रोज़गार समाचार
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संपादकीय लेख


Issue no 34, 18-24 November 2023

साक्षात्कार दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव एक ऐसी बुनियाद है, जिस पर लोकतंत्र की इमारत टिकी हुई है। इस बुनियाद को बनाए रखने में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव से जुड़े सिद्धांत और प्रक्रियाएं अहम भूमिका निभाती हैं। भारत के चुनाव आयोग पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की एक बड़ी जिम्मेदारी है। रोजगार समाचार के लिए भूपेन्द्र सिंह के साथ बात करते हुए, भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त, श्री राजीव कुमार ने मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में शामिल करने, मतदाता सूची को संसोधित कर उसका विस्तार करने, कम मतदान से निपटने और फर्जी समाचार और गलत सूचनाओं जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए आयोग द्वारा अपनाई गई रणनीतियों और उपायों पर विस्तार के साथ चर्चा की। उन्होंने चुनावी प्रक्रियाओं में तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल और इसकी अहम भूमिका, साथ ही वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भी विस्प्रतार से प्रकाश डाला। साक्षात्कार के अंश इस प्रकार हैं। प्रश्न. सर, उन रणनीतियों और उपायों के बारे में विस्तार से बताइए, जिन्हें भारत के चुनाव आयोग ने मतदाताओं के सार्वभौमिक समावेश को सुनिश्चित करने, चुनाव में उनकी भागीदारी को बढ़ाने और निष्पक्ष चुनावी परिणाम के लिए वर्षों से अपनाया है? उत्तर: यदि आप भारत में चुनावों को देखें, तो यह जीवन जीने का एक तरीका है। ये एक ऐसी निर्णय-प्रक्रिया है, जिसमें हम एक-दूसरे से सीखते हैं और इसे एकीकृत कर, आत्मसात करते हैं। चुनाव के दौरान हम इस विश्वास के साथ अपना वोट डालते हैं कि हमारी अभिव्यक्ति का सही परिणाम मिलेगा - वही परिणाम जो लोग चाहते हैं। भारत के चुनाव आयोग का दायरा और इसकी भूमिका काफी बड़ी है। 400 से अधिक राज्य विधानसभा चुनाव, 16 राष्ट्रपति चुनाव, 16 उपराष्ट्रपति चुनाव और 17 राष्ट्रीय चुनाव को सफलतापूर्वक कराना काफी बड़ी बात है। हमारी कार्यप्रणाली और दृष्टिकोण की बात करें, तो इसकी आधारशिला के तीन प्रमुख स्तंभ हैं: (1) मतदाताओं का नामांकन सुनिश्चित कराना- हमारी प्राथमिकता मतदाताओं को हरसंभव मदद मुहैया कराते हुए यह सुनिश्चित करना है कि वे सजग बनें और मतदाता के तौर पर पंजीकरण कराएं। इसमें सभी पात्र नागरिकों का नामांकन करने और उन्हें वोट डालने के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने जैसे व्यापक प्रयास शामिल हैं।  (2) भागीदारी को बढ़ावा देना - हम चुनाव प्रक्रिया को न केवल मतदाताओं बल्कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए सहभागी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा उद्देश्य एक ऐसा वातावरण बनाना है जहां सभी हितधारक चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल हों। (3) कुशल चुनाव प्रबंधन: सुचारू और कुशल चुनाव प्रबंधन सुनिश्चित करना काफी महत्वपूर्ण है। इसके तहत मतदान केंद्र बनाने से लेकर, मतदान कराने और चुनावों के परिणामों की घोषणा करना शामिल है, जिसके लिए सटीक योजना और प्रभावी कार्यान्वयन की जरूरत होती है।  भारत के चुनावी परिदृश्य की बात करें, तो यह अपने आप में अद्वितीय है। भारत में 95 करोड़ मतदाता हैं, जिनकी तादाद अमेरिका, कनाडा, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के मतदाताओं की संयुक्त संख्या से भी अधिक है। इससे भी अधिक आशाजनक बात यह है कि मतदाताओं की भागीदारी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 2019 के आम चुनावों में, मतदान प्रतिशत 67 प्रतिशत तक पहुंच गया। खास बात ये रही कि महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं की तुलना में चुनावों में अधिक बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह हमारे कुशल चुनाव प्रबंधन और स्वस्थ लोकतंत्र के सकारात्मक पहलू को दर्शाता है। हालाँकि, हम इस बात को लेकर भी सजग है कि लगभग 29 से 30 करोड़ मतदाता अभी भी चुनावों में भाग नहीं ले रहे हैं, जिसे आयोग एक बड़ी चुनौती मानता है। इस