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विशेष लेख


अंक संख्या 42, 15-21 जनवरी,2022

 

वर्ष 2021 की समीक्षा

जनजातीय कार्य मंत्रालय

भारत की आबादी में अनुसूचित जनजातियों (अजजा) की हिस्सेदारी लगभग 8.6 प्रतिशत है, जिनकी जनसंख्या लगभग 10.4 करोड़ है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत 705 से अधिक अनुसूचित जनजातियां अधिसूचित हैं. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के विजन को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने जनजातियों के विकास और उनकी विरासत एवं संस्कृति के संरक्षण पर प्राथमिकता के साथ ध्यान केंद्रित किया है.

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने इस विजन और जन-जातीय समुदायों के कल्याण के प्रति अपनी निरंतर प्रतिबद्धता के अनुरूप वित्तीय संसाधनों के संवर्द्धित आवंटन, समन्वित प्रयासों, आयोजना के पुन: इंजीनियरिंग और मंत्रालय के कार्यान्वयन तंत्र के माध्यम से क्षेत्रगत विकास सुनिश्चित करने की तैयारी की है. मंत्रालय का बजट 2014-15 में 3850 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 7484 करोड़ रुपये हो गया. संसाधनों की संवर्द्धित उपलब्धता ने मंत्रालय को जनजातीय समुदायों का समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए अधिक प्रतिबद्धता के साथ एक नया प्रगति पथ तैयार करने में सक्षम बनाया है.

प्रमुख विशेषताएं

15 नवंबर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र  मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने हर वर्ष 15 नवम्बर  को जनजातीय गौरव दिवस मनाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया. यह दिवस वीर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित है ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के प्रति उनके बलिदानों के बारे में जान सकें. यह तारीख श्री बिरसा मुंडा की जयंती है, जिन्हें देशभर के जनजातीय समुदायों द्वारा भगवान के रूप में सम्मानित किया जाता है. देश के विभिन्न हिस्सों में 15 से 22 नवंबर तक (जनजातीय गौरव सप्ताह) सप्ताह भर चलने वाले आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के दौरान 125 से अधिक कार्यक्रम/गतिविधियां आयोजित की गईं, ताकि इस विशेष सप्ताह के दौरान ऐसे भूले-बिसरे महान जनजातीय नायकों का स्मारण किया जा सके, जिन्होंने अपना जीवन बलिदान किया और राष्ट्र निर्माण में योगदान किया.

झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के रांची में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय और पार्क का उद्घाटन किया यह परियोजना जिसमें बिरसा मुंडा की 25 फुट ऊंची प्रतिमा शामिल है, झारखंड सरकार के सहयोग से जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा विकसित की गई है. इसमें यह दर्शाया गया है कि किस तरह जनजातीय लोगों ने अपने जंगलों, भूमि अधिकारों और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष किया. इसमें उनकी वीरता और बलिदान की गाथाएं प्रदर्शित की गई हैं, जो राष्ट्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं.

मणिपुर में रानी गैदिन्लिउ जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री, श्री अमित शाह ने मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के लुआंग काओ गांव में 'रानी गैदिन्लिउ जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय की आधारशिला रखी. संग्रहालय देश के युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम की भावना को साकार करने के अलावा राष्ट्र को अपनी सेवा समर्पित करने के लिए प्रेरित करेगा. केंद्रीय गृह मंत्री ने रानी गैदिन्लिउ के जीवन और बलिदानों को याद किया, जिनका अपने लोगों को अंग्रेजों से मुक्त कराने का संघर्ष कम उम्र से ही शुरू हो गया था.

