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नौकरी फोकस


Issue no 52, 25 - 31 March 2023

फोर्ज और फाउंड्री: विनिर्माण क्षेत्र के स्तंभ

डाली अग्रहरि

पिछले कुछ अर्से से भारत वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने का प्रयास कर रहा है। बढ़ती आबादी तथा वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए देश ने यह महसूस किया है कि विनिर्माण एक ऐसा प्रमुख क्षेत्र है, जो आर्थिक विकास को गति देने और अपने युवाओं के लिए रोजगार के साधन सृजित करने में सक्षम है। हालांकिइस लक्ष्य को हासिल करने के लिएभारतीय युवाओं को स्‍वयं को उद्योग के लिए उपयुक्‍त कौशलों से लैस करना होगा। ऐसा ही एक कौशल फोर्ज और फाउंड्री (यानी भट्ठी और ढलाईखाना)है, विशेष रूप से उन उद्योगों में जो धातुओं का उपयोग अपनी आधार सामग्री के रूप में करते हैं।

फोर्ज और फाउंड्री प्रौद्योगिकी औद्योगिक क्रांति में सहायक रही है और इसने आधुनिक विश्‍व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग एयरोस्पेस और ऑटोमोटिव से लेकर निर्माण और खनन तक से जुड़ेउद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला में किया गया है। एयरोस्पेस उद्योग, उन उद्योगों में हैं, जिनमें फोर्ज तकनीक का सबसे महत्वपूर्ण अनुप्रयोग होता है। एयरोस्पेस केसंघटकों को अत्यधिक तापमान, दबाव और बलाघात (यानी टेम्‍परेचर, प्रेशर एंड स्‍ट्रेस) का सामना करने में सक्षम होना चाहिए। एयरोस्पेस अनुप्रयोगों में फोर्ज किए गए या ढाले गए संघटकों को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि वे अन्य विनिर्माण प्रक्रियाओं की तुलना में अधिक मजबूत और टिकाऊ होते हैं। इसके अलावा फोर्ज किए गए संघटक वजन में हल्के होते हैं, जो विमान और अंतरिक्ष वाहनों के लिएआवश्यक है।इसी तरहफोर्ज प्रौद्योगिकीका एक और महत्वपूर्ण अनुप्रयोगऑटोमोटिव या मोटर वाहन उद्योग में होता है। स्पोर्ट्स कारों जैसे हाई-परफॉर्मन्स वाहनोंके साथ ही साथ हैवी-ड्यूटी ट्रकों और निर्माण उपकरणों में फोर्ज संघटकों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। फोर्ज किए गए पुर्जों में उच्च शक्ति-से-भार अनुपातहोता है, जो उन्हें उच्च-बलाघात वाले अनुप्रयोगों (यानी हाई-स्‍ट्रेस एप्‍लीकेशन) जैसे सस्‍पेंशन और स्टीयरिंग सिस्टम में उपयोग के लिए आदर्श बनाता है।

दूसरी ओर, फाउंड्री का सबसे अधिक उपयोग निर्माण उद्योग में किया जाता है। कास्ट आयरन और स्‍टील का उपयोग इमारतों, पुलों और अन्य ढांचागत निर्माण में किया जाता है। कास्ट आयरन कोमजबूती और टिकाऊपन की आवश्‍यकता वाले अनुप्रयोगों में  प्राथमिकता दी जाती है, जबकि कास्‍ट स्‍टील का उपयोग उच्च-बलाघात प्रतिरोध (यानी हाई-स्‍ट्रेस रेजिस्‍टेंस) की आवश्यकता वाले अनुप्रयोगों में किया जाता है। खनन उद्योग भी फाउंड्री प्रौद्योगिकी पर बहुत अधिक निर्भर करता है। खनन उपकरण अक्सर अत्यधिक तापमान और अपघर्षक सामग्री जैसी कठोर परिस्थितियों पर निर्भर होते हैं। खनन उपकरणों में टिकाऊपन और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए उच्च शक्ति मिश्र धातुओं (यानी हाई स्‍ट्रेंथ एलॉय) से बने कास्टिंग का उपयोग किया जाता है।

फोर्ज और फाउंड्री: धातुविज्ञान के दो बुनियादी क्षेत्र

धातु विज्ञान, धातु तत्वों, उनके यौगिकों और उनके मिश्र धातुओं के भौतिक और रासायनिक व्यवहार का अध्ययन करने वाली सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग की एक शाखा है। इसमें धातुओं के निष्कर्षण, शुद्धिकरण और प्रसंस्करण के साथ-साथ विभिन्न परिस्थितियों में उनके गुणों, अनुप्रयोगों और व्यवहार में शामिल प्रक्रियाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। धातु विज्ञान एक अंतःविषय क्षेत्र है जो धातुओं और मिश्र धातुओं के व्यवहार को समझने और प्रयोग में लाने के लिए भौतिकी, रसायन विज्ञान, सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों पर आधारित है।

