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Issue no 36, 04 -10 December 2021

सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा

पाठ्यक्रम पर पूर्ण अधिकार की रणनीतियां

 

एस. बी. सिंह

सिविल सेवा परीक्षा से परिचित हर व्यक्ति यह जानता है कि यह परीक्षा एक बहु-स्तरीय परीक्षा है जिसमें तीन चरण शामिल हैं: प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और अंत में, साक्षात्कार. प्रारंभिक परीक्षा का उद्देश्य उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग करना और लाखों गैर-गंभीर और कम तैयारी वाले उम्मीदवारों को बाहर करना है. मुख्य परीक्षा में चार सामान्य अध्ययन (जीएस) प्रश्न-पत्र, एक वैकल्पिक विषय (दो प्रश्न-पत्र शामिल), एक निबंध प्रश्न-पत्र और दो भाषा के प्रश्न-पत्र शामिल हैं, जो पूरी परीक्षण प्रक्रिया का मुख्य भाग हैं. ये सभी प्रश्न-पत्र अनिवार्य हैं और प्रत्येक उम्मीदवार को इनमें शामिल होना होता है. मुख्य परीक्षा में कुल 1750 अंक होते हैं (भाषा के प्रश्न-पत्र अर्हक प्रकृति के होते हैं, इसलिए वरीयता क्रम की गणना करते समय इन्हें आधार नहीं बनाया जाता है). चार सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्रों में से प्रत्येक 250 अंक का होता है. निबंध का प्रश्न-पत्र भी 250 अंकों का होता है, और इसी तरह वैकल्पिक विषय के लिए दो प्रश्न-पत्रों में से प्रत्येक 250 अंकों का होता है. साक्षात्कार/ व्यक्तित्व परीक्षण 275 अंकों का होता है. साक्षात्कार में प्राप्त अंक मुख्य परीक्षा में उम्मीदवार के कुल प्राप्तांकों में जुड़ जाते हैं और तद्नुसार उम्मीदवार की समग्र रैंकिंग को दर्शाते हैं.

 

मुख्य परीक्षा के औचित्य को जानने का सबसे अच्छा तरीका उसे समझना है जो यूपीएससी ने अपनी अधिसूचना में कहा है. इस अधिसूचना के अनुसार, निम्नलिखित बिंदुओं पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना है:

 

1.       उद्देश्य: मुख्य परीक्षा का उद्देश्य मात्र उम्मीदवार की जानकारी के स्तर के बजाय उसके समग्र बौद्धिक गुणों और समझ की गहराई का आकलन करना है. 

2.       सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्रों की प्रकृति:  सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्रों में प्रश्नों की प्रकृति और स्तर ऐसा होगा कि कोई भी सुशिक्षित व्यक्ति बिना किसी विशेष अध्ययन के उनका उत्तर दे पायेगा. इनमें प्रश्न सिविल सेवाओं में कॅरिअर के लिए प्रासंगिक विभिन्न विषयों के बारे में उम्मीदवार की सामान्य जागरूकता का परीक्षण करने वाले होंगे. ये प्रश्न प्रासंगिक विषयों के संबंध में उम्मीदवार की बुनियादी समझ और परस्पर विरोधी सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों, उद्देश्यों एवं मांगों का विश्लेषण करने एवं निर्णय लेने की उसकी क्षमता का परीक्षण करने वाले होंगे. उम्मीदवारों को इनका प्रासंगिक, सार्थक और सारगर्भित उत्तर देना चाहिए. 

3.       वैकल्पिक प्रश्न-पत्रों की प्रकृति: वैकल्पिक प्रश्न-पत्रों के लिए पाठ्यक्रम का स्तर मुख्य रूप से ऑनर्स डिग्री स्तर का होता है, यानी स्नातक की डिग्री से कुछ ऊपर और मास्टर डिग्री से नीचे का स्तर. 