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस)

जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय समुदाय के कल्याण की दिशा में निरंतर प्रयास कर रहा है; शिक्षा इसके प्रयासों के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है. जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में आजादी का अमृत महोत्सव (इंडिया ञ्च 75) के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से 7 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के 27 जिलों में 50 नए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के निर्माण की आधारशिला रखी. वर्ष 2021 में कुल 84 ईएमआरएस की आधारशिला रखी गई; जिसमें से 50 ईएमआरएस की आधारशिला प्रधानमंत्री ने रखी, 27 ईएमआरएस की आधारशिला जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और राज्य मंत्री श्री बिशेश्वेर टुडू ने रखी. इनके अलावा 7 ईएमआरएस की आधारशिला राज्य के मंत्रियों ने रखी. देश भर में 367 कार्यात्मक ईएमआरएस हैं, जिनमें लगभग 85,232 विद्यार्थी वर्तमान में नामांकित हैं. 173 ईएमआरएस का निर्माण प्रगति पर है.

इन विद्यालयों को नवोदय विद्यालयों के समकक्ष लाने की परिकल्पना की गई है. स्कूलों के प्रशासन में एकरूपता लाने और उन्हें समग्र सहायता एवं नीति निर्देश प्रदान करने के लिए मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में नेशनल एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स (एनईएसटीएस) की स्थापना की गई है. स्कूलों के दैनिक प्रशासन और प्रबंधन के लिए राज्य/संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर राज्य/संघ राज्य क्षेत्र ईएमआरएस समितियों की स्थापना की गई है.

यह पहल मंत्रालय की अदम्य भावना का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य आदिवासी विद्यार्थियों के लिए शक्तिशाली उपकरण के रूप में शिक्षा को बढ़ावा देना है ताकि भविष्य में उनकी सफलता और उपलब्धियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया जा सके.

जनजातीय स्कूलों का डिजिटल रूपांतरण

जनजातीय कार्य मंत्रालय और माइक्रोसॉफ्ट ने जनजातीय स्कूलों के डिजिटल रूपांतरण के संयुक्त कार्यक्रम संबंधी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. इस संयुक्त कार्यक्रम का  लक्ष्य  शिक्षकों और विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सहित अगली पीढ़ी की डिजिटल तकनीकों में कौशल प्रदान करना है. सकारात्मक कार्रवाई पहल के तहत, माइक्रोसॉफ्ट सभी ईएमआरएस में जनजातीय विद्यार्थियों को अंग्रेजी और हिन्दी, दोनों में एआई पाठ्यक्रम उपलब्ध कराएगा ताकि शिक्षकों और विद्यार्थियों को अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके. इस कार्यक्रम के पहले चरण के तहत, 250 ईएमआरएस स्कूलों को माइक्रोसॉफ्ट द्वारा अपनाया गया था, जिनमें से 50 ईएमआरएस स्कूलों को गहन प्रशिक्षण दिया गया था, और 500 प्रमुख प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया था.

21वीं सदी के लिए प्रायोगिक शिक्षा

आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में, जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव, श्री अनिल कुमार झा और केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अध्यीक्ष श्री मनोज आहूजा ने संयुक्त रूप से  टाटा ट्रस्ट्स, सीईटीई, टीआईएसएस (शिक्षक शिक्षा में उत्कृष्टता केंद्र, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसिस), मुंबई और एमजीआईएस (महात्मा गांधी इंटरनेशनल स्कूल), अहमदाबाद के सहयोग से सीबीएसई और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) के शिक्षकों के लिए, 21वीं सदी को ध्यान में रखकर, प्रायोगिक शिक्षा पर एक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू किया. यह पाठ्यक्रम 6 राज्यों में 350 शिक्षकों के लिए तैयार किया गया था.

निष्ठा-ईएमआरएस शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम

जनजातीय कार्य मंत्रालय के दीर्घकालिक लक्ष्य को पूरा करने और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में शैक्षिक उत्कृष्टता हासिल करने के लिए, 3 राज्यों के 120 ईएमआरएस शिक्षकों और प्रधानाचार्यों ने 40 दिन के एनआईएसएचटीएचए-(निष्ठा) पाठ्यक्रम अर्थात्  स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों के समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय पहल नामक पाठ्यक्रम पूरा किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूली  शिक्षकों और  प्रधानाचार्यों में क्षमता विकसित करना और साथ ही एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है. मंत्रालय ने अनेक कार्यक्रमों और प्रयासों संबंधी शीर्ष राष्ट्रीय शैक्षिक निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के सहयोग से समूचे भारत में 350 क्रियाशील ईएमआरएस स्कूलों में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए.