चुनौती से निपटने के लिए, हम तीन बातों पर बल दे रहे हैं: (i) हम शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की उदासीनता को दूर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, ताकि वे बढ़-चढ़कर चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल हों। (ii) युवाओं की चुनावों को लेकर उदासीनता भी एक प्रमुख चिंताजनक पहलू है। हम युवा पीढ़ी को राजनीति और मतदान प्रक्रिया में शामिल करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। (iii) राज्यों के भीतर और बाहर दोनों जगह लोगों का काम के सिलसिले में आना-जाना एक अनोखी चुनौती पेश करता है। हमारा इसका समाधान ढूंढने के लिए प्रयासरत है ताकि ये सभी मतदाता चुनावी प्रक्रिया में भाग ले सकें। प्रश्न: सर, चुनाव आयोग ने हाल ही में मतदाता सूची को संशोधित करने के लिए विशेष सारांश पुनरीक्षण प्रक्रिया शुरू की है। यह प्रक्रिया मतदान प्रणाली को कैसे अधिक समावेशी बनाएगी? उत्तर. मतदाता सूची का विशेष सारांश पुनरीक्षण प्रतिवर्ष होता है। आप जानना चाहेंगे कि इसका उद्देश्य क्या है। इसका उत्तर रोल टू पोल सुनिश्चित करना है। इसका प्रमुख उद्देश्य एक ऐसी मतदाता सूची बनाना है, जो पूरी तरह सही, गलती रहित और स्वस्थ हो। सही मतदाता सूची से आशय है कि सूची में दर्ज मतदाता की सभी जानकारियां जिसमें फोटो भी शामिल है, पूरी तरह गलती रहित हो। वहीं, स्वस्थ मतदाता सूची से मतलब है कि सूची में लिंग, आयु समूह और जनगणना के आंकड़ों के आधार पर अन्य जनसांख्यिकीय मापदंडों के अनुपात में समूची पात्र आबादी शामिल होनी चाहिए। मतदाता सूची को अधिक समावेशी बनाने के प्रयास के तौर पर, हमने दिव्यांगों के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। इसके तहत लगभग 81 लाख दिव्यांगों को मतदाता सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा, 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिन्होंने राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हमें इस बात पर गर्व है कि देश में एक करोड़ 84 लाख मतदाता 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं, जिनमें से दो लाख 55 हजार ऐसे मतदाता है जो 100 वर्ष से अधिक आयु के हैं। चुनाव आयोग ने एक विशेष पहल शुरू की है, जिसके तहत सभी 100 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं को व्यक्तिगत पत्र भेजे गए हैं, जिसमें उनका अभिनंदन किया गया है। Voting rights are now extended to those who are 80 years or older and to persons with disabilities with a disability level of forty percent. Additionally, for the 18-19 age group, consisting of around 1.85 crore potential voters, now the draft publication has happened on October 7th. It is our appeal to the young voters to fill up the appropriate forms, if they want to be a voter till 9th December. All the young voters who are turning 18 on 1st of January, 2024 must apply.   मतदान का अधिकार अब 80 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों और चालीस प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता के स्तर वाले दिव्यांग व्यक्तियों तक बढ़ा दिया गया है। इसके अतिरिक्त, 18 से 19 आयु वर्ग के लिए, जिसमें लगभग 1.85 करोड़ संभावित मतदाता शामिल हैं, 7 अक्टूबर को एक मसौदा प्रकाशित हुआ है। युवा मतदाताओं से हमारी अपील है कि अगर वे मतदाता बनना चाहते हैं तो 9 दिसंबर तक उचित फॉर्म भरें। सभी युवा मतदाता जो 1 जनवरी 2024 को 18 वर्ष के हो रहे हैं उन्हें आवेदन करना चाहिए। इसके अलावा, बूथ स्तर के अधिकारियों की मदद से ऐसे लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं जिनका देहांत हो चुका है या फिर कहीं और चले गए हैं। मतदाता सूची की प्रतियां राजनीतिक दलों के साथ भी साझा की गई हैं और मतदान केंद्रों पर प्रदर्शित की गई हैं। यह फ़ोटो और पते सहित अन्य व्यक्तिगत विवरण को सही करने का भी एक अवसर है। Technology plays a significant role in this process, with citizens encouraged to visit the nearest polling station and use online resources to verify their information. It is crucial to ensure that your name is correctly listed, and you are assigned to the right polling station. Young voters who will turn 18 in 2024 can apply in advance, and the Election Commission will issue voter cards as they become eligible.     