4.       भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी पर योग्यता परीक्षा प्रश्न-पत्र: ये प्रश्न-पत्र  गंभीर तर्कपूर्ण गद्य को पढ़ने और समझने तथा अंग्रेजी एवं संबंधित भारतीय भाषाओं में स्पष्ट और सही ढंग से विचार व्यक्त करने में उम्मीदवार की क्षमता का परीक्षण करते हैं.

 

साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण    

मुख्य लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बीच तीन महीने का अंतर होता है. साक्षात्कार मुख्य परीक्षा का एक अभिन्न अंग है और इसे इस दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिए. आदर्श रूप में, उम्मीदवार को मुख्य परीक्षा की तैयारी करते समय साक्षात्कार को भी ध्यान में रखना चाहिए क्योंकि साक्षात्कार में कई प्रश्न मुख्य पाठ्यक्रम के विषयों से पूछे जा सकते हैं. कोई भी प्रवीण उम्मीदवार मुख्य परीक्षा की तैयारी और साक्षात्कार परीक्षा के बीच इस संबंध को समझता है और साक्षात्कार की तैयारी को हमेशा अपने मस्तिष्क में रखता है. साक्षात्कार के लिए अलग से तैयारी जैसा कुछ भी नहीं होता है. यह विभिन्न विषयों पर दैनिक ज्ञान अर्जन का हिस्सा है. यूपीएससी के मूल शब्दों में, ''साक्षात्कार परीक्षा का उद्देश्य यह होगा कि सक्षम एवं निष्पक्ष प्रेक्षकों का बोर्ड यह जान सके कि उम्मीदवार लोक सेवा में कॅरिअर के लिए व्यक्तित्व की दृष्टि से उपयुक्त है या नहीं. यह परीक्षा उम्मीदवार की मानसिक क्षमता को जांचने के अभिप्राय से की जाती है. इसमें जांचे जाने वाले कुछ गुण हैं: मानसिक सतर्कता, आलोचनात्मक ग्रहण शक्ति, स्पष्ट और तर्क संगत प्रतिपादन, संतुलित निर्णय की क्षमता, सामाजिक संगठन और नेतृत्व की क्षमता, बौद्धिक और नैतिक सत्यनिष्ठा.

 

मुख्य परीक्षा के लिए सामान्य अध्ययन पाठ्यक्रम को समझना: मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के चार प्रश्न-पत्र होते हैं. वे बहु-विषयक और अंतर्विषयक दोनों तरह के होते हैं. उदाहरण के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र प्रथम इतिहास, संस्कृति, भूगोल, समाज, जनसंख्या, आदि जैसे विषयों को जोड़ता है. इस पाठ्यक्रम के प्रत्येक घटक को तैयार करने की आवश्यकता होती है, न कि केवल इतिहास और भूगोल को. सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र द्वितीय के पाठ्यक्रम में शासन प्रणाली, शासन, अंतरराष्ट्रीय संबंध, सामाजिक मुद्दे, नागरिक समाज, गैर सरकारी संगठन, आदि शामिल हैं. केवल शासन प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को पढ़ना आधी तैयारी होगी. 'अंतर्विषयक से आशय यह है कि आपका ज्ञान विभिन्न क्षेत्रों में विस्तारित होना चाहिए. उदाहरण के लिए, गरीबी को अर्थशास्त्र, सामाजिक भेदभाव, असमान अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संरचनाओं आदि के संदर्भ के बिना नहीं समझा जा सकता है.

 

मुख्य परीक्षा के लिए रणनीति: किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए, सबसे सुरक्षित तरीका निर्धारित पाठ्यक्रम के करीब रहना, परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था द्वारा बताए गए उद्देश्यों को समझना और उसके अनुसार तैयारी करना है. यह सिविल सेवा मुख्य परीक्षा पर सबसे अधिक लागू होता है, जो सटीकता और विशुद्धता के बारे में है. इस रणनीति के मुख्य घटक हैं:

 

