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नौकरी फोकस


Career volume-37

दिव्यांग पुनस्र्थापना में कॅरिअर के अवसर

डॉ. सिद्धांत कमल मिश्र

जीवन प्रारंभ होने के साथ ही दिव्यांगता भी किसी न किसी रूप में रही है. दिव्यांगता पर भारतीय विधि दस प्रकार की दिव्यांगताओं को मान्यता देती है, यथा नेत्रहीनता, अल्प दृष्टि, लेप्रोसी क्योर्ड, श्रवण बाधा, लोकोमोटर दिव्यांगता, मानसिक विलंबन, मानसिक रोग, ऑटिज़्म (आत्म-विमोह), सेरेब्रल पल्सी तथा बहु-दिव्यांगता. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) का अनुमान है कि विश्व की लगभग दस प्रतिशत जनसंख्या कुछ विकलांग है. तथापि, 2011 में भारत में की गई नवीनतम जनगणना के अनुसार कुल 2.21 प्रतिशत जनंसख्या किसी न किसी दिव्यांगता से ग्रस्त है. वर्ष 2011 में कुल 2,68,10,557 व्यक्ति विकलांग थे.

विभिन्न देशों द्वारा दिव्यांगता की परिभाषा एवं दिव्यांगता स्थितियों में विभिन्नता होने के कारण, दिव्यांगताओं का प्रचलन अलग-अलग देशों में अलग-अलग है. कुछ विकसित देशों में यह 10 प्रतिशत तक हो सकती है. तथापि विकसित देशों में दीर्घ आयु दिव्यांगता अधिक होने का एक मुख्य तथ्य है.

विकलांग व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें शिक्षित तथा प्रशिक्षित करने के क्रम में, कई तरह के विशेषज्ञ दिव्यांगता पुनस्र्थापना व्यवसायियों की आवश्यकता है. ये पुनस्र्थापना व्यवसायी ऐसे विकलांग व्यक्तियों को मुख्यधारा में लाते हैं, जिन्हें यदि बेसहारा छोड़ दिया जाए तो वे पृथक और आश्रित हो सकते हैं. इन विशेषज्ञों में विशेष शिक्षक, ऑडियोलोजिस्ट, स्पीच पैथोलोजिस्ट, नैदानिक सायकोलोजिस्ट, पुनस्र्थापना सायकोलोजिस्ट, पुनस्र्थापना सलाहकार, पुनस्र्थापना सामाजिक कार्यकर्ता, फिजियोथेरापिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरापिस्ट, ऑर्थोटिस्ट एवं प्रोस्थेटिस्ट आदि शामिल हैं.

भारत में, दिव्यांगता पुनस्र्थापना व्यवसाय को, वर्ष 1992 में भारतीय पुनस्र्थापना परिषद (आर.सी.आई.) अधिनियम के अधिनियमन के बाद मान्यता मिली. इससे पहले, हमारे देश में दिव्यांगता पुनस्र्थापना में व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम बहुत कम थे और वे भी मानकीकृत नहीं थे. आर.सी.आई. अधिनियम में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी प्रावधान है कि दिव्यांगता पुनस्र्थापना पाठ्यक्रम मानकीकृत होने चाहिएं, ये पाठ्यक्रम चलाने वाली संस्थाएं मान्यताप्राप्त होनी चाहिएं और व्यवसायी, प्रैक्टिस प्रारंभ करने या कोई रोजग़ार प्राप्त करने से पहले आर.सी.आई. में पंजीकृत होने चाहिएं. आर.सी.आई. ने 600 से अधिक संस्थाओं को मान्यता दी है, जिनमें दिव्यांगता पुनस्र्थापना में प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, पी.जी. डिप्लोमा, स्नातक, मास्टर तथा एम.फिल. स्तर के कार्यक्रम चलाने वाले विश्वविद्यालय, कॉलेज और सरकारी संगठन तथा राष्ट्रीय संस्थान शामिल हैं. देश भर में दिव्यांगता पुनस्र्थापना में ऐसे लगभग 60 पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं. इनमें से कुछ पाठ्यक्रम राज्य मुक्त विश्वविद्यालयों दूरस्थ पद्धति में चलाए जा रहे हैं. पाठ्यक्रम पूरा करने और आर.सी.आई. में पंजीकरण कराने के बाद ये प्रशिक्षित व्यवसायी या तो प्राइवेट प्रैक्टिस चलाते हैं या अस्पतालों, क्लीनिक्स, गैर-सरकारी संगठनों, शैक्षिक संस्थाओं, विशेष एवं सामान्य स्कूलों, जराचिकित्सा केंद्रों, वृद्धाश्रमों, खेल केन्द्रों, स्वास्थ्य क्लबों, डे-केयर सेंटर आदि में कार्य करते हैं. चूंकि फिजियोथेरापिस्ट और ऑक्यूपेशनल थेरापिस्ट आर.सी.आई. के प्रयोजन-क्षेत्र में नहीं आते हैं, इसलिए उन्हें आर.सी.आई. में पंजीकरण कराना अपेक्षित नहीं होता है.

