं पर कार्य करती है, ऐसी सेवाएं जो उस समय बाजार में उपलब्ध नहीं होती हैं. हालांकि केंद्र सरकार के विभाग डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) के अनुसार 'स्टार्टअप कंपनी वह कंपनी है जो भारतवर्ष में गत पांच वर्षों के अंदर रजिस्टर हुई है और जिसका टर्नओवर 25 करोड़ से अधिक किसी भी वित्त वर्ष में अभी तक नहीं हुआ हो. यह कंपनी इनोवेशन, डेवलपमेंट, डिप्लॉयमेंट, नए प्रोडक्ट का व्यवसायीकरण, टेक्नोलॉजी आधारित सेवा अथवा बौद्धिक संपदा की दिशा में कार्य कर रही हो, ऐसी अपेक्षा की जाती है.’ स्टार्टअप इंडिया के माध्यम से सरकार इन नए और छोटे-छोटे स्टार्टअप केवल वित्तीय सहायता, उचित मंच और प्रोत्साहन देती है तो अटल इंक्यूबेशन सेंटर जैसे कार्यक्रम के जरिए इन्हें चुनौतीपूर्ण माहौल में तरक्की करने का हुनर भी सिखाया जाता है.

स्टार्टअप ने बदली न्यू इंडिया की सोच

आजकल हम चारों तरफ स्टार्टअप, स्टार्टअप, स्टार्टअप की गूंज सुनते हैं. यह साबित करता है कि यह स्टार्टअप का युग है, और ये भी सही है कि स्टार्टअप की दुनिया में आज भारत विश्व में एक प्रकार से नेतृत्व कर रहा है. साल-दर-साल स्टार्टअप में रिकार्ड निवेश मिल रहा है और ये क्षेत्र बहुत तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. यहां तक कि देश के छोटे-छोटे शहरों में भी स्टार्टअप की पहुंच बढ़ी है. कुछ साल पहले तक अगर कोई कहता था कि वो व्यापार करना चाहता है या कोई नई कंपनी शुरू करना चाहता है, तब परिवार के बड़े-बुजुर्ग का जवाब होता था कि - तुम नौकरी क्यों नहीं करना चाहते, नौकरी करो. नौकरी में सुरक्षा होती है वेतन होता है. झंझट भी कम होती है. लेकिन, आज यदि कोई अपनी कंपनी शुरू करना चाहता है तो उसके आस-पास के सभी लोग बहुत उत्साहित होते हैं और इसमें उसका पूरा समर्थन भी करते हैं. यह योजना भारत के विकास की कहानी का अहम मोड़ बन गया जिसके बाद से अब लोग सिर्फ नौकरी मांगने वाला बनने का सपना नहीं देख रहे बल्कि नौकरी देने वाला भी बन रहे हैं. प्रधानमंत्री का मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयासके साथ 'स्टार्टअप इंडियाराष्ट्रीय भागीदारी और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन गया है और इससे विश्व मंच पर भारत की स्थिति और मजबूत बन रही है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं, 'आज जहां भी देखो, किसी भी परिवार में जाओ, कितना ही संपन्न परिवार हो, पढ़ा-लिखा परिवार हो, लेकिन अगर परिवार में नौजवान से बात करो तो वो क्या कहता है. वो अपने पारिवारिक परंपराओं से हट कर कहता है, मैं तो स्टार्टअप करूंगा, स्टार्टअप में चला जाऊंगा. यानी जोखिम लेने के लिए उसका मन उछल रहा है. आज छोटे-छोटे शहरों में भी स्टार्टअप संस्कृति का विस्तार हो रहा है और मैं उसमें उज्ज्वल भविष्य के संकेत देख रहा हूं.

चर्चा में यूनिकॉर्न

आजकल 'यूनिकॉर्नशब्द खूब चर्चा में है. आप सबने इसके बारे में सुना होगा. एक ऐसा स्टार्टअप होता है जिसका वैल्यू कम से कम 1 बिलियन डॉलर होता है यानी करीब-करीब सात हजार करोड़ रुपये से ज्यादा. साल 2015 तक देश में बमुश्किल नौ या दस यूनिकॉर्न हुआ करते थे. अब यूनिकॉर्न की दुनिया में भी भारत तेज उड़ान भर रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में एक बड़ा बदलाव आया और सिर्फ 10 महीनों में ही भारत में हर 10 दिन में एक यूनिकॉर्न बना है और भारत ने पिछले 50 हफ्तों में स्टार्टअप की दुनिया में लगभग 40 यूनिकॉर्न जोड़े हैं. ये इसलिए भी बड़ी बात है क्योंकि हमारे युवाओं ने ये सफलता कोरोना महामारी के बीच हासिल की है. आज भारत में 70 से अधिक यूनिकॉर्न हो चुके हैं. यानी 70 से अधिक स्टार्टअप ऐसे हैं जो 1 बिलियन से ज्यादा की वैल्यू को पार कर गए हैं. स्टार्टअप की सफलता के कारण हर किसी का उस पर ध्यान गया है और जिस प्रकार से देश से, विदेश से, निवेशकों से उसे समर्थन मिल रहा है. शायद कुछ साल पहले उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था.