धातु विज्ञान संबंधी कौशलों के दो सबसे बुनियादी और मांग वाले क्षेत्र फोर्ज और फाउंड्री हैं। फोर्ज और फाउंड्री दोनों धातुओं को आकार देने और प्रयोग में लाने से संबंधित हैं, लेकिन उनमें उपयोग की जाने वाली तकनीकों और उनके द्वारा उत्पादित उत्पादों के प्रकारों की दृष्टि से भिन्‍नता है।

फोर्ज: यह धातु पर ऊष्‍मा और दबाव डालकर उसे आकार में ढालने की प्रक्रिया है। आमतौर पर इस प्रक्रिया में धातु को उच्च तापमान पर गर्म करके और फिर हथौड़े, प्रेस या अन्य उपकरण के उपयोग से उसे वांछित आकार में ढालनेका कार्य किया जाता है। फोर्जिंग द्वारा उत्पादित उत्पादों में औजार, उपकरण औरपुर्जों सहित हैंड टूल्‍स, ऑटोमोटिव पार्ट और औद्योगिक उपकरण सहित टूल्‍स की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। फोर्जिंग का उपयोग अक्सर उच्‍च मजबूती, टिकाऊपन और सटीकता की आवश्यकता वाले उत्पादों के उत्पादन में किया जाता है।

फाउंड्री: यह पिघले हुए धातु को सांचे में डालकर धातु को वांछित आकार में ढालने की प्रक्रिया है। यह सांचा आमतौर पर पिघली हुई धातु के उच्च तापमान को बर्दाश्‍त करने में समर्थरेत, मिट्टी या अन्य सामग्री से बना होता है। धातु के ठंडा होने और जमने के बादसांचे को हटाकरतैयार उत्पाद को बाहर निकाल लिया जाता है। फाउंड्री उत्पादों में इंजन ब्लॉक, पाइप, वाल्व और सजावटी वस्तुओं सहित पुर्जों और उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।

फोर्ज और फाउंड्री दोनों ही धातु विज्ञान संबंधी कौशलों के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, क्योंकि वे रोज़मर्रा के कई उत्पादों के उत्पादन के लिए आवश्यक हैं। इन क्षेत्रों में कुशल कामगारों के बिना, विनिर्माण उद्योग ऐसी अनेक वस्‍तुओं  का उत्पादन करने में असमर्थ होगा, जिन पर हम प्रतिदिन निर्भर रहते हैं।

भारत के धातु आधारित उद्योग

भारत में धातु उद्योग एक ऐसा फलता-फूलता उद्योग है, जो विमानन, रेलवे, निर्माण आदि जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग करते हुए और लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करते हुए अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है, इस प्रकार देश के सकल घरेलू उत्पाद में बड़े पैमाने पर योगदान देता है।

भारत में कुछ प्रमुख धातु आधारित उद्योग हैं:

स्‍टील उद्योग: टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) जैसे प्रमुख उद्योगों के साथ भारतीय स्‍टील उद्योग दुनिया केविशालतम उद्योगों में से एक है। भारत स्टील का प्रमुख निर्यातक भी है, देश में उत्‍पादित स्टील का 30% से अधिक निर्यात किया जाता है। एयरोस्पेस, शिपिंग, निर्माण, ऑटोमोटिव व्यवसाय इस उद्योग पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं।

एल्युमीनियम उद्योग: भारत दुनिया में एल्युमीनियम का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है। हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, वेदांता रिसोर्सेज और नेशनल एल्युमीनियम कंपनी (नाल्को) इस क्षेत्र की शीर्ष कंपनियां हैं। एल्युमीनियम पर निर्भर प्रमुख उद्योगों में पैकेजिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, कुकवेयर, फर्नीचर, इलेक्ट्रिकल, एयरोस्पेस और ऑटोमोटिव संघटक और निर्माण शामिल हैं।