35.2 लाख जनजातीय विद्यार्थियों को मैट्रिक-पूर्व/परवर्ती छात्रवृत्ति

मंत्रालय ने कोरोनावायरस महामारी के चलते शिक्षा की निरंतरता के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने के वास्ते मैट्रिक-पूर्व और मैट्रिक-परवर्ती छात्रवृत्ति योजना के तहत  2021 में 35.2 लाख रुपये जनजातीय विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से 2500 करोड़ रुपये वितरित किए. इस संबंध में, राज्य के मैट्रिक-पूर्व और मैट्रिक-परवर्ती योजनाओं के पोर्टलों को डीबीटी जनजातीय पोर्टल और डीबीटी भारत पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है. इसके अलावा, इस योजना में 331 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है, जबकि विद्यार्थियों के विवरण की जांच और प्रमाणन के लिए ऑनलाइन विद्यार्थी सत्यापन प्रक्रिया शुरू की गई है.

स्कूल नवाचार ऐम्बेस्डर प्रशिक्षण कार्यक्रम

केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, श्री अर्जुन मुंडा ने संयुक्त रूप से 50,000 स्कूल शिक्षकों के लिए स्कूल इनोवेशन एंबेसडर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इसका उद्देश्य 50,000 स्कूल शिक्षकों को नवाचार, उद्यमिता, बौद्धिक संपदा अधिकार, डिज़ाइन चिंतन, उत्पाद विकास, विचार सृजन, आदि के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करना है.

'गोल इनिशिएटिव

गोल अर्थात् गोइंग ऑनलाइन एज़ लीडर्स, डिजिटल रूप से सक्षम परामर्शदाताओं के लिए, जनजातीय कार्य मंत्रालय और फेसबुक की संयुक्त पहल है, जिसमें जनजातीय युवाओं को उनकी रुचि के क्षेत्र में परामर्शदाता बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. गोल कार्यक्रम के माध्यम से उद्योग, कला, राजनीति, व्यवसाय आदि क्षेत्रों से ऐसे प्रसिद्ध लोगों, जो अपने क्षेत्र में नेतृत्व कौशल या भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं, को डिजिटल  माध्यम से जोड़ा जाता है ताकि वे जनजातीय युवाओं को व्यक्तिगत प्रशिक्षण प्रदान कर सकें. गोल कार्यक्रम के अंतर्गत अभी तक 23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है.

राष्ट्रीय आदि महोत्सव 

राष्ट्रीय आदि महोत्सव 1 से 15 फरवरी 2021 तक दिल्ली हाट, आईएनए, नई दिल्ली में आयोजित किया गया. यह उत्सव देशभर के जनजातीय समुदायों के समृद्ध और विविध शिल्प एक ही स्थान पर लोगों को उपलब्ध कराने का एक प्रयास था. पन्द्रह दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में देशभर के 25 राज्यों के हजारों आदिवासी कारीगरों, रसोइयों, कलाकारों और सांस्कृतिक मंडलियों ने भाग लिया. आदि महोत्सव में बड़ी संख्या  में लोगों ने भाग लिया, जिससे जनजातीय कारीगरों ने लगभग 4 करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष बिक्री की. इसके अलावा, ट्राइफेड द्वारा 8 करोड़ रुपये मूल्य का खरीद ऑर्डर दिया गया;  इस प्रकार कुल व्यापारिक लेनदेन लगभग 12 करोड़ रुपये का हुआ.

आदि प्रशिक्षण पोर्टल

जनजातीय कार्य मंत्री, श्री अर्जुन मुंडा ने आदि प्रशिक्षण पोर्टल का शुभारंभ किया और नई दिल्ली में आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में अनुसूचित जनजातियों से संबद्ध पंचायतीराज संस्थाओं के सदस्यों के लिए, मास्टर प्रशिक्षकों के क्षमता निर्माण हेतु  तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया. आदि प्रशिक्षण पोर्टल जनजातीय अनुसंधान संस्थानों, मंत्रालय के विभिन्न प्रभागों, जनजातीय छात्रों की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय सोसायटी, जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित उत्कृष्टता केंद्र और राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान द्वारा संचालित सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के केंद्रीय संस्था के रूप में कार्य करता है.

