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संपादकीय लेख


Issue no 35, 25 Nov - 01 Dec 2023

आद्वितीय बहल 2023 में भारत की यादगार खेल सफलताएं वर्ष 2023 में वैश्विक मंच पर खेलों में अविस्मरणीय क्षणों, शानदार प्रदर्शन और ऐतिहासिक जीतें भारतीय खेलप्रेमियों की स्मृतियों में लंबे समय तक ताजा रहेंगी. साल की शुरुआत 13-19 जनवरी के दौरान भुवनेश्वर और रूरकेला में FIH पुरुष हॉकी विश्वकप के आयोजन से शुरू हुई. यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट न केवल दुनिया की सर्वश्रेष्ठ हॉकी टीमों को एक साथ लाया, बल्कि भारतीय टीम के जुझारू प्रदर्शन ने एक्शन से भरपूर वर्ष के लिए मंच तैयार किया. टेनिस के क्षेत्र में भारतीय खिलाड़ियों ने मेलबर्न में हुए ऑस्ट्रेलियाई ओपन (16-29 जनवरी), फिर विंबलडन (3-13 जुलाई) और उसके बाद अमेरिकी ओपन (28 अगस्त-10 सितंबर) में अपनी ताकत दिखाई. ग्रैंड स्लैम चरणों ने भारतीय टेनिस प्रतिभाओं को चमकने और अंतरराष्ट्रीय सर्किट में अपना प्रभाव छोड़ने का मौका दिया. बैडमिंटन प्रेमियों के लिए भी यह साल नया उत्साह देने वाला रहा. आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप (14-19 मार्च) और डेनमार्क के कोपेनहेगन में विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप (21-27 अगस्त) में हमारे सितारे पीवी सिंधू, लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय और किदांबी श्रीकांत अपने असाधारण प्रदर्शनों से देशों को गौरवान्वित करते रहे. इस वर्ष FIFA महिला फुटबॉल विश्वकप में चूकने के बावजूद दिग्गज फुटबॉलर सुनील छेत्री के नेतृत्व में भारतीय फुटबॉल नई ऊंचाइयों तक पहुंची. सैफ फुटबॉल चैंपियनशिप में कुवैत के खिलाफ पेनाल्टी शूटआउट में मिली रोमांचक जीत ने एशियाई खेलों में प्रभावशाली प्रदर्शन का जज्बा भरा. एथलेटिक्स जगत में भारतीय दल ने नीरज चोपड़ा, अविनाश सावले और एल्डोज पॉल जैसे चमकते नामों की अगुवाई में हंगरी के बुडापेस्ट में हुई विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप (19-27 अगस्त) में अमिट निशान छोड़े. उनके अतुलनीय प्रदर्शनों ने ट्रैक एंड फील्ड आयोजनों में भारत के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित किया है. हांगझोऊ एशियाई खेलों (23 सितंबर-8 अक्टूबर) ने 38 खेलों में 600 भारतीय एथलीटों को एक कड़ी में पिराया. भारत ने 70 पदकों (16 स्वर्ण, 24 रजत, 30 कांस्य) के उल्लेखनीय आंकड़े के साथ एशियाई खेलों में देश के बढ़ते दबदबे का प्रदर्शन किया. एशियाई पैरा खेलों में भी भारतीय दिव्यांग एथलीटों ने रिकॉर्ड मैडल जीतकर सभी कीर्तिमान बदलते हुए भारतीय खेल प्रतिभा के दमखम का प्रदर्शन किया. नीरज चोपड़ा ने विश्व एथलेटिक चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक और डायमंड लीग का एक चरण जीतकर सुनहरी सफलताओं का सिलसिला बरकरार रखा. 4गुणा400 रिले में पुरुष टीम ने एशियाई रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रचते हुए ट्रैक में भी मजबूती दिखाई. हाल ही में FIDE शतरंज विश्वकप में रमेशबाबू प्रगनानंदा का फाइनल में मैग्नस कार्लसन को टक्कर देना उज्ज्वल भविष्य के प्रति आश्वस्त करता है. शूटिंग में रवि कुमार और मनु भाकर जैसे सितारों का उभरना भी आने वाले कल के और चमकदार रहने की ओर इशारा करता है. एथलीटों का समर्पण, कठिन परिश्रम और जुझारुपन न केवल देश को वैभव दे रहा है बल्कि इससे आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा भी पाएंगी. भारत के भावी चुनौतियों और अवसरों की तरफ बढ़ने के साथ ही 2023 की खेल उपलब्धियों की गूंज निसंदेह प्रेरणा और गर्व की भावना का स्रोत बनेंगी. सूर्य की किरणों से नहाते तटों और सैलानियों से गुलजार मार्गों वाले जीवंत गोवा में गर्मजोश स्वागत के साथ 27 अक्तूबर से 9 नवंबर तक 37वें राष्ट्रीय खेल हुए. यह सिर्फ एथलेटिक भावना का उत्सव मात्र नहीं था, यह भारतीय खेल सेक्टर के अतुलनीय विकास और दृढ़ निश्चय की मिसाल भी थी. इस आयोजन में 10,000 एथलीटों ने रिकॉर्ड 43 खेलों में हिस्सेदारी की. इस भागीदारी ने खेलभावना और आयोजनों की मेजबानी को बढ़ावा देने के साथ प्रतिभाओं को संवारने और इसके सामाजिक-आर्थिक लाभ प्राप्त करने की प्रतिबद्धता भी दर्शाई. इस वर्ष के संस्करण ने स्क्वॉश, बीच फुटबॉल, रोल बॉल, गोल्फ, सेपकटकरा, कलारिपयट्टू, पेनकाक सिलात और मिनी गोल्फ समेत कई आयोजन को शामिल कर देश में खेलों के विविधीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया. याचिंग और ताइक्वांडो ने भी राष्ट्रीय खेलों में शानदार वापसी की. मापुसा, पंजिम, पोंडा, वास्को और मारगावो जैसे स्थानों में संपन्न कराए गए इन खेलों का समापन 10 नवंबर को हुआ. महाराष्ट्र ने करीब तीन दशकों बाद शीर्ष स्थान फिर हासिल किया. महाराष्ट्र के एथलीटों ने असाधारण प्रदर्शन करते हुए 80 स्वर्ण, 69 रजत और 79 कांस्य समेत कुल 228 पदक जीतकर प्रतिष्ठित राजा भालेंद्र सिंह रोलिंग ट्रॉफी पर कब्जा जमाया. खेलों में 2007 से दबदबा बनाए हुए सेना ने दूसरा तो हरियाणा ने तीसरा स्थान बनाया। मध्य प्रदेश, केरल और मेजबान गोवा ने भी शीर्ष पांच में जगह बनाकर नई उपलब्धि प्राप्त की. व्यक्तिगत प्रदर्शनों के मोर्चे पर कर्नाटक के तैराक श्रीहरि नटराज 8 स्वर्ण, एक-एक चांदी और कांस्य जीतकर सर्वश्रेष पुरुष एथलीट घोषित किए गए तो ओडिशा की संयुक्ता प्रसेन काले और प्रणति नायक दोनों ने 4-4 स्वर्ण और 1-1 रजत जीतकर सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट होने का तमगा हासिल किया. 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना के समन्यवय में राष्ट्रीय खेलों ने हर राज्य को अपनी क्षमताओं के प्रदर्शन, सशक्तीकरण, एकता और किसी दबाव के सामने न झुकने वाले उभरते देश की भावना को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. इससे भी ज्यादा भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और राज्य सरकारों के समन्वित प्रयासों से प्रत्येक राज्य इन खेलों के विभिन्न संस्करणों की मेजबानी कर रहे हैं. नतीजे में न केवल क्षेत्रीय खेल बुनियादी ढांचे और प्रतिभाओं की झांकी नजर आती है बल्कि यह खेलों को प्रोत्साहन की सामूहिक जवाबदेही का प्रतीक भी है. ये खेल सिर्फ पदक जीतने और विजेताओं की सराहना तक सीमित नही रहे, वे हर सेक्टर में देश की प्रगति दिखाते हुए सफलता हासिल करने में भारत की प्रतिबद्धता की मिसाल भी हैं. भारत की मेजबानी में आगामी खेल आयोजन : आईसीसी विश्वकप 2023 की शानदार सफलता से खेल कैलेंडर समाप्त होने के साथ ही भारत 2024 में विविध अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की मेजबानी करके वैश्विक खेल हब के रूप में अपनी क्षमताओं के प्रदर्शन के लिए तैयार हो रहा है. नई दिल्ली में 16 से 21 जनवरी तक BWF बैडमिंटन वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट इंडिया