तांबा उद्योग:तांबा एक बहुउपयोगी धातु है जिसके विभिन्न उद्योगों में अनेक अनुप्रयोग हैं। भारत मेंऔद्योगिक उपयोग वाले तांबे का उत्‍पादन करने वाली प्रमुख कंपनियों में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, स्टरलाइट कॉपर और हिंडाल्को इंडस्ट्रीज शामिल हैं। तांबे का उपयोग निर्माण, ऑटोमोटिव, एयरोस्पेस और इलेक्ट्रिकल क्षेत्र के अलावा दूरसंचार क्षेत्र, नवीकरणीय ऊर्जा उद्योग, स्वास्थ्य सेवा उद्योग में किया जाता है।

जिंक उद्योग: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जिंक उत्पादक है। इसके अग्रणी उद्योगों में हिंदुस्तान जिंक और वेदांता रिसोर्सेज शामिल हैं। जिंक का स्टील उद्योग, स्वास्थ्य सेवा, रसायन उद्योग, बैटरी उद्योग आदि में बड़े पैमाने पर इस्‍तेमाल किया जाता है।

जस्‍ता उद्योग: भारत के जस्‍ता उद्योग में हिंदुस्तान जिंक और हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड धातु और इसके अयस्कों के प्रमुख उत्पादक हैं। जस्ते पर बहुत अधिक निर्भर करने वाले उद्योगों में  बैटरी, निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, मछली पकड़ना, गोला-बारूद तथा विभिन्न क्षेत्रों मेंधातु-आधारित संघटकों का निर्माण शामिल हैं।

लौह अयस्क उद्योग: भारत में फलता-फूलता लौह अयस्क उद्योग है तथा एनएमडीसी लिमिटेड और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ऊर्जा, पैकेजिंग, एयरोस्पेस, ऑटोमोटिव, स्वास्थ्य सेवा, मशीनरी के निर्माण से संबंधित उत्पादों का निर्माण करने वाले उद्योगों को अयस्क प्रदान करते हैं।

निकल उद्योग: निकल भी विनिर्माण उद्योग में उपयोग में लाया जाना एक प्रमुख धातु है और वेदांता रिसोर्सेज और हिंदुस्तान जिंक इस क्षेत्र के अग्रणी उद्योग हैं। निकल का स्टेनलेस स्टील, बैटरी, रासायनिक उद्योगमें उत्प्रेरक और पिगमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स और विमानन संघटकों के उत्पादन में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।

भारत के विनिर्माण क्षेत्र में फोर्ज और फाउंड्री का महत्व

भारत के विनिर्माण उद्योग में फोर्ज और फाउंड्री से संबंधित कौशलोंका महत्व कोई अति‍शियोक्ति नहीं है। ये कौशल निम्नलिखित कारणों से विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।

कौशल की कमी दूर करना: भारत में कार्यबल की बड़ी संख्या होने के बावजूद उसको धातु आधारित विनिर्माण उद्योग में कुशल श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसका कारण यह है कि देश के अधिकांश युवाओं के पास इस क्षेत्र में काम करने के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल नहीं है। उन्हें फोर्ज और फाउंड्री से संबंधित कौशलों से लैस करके, भारत इस कमी को दूर कर सकता है और इस उद्योग की मांगों को पूरा करने में समर्थअधिक कुशल कार्यबल तैयार कर सकता है।

आयात पर निर्भरता कम करना: वर्तमान मेंदेश में अन्य देशों से बड़ी मात्रा में धातुओं और धातु-आधारित उत्पादों का आयात किया जाता है। इन कौशलों को विकसित करके, भारतीय युवा घरेलू स्तर पर इन उत्पादों का उत्पादन करने में देश की मदद कर सकते हैं और इस तरह आयात की आवश्यकता में कमी ला सकते हैं और इससे मूल्यवान विदेशी मुद्रा की बचत हो सकती है।

रोजगार का सृजन: जैसे-जैसे अधिक कंपनियां भारत में अपना परिचालनों की स्‍थापना करेंगी, वैसे-वैसे धातु-आधारित उत्पादों में काम करने वाले कुशल श्रमिकों की मांग बढ़ेगी। इससे देश में,खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां रोजगार सृजन की जरूरत है, युवाओं के लिए नए अवसरों का सृजन हो सकता है।

एसएमई को समर्थन देना : छोटे और मध्यम आकार के उद्यम (एसएमई) भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण भाग हैं और ये बड़ी कंपनियों की तुलना में तेजी से रोजगार सृजित करने के लिए जाने जाते हैं। युवाओं को आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान करके, धातु आधारित विनिर्माण क्षेत्र में एसएमई की स्‍थापना की जा सकती है, जिससे अधिक नौकरियों का सृजन हो सकता है और अर्थव्यवस्था का विकास हो सकता है।