युवाओं ने शुरु किया साफ वाटर नामक स्टार्टअप

हाल ही में कुछ युवाओं ने साफ वाटर नामक एक स्टार्टअप शुरु किया है. युवाओं द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान का मकसद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट की मदद से पानी की शुद्धता और गुणवत्ता के बारे में जागरूकता फैलाना है. कुछ युवाओं द्वारा शुरू किए गए अभियान का उद्देश्य पानी की गुणवत्ता से संबंधित मामलों पर क्षेत्रों में जागरूकता पैदा करना है. यह स्वच्छता के लिए अगला कदम है. स्वस्थ भविष्य के लिए इस स्टार्टअप के महत्व को देखते हुए, इसे एक वैश्विक पुरस्कार भी मिला है.

स्टार्टअप के लिए मदद

आपका बिजनेस आइडिया अगर पसंद आया तो सरकार जरूरी सुविधाएं देती है. साथ ही सरकार फंडिंग की सुविधा उपलब्ध कराती है. इसके लिए उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय से संपर्क किया जा सकता है या www.startupindia.gov.in पर जानकारी हासिल की जा सकती है. स्टार्टअप इंडिया योजना के तहत विभिन्न सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए किसी भी इकाई को आवेदन करना होगा और डीआईपीपी द्वारा स्टार्टअप के रूप में मान्यताप्राप्त करनी होती है. इतना ही नहीं स्टार्टअप में कई अन्य तरह के लाभ भी मिलते हैं. जैसे आसान स्वीकृति, कंपनी को बंद करने की सरल प्रक्रिया, कानूनी सहायता, पेटेंट आवेदनों को तेजी से ट्रैक करने और सूचना की कमी को दूर करने के लिए वेबसाइट. अनुदान और प्रोत्साहन के तहत पात्र स्टार्टअप के लिए इनकम टैक्स कैपिटल गेन्स टैक्स में छूट; स्टार्टअप इकोसिस्टम में अधिक पूंजी लगाने के लिए फंड ऑफ फंड्स और क्रेडिट गारंटी स्कीम की सुविधा मिलती है. साथ ही इनक्यूबेशन इंडस्ट्री-अकेडेमिया पार्टनरशिप के अंतर्गत कई सारे इनक्यूबेटर इनोवेशन लैब, कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं और सहायता का प्रावधान भी इसमें है. इसके अलावा, स्टार्टअप स्थापित करने के लिए लघु व्यवसाय ऋण, फंड की आसान पहुंच, अन्य उद्यमियों से मुलाकात, क्राउड फंडिंग की सुविधा अन्य सरकारी लाभ भी मिलते हैं.

वर्तमान स्थिति

10,000 करोड़ रुपये के फंड ऑफ फंड्स स्कीम और 945 करोड़ रुपये के स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) के जरिए स्टार्टअप के लिए पूंजी जुटाने के अवसर बढ़े हैं. इस समय देश में डीपीआईआईटी से मान्यताप्राप्त स्टार्टअप की संख्या 60,704 है. खाद्य प्रसंस्करण, उत्पाद विकास, एप्लीकेशन डेवलपमेंट, आईटी परामर्श और व्यावसायिक सहायता सेवाएं क्षेत्र में सबसे ज्यादा स्टार्टअप हैं और देश में इस समय 4 प्रतिशत स्टार्टअप ऐसे हैं जिनके नेतृत्व टीम में एक महिला उद्यमी कर रही है. इसके अलावा, प्रति स्टार्टअप ने औसतन 11 कर्मचारियों के साथ देश में कुल 48,093 स्टार्टअप ने 5,49,842 नौकरियों के मौके पैदा किए और वर्ष 2020-2021 की अवधि में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप द्वारा लगभग 1.7 लाख नौकरियां पैदा की गईं.

2022 में कार्यक्रम का आयोजन

स्टार्टअप इंडिया पहल के शुभारंभ की छठी वर्षगांठ के अवसर पर उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने (डीपीआईआईटी) जनवरी 2022 में एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रम 'सेलिब्रेटिंग इनोवेशन इकोसिस्टमका आयोजन किया. इस नवाचार सप्ताह का मुख्य उद्देश्य देश के प्रमुख स्टार्टअप, उद्यमियों, निवेशकों, नीति-निर्माताओं और अन्य राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों को नवाचार और उद्यमिता पर विशेष रूप से आयोजित कार्यक्रम के लिए एक साथ लाना और स्टार्टअप परितंत्र के विकास के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर ज्ञान का आदान-प्रदान करना रहा. इस पहल से युवाओं को नवाचार और उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित एवं प्रेरित करने और उद्यमशीलता परितंत्र की क्षमता विकसित करने में बल मिलने की संभावना है. नवाचार सप्ताह स्टार्टअप को बाजार पहुंच के अवसर प्रदान करने में सहायता मिलेगी और स्टार्टअप में निवेश के लिए वैश्विक और घरेलू पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी. इस आयोजन में भारत के उच्च गुणवत्ता, उच्च प्रौद्योगिकी और कम खर्चीले नवाचारों को प्रदर्शित किया गया.

(लेखक 'न्यू इंडिया समाचारमें सहायक सलाहकार संपादक हैं. ईमेल:

Chandanchoudhary84@gmail.com)

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.