ओपन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते हुए वर्ष 2024 का आगाज होगा/ इसके बाद भुवनेश्वर में 3 से 9 फरवरी के बीच 2024 FIH हॉकी विमन्स प्रो लीग आकर्षण का केंद्र रहेगी, जिसमें दुनिया की शीर्ष महिला हॉकी टीमें अपने हुनर दिखाएंगी. इसके बाद हैदराबाद शहर पर्यावरण अनुकूल मोटरस्पोर्ट्स के वादे के साथ 2024 हैदराबाद ई-प्रि के जरिये फॉर्मूल ई रेसिंग की रोमांच का गवाह बनेगा. फिर भुवनेश्वर अपने खेल उत्सव को जारी रखते हए FIH हॉकी विमन्स प्रो लीग के पश्चात 10 से 16 फरवरी तक FIH हॉकी मेन्स प्रो लीग का आयोजन करेगा. इस बैटन को थामते हुए ओडिशा का एक अन्य शहर रूरकेला भी एक के बाद एक करके FIH हॉकी विमन्स प्रो लीग (12-18 फरवरी) और FIH हॉकी मेन्स प्रो लीग (19-25 फरवरी) से चर्चा में रहने वाला है. साल का अंत होते-होते लखनऊ 26 नवंबर से 1 दिसंबर तक 2024 सैयद मोदी इंडिया इंटरनेशनल की मेजबानी से उच्चस्तरीय बैडमिंटन का प्रदर्शन करेगा. इससे आगे बढ़ते हुए भारत 2025 में महिला क्रिकेट की उत्कृष्टता के उत्सव महिला क्रिकेट विश्वकप की मेजबानी 1 मार्च से करने जा रहा है. खेल आयोजनों की मेजबानी से लाभ जबकि नेशनल खेलों या अन्य किसी प्रतियोगिता के इंतजाम और बुनियादी ढांचागत चुनौतियां तो आती ही हैं, वहीं इनके विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले लाभों से इन्कार नहीं किया जा सकता. किसी खेल आयोजन की मेजबानी में तैयार हो रहे किसी शहर या देश का रूपांतरण करने की ताकत होती है. नौकरशाही के अड़ंगों को दूर करते हुए और ऐसे मुद्दों को तत्काल निपटाया जाता है, अन्यथा उन्हें लेकर अंतहीन बहस ही चलती रहती. कोई विशाल आयोजन बुनियादी ढांचे के विकास की गति तेज करने और उत्कृष्टता हासिल करने की तरफ अग्रसर करने के लिए स्वर्णिम अवसर है. यह मेजबान के पास मौजूद अपना सर्वश्रेष्ठ पेश करने का अवसर होता है. साझा लक्ष्य को हासिल करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की साझेदारी और समुदायों में एकता के साथ तमाम राजनीतिक और सरकार के विभिन्न स्तरों पर असाधारण सहयोग को बढ़ावा मिलता है. यह निपुणता पर्यावरणगत सततता, विविधता और सामुदायिक साहचर्य में नवोन्मेषी विचार पेश करते हुए अविस्मरणीय चमत्कार को जन्म देता है, जो सकारात्मक और स्थायी परिवर्तन की विरासत छोड़ जाता है. आर्थिक प्रोत्साहन सैलानियों के आगमन केसाथ वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ी मांग के चलते वित्तीय लेन-देन और रोजगार अवसरों में बढ़ोतरी वहां के नागरिकों और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए वृद्धि के नए द्वार खुल जाते हैं. बुनियादी ढांचा विकास एक प्रमुख खेल आयोजन की मेजबानी से जुड़ी होती है वास्तुकला योजना जो दिखने वाले प्रदर्शन का विस्तार है. आयोजन स्थल दीर्घकालिक स्मारक में परिवर्तित हो जाते हैं और कंक्रीट और इस्पात ढांचों के साथ संबद्ध समुदाय के समन्वय और स्वीकार्यता की विरासत को व्यापक दृष्टिकोण देते हैं. पर्यावरण प्रभाव के लिए मंच किसी अद्भुत खेल आयोजन के लिए उसकी योजना बनाना और क्रियान्वयन शहरी विकास का सुविचारित कदम है. पारिस्थितिकी सातत्य के सुविचारित विकास का ब्लूप्रिंट बन जाता है। इससे एक सतत विरासत की जमीन तैयार होती है, जो किसी समुदाय की पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के प्रति उत्तरदायित्व का बखान करती है. युवा विकास दर्शकों की भीड़ और स्पर्धा के माहौल के परे एक खेल आयोजन की