फोर्ज और फाउंड्री प्रौद्योगिकी में हाल में हुई प्रगति

पिछले कुछ वर्षों में दक्षता बढ़ाने, लागत कमी करने और गुणवत्ता में सुधार लाने की आवश्यकता से प्रेरित फोर्ज और फाउंड्री प्रौद्योगिकियों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।फोर्ज और फाउंड्री क्षेत्र में क्रांति लाने वालीकुछ  प्रौद्योगिकियां निम्‍नलिखित हैं:

इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेंस : ये भट्ठियां  स्क्रैप धातु और अन्य सामग्रियों को पिघलाने के लिए इलेक्ट्रिक आर्क का उपयोग करती हैं, जिन्हें उच्च गुणवत्ता वाले स्टील में प्रोसेस किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस ने स्‍टील उद्योग में क्रांति ला दी है, क्योंकि वे त्‍वरित, अधिक ऊर्जा दक्ष हैंऔर पारंपरिक ब्लास्ट फर्नेस की तुलना में कम उत्सर्जन करती हैं।

इंडक्शन हीटिंग: इंडक्शन हीटिंग धातु के हिस्से में ऊष्‍मा उत्पन्न करने के लिए विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग करती है। फोर्जिंग और कास्टिंग में इस तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह वर्कपीस को त्‍वरित और दक्ष ऊष्‍मा प्रदान करती है, जिसकी परिणति त्‍वरितप्रोसेसिंग टाइम और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों में होती है।

3डी प्रिंटिंग:एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, जिसे3डी प्रिंटिंग के रूप में भी जाना हाता है,ने फोर्ज और फाउंड्री उद्योग में प्रोटोटाइप और मोल्ड्स के उत्पादन के तरीके को बदल दिया है। 3डी प्रिंटिंग डिजिटल डिजाइनों का उपयोग करके, जटिल भागों के त्‍वरित और अधिक सटीक उत्पादन की अनुमति देती है, जिससे लीड समय और लागत में कमी आती है।

कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (सीएनसी) मशीनिंग: मशीन टूल्स की गति को नियंत्रित करने के लिए सीएनसी मशीनें कंप्यूटर प्रोग्राम का उपयोग करती हैं। सीएनसी मशीनिंग ने धातु की कटाई और आकार की सुस्‍पष्‍टता और सटीकता में काफी सुधार किया है, शारीरिक श्रम की आवश्यकता में कमी आई है और उत्पादन की गति में वृद्धि हुई है।

रोबोटिक्स और ऑटोमेशन: रोबोट और कन्वेयर सिस्टम जैसी ऑटोमेशन तकनीकों ने दक्षता बढ़ाकर और श्रम लागत को कम करके फाउंड्री उद्योग को परिवर्तित कर दिया है। रोबोट पिघला हुआ धातु उडेलने, तैयार कास्टिंग को हटाने और मोल्डों को साफ करने जैसे कार्य करके उच्च उत्पादकता और बेहतर उत्पाद गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकते हैं।

कॉलेज और पाठ्यक्रम

फोर्ज और फाउंड्री प्रौद्योगिकी उनलोगों के लिए अध्ययन का एक अनिवार्य क्षेत्र है, जोधातु के संघटकों के विनिर्माण में विशेषज्ञता हासिल करने के इच्‍छुक हैं । फोर्ज और फाउंड्री प्रौद्योगिकीपर ध्यान केंद्रित करते हुए धातु विज्ञान का ज्ञान प्रदान करने में अग्रणी माने जाने वाले कॉलेजों की एक सांकेतिक सूची निम्‍नलिखित है:

पीएसजी कॉलेज ऑफ प्रौद्योगिकी, कोयम्बटूर

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता सहित मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता सहित मेटलर्जिकल एंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी

राष्ट्रीय उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएएमटी), रांची

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता सहितमेटलर्जिकल एंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी

गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, सलेम

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता सहित मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग

डॉ. महालिंगम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड प्रौद्योगिकी, पोलाची

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता सहितमेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग

प्रौद्योगिकी संस्थान (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय), वाराणसी

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता सहितमैटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी

 

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी

कोयंबटूर इंस्टीट्यूट ऑफ प्रौद्योगिकी (सीआईटी), कोयम्बटूर

फाउंड्री प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता सहितमेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग

गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता सहितमेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग

अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता सहितमेटलर्जिकल एंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग प्रदान करता है

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग भी प्रदान करता है

संत लोंगोवाल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड प्रौद्योगिकी, लोंगोवाल

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता सहितमेटलर्जिकल एंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी

·         फाउंड्री प्रौद्योगिकी में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी

ये कॉलेज फोर्ज और फाउंड्री प्रौद्योगिकी में व्यापक कार्यक्रम प्रदान करते हैं और छात्रों को विनिर्माण उद्योग में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान करते हैं। उनके पास छात्रों के लिए सुसज्जित प्रयोगशालाएं और अनुसंधान सुविधाएं हैं।

रोजगार के अवसर

धातु विज्ञानी (मेटलर्जिस्ट): मेटलर्जिस्ट धातुओं और उनकी मिश्र धातुओं के भौतिक और रासायनिक गुणों का विशेषज्ञ होता है। वे नई सामग्री विकसित करने, मौजूदा उत्पादों में सुधार लाने और उत्पादन की समस्याओं का निवारण करने के लिए अनुसंधान करते हैं।

फाउंड्री मैनेजर: फाउंड्री मैनेजर, धातु के पुर्जों की ढलाई, उत्पादन प्रक्रिया का प्रबंधन और उपकरणों के रखरखाव सहित फाउंड्री के संचालन का प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार होता है।

गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक: गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होता है कि उत्पाद आवश्यक गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हैं। वे तैयार उत्पादों और कच्चे माल का निरीक्षण करते हैंऔर उत्पाद के गुणों को मापने के लिए परीक्षण उपकरण का उपयोग करते हैं।

पैटर्नमेकर: एक पैटर्नमेकर धातु के पुर्जों को ढालने में इस्तेमाल होने वाले पैटर्न बनाने के लिए जिम्मेदार होता है। वे जटिल पैटर्न बनाने के लिए लकड़ी, प्लास्टिक या धातु के साथ काम कर सकते हैं जिनका उपयोग कास्टिंग के लिए सांचे बनाने के लिए किया जाता है।

फोर्जिंग मशीन ऑपरेटर: फोर्जिंग मशीन ऑपरेटर धातु को विभिन्न आकृतियों में ढालने वाली मशीनों के संचालन के लिए जिम्मेदार होता है। वे धातु के हिस्सों को आकार देने के लिए विशाल प्रेस या हथौड़ों से काम कर सकते हैं।

हीट ट्रीटर: हीट ट्रीटर धातु के पुर्जों की हीट-ट्रीटिंग के लिए जिम्मेदार होता है, ताकि उनकीमजबूती और टिकाऊपन को बेहतर बनाया जा सके। वे धातु के पुर्जों के गुणों को संशोधित करने के लिए क्‍वेंचिंग और टेम्‍परिंग  जैसी हीट ट्रीटमेंट प्रक्रियाओं का उपयोग करते हैं।

वेल्डर: वेल्डर एमआईजी, टीआईजी, या आर्क वेल्डिंग जैसी वेल्डिंग तकनीकों का उपयोग करके धातु के पुर्जों को एक साथ जोड़ने के लिए जिम्मेदार होता है। वे छोटे संघटकों से लेकर पुलों और इमारतों जैसी बड़ी संरचनाओं जैसे विभिन्न प्रकार के उत्पादों पर काम कर सकते हैं।

शीर्ष भर्तीकर्ता

फोर्ज और फाउंड्री प्रौद्योगिकीका उपयोग भारी उद्योगों से लेकर सजावटी वस्‍तुएं बनाने वाले छोटे उद्योगों तक विभिन्न प्रकार के उद्योगों में किया जाता है। नीचे उन उद्योगों और व्यवसायों की एक सांकेतिक सूची दी गई है जो फोर्ज और फाउंड्री में विशेषज्ञता वाले धातुकर्मियों की बड़े पैमाने पर भर्ती करते हैं। भारतीय धातु विज्ञान उद्योग में इन कंपनियों की मजबूत उपस्थिति है और फोर्ज और फाउंड्री पर फोकस के साथ धातुकर्मियों के लिए इनमें नौकरी के नियमित अवसर होते रहते हैं। वे अनुसंधान और विकास, उत्पादन, गुणवत्ता नियंत्रण, प्रक्रिया नियंत्रण और डिजाइन जैसे क्षेत्र में विविध पदों की पेशकश करती हैं।

·         स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल)

·         टाटा स्टील

·         जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड

·         एस्सार स्टील इंडिया लिमिटेड

·         जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड

·         भारत फोर्ज लिमिटेड

·         महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड

·         हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड

·         वेदांत लिमिटेड

·         आदित्य बिड़ला समूह

(लेखिका करियर परामर्शदाता और जेईई और एनईईटी सहित प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं की प्रशिक्षक हैं। उनसे agraharidaali@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)