दिव्यांगता पुनस्र्थापना क्षेत्र उन व्यक्तियों को शानदार अवसर देता है जो समाज के सीमांत तथा कम सुविधा प्राप्त वर्ग की सेवा करने का मनोभाव रखते हैं. मोटे तौर पर, पुनस्र्थापना व्यवसायी, निवारण, पूर्व पहचान, पूर्व मध्यस्थता तथा अंतर्वेशन कार्य से जुड़े कार्य करते हैं. प्रत्येक दिव्यांगता की अलग आवश्यकता होती है और दिव्यांगता की प्रकृति तथा बचाव के आधार पर इसके प्रबंधन के लिए विभिन्न नीतियां अपेक्षित होती हैं. उदाहरण के लिए, नेत्रहीन छात्रों को पढ़ाने के लिए शैक्षणिक कौशल रखने के लिए अतिरिक्त, ब्रेललिपि का ज्ञान होना आवश्यक होता है. इसी तरह श्रवण बाधिक (बधिर) व्यक्तियों को विशेष शिक्षक संचार की संकेत भाषा या वैकल्पिक पद्धतियों का ज्ञान होना चाहिए. इस तरह, प्रत्येक दिव्यांगता के लिए डी.एड., बी.एड. तथा एम.एड. स्तरों पर विशेष शिक्षा में अलग-अलग पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं. पूरे देश में लगभग 440 संस्थाएं ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसोर्डर्स (ए.एस.डी.), सेरेब्रल पल्सी, डैफ ब्लाइंडनेस, श्रवण बाधा, लर्निंग दिव्यांगता, मानसिक विलंबन, बहु-दिव्यांगता तथा दृष्टि बाधा (नेत्रहीनता) में विशेष शिक्षा पाठ्यक्रम चलाते हैं. लंबी अवधि के क्रॉस दिव्यांगता विशेष शिक्षा पाठ्यक्रम चलाए जाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं. कई प्राइवेट स्कूलों ने विशेष शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष शिक्षकों को रखना प्रारंभ कर दिया है और कुछ राज्य सरकारों ने भी अपने नियमित स्कूलों में ऐसे शिक्षकों की भर्ती प्रारंभ कर दी है.

विशेष शिक्षा तथा दिव्यांगता पुनस्र्थापना में पाठ्यक्रम चलाने वाले प्राइवेट तथा सरकारी संस्थान लगभग सभी राज्यों में हैं. अधिकांश संस्थान, आर.सी.आई. द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रवेश-दिशा-निर्देशों के आधार पर छात्रों को स्वयं प्रवेश देते हैं. कुछ विश्वविद्यालय/संस्थान, कुछ पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रवेश-परीक्षा और मौखिक साक्षात्कार लेते हैं. फिजियोथैरेपी एवं ऑक्यूपेशनल थैरेपी में पाठ्यक्रम चलाने वाले संस्थानों को छोडक़र, अन्य संस्थाओं की सूची उनके सम्पर्क के विवरण, उनके द्वारा चलाए जाने वाले पाठ्यक्रमों तथा मान्यता की वैधता के विवरण के साथ आर.सी.आई. की वेबसाइट: www.rehabcouncil.nic.in पर उपलब्ध हैं. फिजियोथैरेपी एवं ऑक्यूपेशनल थैरेपी पाठ्यक्रम देश में अनेक विश्वविद्यालयों/संस्था द्वारा चलाए जाते हैं. ये पाठ्यक्रम चलाने वाले राजकीय संस्थान निम्नलिखित हैं:-

 *पंडित दीनदयाल उपाध्याय शारीरिक,                                    
अखिल भारतीय शारीरिक औषधि
*विकलांगजन (दिव्यांगजन), संस्थान, नई दिल्ली                 
एवं पुनस्र्थापना संस्थान, मुंबई
*स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुनस्र्थापना प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, कटक
*राष्ट्रीय लोकोमोटर दिव्यांगता (दिव्यांगजन) संस्थान, कोलकाता