अनामया: जनजातीय स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रम

अनामया, जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग पीरामल फाउंडेशन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) द्वारा समर्थित जनजातीय कार्य मंत्रालय की एक बहु-हितधारक पहल है. यह भारत के जनजातीय समुदायों के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति को बढ़ाने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों और संगठनों के प्रयासों को एकजुट करेगा.

जनजातीय उत्पादों/उपज के विकास और विपणन के लिए संस्थागत सहायता:

·         ट्राइफेड (भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ) अपने स्वयं के पोर्टल www.tribesindia.com   और अमेजन, स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, पेटीएम, और जेम जैसे सभी प्रमुख -कॉमर्स पोर्टलों पर आदिवासी उत्पादों की -कॉमर्स बिक्री को बढ़ावा दे रहा है.

·         ट्राइफेड ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 99.74 लाख रुपये की ऑनलाइन बिक्री की है. चालू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान ट्राइफेड ने 127.54 लाख रुपये (30.11.221 तक) की बिक्री की है.

·         ट्राइफेड ने 30.10.2021 तक देशभर में स्थित 145 बिक्री केन्द्रों यानी 97 खुद के बिक्री केन्द्रों, कंसाइनमेंट सेल पर 33 बिक्री केन्द्रों और 15 फ्रैंचाइज़ी बिक्री केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया है.

·         31.10.2021 को ट्राइफेड के पैनल में शामिल आपूर्तिकर्ताओं/उत्पादकों की कुल संख्या 2915 है.

·         ट्राइफेड द्वारा जनजातीय उत्पादों की बिक्री- 2019-20 के दौरान रु. 40.30 करोड़, 2020-21 - रु. 29.63 करोड़ और 2021-22 में (30.10.2021 तक)  रु. 18.43 करोड़ रही है.

वन धन विकास कार्यक्रम

·         लघु वनोपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत वन धन विकास केंद्र क्लस्टर (वीडीवीकेसी) स्थानीय रूप से उपलब्ध लघु वनोपज की खरीद सह मूल्यवर्धन के लिए सामान्य सुविधा केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं.

·         ट्राइफेड को 254.64 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं (पिछले तीन वर्षों में वन धन विकास केंद्र क्लस्टर (वीडीवीकेसी) स्थापित करने के लिए.

·         2019-20 में कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से अब तक 3110 वीडीवीकेसी को मंजूरी दी गई है, जिससे 52000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों के 9.28 लाख एमएफपी संग्रहकर्ता लाभान्वित हुए हैं.

एनएसटीएफडीसी/एसटीएफडीसीको इक्विटी सहायता

·         एनएसटीएफडीसी (राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम) और एसटीएफडीसी (राज्य अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम) अपनी कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से किसी भी आय सृजन गतिविधियों / स्वरोज़गार के लिए पात्र अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को रियायती ऋण प्रदान करते हैं.

·         पिछले तीन वर्षों (2019-20 से 30.11.2021) में एनएसटीएफडीसी द्वारा अपनी पांच योजनाओं के तहत 4.04 लाख आदिवासी लाभार्थियों को 748.75 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं.

·         एनएसटीएफडीसी ने पीएमईजीपी योजना के तहत कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करने के लिए केवीआईसी (खादी और ग्रामोद्योग आयोग) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. समझौता ज्ञापन का उद्देश्य बैंकों और एससीए के माध्यम से वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले आदिवासी उद्यमियों को रियायती ऋण प्रदान करना है और अजा लाभार्थियों को यूनिट लागत का 35 % तक बैक एंडेड सब्सिडी दी जाती है.

(स्रोत : पत्र सूचना कार्यालय)