·         समुचित समय पहले पाठ्यक्रम पूर्ण करना: चूंकि प्रारंभिक परीक्षा के बाद तीन महीने के भीतर ही मुख्य परीक्षा आयोजित की जाती है, इसलिए प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के बीच समय अंतराल पूरे पाठ्यक्रम को कवर करने के लिए अपर्याप्त है. सभी मुख्य प्रश्न-पत्रों को कवर करने के लिए कम से कम छह से आठ महीने के कठिन एवं प्रतिबद्ध अध्ययन की आवश्यकता होगी. इसलिए, बेहतर है कि आपको प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी शुरू करने से कम से कम छह महीने पहले मुख्य पाठ्यक्रम पर अच्छी पकड़ हासिल कर लेनी चाहिए.

·         तैयारी में प्राथमिकता तय करना: आपको विस्तृत योजना के बिना कभी भी तैयारी नहीं करनी चाहिए. कुशल, आउटपुट आधारित तैयारी के लिए, आपको यह जानना होगा कि पहले क्या करना है और उसके बाद क्या करना है. इसलिए, तैयारी हेतु पूरे एक वर्ष के लिए रूपरेखा तैयार करें और उसका पालन करें, चाहे कुछ भी हो.

·         वैकल्पिक विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता देना: व्यापक पाठ्यक्रम होने के कारण वैकल्पिक विषय पर पहले से ही महारत हासिल कर लेना बुद्धिमानी है. विभिन्न स्रोतों से जानकारी प्राप्त करना और व्यवस्थित तरीके से नोट्स लिखना समझदारी होगी. यह अभ्यास समय लेने वाला है, और यह अंतिम क्षण में संभव नहीं होगा. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वैकल्पिक विषय आपकी रैंकिंग में बहुत निर्णायक है क्योंकि इसके लिएं कुल 500 अंक निर्धारित हैं (दोनों प्रश्न-पत्रों में से प्रत्येक के लिए 250 अंक). वैकल्पिक विषय पर भरोसा करने का एक अन्य लाभ इसकी विश्वसनीयता है. इसका तात्पर्य यह है कि वैकल्पिक प्रश्न-पत्र का पाठ्यक्रम बहुत स्पष्ट रूप से दिया गया है; सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्रों की तुलना में सभी वैकल्पिक विषयों पर पुस्तकें अधिक आसानी से उपलब्ध हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्रों में पाठ्यक्रम स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं है, और गुणवत्ता पूर्ण स्रोत सामग्री बिखरी हुई है.

·         नीतिशास्त्र और निबंध प्रश्न-पत्रों के साथ वैकल्पिक विषय पर अतिरिक्त बल देना: सभी मुख्य विषयों पर समान महारत हासिल करना लगभग असंभव है. यहां तक कि टॉपर भी उस तरह की पूरी महारत का दावा नहीं कर सकते हैं. इसलिए, कुछ विषयों में उत्कृष्टता प्राप्त करना और उनमें उच्च अंक प्राप्त करना बेहतर रहता है. नैतिकता और निबंध के प्रश्न-पत्रों के साथ, वैकल्पिक विषय अच्छे अंक प्राप्त करने का उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अन्य सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्रों की तुलना में नैतिकता और निबंध के प्रश्न-पत्र सही दृष्टिकोण से अध्ययन किये जाने पर अधिक अंक दिला सकते हैं. दूसरे, ये दो प्रश्न-पत्र राजनीति, इतिहास, भूगोल आदि जैसे पारंपरिक पाठ्यक्रम का अध्ययन करने के बजाय आदर्श कौशल को विकसित करने, विचार प्रक्रियाओं और दैनिक अनुभवों के बारे में अधिक हैं.

·         संतुलित तैयारी: किसी भी उम्मीदवार को तैयारी में मुख्य परीक्षा के सभी  प्रश्न-पत्रों के बीच एक संतुलन रखना चाहिए. यदि आपने अन्य प्रश्न-पत्रों की उपेक्षा करते हुए किसी विशेष प्रश्न-पत्र पर अपना अधिक समय खर्च नहीं किया है, तो इससे सहायता मिलेगी. जब तक आप मुख्य परीक्षा के सभी प्रश्नपत्रों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करेंगे, तब तक उच्च अंक प्राप्त करना असंभव होगा.