ऑडियोलॉजी एवं स्पीज लैंगुएज पैथोलॉजिस्ट में व्यवसायियों को स्पीच, लैंगुएज तथा श्रवण व्यतिक्रम की जांच, निदान, निर्धारण एवं प्रबंधन में विशेषज्ञता कराई जाती है. ऑडियोलॉजी तथा स्पीच लैंगुएज पैथोलॉजी में स्नातक तथा मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम देश में अनेक विश्वविद्यालय तथा संस्थाएं चलाती हैं, और उनमें कुछ नीचे सूची में उल्लिखित हैं:-

 *अली यावर जंग राष्ट्रीय वाणी एवं श्रवण दिव्यांगता (दिव्यांगजन) संस्थान, मुंबई तथा इसके *क्षेत्रीय केन्द्र-कोलकाता, सिकंदराबाद एवं नोएडा
*अखिल भारतीय वाणी एवं श्रवण  संस्थान, मैसूर
*टोपीवाला राष्ट्रीय चिकित्सा कॉलेज, मुंबई                   
*श्री रामचंद्र विश्वविद्यालय, चेन्नै
*भारती विद्यापीठ, मान्य विश्वविद्यालय, पुणे
*एस.आर.एम.मान्य विश्वविद्यालय, कांचीपुरम
*मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी (मान्य विश्वविद्यालय), मणिपाल            
*स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवंअनुसंधान संस्थान, चंडीगढ़
*क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान, इम्फाल                               
*मद्रास चिकित्सा कॉलेज, चेन्नै
*विनायक मिशन अनुसंधान फाउंडेशन (मान्य विश्वविद्यालय) पुदुच्चेरी    
*स्वीकार पुनस्र्थापना विज्ञान अकादमी, उपकार कॉम्प्लैक्स, सर्कल, पिकेट, सिकंदराबाद       
*डॉ. एस.आर. चंद्रशेखर वाणी एवं श्रवण संस्थान, बंगलौर
*हॉली क्रॉस कॉलेज, तिरुचिरापल्ली
*हेलेन केलर दिव्यांग शिशु अनुसंधान एवं संस्थान, पुनस्र्थापना संस्थान, सिकंदराबाद        
*जे.एस.एस. वाणी एवं श्रवण धारवाड़
 

नैदानिक मनोवैज्ञानिक तथा पुर्नस्थापना मनोवैज्ञानिक को क्रमश: मानसिक रोगियों और दिव्यांगजनों का उपचार करने में प्रशिक्षित किया जाता है. नैदानिक मनोविज्ञान में एफ.फिल एवं पुनस्र्थापना मनोविज्ञान में एम.फिल में प्रवेश के लिए किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में मास्टर डिग्री एक पूर्वापेक्षा है. ये एम.फिल पाठ्यक्रम दो वर्ष की अवधि के होते हैं और नैदानिक संस्थापनाओं में चलाए जाते हैं. ये पाठ्यक्रम चलाने वाली कुछ संस्थाएं निम्नलिखित हैं:-

 एम.फिल नैदानिक मनोविज्ञान

*श्रीरामचंद्र विश्वविद्यालय, चेन्नै   
*मणिपाल विश्वविद्यालय, मणिपाल
*एस.आर.एम. मान्य विश्वविद्यालय, कांचीपुरम जिला   

*रांची तंत्रिका, मनश्चिकित्सा एवं समवर्गी संस्थान, रांची
 *मानव आचरण एवं समवर्गी विज्ञान संस्थान, दिल्ली
*मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं अस्पताल, आगरा
*लोकोप्रिय गोपीनाथ बोर्डोली क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, तेज़पुर
*स्वीकार पुनस्र्थापना विज्ञान अकादमी, सिकंदराबाद
*कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता
*एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा
*मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, कटक
*राष्ट्रीय बहु-दिव्यांग जन अधिकारिता संस्थान मुत्तुकडु, कांचीपुरम जिला

एम.फिल. पुनस्र्थापना मनोविज्ञान

*राष्ट्रीय मानसिक दिव्यांगजन संस्थान, सिकंदराबाद
*अली यावर जंग राष्ट्रीय वाणि एवं श्रवण दिव्यांगता (दिव्यांगजन) संस्थान, मुंबई
स्वीकार पुनस्र्थापना विज्ञान अकादमी, सिकंदराबाद
 