तकनीक इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नागरिकों को निकटतम मतदान केंद्रों की जानकारी मुहैया कराने और वहां पहुंचाने के लिए प्रेरित करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही अपनी जानकारियों को सत्यापित करने के लिए ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपका नाम सही ढंग से मतदाता सूची में सूचीबद्ध हो, और आपको सही मतदान केंद्र दिया गया हो। युवा मतदाता जो 2024 में 18 वर्ष के हो जाएंगे, वे पहले से आवेदन कर सकते हैं, और चुनाव आयोग इन युवा मतदाताओं के पात्र होते ही मतदाता कार्ड जारी कर देगा। प्रश्न: शहरी और युवा मतदाताओं में मतदान को लेकर देखी जाने वाली उदासीनता से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने सचिन तेंदुलकर, राजकुमार राव जैसी मशहूर हस्तियों और कॉमिक्स के किरदारों को अपने साथ जोड़ा है, ताकि मतदाताओं को जागरूक किया जा सके। इस पहल के बारे में बताइए। उत्तर: चुनाव आयोग ने मतदाता पंजीकरण के लिए तय तिथियों का विस्तार करते हुए पहले ही आवेदन स्वीकार करने की व्यवस्था की है। जो मतदाता एक अप्रैल, 2024 तक 18 वर्ष के हो रहे हैं, उनके पास अप्रैल के बाद होने वाले चुनावों में मतदान करने का अवसर होगा। युवा मतदाताओं को न केवल वोट डालने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, बल्कि मतदान केंद्र पर कम से कम एक मतदाता को लाने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में मतदान को बढ़ावा देने के लिए सप्ताह के बीच में चुनाव कराए जाने की व्यवस्था की जा रही है ताकि लोग इसे छुट्टी की तरह इस्तेमाल न करें और मतदान करने आए। इसके अलावा, कर्मचारियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए कॉरपोरेट्स के साथ सहयोग शुरू किया गया है। युवा मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए, सचिन तेंदुलकर और राजकुमार राव जैसी हस्तियां मतदाता जागरूकता अभियान में शामिल हुई हैं। साथ ही चुनाव आयोग ने रचनात्मक और प्रासंगिक माध्यमों से युवा मतदाताओं से जुड़ने के लिए चाचा चौधरी जैसे प्रतिष्ठित कामिक किरदारों का सहारा लिया है। इन पहलों से सकारात्मक प्रभाव पड़ने और विशेषकर युवाओं के बीच मतदाता सहभागिता बढ़ने की उम्मीद है। प्रश्न: चुनावों में धन-बल के दुरुपयोग से निपटने के लिए आपके नेतृत्व में कई मजबूत प्रयास किए गए हैं। धन-बल पर अंकुश लगाने के लिए चुनाव आयोग ने क्या विशेष कदम उठाए हैं? उत्तर. चुनावों में धन के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए चुनाव आयोग ने हाल ही में अपने निगरानी प्रयासों को बढ़ाया है और अनुपालन प्रणाली को मजबूत किया है, जिसमें तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। इस दिशा में किए जा रहे प्रमुख प्रयासों में शामिल है। पहला, व्यय प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस) का इस्तेमाल, जिसके जरिए राजनीतिक दलों को अपने वित्तीय खातों की ऑनलाइन रिपोर्ट करने की जरूरत होती है। उम्मीदवारों को अपने व्यय का विवरण भी व्यय पर्यवेक्षकों को देना होता है। राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की रिपोर्ट भी डिजिटल रूप से देनी होगी, जिससे अनुपालन आसान हो जाएगा और डेटा विश्लेषण में मदद मिलेगी। दूसरा, प्रभावी समन्वय पर भी जोर दिया जा रहा है, जिसके तहत 2023 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान, चुनाव आयोग ने केंद्रीय और राज्य प्रवर्तन एजेंसियों के बीच प्रभावी सहयोग और समन्वय सुनिश्चित करने पर बल दिया। इन चुनावों के दौरान जब्ती में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो 1400 करोड़ रूपये के आंकड़े को पार कर गई, जो कि 2018-19 विधानसभा चुनावों की तुलना में एक हजार प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है। तीसरा, जब्ती की जानकारी को तुरंत दर्ज करना। इसके लिए एक एक आईटी एप्लीकेशन तैयार किया गया है, जिसके जरिए उत्पाद शुल्क, तटरक्षक, सीमा सुरक्षा बल, आयकर और प्रवर्तन निदेशालय सहित विभिन्न एजेंसियों द्वारा जब्ती की सूचना तुरंत दर्ज की जाती है। चौथा प्रयास है, सीविजिल एप्लिकेशन। चुनाव आयोग ने सीविजिल एप्लिकेशन लॉन्च किया है, जिसकी मदद से मतदाता चुनाव प्रक्रिया के दौरान होने वाली किसी भी अनियमितता की सूचना दे सकते हैं। इस ऐप की मदद से लोग किसी भी धोखाधड़ी, पैसे के लेन-देन और अन्य उल्लंघनों की घटनाओं की सूचना तुरंत दे सकते हैं। चुनावों में धन-बल का मुकाबला करने के लिए चुनाव आयोग ने बारीकी से अंशदान रिपोर्टों की जांच करते हुए 500 से अधिक गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को निष्क्रिय कर दिया है ताकि अवैध धन के दुरुपयोग को रोका जा सके। प्रश्न. चुनावों के दौरान सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों, गलत सूचनाओं और गलत सूचनाओं से निपटना दुनिया भर में चुनाव प्रबंधन निकायों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। इस चुनौती से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने क्या रणनीति अपनाई है?    उत्तर. सोशल मीडिया वास्तव में वरदान भी है और समस्या भी। सोशल मीडिया पर बहुत सारी सार्थक चर्चाएं भी होती हैं। लेकिन साथ ही, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस) के इस युग में, बहुत सारी नकली सूचनाएं भी विकसित और प्रसारित की जा रही है। हमने हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान फर्जी सूचनाओं के प्रचार-प्रसार को देखा। इन फर्जी सूचनाओं को बड़ी बारीकी और कुशलता के साथ तैयार किया जाता है जिसमें नकली आवाजें, चेहरे, स्थान और फर्जी घटनाओं को असली बताकर प्रस्तुत किया जाता है। इस चुनौती से निपटने के लिए फर्जी खबरें फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है। आईटी अधिनियम के तहत जारी दिशानिर्देश, फर्जी समाचार फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए एक खाका प्रदान करते हैं। चुनाव आयोग लगातार जिला मजिस्ट्रेटों, पुलिस अधीक्षकों और साइबर सेल अधिकारियों को फर्जी खबरों के स्रोत की पहचान करने और उन पर कार्रवाई करने का निर्देश दे रहा है। साथ ही, मतदाताओं और आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की भी आवश्यकता है। नागरिक समझदार और बुद्धिमान हैं, और वे वास्तविक सूचनाओं और झूठी सूचनाओं के बीच अंतर करने में सक्षम हैं। सटीक और जिम्मेदार सूचना के प्रसार को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी नागरिकों और चुनाव आयोग दोनों की है। आयोग की वेबसाइट पर तथ्यात्मक और सटीक जानकारी मौजूद रहती है, जिससे नागरिकों को किसी भी समाचार की सत्यता का आंकलन करने और उनके आधार पर अपने विचार तय करने में मदद मिलती है। प्रश्न. मतदाता पंजीकरण से लेकर मतदान और वोटों की गिनती में पारदर्शिता सुनिश्चित करने तक, तकनीक की भूमिका अहम हो गई है। क्या चुनावी प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए आगामी चुनावों के दौरान चुनाव आयोग किसी खास और नवीन तकनीकी के इस्तेमाल की तैयारी कर रहा हैं? उत्तर: तकनीक के एकीकरण ने चुनावी प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं में परिवर्तनकारी सुधार लाए हैं, जिससे पारदर्शिता, दक्षता और पहुंच में मदद मिली है। तकनीक के इस्तेमाल की वजह से मतदाताओं तक विभिन्न सेवाओं को पहुंचाना आसान हुआ है। लगभग 28 एप्लिकेशन विकसित किए गए हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य मतदाताओं को सशक्त बनाना है। ये एप्लिकेशन मतदाताओं को उनके पंजीकरण की स्थिति को सत्यापित करने, मतदान केंद्रों के बारे में जानकारी पहुंचाने और चुनावी उम्मीदवारों के बारे में अपने उम्मीदवार को जानें ऐप के माध्यम से जानकारी प्राप्त करने में मदद करते हैं। सक्षम एप्लिकेशन, विशेष रूप से बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं की मदद करता है। इसी तरह राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और चुनावी अधिकारियों के बीच होने वाले आपसी सामंजस्य को आसान बनाने के लिए "सुविधा" नामक एक एप्लिकेशन बनाया गया है। यह एप्लिकेशन विभिन्न तरह की अनुमतियों और सुविधाओं के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है, जैसे रैलियों के लिए मैदान बुक करना या चुनावी प्रचार अभियान सामग्री के लिए अनुमति लेना। आवेदन प्रक्रिया के दौरान निष्पक्षता और दक्षता बनाए रखने के लिए "पहले आओ, पहले पाओ" के सिद्धांत का पालन किया जाता है। इसके अलावा, तकनीक का इस्तेमाल प्रशासनिक कार्यों और लाजिस्टिक के प्रबंधन के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की आवाजाही को इस तरीके से किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि न तो गंतव्य और न ही मार्ग पूर्व निर्धारित है। इस जानकारी को राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाता है। इससे  चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, चुनाव प्रबंधन प्रक्रिया में लगभग 12 लाख मतदान केंद्रों पर चुनावी प्रक्रिया का सावधानीपूर्वक संचालन करना, रिकॉर्ड बनाए रखना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना शामिल है। विशेष रूप से, भारत की चुनावी प्रणाली तेजी से परिणाम देने के लिए प्रसिद्ध वो भी मात्र एक ही दिन में। इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराना और तेजी से चुनाव परिणाम देना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह पूरी प्रणाली तकनीक और समन्वित प्रयासों की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करती है। प्रश्न: क्या आप बता सकते हैं कि भारत का चुनाव आयोग दुनिया भर में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का समर्थन करने के लिए विदेशी चुनाव प्रबंधन निकायों के साथ कैसे सहयोग करता है?   उत्तर: चुनाव आयोग, लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने और दुनिया भर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने वाले देशों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के विशाल और जटिल चुनावी परिदृश्य ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है, और चुनाव आयोग कई पहलों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय चुनाव प्रबंधन निकायों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है: भारत मौजूदा समय में एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन मैनेजमेंट बॉडीज का नेतृत्व करता है, जिसके 120 से अधिक सदस्य देश हैं। यह चुनावी प्रबंधन में सर्वोत्तम प्रथाओं, अनुभवों और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। चुनाव आयोग भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं चुनाव प्रबंधन संस्थान संचालित करता है जो चुनाव प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं, जैसे तकनीक का इस्तेमाल करने, सोशल मीडिया को विनियमित करने और प्रभावी चुनावी प्रक्रियाओं पर व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम देता है। संस्थान ने अब तक 117 देशों के 2,500 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों का स्वागत किया है। चुनाव आयोग ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के सहयोग से मास्टर ऑफ आर्ट्स कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम के जरिए प्रशिक्षण देता है, जिसमें प्रतिभागियों को उनके देशों में फील्डवर्क कराया जाना भी शामिल होता है। इस कार्यक्रम के लिए लिए विदेशी नागरिकों को छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन: चुनाव आयोग, चुनाव प्रबंधन को मजबूत करने, चुनावों में पहुंच और समावेशिता को बढ़ावा देने और तकनीक का इस्तेमाल किए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है। ये सम्मेलन वैश्विक स्तर पर ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोग की सुविधा प्रदान करते हैं।  निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी चुनावों कराने की चुनाव आयोग की प्रतिबद्धता ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया है। चुनाव आयोग अपने ज्ञान को साझा करने के साथ-साथ अन्य देशों के अनुभवों से भी सीखता है, जिससे लोकतांत्रिक मूल्यों और चुनावी प्रक्रियाओं की वैश्विक उन्नति में योगदान मिलता है। (साक्षात्कारकर्ता आकाशवाणी समाचार, नई दिल्ली के संवाददाता हैं। इस साक्षात्कार पर प्रतिक्रिया feedback.employmentnews@gmail.com पर भेजी जा सकती है। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।