·         पिछले पांच वर्षों के प्रश्नों का विश्लेषण: अपनी पसंद के प्रत्येक विषय पर, पहले अच्छी समझ विकसित करें, और उसके बाद पिछले पांच वर्षों में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा पूछे गये प्रश्नों को देखें. ऐसा करने से आपको विषय और उसके विभिन्न आयामों के बारे में अधिक सटीक जानकारी मिलेगी. इतना ही नहीं, यूपीएससी द्वारा इस विषय पर किस तरह के अतिरिक्त प्रश्न तैयार किए जा सकते हैं और आप उनका उत्तर किस तरह देने जा रहे हैं, इस पर अच्छी तरह विचार करें.

·         उत्तर लेखन शैली: अनावश्यक चार्ट और आरेख नहीं बनाने हैं. यूपीएससी के उत्तर सबसे अच्छे तरीके से निबंध के रूप में लिखे जाते हैं, सिवाय इसके कि आपके तर्क को उजागर करने के लिए कोई आरेख प्रासंगिक हो.

·         सही शब्दावली की भूमिका: जो प्रश्न-पत्र आप देने जा रहे हैं उसके लिए सही शब्दावली का उपयोग करना न भूलें. उदाहरण के लिए, यदि आप अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर लिख रहे हैं, तो सामरिक स्वायत्तता, भू-राजनीति, भू-अर्थशास्त्र, बहुपक्षवाद, बहुधु्रवीय दुनिया आदि जैसे शब्दों का विवेकपूर्ण उपयोग आपके लिए बेहतर रहेगा. इसी प्रकार, नीतिशास्त्र  में संवेदना, दया, उदारता, परोपकार, सदाचार, मूल्य, मानदंड आदि जैसे शब्दों का उचित उपयोग किया जाना चाहिए.

·         अपने स्रोतों को जानें: जब तक आप प्रामाणिक स्रोतों से अपनी अध्ययन सामग्री प्राप्त नहीं करते हैं, तब तक आप में विषय की बेहतर समझ का विकास नहीं होगा. उम्मीदवारों में वाणिज्यिक संस्थानों द्वारा प्रदान की जाने वाली संकलित सामग्री, या यूट्यूब पर नि:शुल्क उपलब्ध ऑनलाइन व्याख्यानों पर भरोसा करने की सामान्य प्रवृत्ति है. मैं यह सुझाव नहीं दे रहा हूं कि वे बेकार हैं. मेरा कहना यह है कि जब बेहतर, विश्वसनीय, मूल स्रोत उपलब्ध हैं, तो अन्य स्रोतों को क्यों अपनाएं? याद रखें, जो मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न निर्धारित करते हैं, वे बाजार के स्रोतों से प्रश्न नहीं उठाएंगे. वे हमेशा पुस्तकों, पत्रिकाओं, सरकारी रिपोर्टों जैसे मानक स्रोतों पर भरोसा करेंगे.

·         लेखन में गति बनाए रखना: सामान्य अध्ययन के प्रत्येक प्रश्न-पत्र में बीस से अधिक प्रश्नों के उत्तर लिखना एक बड़ा कार्य है जिसके लिए बहुत अभ्यास की आवश्यकता होती है. कई उम्मीदवार तीन घंटे में प्रश्न-पत्र पूरा नहीं कर पाते हैं, भले ही उन्हें उत्तर पता हो. इस चुनौती को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका पहले से अभ्यास करना है.

    

सही रणनीति को व्यवहार में लाना अपने आप में एक चुनौती है और इसके लिए अनुशासन, कड़ी मेहनत और दृढ़ता की आवश्यकता होती है.

 

(लेखक शिक्षाविद् और सिविल सेवा परामर्शदाता हैं. उनसे sb_singh2003@yahoo.com पर संपर्क किया जा सकता है.)

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.