मेजबानी आकांक्षाओं की संरक्षक के रूप में सामने आती है. यह युवा पीढ़ी के चरित्र और आकांक्षाओं को आकार देने वाला प्रेरक मंच है. यह विरासत स्पर्धा के रूप में आकांक्षाओं के पल्लवित होने, सपनों की प्रेरणा और भावी नेताओं और खिलाड़ियों को तैयार करने का भूमिका तैयार करती है. तकनीकी नवोन्मेष दर्शकों की भीड़ की तालियों से आगे खेल आयोजन तकनीकी नवाचार के अहम उपकरण का दायित्व भी पूरा करता है. नई-नई प्रबंधन पद्धतियों से लेकर अत्याधुनिक प्रसारण तकनीकों तक के साथ खेल आयोजन प्रगति और नवोन्मेष के प्रति उस शहर की प्रतिबद्दता का प्रतीक बन जाता है. सामाजिक सद्भाव एक टूर्नामेंट विविध समुदायों के बीच जुड़ाव भी बनाता है. यह गौरव और पहचान की अनुभूति कराते हुए ऐसे सामाजिक सद्भाव को जन्म देता है, जो दैनंदिन जीवन में समाविष्ट नजर आता है. आयोजन स्थल समावेशन के प्रतीक बनकर उस समुदाय का परिचय देते हैं, जो विविधता और समानता को महत्व देता है. मानवाधिकार को प्रोत्साहन प्रतियोगिता और तालियों से आगे किसी प्रमुख खेल आयोजन की मेजबानी करना मानवाधिकार और सामाजिक न्याय की हिमायत करना भी गहन उत्तरदायित्व भी लाता है. यह मेजबान के लिए समानता, विविधता और समावेशिता की आवाज तेज करने का मंच साबित होता है. सांप्रदायिक शांति का संरक्षण एक राष्ट्रीय खेल आयोजन की मेजबानी करना कौशल से भरा कार्य है. इसमें समुदायों को स्पर्धा और भाईचारे के साझा धरातल पर साथ आना होता है. यह राजनीतिक और सांप्रदायिक मतभेदों को पार करते हुए साझेदारी का स्थायी ताना-बाना बुनती है, जिसका विस्तार खेल क्षेत्र से परे भी होता है. नागरिकों के लिए गौरव कोई खेल आयोजन महज वर्तमान का उत्सव नहीं बल्कि समुदायों की जीवटता, उपलब्धियों और साझा भावनाओं की उद्घोषणा भी है, जो उस समाज के नागरिकों के लिए गौरव की अमिट चिह्न छोड़ जाता है. भारतीय खेल पारिस्थितिकी की वर्तमान स्थिति वैश्विक खेल मंच पर भारत लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन कर ही रहा है. इस के साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों आयोजनों को कुशलता से आयोजित करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. यह प्रतिबद्धता देश की खेल पारिस्थितिकी (sports ecosystem) को नए सिरे गढ़ने के लिए निष्ठा से भरी एक दशक लंबी यात्रा में गहरे ढंग से निहित है. पिछले नौ वर्षों में खेल बजट की सीमा बढ़ाई गई है. खेलो इंडिया और टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) जैसी पहलें इस समर्पण को रेखांकित करती हैं. ये योजनाएं शीर्ष एथलीटों के लिए प्रशिक्षण ढांचा कुशलतापूर्व गढ़ने के अलावा बुनियादी ढांचे को खड़ा करने, प्रतिभाओं की पहचान और उन्हें विश्वस्तर पर स्पर्धा के लिए आवश्यक संसाधन देने के महत्व को रेखांकित करती हैं. किसी तात्कालिक विजय से आगे भी देखने वाले किसी दूरदर्शी कोच की तरह भारत भी अत्याधुनिक खेल ढांचे, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और वैज्ञानिक प्रशिक्षण पद्धतियों में निवेश को बढ़ावा दे रहा है। हाल ही में भारत ने सार्वजनिक और निजी की साझेदारी में खेल ढांचे के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासलि की है. इन प्रयासों के बावजूद खेलों तक हर वर्ग की पहुंच आसान बनाने और उभरते खिलाड़ियों को सहयोग देना अब भी चुनौती है. खेल बुनियादी ढांचा सेक्टर ने 2.2 अरब (billion) डॉलर मूल्य के अवसर उत्पन्न किए हैं. भारत के पास इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर के 100 खेल परिसर हैं. इसके अतिरिक्त सरकारी कॉलेजों के मैदान, सामुदायिक केंद्र और निजी सुविधाएं इस पारिस्थितिकी में योगदान कर रहे हैं. उल्लेखनीय रूप से 2018 में शुरू की गई खेलो इंडिया योजना बुनियादी खेल ढांचे के विकास के लिए अहम सरकारी पहल है. पिछले पांच साल में कुल 143.12 करोड़ डॉलर की 282 खेल परियोजनाएं खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत शुरू की गई हैं (स्रोत : Invest India). इसी बीच, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) देशभर में विभिन्न खेल परिसरों का प्रबंधन और प्रशिक्षण और कोचिंग उपलब्ध कराना जारी रखे हुए है. SAI ने बुनियादी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय केंद्र और अकादमियां स्थापित की हैं. नेशनल इन्वेस्टमेंट पाइपलाइन (NIP) और नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) से भी देश की खेल पारिस्थितिकी को सहारा देने वाले ढांचे के विस्तार में मदद मिलेगी. राज्य सरकारें भी खेल ढांचे के विकास में सक्रियता से योगदान कर रही हैं. उदाहरण के लिए गोवा ने हाल ही में संपन्न राष्ट्रीय खेलों पर 9 करोड़ डॉलर खर्च किए हैं तो ओडिशा ने FIFA यू-17 महिला विश्वकप और पुरुष हॉकी विश्वकप जैसे वैश्विक आयोजनों की मेजबानी के लिए 89 बहुद्देश्यीय इंडोर स्टेडियमों के निर्माण पर 8.666 करोड़ डॉलर खर्च किए हैं. खेल के बुनियादी ढांचे में निजी निवेश बढ़ा है. कई समूहों ने जमीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल अकादमियों और परिसरों की स्थापना की है. इन सकारात्मक कदमों के बावजूद, चुनौतियां बनी हुई हैं। इनमें मौजूदा बुनियादी ढांचे का अपर्याप्त रखरखाव और क्रिकेट के अतिरिक्त विभिन्न खेलों के लिए बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता शामिल है. इन चुनौतियों से पार पाने, खेल सुविधाओं तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने और युवा खेल प्रतिभाओं के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों से निरंतर निवेश आवश्यक है. यह प्रतिबद्धता न केवल देश में एक जीवंत खेल संस्कृति का निर्माण करेगी बल्कि विश्व स्तर पर भारत की खेल प्रतिष्ठा को भी बढ़ाएगी. 2036 के ओलंपिक की मेजबानी पर भारत का दावा मेगा खेल आयोजनों की मेजबानी करना दुनियाभर की सरकारों के लिए अंतिम लक्ष्य बन गया है. ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की भव्यता, आईसीसी विश्व कप और फीफा विश्व कप का रोमांच, फॉर्मूला वन का रोमांच और प्रतिष्ठित टूर डि फ्रांस. ये सिर्फ प्रतियोगिताएं नहीं हैं, वे व्यापक परिवर्तनों की उत्प्रेरक है. मेजबान देशों को सुर्खियों में लाते हैं और विविध आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक विकास को गति देते हैं. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2036 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेजबानी के लिए देश की तरफ से बोली पेश करने की पुष्टि करके भारत की महत्वाकांक्षा को प्रज्ज्वलित किया है. हाल ही में मुंबई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के 141वें सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ओलंपिक की मेजबानी देश का पुराना सपना और 140 करोड़ भारतीयों की अदम्य आकांक्षा है. इस सपने को पूरा करने के लिए भव्य आयोजन की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. प्रधानमंत्री की घोषणा एशियाई खेलों में भारत के असाधारण प्रदर्शन के बाद सामने आई, जहां देश के एथलीटों ने अब तक के सर्वाधिक पदक हासल किए. दुनिया पेरिस (2024), लॉस एंजिल्स (2028) और ब्रिस्बेन (2032) में आगामी ओलंपिक संस्करणों का बेसब्री से इंतजार कर रही है, 2036 भारत की बोली के लिए सबसे पहला उपलब्ध स्लॉट है. अहमदाबाद को दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है. इस दावे के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एन्क्लेव जैसा महत्वाकांक्षी आयोजन स्थल मजबूत आधार है. ऐसे भव्य आयोजनों की मेजबानी का अवसर जीतने के लिए केवल उत्साह से कहीं अधिक की आवश्यकता होती है. इसके लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण और खेल की जटिल गतिशीलता की गहरी समझ की आवश्यकता है. सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, भारत को अपनी अंतर्निहित बाधाओं को पहचानकर उनका समाधान करना चाहिए. देश के अधिकांश हिस्सों में, विशेष रूप से ग्रीष्मकालीन ओलंपिक जैसे आयोजनों के लिए, गर्म जलवायु से उत्पन्न चुनौतियों पर विचार करना महत्वपूर्ण है. हमें हकीकत को पहचानकर वास्तविकता परे साबित होने वाले ऐसे प्रयासों से बचना चाहिए, जो इंतजाम और पर्यावरण के स्तर पर व्यावहारिक न हों. इससे भी आग गेमचेंजर साबित होने वाले मजबूत बुनियादी ढांचे और वत्तीय निवेश, सक्षम नेतृत्व जैसे व्यावहारिक पहलुओं को देखना होगा. सरकारों को एक समर्थ दृष्टिकोण प्रदर्शित करने और राजनीतिक बाधाएं पारकर सहयोग को बढ़ावा देने में अपनी क्षमता दिखाने की जरूरत है. यह नेतृत्व सिर्फ आयोजनों के इंतजाम के बारे में नहीं है, यह आत्मविश्वास जगाने और एकीकृत राष्ट्रीय भावना पैदा करने से जुड़ी है. जनता और प्रमुख हितधारकों दोनों का जुनून, एक सफल बोली की आत्मा है. यह उत्साह, मजबूत एकता के साथ मिलकर, न केवल मेज़बान के आकर्षण को बढ़ाता है बल्कि अतिरिक्त प्रयास करने की इच्छा को भी दर्शाता है. यह केवल संख्याओं के बारे में नहीं है; यह एक ऐसा माहौल बनाने के बारे में है जहां हर कोई आयोजन की सफलता में निवेश कर सके. तमाम चुनौतियों के बावजूद खेल क्षेत्र में भारत की यात्रा उत्कृष्टता के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता, विविधता के जीवंत उत्सव और परिवर्तनकारी भविष्य के लिए दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाती है. भारत की खेल पारिस्थितिकी तंत्र का विकास हर गुजरते साल के साथ मजबूत होता जा रहा है. यह न केवल हमारे एथलीटों के बेहतर प्रदर्शन से बल्कि उस प्रतिबद्धता से भी दिखता है, जिसके साथ देश वैश्विक खेल क्षेत्र में चमकने की आकांक्षा रखता है-प्रतिस्पर्धा और मेजबानी दोनों के संदर्भ में. जैसे ही राष्ट्र महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर अपनी नजरें जमाता है, जुनून, एकता और रणनीतिक दूरदर्शिता से प्रज्वलित भारत की सामूहिक भावना इसे निर्विवाद रूप से दुर्जेय दावेदार के रूप में स्थापित करती है. 2023 की शानदार जीत सिर्फ मील के पत्थर से कहीं अधिक है, यह प्रेरणा और गौरव की आधारशिला हैं, जो भारत को अपूर्व ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं. (लेखक दिल्ली स्थित एक प्रमुख समाचार प्रकाशन के संवाददाता हैं. इस लेख पर प्रतिक्रिया feedback.employmentnews@gmail.com पर भेजी जा सकती है) व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।