ऑर्थोटिस्ट एवं प्रोस्थेटिस्ट को किसी मरीज/लोकोमोटर दिव्यांगजन (अंगों को हिलाने में अक्षमता) को आर्थोसिस तथा प्रोस्थेसिस के मूल्यांकन निर्धारण तथा देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. ये व्यवसायी कैपिलर्स, कृत्रिम हाथ, पैर, अंग कॉलर आदि की डिजाइन, निर्माण एवं फिटिंग के लिए कठोर प्रशिक्षण लेते हैं. डिप्लोमा, स्नातक तथा मास्टर स्तर के पाठ्यक्रम निम्नलिखित संस्थाओं में उपलब्ध हैं:-

*पंडित दीनदयाल उपाध्याय शारीरिक संस्थान, दिव्यांगजन नई दिल्ली
*अखिल भारतीय शारीरिक औषधि एवं पुनस्र्थापना संस्थान, मुंबई
*स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुनस्र्थापना प्रशिक्षण एवं संस्थान, कटक                
 *राष्ट्रीय लोकोमोटर दिव्यांगजन अनुसंधान संस्थान, कोलकाता
*इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर, नई दिल्ली           
*सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली
*मोबिलिटी इंडिया, बंगलौर   राजकीय प्रोस्थेटिक एवं ऑर्थोटिक कॉलेज, अहमदाबाद
*कम्पोजिट क्षेत्रीय दिव्यांगजन केंद्र, श्रीनगर
*क्रिश्चियन चिकित्सा कॉलेज, जिला वेल्लोर
*क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान, इम्फाल
*चक्रधर पुनस्र्थापना विज्ञान संस्थान, भुवनेश्वर
*भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति, जयपुर
*शिफेलिन स्वास्थ्य संस्थान-अनुसंधान एवं लेप्रोसी केंद्र, वेल्लोर जिला
*ईश्वर प्रोस्थेटिक्स एवं ऑर्थोटिक्स संस्थान, चेन्नै  
*डॉ. शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनस्र्थापना विश्वविद्यालय, लखनऊ

 पुनस्र्थापना सामाजिक कार्यकर्ता एवं पुनस्र्थापना सलाहकार

पुनस्र्थापना सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं पुनस्र्थापना सलाहकारों को, अर्ली इंटरवेंशन, शिक्षा, रोजग़ार, वैवाहिक सहायता, मनोरंजन सामुदायिक जागरूकता आदि के लिए विभिन्न एजेंसियों के साथ नेटवर्किंग, मार्गदर्शन एवं सलाह के माध्यम से दिव्यांगता का प्रभाव कम करने के लिए दिव्यांग जनों तथा उनके परिवार के सदस्यों को सेवाएं देने में प्रशिक्षित किया जाता है. निम्नलिखित संस्थान, आर.सी.आई. मान्यता के अधीन पुनस्र्थापना सामाजिक कार्य एवं पुनस्र्थापना सलाह में पाठ्यक्रम चलाते हैं:-

पुनस्र्थापना सामाजिक कार्यकर्ता

 टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, मुंबई

पुनस्र्थापना सलाह/परामर्श

राष्ट्रीय सार्वजनिक सहयोग एवं शिशु विकास संस्थान, नई दिल्ली

इस तरह दिव्यांगजन पुनस्र्थापना क्षेत्र उन दिव्यांगजनों - जिनकी संख्या जनगणना रिपोर्ट के अनुसार 2001 से 2011 तक 49 लाख से अधिक हो गई है, को पुनस्र्थापना सेवाएं देने के लिए इन व्यवसायियों को असीम अवसर देता है.

यद्यपि दिव्यांगजन पुनस्र्थापना हमारे देश में अभी भी एक उभरता हुआ क्षेत्र है, किंतु यह तीव्र गति से विकास की ओर अग्रसर है. इस समय एक लाख से अधिक पंजीकृत पुनस्र्थापना व्यवसायियों का एक पूल है. नीति आयोग, भारत सरकार के अधीन एक स्वशासी संस्थान - राष्ट्रीय श्रमिक अर्थशास्त्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (पूर्व अनुप्रयुक्त जनशक्ति अनुसंधान संस्थान) द्वारा 2009 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार देश में 1.82 लाख प्रशिक्षित व्यवसायियों की आवश्यकता है.

(लेखक राष्ट्रीय दिव्यांगता अध्ययन केन्द्र (एन.सी.डी.एस.), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय (इग्नू) में उप निदेशक हैं. ई-मेल: skmishra@ignou.ac.in) व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं.