रोज़गार समाचार
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संपादकीय लेख


Issue no 30, 21 - 27 October 2023

साक्षात्कार स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष के दौरान, महात्मा गांधी ने यह प्रसिद्ध उक्ति कही थी, ’स्वच्छता स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है,’ यह मानते हुए कि हमारे राष्ट्र के उज्जवल भविष्य की यात्रा हमारे परिवेश की स्वच्छता और हमारे लोगों के कल्याण के साथ शुरू होनी चाहिए। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, भारत ने समृद्ध भविष्य के निर्माण की दिशा में अपनी ऊर्जा लगाते हुए एक असाधारण यात्रा शुरू की। प्रगति के इस पथ पर असंख्य चुनौतियों में से एक बड़ी चुनौती है - स्वच्छता की चुनौती। आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास के लिए प्रयास करने के बावजूद, खुले में शौच और अपर्याप्त स्वच्छता सुविधाओं की चुनौती देश के स्वास्थ्य और गरिमा पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। इस गंभीर मुद्दे के जवाब में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की। यह एक दूरदर्शी अभियान था जो राजनीतिक सीमाओं को पार कर गया और स्वच्छ तथा स्वस्थ भारत के लिए आशा की किरण बन गया। पिछले एक दशक में, इस मिशन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया व्यक्त हुई है, जिससे उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। देश को व्यथित कर देने वाली खुले में शौच की व्यापक समस्या, को हाल में 2014 में काफी हद तक कम कर दिया गया ै। व्यवहार परिवर्तन, लाखों शौचालयों के निर्माण और व्यापक सार्वजनिक भागीदारी पर जोर देने के साथ, पूरे देश ने 2019 तक खुले में शौच से मुक्त होने की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग की सचिव सुश्री विनी महाजन ने रोजगार समाचार को दिए एक विशेष साक्षात्कार में, भारत में स्वच्छता की परिवर्तनकारी यात्रा और स्वच्छ तथा स्वस्थ भविष्य. को सुरक्षित करने के लिए चल रहे मिशन पर बातचीत की। स्वतंत्र पत्रकार एस. रंगभासियम ने रोजगार समाचार की ओर से उनका साक्षात्कार लिया। प्रश्नः पिछले एक दशक में स्वच्छ भारत मिशन के प्रति प्रतिक्रिया कैसी रही है, यह देखते हुए कि इसकी स्थापना के नौ साल से अधिक समय हो गया है? उत्तरः स्वच्छता में कई आयाम शामिल हैं, और एक महत्वपूर्ण पहलू खुले में शौच है, जो हाल ही 2014 तक भारत में जारी रहा। वैश्विक स्तर पर, खुले में शौच को स्वच्छता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मुद्दा माना गया है। विश्व के सतत विकास लक्ष्यों में से एक सार्वभौमिक रूप से सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता सुनिश्चित करना है, जिसमें मल कीचड़ प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया है। एक दशक पहले, यह अनुमान लगाया गया था कि दुनिया भर में खुले में शौच के लगभग 60 प्रतिशत मामले भारत में होते थे। स्वच्छता आंतरिक रूप से स्वास्थ्य और आर्थिक कल्याण दोनों से जुड़ी हुई है। महिलाओं के लिए, यह महज सुविधा से परे, सम्मान और सुरक्षा का मामला बन गया है। इस संदर्भ ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को कार्रवाई के लिए एक स्पष्ट आह्वान जारी करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें राष्ट्र से ’स्वच्छता’ या सफाई को अपनाने का आग्रह किया गया। कार्रवाई के इस आह्वान में प्राथमिक चुनौतियों में से एक देश में खुले में शौच का उन्मूलन था। हालांकि, यह एक विकट चुनौती थी, क्योंकि 40 प्रतिशत से भी कम ग्रामीण परिवारों के पास शौचालय की सुविधा थी, जिसके कारण व्यवहार में बड़े बदलाव की आवश्यकता थी। इस पहल के परिणामस्वरूप पूरे भारत में 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि लोगों को इन सुविधाओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। 2019 तक पूरे देश ने खुले में शौच से मुक्त होने का मुकाम हासिल कर लिया था. यह बहुत ही कम समय में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जिस पर पूरा देश गर्व कर सकता है। प्रश्नः इस वर्ष का स्वच्छता ही सेवा अभियान ’कचरा-मुक्त भारत’ विषय पर केंद्रित है। इस पहल की आकांक्षाएं क्या हैं? उत्तरः लोगों के लिए प्राथमिक चिंता कूड़े के बड़े ढेरों की उपस्थिति है। परिणामस्वरूप, इस वर्ष हमारा ध्यान भारत को कचरा-मुक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ने पर है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में नागरिक सहभागिता महत्वपूर्ण है। लोगों को स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण के महत्व और कचरे को धन में परिवर्तित करने की अवधारणा को समझने की आवश्यकता है। ये व्यावहारिक और प्राप्त करने योग्य उद्देश्य हैं। प्रश्नः क्या आप स्वच्छता ही सेवा पहल में ’जन आंदोलन’ और ’श्रमदान’ की अवधारणा को स्पष्ट कर सकते हैं? उत्तरः स्वच्छता ही सेवा पहल प्रधानमंत्री के स्वच्छता के दृष्टिकोण से उपजी है, जहां उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि स्वच्छता केवल सरकार द्वारा संचालित प्रयास नहीं होना चाहिए, बल्कि एक ’जन आंदोलन’ - लोगों का आंदोलन होना चाहिए। हमारे स्वच्छता उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। स्वच्छता ही सेवा पहल महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करती है। कई मंत्रालय और विभाग वर्ष के दौरान किसी भी समय दो सप्ताह ’स्वच्छता पखवाड़ा’ के रूप में निर्धारित करते हैं। हालांकि, व्यापक सार्वजनिक भागीदारी वाला प्राथमिक कार्यक्रम सितंबर के दूसरे भाग में होता है, जिसे ’स्वच्छता पखवाड़ा’ के नाम से जाना जाता है। इस अवधि के दौरान, लोगों को ’श्रमदान’ में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रयास किए जाते हैं, जिसमें सार्वजनिक स्थानों, जल निकायों, समुद्र तटों की सफाई और कई अन्य गतिविधियां शामिल होती हैं। इसके अतिरिक्त, स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए रैलियों और प्रतिज्ञाओं जैसे विभिन्न जन-अभियान और गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। ये सभी प्रयास स्वैच्छिक हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को इस प्रयास में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना है। प्रश्नः स्वच्छता ही सेवा विशेष फोकस पखवाड़े पर क्या प्रतिक्रिया रही है? उत्तरः पखवाड़ा में महत्वपूर्ण परिणाम देखने को मिले। इस वर्ष, यह 1 अक्टूबर को एक घंटे के असाधारण प्रयास के रूप में सम्पन्न हुआ, जहां प्रधानमंत्री ने प्रत्येक नागरिक से सुबह 10 से 11 बजे तक किसी सार्वजनिक स्थान पर सफाई गतिविधियों में शामिल होने के लिए स्वेच्छा से एक घंटा समर्पित करने का आह्वान किया। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने इसमें पूरे दिल से भाग लिया, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक गतिविधि को सार्वजनिक रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए एक समर्पित पोर्टल पर प्रलेखित किया गया था। 2 अक्टूबर को समाप्त होने वाले इस पखवाड़े के दौरान, 100 करोड़ से अधिक लोगों ने भागीदारी की, प्रतिदिन औसतन 6 करोड़ से अधिक प्रतिभागी स्वच्छता-संबंधित गतिविधियों में शामिल हुए, जिनमें से लगभग आधे लोग वास्तविक सफाई में लगे रहे और शेष ने जागरूकता सृजन पर ध्यान केंद्रित किया। प्रश्नः पर्यटन के आर्थिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, क्या पर्यटन स्थलों की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए कोई विशिष्ट कार्यक्रम है? उत्तरः पेयजल और स्वच्छता विभाग, कई वर्षों से, प्रतिष्ठित स्थानों के रूप में संदर्भित, पर्यटक स्थलोें की पहचान करने और उनके रखरखाव के लिए पर्यटन मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय संगठनों के साथ उनकी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) पहल के तहत साझेदारी स्थापित की गई है। पर्यटन स्थलों पर सुरक्षित स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए विश्व पर्यटन दिवस, 27 सितंबर को एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई थी। हम वर्तमान में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के आकलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों और देश के अन्य हिस्सों में होटल और रिसॉर्ट्स के लिए दिशानिर्देश विकसित कर रहे हैं। प्रश्नः राष्ट्रव्यापी खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) पहल सिर्फ एक दशक पहले शुरू की गई थी। आपके अनुसार पिछले दशकों में इस मुद्दे को प्राथमिकता न दिए जाने में किन कारकों का योगदान रहा? उत्तरः प्राथमिकता निर्धारण की ऐतिहासिक कमी में कई कारकों ने योगदान दिया। पहले के समय में, जब जनसंख्या घनत्व कम था, खुले में शौच की समस्या को उतनी गंभीरता से नहीं देखा गया होगा जितना कि समकालीन समय में है। आर्थिक बाधाओं ने भी व्यक्तियों और समुदायों को इसे कम प्राथमिकता देने के लिए मजबूर किया होगा। इसके अतिरिक्त, सांस्कृतिक, सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक स्थितियों ने जागरूकता और कार्रवाई में बाधा डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल के दिनों में प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान किया गया पर्याप्त प्रोत्साहन, निस्संदेह इतने कम समय में हमने जो तीव्र प्रगति की है, उसके लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक है। प्रश्नः खुले में शौच के संबंध में, आवश्यक व्यवहार परिवर्तन को प्रेरित करने में ओडीएफ अभियान कितना प्रभावी रहा है? उत्तरः 2014 और 2019 के बीच बड़े पैमाने पर प्रयास किया गया, जिसके परिणामस्वरूप देश के हर गांव, कस्बे और शहर ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया। नए मकानों और प्रवासन जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए, इस उपलब्धि को कायम रखना अवश्यक है। यह सुनिश्चित करना अत्यावश्यक है कि हर घर, जिसमें नए घर भी शामिल हैं, में शौचालय है और वे इसका उपयोग करते हैं, और व्यवहार में परिवर्तन बना रहता है। यह एक सतत प्रयास है, और हमें अपनी उपलब्धियों पर गर्व है। हम लगातार राज्यों के साथ जुड़े रहते हैं और किसी भी खामी को रोकने के लिए सतर्कता बरतने का आग्रह करते हैं। सतत् सतर्कता आवश्यक है। प्रश्नः ओडीएफ और ओडीएफ-प्लस मॉडल क्या है? उत्तरः किसी गांव को ओडीएफ तब घोषित किया जाता है जब हर घर, स्कूल, आंगनवाड़ी आदि में शौचालय का उपयोग होता है और खुले में शौच समाप्त हो जाता है। अगले चरण में पूर्ण स्वच्छता शामिल है, जिसे ओडीएफ-प्लस यात्रा के रूप में जाना जाता है। इस चरण में ठोस और तरल दोनों तरह के कचरे का उचित पृथक्करण और निपटान शामिल है। जैविक कचरे से खाद बनाई जाती है और प्लास्टिक का पुनर्चक्रण किया जाता है। यह अंततः एक मॉडल ओडीएफ-प्लस गांव बनाता है। प्रश्नः क्या सफाईमित्रों (स्वच्छता कार्यकर्ताओं) के लिए अतिरिक्त कल्याणकारी उपाय हैं? उत्तरः सरकार, सफाई कर्मचारियों, सफाईमित्रों के स्वास्थ्य और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। शहरी क्षेत्रों में, जब सीवर अवरुद्ध हो जाते हैं, तो सीवर कर्मचारियों को कभी-कभी सीवर में प्रवेश करना पड़ता है, जो जोखिमपूर्ण होता है, अतीत में इससे कई मौतें भी हुई हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं कि सीवरों का पर्याप्त रखरखाव किया जाए, जिससे मानव प्रवेश की आवश्यकता कम हो। जब मरम्मत या रखरखाव के लिए सीवर के भीतर प्रवेश आवश्यक हो, तो श्रमिकों को इसके खतरों से बचाने के लिए उचित रूप से प्रशिक्षित और सुरक्षा गियर से सुसज्जित किया जाना चाहिए। प्रश्नः इन सभी पहलों के लिए दीर्घकालिक स्थिरता की आवश्यकता है। आप इन कार्यक्रमों की स्थिरता सुनिश्चित करने की योजना कैसे बनाते हैं, खासकर वित्तीय दृष्टिकोण से? उत्तरः निश्चित रूप से, वाहनों और संसाधन पुनर्प्राप्ति केंद्रों (आरआरसी) के लिए वित्त पोषण सहित पूंजीगत व्यय की आवश्यकता है। 15वें वित्त आयोग ने पानी और स्वच्छता के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों को 60 प्रतिशत धनराशि आवंटित की है। पिछले 3-4 वर्षों में, स्वच्छता संबंधी गतिविधियों के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लगभग 1,00,000 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, हमारा लक्ष्य स्वच्छता प्रक्रिया में एक आवश्यक हितधारक के रूप में महिला स्वयं सहायता समूहों को शामिल करना है। सरकारी फंडिंग के अलावा, उपयोगकर्ता शुल्क इन पहलों को बनाए रखने के लिए एक व्यवहार्य तरीका हो सकता है। (इस साक्षात्कार पर प्रतिक्रिया यहां भेजी जा सकती हैः feedback.employmentnews@gmail.com ) व्यक्त किये गये विचार व्यक्तिगत हैं।